09-04-2021, 06:16 PM
साथियों, माफ़ी चाहूंगा, लम्बे समय से आप सभी को कोई अपडेट नहीं दे सका, क्योंकि, मार्च एंड के चक्कर में फसा था, खेर अब आपके सामने नए अपडेट लेकर आ गया हूँ........
तो फिर में और भाभी दोनों बाथरूम से निकल कर रूम में आ गए, भाभी पलंग पर उलटी लेट गयी, जिससे उसले कुल्हे उजागर हो गए, छोटी सी पेंटी में से उनके बड़े बड़े सफ़ेद मांसल गांड गज़ब ढा रहे थे, मुतने से मेरे लंड में जो थोड़ी नरमाहट आ गयी थी वह भी भाभी की गांड देख जाती रही, मेने अपनी छोटी सी फ्रेंची में लंड को एडजस्ट किया और भाभी के पास आकर लेट गया, रात के एक बज रहे थे, लेकिन पास में इसी खुबसूरत बदन वाली हसीना के लेटने से आँखों में नींद का नामोनिशान नहीं थाI
भाभी बोली अब सो जाओ सुबह आपको उठ कर अपने काम पर भी तो जाना हे, मेने कहा हां और मेने सोने का प्लान बनाया, भाभी भी मेरी तरफ अपनी मांसल गांड करके मुंह फेर सो गयी, में अपने लंड को हिलाते हुवे सोने की कोशिश करने लगा, लेकिन डिम लाइट में भाभी के गोर मांसल बदन को देख नींद का नामोनिशान नहीं था, भाभी भी बार बार apne कुलहो पर खुजा रही थी, कभी पीठ खुजाती, जबकि वहा मच्छर नहीं थे, मेने कहा की क्या मच्छर परेशान कर रहे हे, तो बोली नहीं बस ऐसे ही खुजली चल रही हे, मेने कहा में खुजाल दूँ, तो बोली, नेकी और पूंछ पूंछ ...
मे ने बिना एक सेकंड बिगाड़े भाभी की पीठ पर खुजाना शुरू कर दिया, भाभी रिलैक्स हो गयी, खुजलाने के लिए मुझे भाभी के पास आना पडा, पीठ खुजाते खुजाते भाभी ने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी मोटी गांड पर रख दिया, अब में उनकी मांसल कड़क गांड खुजा रहा था, उनकी छोटी सी पेंटी पहले ही पतली सी डोर के सामान उनके गांड में धंसी हुयी थी, नंगी गांड पर हाथ फेरते फेरते में बहुत ही उत्तेजित हो गया था, तभी भाभी ने मेरे हाथ पकड़ कर अपनी मांसल झांघो पर रख दिए, अब में उनकी सफ़ेद केले के तने के समान झांघो को सहला रहा था, रात अधिक होने से में भी अब शरीर में भरी पन महसूस कर रहा था, में भाभी से चिपक कर लेट गया, मेरे लेटते ही भाभी मेरे शरीर से सट गयी, वो मेरे इतने करीब थी की मेरी सांसे उनके कानो के पास उन्हे महसूस हो रही होगी, और मेरा कड़क लंड उनकी गांड में घुसता सा जा रहा था, भाभी अपनी गांड मेरे लंड से रगड़ने लगी, जिससे मेरे लंड में भी हलचल होने लगी, में अपने लंड को जैसे ही एडजस्ट करने के लिए भाभी की झांघो से हाथ हटाया, भाभी ने मेरा हाथ पकड़ कर फिर अपनी झांघो पर रख दिया, और बोली इसे में संभाल लुंगी, और भाभी ने अपना हाथ मेरे लंड पर फेरना शुरू कर दिया, उनकी पतली पतली नाजुक उंगलियों का स्पर्श पाते ही मानो मेरी नस नस में उत्तेजना