28-03-2021, 09:37 AM
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अब आगे
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शायद ये पल राजेश की लाइफ का सबसे गांड फाड़ू पल था,
उसकी वाइफ ने आज तक उसपर शक नही किया था क्योंकि राजेश ने ऐसा कोई मौका ही नही दिया था उसे,
और आज वो रंगे हाथो पकड़ा गया था अपनी बीबी के सामने
और वो भी अपनी नंगी बेटी के साथ......
रजनी ने फिर से ईशा को झींझोड़ा और फुसफुसाई : "ईशा.....ओ ईशा.....उठ....खड़ी हो...''
ईशा की गहरी साँसे राजेश की गर्दन पर पड़ रही थी....
उसने ऊंघते हुए अपनी आँखे खोली और बुदबुदाई : "क्या है मोम ....क्यूँ उठा रहे हो....''
रजनी : "चल उठ, मेरे साथ बाहर आ ड्राइंग रूम में....''
और इतना कहकर वो बाहर निकल गयी....
राजेश भी अपनी अधखुली आँखो से हैरान परेशान होकर उसे जाते हुए देखता रहा..
और वो हैरान परेशन इसलिए था की रजनी ने कुछ बोला क्यों नही,
उन दोनो को ऐसी हालत में सोते देखने के बाद भी उसका रिएक्शन एकदम शांत सा था...
और तो और वो फुसफुसा कर बाते कर रही थी ताकि राजेश की नींद ना खराब हो जाए...
और फिर अचानक उसे फिर से शेफाली का ध्यान आया और इन सब बातों को शेफाली की मेहरबानी समझ कर अपने विचारों पर विराम लगा दिया.
तब तक ईशा उठ चुकी थी...
और उठकर अपने कपड़े देख रही थी जो पूरे कमरे में इधर उधर फेले पड़े थे...
उसकी हालत भी कुछ ऐसी ही थी, बिखरी हुई सी, पर इस हालत में वो और भी ज़्यादा सैक्सी दिख रही थी.
उसे शायद फिर से कपड़े पहनने का आलस आ रहा था इसलिए वो ऐसे ही उठी, एक नज़र उसने सोते हुए राजेश पर डाली और नंगी ही बाहर की तरफ चल दी..हालाँकि उसके पैर में प्लास्टर लगा था, पर एक पैर को मोड़कर वो राजेश की लाई बैसाखी के सहारे चलती हुई बाहर आ गयी.
राजेश भी तुरंत उठा और बंद दरवाजे के पीछे से बाहर ड्राइंग रूम का नज़ारा देखने लगा,
उसके मन में भी उत्सुकतता थी की आख़िर वो इतनी रात को ईशा को ऐसे बाहर क्यों बुला रही है..
बाहर रजनी एक सोफे पर बैठी उसका ही इंतजार कर रही थी, उसे ऐसे नंगी ही बाहर आते देखकर वो मुस्कुराइ और उठकर उसे गले से लगा लिया.. और फिर उसे अपनी गोद में लेकर बैठ गयी...
माँ बेटी का ऐसा प्यार देखकर राजेश भी हैरान हो रहा था..
रजनी ने उसके फूल जैसे नर्म मुम्मो पर लगे राजेश के दांतो के निशान देखे और बोली : "देखा, मैने कहा था ना , पापा के दांतो से बचकर रहना, काफ़ी तेज है वो,ख़ासकर आगे के दो दाँत, देख मुझे भी काटा था कल...''
इतने कहते हुए रजनी ने अपने गाउन की सामने वाली जीप नीचे की और अपना दांया मुम्मा बाहर निकाल कर उसपे लगे राजेश के दांतो के निशान दिखाने लगी..
ईशा ने हंसते हुए अपनी मोम के निशान को सहलाया और बोली : "इस दर्द में भी अपना ही मज़ा है मॉम ..जैसे भी है ये निशान, इन्हे महसूस करके बहुत अच्छा फील हुआ...''
रजनी भी मुस्कुराइ और बोली : "अच्छा छोड़ ये सब, पहले बता की हुआ या नही...''
