28-03-2021, 10:20 AM
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अब आगे
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वहाँ हॉस्पिटल में पहुँचकर राजेश का किसी भी काम में मन नही लग रहा था….
हालाँकि एक डेड बॉडी का पोस्टमॉर्टम करना था उसे पर उसका दिमाग़ घर पर हुई बातों से हट ही नही रहा था…
उसका असिस्टेंट 2 बार उसे बुलाकर जा चुका था पर वो अपने केबिन में बैठा हुआ सुबह हुई बातों की गहराई में उतरने का प्रयास कर रहा था..
उसके दिमाग़ में शुरू से अंत तक सब कुछ फिल्म की भाँति चल रहा था…
जैसा की शुरू में उसने सोचा था की ये जो कुछ भी हो रहा है वो शेफाली की आत्मा का ही असर है
पर बाद में जब उसने रजनी की डायरी पढ़ी तो उसे सच्चाई का पता चला…
और उस सच्चाई के साथ-2 उसे ये भी पता चला की उसकी खुद की ही बेटी उस से चुदने के लिए कितनी लालायित है…
और यही हाल उसकी सहेली चाँदनी का भी था…
रजनी भी अपनी सैक्स लाइफ में थोड़ा मसाला घोलने के लिए ये सब कर रही थी और ये सब वो चाँदनी की माँ यानी राधिका के साथ मिलकर कर रहे थे…उनके साथ-2 पिंकी भी बीच में आकर फ्री के मज़े दे गयी…
यानी हर तरफ चुदाई का अच्छा ख़ासा इंतज़ाम था…
फिर अचानक ऐसा क्या हो गया की आज सुबह वो सब उसके साथ ऐसा व्यवहार कर रहे थे…
जैसे आज से पहले कुछ हुआ ही ना हो…
ऐसा क्यों किया होगा उन्होने…
कहीं सच में तो उस हार में शेफाली की आत्मा का असर नही था…
जो शायद अब उनके उपर से निकल चुका था…
उसने हिसाब लगाकर देखा की कब शेफ़ाली की मौत हुई थी ,
पूरे 10 दिन हो चुके थे ,
यानी मान लिया जाए की हार का असर है तो वो 10 दिन तक ही रहता है
और उन्हें फिर से उसके असर में लाने के लिए वो हार उन्हें दोबारा पहनाना होगा
ओर क्या सच में ऐसा होना मुमकिन है
नही-नही….ऐसा नही हो सकता…
उसने खुद उनकी योजना उस डाइयरी में पढ़ी थी…
पर ये भी तो हो सकता है की शेफाली की आत्मा ने ही वो सब करवाया हो…
उस डायरी में जादुई तरीके से खुद ही वो सब कुछ लिख दिया हो..
इस तरह के उल्टे-सीधे अनेक विचार आ-जा रहे थे उसके दिमाग़ में.
उसने अपने बेग से वो शेफाली का हार निकाल लिया जो घर से निकलने से पहले उसने बेग में डाल लिया था.
और वो सोचने लगा की कहीं इसकी सच्चाई सही तो नही है…
उसकी चमक में वो शायद कुछ ढूढ़ने का प्रयास कर रहा …
शायद ये हार फिर से उनके गले मे डालना पड़ेगा, ताकि उनपर शेफाली का असर एक बार दोबारा हो सके…
वो गहरी सोच में डूबकर ये सोच ही रहा था की तभी उसे रोज़ी की आवाज़ सुनाई दी, जो उसके डिपार्टमेंट में नर्स थी.
‘’सर …..सर ….वो डॉक्टर महेश आपका इंतजार कर रहे है काफ़ी देर से…प्लीज़ चलिए…’’
उसने गुस्से में रोज़ी को देखा, वो बेचारी सहम कर कमरे से बाहर निकल गयी…
राजेश ने बुदबुदाते हुए वो हार वहीं रखा और बाहर निकल गया…
करीब एक घंटे बाद जब पोस्टमार्टम ख़त्म हुआ तो हाथ-मुँह सॉफ करके वो वापिस अपने केबिन की तरफ चल दिया..
