28-03-2021, 09:46 AM
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अब आगे
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रजनी की हालत ऐसी हो रही थी की उसे किचन से बाथरूम तक का सफ़र कोसो दूर लग रहा था...
वो अपनी गीली छूट को जाँघो के बीच दबाती हुई धीरे-2 कदमो से उस तरफ जा रही थी ,
और उसकी चूत हर कदम पर जांघो के बीच दबकर निम्बू की तरह खुद ब खुद निचुड़ रही थी
इस वक़्त अगर उसकी रसीली गांड पर कोई ज़ोर से चांटा मारता तो चूत में से झनझनाकर गाड़े रस की बारिश हो जाती..
उसने कुरती और नीचे एक ढीला सा पयज़ामा पहना हुआ था, कुरती उसने निकाल फेंकी और ब्रा भी खोल कर नीचे गिरा दी...
इतनी बेशरम शायद वो आज से पहले कभी नही हुई थी जब उसकी बेटी घर पर हो और वो राजेश के साथ ऐसी रासलीला मनाने जा रही हो..
पर इस वक़्त शायद उसका खुद पर भी काबू नही रह गया था और ये बात उसके खड़े हुए निप्पल्स सॉफ दर्शा रहे थे...
नंगे होने के बाद उसके मुम्मे और उनपर लगे निप्पल्स और भी कठोर हो चुके थे.
अब तो बस उसका मन कर रहा था की राजेश उन्हे पकड़े और निचोड़ डाले...
अंदर ही अंदर उसकी रगों में जो मीठा सा दर्द उठ रहा था वो इसी तरीके से जा सकता था.
उसने जल्दी से अपना पायजामा भी उतार फेंका और बाथरूम के अंदर जा घुसी.
अंदर का नज़ारा देखकर उसके तन बदन की आग और भी भड़क उठी...
राजेश अपने पूरे शरीर में साबुन लगाकर अपने खड़े लंड को बड़े ही प्यार से अपने हाथो में लेकर मसल रहा था...
शायद ईशा के जवान जिस्म को सोचकर वो अपने नाग को सहला कर शांत करने की कोशिश कर रहा था.
उसने भी जब रजनी को नंगी ही अंदर आते देखा तो उसके हाथो की गति और तेज हो गयी...
पर फिर उसने हाथो को बड़ी मुश्किल से रोका, क्योंकि ऐसा करके तो वो खुद ही अपना माल निकाल देता और फिर रजनी को बुलाने का कोई मतलब ही नही रह जाना था.
और आज तो उसे रजनी की चूत अच्छी तरह से चोदनी थी...
उसने रजनी का हाथ पकड़कर अपनी तरफ खींचा और अपने गले से लगाकर उसके पूरे शरीर पर अपना बदन रगड़ने लगा...उसके होंठो को मुँह में लेकर उन्हे चूसने लगा और उसकी देसी शराब जैसे होंठो का मज़ा लेने लगा.
रजनी भी अपने भरे पूरे मुम्मो को राजेश के बदन से रगड़कर अपनी खुजली कम करने की कोशिश करने लगी... राजेश ने उसे सामने से पूरा रगड़ा और फिर उसे पलटाकार उसकी गांड से चिपक गया और अपने हाथ आगे करके उसके मोटे मुम्मो को अपने हाथो से निचोड़ने लगा.
उफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ क्या जादू था राजेश के हाथो में...
इन्फेक्ट मुम्मो को कैसे निचोड़ा जाता है ये एक मर्द ही अच्छे से जान सकता है
यही तो सोचती हुई आ रही थी वो की उसका पति उसके मुम्मो को पकड़े और निचोड़ डाले.
राजेश के हाथ उसके मुम्मो पर फिसलकर उनकी मसाज करने लगे..
साथ ही साथ वो उसकी भरंवा गांड पर अपने खड़े लंड की रगड़ाई भी कर रहा था...
साबुन की फिसलन इतनी थी की वो अगर अपने लंड को पकड़कर उसकी गांड पर लगाता तो भी वो वहाँ जा घुसता...
