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Adultery सोलवां सावन
***** *****मस्ती ही मस्ती


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मेरा एक हाथ झटाक से सीधे वहीं। 


लेकिन बजाय बुरा मानने के बसंती भौजी ने एक लाइफ टाइम आफर दिया, अपनी बुर दिखाने का-


“अरे तोहार चुनमुनिया तो हवा खिलाने के लिए खोल दिए हैं, तुम कहोगी की भौजी आपन ना दिखाइन…” 

लेकिन जैसे कहते हैं न टर्म्स एंड कंडीशंस अप्लाई, बस वही बात… बसंती भौजी ने मेरी आँखें बंद करा दीं और बोला कि मैं उंगली से देखूं। 
 
मैं मान गई। धीरे-धीरे उनका हाथ मुझे उनकी जांघ की सीढ़ी से चढ़ाते हुए, मेरे हाथ की उँगलियां, खूब चिकनी एकदम मक्खन, मांसल लेकिन गठी… धीमे-धीमे मेरी उँगलियां चढ़ती गयीं, और फिर झांटों का झुरमुट और वहीं बसंती भाभी की उंगली ने मेरा हाथ छोड़ दिया। 
 
एक कौर खाना सीधे मेरे मुँह में। उनके हाथ से दाल रोटी भी इतनी मीठी लग रही थी की जैसे पूड़ी हलवा हो। और मेरी उंगली, अब इतनी भोली भी नहीं थी। 
[Image: 04384c6ea818fcaabac.md.jpg]


झांटों के बगीचे में उसने रास्ते ढूँढ़ लिया, और फिर तो, बसंती भौजी की बुर की पुत्तियां, खूब उभरीं-उभरीं कुछ देर तक तो अंगूठा और तर्जनी दबा-दबाकर उनका स्वाद ले रहा था, और फिर गचाक्क… गप से मेरी उंगली उनके नीचे वाले मुँह में घुस गई और उनके निचले होंठों ने जोर से उसे दबोच लिया। 
 
जैसे मैंने बंसती भाभी की मेरे मुँह में कौर खिलाते उंगली को शरारत से दांत से दबोच लिया और हल्के से काट कर पूछा- 
“भौजी, आपने खाया?” 
 
“तूहूँ न, अरे हमार प्यारी-प्यारी ननदिया भूखी रहे और हम खाय लेब…” बसंती ने बहुत प्यार से जवाब दिया। 
 
और मैं सब कुछ हार गई, गच्च से पूरी उंगली मैंने बसंती भौजी के निचले मुँह में जड़ तक ठेल दी और शरारत से बोली- 

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“झूठ भौजी, मुझे मालूम है भौजी तू का का गपागप खात हो, घोंटत हो और आपन छोटकी ननदिया क ना पूछी हो…” 
 
“अरे अब आगे आगे देखना, अबहीं त तू घोंटब शुरू कइली हौ, एक से एक लम्बा, मोट-मोट घोंटाउब न, एक साथ दो-दो, तीन-तीन…” 

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बंसती भौजी ने अपनी बात की ताकीद करते हुये साथ में अपनी उंगली मेरी कच्ची सहेली के मुँह में ठेल दी, और फिर तो घचाघच-घचाघच, सटासट-सटासट। 
 
और जवाब मेरे ऊपर वाले मुँह ने दिया। एक हाथ से मैंने भौजी का सर पकड़ा और फिर मेरे होंठ उनके होंठों के ऊपर और मेरा आधा खाया, कुचला सीधे मेरी जीभ के साथ उनके मुँह में, और कुछ देर तक उनकी जीभ ने मेरी जीभ के साथ चल कबड्डी खेला, फिर क्या कोई लड़की लण्ड चूसेगी जैसे वो मेरी जीभ चूस रही थीं। उसके बाद तो सब कौर कभी उनके मुँह से मेरे मुँह में, और कभी मेरे मुँह में और साथ में हम दोनों खुलकर एक दूसरे के होंठ का, मुँह का रस ले रहे थे। 
 
नीचे बसंती भौजी की बुर उसी स्वाद के साथ मेरी उंगली भींच रही थी। और अब वो खुलकर बखान कर रही थीं गाँव के मर्दों का किसका कित्ता बड़ा और कित्ता मोटा है कौन कित्ती देर तक चोद सकता है। हाँ, एक बात सब में थी की सबके सब मेरे जुबना के दीवाने हैं। 
 
बात बदलने के लिए मैंने कमान अपने हाथ में ले ली और शिकायत की- 


“भौजी हमारे पिछवाड़े तो… हमार तो जान निकल गई और आप कह रही थीं की ठीक से नहीं मारा…” 


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“एकदम सही कह रह थी मैं, अरे असली पहचान ई है की अगर हचक-हचक के गाण्ड मारी जायेगी न तुहार, तो बस खाली कलाई के जोर से एक बार में दो उँगरी सटाक से घोंट लेबू… और घबड़ा जिन, ई कामिनी भाभी के मर्द, जउने दिन उनके नीचे आओगी न त बस, तब पता चलेगा गाण्ड मरवाई क असली मजा…” 
 