अपने केबिन में पहुँचकर उसने देखा की रोज़ी उस हार को हाथ में लेकर बड़े गोर से देख रही थी….
उसके चेहरे की चमक बता रही थी की वो उसे पसंद आया था…
तभी राजेश के दिमाग़ में एक विचार आया…की चलो इस रोज़ी पर इस हार का असर देखा जाए…
वो तो रजनी और उस प्लान का हिस्सा नही थी…
इस हार को पहनने के बाद भी उसपर कोई असर नही होता तो उस डायरी में लिखी बाते ही सच थी…
वरना शेफाली की आत्मा का असर था उस हार पर…
उसने रोज़ी को उपर से नीचे तक देखा, उसकी बेक थी इस वक़्त राजेश की तरफ….
थोड़ी साँवली थी वो, साउथ की रहने वाली थी पर हिन्दी अच्छी बोल लेती थी वो…
एकदम छरहरा सा बदन था उसका…
हल्के-फुल्के से चुचे थे और हल्की सी ही गांड निक्लीहुई थी उसकी ....
पर चेहरा बड़ा ही नशीला सा था उसका…
ख़ासकर उसके मोटे होंठ…
25 की उम्र थी पर अभी तक शादी नही हुई थी…
कुँवारी थी या नही ये उसे पता नही था…
खैर, कुछ सोचकर वो आगे आया और एकदम उसके चेहरे के पास आकर बोला : “ये पसंद आया तुम्हे रोज़ी..’’
वो बेचारी एकदम से घबरा गयी…जैसे कोई चोरी पकड़ी गयी हो उसकी..
‘’वो…वो….सॉरी सर ….ये आपकी टेबल पर पड़ा था तो….तो….मैने….’’
राजेश : “इट्स ओक……घबराव मत….वैसे एक बात कहूं , ये तुमपर अच्छा लगेगा , पहन कर देखो जरा ….’’
रोज़ी की आँखे बाहर निकालने को हो गयी ये सुनकर : “मैं। ....... नो...नो सर ये तो शायद आप अपनी वाइफ के लिए !!!!!!!! मैं ……ऐसे …कैसे .पहन लू …’’
राजेश ने उसके हाथ से वो नेकलेस लिया और घूमकर उसके पीछे आ गया…
उसके गले में वो हार डालकर पीछे से उसका हुक्क लगा दिया…
और रोज़ी बेचारी ये सोचकर परेशान हुए जा रही थी की आज इस खड़ुस डॉक्टर को हो क्या गया है…
आज से पहले तो ढंग से उसे देखता भी नही था…
और आज उसे ये हार पहना रहा है और वो भी इतना खूबसूरत हार….
इस वक़्त वो खुद को हीरोइन और राजेश को हीरो जैसे देख रही थी
उसके दिल की धड़कन इस वक़्त तेज गति से चल रही थी….
उसे तो लग रहा था की उसका दिल सीने से निकलकर बाहर ही ना आ जाए…
पर अंदर ही अंदर उसे एक अजीब सी खुशी हो रही थी….
वो शायद इसलिए की उसे डॉक्टर राजेश शुरू से ही काफ़ी पसंद थे….
अचानक राजेश की गर्म साँसे उसे अपनी गर्दन पर महसूस हुई, वो बोले : “कैसा लगा….’’
उसने हाथ लगाकर हार को देखा और खुशी से बोल उठी : “इट्स ब्यूटिफुल…डॉक्टर राजेश’’
अब वो पल था जब राजेश को उस हार की सच्चाई जाननी थी….
