28-03-2021, 09:34 AM
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अब आगे
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अभी तक वो सिर्फ़ टॉपलेस थी
नीचे उसने स्लेक्स अभी तक पहनी हुई थी,
जो झड़ने के बाद काफ़ी गीली हो चुकी थी,
ईशा का बदन अभी तक ऑर्गेज़म के झटके मार रहा था...
रह रहकर उसकी नन्ही चुचियों में एक सिहरन सी दौड़ जाती जिसका कंपन राजेश को भी महसूस होता....
शायद इतने जबरदस्त तरीके से वो पहली बार झड़ी थी.
राजेश की बाहो में लेटे हुए जब उसने अपनी नशीली आँखे खोली तो ऐसा लगा जैसे वो किसी गहरी नींद से जागी हो...
और अचानक उसे लगा की वो ईशा को नही बल्कि शेफाली को देख रहा है...
वही नशीलापन,
वही कशिश,
वही गहराई
और
वही सैक्सीनेस.
सब दिख रहा था उन आँखो मे.
ईशा ने अपना एक हाथ उसके चेहरे पर रखा और उसे सहलाने लगी...
सहलाते हुए वो अपनी उस उंगली को उसके होंठो तक ले आई जिसमे ईशा ने वो शेफाली की अंगूठी पहनी हुई थी...
और वो बुदबुदाई : "कैसा फील हो रहा है डार्लिंग....''
ये शायद राजेश की लाइफ में पहली बार था जब ईशा ने उसे बिना 'पापा' बोले सबोधित किया था.
एक पल के लिए तो उसकी गांड ही फट गयी ये सोचकर की इस वक़्त उसकी बाहों में उसकी जवान बेटी नही बल्कि शेफाली है...
पर फिर उसने उस विचार को झटका देकर निकाल दिया क्योंकि वो पहले ही जान चुका था की शेफाली जो भी कर रही है उसे मज़े देने के लिए और उसके भले के लिए ही कर रही है...
वो मुस्कुराया और बोला : "बहुत मज़ा आ रहा है जानेमन ''
ये सुनते ही वो पागलों की तरह उसके चेहरे और होंठो को चूमने लगी और अपनी जीभ और होंठों से चूम-चूमकर उसे भिगो ही डाला उसने..
और बोली : "इतने सालो से इस प्यार के लिए तरस गयी थी मैं ...अब मिला है मुझे ये प्यार...अब देखना , कितना प्यार करती हू तुम्हे और करवाती हूँ ...''
ये कहकर वो राजेश के गले लगकर चिपक गयी...
राजेश को शेफाली के इस इक़बालनामे को सुनकर काफ़ी खुशी भी हो रही थी और आने वाली दिनों में मिलने वाले मज़े को सोचकर उसे अपनी किस्मत पर नाज़ भी हुआ की इतने करोड़ों लोगो के होते हुए इस शेफाली ने मज़े देने के लिए उसे चुना है.
खैर, अभी के लिए तो उसे अपनी प्यास बुझानी थी और एक जवान जिस्म से बह रहे रस से अच्छी ड्रिंक कोई हो ही नही सकती थी,
इसलिए उसने हाथ नीचे करते हुए उसकी स्लेक्स को उसकी गांड से नीचे खिसका दिया,
ऐसा लगा जैसे फुटबॉल के उपर से रबड़ का कवर निकाल फेंका हो..
नीचे से हश्ट पुष्ट और स्वस्थ गांड निकल आयी राजेश के सामने,
उसने उन्हे पकड़कर भींच दिया,
ईशा को ऐसा फील हुआ जैसे किसी ने उसकी गांड नही बल्कि नींबू निचोड़ दिया हो,
जिसके नीचूड़ने से उसकी चूत का रस पानी की तरह छींटे मारता हुआ बाहर गिरने लगा.
''आआअहह......सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स......... मज़ा आ गया ......''
