17-03-2021, 07:12 PM
अब आगे .....
भाभी ने महीन हलके रंग के कपडे की नायटी पहन रखी थी, जिसके कंधो पर नाम मात्र की दो महीन पट्टिया थी, सिने से ऊपर कंधे बिलकुल खुले हुवे थे, जिसमे से उनके सफ़ेद मांसल कंधे दिख रहे थे, उनके बड़े बड़े भारी स्तन सब तरफ से बाहर आ रहे थे, नायटी बदन पर टाइट थी और बड़ी मुश्किल से भाभी के कुलहो को ढांक पा रही थी, नायटी की लम्बाए भी भाभी की झंघो तक ही थी, उनके केले के तने की तरह सफ़ेद, चिकनी, थी, में अपनी आँखे उनके बदन पर से हटा ही नहीं पा रहा था, तभी भाभी कांच की तरफ पलटी और अपने बाल बनाने लगी, उन्होंने जैसे ही अपने हाथ ऊपर की और उठाये, उनकी सफ़ेद चिकनी बिना बालो वाली कामुक काँख दिखाई देने लगी, उनके स्तन साइड से बाहर की और आ रहे थे, मांसल पीठ पूरी तरह से नग्न थी, में पागलो की तरह भाभी को घूरे जा रहा था, और वो मुझे कांच में देख रही थी, भाभी ने ब्रा नहीं पहनी थी, मेने जब उनके कुलहो की तरफ देखा तो पाया की उन्होंने एक सफ़ेद रंग की छोटी सी चड्डी पहनी थी, जिसमे उनके बड़े बड़े कुल्हे समा ही नहीं रहे थे,
अचानक भाभी मेरी और पलटी, और यूँ मुझे खुले मुंह आँखे फाड़ते हुवे उन्हें घूरते हुवे देख बोली क्या हूवा जनाब, कभी किसी को नायटी में नहीं देखा क्या, में क्या बोलता बस हकलाते हुवे कहा नहीं ऐसी कोई बात नहीं, बस आपको ही कभी एस तरह से नहीं देखा, एसलियी
तो भाभी बोली तो देख लो अच्छी तरह से, में कहा भागे जा रही हूँ, और ऐसा बोल वो पूरा गोल घूम गयी, और बोली लो देख लो पुरा देख लो, और ऐसे कहते हुवे मेरे पास आ गयी, में पूरा पसीने में भरा था, घबरा कर गले से थुक गट्का, और तुरंत ही एक कदम पीछे हो गया, मेरा संकोच देख भाभी बेड पर बैठ गयी, और तकिया खीच उस पर पीछे की तरफ झुक गयी, अब वो आधी लेती अवस्था में थी, लेटने से उनकी नायटी और ऊपर की और चढ़ गयी, मेने अपनी नज़ारे झुका ली, लेकिन मेरा टेंशन दुसरा था,
वास्तव में मेने बरमुडा पहन रखा था, लेकिन मेरा कड़कनाथ भाभी को एस हालत में देख सलामी देने लग गया, मेने देखा की भाभी की निगाह भी घूम फिर कर मेरे बरमुडे पर टिक रही थी, तो में तुरंत बाथरूम में घुस गया और अपने हथियार को बाहर निकाल कर उसे हवा खिलाई, फिर पेशाब कर उसे शांत किया, बाहर आकर मेंने एक तकिया उठा कर पास में सोफे पर रख बैठ गया, भाभी बोली क्यों आप सोफे पर सोयेंगे क्या, मेने कहा हां एक बिस्तर पर सोना ठीक नहीं रहेगा, तो बोली में बिना मतलब ही भोपाल आई, आखिर में आपकी भी कुछ लगती हूँ, कोई अजनबी तो नहीं जो आप यूँ रियेक्ट कर रहे हे, मेरे साथ सोने से आप का ब्रह्मचर्य व्रत टूट जाएगा क्या
