28-03-2021, 09:40 AM
************
अब आगे
************
टोटल 3 डायरीस थी,
पहली 2 डायरीस में तो शादी के बाद से लेकर ईशा के जन्म तक की कहानी थी...
इसलिए उन्हे उपर-2 से पढ़कर राजेश ने 10 मिनट में ही तीसरी डायरी उठा ली, जो आधी से ज़्यादा भर चुकी थी...
इस डाइयरी में ही वो सभी राज थे जो राजेश के लिए एक पहेली बन चुके थे.
उसने पढ़ना शुरू किया , जिसमें रजनी ने लिखा था की
ईशा के जन्म के बाद मुझमें सैक्स की चाहत ख़त्म सी हो गयी है....
राजेश के कहने पर ही मैं बुझे मन से सैक्स किया करती थी वरना अंदर से मुझे कुछ फील ही नहीं होता था.
राजेश भी सोचकर उस वक़्त का अंदाज़ा लगाने की कोशिश करने लगा..
उसे याद आया की उन दिनों रजनी कैसे एकदम से सैक्स के नाम से दूर भागने लगी थी...
और शायद वही दौर था जब दोनो के बीच शारीरिक संबंधो में बदलाव आने शुरू हुए थे...
हालाँकि एक डॉक्टर होने के नाते वो भी जानता था की औरत के शरीर में प्रेगनेंसी के बाद हॉर्मोनल चेंजस आते है जिसमें ऐसा अक्सर होता है...
पर फिर भी एक ठरकी मर्द होने के नाते वो अपने लंड की ठरक दूर करने के लिए उसे अपने अनुसार ही पेलता रहता था.
आगे डाइरी में उसने लिखा था की कैसे रजनी ने अपनी लाइफ ईशा का इर्द गिर्द ही रखनी शुरू कर दी और इसी में उसे सबसे ज़्यादा खुशी मिलती थी...
अगले 15-20 पन्नो में उसकी जवानी की दहलीज तक पहुँचने का सफ़र था...
और आख़िरकार एक पन्ने पर आकर उसकी नज़रें रुक गयी.
ये 112th के बोर्ड एग्जाम्स के दिन थे जब ईशा और चाँदनी अक्सर घंटो तक एक दूसरे के साथ कमरे में बैठकर पढ़ा करती थी...
राजेश को भी याद आया की उन दोनो पर राजेश और रजनी ने कैसे प्रेशर बनाकर रखा हुआ था ताकि कॉलेज में एडमिशन के लिए अच्छे नंबर आए.
रजनी ने एक वाकये का ज़िक्र किया हुआ था उस पेज पर जब ईशा और चाँदनी रूम में बैठकर स्टडी कर रहे थे..
दोनो बच्चे रूम में बैठकर पढ़ रहे थे...मैं भी काफी थकी हुई थी इसलिए रूम में जाकर सो गयी जो मेरा रोज का नीयम था... अचानक मेरी नींद खुली क्योंकि मुझे ज़ोर से पेशाब आया था...अभी मुझे एक घंटा और सोना था, इसलिए जल्दी-2 पेशाब करके मैं बेड तक आई पर फिर सोचा की एक बार बच्चों से पूछ लेती हूँ की किसी चीज़ की ज़रूरत तो नही है, ये सोचकर मैं उनके रूम में गयी पर वो अंदर से लॉक था, वो पहले भी ऐसा अक्सर करते थे पर इसके लिए मैने उन्हे डाँटकर मना किया हुआ था, मैं जैसे ही दरवाजा खटकाने लगी तो अंदर से मुझे ईशा की सिसकारी सुनाई दी....मेरा दिल धक् से बैठ गया...उस सिसकारी की गहराई बता रही थी की अंदर क्या चल रहा है...मैं एक स्टूल उठा कर लाई और उसपर चड़कर दरवाजे के उपर बनी विंडो से अंदर झाँक कर देखा और अंदर का नज़ारा देखकर मेरा शक़ यकीन में बदल गया
चाँदनी और ईशा एकदम नंगी होकर बेड पर बैठी थी...
दोनो नंगी होकर एक दूसरे से चिपकी हुई बैठी थी और एक दूसरे के मुम्मे सहलाते हुए, स्मूच कर रही थी...बीच-2 में चाँदनी का हाथ ईशा की चूत को भी मसल रहा था जिसकी वजह से वो सिसकार रही थी....