फेल गयी, लंड झटके मारने लगा, लेकिन भाभी की उंगलियों में तो मानो जादू था, एसा महसूस हो रहा था मानो में जन्नत में हूँ, भाभी मेरी फ्रेंची के पर से ही मेरे लंड को सहला रही थी, तभी भाभी ने मेरा हाथ पकड़ कर उनकी झांघो के जोड़ो पर रख दिया, अब में उनकी बुर के ऊपर से सहला रहा था, मुझे उनकी पेंटी का आगे का हिस्सा कुछ गर्म और गिला सा महसूस हो रहा था मेने धीरे से उनके कान में कहा की भाभी पेंटी गीली हो रही हे इसीलिए खुजली हो रही हे तो बोली मेरा हाथ बिजी हे आप निकाल दो मेरी पेंटी, मेने बिना देरी किये तुरंत उनकी पेंटी भाभी की कमर से सरका दी, भाभी ने अपने कुल्हे ऊँचे किया ताकि मुझे पैंटी सरकाने में परेशानी ना हो, पेंटी निचे होते ही मेने पुनः उनकी झंघो के जोड़ो पर हाथ फेरना शुरू कर दिया भाभी ने भी मेरी फ्रेंची निचे खीच दी, जिसे मेने तुरंत घुटनों से बाहर कर दी, अब में मादरजात नग्न था, जबकि भाभी ने ऊपर बदन पर नायटी पहन रखी थी, मेरा लंड उनकी गांड के छेद में धक्के मार रहा था, भाभी ने मेरे सख्त लंड को छूते ही खुश हो गयी, मेने भी उनकी नंगी चूत को सहलाना जारी रखा, भाभी अपने पैर फेलाती रही ताकि में उनकी बुर को अंदर तक सहला सकू, मेने अपने अनुभव से उनकी बुर को खोदना जारी रखा एक लय में कुरेदने के बाद उनकी बुर पनिया गयी , और कुछ पलो के बाद मेने महसूस किया की भाभी का बदन अकड़ने लगा, और वो तेज साँसों के साथ अपने मुंह से अजीब सी आवाजे निकलने लगी, और तभी एक झटके से उनकी बुर मानो फट पड़ी, तेज चीख के साथ भाभी की बुर से चिकने गाढे द्रव्य का फवारा सा फुट पडा, वह झटके खाने लगी, एक पल को तो में भी चौक पडा लेकिन में समझ गया की यह उनकी महीनो से भरी हुयी गर्मी का असर हे, जो आज मेरे हाथ फेरने से बाहर आ गयी I
भाभी के चेहरे पर अजीब सी शांति थी, मेरी और मुंह कर मेरी चिकनी उंगलिया जो उनके कामरस में भीगी हुयी थी, उन्हें अपनी पेंटी से साफ़ कर दिया, बड़ी खुश दिख रही थी लेकिन उन्होंने मेरे लंड को मींजना नहीं छोड़ा मेने भी अब उनकी नायटी में से उनके बड़े बड़े स्तन बाहर निकाल लिए और उनकी मालिश शुरू कर दी, उनकी निप्पलस टन कर किसी लम्बे अंगूर की तरह दिख रही थी, में अपनी दो उंगलियों में उन्हें फसा कर सहलाने लगा, भाभी ने मेरे होंठो पर एक लम्बी किस दी और फिर अपनी नायती अपने बदन से अलग कर दी,
उनके स्तन आज पहली बार मेरे सामने उजागर हुवे थे, इतने बड़े होने के बाद भी बिलकुल भी नहीं लटक रहे थे, में फिर से उन्हें मसलने लगा, भाभी थोड़ी ऊपर की और हुयी और तकिया अपनी कमर पर लगा कर मेरे मुंह के पास अपने निप्पल ले आई, में उनकी मंशा समझ गया और मेने एक झटके में उनके निप्पल मुंह में ले कर चुभलाना शुरू कर दिए.
