22-03-2021, 05:19 PM
बंटू
भौजी क पिछवाड़ा
और इस बीच बंटू खाली नहीं बैठा था ,
उनकेबीच हो रही धका पेल चुदाई को देख कर उसका मन मचल रहा था , खूंटा उसका भी जबरदस्त खड़ा था , लेकिन उसका इरादा कुछ और था , उसने और मंटू ने मिल कर कई बार ' जुगलबंदी ' की थी , लेकिन कम्मो भौजी की बात और थी , एकदम रस की गाँठ थीं वो ,
जैसे ही कम्मो भौजी स्टोर में रंग का खजाना खोजने गयी थीं , इन दोनों ने भी अपना सारा जखीरा बरामदे में एक जगह छुपा दिया था , टी तो दोनों की पहुँचते ही कम्मो ने उतरवा दी थी और वो दोनों जानते भी थे , चाहते भी थे की कम्मो भौजी बरमूडा भी जल्द ही ,... फिर आज नयकी भौजी भी नहीं थीं तो झिझक भी थोड़ी बहुत रहती थी वो भी नहीं ,
बंटू का मन कम्मो भौजी के गदराये जोबन को देखकर जितना मचलता था , उससे ज्यादा भौजी के बड़े बड़े कड़े कड़े चूतड़ों को देखकर ,
कॉलेज से ही जब उसने चिकने नमकीन कमसिन लौंडो की नेकर सरकार , निहुरा कर ,... तभी से उसे पिछवाड़े का ,... लेकिन वो छेद छेद में भेद नहीं करता था ,
रंग, पेण्ट वो भी एकदम पक्के वाले , सब थे बंटू मंटू के जखीरे में लेकिन एक पुड़िया थी जो मंटू को भी नहीं मालूम थी , एकदम एटम बम्ब , ...
नत्था की स्पेशल बर्फी , जो भांग खिलाकर भौजी देवरों को टुन्न करके उनकी इज्जत लूटती थीं , उससे भी दस गुना बीस गुना ज्यादा असरदार , खास तौर पर लड़कियों औरतों के लिए , ... जो एकदम सीधी साधी अच्छी बच्चियां होती थी न , दुप्पटे के साथ किताबों से भी अपने आते उभारों को छुपाने वाली , बस थोड़ा सा उनके मुंह में किसी तरह से पहुंचा दे न ,... तो बस बिना कुछ कहे पांच मिनट में अपनी शलवार का नाड़ा खुद खोलने लगती थीं ,
और तीन चार राउंड तो मामूली , कम से कम चार घंटे तक असर रहता था उसका , ...
नहीं नहीं भांग नहीं थी ये ,एकदम इम्पोर्टेड। बॉलीवुड वालियां जिस ; ' माल' के लिए तड़पती थीं, व्हाट्सऐप और ,... हाँ वहीँ पर ये कमाल था , उस माल का बाप , ... और उसी की शुद्ध खोये वाली बर्फी में डाल कर, किसी तरह आधी बरफी भी कम्मो भौजी के मुंह में घुस गयी , तो उनके पिछवाड़े बंटू का बांस पूरा जाना तय था ,...