राजेश ने उसकी गांड अपनी तरफ घुमा ली और अपने लंड को उसकी गांड के गद्दे पर दबाकर उसकी पीठ से जोरदार तरीके से चिपक गया..
ईशा ने खुद ही बाकी की बची हुई स्लेक्स को नीचे खिसका कर अपनी टाँगो से निकाल फेंका...
अब वो जन्मजात नंगी थी,
एकदम नंगी...
अपने प्यारे पापा की बाहों में जकड़ी हुई,
नंगी ईशा.
राजेश ने उसका मुँह अपनी तरफ किया और उसे गले लगाकर उसके हर मुलायम अंग को अपने जिस्म पर महसूस करने लगा..
वो हग कब किस्स में बदल गया उसे भी पता नही चला....
होंठो को अच्छी तरह चूसने के बाद वो नीचे गया और उसके दोनो अमरूदों को भी चबाया और निचोड़ा...
और फिर, नीचे से आ रही भीनी-2 खुश्बू ने उसे अपनी तरफ खींचना शुरू किया...
राजेश पर जैसे उस गंध का नशा सा चढ़ रहा था...
एक तो वो कुँवारी चूत की खुश्बू थी उपर से उसकी खुद की बेटी की चूत से निकल कर आ रही थी वो गंध...
ऐसे में उस से बर्दाश्त करना मुश्किल सा हो रहा था,
वो खिसकते हुए जब नीचे तक पहुँचा तो उसे दुनिया की सबसे खूबसूरत चूत दिखाई दी....
एकदम सफाचत...
एकदम कोरी...
एकदम गोरी
राजेश ने जब उसकी गांड को मसला था तो उसकी चूत का सारा रस निकलकर बेड पर गिर चुका था....
और अब उसमें से रिस रिसकर एक-2 बूँद गाड़े पानी की निकलकर बाहर आ रही थी.
राजेश नीचे हुआ और उसने झुकते हुए अपनी जीभ निकाल कर उसकी चूत के लबों पर रख दी.
उफफफफफफफफ्फ़....
ये तो उपर वालो होंठो से भी ज़्यादा मुलायम थे.
एक गहरी सिसकारी मारी ईशा ने जब उसे अपनी चूत पर पहली बार एक जीभ का एहसास हुआ तो...
''सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स.....उम्म्म्मममममममममममममम पापा.............. अहह''
राजेश ने उसकी चूत की फांको को फेलाकर अपनी जीभ अंदर डालनी चाही तो वो चीख ही पड़ी....
''ओह नो पापा......प्लीज़.................... ऐसे मत करो......दर्द हो रहा है............''
उसका कहना लाज़मी था,
क्योंकि आवेश में आकर राजेश ने शायद कुछ ज़्यादा ही ज़ोर से उसकी चूत के किवाड़ खोल दिए थे..
पर वो शायद आराम से करता तब भी ईशा को यही शिकायत होनी थी,
क्योंकि वो चूत थी ही इतनी टाइट.
राजेश ने उपर मुँह करते हुए उसके चेहरे को देखा और बोला : "बैबी...अभी तो ये सिर्फ़ मेरी जीभ है, जब मेरा पेनिस अंदर जाएगा तो कैसे सहन करोगी...''
ईशा (डरते हुए) : "वो कैसे जाएगा अंदर....उसमें तो काफ़ी पेन होगा ना...और आपका पेनिस तो है भी काफ़ी मोटा...और आगे से देखा है उसे...एकदम गोल्फ की बॉल जैसा मोटा है आगे से...''
राजेश उसकी बात सुनकर हंस पड़ा...
पर अंदर ही अंदर उसे हैरानी भी हुई की शेफाली की आत्मा के होते हुए ईशा को डर क्यों लग रहा है...
अभी थोड़ी देर पहले तक तो उसका असर था उसके उपर...
फिर अचानक ये बदलाव कैसे आ गया ईशा मे...
उसे ऐसी गहरी सोच मे डूबे देखकर ईशा बोली : "क्या सोचने लगे पापा....''