हालाँकि आज तक राजेश ने कभी गांड नही मारी थी रजनी की पर अब शायद शेफाली की कृपा से वो काम भी कर सकता था...
पर ये जगह पहली बार गांड मरवाई के लिए सही नही थी क्योंकि उसमे दर्द भी होना था उसे
और इस वक़्त वो उसे दर्द नही बल्कि मज़े देना चाहता था.
पर मज़े देने के बारे में तो रजनी ने भी सोच रखा था,
वो पलटी और नीचे बैठकर उसने राजेश के लंड को पकड़ लिया...
एक बार फिर से अपने लंड की चुसाई के बारे में सोचते ही उसका लंड और कड़क हो उठा...
रजनी ने बड़े प्यार से राजेश के कड़क लंड को देखा और अपनी जीभ निकाल कर उसे चाटने लगी..
राजेश ने शावर ओंन कर दिया था ताकि उन दोनो के जिस्म की गर्मी कम भी होती रहे.
कुछ देर तक लंड को जीभ से चाटने के बाद वो उसे निगल गयी और जोरों से चूसने लगी.
राजेश ने बड़ी मुश्किल से अपने आप को झड़ने से बचाया जब रजनी ने अपनी पूरी ताकत से उसके लंड को चूसा और उसकी बाल्स को अपने हाथो से मसला.
ये नये-2 तरीके पता नही रजनी कहाँ से सीख रही थी पर उसे भी अब इन सबको करने में काफ़ी मज़ा मिल रहा था..
अब राजेश के बस की बात नही रह गयी थी और देर तक रुके रहना..
उसने रजनी को खड़ा किया आर उसकी एक टाँग उठा कर उसे कमान की तरह तिरछा किया और उसकी चूत में तीर की तरह अपना लंड पेल दिया.
''आआआआआआआआअहह मररर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर गयी...................... उफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़...... धीरे राजेश..........तुम तो फाड़ ही डालोगे मेरी चूत को.....''
ये उसने इसलिए कहा था क्योंकि राजेश का तरीका बड़ा ही वहशियाना था...
आज तक उसने इतनी ज़ोर से झटका मारकर अपना लंड अंदर नही डाला था...
पर ये शायद उसकी उत्तेजना थी या फिर इतनी देर से खड़े लंड की फरमाइश जो उसने ऐसा तरीका अपनाया था उसकी चूत में जाने का.
एक हाथ से उसने जाँघ को पकड़ा और दूसरे से उसकी गांड को सहारा दिया ताकि वो नीचे ना गिर जाए...
रजनी ने भी अपने लचीले शरीर को पूरा खोलकर सामने वाली दीवार पर अपना पैर टीकाया और राजेश के लंड को अंदर बाहर करते हुए उसके मज़े लेने लगी..
और जब रजनी चीखी थी तो अपने रूम में नंगी होकर अपने कपड़े पहनने की कोशिश कर रही ईशा भी चोंक गयी....
अपनी माँ की चीख और बाद में आ रही सिसकारियों का ऐसा असर हुआ उसपर की वो कपड़े पहनना छोड़कर नंगी ही बिस्तर पर लेट गयी और अपनी गीली चूत को बुरी तरह से रगड़ने लगी..
और अपनी अधूरी चुदाई की शिकायत करती हुई बुदबुदाने लगी.
''आआआआहह......पापा......गंदे पापा.....मोंम को चोद रहे हो....आआआहह......मुझे कब.... उम्म्म्ममम चोदोगे पापा..... कितने गंदे हो आप..... कल रात भी नही किया....अहह और आज भी नही...... कर तो सकते थे ना ....अभी.... बाथरूम में ...जैसे मोंम को फक्क कर रहे हो....वैसे ही.... मुझे भी कर देते........अहह......बड़े गंदे हो आप.....आई हेट यू पापा.........गंदे पापा........उननननहहहह ''
और ये बड़बड़ाते हुए उसकी आँखो के सामने पापा का नंगा लंड भी नाच रहा था....
जिसे वो इस वक़्त अपनी चूत में महसूस कर रही थी उंगली के रूप में...