और इसका सिर्फ़ एक ही तरीका था…
उसने रोज़ी को अपनी तरफ घुमा लिया और उसकी आँखो में देखते हुए धीरे-2 अपने होंठ उसकी तरफ बड़ा दिए…
अगर उसने शोर मचाया या गुस्सा होकर भाग गयी तो डायरी वाली बात ही सही थी…वरना…
वो ये सोच ही रहा था की उसने देखा की शरमाते हुए रोज़ी की आँखे बंद होती चली गयी और अगले ही पल उन दोनो के होंठ एक दूसरे से मिलकर कुश्ती लड़ रहे थे…
एक ही पल में राजेश के दिमाग़ की सेंकडो घंटियाँ बज उठी….
यानी इस नेकलेस के अंदर सच में शेफाली की आत्मा मोजूद थी…
पर कुछ और सोचने समझने का मौका नही मिला उसे…
क्योंकि रोज़ी के रसीले होंठो में पता नही कैसा स्वाद था जो उसके शरीर के अंदर घुलता चला गया…
ऐसे रसीले होंठ उसने अपनी पूरी लाइफ में आजतक नही चखे थे….
धीरे-2 उसने अपने हाथ उसकी नन्ही चुचियों पर रखे और उन्हे दबा दिया….
वो बेचारी तड़प उठी…
शायद ये उसके शरीर का सेन्सिटिव पॉइंट था…
होता भी क्यो नही…
साउथ इंडियन्स के निप्पल्स काफ़ी मोटे जो होते हैं…
शायद राजेश के हाथ उसका काला अंगूर आ गया था जिसे उसने ज़ोर से दबाकर उसकी चीख निकलवा दी थी…
‘’आआआआआआआहह…….म्म्म्ममममममममममममममम…….ओह डॉक्टर…………सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स……’’
राजेश ने तुरंत अपने रूम का दरवाजा बंद किया और बाहर डु नोट डिस्टर्ब का बोर्ड लगा दिया…
और जैसे ही वो पलटा एक बार फिर से रोज़ी खुद ही उसके उपर झपट पड़ी….
दोनो ने एक दूसरे के हर अंग को अच्छे से मसला…
राजेश के हाथ जब उसके नन्हे स्तनो पर पड़े तो उसे ईशा की याद आ गयी…
लगभग वही साइज़ था उसका भी…
पर इस मद्रासन के चुच्चे कुछ ज़्यादा ही कठोर थे…
और उन्हे दबाने में भी उतना ही मज़ा मिल रहा था..
उसे नंगा करके चूसने में कितना मजा आएगा
पर अभी कपड़े उतारने का टाइम नही था
इसलिए राजेश ने उसे घुमाया और अपनी टेबल पर झुका कर उसकी स्कर्ट को गांड से उपर चड़ा दिया…
पेंटी नीचे खिसकाई और अपनी जिप्प खोलकर अपना कड़क लॅंड एक ही बार में उसकी चूत में पेल दिया..
बेचारी टेबल पर पड़ी हुई बिलबिला सी उठी राजेश के इस प्रहार से
‘’सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स…………….अहह……..ओह डॉक्टर………यू आर टू स्ट्रॉंग…..’’
रोज़ी ने ऐसा कड़क लॅंड शायद आज तक नही लिया था…
कुँवारी तो वो थी ही नही, और हॉस्पिटल के वॉर्ड बाय्स से चुदवाकर अपना टाइम चला रही थी…
पर आज बड़े दिनों बाद एक डॉक्टर का लॅंड उसकी चूत में गया था…
और वो भी इतना मोटा और लंबा…
सच में …उसे आज बहुत मज़ा मिल रहा था..
राजेश ने तेज गति से उसकी कमर को पकड़कर जोरदार शॉट लगाने शुरू कर दिए….
टेबल पर पड़ा समान धीरे-2 करके नीचे गिरने लगा और वो दोनो अपने-2 ऑर्गॅज़म के करीब पहुँचने लगे..
‘’आआआआआआआहह डॉक्टर…….एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स……. फक्ककककक मी……फास्टर………मोर……..और……तेज……यअहह…….आई एम कमिंग डॉक्टर…….एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स….. फककक मी ……अहह’’
और अपनी चुदाई का आनंद लेती हुई वो वहीं डॉक्टर की टेबल पर झड़ गयी …
हॉस्पिटल में रहकर ऐसी क़्विकि तो पहले भी उसने की थी ..
