03-04-2021, 09:52 AM
मैंने अपने कपड़े पहने और और मंजू रानी जो उसकी मालकिन थी उसे डाण्ट कर चली आई/ पार्लर में उस युवक को बुला कर मंजू रानी ने बहुत फ़टकारा/ दूसरे दिन मैंने सवेरे ही घर के बाहर उसी युवक को देखा/ वो बहुत ही असमन्जस की स्थिति में यहाँ-वहाँ देख रहा था/ तभी चौकीदार का फोन आया कि ब्यूटी पार्लर से कोई रवि नाम का लड़का मुझसे मिलने चाह रहा है/ सुशील काम पर जा चुका था/ उसे मैंने ऊपर बुला लिया/ रवि ने आते ही मेरा पांव पकड़ लिया और माफ़ी मांगने लगा/
और उसने मुझे पार्लर में मंजू रानी को फोन करने कहा/ स्त्री स्वभाव होने से मेरा दिल पसीज गया और उसे मैंने माफ़ कर दिया/ माफ़ तो करना ही था क्यूंकि वो मेरे मन को भा चुका था/ उस पर मेरा दिल आ गया था/ मुझे उससे चुदवाने की इच्छा होने लगी थी/ उसे छेड़ने में मुझे अब मजा आने लगा था/ उसके भोलेपन पर मुझे प्यार भी आ रहा था/
मुझे शरारत सूझी,”रवि , मेरा मसाज वैसे ही करो जैसे पार्लर में किया था/ अब चालू हो जाओ/ चलो…”
वो घबरा गया और झट से अपनी कमीज और बनियान उतार दिया/ मैंने भी ब्रा और पेण्टी को छोड़ कर कपड़े उतार दिये/
“अब पेण्ट भी उतारो… चलो… मैं भी तो वहाँ ऐसी ही थी ना…” मैंने अपनी धमकी का असर देख लिया था/ वो सचमुच में डर गया था/
“जी… जी… मैडम मैंने माफ़ी मांग ली है ना… प्लीज…”
“अरे चल उतार ना…” उसकी रेगिंग लेते हुये मुझे बहुत हंसी आ रही थी/ तुझे बस मेरा मसाज ही तो करना है !”
उसने अपना पेण्ट उतार दिया, और मेरा दिल धक से रह गया/ उसका लण्ड उठान पर था/ साफ़ ही बड़ा सा नजर आ रहा था/ मुझे इस तरह से घूरते देख कर उसका लण्ड और भी कड़क हो चला था/ मेरे दिल की धड़कन बढ गई/
उसे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था/ पर मैं तो खेल खेल में पिघलने लगी थी/
और उसने मुझे पार्लर में मंजू रानी को फोन करने कहा/ स्त्री स्वभाव होने से मेरा दिल पसीज गया और उसे मैंने माफ़ कर दिया/ माफ़ तो करना ही था क्यूंकि वो मेरे मन को भा चुका था/ उस पर मेरा दिल आ गया था/ मुझे उससे चुदवाने की इच्छा होने लगी थी/ उसे छेड़ने में मुझे अब मजा आने लगा था/ उसके भोलेपन पर मुझे प्यार भी आ रहा था/
मुझे शरारत सूझी,”रवि , मेरा मसाज वैसे ही करो जैसे पार्लर में किया था/ अब चालू हो जाओ/ चलो…”
वो घबरा गया और झट से अपनी कमीज और बनियान उतार दिया/ मैंने भी ब्रा और पेण्टी को छोड़ कर कपड़े उतार दिये/
“अब पेण्ट भी उतारो… चलो… मैं भी तो वहाँ ऐसी ही थी ना…” मैंने अपनी धमकी का असर देख लिया था/ वो सचमुच में डर गया था/
“जी… जी… मैडम मैंने माफ़ी मांग ली है ना… प्लीज…”
“अरे चल उतार ना…” उसकी रेगिंग लेते हुये मुझे बहुत हंसी आ रही थी/ तुझे बस मेरा मसाज ही तो करना है !”
उसने अपना पेण्ट उतार दिया, और मेरा दिल धक से रह गया/ उसका लण्ड उठान पर था/ साफ़ ही बड़ा सा नजर आ रहा था/ मुझे इस तरह से घूरते देख कर उसका लण्ड और भी कड़क हो चला था/ मेरे दिल की धड़कन बढ गई/
उसे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था/ पर मैं तो खेल खेल में पिघलने लगी थी/
// सुनील पंडित //
मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!