राजेश : "उम्म कुछ नही....वो बस...तुम्हारी बात को सोच रहा था...''
फिर अचानक राजेश उठा और उसने स्टडी टेबल पर पड़ी गोल्फ बॉल उठा ली जो शायद ईशा उसकी गोल्फ किट में से निकाल लाई थी, उसी को देखकर शायद उसके जहन में राजेश के लंड को बॉल के साथ कम्पेयर करने का ख़याल आया होगा..
उसे बॉल उठाते देख ईशा बोली : "ये ये....क्या कर रहे है आप पापा...''
राजेश : "कुछ नही....बस तुम्हे कुछ दिखा रहा हूँ...''
फिर उसने उस बॉल को उसकी चूत से निकल रहे रस में अच्छी तरह से भिगोया ,
जिसके बाद वो एकदम हीरे की तरह दमकने लगी...
फिर उसने धीरे-2 करते हुए उस बॉल को ईशा की चूत में धकेलना शुरू किया.
ये देखकर ईशा की हवाइयां उड़ने लगी.
तब उसे एहसास हुआ की उसके पापा शायद उसका डर मिटाने के लिए अपने लंड के टोपे के बराबर की बॉल उसकी चूत में डालकर दिखा रहे है ताकि लंड लेते वक़्त उसे ज़्यादा डर ना लगे...
पर अभी के लिए उसकी हालत काफ़ी खराब होने लगी...
क्योंकि बॉल ने उसकी चूत के होंठो को लगभग अपने चारों तरफ लपेट सा लिया था और उसे थोड़ा दर्द भी हो रहा था..
पर मीठा वाला..
वो सिसकारी मारती हुई अपनी फटी हुई आँखो से उस छोटी सी बॉल को अपनी चूत में जाते हुए देखने लगी...
और धीरे-2 उसके पापा ने वो प्रयोग पूरा करते हुए वो बॉल उसकी चूत में पूरी घुसा दी
उसकी चूत के होंठो ने बॉल को चारों तरफ से लपेटकर उसे बाहर निकलने से रोका हुआ था और अंदर की संकरी दीवार ने उसे और अंदर जाने से.
पर बड़ा ही मनमोहक दृश्य था वो...
और आनंदमयी भी.
शायद अंदर ही अंदर ईशा चाह रही थी की काश वो बॉल अंदर तक चली जाए...
पर ये कैसे पासिबल हो सकता था...
हाँ, उसके पापा का लंड ज़रूर जा सकता था अंदर...
और अगर ऐसा हुआ तो कितना अच्छा लगेगा ना उसे...
बॉल की तरह मोटा लंड उसकी चूत में से रास्ता बनाता हुआ जब अंदर तक जाएगा तो कितना अच्छा लगेगा उसे,
उस एहसास हो जीने का एक अलग ही मज़ा होगा..
ये सोचकर वो मंद-2 मुस्कुराने लगी.
राजेश ने उसे मुस्कुराते हुए देखा और बोला : "देखा...ये तो अभी सिर्फ़ शुरूवात है, अभी और अंदर जाएगा तो ज़्यादा मज़ा आएगा...''
उसने हाँ में सिर हिला कर अपनी मोन स्वीकृति दे डाली.
पर पहले ही दिन राजेश उसे पूरी तरह से भोगना नही चाहता था...
उसके लंड में अब उतनी भी ताक़त नही रह गयी थी जितनी जवानी के दिनों में होती थी...
हालाँकि एक बार और झड़ने के लिए उसका लंड तैयार था पर एक नयी नवेली चूत को चोदने के लिए जिस कडकपन की ज़रूरत एक मर्द को होती है वो अभी के लिए नही थी उसमें...
आज के कड़कपन का रिचार्ज ख़त्म को चुका था उसका...
हाँ , कल या परसो में वो एक नये दिन के साथ नयी शुरूवात करके उस चूत का उद्घाटन ज़रूर कर सकता था.
