18-03-2021, 10:21 AM
मंटू बंटू
कम्मो भौजी
मंटू बंटू दोनों मुझसे बाजार में मिल चुके थे और दोनों को मालूम था ,
घर में भौजी अकेले हैं , बस।
दरवाजे पर जब पहुँच कर उन्होंने पूछा तो टिपिकल कम्मो भौजी वाली गारी से स्वागत हुआ ,
" स्सालों , बहन के भंडुआ , पहले ये बताओ की चिकनों अपने पिछवाड़े वैसलीन लगा के आये हो की नहीं , ये मत कहना की तेरी बहने अगवाड़े पिछवाड़े वैसलीन लगा के निकल गयी अपने यारों से मरवाने और तुम सब के लिए कुछ छोड़ा नहीं , ...
चल पहले दोनों आंगन में निहुर , सच्चे कोल्हू वाले कडुवे तेल की बोतल रखी हूँ , भले छरछराये परपरायेगा , लेकिन सटासट सटासट घुसेगा , ...
और नयकी भौजी नहीं है , लेकिन मैं अकेले काफी हूँ , तुम दोनों की पिचकारी पिचकाने के लिए ,... "
और उन दोनों को अंदर कर के , दरवाजा खटाक से उन्होंने बंद कर लिया।
" सीधे से उतार दो वरना कहीं फट फटा गयी , और ऐसे गए तो ऐसे चिकने हो , कोई निहुरा के मार लेगा तो हमें मत कहना ,
दोनों ने फ्लोरल बिना बांह वाली पतली बनयाइन ऐसी टी शर्ट पहन रखी थी , और कम्मो ने साफ़ साफ़ वार्निंग दे दी ,
हर रोज होली में शर्ट तो फटती ही थी ,
लेकिन बंटू बोला , " अरे भौजी के रहते हमें हाथ लगाना पड़े , आप उतार दीजिये न "
बस कम्मो का हाथ और सबसे पहले मंटू की शर्ट , लेकिन उन्हें अपने लालची बदमाश देवरों की शरारत का पता नहीं था और वो भी बंटू , बदमाशों का सरदार ,
भौजी के दोनों हाथ मंटू की शर्ट में उलझे थे और झट से बंटू ने भौजी का आँचल पकड़ कर , पहले तो जितना पेटीकोट में फंसा था उसे ढीला किया और जब तक वो रोकती , आधी साड़ी बंटू ने खींच के और रही सही मंटू ने ,
दोनों देवर तो टॉपलेस हो गए पर भौजी भी सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट में ,
यही नजारा तो देवर देखना चाहते थे ,
भौजी के जोबन जबरदस्त थे , और खूब टाइट छोटे लो कट ब्लाउज में शैतान बच्चे की तरह उछलते कूदते , किसी का भी खूंटा खड़ा हो जाए
और ये दोनों तो देवर थे , तो खूंटा खड़ा झंडा लहराने लगा , बारमूडा में तम्बू तन गया।
पेटीकोट भी आगे जाँघों के बीच चिपका , पिछवाड़े से बड़े बड़े भारी नितम्बों की दरार में दुबका ,...
" तुम लोग भी कहोगे की भाभी नहीं है तो भौजी ने कुछ खिलाया पिलाया नहीं , तानी ताकत हो जाए तो होली होगी आज जबरदस्त "
कम्मो स्टोर में घुस गयी और दरवाजा भी उठँगा लिया ,
खाना पीना तो बहाना था , असली चीज रंग का स्टॉक , ... कालिख , पेण्ट की ट्यूब , पक्के रंगो की पुड़िया कोंछ में , एक जग में घोल के खूब गाढ़ा रंग बनाया ,
फिर भांग वाली गुझिया , ठंडाई , समोसा , कम्मो भौजी रंग , पेण्ट कालिख इकठ्ठा कर तो रहीं थीं लेकिन मन और इरादा दोनों कुछ और था ,
देवरों की चमड़े की पिचकारी से रंग खेलने का , जब से उन्होंने दोनों का कोमल को मुठियाते देखा था , एकदम मोटा मूसल , तभी से , प्लानिंग तो उन लोगों की पक्की थी , वो स्टोर में अनुज के साथ और दोनों देवर अपनी नयकी भौजी पर , ... वहीँ आंगन में
बहुत जोर की खुजली कम्मो भौजी की गुलाबो में मच रही थी , और कल जब से अनुज ने इसी आँगन में उन्हें रगड़ रगड़ कर , क्या ताकत है उसके अंदर , एकदम मस्त ,... और ये दोनों तो उससे भी बाइस लगते हैं , जैसे कल अनुज को पटक के लिया था न उसी तरह से आज , उन्होंने तय कर लिया था पहले मंटू पर नंबर लगाएंगी ,
और मंटू बंटू भी , बस वही सोच रही थी , आज तो बस सफ़ेद रंग वाली होली , ..एक बार उन्होंने चेक कर लिया था सभी दरवाजे बंद है , लेकिन तब भी , बंटू बाहर जाकर , बाहर का दरवाजा उसने बंद कर लिया और पीछे के दरवाजे से आकर वो भी
कम्मो भौजी
मंटू बंटू दोनों मुझसे बाजार में मिल चुके थे और दोनों को मालूम था ,
घर में भौजी अकेले हैं , बस।
दरवाजे पर जब पहुँच कर उन्होंने पूछा तो टिपिकल कम्मो भौजी वाली गारी से स्वागत हुआ ,
" स्सालों , बहन के भंडुआ , पहले ये बताओ की चिकनों अपने पिछवाड़े वैसलीन लगा के आये हो की नहीं , ये मत कहना की तेरी बहने अगवाड़े पिछवाड़े वैसलीन लगा के निकल गयी अपने यारों से मरवाने और तुम सब के लिए कुछ छोड़ा नहीं , ...