मेने कहा भाभी ऐसी बात नहीं, लेकिन हमारा एक कमरे में रहना एक बिस्तर पर सोना ठीक नहीं भैया यानी मेरे बड़े साले साहेब और मेरी बीबी को पता चलेगा तो बवाल मच जाएगा,
भाभी बोली, पता कैसे चलेगा, या तो आप बोले या में बोलू तो हि ना, तो जहा तक मेरा सवाल हे, में तो बोलने से रही, और आप तो पहले ही दीदी यानी मेरी वाइफ को बोल चुके हे की आप भोपाल में नहीं हे, आज रात बस में बिताएंगे यात्रा करते हुवे
मेने कह्हा कही भैया ने आपके मायके फ़ोन लगा दिया और उन्होंने बता दिया की आप निकल चूकी हे तो तो भाभी बोली में यह कह कर मायके से निकली हूँ की भोपाल में मेरी एक सहेली के घर दो चार दिन रुकने, घुमने के बाद ही अपने ससुराल जाउंगी, और मेरी ऐसी कोई सहेली भोपाल में हे ही नहीं तो वो किस से कन्फर्म करेंगे, और रही बात आपके साले साहेब की तो उन्होंने पिछले एक माह में मात्र दो बार मुझसे बात की हे, एक बार उनके किसी कागज़ का पूछ रहे थे, दुसरी बार कल जब मेने कहा की आ जाऊ क्या तो बोले की मम्मी भी गुडिया ( यानी मेरी बीबी) के साथ नानी के यहाँ जा रही हे, तुम चाहो तो दो चार दिन बाद आ जाना
अब चुप होने की बारी मेरी थी, भाभी ने बेग मे से ताश की गद्दी निकाली और पत्ते फेटते हुवे बोली अभी से सोयेंगे क्या एक दो बारी गेम हो जावे, मे भी तुरंत बेड पर आ गया भाभी ने पत्ते फेटे और बाट कर गेम शुरू किया, जब भाभी पत्ते देखने में व्यस्त थी मेने उनके बोबो पर चोर निगाह मारी, उन्होंने ब्रा नहीं पहनी थी, जिस कारण से उनके बड़े बड़े पपीते के सामान सफ़ेद गोर गोर स्तन नायटी फाड़ बाहर आने को हो रहे थे, उनके निप्पल पतली नायटी में से दिखाई दे रहे थे, उनके उभार साफ़ दिखाई दे रहे थे, भाभी मुझे उनके स्तनों को ताड़ते हुवे देख मुस्कुरा रही थी, जान बुझकर थोड़ा आगे की और झुक कर ताश खेलने लगी,
मेरे लंड के उभर को छुपाने के लिए मेने गोद में तकिया रख लिया, भाभी बोलूई क्या हवा मेने बात पलटते हुवे, कहा कुछ नहीं, भाभी हसने लगी,
में खुद चोर निगाह से भाभी को देख रहा था, और ताश के खेल में ध्यान नहीं दे पा रहा था, तो हारने लगा, तब भाभी बोली चलो गेम को थोडा इंटरेस्टिंग बनाते हे, जो हारेगा, उसे जितने वाले की इच्छा अनुसार बताया काम करना पडेगा,
में तो मानो उस जगह था ही नहीं मेने बिना सोचे विचारे भाभी की बात में हां भर दी, पहला गेम में हार गया भाभी ने कहां ठीक हे तो फिर दोनों के लिए बियर निकालो फ्रीज से, में कहा इसमे क्या बड़ा काम में निकाल लाया, भाभी नए गेम के लिए पत्ते फेटने में व्यस्त हुयी और मेने बियर की केंस ओपन कर ली, अब हम फिर से नया गेम खेलने लगे, भाभी थोड़ा तकिये पर झुकी और एक हाथ की कोहनी के बल आधी लेट सी गयी, झुकने से उनके स्तन बाहर की और आ गए, नायटी के ऊपर के भाग में उनके स्तन समा ही नहीं रहे थे, मुझे हर पल यूँ लग रहा था मनो अब निप्पल बाहर निकलेगे, में फिर पत्तो की आड लेकर उनके उभारो को ही घूरे जा रहा था, ताश के खेल में मेरा ध्यान था ही नहीं, में यह बाजी भी हार चुका था,