इसलिए अभी के लिए उसने उस रसीली बॉल को उसकी चूत के घरोंदे से बाहर निकाला और उसकी जगह अपना मुँह लगाकर वहाँ से अवीरल बह रहे रस को चूसने लगा...
ईशा एक बार फिर से उसी गहरे एहसास में डूब गयी जो कुछ देर पहले उसे मिला था...
और अपने पापा के सिर को अपनी चूत में अंदर तक समेटते हुए उनके होंठो को अपनी चूत के होंठो से रगड़ने लगी...
''आआआआआआआआआहह पापा.................. उम्म्म्ममममममममममम..... मज़ा आआआआआ रहा है.......... अहह....ऐसे ही करते रहो........ अहह....''
राजेश ने अपने होंठो को गोल करते हुए जितना हो सकता था आगे तक निकाला और उन्हे एकसाथ उसकी चूत के अंदर घुसेड दिया, उसके होंठों को ईशा की चूत के होंठों ने ढक सा लिया, और फिर वो उन्न्नध्ह हुउन्न्न् करते हुए उस एक इंच के छोटे से लंड से उसकी चूत की खुजली दूर करने लगा...
वो ज़ोर से चीखी : "अहह..... पापा........................... सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स..... अहह.... मार डालोगे क्या................. उफफफफफफफफफफफफफफ्फ़...... कितना मज़ा आ रहा है ऐसे करवाने में .....अहह....''
मज़ा तो उसे ही आ रहा था....
राजेश का लंड तो ऐसे ही झूल रहा था बेड से नीचे लटका हुआ,
उसने भी एक छलाँग मारी और उछलकर बेड पर आया और 69 के पोज़ में उसे अपने उपर लिटाया और एक बार फिर से उसकी चूत चूसने लगा......
जो ईशा इतनी देर से सिसकारियाँ और चीखें मार रही थी उसके मुँह को बंद करने के लिए इससे अच्छा कोई ओर उपाय हो ही नही सकता था..
और जल्द ही दोनो की घुटि-2 सिसकारियाँ निकलने लगी
और अगले ही पल ईशा की चूत का ढेर सारा रस निकलकर राजेश के मुँह में जाने लगा और राजेश के लंड का पानी निकलकर ईशा के मुँह में.
ईशा ने अच्छी तरह से अपने पापा के लंड को सॉफ किया, उनके लंड की आख़िरी बूँद तक निचोड़कर पी डाली और फिर फिसलकर वापिस अपने पापा की तरफ मुँह किया और उनसे लिपटकर आँखे बंद कर ली....
राजेश भी झड़ने के बाद गहरी साँसे लेता हुआ ईशा के मखमली बदन को सहलाते हुए आँखे बंद करके लेट गया....
और उसकी आँख कब लग गयी उसे भी पता नही चला..
अचनका लगभग 1 घंटे बाद उसे कुछ हिलता हुआ सा महसूस हुआ....
कमरे में अंधेरा था इसलिए उसे कुछ सॉफ-2 दिखाई नही दे रहा था...
ईशा और वो अभी तक नंगे होकर एक दूसरे से लिपटकर सो रहे थे...
कोई सामने खड़ा हुआ ईशा को हिला कर उठाने की कोशिश कर रहा था
और तभी उसे फुसफुसाति हुई सी आवाज़ सुनाई दी , जो उसकी बीबी रजनी की थी
वो उनके बेड के पास खड़ी हुई ईशा को झंझोड़ कर उठाने की कोशिश कर रही थी..
रजनी को देखते ही राजेश की सिट्टी पिटी गुम सी हो गयी....
उसकी जवान बेटी नंगी होकर उससे लिपट कर सो रही थी और उसकी बीबी उनके कमरे में आकर ईशा को उठाने का प्रयास कर रही थी,
उसे तो समझ ही नही आ रहा था की वो क्या करे...
अब वो उठकर भाग तो नही सकता था,
इसलिए उसने गहरी नींद में सोए रहना ही बेहतर समझा...
पर आने वाले पल उसकी लाइफ को पूरी तरह से बदलने वाले थे.