अपने दोनों हाथों में पेण्ट मलते , बंटू ऊपर से मंटू को पटक पटक कर चोदती कम्मो भौजी के बड़े बड़े उठते गिरते चूतड़ों को देख कर सोच रहा था ,
पूरी बर्फी उसने एक हाथ में ली , और आँगन में कम्मो भाभी के पास दबे पाँव
कम्मो ऊपर ,
मंटू नीचे
लेकिन नीचे से भी मंटू ने इतना जबदस्त धक्का मारा पूरा खूंटा भौजी की बुरिया में और सीधे बच्चेदानी पर लगी ठोकर ,... कम्मो ने मस्ती में आँखे बंद कर ली थी
और इससे अच्छा मौका क्या मिलता , खूब ताकत से एक हाथ से कम्मो के दोनों गाल दबाये और उन्होंने चिड़िया की तरह मुंह चियार दिया ,
पूरी की पूरी माल वाल बर्फी भौजी के मुंह के अंदर , और वो चुभलाने लगीं , आँखे खोल दी
पर देवर ने पहले तो होंठ उनके सील किये चार मिनट तक जब तक बर्फी पूरी तरह घुल नहीं गयी , फिर बोला ,
" हमने सोचा की भौजी इतनी मेहनत कर रहीं हैं , तानी उन्हें कुछ खिलाय पिलाय दें। "
" आपन बहिन उ हलवाई के यहाँ रखवाये थे की महतारी ,... बहुत मस्त बर्फी है ,"
मजे से आखिरी टुकड़ा चुभलाते भौजी ने अपने अंदाज में जवाब दिया और कचकचा के बंटू के गाल काट लिए , फिर कमर उठा के एक धक्का और ,
नीचे से मंटू के एक हाथ ने भौजी की पीठ पकड़ रखी थी और दूसरा हाथ ऊपर चढ़ी भौजी के जोबन का रस ले रहा था , बस दूसरा लड्डू बंटू के हाथ लग गया , लेकिन जोबन रस लगाने के साथ पक्का गाढ़ा लाल रंग का पेण्ट भी वो भौजी की खुली ३८ साइज की चूँची पर , और कुछ देर पर उसके दोनों हाथ कम्मो के जोबन का रस ले रहे थे , उसे रंग रहे थे ,
चोली के ऊपर से तो होली में सब रंगते हैं , देवर भौजी की होली तो चोली के अंदर वाली होती है , कुछ देर में भौजी के दोनों जोबना लाल लाल , और निपल बैंगनी ,... लेकिन बंटू का असली टारगेट तो कुछ और था ,
भौजी के बड़े बड़े मस्त चूतड़ , बड़ी मुश्किल से ऐसे चूतड़ मिलते हैं होली में रंग लगाने के लिए ,
और इन के लिए एकदम पक्के वाले रंग जिनसे रंगरेज ऐसे चुनरी रंगते हैं की जिंदगी भर रंग न छूटे , वो वाले लाल , काही , नीले रंग वो लाया था , साथ में पेण्ट के ट्यूब , जो प्रिंटर इस्तेमाल करते हैं वो वाले ,
रंग लगाने के साथ साथ जिस तरह से वो भौजी के नितम्बों को सहला रहा था , मसल रहा था , रगड़ रहा था ,
भौजी और मचल रही थीं , फागुन में जवान होते दो दो देवर , और जिस तरह से बंटू उनके पिछवाड़े मसल रहा था , वो समझ गयी थीं , स्साला बहनचोद पक्का रसिया है ,
बर्फी में मिले माल का असर भी भौजी के तन मन में घुल रहा था , असर दिखा रहा था ,
और रंग लगाते भौजी लगाते देवर की ऊँगली बार बार पिछवाड़े की दरार पर रगड़ देतीं और उस का असर भौजी पर सीधे होता , अगला धक्का दूनी ताकत से वो मारतीं
गच्चाक , अचानक पूरी ताकत से बंटू ने तर्जनी ठेल दी ,,
उईईईईई , भौजी के मुंह से चीख निकल गयी ,
सच्च में बड़ी ही कसी थी एकदम हाईकॉलेज वाली किसी कच्ची कोरी की तरह ,
बंटू घुसे हुए पोर को गोल गोल घुमा रहा था , उसने कितने कमसिन लौंडो की गाँड़ खोली थी , पहली पहली बार मारी थी , उन सालो की भी इतनी टाइट नहीं होती थी , पूरी ताकत से उसने फिर ऊँगली ठेली लेकिन एक सूत भी नहीं सरक पायी अंदर ,