चल पहले दोनों आंगन में निहुर , सच्चे कोल्हू वाले कडुवे तेल की बोतल रखी हूँ , भले छरछराये परपरायेगा , लेकिन सटासट सटासट घुसेगा , ...
और नयकी भौजी नहीं है , लेकिन मैं अकेले काफी हूँ , तुम दोनों की पिचकारी पिचकाने के लिए ,... "
और उन दोनों को अंदर कर के , दरवाजा खटाक से उन्होंने बंद कर लिया।
" सीधे से उतार दो वरना कहीं फट फटा गयी , और ऐसे गए तो ऐसे चिकने हो , कोई निहुरा के मार लेगा तो हमें मत कहना ,
दोनों ने फ्लोरल बिना बांह वाली पतली बनयाइन ऐसी टी शर्ट पहन रखी थी , और कम्मो ने साफ़ साफ़ वार्निंग दे दी ,
हर रोज होली में शर्ट तो फटती ही थी ,
लेकिन बंटू बोला , " अरे भौजी के रहते हमें हाथ लगाना पड़े , आप उतार दीजिये न "
बस कम्मो का हाथ और सबसे पहले मंटू की शर्ट , लेकिन उन्हें अपने लालची बदमाश देवरों की शरारत का पता नहीं था और वो भी बंटू , बदमाशों का सरदार ,
भौजी के दोनों हाथ मंटू की शर्ट में उलझे थे और झट से बंटू ने भौजी का आँचल पकड़ कर , पहले तो जितना पेटीकोट में फंसा था उसे ढीला किया और जब तक वो रोकती , आधी साड़ी बंटू ने खींच के और रही सही मंटू ने ,
दोनों देवर तो टॉपलेस हो गए पर भौजी भी सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट में ,
यही नजारा तो देवर देखना चाहते थे ,
भौजी के जोबन जबरदस्त थे , और खूब टाइट छोटे लो कट ब्लाउज में शैतान बच्चे की तरह उछलते कूदते , किसी का भी खूंटा खड़ा हो जाए
और ये दोनों तो देवर थे , तो खूंटा खड़ा झंडा लहराने लगा , बारमूडा में तम्बू तन गया।
पेटीकोट भी आगे जाँघों के बीच चिपका , पिछवाड़े से बड़े बड़े भारी नितम्बों की दरार में दुबका ,...
" तुम लोग भी कहोगे की भाभी नहीं है तो भौजी ने कुछ खिलाया पिलाया नहीं , तानी ताकत हो जाए तो होली होगी आज जबरदस्त "
कम्मो स्टोर में घुस गयी और दरवाजा भी उठँगा लिया ,
खाना पीना तो बहाना था , असली चीज रंग का स्टॉक , ... कालिख , पेण्ट की ट्यूब , पक्के रंगो की पुड़िया कोंछ में , एक जग में घोल के खूब गाढ़ा रंग बनाया ,
फिर भांग वाली गुझिया , ठंडाई , समोसा , कम्मो भौजी रंग , पेण्ट कालिख इकठ्ठा कर तो रहीं थीं लेकिन मन और इरादा दोनों कुछ और था ,
देवरों की चमड़े की पिचकारी से रंग खेलने का , जब से उन्होंने दोनों का कोमल को मुठियाते देखा था , एकदम मोटा मूसल , तभी से , प्लानिंग तो उन लोगों की पक्की थी , वो स्टोर में अनुज के साथ और दोनों देवर अपनी नयकी भौजी पर , ... वहीँ आंगन में
बहुत जोर की खुजली कम्मो भौजी की गुलाबो में मच रही थी , और कल जब से अनुज ने इसी आँगन में उन्हें रगड़ रगड़ कर , क्या ताकत है उसके अंदर , एकदम मस्त ,... और ये दोनों तो उससे भी बाइस लगते हैं , जैसे कल अनुज को पटक के लिया था न उसी तरह से आज , उन्होंने तय कर लिया था पहले मंटू पर नंबर लगाएंगी ,
और मंटू बंटू भी , बस वही सोच रही थी , आज तो बस सफ़ेद रंग वाली होली , ..एक बार उन्होंने चेक कर लिया था सभी दरवाजे बंद है , लेकिन तब भी , बंटू बाहर जाकर , बाहर का दरवाजा उसने बंद कर लिया और पीछे के दरवाजे से आकर वो भी