अब आगे
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अभी तक वो सिर्फ़ टॉपलेस थी
नीचे उसने स्लेक्स अभी तक पहनी हुई थी,
जो झड़ने के बाद काफ़ी गीली हो चुकी थी,
ईशा का बदन अभी तक ऑर्गेज़म के झटके मार रहा था...
रह रहकर उसकी नन्ही चुचियों में एक सिहरन सी दौड़ जाती जिसका कंपन राजेश को भी महसूस होता....
शायद इतने जबरदस्त तरीके से वो पहली बार झड़ी थी.
राजेश की बाहो में लेटे हुए जब उसने अपनी नशीली आँखे खोली तो ऐसा लगा जैसे वो किसी गहरी नींद से जागी हो...
और अचानक उसे लगा की वो ईशा को नही बल्कि शेफाली को देख रहा है...
वही नशीलापन,
वही कशिश,
वही गहराई
और
वही सैक्सीनेस.
सब दिख रहा था उन आँखो मे.
ईशा ने अपना एक हाथ उसके चेहरे पर रखा और उसे सहलाने लगी...
सहलाते हुए वो अपनी उस उंगली को उसके होंठो तक ले आई जिसमे ईशा ने वो शेफाली की अंगूठी पहनी हुई थी...
और वो बुदबुदाई : "कैसा फील हो रहा है डार्लिंग....''
ये शायद राजेश की लाइफ में पहली बार था जब ईशा ने उसे बिना 'पापा' बोले सबोधित किया था.
एक पल के लिए तो उसकी गांड ही फट गयी ये सोचकर की इस वक़्त उसकी बाहों में उसकी जवान बेटी नही बल्कि शेफाली है...
पर फिर उसने उस विचार को झटका देकर निकाल दिया क्योंकि वो पहले ही जान चुका था की शेफाली जो भी कर रही है उसे मज़े देने के लिए और उसके भले के लिए ही कर रही है...
वो मुस्कुराया और बोला : "बहुत मज़ा आ रहा है जानेमन ''
ये सुनते ही वो पागलों की तरह उसके चेहरे और होंठो को चूमने लगी और अपनी जीभ और होंठों से चूम-चूमकर उसे भिगो ही डाला उसने..
और बोली : "इतने सालो से इस प्यार के लिए तरस गयी थी मैं ...अब मिला है मुझे ये प्यार...अब देखना , कितना प्यार करती हू तुम्हे और करवाती हूँ ...''
ये कहकर वो राजेश के गले लगकर चिपक गयी...
राजेश को शेफाली के इस इक़बालनामे को सुनकर काफ़ी खुशी भी हो रही थी और आने वाली दिनों में मिलने वाले मज़े को सोचकर उसे अपनी किस्मत पर नाज़ भी हुआ की इतने करोड़ों लोगो के होते हुए इस शेफाली ने मज़े देने के लिए उसे चुना है.
खैर, अभी के लिए तो उसे अपनी प्यास बुझानी थी और एक जवान जिस्म से बह रहे रस से अच्छी ड्रिंक कोई हो ही नही सकती थी,
इसलिए उसने हाथ नीचे करते हुए उसकी स्लेक्स को उसकी गांड से नीचे खिसका दिया,
ऐसा लगा जैसे फुटबॉल के उपर से रबड़ का कवर निकाल फेंका हो..
नीचे से हश्ट पुष्ट और स्वस्थ गांड निकल आयी राजेश के सामने,
उसने उन्हे पकड़कर भींच दिया,
ईशा को ऐसा फील हुआ जैसे किसी ने उसकी गांड नही बल्कि नींबू निचोड़ दिया हो,
जिसके नीचूड़ने से उसकी चूत का रस पानी की तरह छींटे मारता हुआ बाहर गिरने लगा.
''आआअहह......सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स......... मज़ा आ गया ......''
राजेश ने उसकी गांड अपनी तरफ घुमा ली और अपने लंड को उसकी गांड के गद्दे पर दबाकर उसकी पीठ से जोरदार तरीके से चिपक गया..