पर इतना मज़ा पहली बार आया था उसको.
राजेश ने अपना लॅंड जैसे ही उसकी चूत से निकाला,
रोज़ी घूम कर उसके सामने बैठ गयी और उसके लैंड को अच्छी तरह से चूस – चाटकार सॉफ करके वापिस उसकी गुफा में धकेल कर बाहर से जीप लगा दी…
और एक बड़ी ही सैक्सी स्माइल के साथ उपर उठकर अपनी पेंटी को भी उपर चड़ाया और राजेश के होंठो पर एक प्यारा सा किस्स करके बोली
‘’मैं तो आपकी फेन हो गयी डॉक्टर राजेश….सी यू सून’’
इतना कहकर वो अपनी छोटी सी गांड मटकाती हुई बाहर निकल गयी…
और पीछे रह गया राजेश…
जो अपनी चेयर पर बैठकर मुस्कुराए जा रहा था…
ये उस यकीन की मुस्कान थी जो उसे हो चुका था की ज़रूर इस नेकलेस में ही कुछ जादू है जो उसकी किस्मत का सितारा ऐसे बुलंद हो रहा है.
जाने से पहले वो नेकलेस को उतार कर वहीं टेबल पर रख गयी थी…
उसे वापिस अपने बेग में रखकर वो पोस्टमार्टम की रिपोर्ट बनाने में लग गया...
और शाम होने के बाद वो अपने घर की तरफ चल दिया…
अब इस हार की ताकत वो जान चुका था , पर बेचारे को ये नहीं पता था की पहले वो सही था, अब गलत है
पर इस गलती में भी उसे शायद लाइफ के वो पल मिलने वाले थे जो उसने सोचे भी नहीं थे ।
जैसे आज की शाम, जो उसके लिए कुछ ख़ास होने वाली थी
अब आगे
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वहाँ हॉस्पिटल में पहुँचकर राजेश का किसी भी काम में मन नही लग रहा था….
हालाँकि एक डेड बॉडी का पोस्टमॉर्टम करना था उसे पर उसका दिमाग़ घर पर हुई बातों से हट ही नही रहा था…
उसका असिस्टेंट 2 बार उसे बुलाकर जा चुका था पर वो अपने केबिन में बैठा हुआ सुबह हुई बातों की गहराई में उतरने का प्रयास कर रहा था..
उसके दिमाग़ में शुरू से अंत तक सब कुछ फिल्म की भाँति चल रहा था…
जैसा की शुरू में उसने सोचा था की ये जो कुछ भी हो रहा है वो शेफाली की आत्मा का ही असर है
पर बाद में जब उसने रजनी की डायरी पढ़ी तो उसे सच्चाई का पता चला…
और उस सच्चाई के साथ-2 उसे ये भी पता चला की उसकी खुद की ही बेटी उस से चुदने के लिए कितनी लालायित है…
और यही हाल उसकी सहेली चाँदनी का भी था…
रजनी भी अपनी सैक्स लाइफ में थोड़ा मसाला घोलने के लिए ये सब कर रही थी और ये सब वो चाँदनी की माँ यानी राधिका के साथ मिलकर कर रहे थे…उनके साथ-2 पिंकी भी बीच में आकर फ्री के मज़े दे गयी…
यानी हर तरफ चुदाई का अच्छा ख़ासा इंतज़ाम था…
फिर अचानक ऐसा क्या हो गया की आज सुबह वो सब उसके साथ ऐसा व्यवहार कर रहे थे…
जैसे आज से पहले कुछ हुआ ही ना हो…
ऐसा क्यों किया होगा उन्होने…
कहीं सच में तो उस हार में शेफाली की आत्मा का असर नही था…
जो शायद अब उनके उपर से निकल चुका था…
उसने हिसाब लगाकर देखा की कब शेफ़ाली की मौत हुई थी ,
पूरे 10 दिन हो चुके थे ,
यानी मान लिया जाए की हार का असर है तो वो 10 दिन तक ही रहता है
और उन्हें फिर से उसके असर में लाने के लिए वो हार उन्हें दोबारा पहनाना होगा
ओर क्या सच में ऐसा होना मुमकिन है
नही-नही….ऐसा नही हो सकता…
उसने खुद उनकी योजना उस डाइयरी में पढ़ी थी…
पर ये भी तो हो सकता है की शेफाली की आत्मा ने ही वो सब करवाया हो…
उस डायरी में जादुई तरीके से खुद ही वो सब कुछ लिख दिया हो..
