02-04-2019, 10:43 PM
(This post was last modified: 02-04-2019, 10:44 PM by Bhaiya Ji95. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
प्रस्तावना :- अपने वक्षों पर लगातार पड़ते उसके हाथों के दबाव और चुम्बनों से वह कामोत्तेजित रूप से कसमसा गई थी .. बिना ब्रा का हल्की गुलाबी ब्लाउज, निप्पल और उसके आस पास के हिस्से लार से बुरी तरह भीग चुके हैं .. साथ ही हाथों के दबाव और खेल ने ब्लाउज की सिलाई को बेतरतीब ढंग से ख़राब कर चुके हैं.. तंग ब्लाउज में कैद स्तनों के नीचे पड़ते दबाव गोल सुडौल स्तनों को ब्लाउज के ऊपर खुले क्षेत्र से बाहर निकल आने को कह रहे थे | खुले काले बाल कमर तक नागिन की भांति लहरा रहे थे | खुले गले का ब्लाउज का कंधे वाला बॉर्डर अब धीरे धीरे कंधे से ही नीचे उतर जाने को उतावले होने लगे | एक धक्के से उसे सुला दी.. उस बंद कमरे में उन दोनों के अलावा और कोई नहीं था और ना ही किसी के होने का सवाल था | उसे लिटा कर वह भी उसके बगल में लेट गई .. थोड़ी चुप्पी छाई रही .. फ़िर वह उठ बैठी ; अपने लम्बे बालों को थोड़ा संभाली पर अब वे उसके चेहरे पर लटकते हुए झूल रहे थे .. उसे गुदगुदी होने लगी.. उसके हटाने से पहले ही आशा हँसते हुए अपने बालों को उसके चेहरे पर से हटा ली.. दोनों एक दूसरे की आँखों में एकटक देखते रहे – दोनों ही के आँखों में एक दूसरे के प्रति भूख साफ़ दिख रही थी – पर एक अंतर के साथ ... आशा की आँखों में यौन क्षुधा के साथ साथ अपनत्व का भाव था—पर उसके आँखों में सिर्फ़ और सिर्फ़ यौन क्षुधा को तृप्त करने की लालसा थी -- ....... |