अब वो मेरे साइड में थी मेने उनके निप्पल अपने मुंह में लेकर उनकी गांड पर अपना हाथ फेरना शुरू कर दिया उनकी कड़क गांड किसी फूटबाल की तरह गोल थी, मेरा लंड उनकी चूत से बहते पानी से सराबोर हो रहा था, लगभग पांच मिनट बाद भाभी उठकर वाशरूम में गयी और अपनी चिपचिपी चूत को पानी से धोकर वापिस आ गयी,
तब तक में भी सीधा सो गया मेरा तना हवा लंड छत की तरफ सीधा तना हवा था, भाभी आते ही मेरे पास विपरीत दिशा की तरफ मुंह कर लेट गयी, और मेरे लंड को सहलाते हुवे मुंह में ले चूसने लगी, मेरे लिए यह किसी स्वप्न के साकार होने के समान था, वो किसी एक्सपर्ट की तरह अलग अलग अंदाज में लंड को चूस रही थी, तभी मेरी निगाह उनकी चिकनी गुलाबी बुर की तरफ गयी, उस समय उनके पैर चोडे हो रहे थे, जिससे उनकी बुर के अन्दर का भाग भी दिखाई दे रहा था, मेने बड़े प्यार से उनकी गांड को पकड़ कर अपनी और खीचा अब उनकी बुर मेरे मुंह के पास थी, मेने आहिस्ता से उनकी झांघो को खीच अपने मुंह के ऊपर से अपने मुंह की और किया, अब भाभी की चिकनी गुलाबी रस भरी चूत मेरे मुंह के बिलकुल करीब थी, भाभी ने किसी तरह का विरोध नहीं किया,
हम दोनो अब 69 की पोजीशन में थी वो मेरे लंड को चुस रही थी और में उनकी बुर को
उनकी बुर का नमकीन पानी का स्वाद बड़ा ही मस्त था, बड़ी बड़ी गांड को फेलाने से चूत भी चोडी हो रही थी, भाभी घुटनों के बल मेरे मुंह के ऊपर थी, और मेरे लंड को गले के अन्दर तक गटक रही थी, किसी आइसक्रीम की तरह चाट चाट कर उसने मेरे लंड को पूरी तरह से चिकना कर भीगा दिया
तभी शायद भाभी की बुर पनिया गयी, उनकी चूत के पानी का बहाव बढ़ गया और फिर से शारीर अकड़ने लगा, शायद वो झड़ने के करीब थी, वो म्रेरे मुंह से पानी बुर हटाना चाहती थी, लेकिन मेने उनकी गांड को मजबूती से पकडे रखा और तभी......
भाभी की बुर बह चली, इतना पानी बहा की मेरा पूरा मुंह उनके काम रस से भीग गया, लेकिन उस अजीब से मादक काम रस की महक और स्वाद मुझे पागल बना रहा था मेने उन्हें अपनी गिरफ्त से नहीं छोड़ा और उनकी बुर के पानी की आखरी बूंद तक गटक गया, वह अपनी बुर छुडवाने के लिए मचलती रही, लेकिन मेने भी उन्हें नहीं छोड़ा
तो फिर में और भाभी दोनों बाथरूम से निकल कर रूम में आ गए, भाभी पलंग पर उलटी लेट गयी, जिससे उसले कुल्हे उजागर हो गए, छोटी सी पेंटी में से उनके बड़े बड़े सफ़ेद मांसल गांड गज़ब ढा रहे थे, मुतने से मेरे लंड में जो थोड़ी नरमाहट आ गयी थी वह भी भाभी की गांड देख जाती रही, मेने अपनी छोटी सी फ्रेंची में लंड को एडजस्ट किया और भाभी के पास आकर लेट गया, रात के एक बज रहे थे, लेकिन पास में इसी खुबसूरत बदन वाली हसीना के लेटने से आँखों में नींद का नामोनिशान नहीं थाI
भाभी बोली अब सो जाओ सुबह आपको उठ कर अपने काम पर भी तो जाना हे, मेने कहा हां और मेने सोने का प्लान बनाया, भाभी भी मेरी तरफ अपनी मांसल गांड करके मुंह फेर सो गयी, में अपने लंड को हिलाते हुवे सोने की कोशिश करने लगा, लेकिन डिम लाइट में भाभी के गोर मांसल बदन को देख नींद का नामोनिशान नहीं था, भाभी भी बार बार apne कुलहो पर खुजा रही थी, कभी पीठ खुजाती, जबकि वहा मच्छर नहीं थे, मेने कहा की क्या मच्छर परेशान कर रहे हे, तो बोली नहीं बस ऐसे ही खुजली चल रही हे, मेने कहा में खुजाल दूँ, तो बोली, नेकी और पूंछ पूंछ ...