बसंती ने हाल खुलासा बयान किया, और मेरा ध्यान चम्पा भाभी की बात ओर चला गया, कल इसी आँगन में तो, ऊ कह रही थीं यही बात। 


मेले में उन्होंने देखा था मुझे, और तभी से… एकदम बजरबट्टू। 
 
उसके बाद जो कामिनी भाभी रतजगा में आई और उन्होंने मुझे अच्छी तरह ‘खुलकर’ देखा, तो चम्पा भाभी को बताया। और चम्पा भाभी भी बोलीं उनसे- 


“अरे अगर गाँव में सावन बरस रहा है तो उनसे कह दो न उहै बेचारे काहें प्यासे रहें। 

छक के आपन पियास बुझावें न…” 
 
मेरा ध्यान फिर बसंती की बात की ओर गया। आज जब कामिनी भाभी आई थीं तो फिर वही बात कर रही थीं। 

उसके बाद तो भौजी ने जो बात बताई कामिनी भाभी के पति के बारे में की मेरे कान खड़े हो गए। 
 
कामिनी भाभी के पति शादी के पहले शुद्ध बालक भोगी थे। 

[Image: MIL-seema-singh-best-pics.jpg]

लेकिन शादी के बाद कामिनी भाभी ने उनकी हालत सुधार दी, 
पर अभी भी हफ्ते दस दिन में अगर कहीं कोई कमसिन नमकीन लौंडा दिख गया तो वो बिना उसका शिकार किये नहीं मानते और कामिनी भाभी भी बुरा नहीं मानती, बल्की उन्हें अगर कहीं कोई शिकार दिख गया तो उसे खुद पटा करके… 

और उनका भी फायदा हो जाता है क्योंकी उस रात वो दुगुनी ताकत से। 


फिर उसके साथ कामिनी भाभी को भी तो कच्ची कलियों का शौक है, लड़के लड़की में भेद वो भी नहीं करतीं। फिर खिलखिलाते हुए बसंती भौजी ने पूछा- 


“जानती हो कामिनी का पिछवाड़ा इतना चौड़ा काहे है?” 

[Image: Teej-23658518_1977780632438233_880535785...3514_n.jpg]

 
बात बसंती भौजी की एकदम सही थी, जवाब भी उन्होंने दिया- 

“अरे दूसरे तीसरे उनके मर्द पिछवाड़े का बाजा जरूर बजाते हैं। और ओह दिन तो पूरे गाँव में मालूम हो जाता है, आधे दिन ऊ उठ नहीं पाती। उनका लण्ड एक तो ऐसे पूरा मूसल है 
और जउन मर्दन को लौंडेबाजी की आदत होती है न उनका वैसे ही देर में, 
लेकिन… ऊ तो गाण्ड में तीस-चालीस मिनट से पहले नहीं… उहो पूरी ताकत से तूफान मेल चलाते हैं…” 


साथ-साथ भौजी की उंगली भी मेरी ओखली में चल रही थी।
 
और मस्ती से मेरी हालत ख़राब हो रही थी। लेकिन मुझे विश्वास नहीं हुआ और मैं बोल पड़ी- 
 
“सच में भौजी, तीस-चालीस मिनट… बिस्वास नहीं होता…” 
 
बसंती जोर से खिलखिलाई और कसकर मेरे खड़े निपल उमेठ के बोली- 

“पूछें नाउ ठाकुर केतना बाल। कहेन मालिक अगवे गिरी। 
अरे बहुते जल्द, तुहूं घोंटबू उनकर, तो अगले दिन हम पूछब न तोसे, कहो कैसे लगा। 
अगवाड़ा पिछवाड़ा दोनों एक हो जाई…” 
 
और हम दोनों एक साथ हँस पड़े। 


मेरी उंगली भी भौजी की बुर में बुरी तरह अंदर-बाहर हो रही थी।


[Image: Fingering-pussy-G-tumblr-nf6lhd81-G31u08qqmo1-250.gif]
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Messages In This Thread
सोलवां सावन - by komaalrani - 10-01-2019, 10:36 PM
RE: सोलवां सावन - by Bregs - 10-01-2019, 11:31 PM
RE: सोलवां सावन - by Kumkum - 01-02-2019, 02:50 PM
RE: सोलवां सावन - by Logan555 - 13-02-2019, 06:40 PM
RE: सोलवां सावन - by Kumkum - 19-02-2019, 01:09 PM
RE: सोलवां सावन - by Logan555 - 26-02-2019, 11:10 AM
RE: सोलवां सावन - by komaalrani - 02-04-2019, 05:42 PM
RE: सोलवां सावन - by Badstar - 04-05-2019, 08:44 PM
RE: सोलवां सावन - by Badstar - 04-05-2019, 11:46 PM
RE: सोलवां सावन - by Badstar - 19-05-2019, 11:15 AM
RE: सोलवां सावन - by Theflash - 03-07-2019, 10:31 AM
RE: सोलवां सावन - by Badstar - 14-07-2019, 04:07 PM
RE: सोलवां सावन - by usaiha2 - 09-07-2021, 05:54 PM



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