ईशा (थोड़ा मायूस सा चेहरा बनाकर बोली ) : "नही मॉम ...आज रात नही हुआ...इन्फेक्ट पापा ने पूछा भी था, और मैने हां भी कर दी थी, पर पता नही क्यों सिर्फ़ सकिंग करके ही सो गये वो...मैं भी काफ़ी थक गयी थी इसलिए नींद आ गयी वरना पापा को सोने नही देती जब तक वो मेरी वर्जिनिटी नही ले लेते...''
ये सब बाते दोनो इतने आराम से कर रही थी मानो रात को क्या पकना है ये डिसकस कर रहे हो...
और राजेश उनकी बाते सुनकर फिर से उसी हैरानी परेशानी में डूबने लगा जो उसे थोड़ी देर पहले महसूस हुई थी.
रजनी : "कोई बात नही....आज नही तो कल वो कर ही लेंगे...अब जब हमने इतनी मेहनत से ये सब प्लान किया है तो ऐसे ही थोड़े जाने देंगे, असली चुदाई का मज़ा ज़रूर मिलेगा तुझे...''
ईशा भी आँखे चमकाती हुई बोली : "हाँ बिल्कुल, जैसा मज़ा आप ले रहे हो आजकल, दिन रात...''
ये सुनकर दोनो माँ बेटियाँ ज़ोर-2 से हँसने लगी....
और राजेश बेचारा चूतिया सा बनकर उनकी बाते सुनता रहा और समझने की कोशिश करने लगा की आख़िर ये हो क्या रहा है..
जब उन्होने हँसना बंद किया तो ईशा बोली : "मॉम, आपने और राधिका ऑन्टी ने मिलकर जो ये प्लान बनाया है ना, इसमे मज़ा भी बहुत आ रहा है, और रोमांच भी फील हो रहा है...''
राजेश ने जब राधिका आंटी का नाम सुना तो उसका माथा ठनका,
ये तो चाँदनी की माँ का नाम है,
ईशा और चाँदनी तो काफ़ी सालो से दोस्त है और अक्सर ईशा को छोड़ने या लेने जब भी वो चाँदनी के घर जाता तो राधिका उसे ज़रूर मिलती,
और क्या माल है वो,
एकदम गदराया हुआ सा बदन था उसका...
डाइवोरसी थी और एक प्राइवेट कॉलेज में टीचर थी
घर में सिर्फ़ वो अपनी बेटी के साथ ही रहती थी
राजेश का मन कई बार हुआ की उसके उपर लाइन मारके देखे, पर अपनी ही बेटी की सहेली की माँ के साथ ऐसा कुछ करना उसे शोभा नही देता था, इसलिए बेचारा कुछ नही कर पाया था आज तक..
अक्सर वो फॅमिली गेट-टुगेदर में भी मिला करती थी और शायद इसलिए रजनी की भी ख़ास सहेली बन चुकी थी वो..
पर ईशा ये क्या बोल रही थी अभी, की राधिका आंटी के साथ मिलकर अच्छा प्लान बनाया रजनी ने...
अब तो उसे दाल में कुछ काला लग रहा था..
रजनी ने ईशा की बात सुनी और बोली : "बैबी, ये सब तो तुम्ही दोनो के लिए किया है हम दोनो ने...''
तुम्ही दोनो याहि ईशा और चाँदनी के लिए...
तो इसका मतलब ये सब प्लान था...
कल वो चांदनी का घर पर रुकना और उसके साथ मजे लेना और आज की रात ईशा का उसके साथ मजे लेना ?
पर कैसे ??
ये कैसे हो सकता है आख़िर..???
राजेश को तो लग रहा था की ये सब शेफाली का पर्ल सेट और उसकी आत्मा का असर होने की वजह से है...
तो क्या वो सब ग़लत था...
और उसकी बात को अगले ही पल ईशा ने साबित भी कर दिया
ईशा : "हम दोनो के लिए भी किया और अपने आप के लिए भी....है ना...हे हे''
ईशा की बात सुनके रजनी फिर से मुस्कुरा उठी और बोली : "ये तो बस यूँ समझ लो की पापा के उस हेरोयिन के साथ लगाव का फायदा उठाकर और उसके भूत के चक्कर मे फँसाकर ये सब करवाया है...सो ऐक्चुयल में तो हम सभी को शेफाली को थेंक्स बोलना चाहिए...''
