03-04-2021, 10:13 AM
अब हम दोनों एक साथ मस्ती से झूम झूम कर अपनी कमर चला रहे थे और मस्त चुदाई कर रहे थे/ चूत और लण्ड का घर्षण हम दोनों को बेहाल कर रहा था/ धक्के तेजी पर थे… लण्ड चूत पर जम कर चल रहा था/ लग रहा था कि बस जिंदगी भर चुदती ही रहूं/ पर ऊपर वाले की जैसी इच्छा … उत्तेजना बहुत बढ़ गई थी, चूत तेजी से चुद रही थी/ सिसकियाँ रोकने से भी नहीं रूक रही थी/ पर जल्दी ही मेरा शरीर ऐंठने लगा…
लगता था शरीर का सारा खून खिंच कर चूत में भर जायेगा… मेरी कमर अब अपने आप ही ऊपर उछल कर लण्ड को गहराई में लेने लगी… और आह्ह्ह रे… जावानी का रस पानी बन कर चूत के रास्ते बाहर निकल पड़ा/ मेरी सारी ताकत यौवन रस को बाहर निकालने में लगने लगी… तभी रवि ने भी लण्ड बाहर निकाल लिया और एक भरपूर पिचकारी छोड़ दी…/ उसका लण्ड मेरी चूत के एक साईड में आ गया था और वीर्य निकालने लगा था/
मैं उससे लिपटी हुई थी/ उसके लण्ड को और जिस्म को भली प्रकार से भोग चुकी थी/ मेरा जोश झड़ने के साथ ही साथ कम होने लगा/ मैंने नीचे से रवि को हाथों से दबाव देकर इशारा किया… और वो उछल कर बिस्तर से नीचे आ गया/ उसने तौलिया ले कर मेरी चूत साफ़ कर दी/ मैं भी सुस्ताई सी उठ कर बैठ गई/ मैंने नीचे चूत की तरफ झुक कर देखा मेरी चूत फूल कर लाल हो चुकी थी और दिल के जैसे धड़क रही थी / मेरी चूत का मूंह कभी खुल रहा था कभी बंद हो रहा था / जैसे रवि के मोटे लंड का शुक्रिया कर रही हो /
मैंने केबिन में जाकर कपड़े बदले और बाहर आकर रवि को एक हज़ार रुपये इनाम में दिए/ उसने अपना सर झुका कर मुझे अभिवादन किया और बाहर तक छोड़ने आया/ मेरा दिल उसके जवान जिस्म को और भोगना चाह रहा था/ कम उम्र के लड़के कितने कंटीले होते है, ये वो जान सकता है जिसकी उम्र मेरे बराबर हो या जिसका अपने पति से चुद कर मन भर गया हो/
मैंने बाहर आ कर अपनी कार में बैठ गई और घर की तरफ़ गाड़ी मोड़ ली/
बैक मिरर में से मैं रवि को दूर होते हुये देख रही थी… मेरे दिल से एक ठण्डी आह निकली, मैंने अपना सर झटका और और उसके हल्ल्बी पठानी लण्ड का ख्याल दिल से निकाल दिया और फिर सड़क पर ध्यान केन्द्रित करने लगी…
~~~ समाप्त ~~~
दोस्तो, कैसे लगी ये कहानी आपको,
कहानी पड़ने के बाद अपना विचार ज़रुरू दीजिएगा ...
आपके जवाब के इंतेज़ार में ...
आपका अपना
रविराम69 © "लॅंडधारी" (मस्तराम - मुसाफिर)
masterji1970
लगता था शरीर का सारा खून खिंच कर चूत में भर जायेगा… मेरी कमर अब अपने आप ही ऊपर उछल कर लण्ड को गहराई में लेने लगी… और आह्ह्ह रे… जावानी का रस पानी बन कर चूत के रास्ते बाहर निकल पड़ा/ मेरी सारी ताकत यौवन रस को बाहर निकालने में लगने लगी… तभी रवि ने भी लण्ड बाहर निकाल लिया और एक भरपूर पिचकारी छोड़ दी…/ उसका लण्ड मेरी चूत के एक साईड में आ गया था और वीर्य निकालने लगा था/
मैं उससे लिपटी हुई थी/ उसके लण्ड को और जिस्म को भली प्रकार से भोग चुकी थी/ मेरा जोश झड़ने के साथ ही साथ कम होने लगा/ मैंने नीचे से रवि को हाथों से दबाव देकर इशारा किया… और वो उछल कर बिस्तर से नीचे आ गया/ उसने तौलिया ले कर मेरी चूत साफ़ कर दी/ मैं भी सुस्ताई सी उठ कर बैठ गई/ मैंने नीचे चूत की तरफ झुक कर देखा मेरी चूत फूल कर लाल हो चुकी थी और दिल के जैसे धड़क रही थी / मेरी चूत का मूंह कभी खुल रहा था कभी बंद हो रहा था / जैसे रवि के मोटे लंड का शुक्रिया कर रही हो /
मैंने केबिन में जाकर कपड़े बदले और बाहर आकर रवि को एक हज़ार रुपये इनाम में दिए/ उसने अपना सर झुका कर मुझे अभिवादन किया और बाहर तक छोड़ने आया/ मेरा दिल उसके जवान जिस्म को और भोगना चाह रहा था/ कम उम्र के लड़के कितने कंटीले होते है, ये वो जान सकता है जिसकी उम्र मेरे बराबर हो या जिसका अपने पति से चुद कर मन भर गया हो/
मैंने बाहर आ कर अपनी कार में बैठ गई और घर की तरफ़ गाड़ी मोड़ ली/
बैक मिरर में से मैं रवि को दूर होते हुये देख रही थी… मेरे दिल से एक ठण्डी आह निकली, मैंने अपना सर झटका और और उसके हल्ल्बी पठानी लण्ड का ख्याल दिल से निकाल दिया और फिर सड़क पर ध्यान केन्द्रित करने लगी…
~~~ समाप्त ~~~
दोस्तो, कैसे लगी ये कहानी आपको,
कहानी पड़ने के बाद अपना विचार ज़रुरू दीजिएगा ...
आपके जवाब के इंतेज़ार में ...
आपका अपना
रविराम69 © "लॅंडधारी" (मस्तराम - मुसाफिर)
masterji1970
// सुनील पंडित //
मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!