09-04-2021, 03:50 PM
विपुल मेरे को खड़े खड़े ही गले से चिपका लेता और किस करने लग जाता. जब वो मेरे सेक्सी और गुलाबी होठो को चूसता तो उसके हाथ मेरे दूध पर चले जाते. वो मेरे सूट के उपर से मेरे दोनों 34 इंच के दूध को पकड़ लेता और हाथ से मसलने लग जाता. ऐसा करने से मेरे तन मन बदन में आज सी लग जाती और चुदाने का बड़ा दिल करता. विपुल बड़ी बड़ी देर तक मेरे होठो का चुम्बन लेता और पी लेता. इससे मैं गर्म हो जाती और “..अहहह्ह्ह्हह स्सीईईईइ….अअअअअ….आहा …हा हा हा” करने लग जाती. धिरे धीरे चुदाई की आग दोनों तरफ से लग गयी. मैं भी चुदने के मूड में थी और अंजना का भाई विपुल भी मेरे को चोदने के मूड में था. अगले दिन मैं शाम के 8 बजे अंजना के घर गयी तो वो बाहर शोपिंग की गयी थी. विपुल ने मेरा स्वागत किया और मेरे लिए काफी बनाई. घर में सिर्फ विपुल ही था और उसकी माँ की अंजना के साथ शोपिंग को गयी हुई थी.
मैं: क्या घर में और कोई नही है???
विपुल: नही. तुम बोलो तो हम मौके का फायदा उठा सकते है. तुमको सेक्स करना है क्या??
मैं: नही नही. मन तो मेरा भी है पर अभी हम दोनों को और दोस्ती बनानी चाहिए
विपुल मेरे पास आ गया और सोफे पर बैठ गया. मेरे को वो पकड़ने लगा और कुछ ही देर में उसने मेरे को अपनी गोद में बिठा लिया और मेरे गले के पीछे की साइड किस करने लगा. वो मेरे कंधे और गालो पर किस करने लगा. मैं गर्म होने लगी. मैं चुदने में संकोच कर रही थी.
विपुल: अपुर्वी!! देखो हम दोनों एक दूसरे से बहोत प्यार करते है. अब कितना जानना बाकी रह गया है. अब चलो मेरे को चुत दे दो आज
बोलकर वो फिर से मेरे दूध कमीज के उपर से दबाने लगा. मैं “……अई…अई….अई……अई….इसस्स्स्स्स्…….उहह्ह्ह्ह…..ओह्ह्ह्हह्ह….” करने लगी. कुछ देर बाद विपुल से सोफे पर बैठे बैठे ही मेरी सलवार का नारा खोल दिया और पेंटी के उपर से चूत को घिसने लगा. मैं तडप गयी और पूरी तरह से गर्म होने लगी. विपुल मेरे होठो को चूसने लगा और वो भी चुदासा हो गया. उसने 10 मिनट तक मुझे अपनी गोद में बिठाकर पेंटी के उपर से चूत को घिसा तो मेरी चूत अपना रस चोदने लगी. कुछ देर बाद मेरा पानी छूट गया और पूरी पेंटी चूत के रस से तर हो गयी. मैं “अई…..अई….अई… अहह्ह्ह्हह…..सी सी सी सी….हा हा हा…”करने लगी. विपुल का खून अब खौल गया.
विपुल: अपुर्वी!! तेरी माँ की चूत!! तुजे तेरी माँ की कसम है. आज मेरे को अपनी भीगी चूत पिला दे
तो मैं भी उसको मना नही कर पायी क्यूंकि मेरा भी अंदर से चुदने का दिल था. विपुल से मेरे को सोफे पर लिटा दिया और मेरी सलवार खोल कर पैरो से बाहर निकाल दी.