और उसी एहसास को एक आनंदमयी सिसकारी के साथ अंदर तक महसूस करके वो झड़ गयी....
10 मिनट में ये दूसरी बार था जब वो झड़ी थी पर उसकी प्यास अभी भी नही बुझी थी.
दूसरी तरफ राजेश ने रजनी को घुमाकर उसका मुँह सामने कर दिया और उसकी दोनो बाहें पकड़कर अपना लंड उसकी बुर में पेलकर उसे पीछे से चोदने लगा.
ये एक ऐसा पोज़ था जिसमें उसका गीला लंड उसकी रसीली चूत में अंदर तक ठोकर मार रहा था.
हर झटके से रजनी के मुम्मे उछलकर उसके चेहरे से टकराने की कोशिश करते और फिर वापिस आकर उसकी छाती पर ठोकर मारते...
पीछे से राजेश के लंड की ठोकर और आगे से उसके खुद के मुम्मो का प्रहार उस से सहन नही हो रहा था.
वो चीखने लगी
चिल्लाने लगी
''आआआआआआआआआहह साआआआआआआआाालल्ल्ले.........मार डाला..... अहह........ फकककककककक मिईिइ राजेश.......... ऐसे ही.....मारो मेरी ......अहह...... चूऊऊऊऊऊऊऊऊत....... म्म्म्ममममममम ममममममममम ....... मैं तो गयी......... मैं ग...ईईईईईईईईईईईईई आआआआआहहहहहह ''
और एक लंबी सिसकारी मारकर उसने राजेश के लंड का अभिषेक कर दिया अपनी चूत के रस से.
और राजेश ने भी उसकी भरंवा गांड मसलते हुए उसकी चूत के लॉकर में अपने लंड का पानी डिपॉज़िट करवाना शुरू कर दिया....
पर वो माल इतना ज़्यादा था की बैंक का लॉकर तोड़कर बाहर तक आ गया और जाँघो से होता हुआ पानी में बहने लगा..
उसके बाद दोनो ने एक दूसरे के शरीर को अच्छी तरह से सॉफ किया, और नहा धोकर अपने कमरे में आ गये.
तब तक अपने कमरे में नंगी लेटी ईशा ने भी अपने कपड़े पहन लिए थे और अपनी सुबकती हुई चूत को दिलासा देकर उसे जल्द ही पापा के लंड से मिलवाने का वादा भी किया उसने.
रजनी जल्दी से कपड़े पहन कर वापिस किचन में चली गयी,
उसे अभी नाश्ता भी तैयार करना था और राजेश के लिए लंच भी पेक करना था.
राजेश अपने कमरे में तैयार हो ही रहा था की तभी उसका ध्यान घर की सफाई करती पिंकी पर गया...
वो उनके घर की नौकरानी थी, जो करीब 2 साल से उनके घर का काम किया करती थी...
देखने में काफी सैक्सी थी, साँवले रंग के बावजूद एक आकर्षण था उसके चेहरे पर...शरीर कसा हुआ था था.
राजेश ने आज तक उसके बारे में कभी दूसरी तरह से नही सोचा था
पर आज वो सोच रहा था और सोचते-2 उसने एक प्लान भी बना लिया...
और ऐसा प्लान जिसमें खुद रजनी उसे उसके सामने परोसेगी.
मुस्कुराते हुए उसने अपनी ड्रॉयर खोली और उसमें से शेफाली वाला नेकलेस निकाल लिया,
उसे देखते हुए वो सोचने लगा की आज तक वो टेबल के दूसरी तरफ बैठकर उस हार के बारे में सोचा करता था पर आज वो टेबल के इस तरफ आकर बैठ चुका था और अब वो उस हार की असलियत जानता था..
हालाँकि उसमें ऐसी कोई शक्ति नही थी जो उसके पहनने वाले को उसके प्रति सेक्सुअली अट्रेक्ट करे पर आज जो उसने प्लानिंग की थी उसके बाद उस हार में वो शक्ति आने वाली थी..