इतना कहकर वो दोनो उपर मुँह करके बोली : "थेंक्स शेफाली''
और एक बार फिर से दोनो की हँसी पूरे घर में गूँज गयी...
अब तो राजेश को पक्का विश्वास हो चुका था की वो एक बहुत बड़े षड्यंत्र का शिकार बन चूका है ...
हालाँकि इसमें उसका कोई नुकसान नही था,
बल्कि इस प्लानिंग का विक्टिम बनकर भी उसे फायदा ही हुआ था....
अपनी बीबी के बदले हुए रूप का,
चाँदनी और ईशा के जवान जिस्म को भोगने का मौका जो मिला था उसे...
पर उन्होने ऐसा क्यों किया.....
और उन्होने शेफाली के नाम का फायदा उठाकर इतनी सफाई से ये सब कैसे किया की उसे भी भनक तक नही लग पाई की वो सब एक्टिंग कर रहे थे.
उसे अपना माथा घूमता था सा प्रतीत हुआ,
शेफाली तो फ़िल्मो में काम करती थी
पर आज उसकी लाइफ खुद एक फिल्म की स्टोरी बनकर रह गयी थी,
ऐसी स्टोरी जिसमें सैक्स था
सस्पेंस था
हॉरर था
यानी कुल मिलाकर एक धमाकेदार स्टोरी का हीरो बन चुका था वो.
पर अभी भी कई सवाल थे जिनका जवाब मिलना बहुत ज़रूरी था,
और इसका सिर्फ़ एक ही उपाय था...
रजनी की डाइयरी.
जी हाँ , रजनी के पास एक डायरी थी जिसमें वो अपनी लाइफ की आप बीती और ख़ास चीज़े लिखा करती थी,
ये अलग बात थी की आज तक उसे वो डाइरी देखने का मौका नही मिला था,
शादी के बाद वो 2 डायरियां भर चुकी थी और आजकल तीसरी चल रही थी,
यानी इतने सालो का लेखा जोखा उसकी डाइरी में क़ैद था,
राजेश ने भी आज तक उसे देखने की जिद्द नही की थी क्योंकि एक समझदार पति होने का फ़र्ज़ वो अपनी तरफ से निभाना चाहता था...
पर इसके बावजूद भी रजनी उन डाइरीस को अपनी अलमारी की सेफ में लॉक करके ही रखती थी...
जिसकी चाभी उसके पर्स में रहती थी.
वो ये सोचे जा रहा था और बाहर एक अलग ही लीला शुरू हो चुकी थी..
रजनी ने अपनी गोद में बैठी ईशा के बूब्स को सहलाते-2 उसे पीना भी शुरू कर दिया था...
ये शायद राजेश को अपनी लाइफ का सबसे बड़ा उलटफेर देखने को मिला था
जिसमें एक माँ अपनी ही बेटी का दूध पी रही थी...
और अपनी मस्त चुचियाँ पिलाते हुए ईशा भी अजीब तरह से पीछे सिर करके सिसकारियाँ मार रही थी...
वैसे एक बात तो सच है दोस्तो, एक औरत को कैसे सक्क और किस्स करना है ये दूसरी औरत को ज्यादा अच्छे से पता होता है.
अपने होंठो, दांतो और जीभ का दबाव किस पॉइंट पर कितना रखना है ये उनसे अच्छा कोई मर्द भी नही जान सकता क्योंकि ऐसा करते हुए वो सामने वाले के बदले अपने शरीर पर उस प्रभाव को महसूस करते है, वो उसे उतना ही चूसते और चुभलाते है जितना खुद को अच्छा लगता है...
और शायद यही कारण था की इस वक़्त ईशा भी कुछ ज़्यादा ही सैक्सी तरीके से सिसकारियाँ मार रही थी,
इतनी तो उसने अपने पापा की गोद में बैठकर नही मारी थी जितनी अपनी माँ की गोद में बैठकर मार रही थी..
रजनी का भी एक मुम्मा अभी तक बाहर ही लटका हुआ था, ईशा ने नीचे होते हुए उसे अपने मुँह में लिया और एक बार फिर से रजनी को 15 साल पीछे ले गयी जब वो उसे अपना दूध पिलाया करती थी...
रजनी भी उन चिर-परिचित होंठो के एहसास को महसूस करके ईशा को अपनी छाती की ओर भींच सी रही थी..