इस तरह के उल्टे-सीधे अनेक विचार आ-जा रहे थे उसके दिमाग़ में.
उसने अपने बेग से वो शेफाली का हार निकाल लिया जो घर से निकलने से पहले उसने बेग में डाल लिया था.
और वो सोचने लगा की कहीं इसकी सच्चाई सही तो नही है…
उसकी चमक में वो शायद कुछ ढूढ़ने का प्रयास कर रहा …
शायद ये हार फिर से उनके गले मे डालना पड़ेगा, ताकि उनपर शेफाली का असर एक बार दोबारा हो सके…
वो गहरी सोच में डूबकर ये सोच ही रहा था की तभी उसे रोज़ी की आवाज़ सुनाई दी, जो उसके डिपार्टमेंट में नर्स थी.
‘’सर …..सर ….वो डॉक्टर महेश आपका इंतजार कर रहे है काफ़ी देर से…प्लीज़ चलिए…’’
उसने गुस्से में रोज़ी को देखा, वो बेचारी सहम कर कमरे से बाहर निकल गयी…
राजेश ने बुदबुदाते हुए वो हार वहीं रखा और बाहर निकल गया…
करीब एक घंटे बाद जब पोस्टमार्टम ख़त्म हुआ तो हाथ-मुँह सॉफ करके वो वापिस अपने केबिन की तरफ चल दिया..
अपने केबिन में पहुँचकर उसने देखा की रोज़ी उस हार को हाथ में लेकर बड़े गोर से देख रही थी….
उसके चेहरे की चमक बता रही थी की वो उसे पसंद आया था…
तभी राजेश के दिमाग़ में एक विचार आया…की चलो इस रोज़ी पर इस हार का असर देखा जाए…
वो तो रजनी और उस प्लान का हिस्सा नही थी…
इस हार को पहनने के बाद भी उसपर कोई असर नही होता तो उस डायरी में लिखी बाते ही सच थी…
वरना शेफाली की आत्मा का असर था उस हार पर…
उसने रोज़ी को उपर से नीचे तक देखा, उसकी बेक थी इस वक़्त राजेश की तरफ….
थोड़ी साँवली थी वो, साउथ की रहने वाली थी पर हिन्दी अच्छी बोल लेती थी वो…
एकदम छरहरा सा बदन था उसका…
हल्के-फुल्के से चुचे थे और हल्की सी ही गांड निक्लीहुई थी उसकी ....
पर चेहरा बड़ा ही नशीला सा था उसका…
ख़ासकर उसके मोटे होंठ…
25 की उम्र थी पर अभी तक शादी नही हुई थी…
कुँवारी थी या नही ये उसे पता नही था…
खैर, कुछ सोचकर वो आगे आया और एकदम उसके चेहरे के पास आकर बोला : “ये पसंद आया तुम्हे रोज़ी..’’
वो बेचारी एकदम से घबरा गयी…जैसे कोई चोरी पकड़ी गयी हो उसकी..
‘’वो…वो….सॉरी सर ….ये आपकी टेबल पर पड़ा था तो….तो….मैने….’’
राजेश : “इट्स ओक……घबराव मत….वैसे एक बात कहूं , ये तुमपर अच्छा लगेगा , पहन कर देखो जरा ….’’