अब उसने मेरी भीगी पेंटी को उतार दिया. विपुल ने मेरे पैर खोल दिए और चूत के छेद को गौर से देखने लगा. मैं पूरी तरह से कुवारी थी. विपुल ने अपनी ऊँगली से मेरी चूत फैलाई तो गुलाबी चूत की बंद झिल्ली उसे दिख गयी. बंद चूत पाकर उसे काफी अच्छा महसूस हुआ. संतोष का भाव उसके चेहरे पर मैं पढ़ सकती थी.
विपुल: अपुर्वी जान!! मैं हमेशा से जानता था तू कुवारी माल होगी
उसके बाद वो जल्दी जल्दी मेरी चूत का पानी चाटने लगा. अपनी जीभ निकाल निकाल कर वो अच्छे से पिने लगा तो मैं पागल होने लगी.
मैं: क्या घर में और कोई नही है???
विपुल: नही. तुम बोलो तो हम मौके का फायदा उठा सकते है. तुमको सेक्स करना है क्या??
मैं: नही नही. मन तो मेरा भी है पर अभी हम दोनों को और दोस्ती बनानी चाहिए
विपुल मेरे पास आ गया और सोफे पर बैठ गया. मेरे को वो पकड़ने लगा और कुछ ही देर में उसने मेरे को अपनी गोद में बिठा लिया और मेरे गले के पीछे की साइड किस करने लगा. वो मेरे कंधे और गालो पर किस करने लगा. मैं गर्म होने लगी. मैं चुदने में संकोच कर रही थी.
विपुल: अपुर्वी!! देखो हम दोनों एक दूसरे से बहोत प्यार करते है. अब कितना जानना बाकी रह गया है. अब चलो मेरे को चुत दे दो आज
बोलकर वो फिर से मेरे दूध कमीज के उपर से दबाने लगा. मैं “……अई…अई….अई……अई….इसस्स्स्स्स्…….उहह्ह्ह्ह…..ओह्ह्ह्हह्ह….” करने लगी. कुछ देर बाद विपुल से सोफे पर बैठे बैठे ही मेरी सलवार का नारा खोल दिया और पेंटी के उपर से चूत को घिसने लगा. मैं तडप गयी और पूरी तरह से गर्म होने लगी. विपुल मेरे होठो को चूसने लगा और वो भी चुदासा हो गया. उसने 10 मिनट तक मुझे अपनी गोद में बिठाकर पेंटी के उपर से चूत को घिसा तो मेरी चूत अपना रस चोदने लगी. कुछ देर बाद मेरा पानी छूट गया और पूरी पेंटी चूत के रस से तर हो गयी. मैं “अई…..अई….अई… अहह्ह्ह्हह…..सी सी सी सी….हा हा हा…”करने लगी. विपुल का खून अब खौल गया.
विपुल: अपुर्वी!! तेरी माँ की चूत!! तुजे तेरी माँ की कसम है. आज मेरे को अपनी भीगी चूत पिला दे
तो मैं भी उसको मना नही कर पायी क्यूंकि मेरा भी अंदर से चुदने का दिल था. विपुल से मेरे को सोफे पर लिटा दिया और मेरी सलवार खोल कर पैरो से बाहर निकाल दी.
अब उसने मेरी भीगी पेंटी को उतार दिया. विपुल ने मेरे पैर खोल दिए और चूत के छेद को गौर से देखने लगा. मैं पूरी तरह से कुवारी थी. विपुल ने अपनी ऊँगली से मेरी चूत फैलाई तो गुलाबी चूत की बंद झिल्ली उसे दिख गयी. बंद चूत पाकर उसे काफी अच्छा महसूस हुआ. संतोष का भाव उसके चेहरे पर मैं पढ़ सकती थी.
विपुल: अपुर्वी जान!! मैं हमेशा से जानता था तू कुवारी माल होगी
उसके बाद वो जल्दी जल्दी मेरी चूत का पानी चाटने लगा. अपनी जीभ निकाल निकाल कर वो अच्छे से पिने लगा तो मैं पागल होने लगी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