फिर उसने पिंकी को देखा और बोला : "अर्रे पिंकी, ये देखो ज़रा...कैसा हार है ये...''
पिंकी ने उसे देखा तो उसकी आँखे चमक उठी...
उसे हाथ मे लेते हुए बोली : "अर्रे वाह , ये तो बहुत अक्चा हार है साहब...मेमसाब का है क्या ''
राजेश : "अर्रे नही...ये तो बस ऐसे ही ऑनलाइन मंगवाया था....पर उसका नही है....उसे पसंद भी नहीं आया, मैं सोच रहा था की ये तुम रख लो...''
पिंकी ने चौंकते हुए उसे देखा और उसे वापिस देते हुए बोली बोली : "नही साहब...मैं कैसे...?? ''
राजेश ने ज़बरदस्ती उसके हाथ में वो हार धकेलते हुए कहा : " अर्रे चिंता मत करो...तुम रखो...मैं बोल रहा हूँ ना...रजनी के लिए मंगवाया था पर उसे पसंद नही है...इसलिए तुम रख लो,''
राजेश के इस गिफ्ट को पाकर उसका चेहरा खिल उठा...
वो भी सोचने लगी की इस खड़ूस को अचानक क्या हो गया...
आज तक उसे ढंग से देखा तो है नही और आज एकदम से उसे गिफ्ट दे रहा है...
कही उसपर लाइन तो नही मार रहा...
वैसे मार भी रहा है तो उसे बुरा थोड़े ही लगेगा...
इतने हेंडसम है साहब.
ये सोचकर वो खुद ही शर्मा गयी और उसने तुरंत राजेश के दिए गिफ्ट को अपने गले में डाल लिया...
और फिर गुनगुनाते हुए घर की सफाई करने लगी.
राजेश भी मुस्कराते हुए कमरे से निकलकर बाहर आया और डाइनिंग टेबल पर बैठकर उसने नाश्ता किया और फिर टिफ़िन लेकर वो अपने हॉस्पिटल की तरफ चल दिया....
उसने अपना जाल फेंक दिया था, अब बाकी का काम शेफाली के हार ने करना था.
अब आगे
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रजनी की हालत ऐसी हो रही थी की उसे किचन से बाथरूम तक का सफ़र कोसो दूर लग रहा था...
वो अपनी गीली छूट को जाँघो के बीच दबाती हुई धीरे-2 कदमो से उस तरफ जा रही थी ,
और उसकी चूत हर कदम पर जांघो के बीच दबकर निम्बू की तरह खुद ब खुद निचुड़ रही थी
इस वक़्त अगर उसकी रसीली गांड पर कोई ज़ोर से चांटा मारता तो चूत में से झनझनाकर गाड़े रस की बारिश हो जाती..
उसने कुरती और नीचे एक ढीला सा पयज़ामा पहना हुआ था, कुरती उसने निकाल फेंकी और ब्रा भी खोल कर नीचे गिरा दी...
इतनी बेशरम शायद वो आज से पहले कभी नही हुई थी जब उसकी बेटी घर पर हो और वो राजेश के साथ ऐसी रासलीला मनाने जा रही हो..
पर इस वक़्त शायद उसका खुद पर भी काबू नही रह गया था और ये बात उसके खड़े हुए निप्पल्स सॉफ दर्शा रहे थे...
नंगे होने के बाद उसके मुम्मे और उनपर लगे निप्पल्स और भी कठोर हो चुके थे.
अब तो बस उसका मन कर रहा था की राजेश उन्हे पकड़े और निचोड़ डाले...
अंदर ही अंदर उसकी रगों में जो मीठा सा दर्द उठ रहा था वो इसी तरीके से जा सकता था.
उसने जल्दी से अपना पायजामा भी उतार फेंका और बाथरूम के अंदर जा घुसी.
अंदर का नज़ारा देखकर उसके तन बदन की आग और भी भड़क उठी...
राजेश अपने पूरे शरीर में साबुन लगाकर अपने खड़े लंड को बड़े ही प्यार से अपने हाथो में लेकर मसल रहा था...
