09-04-2021, 04:50 PM
तब मेरा लंड खड़ा था और उसी टाईम पता नहीं रेखा दीदी आ टपकी और उन्होंने मेरा लंड देख लिया और अपना मुँह नीचे करके भागकर चली गई. अब में शर्म के मारे अपना मुँह नीचे लटका कर आ गया. फिर कुछ दिन ऐसा ही चला गया, फिर में रेखा दीदी से भी अच्छे से बात करने लगा, अब सब नॉर्मल था क्योंकि में सेक्स के बारे में ज्यादा कुछ जानता भी नहीं था और तब तक तो में मुठ भी नहीं मारता था.
फिर एक दिन रेखा दीदी के मम्मी-पापा कुछ दिन के लिए तीर्थ यात्रा पर गये तो वो रेखा दीदी की देखभाल करने के लिए दादा जी कह कर गए थे. रेखा दीदी के और एक बड़ा भाई था जो मुंबई में काम करता है. फिर रात को रेखा दीदी ने मेरे साथ बैठकर हमारे घर खाना खाया और फिर खाना ख़ाकर में टी.वी देख रहा था तो रेखा दीदी ने कहा कि चलो हमारे घर पर चलते है. फिर दादा जी ने कहा कि नहीं रेखा तुम हमारे घर पर ही सो जाओं तो रेखा दीदी ने कहा कि नहीं दादा जी दीपू और में सो जायेंगे, कोई प्रोब्लम नहीं है. दादा जी ने कहा कि ठीक है और कोई प्रोब्लम हो तो बुला लेना तो रेखा दीदी ने ओके कहा.
फिर एक दिन रेखा दीदी के मम्मी-पापा कुछ दिन के लिए तीर्थ यात्रा पर गये तो वो रेखा दीदी की देखभाल करने के लिए दादा जी कह कर गए थे. रेखा दीदी के और एक बड़ा भाई था जो मुंबई में काम करता है. फिर रात को रेखा दीदी ने मेरे साथ बैठकर हमारे घर खाना खाया और फिर खाना ख़ाकर में टी.वी देख रहा था तो रेखा दीदी ने कहा कि चलो हमारे घर पर चलते है. फिर दादा जी ने कहा कि नहीं रेखा तुम हमारे घर पर ही सो जाओं तो रेखा दीदी ने कहा कि नहीं दादा जी दीपू और में सो जायेंगे, कोई प्रोब्लम नहीं है. दादा जी ने कहा कि ठीक है और कोई प्रोब्लम हो तो बुला लेना तो रेखा दीदी ने ओके कहा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.