''आआआआआआआआअहह........ मेरी बच्चीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई उम्म्म्ममममममममममममममममममममम......चूसssssssss ज़ोर से....''
रजनी के ऐसा कहने की देर थी और ईशा ने खड़े होकर अपनी माँ का गाउन निकाल फेंका और उसे भी अपनी तरह नंगा कर दिया....
कमरे की मद्धम रोशनी में रजनी का मांसल बदन जगमग करके नहा उठा...
रजनी ने आँखो का इशारा करके ईशा को अपने बेडरूम में आने को कहा, और वो दोनो एक दूसरे का हाथ पकड़कर राजेश और रजनी के बेडरूम में आ गये...
पीछे-2 राजेश भी ईशा के बेडरूम से निकलकर बाहर आया, उसे अपने बेडरूम का दरवाजा खुला हुआ ही मिला, दोनो माँ बेटियों को बहुत जल्दी थी एक दूसरे को प्यार करने की शायद.
अंदर का नज़ारा देखा तो उसके लंड ने अंगड़ाइयां लेनी शुरू कर दी,
रजनी ने अपनी जवान बेटी को काम पर लगा दिया था,
उसने ईशा के सिर को पकड़कर अपनी चूत पर दबा रखा था जिसे ईशा बड़ी उत्तेजना के साथ चूस रही थी.
ये थी मॉडर्न जमाने की औलाद,
जो कुछ देर पहले पापा का लंड चूस कर आई थी और अब अपनी माँ की चूत चूस रही थी..
रजनी की चूत का बाँध शायद शाम से ही बँधा सा पड़ा था जब से उसने राजेश को ईशा के साथ सोने के लिए भेजा था, और उन बाप बेटी की चुदाई को सोचकर ही वो अंदर से भरी पड़ी थी,
सुबह का भी इंतजार नही हुआ था उससे ,
इसलिए रात को ही उसे उठाकर बाहर ले गयी ये पता करने की उसकी ठुकाई हुई या नही...
सच में , राजेश को इन माँ बेटी के रिश्ते की गहराई का अंदाज़ा भी नही था.
पर इस वक़्त तो ईशा ठुकाई कर रही थी रजनी की चूत की,
अपनी नन्ही सी जीभ से...
वो जीभ उसकी चूत में किसी ड्रिल की तरह अंदर बाहर कर रही थी और हर बार खुदाई के रूप में ढेर सारा शहद निकाल कर बाहर ले आती...
ये रसीली लड़ाई करीब 10 मिनट तक चली और उसके परिणामस्वरूप जब रजनी झड़ी तो उसने एक जोरदार बौछार मारकर ईशा के चेहरे को भिगो डाला...
''आआआआआआआआआआआआहह मेरी जाआआआआन...... उम्म्म्ममममममममममममममम..............''
इतना कहकर वो वहीं गिर पड़ी...
और ईशा अपने चेहरे की मलाई सॉफ करते हुए उपर तक आई और अपने नंगे जिस्म को अपनी माँ के नंगे बदन के साथ मिलाकर उनसे लिपटकर सो गयी...
ईशा तो पहले ही 2 बार झड़ चुकी थी इसलिए उसमे अब और हिम्मत नही थी अपनी चूत की खुदाई करवाने की,
और जैसा उसके रूम में हुआ था, बाप बेटी के साथ,
वैसा ही अब इस रूम में माँ बेटी कर रही थी
सैक्स के बवंडर के निकल जाने के बाद दोनों एक दूसरे से लिपटकर सो गये.
पर राजेश के दिमाग़ में अब चैन नही था....
उसे तो इस षड्यंत्र की तह तक जाना था और इसके लिए उसे वो डायरीस पढ़नी ज़रूरी थी,
वो किचन में गया जहाँ फ्रिज के उपर रजनी का पर्स रखा रहता था, उसमें से उसने चाभी निकाली , और फर्स्ट फ्लोर में पड़ी रजनी की अलमारी खोली और वो तीनो डाइयरीस निकाल कर ले आया, जिसमें वो सारे राज दफ़न थे और अपने रूम का दरवाजा अंदर से लॉक करके उन्हे पढ़ना शुरू कर दिया..
आज की रात उन्हे पढ़कर कई राज से परदे उठने वाले थे.
