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मेरे जीवन के गहरे राज
#17
इस बार में उठा और बाथरूम में गया वापिस आने पर देखा की भाभी अपनी टाँगे ऊँची कर चूत चौड़ी कर पाँव फेला कर लेटी थी, मे उनका इशारा समझ गया और बिना देर किये अपने लंड को उनकी मख्खन की तरह चिकनी चूत में पेल दिया, भाभी की चूत किसी कमसिन लड़की की बुर की तरह टाइट थी, इतनी आसानी से लंड अन्दर नहीं जा रहा था, शायद भैया मतलब मेरे साले साहेब  ने ज्यादा मेहनत नहीं करी थी अब तक.
 
 
चूत की कसावट पर मुझे आश्चर्य हवा, इसका मतलब भाभी मेरे आलावा किसी और के पास मजे लेने नहीं गयी थी, धीरे धीरे अन्दर जाकर अपनी पोजीशन पक्की कर लंड महाशय अब सेट हो गए, अब बिना तकलीफ लंड भाभी की सेवा कर रहा था, मुझसे ज्यादा तो भाभी को मज़ा आ रहा था, वो निश्चिंतता के साथ आँखे बंद कर चुदाई के मजे ले रही थी, मेने कहा भाभी कब से चुदवाना चाह रही थी तो बोली बहुत पहले से लेकिन अवसर ही नहीं मिला लेकिन आज तो मेने सोच लिया चाहे कुछ भी हो जाए यह  मौका छोड़ने नहीं दूंगी, चाहे आप कुछ भी समझो बदचलन बदजात चरित्रहीन लेकिन मेरे लिए यह सही हे, मेने कहा किसने आप्ज्के ऊपर यह सब हलके आरोप लगाए जब आपका पति आपको संतुष्ट नहीं करता तो यह आपका हक हे की आप अपने शारीर की आवश्यकताओ को पूरा केसे भी करे. 
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RE: मेरे जीवन के गहरे राज - by sitaram - 09-04-2021, 06:35 PM



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