ये देखकर मेरा पूरा शरीर काँप सा गया...मैं चेयर से गिरते-2 बची...नीचे उतरकर मैं वापिस रूम में गई और फफक-2 कर रोने लगी...ये सोचकर की आख़िर ये सब कब हुआ, कैसे हुआ, क्यों हुआ...उसकी बेटी एक लेस्बियन है.....ये कैसे हो सकता है...राजेश और उसके प्यार में क्या कमी रह गयी थी जो ईशा इस दिशा में चली गयी....माना की इस उम्र में प्यार और एट्रेक्शन होता है, सैक्स के प्रति जिज्ञासा रहती है, पर एक लड़की के साथ ...छी: ...वो ऐसा कर भी कैसे सकती है...
फिर मैने सोच लिया की शाम को चाँदनी के जाने के बाद वो ईशा को समझाएगी और फिर भी वो ना मानी तो राजेश के घर आने के बाद उसे ये सब बताएगी और ईशा की पिटाई करवाएगी...
राजेश भी ये सब पड़कर सोचने पर विवश हो गया की उसकी बेटी गे कैसे हो सकती है...
आगे रजनी ने लिखा
शाम को जब मैने ईशा को समझाने की कोशिश की तो उसने अलग ही रंग दिखना शुरू कर दिया...पहले तो ये जानकार वो डर गयी की मुझे उसका पता चल चुका है पर बाद में वो उस रिश्ते की तरफ़दारी करने लगी...दूसरे देशो के एग्ज़ाम्पल देने लगी...अपने देश के नये क़ानून के बारे में बताने लगी जिसमें सविधान में भी इस रिश्ते को स्वीकृति मिल चुकी थी...
पर बात क़ानून और सविधान की नही थी....दुनिया में क्या हो रहा है इस से मुझे कोई मतलब नही है, पर ये सब मेरे घर में नही होना चाहिए...शायद एक माँ होने के नाते या एक रूढ़िवादी परिवार में जन्म लेने के कारण मुझमें ये सब बाते अंदर तक समा चुकी थी.
वो जब नही मानी तो मैने अगले दिन ईशा के कॉलेज जाने के बाद चाँदनी की माँ राधिका को अपने घर पर बुलाया...मुझे लगा की अब इसके सिवा कोई और चारा नही रह गया है, पर मेरी लाइफ का सबसे बड़ा शॉक लगा जब मुझे पता चला की वो उन दोनो के रिश्ते के बारे में पहले से ही जानती है.
राधिका : "देखी रजनी, मैने पहले भी तुम्हे इस बारे में बताने की सोची थी पर मुझे पता था की तुम्हारे घर का माहौल अलग है, मैं तो सिंगल मॉम हूँ , अगर मेरी बेटी किसी लड़के के साथ चक्कर चलाए और कुछ उंच-नीच हो जाए तो मेरा तो कोई आगे है ना पीछे, मैं क्या करूँगी, चाँदनी को लड़को से दूर रखने की नसीहत देने वाला बाप भी नही है मेरे पास तो...पर यही काम अगर वो एक लड़की के साथ करती है तो इसमें मुझे कोई बुराई नही दिखती...ये सेफ भी है और दोनो के विचारो में अपनी सहमति जताकर हम इन बच्चों का भरोसा भी जीत सकते है....समझने की कोशिश करो रजनी, आजकल जमाना बदल रहा है....हमे भी बदलना होगा...मैने चाँदनी और ईशा को पहले ही समझा दिया है की अभी के लिए ये सब ठीक है पर आगे चलकर तुम्हे लड़को में भी इंटेरेस्ट रखना होगा और उनसे ही शादी भी करनी होगी....और वो दोनों इसके लिए राजी भी हैं''
उसकी बात मेरी समझ में आ गयी....उसके बाद मैने ईशा और चाँदनी को नही रोका...अब तो वो दोनो दरवाजा खुला छोड़कर भी अपने कामो में लगे रहते थे....
और एक दिन तो उन्होने मुझे भी इस काम में शामिल कर लिया....शुरू में थोड़ा अजीब लगा पर जब उन दोनो ने उपर और नीचे दोनो जगह से मुझे चूसा तो एक अलग ही मज़ा मिला...शायद राजेश से इतने दिनों तक दूर रहने के बाद मेरे शरीर को भी इस प्यार की ज़रूरत थी....दोनो बच्चियों ने मुझे अच्छी तरह से चूम चाटकार वो प्यार दिया जिसके लिए मेरा बदन काफ़ी दिनों से तड़प रहा था.
