03-04-2021, 09:51 AM
मैं यह भूल गई थी कि यह एक जवान लड़का है/ मेरे गोल गोल चूतड़ों के उभार उसे लुभा रहे थे/ मात्र एक छोटी सी पेन्टी और ब्रा में मेरा सभी कुछ दिख रहा था/ उसके हाथों में वैसे तो लड़कों वाली गर्मी नहीं थी पर हां उसका मसाज मुझे उत्तेजित कर रहा था/ शायद मेरा मन उस पर आ गया था/ उसके हाथ मेरे शरीर पर मालिश कर रहे थे और मैं लेटी हुई उत्तेजित हो रही थी, आखिर हाथ तो किसी मर्द का ही था ना/ उसके हाथों में शायद जादू था/ जैसे ही वो मेरी जांघों पर मालिश करता मुझे सिरहन सी उठ जाती थी/ मेरे स्तनों के पास उसके हाथ आते तो लगने लगता था कि बस अब मेरी चूंचियां ही दबा दे/ मेरे तन में एक मीठी सी वासना घर कर कर रही थी/
तब उसने मुझे सीधे होने को कहा/ उसके हाथ फिर से चलने लगे/ मेरे पेट पर, कमर पर, पांव पर… मेरा दिल डोल उठा था/ मेरे शरीर में उत्तेजना घर करने लगी थी, वासना का ज्वर चढ़ने लगा था/ मेरी चूंचिया कड़ी होने लग गई थी/ यह पहला मौका था जब कि कोई मर्द मेरा मसाज कर रहा था/ मुझे उसके हाथों में जैसे सेक्स भरा हुआ सा लग रहा था/
उसने भी एक बार तो अपने उभरे हुये लण्ड को मेरे कूल्हों के पास रगड़ दिया था/ मैं समझ गई थी कि उसके हाल भी बुरे हैं/ अचानक उसने मेरे बड़े बड़े उरोज पर अपने हाथ जमा दिये और उन्हें दबा डाला/
मैं इस हमले से हड़बड़ा गई और अनजाने में उसका हाथ पकड़ लिया और बैठ गई/ मुझे ये अपना अपमान सा लगा/ मैंने गुस्से से उसे देखा और अचानक ही मेरा हाथ उठ गया/ मैंने उसके चेहरे पर एक तमाचा मार दिया/ और उठ कर गुस्से में केबिन में चली आई/ उसका सारा नशा जैसे काफ़ूर हो गया/ वो घबरा गया/
तब उसने मुझे सीधे होने को कहा/ उसके हाथ फिर से चलने लगे/ मेरे पेट पर, कमर पर, पांव पर… मेरा दिल डोल उठा था/ मेरे शरीर में उत्तेजना घर करने लगी थी, वासना का ज्वर चढ़ने लगा था/ मेरी चूंचिया कड़ी होने लग गई थी/ यह पहला मौका था जब कि कोई मर्द मेरा मसाज कर रहा था/ मुझे उसके हाथों में जैसे सेक्स भरा हुआ सा लग रहा था/
उसने भी एक बार तो अपने उभरे हुये लण्ड को मेरे कूल्हों के पास रगड़ दिया था/ मैं समझ गई थी कि उसके हाल भी बुरे हैं/ अचानक उसने मेरे बड़े बड़े उरोज पर अपने हाथ जमा दिये और उन्हें दबा डाला/
मैं इस हमले से हड़बड़ा गई और अनजाने में उसका हाथ पकड़ लिया और बैठ गई/ मुझे ये अपना अपमान सा लगा/ मैंने गुस्से से उसे देखा और अचानक ही मेरा हाथ उठ गया/ मैंने उसके चेहरे पर एक तमाचा मार दिया/ और उठ कर गुस्से में केबिन में चली आई/ उसका सारा नशा जैसे काफ़ूर हो गया/ वो घबरा गया/
// सुनील पंडित //
मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!