शायद ईशा के जवान जिस्म को सोचकर वो अपने नाग को सहला कर शांत करने की कोशिश कर रहा था.
उसने भी जब रजनी को नंगी ही अंदर आते देखा तो उसके हाथो की गति और तेज हो गयी...
पर फिर उसने हाथो को बड़ी मुश्किल से रोका, क्योंकि ऐसा करके तो वो खुद ही अपना माल निकाल देता और फिर रजनी को बुलाने का कोई मतलब ही नही रह जाना था.
और आज तो उसे रजनी की चूत अच्छी तरह से चोदनी थी...
उसने रजनी का हाथ पकड़कर अपनी तरफ खींचा और अपने गले से लगाकर उसके पूरे शरीर पर अपना बदन रगड़ने लगा...उसके होंठो को मुँह में लेकर उन्हे चूसने लगा और उसकी देसी शराब जैसे होंठो का मज़ा लेने लगा.
रजनी भी अपने भरे पूरे मुम्मो को राजेश के बदन से रगड़कर अपनी खुजली कम करने की कोशिश करने लगी... राजेश ने उसे सामने से पूरा रगड़ा और फिर उसे पलटाकार उसकी गांड से चिपक गया और अपने हाथ आगे करके उसके मोटे मुम्मो को अपने हाथो से निचोड़ने लगा.
उफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ क्या जादू था राजेश के हाथो में...
इन्फेक्ट मुम्मो को कैसे निचोड़ा जाता है ये एक मर्द ही अच्छे से जान सकता है
यही तो सोचती हुई आ रही थी वो की उसका पति उसके मुम्मो को पकड़े और निचोड़ डाले.
राजेश के हाथ उसके मुम्मो पर फिसलकर उनकी मसाज करने लगे..
साथ ही साथ वो उसकी भरंवा गांड पर अपने खड़े लंड की रगड़ाई भी कर रहा था...
साबुन की फिसलन इतनी थी की वो अगर अपने लंड को पकड़कर उसकी गांड पर लगाता तो भी वो वहाँ जा घुसता...
हालाँकि आज तक राजेश ने कभी गांड नही मारी थी रजनी की पर अब शायद शेफाली की कृपा से वो काम भी कर सकता था...
पर ये जगह पहली बार गांड मरवाई के लिए सही नही थी क्योंकि उसमे दर्द भी होना था उसे
और इस वक़्त वो उसे दर्द नही बल्कि मज़े देना चाहता था.
पर मज़े देने के बारे में तो रजनी ने भी सोच रखा था,
वो पलटी और नीचे बैठकर उसने राजेश के लंड को पकड़ लिया...
एक बार फिर से अपने लंड की चुसाई के बारे में सोचते ही उसका लंड और कड़क हो उठा...
रजनी ने बड़े प्यार से राजेश के कड़क लंड को देखा और अपनी जीभ निकाल कर उसे चाटने लगी..
राजेश ने शावर ओंन कर दिया था ताकि उन दोनो के जिस्म की गर्मी कम भी होती रहे.
कुछ देर तक लंड को जीभ से चाटने के बाद वो उसे निगल गयी और जोरों से चूसने लगी.
राजेश ने बड़ी मुश्किल से अपने आप को झड़ने से बचाया जब रजनी ने अपनी पूरी ताकत से उसके लंड को चूसा और उसकी बाल्स को अपने हाथो से मसला.
ये नये-2 तरीके पता नही रजनी कहाँ से सीख रही थी पर उसे भी अब इन सबको करने में काफ़ी मज़ा मिल रहा था..
अब राजेश के बस की बात नही रह गयी थी और देर तक रुके रहना..
उसने रजनी को खड़ा किया आर उसकी एक टाँग उठा कर उसे कमान की तरह तिरछा किया और उसकी चूत में तीर की तरह अपना लंड पेल दिया.
''आआआआआआआआअहह मररर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर गयी...................... उफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़...... धीरे राजेश..........तुम तो फाड़ ही डालोगे मेरी चूत को.....''
ये उसने इसलिए कहा था क्योंकि राजेश का तरीका बड़ा ही वहशियाना था...
