03-04-2021, 10:08 AM
मेरे मुख से मस्ती भरी आहें निकल रही थी/ रवि भी पूरी मस्ती में आ चुका था/ वो खड़े हो कर आराम से धक्के मार रहा था/ मेरी गाण्ड को असीम सुख मिल रहा था उसके गधे जैसे लंड से / यूं तो सुशील मेरी गाण्ड पर आशिक था और जम के गाण्ड मारता भी था, पर कसम से, इस नये लम्बे और मोटे लण्ड का मजा नये तरह का गजब ढा रहा था /
मेरी चूंचियों की घुण्डियाँ मसलने पर तीखा आनन्द दे रही थी/ मुझे लगा कि रवि कहीं झड़ ना जाये/ अभी मुझे तो उसके जिस्म का प्यार भी चाहिये था/ प्यास तो उसके जवान जिस्म को भोगने की थी/ थोड़ी देर गाण्ड चुदाने के बाद मैंने उसे अपने ऊपर चढ़ जाने का न्योता दिया/
मैंने ठीक से सीधे लेट कर पोजिशन ले ली/ वो भी बिस्तर पर मेरे ऊपर आ गया और अपने नंगे जिस्म को मेरे नंगे जिस्म से चिपका लिया/ हम दोनों की बाहों का कसाव बढ़ता गया और लण्ड चूत का छेद तलाशता रहा/
उसने चूत की दरार को लण्ड पर सेट कर दिया और … हाय रे चूत में प्यारी सी… मीठी मीठी सी गुदगुदी करता हुआ उसका पठानी लंड मेरी चूत में धीरे धीरे से अंदर की तरफ समाने लगा/
अब उसके शरीर का सुख भी मुझे बहुत आनन्द दे रहा था/ जैसे शरीर में कसक भरी हुई थी/ उसने अपने घोड़े जैसे लण्ड को मेरी प्यासी चूत पर रगड़ते हुये और गहराई तक चोदते हुये मेरे कस बल को निकालने लगा/ मैं मस्ती से तड़प उठी/
तन में जैसे आग लग गई/ उसके होंठ मेरे होंठों को पी रहे थे/ मेरे मोटे मोटे मुम्मे मसले जा रहे थे… चूत मस्ती से चुदी जा रही थी/ काश … ऐसा मोटा गधे जैसा लण्ड मुझे रोज रोज़ मिल जाये/
मेरी चूंचियों की घुण्डियाँ मसलने पर तीखा आनन्द दे रही थी/ मुझे लगा कि रवि कहीं झड़ ना जाये/ अभी मुझे तो उसके जिस्म का प्यार भी चाहिये था/ प्यास तो उसके जवान जिस्म को भोगने की थी/ थोड़ी देर गाण्ड चुदाने के बाद मैंने उसे अपने ऊपर चढ़ जाने का न्योता दिया/
मैंने ठीक से सीधे लेट कर पोजिशन ले ली/ वो भी बिस्तर पर मेरे ऊपर आ गया और अपने नंगे जिस्म को मेरे नंगे जिस्म से चिपका लिया/ हम दोनों की बाहों का कसाव बढ़ता गया और लण्ड चूत का छेद तलाशता रहा/
उसने चूत की दरार को लण्ड पर सेट कर दिया और … हाय रे चूत में प्यारी सी… मीठी मीठी सी गुदगुदी करता हुआ उसका पठानी लंड मेरी चूत में धीरे धीरे से अंदर की तरफ समाने लगा/
अब उसके शरीर का सुख भी मुझे बहुत आनन्द दे रहा था/ जैसे शरीर में कसक भरी हुई थी/ उसने अपने घोड़े जैसे लण्ड को मेरी प्यासी चूत पर रगड़ते हुये और गहराई तक चोदते हुये मेरे कस बल को निकालने लगा/ मैं मस्ती से तड़प उठी/
तन में जैसे आग लग गई/ उसके होंठ मेरे होंठों को पी रहे थे/ मेरे मोटे मोटे मुम्मे मसले जा रहे थे… चूत मस्ती से चुदी जा रही थी/ काश … ऐसा मोटा गधे जैसा लण्ड मुझे रोज रोज़ मिल जाये/
// सुनील पंडित // 

मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!