पर एक औरत होने के नाते मुझे एक मर्द के प्यार की भी ज़रूरत थी, जिसके लिए मुझे राजेश के लंड का ही सहारा लेना पड़ता था ...हालाँकि वो थोड़े थके होते थे पर 15-20 दिन में एक आध बार उनसे चुदाई करवाकर और बाकी के दीनो मे चाँदनी और ईशा से बदन चुस्वाकार मेरे शरीर की ज़रूरत पूरी होने लगी...2 बार तो राधिका भी हमारे ग्रूप का हिस्सा बनी...उस पार्टी को शब्दो मे बयान करना काफ़ी मुश्किल है, पर वो एक अलग ही तरह का एक्सपीरियन्स था..बीच-2 में मैं और राधिका उन्हे समझाती भी रहती थी की ये उपर के प्यार मे कुछ नही रखा, असली मज़ा तो मर्द के लंड से ही मिल सकता है.
ऐसे करते-2 एग्जाम्स के बाद दोनो का कॉलेज में एडमिशन भी हो गया.
इसी बीच एक दिन राधिका ने मुझे एक सुझाव दिया...
मैं जिस तरह से राजेश के लंड की तारीफ अक्सर बच्चों और उसके सामने कर दिया करती थी तो उसने कहा की क्यों ना राजेश को भी इस खेल में शामिल किया जाए...मेरे लिए ये सोचना भी एक पाप जैसा था, पर राधिका के समझाने का तरीका ही ऐसा था की मैं भी सोचने पर विवश हो गयी
राधिका : "देखी रजनी, एक बार इन लड़कियो को किसी लंड की आदत पड़ गयी तो आजकल के लड़को को तो तुम जानती ही हो, उन्हे बस अपने मज़े से मतलब होता है...जैसे आज तक हमने इन्हे बचा कर रखा है वैसे ही आगे भी वो सेफ्टी बनी रहे और इन्हे लाइफ में दूसरे रिश्ते यानी मर्द के सुख से भी परिचित करवाए इसके लिए एक ही उपाय है, हमें राजेश को भी इसमें इन्वॉल्व करना होगा...मुझे पता है तुम्हारे लिए ये सोचना भी मुमकिन नही है की एक बाप अपनी ही बेटी को कैसे प्यार करेगा, पर मेरी बात मानो, एक जवान शरीर हर मर्द की कमज़ोरी होती है, और तुम्हारा पति भी कम ठरकी नही लगता मुझे, जब भी मिलता है तो उसकी आँखो में छुपी भूख मुझे सॉफ दिखाई देती है....हम लोग ट्राइ करेंगे, इसके लिए ईशा से पहले चाँदनी के साथ राजेश की सेट्टिंग करवाएँगे...उसने अगर अपनी तरफ से कोई पहल नही की तो हम ये आइडिया ड्रॉप कर देंगे...''
मैं तब तक समझ चुकी थी की ये बात तो सही है, ऐसा करने से कोई बदनामी भी नही होगी और घर की बात घर में ही रह जाएगी..
राधिका : और ये सब हमें प्लानिंग करके ही करना होगा ताकि उसे कोई शक ना हो, और सब कुछ ऐसा लगे जैसे ये अंजाने में ही हुआ है.''
उस वक़्त मुझे ये बात समझ नही आई पर राधिका ने कहा की वो वक़्त आने पर इस बात को संभाल लेगी.
[i]उसने एक बार ये भी पूछा था की राजेश को क्या पसंद है, तब मैंने उसे ईशा को हीरोइन बनाने के बारे में भी बताया था और शेफाली के प्रति राजेश के लगाव के बारे में भी..तभी वो समझ गयी की वही एक रास्ता है जिसका इस्तेमाल करके राजेश को इसमें इन्वॉल्व किया जा सकता है.
एक दिन राधिका घर आई और उसने मुझे समझाया की राजेश की ईशा को हीरोइन बनाने वाली बातों को सीरियसली लिया करे और ईशा को भी चांदनी की तरह कॉलेज ड्रामा में पार्ट लेने के लिए कहा ताकि राजेश को लगे की उसकी बातें मानी जा रही हैं.
पर अगले ही दिन राजेश के हॉस्पिटल जाने के बाद जब रजनी ने टीवी ओंन किया तो उसमे शेफाली की सुसाईड की न्यूज़ आ रही थी....इस न्यूज़ को देखकर मुझे लगा की हमारा सारा प्लान चोपट हो रहा है पर राधिका को जब फोन किया तो उसने कहा की ये तो एक ऑपर्चुनिटी है जिसका हमें इस्तेमाल करना है.