अब आगे
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शायद ये पल राजेश की लाइफ का सबसे गांड फाड़ू पल था,
उसकी वाइफ ने आज तक उसपर शक नही किया था क्योंकि राजेश ने ऐसा कोई मौका ही नही दिया था उसे,
और आज वो रंगे हाथो पकड़ा गया था अपनी बीबी के सामने
और वो भी अपनी नंगी बेटी के साथ......
रजनी ने फिर से ईशा को झींझोड़ा और फुसफुसाई : "ईशा.....ओ ईशा.....उठ....खड़ी हो...''
ईशा की गहरी साँसे राजेश की गर्दन पर पड़ रही थी....
उसने ऊंघते हुए अपनी आँखे खोली और बुदबुदाई : "क्या है मोम ....क्यूँ उठा रहे हो....''
रजनी : "चल उठ, मेरे साथ बाहर आ ड्राइंग रूम में....''
और इतना कहकर वो बाहर निकल गयी....
राजेश भी अपनी अधखुली आँखो से हैरान परेशान होकर उसे जाते हुए देखता रहा..
और वो हैरान परेशन इसलिए था की रजनी ने कुछ बोला क्यों नही,
उन दोनो को ऐसी हालत में सोते देखने के बाद भी उसका रिएक्शन एकदम शांत सा था...
और तो और वो फुसफुसा कर बाते कर रही थी ताकि राजेश की नींद ना खराब हो जाए...
और फिर अचानक उसे फिर से शेफाली का ध्यान आया और इन सब बातों को शेफाली की मेहरबानी समझ कर अपने विचारों पर विराम लगा दिया.
तब तक ईशा उठ चुकी थी...
और उठकर अपने कपड़े देख रही थी जो पूरे कमरे में इधर उधर फेले पड़े थे...
उसकी हालत भी कुछ ऐसी ही थी, बिखरी हुई सी, पर इस हालत में वो और भी ज़्यादा सैक्सी दिख रही थी.
उसे शायद फिर से कपड़े पहनने का आलस आ रहा था इसलिए वो ऐसे ही उठी, एक नज़र उसने सोते हुए राजेश पर डाली और नंगी ही बाहर की तरफ चल दी..हालाँकि उसके पैर में प्लास्टर लगा था, पर एक पैर को मोड़कर वो राजेश की लाई बैसाखी के सहारे चलती हुई बाहर आ गयी.
राजेश भी तुरंत उठा और बंद दरवाजे के पीछे से बाहर ड्राइंग रूम का नज़ारा देखने लगा,
उसके मन में भी उत्सुकतता थी की आख़िर वो इतनी रात को ईशा को ऐसे बाहर क्यों बुला रही है..
बाहर रजनी एक सोफे पर बैठी उसका ही इंतजार कर रही थी, उसे ऐसे नंगी ही बाहर आते देखकर वो मुस्कुराइ और उठकर उसे गले से लगा लिया.. और फिर उसे अपनी गोद में लेकर बैठ गयी...
माँ बेटी का ऐसा प्यार देखकर राजेश भी हैरान हो रहा था..
रजनी ने उसके फूल जैसे नर्म मुम्मो पर लगे राजेश के दांतो के निशान देखे और बोली : "देखा, मैने कहा था ना , पापा के दांतो से बचकर रहना, काफ़ी तेज है वो,ख़ासकर आगे के दो दाँत, देख मुझे भी काटा था कल...''
इतने कहते हुए रजनी ने अपने गाउन की सामने वाली जीप नीचे की और अपना दांया मुम्मा बाहर निकाल कर उसपे लगे राजेश के दांतो के निशान दिखाने लगी..
ईशा ने हंसते हुए अपनी मोम के निशान को सहलाया और बोली : "इस दर्द में भी अपना ही मज़ा है मॉम ..जैसे भी है ये निशान, इन्हे महसूस करके बहुत अच्छा फील हुआ...''
रजनी भी मुस्कुराइ और बोली : "अच्छा छोड़ ये सब, पहले बता की हुआ या नही...''