मे ने बिना एक सेकंड बिगाड़े भाभी की पीठ पर खुजाना शुरू कर दिया, भाभी रिलैक्स हो गयी, खुजलाने के लिए मुझे भाभी के पास आना पडा, पीठ खुजाते खुजाते भाभी ने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी मोटी गांड पर रख दिया, अब में उनकी मांसल कड़क गांड खुजा रहा था, उनकी छोटी सी पेंटी पहले ही पतली सी डोर के सामान उनके गांड में धंसी हुयी थी, नंगी गांड पर हाथ फेरते फेरते में बहुत ही उत्तेजित हो गया था, तभी भाभी ने मेरे हाथ पकड़ कर अपनी मांसल झांघो पर रख दिए, अब में उनकी सफ़ेद केले के तने के समान झांघो को सहला रहा था, रात अधिक होने से में भी अब शरीर में भरी पन महसूस कर रहा था, में भाभी से चिपक कर लेट गया, मेरे लेटते ही भाभी मेरे शरीर से सट गयी, वो मेरे इतने करीब थी की मेरी सांसे उनके कानो के पास उन्हे महसूस हो रही होगी, और मेरा कड़क लंड उनकी गांड में घुसता सा जा रहा था, भाभी अपनी गांड मेरे लंड से रगड़ने लगी, जिससे मेरे लंड में भी हलचल होने लगी, में अपने लंड को जैसे ही एडजस्ट करने के लिए भाभी की झांघो से हाथ हटाया, भाभी ने मेरा हाथ पकड़ कर फिर अपनी झांघो पर रख दिया, और बोली इसे में संभाल लुंगी, और भाभी ने अपना हाथ मेरे लंड पर फेरना शुरू कर दिया, उनकी पतली पतली नाजुक उंगलियों का स्पर्श पाते ही मानो मेरी नस नस में उत्तेजना फेल गयी, लंड झटके मारने लगा, लेकिन भाभी की उंगलियों में तो मानो जादू था, एसा महसूस हो रहा था मानो में जन्नत में हूँ, भाभी मेरी फ्रेंची के पर से ही मेरे लंड को सहला रही थी, तभी भाभी ने मेरा हाथ पकड़ कर उनकी झांघो के जोड़ो पर रख दिया, अब में उनकी बुर के ऊपर से सहला रहा था, मुझे उनकी पेंटी का आगे का हिस्सा कुछ गर्म और गिला सा महसूस हो रहा था मेने धीरे से उनके कान में कहा की भाभी पेंटी गीली हो रही हे इसीलिए खुजली हो रही हे तो बोली मेरा हाथ बिजी हे आप निकाल दो मेरी पेंटी, मेने बिना देरी किये तुरंत उनकी पेंटी भाभी की कमर से सरका दी, भाभी ने अपने कुल्हे ऊँचे किया ताकि मुझे पैंटी सरकाने में परेशानी ना हो, पेंटी निचे होते ही मेने पुनः उनकी झंघो के जोड़ो पर हाथ फेरना शुरू कर दिया भाभी ने भी मेरी फ्रेंची निचे खीच दी, जिसे मेने तुरंत घुटनों से बाहर कर दी, अब में मादरजात नग्न था, जबकि भाभी ने ऊपर बदन पर नायटी पहन रखी थी, मेरा लंड उनकी गांड के छेद में धक्के मार रहा था, भाभी ने मेरे सख्त लंड को छूते ही खुश हो गयी, मेने भी उनकी नंगी चूत को सहलाना जारी रखा, भाभी अपने पैर फेलाती रही ताकि में उनकी बुर को अंदर तक सहला सकू, मेने अपने अनुभव से उनकी बुर को खोदना जारी रखा एक लय में कुरेदने के बाद उनकी बुर पनिया गयी , और कुछ पलो के बाद मेने महसूस किया की भाभी का बदन अकड़ने लगा, और वो तेज साँसों के साथ अपने मुंह से अजीब सी आवाजे निकलने लगी, और तभी एक झटके से उनकी बुर मानो फट पड़ी, तेज चीख के साथ भाभी की बुर से चिकने गाढे द्रव्य का फवारा सा फुट पडा, वह झटके खाने लगी, एक पल को तो में भी चौक पडा लेकिन में समझ गया की यह उनकी महीनो से भरी हुयी गर्मी का असर हे, जो आज मेरे हाथ फेरने से बाहर आ गयी I
भाभी के चेहरे पर अजीब सी शांति थी, मेरी और मुंह कर मेरी चिकनी उंगलिया जो उनके कामरस में भीगी हुयी थी, उन्हें अपनी पेंटी से साफ़ कर दिया, बड़ी खुश दिख रही थी लेकिन उन्होंने मेरे लंड को मींजना नहीं छोड़ा मेने भी अब उनकी नायटी में से उनके बड़े बड़े स्तन बाहर निकाल लिए और उनकी मालिश शुरू कर दी, उनकी निप्पलस टन कर किसी लम्बे अंगूर की तरह दिख रही थी, में अपनी दो उंगलियों में उन्हें फसा कर सहलाने लगा, भाभी ने मेरे होंठो पर एक लम्बी किस दी और फिर अपनी नायती अपने बदन से अलग कर दी,
उनके स्तन आज पहली बार मेरे सामने उजागर हुवे थे, इतने बड़े होने के बाद भी बिलकुल भी नहीं लटक रहे थे, में फिर से उन्हें मसलने लगा, भाभी थोड़ी ऊपर की और हुयी और तकिया अपनी कमर पर लगा कर मेरे मुंह के पास अपने निप्पल ले आई, में उनकी मंशा समझ गया और मेने एक झटके में उनके निप्पल मुंह में ले कर चुभलाना शुरू कर दिए.