उसने समझाया की हम ऐसा माहौल क्रियेट करेंगे जिसमें राजेश को लगे की शेफाली की आत्मा अब उनके घर आ चुकी है....और वही ये सब करवा रही है....रही सही कसर उस पर्ल सेट ने पूरी कर दी जो राजेश हॉस्पिटल से चुरा कर ले आया था...राजेश ने जब वो सेट निकाल कर अपनी ड्रॉयर में रखा तो मैने उसे देख लिया, मैने जब वो ड्रॉयर खोली तो उसमें एक प्लास्टिक पाउच में वो सेट था, और उसपर शेफाली के नाम की स्लिप लगी थी, मुझे समझते देर नही लगी की ये उसकी बॉडी से उतरा हुआ सेट है जो मेरा भोला पति उसकी निशानी के तौर पर अपने साथ ले आया है...वैसे तो शेफाली की आत्मा का नाटक नॉर्मली ही स्टार्ट कर देना था पर अब इस सेट को एक जरिया बनाकर वो नाटक अच्छे से किया जा सकता था, बस मेरे दिमाग़ में उसी वक़्त एक प्लानिंग ने जन्म ले लिया और मैने वो सेट निकाल कर पहन लिया.
राजेश ने जब ये सब पड़ा तो उसने अपना माथा पीट लिया.....
और अपनी बीबी और राधिका के दिमाग़ की दाद भी दी उसने....
क्योंकि उसे उस दिन तो ये सब इत्तेफ़ाक ही लगा था जब रजनी ने वो सेट पहना था और रात को उसे चुदाई की एक अलग ही दुनिया दिखाई थी. तब राजेश को पगा था की उस सेट को पहनने की वजह से रजनी में ये चेंजेस आये हैं.
आगे के पेजस पर रजनी ने वही सब लिखा जो उसके साथ घटित हुआ था....
रजनी ने ये भी लिखा की अब खुलकर सैक्स करने की वजह से उसे भी काफ़ी अच्छा लग रहा था....
आजतक वो जिन बातो से शरमाती थी यानी कॉक सकिंग, और रेग्युलर सैक्स या और भी कुछ, वो सब अब काफ़ी अच्छा लगने लगा था उसे...राधिका को भी उसने जब पर्ल सेट के बारे में बताया तो उसने भी इस प्लान की तारीफ की....आगे रजनी ने लिखा था की उनका प्लान यही था की राजेश को इस बात का यकीन दिलाया जाए की जो भी उस सेट को पहन रहा है वो शेफाली की आत्मा की वजह से उसके साथ सैक्स करने को, हर तरह के मज़े लेने को तैयार है....इसलिए चाँदनी को भी वो सेट प्लान के अनुसार पहनाया गया और ईशा को भी....आगे चलकर शायद राधिका भी वो पहने.
राधिका के बारे में सोचकर ही राजेश के लंड ने फूलना शुरू कर दिया.
और अपने लंड को मसलते हुए वो बोला : "प्लान तो तुम सभी ने बहुत अच्छा बनाया है....और सबसे बड़ी बात मुझे इसमें मज़ा भी आ रहा है...पर अभी तक तुमने मुझे अपने इशारों पर नचाया है, अब मेरी बारी है....तुम्हारा प्लान अपने हिसाब से ही चलेगा पर होगा वही जैसा मैं चाहूँगा....क्योंकि अब मुझे भी इस बात का डर नही है की ईशा क्या सोचेगी...रजनी को पता चलेगा तो उसे कैसा लगेगा....बेटी की सहेली चाँदनी के साथ ऐसा कुछ करना सही नही होगा...या फिर एक डाइवोर्सी लेडी राधिका को पटाना एक डॉक्टर को शोभा नही देता....अब तो ये सब होगा भी और शोभा भी देगा...''
ये बुदबुदाते हुए उसने उस डायरी को एक कुटिल मुस्कान के साथ चूमा और उसे लेजाकर फिर से उसी जगह रख दिया जहाँ से उठाई थी.
अब पासा पलट चुका था....
जो शिकारी थे अब शिकार बन चुके थे
और शिकार अब शिकारी बनकर ये सोच रहा था की इस मौके का ज़्यादा से ज़्यादा फ़ायदा कैसे उठाया जाए.
