24-03-2021, 09:30 AM
भौजी संग होली का मज़ा
कम्मो भी समझ रही थी और बंटू भी असली इम्तहान तो अब है ,
गाँड़ का छल्ला ,
" भौजी तानी ढील करा न ,... " बंटू ने अर्जी लगाई , थोड़ा सा पीछे खींचा और जैसे कोई धनुर्धर कंधे तक प्रत्यंचा खींच कर बाण छोड़े ,
बस उसी तरह थोड़ा सा पीछे खींच कर पूरी ताकत से पेलना बंटू ने शुरू किया
कम्मो बिलबिला रही थी , चूतड़ पटक रही थी
देवर पेल रहा था , ठेल रहा था , और गाँड़ का छल्ला भी पार
भौजी की छरछरा रही थी , परपरा रही थी , चरचरा रही , फटी जा रही थी ,...
एक देवर ने नीचे से कस कर जकड़ रखा था , पकड़ रखा था ,
दूसरा देवर पूरी ताकत से पेले जा रहा था , ठेले जा रहा था धकेले जा रहा था।
कम्मो भौजी को कुछ भी नहीं महसूस हो रहा था सिवाय बंटू के अपनी गाँड़ में धंसे मोटे लंड के ,
बंटू का मोटा भी बहुत था , मेरी कलाई से कम नहीं रहा होगा , आधे के आसपास ठेल कर , करीब चार चाढ़े इंच धकेल कर ही , आधा अंदर , आधा बाहर बंटू रुका और अब मंटू ने नीचे से धक्के पर धक्के लगाने शुरू किये ,
पीछे से एक देवर का लंड आधा धंसा अंडसा फंसा हुआ था और नीचे से दूसरे देवर के धक्के बुर में चालू हो गए , और अब दोनों मिल कर , चार पांच धक्के नीचे से भौजी की बुर में लगाता तो दूसरा देवर चार पांच धक्के भौजी की कसी टाइट गाँड़ में ,
दो तिहाई से ज्यादा मूसल६-७ इंच बंटू ने ठूंस दिया , और अब मंटू रुका और हचक हचक के भौजी की गाँड़ बंटू ने मारनी शुरू की , पांच सात मिनट के धक्को के बाद , पूरा बित्ते भर का बीयर कैन ऐसा मूसल , भौजी की गाँड़ ने घोंट लिया ,
और अब बंटू रुक गया , मंटू के धक्के चालू हो गए , हर धक्का बच्चेदानी पर ,
फिर दोनों साथ साथ , साथ साथ निकालते साथ घुसेड़ते ,
लेकिन कुछ देर बाद जब दोनों रुक गए तो कम्मो भौजी कौन कम थी
चूत में लंड तो कई सिकोड़ के निचोड़ लेती हैं , पर गाँड़ से ,... पर कम्मो भौजी कम्मो भौजी थीं , मंटू और बंटू के लंड एक साथ सिकोड़ कर निचोड़ कर
और जब कम्मो भौजी रुकतीं तो वो दोनों देवर , दोनों छेद का मजा एक साथ , २० -३० मिनट की धुंआधार चुदाई , गाँड़ मराई के बाद सबसे पहले बंटू ने भौजी की गाँड़ में माखन मलाई , और उस का असर ये हुआ की भौजी भी दूसरी बार , इतनी जोर जोर से झड़ रही थीं उनकी बुर बार बार सिकुड़ रही थी
और अब मंटू ने भौजी की बुर में मलाई छोड़ना शुरू किया
रुक रुक कर , अगवाड़ा पिछवाड़ा दोनों भौजी का सफ़ेद रंग से भर गया , होली का भौजी का असली मजा , ...