ईशा (थोड़ा मायूस सा चेहरा बनाकर बोली ) : "नही मॉम ...आज रात नही हुआ...इन्फेक्ट पापा ने पूछा भी था, और मैने हां भी कर दी थी, पर पता नही क्यों सिर्फ़ सकिंग करके ही सो गये वो...मैं भी काफ़ी थक गयी थी इसलिए नींद आ गयी वरना पापा को सोने नही देती जब तक वो मेरी वर्जिनिटी नही ले लेते...''
ये सब बाते दोनो इतने आराम से कर रही थी मानो रात को क्या पकना है ये डिसकस कर रहे हो...
और राजेश उनकी बाते सुनकर फिर से उसी हैरानी परेशानी में डूबने लगा जो उसे थोड़ी देर पहले महसूस हुई थी.
रजनी : "कोई बात नही....आज नही तो कल वो कर ही लेंगे...अब जब हमने इतनी मेहनत से ये सब प्लान किया है तो ऐसे ही थोड़े जाने देंगे, असली चुदाई का मज़ा ज़रूर मिलेगा तुझे...''
ईशा भी आँखे चमकाती हुई बोली : "हाँ बिल्कुल, जैसा मज़ा आप ले रहे हो आजकल, दिन रात...''
ये सुनकर दोनो माँ बेटियाँ ज़ोर-2 से हँसने लगी....
और राजेश बेचारा चूतिया सा बनकर उनकी बाते सुनता रहा और समझने की कोशिश करने लगा की आख़िर ये हो क्या रहा है..
जब उन्होने हँसना बंद किया तो ईशा बोली : "मॉम, आपने और राधिका ऑन्टी ने मिलकर जो ये प्लान बनाया है ना, इसमे मज़ा भी बहुत आ रहा है, और रोमांच भी फील हो रहा है...''
राजेश ने जब राधिका आंटी का नाम सुना तो उसका माथा ठनका,
ये तो चाँदनी की माँ का नाम है,
ईशा और चाँदनी तो काफ़ी सालो से दोस्त है और अक्सर ईशा को छोड़ने या लेने जब भी वो चाँदनी के घर जाता तो राधिका उसे ज़रूर मिलती,
और क्या माल है वो,
एकदम गदराया हुआ सा बदन था उसका...
डाइवोरसी थी और एक प्राइवेट कॉलेज में टीचर थी
घर में सिर्फ़ वो अपनी बेटी के साथ ही रहती थी
राजेश का मन कई बार हुआ की उसके उपर लाइन मारके देखे, पर अपनी ही बेटी की सहेली की माँ के साथ ऐसा कुछ करना उसे शोभा नही देता था, इसलिए बेचारा कुछ नही कर पाया था आज तक..
अक्सर वो फॅमिली गेट-टुगेदर में भी मिला करती थी और शायद इसलिए रजनी की भी ख़ास सहेली बन चुकी थी वो..
पर ईशा ये क्या बोल रही थी अभी, की राधिका आंटी के साथ मिलकर अच्छा प्लान बनाया रजनी ने...
अब तो उसे दाल में कुछ काला लग रहा था..
रजनी ने ईशा की बात सुनी और बोली : "बैबी, ये सब तो तुम्ही दोनो के लिए किया है हम दोनो ने...''
तुम्ही दोनो याहि ईशा और चाँदनी के लिए...
तो इसका मतलब ये सब प्लान था...
कल वो चांदनी का घर पर रुकना और उसके साथ मजे लेना और आज की रात ईशा का उसके साथ मजे लेना ?
पर कैसे ??
ये कैसे हो सकता है आख़िर..???
राजेश को तो लग रहा था की ये सब शेफाली का पर्ल सेट और उसकी आत्मा का असर होने की वजह से है...
तो क्या वो सब ग़लत था...
और उसकी बात को अगले ही पल ईशा ने साबित भी कर दिया
ईशा : "हम दोनो के लिए भी किया और अपने आप के लिए भी....है ना...हे हे''
ईशा की बात सुनके रजनी फिर से मुस्कुरा उठी और बोली : "ये तो बस यूँ समझ लो की पापा के उस हेरोयिन के साथ लगाव का फायदा उठाकर और उसके भूत के चक्कर मे फँसाकर ये सब करवाया है...सो ऐक्चुयल में तो हम सभी को शेफाली को थेंक्स बोलना चाहिए...''
इतना कहकर वो दोनो उपर मुँह करके बोली : "थेंक्स शेफाली''
और एक बार फिर से दोनो की हँसी पूरे घर में गूँज गयी...