आने वाले दिनों के बारे में सोचकर राजेश का लंड एकदम से टाइट होने लगा.[/i]
अब आगे
************
टोटल 3 डायरीस थी,
पहली 2 डायरीस में तो शादी के बाद से लेकर ईशा के जन्म तक की कहानी थी...
इसलिए उन्हे उपर-2 से पढ़कर राजेश ने 10 मिनट में ही तीसरी डायरी उठा ली, जो आधी से ज़्यादा भर चुकी थी...
इस डाइयरी में ही वो सभी राज थे जो राजेश के लिए एक पहेली बन चुके थे.
उसने पढ़ना शुरू किया , जिसमें रजनी ने लिखा था की
ईशा के जन्म के बाद मुझमें सैक्स की चाहत ख़त्म सी हो गयी है....
राजेश के कहने पर ही मैं बुझे मन से सैक्स किया करती थी वरना अंदर से मुझे कुछ फील ही नहीं होता था.
राजेश भी सोचकर उस वक़्त का अंदाज़ा लगाने की कोशिश करने लगा..
उसे याद आया की उन दिनों रजनी कैसे एकदम से सैक्स के नाम से दूर भागने लगी थी...
और शायद वही दौर था जब दोनो के बीच शारीरिक संबंधो में बदलाव आने शुरू हुए थे...
हालाँकि एक डॉक्टर होने के नाते वो भी जानता था की औरत के शरीर में प्रेगनेंसी के बाद हॉर्मोनल चेंजस आते है जिसमें ऐसा अक्सर होता है...
पर फिर भी एक ठरकी मर्द होने के नाते वो अपने लंड की ठरक दूर करने के लिए उसे अपने अनुसार ही पेलता रहता था.
आगे डाइरी में उसने लिखा था की कैसे रजनी ने अपनी लाइफ ईशा का इर्द गिर्द ही रखनी शुरू कर दी और इसी में उसे सबसे ज़्यादा खुशी मिलती थी...
अगले 15-20 पन्नो में उसकी जवानी की दहलीज तक पहुँचने का सफ़र था...
और आख़िरकार एक पन्ने पर आकर उसकी नज़रें रुक गयी.
ये 112th के बोर्ड एग्जाम्स के दिन थे जब ईशा और चाँदनी अक्सर घंटो तक एक दूसरे के साथ कमरे में बैठकर पढ़ा करती थी...
राजेश को भी याद आया की उन दोनो पर राजेश और रजनी ने कैसे प्रेशर बनाकर रखा हुआ था ताकि कॉलेज में एडमिशन के लिए अच्छे नंबर आए.
रजनी ने एक वाकये का ज़िक्र किया हुआ था उस पेज पर जब ईशा और चाँदनी रूम में बैठकर स्टडी कर रहे थे..
दोनो बच्चे रूम में बैठकर पढ़ रहे थे...मैं भी काफी थकी हुई थी इसलिए रूम में जाकर सो गयी जो मेरा रोज का नीयम था... अचानक मेरी नींद खुली क्योंकि मुझे ज़ोर से पेशाब आया था...अभी मुझे एक घंटा और सोना था, इसलिए जल्दी-2 पेशाब करके मैं बेड तक आई पर फिर सोचा की एक बार बच्चों से पूछ लेती हूँ की किसी चीज़ की ज़रूरत तो नही है, ये सोचकर मैं उनके रूम में गयी पर वो अंदर से लॉक था, वो पहले भी ऐसा अक्सर करते थे पर इसके लिए मैने उन्हे डाँटकर मना किया हुआ था, मैं जैसे ही दरवाजा खटकाने लगी तो अंदर से मुझे ईशा की सिसकारी सुनाई दी....मेरा दिल धक् से बैठ गया...उस सिसकारी की गहराई बता रही थी की अंदर क्या चल रहा है...मैं एक स्टूल उठा कर लाई और उसपर चड़कर दरवाजे के उपर बनी विंडो से अंदर झाँक कर देखा और अंदर का नज़ारा देखकर मेरा शक़ यकीन में बदल गया
चाँदनी और ईशा एकदम नंगी होकर बेड पर बैठी थी...
दोनो नंगी होकर एक दूसरे से चिपकी हुई बैठी थी और एक दूसरे के मुम्मे सहलाते हुए, स्मूच कर रही थी...बीच-2 में चाँदनी का हाथ ईशा की चूत को भी मसल रहा था जिसकी वजह से वो सिसकार रही थी....