ईशा ने खुद ही बाकी की बची हुई स्लेक्स को नीचे खिसका कर अपनी टाँगो से निकाल फेंका...
अब वो जन्मजात नंगी थी,
एकदम नंगी...
अपने प्यारे पापा की बाहों में जकड़ी हुई,
नंगी ईशा.
राजेश ने उसका मुँह अपनी तरफ किया और उसे गले लगाकर उसके हर मुलायम अंग को अपने जिस्म पर महसूस करने लगा..
वो हग कब किस्स में बदल गया उसे भी पता नही चला....
होंठो को अच्छी तरह चूसने के बाद वो नीचे गया और उसके दोनो अमरूदों को भी चबाया और निचोड़ा...
और फिर, नीचे से आ रही भीनी-2 खुश्बू ने उसे अपनी तरफ खींचना शुरू किया...
राजेश पर जैसे उस गंध का नशा सा चढ़ रहा था...
एक तो वो कुँवारी चूत की खुश्बू थी उपर से उसकी खुद की बेटी की चूत से निकल कर आ रही थी वो गंध...
ऐसे में उस से बर्दाश्त करना मुश्किल सा हो रहा था,
वो खिसकते हुए जब नीचे तक पहुँचा तो उसे दुनिया की सबसे खूबसूरत चूत दिखाई दी....
एकदम सफाचत...
एकदम कोरी...
एकदम गोरी
राजेश ने जब उसकी गांड को मसला था तो उसकी चूत का सारा रस निकलकर बेड पर गिर चुका था....
और अब उसमें से रिस रिसकर एक-2 बूँद गाड़े पानी की निकलकर बाहर आ रही थी.
राजेश नीचे हुआ और उसने झुकते हुए अपनी जीभ निकाल कर उसकी चूत के लबों पर रख दी.
उफफफफफफफफ्फ़....
ये तो उपर वालो होंठो से भी ज़्यादा मुलायम थे.
एक गहरी सिसकारी मारी ईशा ने जब उसे अपनी चूत पर पहली बार एक जीभ का एहसास हुआ तो...
''सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स.....उम्म्म्मममममममममममममम पापा.............. अहह''
राजेश ने उसकी चूत की फांको को फेलाकर अपनी जीभ अंदर डालनी चाही तो वो चीख ही पड़ी....
''ओह नो पापा......प्लीज़.................... ऐसे मत करो......दर्द हो रहा है............''
उसका कहना लाज़मी था,
क्योंकि आवेश में आकर राजेश ने शायद कुछ ज़्यादा ही ज़ोर से उसकी चूत के किवाड़ खोल दिए थे..
पर वो शायद आराम से करता तब भी ईशा को यही शिकायत होनी थी,
क्योंकि वो चूत थी ही इतनी टाइट.
राजेश ने उपर मुँह करते हुए उसके चेहरे को देखा और बोला : "बैबी...अभी तो ये सिर्फ़ मेरी जीभ है, जब मेरा पेनिस अंदर जाएगा तो कैसे सहन करोगी...''
ईशा (डरते हुए) : "वो कैसे जाएगा अंदर....उसमें तो काफ़ी पेन होगा ना...और आपका पेनिस तो है भी काफ़ी मोटा...और आगे से देखा है उसे...एकदम गोल्फ की बॉल जैसा मोटा है आगे से...''
राजेश उसकी बात सुनकर हंस पड़ा...
पर अंदर ही अंदर उसे हैरानी भी हुई की शेफाली की आत्मा के होते हुए ईशा को डर क्यों लग रहा है...
अभी थोड़ी देर पहले तक तो उसका असर था उसके उपर...
फिर अचानक ये बदलाव कैसे आ गया ईशा मे...
उसे ऐसी गहरी सोच मे डूबे देखकर ईशा बोली : "क्या सोचने लगे पापा....''
राजेश : "उम्म कुछ नही....वो बस...तुम्हारी बात को सोच रहा था...''