अब तो राजेश को पक्का विश्वास हो चुका था की वो एक बहुत बड़े षड्यंत्र का शिकार बन चूका है ...
हालाँकि इसमें उसका कोई नुकसान नही था,
बल्कि इस प्लानिंग का विक्टिम बनकर भी उसे फायदा ही हुआ था....
अपनी बीबी के बदले हुए रूप का,
चाँदनी और ईशा के जवान जिस्म को भोगने का मौका जो मिला था उसे...
पर उन्होने ऐसा क्यों किया.....
और उन्होने शेफाली के नाम का फायदा उठाकर इतनी सफाई से ये सब कैसे किया की उसे भी भनक तक नही लग पाई की वो सब एक्टिंग कर रहे थे.
उसे अपना माथा घूमता था सा प्रतीत हुआ,
शेफाली तो फ़िल्मो में काम करती थी
पर आज उसकी लाइफ खुद एक फिल्म की स्टोरी बनकर रह गयी थी,
ऐसी स्टोरी जिसमें सैक्स था
सस्पेंस था
हॉरर था
यानी कुल मिलाकर एक धमाकेदार स्टोरी का हीरो बन चुका था वो.
पर अभी भी कई सवाल थे जिनका जवाब मिलना बहुत ज़रूरी था,
और इसका सिर्फ़ एक ही उपाय था...
रजनी की डाइयरी.
जी हाँ , रजनी के पास एक डायरी थी जिसमें वो अपनी लाइफ की आप बीती और ख़ास चीज़े लिखा करती थी,
ये अलग बात थी की आज तक उसे वो डाइरी देखने का मौका नही मिला था,
शादी के बाद वो 2 डायरियां भर चुकी थी और आजकल तीसरी चल रही थी,
यानी इतने सालो का लेखा जोखा उसकी डाइरी में क़ैद था,
राजेश ने भी आज तक उसे देखने की जिद्द नही की थी क्योंकि एक समझदार पति होने का फ़र्ज़ वो अपनी तरफ से निभाना चाहता था...
पर इसके बावजूद भी रजनी उन डाइरीस को अपनी अलमारी की सेफ में लॉक करके ही रखती थी...
जिसकी चाभी उसके पर्स में रहती थी.
वो ये सोचे जा रहा था और बाहर एक अलग ही लीला शुरू हो चुकी थी..
रजनी ने अपनी गोद में बैठी ईशा के बूब्स को सहलाते-2 उसे पीना भी शुरू कर दिया था...
ये शायद राजेश को अपनी लाइफ का सबसे बड़ा उलटफेर देखने को मिला था
जिसमें एक माँ अपनी ही बेटी का दूध पी रही थी...
और अपनी मस्त चुचियाँ पिलाते हुए ईशा भी अजीब तरह से पीछे सिर करके सिसकारियाँ मार रही थी...
वैसे एक बात तो सच है दोस्तो, एक औरत को कैसे सक्क और किस्स करना है ये दूसरी औरत को ज्यादा अच्छे से पता होता है.
अपने होंठो, दांतो और जीभ का दबाव किस पॉइंट पर कितना रखना है ये उनसे अच्छा कोई मर्द भी नही जान सकता क्योंकि ऐसा करते हुए वो सामने वाले के बदले अपने शरीर पर उस प्रभाव को महसूस करते है, वो उसे उतना ही चूसते और चुभलाते है जितना खुद को अच्छा लगता है...
और शायद यही कारण था की इस वक़्त ईशा भी कुछ ज़्यादा ही सैक्सी तरीके से सिसकारियाँ मार रही थी,
इतनी तो उसने अपने पापा की गोद में बैठकर नही मारी थी जितनी अपनी माँ की गोद में बैठकर मार रही थी..
रजनी का भी एक मुम्मा अभी तक बाहर ही लटका हुआ था, ईशा ने नीचे होते हुए उसे अपने मुँह में लिया और एक बार फिर से रजनी को 15 साल पीछे ले गयी जब वो उसे अपना दूध पिलाया करती थी...
रजनी भी उन चिर-परिचित होंठो के एहसास को महसूस करके ईशा को अपनी छाती की ओर भींच सी रही थी..