रोज़ी की आँखे बाहर निकालने को हो गयी ये सुनकर : “मैं। ....... नो...नो सर ये तो शायद आप अपनी वाइफ के लिए !!!!!!!! मैं ……ऐसे …कैसे .पहन लू …’’
राजेश ने उसके हाथ से वो नेकलेस लिया और घूमकर उसके पीछे आ गया…
उसके गले में वो हार डालकर पीछे से उसका हुक्क लगा दिया…
और रोज़ी बेचारी ये सोचकर परेशान हुए जा रही थी की आज इस खड़ुस डॉक्टर को हो क्या गया है…
आज से पहले तो ढंग से उसे देखता भी नही था…
और आज उसे ये हार पहना रहा है और वो भी इतना खूबसूरत हार….
इस वक़्त वो खुद को हीरोइन और राजेश को हीरो जैसे देख रही थी
उसके दिल की धड़कन इस वक़्त तेज गति से चल रही थी….
उसे तो लग रहा था की उसका दिल सीने से निकलकर बाहर ही ना आ जाए…
पर अंदर ही अंदर उसे एक अजीब सी खुशी हो रही थी….
वो शायद इसलिए की उसे डॉक्टर राजेश शुरू से ही काफ़ी पसंद थे….
अचानक राजेश की गर्म साँसे उसे अपनी गर्दन पर महसूस हुई, वो बोले : “कैसा लगा….’’
उसने हाथ लगाकर हार को देखा और खुशी से बोल उठी : “इट्स ब्यूटिफुल…डॉक्टर राजेश’’
अब वो पल था जब राजेश को उस हार की सच्चाई जाननी थी….
और इसका सिर्फ़ एक ही तरीका था…
उसने रोज़ी को अपनी तरफ घुमा लिया और उसकी आँखो में देखते हुए धीरे-2 अपने होंठ उसकी तरफ बड़ा दिए…
अगर उसने शोर मचाया या गुस्सा होकर भाग गयी तो डायरी वाली बात ही सही थी…वरना…
वो ये सोच ही रहा था की उसने देखा की शरमाते हुए रोज़ी की आँखे बंद होती चली गयी और अगले ही पल उन दोनो के होंठ एक दूसरे से मिलकर कुश्ती लड़ रहे थे…
एक ही पल में राजेश के दिमाग़ की सेंकडो घंटियाँ बज उठी….
यानी इस नेकलेस के अंदर सच में शेफाली की आत्मा मोजूद थी…
पर कुछ और सोचने समझने का मौका नही मिला उसे…
क्योंकि रोज़ी के रसीले होंठो में पता नही कैसा स्वाद था जो उसके शरीर के अंदर घुलता चला गया…
ऐसे रसीले होंठ उसने अपनी पूरी लाइफ में आजतक नही चखे थे….
धीरे-2 उसने अपने हाथ उसकी नन्ही चुचियों पर रखे और उन्हे दबा दिया….
वो बेचारी तड़प उठी…
शायद ये उसके शरीर का सेन्सिटिव पॉइंट था…
होता भी क्यो नही…
साउथ इंडियन्स के निप्पल्स काफ़ी मोटे जो होते हैं…
शायद राजेश के हाथ उसका काला अंगूर आ गया था जिसे उसने ज़ोर से दबाकर उसकी चीख निकलवा दी थी…
‘’आआआआआआआहह…….म्म्म्ममममममममममममममम…….ओह डॉक्टर…………सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स……’’
राजेश ने तुरंत अपने रूम का दरवाजा बंद किया और बाहर डु नोट डिस्टर्ब का बोर्ड लगा दिया…
और जैसे ही वो पलटा एक बार फिर से रोज़ी खुद ही उसके उपर झपट पड़ी….