फिर अचानक राजेश उठा और उसने स्टडी टेबल पर पड़ी गोल्फ बॉल उठा ली जो शायद ईशा उसकी गोल्फ किट में से निकाल लाई थी, उसी को देखकर शायद उसके जहन में राजेश के लंड को बॉल के साथ कम्पेयर करने का ख़याल आया होगा..
उसे बॉल उठाते देख ईशा बोली : "ये ये....क्या कर रहे है आप पापा...''
राजेश : "कुछ नही....बस तुम्हे कुछ दिखा रहा हूँ...''
फिर उसने उस बॉल को उसकी चूत से निकल रहे रस में अच्छी तरह से भिगोया ,
जिसके बाद वो एकदम हीरे की तरह दमकने लगी...
फिर उसने धीरे-2 करते हुए उस बॉल को ईशा की चूत में धकेलना शुरू किया.
ये देखकर ईशा की हवाइयां उड़ने लगी.
तब उसे एहसास हुआ की उसके पापा शायद उसका डर मिटाने के लिए अपने लंड के टोपे के बराबर की बॉल उसकी चूत में डालकर दिखा रहे है ताकि लंड लेते वक़्त उसे ज़्यादा डर ना लगे...
पर अभी के लिए उसकी हालत काफ़ी खराब होने लगी...
क्योंकि बॉल ने उसकी चूत के होंठो को लगभग अपने चारों तरफ लपेट सा लिया था और उसे थोड़ा दर्द भी हो रहा था..
पर मीठा वाला..
वो सिसकारी मारती हुई अपनी फटी हुई आँखो से उस छोटी सी बॉल को अपनी चूत में जाते हुए देखने लगी...
और धीरे-2 उसके पापा ने वो प्रयोग पूरा करते हुए वो बॉल उसकी चूत में पूरी घुसा दी
उसकी चूत के होंठो ने बॉल को चारों तरफ से लपेटकर उसे बाहर निकलने से रोका हुआ था और अंदर की संकरी दीवार ने उसे और अंदर जाने से.
पर बड़ा ही मनमोहक दृश्य था वो...
और आनंदमयी भी.
शायद अंदर ही अंदर ईशा चाह रही थी की काश वो बॉल अंदर तक चली जाए...
पर ये कैसे पासिबल हो सकता था...
हाँ, उसके पापा का लंड ज़रूर जा सकता था अंदर...
और अगर ऐसा हुआ तो कितना अच्छा लगेगा ना उसे...
बॉल की तरह मोटा लंड उसकी चूत में से रास्ता बनाता हुआ जब अंदर तक जाएगा तो कितना अच्छा लगेगा उसे,
उस एहसास हो जीने का एक अलग ही मज़ा होगा..
ये सोचकर वो मंद-2 मुस्कुराने लगी.
राजेश ने उसे मुस्कुराते हुए देखा और बोला : "देखा...ये तो अभी सिर्फ़ शुरूवात है, अभी और अंदर जाएगा तो ज़्यादा मज़ा आएगा...''
उसने हाँ में सिर हिला कर अपनी मोन स्वीकृति दे डाली.
पर पहले ही दिन राजेश उसे पूरी तरह से भोगना नही चाहता था...
उसके लंड में अब उतनी भी ताक़त नही रह गयी थी जितनी जवानी के दिनों में होती थी...
हालाँकि एक बार और झड़ने के लिए उसका लंड तैयार था पर एक नयी नवेली चूत को चोदने के लिए जिस कडकपन की ज़रूरत एक मर्द को होती है वो अभी के लिए नही थी उसमें...
आज के कड़कपन का रिचार्ज ख़त्म को चुका था उसका...
हाँ , कल या परसो में वो एक नये दिन के साथ नयी शुरूवात करके उस चूत का उद्घाटन ज़रूर कर सकता था.