उईईईईई अबकी और जोर से चीखीं कम्मो भौजी और वहीँ से गरियाया ,
"स्साले उधर नहीं , ... "
गोल गोल ऊँगली घुमाते बंटू ने जवाब भी उसी अंदाज में दिया ,
" काहें भौजी , उ का अपने गाँव वालन के लिए , हमरे गांडू स्सालों के लिए बचा रखा है , मैं बता देता हूँ , सालो को बोल दीजियेगा , हमार भौजी , और हमार भौजी की बहिनियो, हमरी सालियों की ओर आँख भी न उठाय के देखें , अरे बहुत मन करे न , तो तोहार आपने , महतारी के साथ ,... "
और फिर पूरी ताकत के साथ जो बंटू ने ठेला तो आधा पोर और अंदर गाँड़ के
" अरे साले , तोहरे साले हमारा बहिन ना तोहरी बहिनी क मरिहैं , तोहरी बहिनिया सोनू और अनुज क बहिनिया गुड्डी दोनों क गाँड़ मारेंगे , तोहरे स्साले , निकाल उंगली "
चीखते हुए कम्मो ने गरियाया।
ऊँगली तो बाहर निकल गयी लेकिन किसी ट्यूब का नोजल , कम्मो को लगा तो अंदर तो नहीं रंग लगा रहा है , फिर उन्हें ठंडा सा अंदर लगा ,
आज बंटू का इरादा भी पूरा था और प्लानिंग भी ,
बोरोलीन की ट्यूब , उसी की नोजल , और दबा के पूरी की पूरी ट्यूब की क्रीम भौजी की गाँड़ में , जो बचा खुचा था उसके मोटे सुपाड़े में
उसने जोर से नीचे दबे बंटू को आँख मारी , बस
इसके पहले भी वो दोनों कितनी बार जुगल बंदी कर चुके थे , बंटू ने जोर से मंटू को आँख मारी , बस मंटू ने धक्के की रफ़्तार नीचे से बढ़ाई , हर दूसरा धक्का , कम्मो भौजी के बच्चेदानी से टक्कर खा रहा था ,
ऊपर से अब पिछवाड़े का मोह छोड़ कर , एक हाथ से कस के बंटू भौजी के जोबन मीस रहा था और दूसरा जांघ के बीचों बीच उस जादू के बटन , भौजी की क्लिट पर , कभी सहलाता कभी दबाता , कभी क्लिट कस कस के रगड़ देता ,
बस दो चार मिनट में असर आ गया , कम्मो जोर जोर से झड़ने लगी , उसकी देह ढीली हो गयी , आँखे बंद हो रही थी ,
भौजी क पिछवाड़ा
और इस बीच बंटू खाली नहीं बैठा था ,
उनकेबीच हो रही धका पेल चुदाई को देख कर उसका मन मचल रहा था , खूंटा उसका भी जबरदस्त खड़ा था , लेकिन उसका इरादा कुछ और था , उसने और मंटू ने मिल कर कई बार ' जुगलबंदी ' की थी , लेकिन कम्मो भौजी की बात और थी , एकदम रस की गाँठ थीं वो ,
जैसे ही कम्मो भौजी स्टोर में रंग का खजाना खोजने गयी थीं , इन दोनों ने भी अपना सारा जखीरा बरामदे में एक जगह छुपा दिया था , टी तो दोनों की पहुँचते ही कम्मो ने उतरवा दी थी और वो दोनों जानते भी थे , चाहते भी थे की कम्मो भौजी बरमूडा भी जल्द ही ,... फिर आज नयकी भौजी भी नहीं थीं तो झिझक भी थोड़ी बहुत रहती थी वो भी नहीं ,
बंटू का मन कम्मो भौजी के गदराये जोबन को देखकर जितना मचलता था , उससे ज्यादा भौजी के बड़े बड़े कड़े कड़े चूतड़ों को देखकर ,
कॉलेज से ही जब उसने चिकने नमकीन कमसिन लौंडो की नेकर सरकार , निहुरा कर ,... तभी से उसे पिछवाड़े का ,... लेकिन वो छेद छेद में भेद नहीं करता था ,
रंग, पेण्ट वो भी एकदम पक्के वाले , सब थे बंटू मंटू के जखीरे में लेकिन एक पुड़िया थी जो मंटू को भी नहीं मालूम थी , एकदम एटम बम्ब , ...
