01-04-2021, 05:30 PM
नयी बहू की पहली होली -
देवर नन्दोई संग
छोटी ननद , थोड़ी छोटी थी , इनकी ममेरी बहन गुड्डी की समौरिया या दो चार महीने छोटी ही रही होगी उस समय ,
देवर हाईकॉलेज वाला , लेकिन थोड़ा शर्मीला ,...
पर चार पांच महीने बाद ही मरद कमाने चला गया , उसके महीने भर बाद ही होली थी और उसके आने की कोई उम्म्मीद नहीं थी , काम पर साल दो साल का कांट्रैक्ट होता था उसके बाद ही छुट्टी मिलती थी ,
कम्मो का मन नहीं लगता था , वो सोचती थी होली में मायके वापस आने को ,
लेकिन सास ने मना कर दिया ,
अरे तेरा मरद नहीं है तो देवर ननद मैं हूँ , फिर तेरे नन्दोई की पहली होली है , वो भी आएंगे , ... तो पाहुन किसके साथ होली खेलेंगे , सावन में चली जाना मायके , लेकिन फागुन तो यहीं ,
फिर देवर ननद भी , देवर शर्मीला था तो कम्मो उसे छेड़ती भी बहुत थी , और उसकी सास भी एकदम खुली ,...
सुहागरात की अगली सुबह जितना ननदों ने नहीं छेड़ा उससे ज्यादा सास ने खोद खोद कर सब हाल चाल पूछ लिया और उनकी छोटी ननदों के समाने ही उन्हें खोल कर समझाया ,
" जैसे दुल्हिन की ऊपर की मांग में , सिन्दूर सोभा देता है , छलकता भरभराता , वैसे नीचे वाली मांग में सफ़ेदा हरदम, बजबजाता रहे टपकता रहे , ... "
किसी ननद ने कुछ बोला , तो सास उसी के ऊपर चढ़ बैठीं ,
" कइसन ननद हो , अबहिन तक भौजी क नीचे वाली मुंह दिखाई नहीं की ,... अइसन गोर चिक्क्न भौजाई मिली हो ,... "
गाँव का माहौल , एकदम खुला ,..ख़ास तौर पर जो उसके ननदोई , ब्याहता ननद , कहीं भी , दिन दहाड़े ,... और उसे देख कर नन्दोई ललचाते भी बहुत थे , तब भी कम्मो के जोबन बहुत गदराये थे और चूतड़ एकदम मस्त , पीछे से चिकोटी काट के वो बोलते ,
" अबकी होली में ये बचेगी नहीं ,... मुझसे "
और कम्मो भी कम नहीं थी , हँसते खिलखिलाते उन्हें ही चैलेन्ज करती ,
" देखा जाएगा होली में किसकी मारी जायेगी , मैं डरती नहीं हूँ। "
ननद नन्दोई के साथ नन्दोई के एक दोस्त भी आये , उन्ही के तरह लहीम शहीम तगड़े ,गब्बर जवान ,
उनका नाम ले कर कम्मो ने अपनी ननद को खूब छेड़ा , होली की शुरुआत ननद भौजाई के साथ , कम्मो ने पहले झप्पाटे में ही ननद की चोली फाड़ी ,
तो ननद ने भौजी की साडी उतारी ,
कम्मो ने पहले अपनी ब्याहता ननद के जोबन उघाड़े और अपने रगड़ते मसलते अपनी नन्द के भाई को , देवर को देखकर ललचाने लगी ,
मौका देख कर छोटी ननद भी अपनी बड़ी दीदी के साथ और नयकी भौजी का नयका ब्लाउज चार टुकड़े में आँगन के चार कोने में ,
और दोनों ननद भौजाई होली के दंगल में एक दूसरे के जोबन का रस ,
देवर नन्दोई संग
छोटी ननद , थोड़ी छोटी थी , इनकी ममेरी बहन गुड्डी की समौरिया या दो चार महीने छोटी ही रही होगी उस समय ,
देवर हाईकॉलेज वाला , लेकिन थोड़ा शर्मीला ,...
पर चार पांच महीने बाद ही मरद कमाने चला गया , उसके महीने भर बाद ही होली थी और उसके आने की कोई उम्म्मीद नहीं थी , काम पर साल दो साल का कांट्रैक्ट होता था उसके बाद ही छुट्टी मिलती थी ,
कम्मो का मन नहीं लगता था , वो सोचती थी होली में मायके वापस आने को ,
लेकिन सास ने मना कर दिया ,
अरे तेरा मरद नहीं है तो देवर ननद मैं हूँ , फिर तेरे नन्दोई की पहली होली है , वो भी आएंगे , ... तो पाहुन किसके साथ होली खेलेंगे , सावन में चली जाना मायके , लेकिन फागुन तो यहीं ,
फिर देवर ननद भी , देवर शर्मीला था तो कम्मो उसे छेड़ती भी बहुत थी , और उसकी सास भी एकदम खुली ,...
सुहागरात की अगली सुबह जितना ननदों ने नहीं छेड़ा उससे ज्यादा सास ने खोद खोद कर सब हाल चाल पूछ लिया और उनकी छोटी ननदों के समाने ही उन्हें खोल कर समझाया ,
" जैसे दुल्हिन की ऊपर की मांग में , सिन्दूर सोभा देता है , छलकता भरभराता , वैसे नीचे वाली मांग में सफ़ेदा हरदम, बजबजाता रहे टपकता रहे , ... "
किसी ननद ने कुछ बोला , तो सास उसी के ऊपर चढ़ बैठीं ,
" कइसन ननद हो , अबहिन तक भौजी क नीचे वाली मुंह दिखाई नहीं की ,... अइसन गोर चिक्क्न भौजाई मिली हो ,... "
गाँव का माहौल , एकदम खुला ,..ख़ास तौर पर जो उसके ननदोई , ब्याहता ननद , कहीं भी , दिन दहाड़े ,... और उसे देख कर नन्दोई ललचाते भी बहुत थे , तब भी कम्मो के जोबन बहुत गदराये थे और चूतड़ एकदम मस्त , पीछे से चिकोटी काट के वो बोलते ,
" अबकी होली में ये बचेगी नहीं ,... मुझसे "
और कम्मो भी कम नहीं थी , हँसते खिलखिलाते उन्हें ही चैलेन्ज करती ,
" देखा जाएगा होली में किसकी मारी जायेगी , मैं डरती नहीं हूँ। "
ननद नन्दोई के साथ नन्दोई के एक दोस्त भी आये , उन्ही के तरह लहीम शहीम तगड़े ,गब्बर जवान ,
उनका नाम ले कर कम्मो ने अपनी ननद को खूब छेड़ा , होली की शुरुआत ननद भौजाई के साथ , कम्मो ने पहले झप्पाटे में ही ननद की चोली फाड़ी ,
तो ननद ने भौजी की साडी उतारी ,
कम्मो ने पहले अपनी ब्याहता ननद के जोबन उघाड़े और अपने रगड़ते मसलते अपनी नन्द के भाई को , देवर को देखकर ललचाने लगी ,
मौका देख कर छोटी ननद भी अपनी बड़ी दीदी के साथ और नयकी भौजी का नयका ब्लाउज चार टुकड़े में आँगन के चार कोने में ,
और दोनों ननद भौजाई होली के दंगल में एक दूसरे के जोबन का रस ,