ये देखकर मेरा पूरा शरीर काँप सा गया...मैं चेयर से गिरते-2 बची...नीचे उतरकर मैं वापिस रूम में गई और फफक-2 कर रोने लगी...ये सोचकर की आख़िर ये सब कब हुआ, कैसे हुआ, क्यों हुआ...उसकी बेटी एक लेस्बियन है.....ये कैसे हो सकता है...राजेश और उसके प्यार में क्या कमी रह गयी थी जो ईशा इस दिशा में चली गयी....माना की इस उम्र में प्यार और एट्रेक्शन होता है, सैक्स के प्रति जिज्ञासा रहती है, पर एक लड़की के साथ ...छी: ...वो ऐसा कर भी कैसे सकती है...
फिर मैने सोच लिया की शाम को चाँदनी के जाने के बाद वो ईशा को समझाएगी और फिर भी वो ना मानी तो राजेश के घर आने के बाद उसे ये सब बताएगी और ईशा की पिटाई करवाएगी...
राजेश भी ये सब पड़कर सोचने पर विवश हो गया की उसकी बेटी गे कैसे हो सकती है...
आगे रजनी ने लिखा
शाम को जब मैने ईशा को समझाने की कोशिश की तो उसने अलग ही रंग दिखना शुरू कर दिया...पहले तो ये जानकार वो डर गयी की मुझे उसका पता चल चुका है पर बाद में वो उस रिश्ते की तरफ़दारी करने लगी...दूसरे देशो के एग्ज़ाम्पल देने लगी...अपने देश के नये क़ानून के बारे में बताने लगी जिसमें सविधान में भी इस रिश्ते को स्वीकृति मिल चुकी थी...
पर बात क़ानून और सविधान की नही थी....दुनिया में क्या हो रहा है इस से मुझे कोई मतलब नही है, पर ये सब मेरे घर में नही होना चाहिए...शायद एक माँ होने के नाते या एक रूढ़िवादी परिवार में जन्म लेने के कारण मुझमें ये सब बाते अंदर तक समा चुकी थी.
वो जब नही मानी तो मैने अगले दिन ईशा के कॉलेज जाने के बाद चाँदनी की माँ राधिका को अपने घर पर बुलाया...मुझे लगा की अब इसके सिवा कोई और चारा नही रह गया है, पर मेरी लाइफ का सबसे बड़ा शॉक लगा जब मुझे पता चला की वो उन दोनो के रिश्ते के बारे में पहले से ही जानती है.
राधिका : "देखी रजनी, मैने पहले भी तुम्हे इस बारे में बताने की सोची थी पर मुझे पता था की तुम्हारे घर का माहौल अलग है, मैं तो सिंगल मॉम हूँ , अगर मेरी बेटी किसी लड़के के साथ चक्कर चलाए और कुछ उंच-नीच हो जाए तो मेरा तो कोई आगे है ना पीछे, मैं क्या करूँगी, चाँदनी को लड़को से दूर रखने की नसीहत देने वाला बाप भी नही है मेरे पास तो...पर यही काम अगर वो एक लड़की के साथ करती है तो इसमें मुझे कोई बुराई नही दिखती...ये सेफ भी है और दोनो के विचारो में अपनी सहमति जताकर हम इन बच्चों का भरोसा भी जीत सकते है....समझने की कोशिश करो रजनी, आजकल जमाना बदल रहा है....हमे भी बदलना होगा...मैने चाँदनी और ईशा को पहले ही समझा दिया है की अभी के लिए ये सब ठीक है पर आगे चलकर तुम्हे लड़को में भी इंटेरेस्ट रखना होगा और उनसे ही शादी भी करनी होगी....और वो दोनों इसके लिए राजी भी हैं''
उसकी बात मेरी समझ में आ गयी....उसके बाद मैने ईशा और चाँदनी को नही रोका...अब तो वो दोनो दरवाजा खुला छोड़कर भी अपने कामो में लगे रहते थे....
और एक दिन तो उन्होने मुझे भी इस काम में शामिल कर लिया....शुरू में थोड़ा अजीब लगा पर जब उन दोनो ने उपर और नीचे दोनो जगह से मुझे चूसा तो एक अलग ही मज़ा मिला...शायद राजेश से इतने दिनों तक दूर रहने के बाद मेरे शरीर को भी इस प्यार की ज़रूरत थी....दोनो बच्चियों ने मुझे अच्छी तरह से चूम चाटकार वो प्यार दिया जिसके लिए मेरा बदन काफ़ी दिनों से तड़प रहा था.