नत्था की स्पेशल बर्फी , जो भांग खिलाकर भौजी देवरों को टुन्न करके उनकी इज्जत लूटती थीं , उससे भी दस गुना बीस गुना ज्यादा असरदार , खास तौर पर लड़कियों औरतों के लिए , ... जो एकदम सीधी साधी अच्छी बच्चियां होती थी न , दुप्पटे के साथ किताबों से भी अपने आते उभारों को छुपाने वाली , बस थोड़ा सा उनके मुंह में किसी तरह से पहुंचा दे न ,... तो बस बिना कुछ कहे पांच मिनट में अपनी शलवार का नाड़ा खुद खोलने लगती थीं ,
और तीन चार राउंड तो मामूली , कम से कम चार घंटे तक असर रहता था उसका , ...
नहीं नहीं भांग नहीं थी ये ,एकदम इम्पोर्टेड। बॉलीवुड वालियां जिस ; ' माल' के लिए तड़पती थीं, व्हाट्सऐप और ,... हाँ वहीँ पर ये कमाल था , उस माल का बाप , ... और उसी की शुद्ध खोये वाली बर्फी में डाल कर, किसी तरह आधी बरफी भी कम्मो भौजी के मुंह में घुस गयी , तो उनके पिछवाड़े बंटू का बांस पूरा जाना तय था ,...
अपने दोनों हाथों में पेण्ट मलते , बंटू ऊपर से मंटू को पटक पटक कर चोदती कम्मो भौजी के बड़े बड़े उठते गिरते चूतड़ों को देख कर सोच रहा था ,
पूरी बर्फी उसने एक हाथ में ली , और आँगन में कम्मो भाभी के पास दबे पाँव
कम्मो ऊपर ,
मंटू नीचे
लेकिन नीचे से भी मंटू ने इतना जबदस्त धक्का मारा पूरा खूंटा भौजी की बुरिया में और सीधे बच्चेदानी पर लगी ठोकर ,... कम्मो ने मस्ती में आँखे बंद कर ली थी
और इससे अच्छा मौका क्या मिलता , खूब ताकत से एक हाथ से कम्मो के दोनों गाल दबाये और उन्होंने चिड़िया की तरह मुंह चियार दिया ,
पूरी की पूरी माल वाल बर्फी भौजी के मुंह के अंदर , और वो चुभलाने लगीं , आँखे खोल दी
पर देवर ने पहले तो होंठ उनके सील किये चार मिनट तक जब तक बर्फी पूरी तरह घुल नहीं गयी , फिर बोला ,
" हमने सोचा की भौजी इतनी मेहनत कर रहीं हैं , तानी उन्हें कुछ खिलाय पिलाय दें। "
" आपन बहिन उ हलवाई के यहाँ रखवाये थे की महतारी ,... बहुत मस्त बर्फी है ,"
मजे से आखिरी टुकड़ा चुभलाते भौजी ने अपने अंदाज में जवाब दिया और कचकचा के बंटू के गाल काट लिए , फिर कमर उठा के एक धक्का और ,
नीचे से मंटू के एक हाथ ने भौजी की पीठ पकड़ रखी थी और दूसरा हाथ ऊपर चढ़ी भौजी के जोबन का रस ले रहा था , बस दूसरा लड्डू बंटू के हाथ लग गया , लेकिन जोबन रस लगाने के साथ पक्का गाढ़ा लाल रंग का पेण्ट भी वो भौजी की खुली ३८ साइज की चूँची पर , और कुछ देर पर उसके दोनों हाथ कम्मो के जोबन का रस ले रहे थे , उसे रंग रहे थे ,
चोली के ऊपर से तो होली में सब रंगते हैं , देवर भौजी की होली तो चोली के अंदर वाली होती है , कुछ देर में भौजी के दोनों जोबना लाल लाल , और निपल बैंगनी ,... लेकिन बंटू का असली टारगेट तो कुछ और था ,
भौजी के बड़े बड़े मस्त चूतड़ , बड़ी मुश्किल से ऐसे चूतड़ मिलते हैं होली में रंग लगाने के लिए ,
