03-04-2021, 10:02 AM
मैंने भी हिम्मत की और उसके पेण्ट की जिप खींच दी/ उसने ऊपर के बटन खोल दिये… काली अंडरवीयर थी अन्दर… अंगुली से नीचे खींच दी… दिल फिर मेरे जैसे मेरे हलक में अटक गया/ गोरा सा, मोटा सा लण्ड… बेहद तन्नाया हुआ/ नीचे लटकती दो गोलियाँ… साफ़ शेव की हुई…/
इतने में रवि ने पीछे से ब्रा का हुक खोल दिया… ब्रा ढीली हो कर मेरे उरोजों से नीचे बिस्तर पर गिर गई/ मेरे तराशे हुये मॉडल शरीर की चिकनाई और लुनाई उसे पागल किये दे रही थी/ वो मेरे उभरे चूतड़ों की मालिश कर रहा था और रह रह कर मेरे दरार को चीर कर मेरे भूरे और गुलाबी गाण्ड के छेद पर तेल की बूंदे टपका रहा था/ मेरे जिस्म में वासना की आग भड़क उठी थी/
तन जैसे आग में झुलसने लगा था/ मैंने एक हाथ से उसके चूतड़ो को खींच कर उसके लण्ड को मुख के नजदीक ले आई और धीरे से उसे अपने मुख में ले लिया/ रवि सिसक उठा/ उसने जोश में मेरी गाण्ड में अंगुली घुसा दी/ मैंने मस्ती में अपनी आंखे बंद कर ली/ दूसरे ही पल उसका दूसरा हाथ मेरी चूंची दबा रहा था/ अब उसकी कमर हौले हौले चलने लगी थी और मेरे मुख को चोदने लगी थी/ मैंने अपने मुख में उसका लण्ड जोर जोर से चूसना चालू कर दिया/
“सीमा जी, अब आगे बढ़ें क्या…?”
उसका उतावलापन बढ़ रहा था/ मैं सीधी हो गई और मुख से लण्ड निकाल दिया/
“क्या करोगे अब… क्या नीचे कुछ…”
उसने मेरे अधरों पर हाथ रख दिया और पलंग के पैताने आ गया/ मेरी दोनों टांगें खींच कर मेरी चूतड़ के छेद को अपने लण्ड से सटा लिया/ उसके कोमल और कड़कते लण्ड का छेद पर स्पर्श मुझे गुदगुदाने लगा/ मुझे नीचे छेद पर प्यारी सी गुदगुदी और खुजली सी हुई/ दूसरे ही क्षण छेद पर लण्ड का प्यारा सा दबाव बढ़ गया और मेरे मुख से एक आह निकल पड़ी/ उसका लण्ड मेरी तेल भरी गान्ड के छेद में सरक कर अन्दर उतर आया था/
“हाय रवि पूरा घुसा दे … उह्ह्ह्ह… मस्त मोटा है…!” मैंने अपने होंठ दांतों से काट लिये/ थोड़ा सा जोर लगाते ही लण्ड पूरा गहराई तक घुस गया/ मेरे मन की इच्छा पूरी हो रही थी/ उसने अब लण्ड को हौले हौले अन्दर बाहर करके ग़ाण्ड मारनी चालू कर दी/ उसके हाथ आगे बढ़ कर मेरे उन्नत उरोज पर आ गये और उसे अब मसलने लगा था/ निपल कड़े हो गये थे/ वो मुझे खड़े खड़े बहुत प्यार से चोद रहा था/
इतने में रवि ने पीछे से ब्रा का हुक खोल दिया… ब्रा ढीली हो कर मेरे उरोजों से नीचे बिस्तर पर गिर गई/ मेरे तराशे हुये मॉडल शरीर की चिकनाई और लुनाई उसे पागल किये दे रही थी/ वो मेरे उभरे चूतड़ों की मालिश कर रहा था और रह रह कर मेरे दरार को चीर कर मेरे भूरे और गुलाबी गाण्ड के छेद पर तेल की बूंदे टपका रहा था/ मेरे जिस्म में वासना की आग भड़क उठी थी/
तन जैसे आग में झुलसने लगा था/ मैंने एक हाथ से उसके चूतड़ो को खींच कर उसके लण्ड को मुख के नजदीक ले आई और धीरे से उसे अपने मुख में ले लिया/ रवि सिसक उठा/ उसने जोश में मेरी गाण्ड में अंगुली घुसा दी/ मैंने मस्ती में अपनी आंखे बंद कर ली/ दूसरे ही पल उसका दूसरा हाथ मेरी चूंची दबा रहा था/ अब उसकी कमर हौले हौले चलने लगी थी और मेरे मुख को चोदने लगी थी/ मैंने अपने मुख में उसका लण्ड जोर जोर से चूसना चालू कर दिया/
“सीमा जी, अब आगे बढ़ें क्या…?”
उसका उतावलापन बढ़ रहा था/ मैं सीधी हो गई और मुख से लण्ड निकाल दिया/
“क्या करोगे अब… क्या नीचे कुछ…”
उसने मेरे अधरों पर हाथ रख दिया और पलंग के पैताने आ गया/ मेरी दोनों टांगें खींच कर मेरी चूतड़ के छेद को अपने लण्ड से सटा लिया/ उसके कोमल और कड़कते लण्ड का छेद पर स्पर्श मुझे गुदगुदाने लगा/ मुझे नीचे छेद पर प्यारी सी गुदगुदी और खुजली सी हुई/ दूसरे ही क्षण छेद पर लण्ड का प्यारा सा दबाव बढ़ गया और मेरे मुख से एक आह निकल पड़ी/ उसका लण्ड मेरी तेल भरी गान्ड के छेद में सरक कर अन्दर उतर आया था/
“हाय रवि पूरा घुसा दे … उह्ह्ह्ह… मस्त मोटा है…!” मैंने अपने होंठ दांतों से काट लिये/ थोड़ा सा जोर लगाते ही लण्ड पूरा गहराई तक घुस गया/ मेरे मन की इच्छा पूरी हो रही थी/ उसने अब लण्ड को हौले हौले अन्दर बाहर करके ग़ाण्ड मारनी चालू कर दी/ उसके हाथ आगे बढ़ कर मेरे उन्नत उरोज पर आ गये और उसे अब मसलने लगा था/ निपल कड़े हो गये थे/ वो मुझे खड़े खड़े बहुत प्यार से चोद रहा था/
// सुनील पंडित //
मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!