पर एक औरत होने के नाते मुझे एक मर्द के प्यार की भी ज़रूरत थी, जिसके लिए मुझे राजेश के लंड का ही सहारा लेना पड़ता था ...हालाँकि वो थोड़े थके होते थे पर 15-20 दिन में एक आध बार उनसे चुदाई करवाकर और बाकी के दीनो मे चाँदनी और ईशा से बदन चुस्वाकार मेरे शरीर की ज़रूरत पूरी होने लगी...2 बार तो राधिका भी हमारे ग्रूप का हिस्सा बनी...उस पार्टी को शब्दो मे बयान करना काफ़ी मुश्किल है, पर वो एक अलग ही तरह का एक्सपीरियन्स था..बीच-2 में मैं और राधिका उन्हे समझाती भी रहती थी की ये उपर के प्यार मे कुछ नही रखा, असली मज़ा तो मर्द के लंड से ही मिल सकता है.
ऐसे करते-2 एग्जाम्स के बाद दोनो का कॉलेज में एडमिशन भी हो गया.
इसी बीच एक दिन राधिका ने मुझे एक सुझाव दिया...
मैं जिस तरह से राजेश के लंड की तारीफ अक्सर बच्चों और उसके सामने कर दिया करती थी तो उसने कहा की क्यों ना राजेश को भी इस खेल में शामिल किया जाए...मेरे लिए ये सोचना भी एक पाप जैसा था, पर राधिका के समझाने का तरीका ही ऐसा था की मैं भी सोचने पर विवश हो गयी
राधिका : "देखी रजनी, एक बार इन लड़कियो को किसी लंड की आदत पड़ गयी तो आजकल के लड़को को तो तुम जानती ही हो, उन्हे बस अपने मज़े से मतलब होता है...जैसे आज तक हमने इन्हे बचा कर रखा है वैसे ही आगे भी वो सेफ्टी बनी रहे और इन्हे लाइफ में दूसरे रिश्ते यानी मर्द के सुख से भी परिचित करवाए इसके लिए एक ही उपाय है, हमें राजेश को भी इसमें इन्वॉल्व करना होगा...मुझे पता है तुम्हारे लिए ये सोचना भी मुमकिन नही है की एक बाप अपनी ही बेटी को कैसे प्यार करेगा, पर मेरी बात मानो, एक जवान शरीर हर मर्द की कमज़ोरी होती है, और तुम्हारा पति भी कम ठरकी नही लगता मुझे, जब भी मिलता है तो उसकी आँखो में छुपी भूख मुझे सॉफ दिखाई देती है....हम लोग ट्राइ करेंगे, इसके लिए ईशा से पहले चाँदनी के साथ राजेश की सेट्टिंग करवाएँगे...उसने अगर अपनी तरफ से कोई पहल नही की तो हम ये आइडिया ड्रॉप कर देंगे...''
मैं तब तक समझ चुकी थी की ये बात तो सही है, ऐसा करने से कोई बदनामी भी नही होगी और घर की बात घर में ही रह जाएगी..
राधिका : और ये सब हमें प्लानिंग करके ही करना होगा ताकि उसे कोई शक ना हो, और सब कुछ ऐसा लगे जैसे ये अंजाने में ही हुआ है.''
उस वक़्त मुझे ये बात समझ नही आई पर राधिका ने कहा की वो वक़्त आने पर इस बात को संभाल लेगी.
[i]उसने एक बार ये भी पूछा था की राजेश को क्या पसंद है, तब मैंने उसे ईशा को हीरोइन बनाने के बारे में भी बताया था और शेफाली के प्रति राजेश के लगाव के बारे में भी..तभी वो समझ गयी की वही एक रास्ता है जिसका इस्तेमाल करके राजेश को इसमें इन्वॉल्व किया जा सकता है.
एक दिन राधिका घर आई और उसने मुझे समझाया की राजेश की ईशा को हीरोइन बनाने वाली बातों को सीरियसली लिया करे और ईशा को भी चांदनी की तरह कॉलेज ड्रामा में पार्ट लेने के लिए कहा ताकि राजेश को लगे की उसकी बातें मानी जा रही हैं.
पर अगले ही दिन राजेश के हॉस्पिटल जाने के बाद जब रजनी ने टीवी ओंन किया तो उसमे शेफाली की सुसाईड की न्यूज़ आ रही थी....इस न्यूज़ को देखकर मुझे लगा की हमारा सारा प्लान चोपट हो रहा है पर राधिका को जब फोन किया तो उसने कहा की ये तो एक ऑपर्चुनिटी है जिसका हमें इस्तेमाल करना है.