और इन के लिए एकदम पक्के वाले रंग जिनसे रंगरेज ऐसे चुनरी रंगते हैं की जिंदगी भर रंग न छूटे , वो वाले लाल , काही , नीले रंग वो लाया था , साथ में पेण्ट के ट्यूब , जो प्रिंटर इस्तेमाल करते हैं वो वाले ,
रंग लगाने के साथ साथ जिस तरह से वो भौजी के नितम्बों को सहला रहा था , मसल रहा था , रगड़ रहा था ,
भौजी और मचल रही थीं , फागुन में जवान होते दो दो देवर , और जिस तरह से बंटू उनके पिछवाड़े मसल रहा था , वो समझ गयी थीं , स्साला बहनचोद पक्का रसिया है ,
बर्फी में मिले माल का असर भी भौजी के तन मन में घुल रहा था , असर दिखा रहा था ,
और रंग लगाते भौजी लगाते देवर की ऊँगली बार बार पिछवाड़े की दरार पर रगड़ देतीं और उस का असर भौजी पर सीधे होता , अगला धक्का दूनी ताकत से वो मारतीं
गच्चाक , अचानक पूरी ताकत से बंटू ने तर्जनी ठेल दी ,,
उईईईईई , भौजी के मुंह से चीख निकल गयी ,
सच्च में बड़ी ही कसी थी एकदम हाईकॉलेज वाली किसी कच्ची कोरी की तरह ,
बंटू घुसे हुए पोर को गोल गोल घुमा रहा था , उसने कितने कमसिन लौंडो की गाँड़ खोली थी , पहली पहली बार मारी थी , उन सालो की भी इतनी टाइट नहीं होती थी , पूरी ताकत से उसने फिर ऊँगली ठेली लेकिन एक सूत भी नहीं सरक पायी अंदर ,
उईईईईई अबकी और जोर से चीखीं कम्मो भौजी और वहीँ से गरियाया ,
"स्साले उधर नहीं , ... "
गोल गोल ऊँगली घुमाते बंटू ने जवाब भी उसी अंदाज में दिया ,
" काहें भौजी , उ का अपने गाँव वालन के लिए , हमरे गांडू स्सालों के लिए बचा रखा है , मैं बता देता हूँ , सालो को बोल दीजियेगा , हमार भौजी , और हमार भौजी की बहिनियो, हमरी सालियों की ओर आँख भी न उठाय के देखें , अरे बहुत मन करे न , तो तोहार आपने , महतारी के साथ ,... "
और फिर पूरी ताकत के साथ जो बंटू ने ठेला तो आधा पोर और अंदर गाँड़ के
" अरे साले , तोहरे साले हमारा बहिन ना तोहरी बहिनी क मरिहैं , तोहरी बहिनिया सोनू और अनुज क बहिनिया गुड्डी दोनों क गाँड़ मारेंगे , तोहरे स्साले , निकाल उंगली "
चीखते हुए कम्मो ने गरियाया।
ऊँगली तो बाहर निकल गयी लेकिन किसी ट्यूब का नोजल , कम्मो को लगा तो अंदर तो नहीं रंग लगा रहा है , फिर उन्हें ठंडा सा अंदर लगा ,
आज बंटू का इरादा भी पूरा था और प्लानिंग भी ,
बोरोलीन की ट्यूब , उसी की नोजल , और दबा के पूरी की पूरी ट्यूब की क्रीम भौजी की गाँड़ में , जो बचा खुचा था उसके मोटे सुपाड़े में
उसने जोर से नीचे दबे बंटू को आँख मारी , बस
इसके पहले भी वो दोनों कितनी बार जुगल बंदी कर चुके थे , बंटू ने जोर से मंटू को आँख मारी , बस मंटू ने धक्के की रफ़्तार नीचे से बढ़ाई , हर दूसरा धक्का , कम्मो भौजी के बच्चेदानी से टक्कर खा रहा था ,
ऊपर से अब पिछवाड़े का मोह छोड़ कर , एक हाथ से कस के बंटू भौजी के जोबन मीस रहा था और दूसरा जांघ के बीचों बीच उस जादू के बटन , भौजी की क्लिट पर , कभी सहलाता कभी दबाता , कभी क्लिट कस कस के रगड़ देता ,
बस दो चार मिनट में असर आ गया , कम्मो जोर जोर से झड़ने लगी , उसकी देह ढीली हो गयी , आँखे बंद हो रही थी ,