मैं कुछ देर तक कम्मो भौजी को देखती रह गयी ,
उनके चेहरे की ख़ुशी , छिपी छिपी मुस्कराहट , शरारत ,... बड़ी देर तक ,... फिर हम दोनों साथ साथ हंसने लगे , मैंने जोर से उन्हें भींच लिया , और हलके से चूम भी लिया ,
हम दोनों में देवरानी जेठानी का तो रिश्ता लगता था , बहन बहन का भी , बनारस के नाते और सबसे बढ़कर खिलंदड़ी सहेलियों वाला ,
तो उसके बाद सफ़ेद रंग वाली होली खेलकर दोनों देवर चले गए ,
मैंने सीरियसली पूछा।
कम्मो भी समझ रही थी और बंटू भी असली इम्तहान तो अब है ,
गाँड़ का छल्ला ,
" भौजी तानी ढील करा न ,... " बंटू ने अर्जी लगाई , थोड़ा सा पीछे खींचा और जैसे कोई धनुर्धर कंधे तक प्रत्यंचा खींच कर बाण छोड़े ,
बस उसी तरह थोड़ा सा पीछे खींच कर पूरी ताकत से पेलना बंटू ने शुरू किया
कम्मो बिलबिला रही थी , चूतड़ पटक रही थी
देवर पेल रहा था , ठेल रहा था , और गाँड़ का छल्ला भी पार
भौजी की छरछरा रही थी , परपरा रही थी , चरचरा रही , फटी जा रही थी ,...
एक देवर ने नीचे से कस कर जकड़ रखा था , पकड़ रखा था ,
दूसरा देवर पूरी ताकत से पेले जा रहा था , ठेले जा रहा था धकेले जा रहा था।
कम्मो भौजी को कुछ भी नहीं महसूस हो रहा था सिवाय बंटू के अपनी गाँड़ में धंसे मोटे लंड के ,
बंटू का मोटा भी बहुत था , मेरी कलाई से कम नहीं रहा होगा , आधे के आसपास ठेल कर , करीब चार चाढ़े इंच धकेल कर ही , आधा अंदर , आधा बाहर बंटू रुका और अब मंटू ने नीचे से धक्के पर धक्के लगाने शुरू किये ,
पीछे से एक देवर का लंड आधा धंसा अंडसा फंसा हुआ था और नीचे से दूसरे देवर के धक्के बुर में चालू हो गए , और अब दोनों मिल कर , चार पांच धक्के नीचे से भौजी की बुर में लगाता तो दूसरा देवर चार पांच धक्के भौजी की कसी टाइट गाँड़ में ,
दो तिहाई से ज्यादा मूसल६-७ इंच बंटू ने ठूंस दिया , और अब मंटू रुका और हचक हचक के भौजी की गाँड़ बंटू ने मारनी शुरू की , पांच सात मिनट के धक्को के बाद , पूरा बित्ते भर का बीयर कैन ऐसा मूसल , भौजी की गाँड़ ने घोंट लिया ,
और अब बंटू रुक गया , मंटू के धक्के चालू हो गए , हर धक्का बच्चेदानी पर ,
फिर दोनों साथ साथ , साथ साथ निकालते साथ घुसेड़ते ,
लेकिन कुछ देर बाद जब दोनों रुक गए तो कम्मो भौजी कौन कम थी
चूत में लंड तो कई सिकोड़ के निचोड़ लेती हैं , पर गाँड़ से ,... पर कम्मो भौजी कम्मो भौजी थीं , मंटू और बंटू के लंड एक साथ सिकोड़ कर निचोड़ कर
और जब कम्मो भौजी रुकतीं तो वो दोनों देवर , दोनों छेद का मजा एक साथ , २० -३० मिनट की धुंआधार चुदाई , गाँड़ मराई के बाद सबसे पहले बंटू ने भौजी की गाँड़ में माखन मलाई , और उस का असर ये हुआ की भौजी भी दूसरी बार , इतनी जोर जोर से झड़ रही थीं उनकी बुर बार बार सिकुड़ रही थी
और अब मंटू ने भौजी की बुर में मलाई छोड़ना शुरू किया
रुक रुक कर , अगवाड़ा पिछवाड़ा दोनों भौजी का सफ़ेद रंग से भर गया , होली का भौजी का असली मजा , ...
मैं कुछ देर तक कम्मो भौजी को देखती रह गयी ,
उनके चेहरे की ख़ुशी , छिपी छिपी मुस्कराहट , शरारत ,... बड़ी देर तक ,... फिर हम दोनों साथ साथ हंसने लगे , मैंने जोर से उन्हें भींच लिया , और हलके से चूम भी लिया ,
हम दोनों में देवरानी जेठानी का तो रिश्ता लगता था , बहन बहन का भी , बनारस के नाते और सबसे बढ़कर खिलंदड़ी सहेलियों वाला ,
तो उसके बाद सफ़ेद रंग वाली होली खेलकर दोनों देवर चले गए ,
मैंने सीरियसली पूछा।