आज तक उसने इतनी ज़ोर से झटका मारकर अपना लंड अंदर नही डाला था...
पर ये शायद उसकी उत्तेजना थी या फिर इतनी देर से खड़े लंड की फरमाइश जो उसने ऐसा तरीका अपनाया था उसकी चूत में जाने का.
एक हाथ से उसने जाँघ को पकड़ा और दूसरे से उसकी गांड को सहारा दिया ताकि वो नीचे ना गिर जाए...
रजनी ने भी अपने लचीले शरीर को पूरा खोलकर सामने वाली दीवार पर अपना पैर टीकाया और राजेश के लंड को अंदर बाहर करते हुए उसके मज़े लेने लगी..
और जब रजनी चीखी थी तो अपने रूम में नंगी होकर अपने कपड़े पहनने की कोशिश कर रही ईशा भी चोंक गयी....
अपनी माँ की चीख और बाद में आ रही सिसकारियों का ऐसा असर हुआ उसपर की वो कपड़े पहनना छोड़कर नंगी ही बिस्तर पर लेट गयी और अपनी गीली चूत को बुरी तरह से रगड़ने लगी..
और अपनी अधूरी चुदाई की शिकायत करती हुई बुदबुदाने लगी.
''आआआआहह......पापा......गंदे पापा.....मोंम को चोद रहे हो....आआआहह......मुझे कब.... उम्म्म्ममम चोदोगे पापा..... कितने गंदे हो आप..... कल रात भी नही किया....अहह और आज भी नही...... कर तो सकते थे ना ....अभी.... बाथरूम में ...जैसे मोंम को फक्क कर रहे हो....वैसे ही.... मुझे भी कर देते........अहह......बड़े गंदे हो आप.....आई हेट यू पापा.........गंदे पापा........उननननहहहह ''
और ये बड़बड़ाते हुए उसकी आँखो के सामने पापा का नंगा लंड भी नाच रहा था....
जिसे वो इस वक़्त अपनी चूत में महसूस कर रही थी उंगली के रूप में...
और उसी एहसास को एक आनंदमयी सिसकारी के साथ अंदर तक महसूस करके वो झड़ गयी....
10 मिनट में ये दूसरी बार था जब वो झड़ी थी पर उसकी प्यास अभी भी नही बुझी थी.
दूसरी तरफ राजेश ने रजनी को घुमाकर उसका मुँह सामने कर दिया और उसकी दोनो बाहें पकड़कर अपना लंड उसकी बुर में पेलकर उसे पीछे से चोदने लगा.
ये एक ऐसा पोज़ था जिसमें उसका गीला लंड उसकी रसीली चूत में अंदर तक ठोकर मार रहा था.
हर झटके से रजनी के मुम्मे उछलकर उसके चेहरे से टकराने की कोशिश करते और फिर वापिस आकर उसकी छाती पर ठोकर मारते...
पीछे से राजेश के लंड की ठोकर और आगे से उसके खुद के मुम्मो का प्रहार उस से सहन नही हो रहा था.
वो चीखने लगी
चिल्लाने लगी
''आआआआआआआआआहह साआआआआआआआाालल्ल्ले.........मार डाला..... अहह........ फकककककककक मिईिइ राजेश.......... ऐसे ही.....मारो मेरी ......अहह...... चूऊऊऊऊऊऊऊऊत....... म्म्म्ममममममम ममममममममम ....... मैं तो गयी......... मैं ग...ईईईईईईईईईईईईई आआआआआहहहहहह ''
और एक लंबी सिसकारी मारकर उसने राजेश के लंड का अभिषेक कर दिया अपनी चूत के रस से.
और राजेश ने भी उसकी भरंवा गांड मसलते हुए उसकी चूत के लॉकर में अपने लंड का पानी डिपॉज़िट करवाना शुरू कर दिया....
पर वो माल इतना ज़्यादा था की बैंक का लॉकर तोड़कर बाहर तक आ गया और जाँघो से होता हुआ पानी में बहने लगा..
