09-04-2021, 03:37 PM
उसी टाइम अतुल और सपना आ गए. सपना भी आज जबरदस्त सेक्सी लग रही थी. उसका फिगर ३६-२८-३८ है. बड़ी बड़ी चूचियां और बड़ी सी चुत्तड़.
हमसब ड्रिंक करने लगे, और मजे करने लगे. अतुल कंचन दीदी को किश कर रहा था और उसकी चूचियों को मसल रहा था, दीदी भी आँहे निकाल रही थी. हमपर नशा छाने लगा और हम सब आउट हो गए. अतुल ने एक गेम खेलने के लिए बोला
अतुल: हमसब एक गेम खेलते है, जिसका भी नाम इस पर्चे में आएगा उसे जो करने बोला जायेगा वो करेगा
सब ने हामी भर थी, किसीको कुछ होश नहीं था. पहली बारी मेरी आयी
सपना: तुझे आज एक सच कंफेस्स करना है, जो हम नहीं जानते
मैं:आज तक ये मैंने कभी किसी को नहीं बताई. मैं कंचन दीदी के नाम की डेली मूठ मारता हूँ
दीदी: उफ्फ्फफ्फ्फ़ भाई .. तू ये सोचता है मेरे बारे में
मैं: दीदी मैं क्या करू मैं आपकी जवानी का दीवाना हूँ. आपकी ये पहाड़ जैसी चूचियां मेरा लन्ड खड़ा कर देती है. इतनी बड़े बड़े बॉल आज तक नहीं देखे मैंने दीदी और आपकी ये भारी चुत्तड़ मेरा नींद हराम कर रखी है
दीदी: अह्ह्ह्हह्हह भाई…. और क्या सोचता है मेरे बारे में
मैं: मैंने सपनो में कई बार आपको चोदा है, मैं इन रसीले आमो को चूसना और मसलना चाहता हूँ. और अपने लन्ड से आपकी बूर और गांड को फाड़ना चाहता हूँ.
दीदी: अह्ह्ह्ह भाई..
हमसब ड्रिंक करने लगे, और मजे करने लगे. अतुल कंचन दीदी को किश कर रहा था और उसकी चूचियों को मसल रहा था, दीदी भी आँहे निकाल रही थी. हमपर नशा छाने लगा और हम सब आउट हो गए. अतुल ने एक गेम खेलने के लिए बोला
अतुल: हमसब एक गेम खेलते है, जिसका भी नाम इस पर्चे में आएगा उसे जो करने बोला जायेगा वो करेगा
सब ने हामी भर थी, किसीको कुछ होश नहीं था. पहली बारी मेरी आयी
सपना: तुझे आज एक सच कंफेस्स करना है, जो हम नहीं जानते
मैं:आज तक ये मैंने कभी किसी को नहीं बताई. मैं कंचन दीदी के नाम की डेली मूठ मारता हूँ
दीदी: उफ्फ्फफ्फ्फ़ भाई .. तू ये सोचता है मेरे बारे में
मैं: दीदी मैं क्या करू मैं आपकी जवानी का दीवाना हूँ. आपकी ये पहाड़ जैसी चूचियां मेरा लन्ड खड़ा कर देती है. इतनी बड़े बड़े बॉल आज तक नहीं देखे मैंने दीदी और आपकी ये भारी चुत्तड़ मेरा नींद हराम कर रखी है
दीदी: अह्ह्ह्हह्हह भाई…. और क्या सोचता है मेरे बारे में
मैं: मैंने सपनो में कई बार आपको चोदा है, मैं इन रसीले आमो को चूसना और मसलना चाहता हूँ. और अपने लन्ड से आपकी बूर और गांड को फाड़ना चाहता हूँ.
दीदी: अह्ह्ह्ह भाई..
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