इसलिए अभी के लिए उसने उस रसीली बॉल को उसकी चूत के घरोंदे से बाहर निकाला और उसकी जगह अपना मुँह लगाकर वहाँ से अवीरल बह रहे रस को चूसने लगा...
ईशा एक बार फिर से उसी गहरे एहसास में डूब गयी जो कुछ देर पहले उसे मिला था...
और अपने पापा के सिर को अपनी चूत में अंदर तक समेटते हुए उनके होंठो को अपनी चूत के होंठो से रगड़ने लगी...
''आआआआआआआआआहह पापा.................. उम्म्म्ममममममममममम..... मज़ा आआआआआ रहा है.......... अहह....ऐसे ही करते रहो........ अहह....''
राजेश ने अपने होंठो को गोल करते हुए जितना हो सकता था आगे तक निकाला और उन्हे एकसाथ उसकी चूत के अंदर घुसेड दिया, उसके होंठों को ईशा की चूत के होंठों ने ढक सा लिया, और फिर वो उन्न्नध्ह हुउन्न्न् करते हुए उस एक इंच के छोटे से लंड से उसकी चूत की खुजली दूर करने लगा...
वो ज़ोर से चीखी : "अहह..... पापा........................... सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स..... अहह.... मार डालोगे क्या................. उफफफफफफफफफफफफफफ्फ़...... कितना मज़ा आ रहा है ऐसे करवाने में .....अहह....''
मज़ा तो उसे ही आ रहा था....
राजेश का लंड तो ऐसे ही झूल रहा था बेड से नीचे लटका हुआ,
उसने भी एक छलाँग मारी और उछलकर बेड पर आया और 69 के पोज़ में उसे अपने उपर लिटाया और एक बार फिर से उसकी चूत चूसने लगा......
जो ईशा इतनी देर से सिसकारियाँ और चीखें मार रही थी उसके मुँह को बंद करने के लिए इससे अच्छा कोई ओर उपाय हो ही नही सकता था..
और जल्द ही दोनो की घुटि-2 सिसकारियाँ निकलने लगी
और अगले ही पल ईशा की चूत का ढेर सारा रस निकलकर राजेश के मुँह में जाने लगा और राजेश के लंड का पानी निकलकर ईशा के मुँह में.
ईशा ने अच्छी तरह से अपने पापा के लंड को सॉफ किया, उनके लंड की आख़िरी बूँद तक निचोड़कर पी डाली और फिर फिसलकर वापिस अपने पापा की तरफ मुँह किया और उनसे लिपटकर आँखे बंद कर ली....
राजेश भी झड़ने के बाद गहरी साँसे लेता हुआ ईशा के मखमली बदन को सहलाते हुए आँखे बंद करके लेट गया....
और उसकी आँख कब लग गयी उसे भी पता नही चला..
अचनका लगभग 1 घंटे बाद उसे कुछ हिलता हुआ सा महसूस हुआ....
कमरे में अंधेरा था इसलिए उसे कुछ सॉफ-2 दिखाई नही दे रहा था...
ईशा और वो अभी तक नंगे होकर एक दूसरे से लिपटकर सो रहे थे...
कोई सामने खड़ा हुआ ईशा को हिला कर उठाने की कोशिश कर रहा था
और तभी उसे फुसफुसाति हुई सी आवाज़ सुनाई दी , जो उसकी बीबी रजनी की थी
वो उनके बेड के पास खड़ी हुई ईशा को झंझोड़ कर उठाने की कोशिश कर रही थी..
रजनी को देखते ही राजेश की सिट्टी पिटी गुम सी हो गयी....
उसकी जवान बेटी नंगी होकर उससे लिपट कर सो रही थी और उसकी बीबी उनके कमरे में आकर ईशा को उठाने का प्रयास कर रही थी,
उसे तो समझ ही नही आ रहा था की वो क्या करे...
अब वो उठकर भाग तो नही सकता था,
इसलिए उसने गहरी नींद में सोए रहना ही बेहतर समझा...
पर आने वाले पल उसकी लाइफ को पूरी तरह से बदलने वाले थे.