उसके बाद दोनो ने एक दूसरे के शरीर को अच्छी तरह से सॉफ किया, और नहा धोकर अपने कमरे में आ गये.
तब तक अपने कमरे में नंगी लेटी ईशा ने भी अपने कपड़े पहन लिए थे और अपनी सुबकती हुई चूत को दिलासा देकर उसे जल्द ही पापा के लंड से मिलवाने का वादा भी किया उसने.
रजनी जल्दी से कपड़े पहन कर वापिस किचन में चली गयी,
उसे अभी नाश्ता भी तैयार करना था और राजेश के लिए लंच भी पेक करना था.
राजेश अपने कमरे में तैयार हो ही रहा था की तभी उसका ध्यान घर की सफाई करती पिंकी पर गया...
वो उनके घर की नौकरानी थी, जो करीब 2 साल से उनके घर का काम किया करती थी...
देखने में काफी सैक्सी थी, साँवले रंग के बावजूद एक आकर्षण था उसके चेहरे पर...शरीर कसा हुआ था था.
राजेश ने आज तक उसके बारे में कभी दूसरी तरह से नही सोचा था
पर आज वो सोच रहा था और सोचते-2 उसने एक प्लान भी बना लिया...
और ऐसा प्लान जिसमें खुद रजनी उसे उसके सामने परोसेगी.
मुस्कुराते हुए उसने अपनी ड्रॉयर खोली और उसमें से शेफाली वाला नेकलेस निकाल लिया,
उसे देखते हुए वो सोचने लगा की आज तक वो टेबल के दूसरी तरफ बैठकर उस हार के बारे में सोचा करता था पर आज वो टेबल के इस तरफ आकर बैठ चुका था और अब वो उस हार की असलियत जानता था..
हालाँकि उसमें ऐसी कोई शक्ति नही थी जो उसके पहनने वाले को उसके प्रति सेक्सुअली अट्रेक्ट करे पर आज जो उसने प्लानिंग की थी उसके बाद उस हार में वो शक्ति आने वाली थी..
फिर उसने पिंकी को देखा और बोला : "अर्रे पिंकी, ये देखो ज़रा...कैसा हार है ये...''
पिंकी ने उसे देखा तो उसकी आँखे चमक उठी...
उसे हाथ मे लेते हुए बोली : "अर्रे वाह , ये तो बहुत अक्चा हार है साहब...मेमसाब का है क्या ''
राजेश : "अर्रे नही...ये तो बस ऐसे ही ऑनलाइन मंगवाया था....पर उसका नही है....उसे पसंद भी नहीं आया, मैं सोच रहा था की ये तुम रख लो...''
पिंकी ने चौंकते हुए उसे देखा और उसे वापिस देते हुए बोली बोली : "नही साहब...मैं कैसे...?? ''
राजेश ने ज़बरदस्ती उसके हाथ में वो हार धकेलते हुए कहा : " अर्रे चिंता मत करो...तुम रखो...मैं बोल रहा हूँ ना...रजनी के लिए मंगवाया था पर उसे पसंद नही है...इसलिए तुम रख लो,''
राजेश के इस गिफ्ट को पाकर उसका चेहरा खिल उठा...
वो भी सोचने लगी की इस खड़ूस को अचानक क्या हो गया...
आज तक उसे ढंग से देखा तो है नही और आज एकदम से उसे गिफ्ट दे रहा है...
कही उसपर लाइन तो नही मार रहा...
वैसे मार भी रहा है तो उसे बुरा थोड़े ही लगेगा...
इतने हेंडसम है साहब.
ये सोचकर वो खुद ही शर्मा गयी और उसने तुरंत राजेश के दिए गिफ्ट को अपने गले में डाल लिया...
और फिर गुनगुनाते हुए घर की सफाई करने लगी.
राजेश भी मुस्कराते हुए कमरे से निकलकर बाहर आया और डाइनिंग टेबल पर बैठकर उसने नाश्ता किया और फिर टिफ़िन लेकर वो अपने हॉस्पिटल की तरफ चल दिया....
उसने अपना जाल फेंक दिया था, अब बाकी का काम शेफाली के हार ने करना था.