03-04-2021, 09:53 AM
“तुम्हारा शरीर तो बहुत सुन्दर है रवि … जिम जाते हो क्या…?” मैं उसके पास आते हुये बोली/
“मैडम, प्लीज सॉरी, मेरी नौकरी चली जायेगी !”
“नौकरी कैसे जायेगी … मैंने उसके पेट पर हाथ फ़ेरा/ उसका लण्ड सीधा तन्ना गया/ मैंने उसे बड़ी सेक्सी और वासना भरी निगाहों से देखा/ वो कुछ कुछ समझ रहा था पर डर अधिक रहा था/
“बस कीजिये मैडम जी… मुझे और ना सताईये…”
“मेरा नाम सीमा है… मुझे नाम से बुलाओ… और हां तुमने मुझे सताया था उसका क्या… बोलो… तुमने मेरे स्तन दबा दिये थे ना… अब अगर मैं तुम्हारा ये मुनमुन दबा दूं तो…” कह कर मैंने उसका लण्ड हौले से दबा दिया/ उसके मुख से सिसकारी निकल पड़ी/
“सीमा जी, आप क्या कर रही हैं, मुझे समझ में नहीं आ रहा है… मैं आपका मसाज कर देता हूँ, अब प्लीज मुझे ओर ना सताईये !” उसने मेरा लण्ड पर हाथ हटाते हुये कहा और बैठ गया/
“क्यूं मजा नहीं आया क्या…” मेरी आंखो में उसने वासना देख ली थी, पर वो डर रहा था/ उसने जल्दी से कपड़े पहने और जाने लगा/
“जाओ तुम्हें माफ़ कर दिया, कल मैं पार्लर आऊंगी…तुम्हीं मेरा मसाज करना… अब तुम्हें मैं छोड़ने वाली नहीं !” और जोर से हंस पड़ी/ वो कुछ असमन्जस की हालत में चला गया/
पर उसका कड़क लण्ड मेरे दिल में अनेक तीर बींध गया था/ रह रह कर मुझे उसका कड़क लण्ड दिख रहा था, उसकी मसल्स से भरा हुआ बदन… मुझे पिघला रहा था/ उस दिन मैंने चूत में अंगुली कर के रवि के नाम का अपना यौवन रस भी निकाला/ शाम को बेताबी में सुशील से चुदाई भी जम कर कराई/ पर मन नहीं माना/
उसका मोटा लण्ड का साईज़ अभी भी हाथों को मह्सूस हो रहा था/ शायद मेरे दिल को रवि का लण्ड चाहिये ही चाहिये था/ सुबह से मुझे रवि की याद आने लगी थी/ सुशील के जाने के लिये नौ बजने का इन्तज़ार करने लगी/ एक एक पल मुझे जैसे पहाड़ सा लग रहा था/ आखिर वो घड़ी आ ही गई/
“मैडम, प्लीज सॉरी, मेरी नौकरी चली जायेगी !”
“नौकरी कैसे जायेगी … मैंने उसके पेट पर हाथ फ़ेरा/ उसका लण्ड सीधा तन्ना गया/ मैंने उसे बड़ी सेक्सी और वासना भरी निगाहों से देखा/ वो कुछ कुछ समझ रहा था पर डर अधिक रहा था/
“बस कीजिये मैडम जी… मुझे और ना सताईये…”
“मेरा नाम सीमा है… मुझे नाम से बुलाओ… और हां तुमने मुझे सताया था उसका क्या… बोलो… तुमने मेरे स्तन दबा दिये थे ना… अब अगर मैं तुम्हारा ये मुनमुन दबा दूं तो…” कह कर मैंने उसका लण्ड हौले से दबा दिया/ उसके मुख से सिसकारी निकल पड़ी/
“सीमा जी, आप क्या कर रही हैं, मुझे समझ में नहीं आ रहा है… मैं आपका मसाज कर देता हूँ, अब प्लीज मुझे ओर ना सताईये !” उसने मेरा लण्ड पर हाथ हटाते हुये कहा और बैठ गया/
“क्यूं मजा नहीं आया क्या…” मेरी आंखो में उसने वासना देख ली थी, पर वो डर रहा था/ उसने जल्दी से कपड़े पहने और जाने लगा/
“जाओ तुम्हें माफ़ कर दिया, कल मैं पार्लर आऊंगी…तुम्हीं मेरा मसाज करना… अब तुम्हें मैं छोड़ने वाली नहीं !” और जोर से हंस पड़ी/ वो कुछ असमन्जस की हालत में चला गया/
पर उसका कड़क लण्ड मेरे दिल में अनेक तीर बींध गया था/ रह रह कर मुझे उसका कड़क लण्ड दिख रहा था, उसकी मसल्स से भरा हुआ बदन… मुझे पिघला रहा था/ उस दिन मैंने चूत में अंगुली कर के रवि के नाम का अपना यौवन रस भी निकाला/ शाम को बेताबी में सुशील से चुदाई भी जम कर कराई/ पर मन नहीं माना/
उसका मोटा लण्ड का साईज़ अभी भी हाथों को मह्सूस हो रहा था/ शायद मेरे दिल को रवि का लण्ड चाहिये ही चाहिये था/ सुबह से मुझे रवि की याद आने लगी थी/ सुशील के जाने के लिये नौ बजने का इन्तज़ार करने लगी/ एक एक पल मुझे जैसे पहाड़ सा लग रहा था/ आखिर वो घड़ी आ ही गई/
// सुनील पंडित //
मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!