''आआआआआआआआअहह........ मेरी बच्चीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई उम्म्म्ममममममममममममममममममममम......चूसssssssss ज़ोर से....''
रजनी के ऐसा कहने की देर थी और ईशा ने खड़े होकर अपनी माँ का गाउन निकाल फेंका और उसे भी अपनी तरह नंगा कर दिया....
कमरे की मद्धम रोशनी में रजनी का मांसल बदन जगमग करके नहा उठा...
रजनी ने आँखो का इशारा करके ईशा को अपने बेडरूम में आने को कहा, और वो दोनो एक दूसरे का हाथ पकड़कर राजेश और रजनी के बेडरूम में आ गये...
पीछे-2 राजेश भी ईशा के बेडरूम से निकलकर बाहर आया, उसे अपने बेडरूम का दरवाजा खुला हुआ ही मिला, दोनो माँ बेटियों को बहुत जल्दी थी एक दूसरे को प्यार करने की शायद.
अंदर का नज़ारा देखा तो उसके लंड ने अंगड़ाइयां लेनी शुरू कर दी,
रजनी ने अपनी जवान बेटी को काम पर लगा दिया था,
उसने ईशा के सिर को पकड़कर अपनी चूत पर दबा रखा था जिसे ईशा बड़ी उत्तेजना के साथ चूस रही थी.
ये थी मॉडर्न जमाने की औलाद,
जो कुछ देर पहले पापा का लंड चूस कर आई थी और अब अपनी माँ की चूत चूस रही थी..
रजनी की चूत का बाँध शायद शाम से ही बँधा सा पड़ा था जब से उसने राजेश को ईशा के साथ सोने के लिए भेजा था, और उन बाप बेटी की चुदाई को सोचकर ही वो अंदर से भरी पड़ी थी,
सुबह का भी इंतजार नही हुआ था उससे ,
इसलिए रात को ही उसे उठाकर बाहर ले गयी ये पता करने की उसकी ठुकाई हुई या नही...
सच में , राजेश को इन माँ बेटी के रिश्ते की गहराई का अंदाज़ा भी नही था.
पर इस वक़्त तो ईशा ठुकाई कर रही थी रजनी की चूत की,
अपनी नन्ही सी जीभ से...
वो जीभ उसकी चूत में किसी ड्रिल की तरह अंदर बाहर कर रही थी और हर बार खुदाई के रूप में ढेर सारा शहद निकाल कर बाहर ले आती...
ये रसीली लड़ाई करीब 10 मिनट तक चली और उसके परिणामस्वरूप जब रजनी झड़ी तो उसने एक जोरदार बौछार मारकर ईशा के चेहरे को भिगो डाला...
''आआआआआआआआआआआआहह मेरी जाआआआआन...... उम्म्म्ममममममममममममममम..............''
इतना कहकर वो वहीं गिर पड़ी...
और ईशा अपने चेहरे की मलाई सॉफ करते हुए उपर तक आई और अपने नंगे जिस्म को अपनी माँ के नंगे बदन के साथ मिलाकर उनसे लिपटकर सो गयी...
ईशा तो पहले ही 2 बार झड़ चुकी थी इसलिए उसमे अब और हिम्मत नही थी अपनी चूत की खुदाई करवाने की,
और जैसा उसके रूम में हुआ था, बाप बेटी के साथ,
वैसा ही अब इस रूम में माँ बेटी कर रही थी
सैक्स के बवंडर के निकल जाने के बाद दोनों एक दूसरे से लिपटकर सो गये.
पर राजेश के दिमाग़ में अब चैन नही था....
उसे तो इस षड्यंत्र की तह तक जाना था और इसके लिए उसे वो डायरीस पढ़नी ज़रूरी थी,
वो किचन में गया जहाँ फ्रिज के उपर रजनी का पर्स रखा रहता था, उसमें से उसने चाभी निकाली , और फर्स्ट फ्लोर में पड़ी रजनी की अलमारी खोली और वो तीनो डाइयरीस निकाल कर ले आया, जिसमें वो सारे राज दफ़न थे और अपने रूम का दरवाजा अंदर से लॉक करके उन्हे पढ़ना शुरू कर दिया..
आज की रात उन्हे पढ़कर कई राज से परदे उठने वाले थे.