उसने समझाया की हम ऐसा माहौल क्रियेट करेंगे जिसमें राजेश को लगे की शेफाली की आत्मा अब उनके घर आ चुकी है....और वही ये सब करवा रही है....रही सही कसर उस पर्ल सेट ने पूरी कर दी जो राजेश हॉस्पिटल से चुरा कर ले आया था...राजेश ने जब वो सेट निकाल कर अपनी ड्रॉयर में रखा तो मैने उसे देख लिया, मैने जब वो ड्रॉयर खोली तो उसमें एक प्लास्टिक पाउच में वो सेट था, और उसपर शेफाली के नाम की स्लिप लगी थी, मुझे समझते देर नही लगी की ये उसकी बॉडी से उतरा हुआ सेट है जो मेरा भोला पति उसकी निशानी के तौर पर अपने साथ ले आया है...वैसे तो शेफाली की आत्मा का नाटक नॉर्मली ही स्टार्ट कर देना था पर अब इस सेट को एक जरिया बनाकर वो नाटक अच्छे से किया जा सकता था, बस मेरे दिमाग़ में उसी वक़्त एक प्लानिंग ने जन्म ले लिया और मैने वो सेट निकाल कर पहन लिया.
राजेश ने जब ये सब पड़ा तो उसने अपना माथा पीट लिया.....
और अपनी बीबी और राधिका के दिमाग़ की दाद भी दी उसने....
क्योंकि उसे उस दिन तो ये सब इत्तेफ़ाक ही लगा था जब रजनी ने वो सेट पहना था और रात को उसे चुदाई की एक अलग ही दुनिया दिखाई थी. तब राजेश को पगा था की उस सेट को पहनने की वजह से रजनी में ये चेंजेस आये हैं.
आगे के पेजस पर रजनी ने वही सब लिखा जो उसके साथ घटित हुआ था....
रजनी ने ये भी लिखा की अब खुलकर सैक्स करने की वजह से उसे भी काफ़ी अच्छा लग रहा था....
आजतक वो जिन बातो से शरमाती थी यानी कॉक सकिंग, और रेग्युलर सैक्स या और भी कुछ, वो सब अब काफ़ी अच्छा लगने लगा था उसे...राधिका को भी उसने जब पर्ल सेट के बारे में बताया तो उसने भी इस प्लान की तारीफ की....आगे रजनी ने लिखा था की उनका प्लान यही था की राजेश को इस बात का यकीन दिलाया जाए की जो भी उस सेट को पहन रहा है वो शेफाली की आत्मा की वजह से उसके साथ सैक्स करने को, हर तरह के मज़े लेने को तैयार है....इसलिए चाँदनी को भी वो सेट प्लान के अनुसार पहनाया गया और ईशा को भी....आगे चलकर शायद राधिका भी वो पहने.
राधिका के बारे में सोचकर ही राजेश के लंड ने फूलना शुरू कर दिया.
और अपने लंड को मसलते हुए वो बोला : "प्लान तो तुम सभी ने बहुत अच्छा बनाया है....और सबसे बड़ी बात मुझे इसमें मज़ा भी आ रहा है...पर अभी तक तुमने मुझे अपने इशारों पर नचाया है, अब मेरी बारी है....तुम्हारा प्लान अपने हिसाब से ही चलेगा पर होगा वही जैसा मैं चाहूँगा....क्योंकि अब मुझे भी इस बात का डर नही है की ईशा क्या सोचेगी...रजनी को पता चलेगा तो उसे कैसा लगेगा....बेटी की सहेली चाँदनी के साथ ऐसा कुछ करना सही नही होगा...या फिर एक डाइवोर्सी लेडी राधिका को पटाना एक डॉक्टर को शोभा नही देता....अब तो ये सब होगा भी और शोभा भी देगा...''
ये बुदबुदाते हुए उसने उस डायरी को एक कुटिल मुस्कान के साथ चूमा और उसे लेजाकर फिर से उसी जगह रख दिया जहाँ से उठाई थी.
अब पासा पलट चुका था....
जो शिकारी थे अब शिकार बन चुके थे
और शिकार अब शिकारी बनकर ये सोच रहा था की इस मौके का ज़्यादा से ज़्यादा फ़ायदा कैसे उठाया जाए.
आने वाले दिनों के बारे में सोचकर राजेश का लंड एकदम से टाइट होने लगा.[/i]