अब वो मेरे साइड में थी मेने उनके निप्पल अपने मुंह में लेकर उनकी गांड पर अपना हाथ फेरना शुरू कर दिया उनकी कड़क गांड किसी फूटबाल की तरह गोल थी, मेरा लंड उनकी चूत से बहते पानी से सराबोर हो रहा था, लगभग पांच मिनट बाद भाभी उठकर वाशरूम में गयी और अपनी चिपचिपी चूत को पानी से धोकर वापिस आ गयी,
तब तक में भी सीधा सो गया मेरा तना हवा लंड छत की तरफ सीधा तना हवा था, भाभी आते ही मेरे पास विपरीत दिशा की तरफ मुंह कर लेट गयी, और मेरे लंड को सहलाते हुवे मुंह में ले चूसने लगी, मेरे लिए यह किसी स्वप्न के साकार होने के समान था, वो किसी एक्सपर्ट की तरह अलग अलग अंदाज में लंड को चूस रही थी, तभी मेरी निगाह उनकी चिकनी गुलाबी बुर की तरफ गयी, उस समय उनके पैर चोडे हो रहे थे, जिससे उनकी बुर के अन्दर का भाग भी दिखाई दे रहा था, मेने बड़े प्यार से उनकी गांड को पकड़ कर अपनी और खीचा अब उनकी बुर मेरे मुंह के पास थी, मेने आहिस्ता से उनकी झांघो को खीच अपने मुंह के ऊपर से अपने मुंह की और किया, अब भाभी की चिकनी गुलाबी रस भरी चूत मेरे मुंह के बिलकुल करीब थी, भाभी ने किसी तरह का विरोध नहीं किया,
हम दोनो अब 69 की पोजीशन में थी वो मेरे लंड को चुस रही थी और में उनकी बुर को
उनकी बुर का नमकीन पानी का स्वाद बड़ा ही मस्त था, बड़ी बड़ी गांड को फेलाने से चूत भी चोडी हो रही थी, भाभी घुटनों के बल मेरे मुंह के ऊपर थी, और मेरे लंड को गले के अन्दर तक गटक रही थी, किसी आइसक्रीम की तरह चाट चाट कर उसने मेरे लंड को पूरी तरह से चिकना कर भीगा दिया
तभी शायद भाभी की बुर पनिया गयी, उनकी चूत के पानी का बहाव बढ़ गया और फिर से शारीर अकड़ने लगा, शायद वो झड़ने के करीब थी, वो म्रेरे मुंह से पानी बुर हटाना चाहती थी, लेकिन मेने उनकी गांड को मजबूती से पकडे रखा और तभी......
भाभी की बुर बह चली, इतना पानी बहा की मेरा पूरा मुंह उनके काम रस से भीग गया, लेकिन उस अजीब से मादक काम रस की महक और स्वाद मुझे पागल बना रहा था मेने उन्हें अपनी गिरफ्त से नहीं छोड़ा और उनकी बुर के पानी की आखरी बूंद तक गटक गया, वह अपनी बुर छुडवाने के लिए मचलती रही, लेकिन मेने भी उन्हें नहीं छोड़ा