दोनो ने एक दूसरे के हर अंग को अच्छे से मसला…
राजेश के हाथ जब उसके नन्हे स्तनो पर पड़े तो उसे ईशा की याद आ गयी…
लगभग वही साइज़ था उसका भी…
पर इस मद्रासन के चुच्चे कुछ ज़्यादा ही कठोर थे…
और उन्हे दबाने में भी उतना ही मज़ा मिल रहा था..
उसे नंगा करके चूसने में कितना मजा आएगा
पर अभी कपड़े उतारने का टाइम नही था
इसलिए राजेश ने उसे घुमाया और अपनी टेबल पर झुका कर उसकी स्कर्ट को गांड से उपर चड़ा दिया…
पेंटी नीचे खिसकाई और अपनी जिप्प खोलकर अपना कड़क लॅंड एक ही बार में उसकी चूत में पेल दिया..
बेचारी टेबल पर पड़ी हुई बिलबिला सी उठी राजेश के इस प्रहार से
‘’सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स…………….अहह……..ओह डॉक्टर………यू आर टू स्ट्रॉंग…..’’
रोज़ी ने ऐसा कड़क लॅंड शायद आज तक नही लिया था…
कुँवारी तो वो थी ही नही, और हॉस्पिटल के वॉर्ड बाय्स से चुदवाकर अपना टाइम चला रही थी…
पर आज बड़े दिनों बाद एक डॉक्टर का लॅंड उसकी चूत में गया था…
और वो भी इतना मोटा और लंबा…
सच में …उसे आज बहुत मज़ा मिल रहा था..
राजेश ने तेज गति से उसकी कमर को पकड़कर जोरदार शॉट लगाने शुरू कर दिए….
टेबल पर पड़ा समान धीरे-2 करके नीचे गिरने लगा और वो दोनो अपने-2 ऑर्गॅज़म के करीब पहुँचने लगे..
‘’आआआआआआआहह डॉक्टर…….एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स……. फक्ककककक मी……फास्टर………मोर……..और……तेज……यअहह…….आई एम कमिंग डॉक्टर…….एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स….. फककक मी ……अहह’’
और अपनी चुदाई का आनंद लेती हुई वो वहीं डॉक्टर की टेबल पर झड़ गयी …
हॉस्पिटल में रहकर ऐसी क़्विकि तो पहले भी उसने की थी ..
पर इतना मज़ा पहली बार आया था उसको.
राजेश ने अपना लॅंड जैसे ही उसकी चूत से निकाला,
रोज़ी घूम कर उसके सामने बैठ गयी और उसके लैंड को अच्छी तरह से चूस – चाटकार सॉफ करके वापिस उसकी गुफा में धकेल कर बाहर से जीप लगा दी…
और एक बड़ी ही सैक्सी स्माइल के साथ उपर उठकर अपनी पेंटी को भी उपर चड़ाया और राजेश के होंठो पर एक प्यारा सा किस्स करके बोली
‘’मैं तो आपकी फेन हो गयी डॉक्टर राजेश….सी यू सून’’
इतना कहकर वो अपनी छोटी सी गांड मटकाती हुई बाहर निकल गयी…
और पीछे रह गया राजेश…
जो अपनी चेयर पर बैठकर मुस्कुराए जा रहा था…
ये उस यकीन की मुस्कान थी जो उसे हो चुका था की ज़रूर इस नेकलेस में ही कुछ जादू है जो उसकी किस्मत का सितारा ऐसे बुलंद हो रहा है.
जाने से पहले वो नेकलेस को उतार कर वहीं टेबल पर रख गयी थी…
उसे वापिस अपने बेग में रखकर वो पोस्टमार्टम की रिपोर्ट बनाने में लग गया...
और शाम होने के बाद वो अपने घर की तरफ चल दिया…
अब इस हार की ताकत वो जान चुका था , पर बेचारे को ये नहीं पता था की पहले वो सही था, अब गलत है
पर इस गलती में भी उसे शायद लाइफ के वो पल मिलने वाले थे जो उसने सोचे भी नहीं थे ।
जैसे आज की शाम, जो उसके लिए कुछ ख़ास होने वाली थी