और हारे को फिर जितने वाले की बात माननि पड़ती, बियर को ख़त्म करते करते मेने कहा आदेश दीजिये, अब क्या हुक्म हे, भाभी जोर से हसी और बोली अब थोड़ा नया करते हे ऐसा करिए, अपनी बनियान उतार दीजिये, में उनकी बात सुन चोंक सा गया, कहता क्या, हारने की वजह से सब शर्ते मानना मेरा काम था, मेने अपनी बनियान खोल दी, ऊपर से खुले बदन किसी महिला के सामने बैठना मेरे लिए थोड़ा विचित्र था, लेकिन मज़बूरी थी, वो तो गनीमत थी की कॉलेज के समय से में बॉडी बिल्डिंग करता था, और अभी भी लॉक डाउन खुलने के बाद जिम जाना शुरू किया हवा था, मेरा सीना बढ़िया भरा हवा था, सिक्स पैक तो नहीं लेकिन हां तीन चार पैक ऐब्स तो थे ही, बाहों पर मछलियों की तरह मांसपेशिया थी, कंधे, वजन उठाने के कारण भरे हुवे थे, मेरी बिबि को मेरे बदन पर फक्र था,
भाभी मेरे सिने को देखती ही रह गयी, बोली वोव सुपर्ब में सोंच भी नहीं सकती थी, आप इतने फिट होंगे, एक हमारे जनाब हे, सीना पिचका हवा, और पेट बाहर जेसे गर्भ से हो, में हंसा मेने कहा आपको पसंद आया मतलब इतनी वर्षी की मेहनत सफल हो गयी, भाभी ने अपनी नाजुक उंगलिया मेरे साइन पर फेराई, मुझे गुड गुडी सी हुयी, लेकिन में तो उनके स्तनों को देखने में ही व्यस्त था
भाभी ने एक बार फिर बियर पिटे पिटे पत्ते फेंटे, लेकिन एस बार में सतर्क था, क्योंकि अब हारना मतलब बचे खुचे कपड़ो से भी हाथ धो बैठना था, एस बार में शुरू में जितने लगा, भाभी समझ चुकी थी, उन्होंने नया दांव खेला, और बोली आज शाम पैदल घुमने से पैर दर्द करने लगे हे, और फिर सीधी बैठ अपने पैरो को मोड़ लिया,
बाप रे बाप.....
अब तो उन्होंने मुझे पागल करने का पक्का इंतेजाम कर दिया, पैर मोड़ने फिर वापिस फेलाने से उनकी नायटी ऊपर चढ़ गयी और अब उनकी छोटी सी चड्डी जो की सफ़ेद रंग की थी, दिखाई देने लगी, अब मेरा सारा ध्यान उनके स्तनों से हथ उनके झांघो के जोड़ो के बिच आ गया, छोटी सी सफ़ेद पन्टी उनकी गुलाबी फुगी हुयी चूत को बा मुश्किल छुपा रही थी, भाभी बार बार अपने पैर भींच रही थी जिससे उनकी पेंटी सिमटती सी जा रही थी,
मेरे होश ठिकाने पर नहीं थे, सफ़ेद मोटी मोटी चिकनी चिकनी झांघे जिन पर बालो का नामोनिशान नहीं था, ऐसी इच्छा हो रही थी की अभी भाभी को पटक कर उनकी एन मस्त झंघो को चाटने लग जाऊ, एस बार फिर मेरा गेम में हारना निश्चित था, और हवा भी वही,
एस बार सज़ा में भाभी ने बरमुडा खोलने का बोला में चुप .......
मेने कहा भाभी इतनी सख्ती मत दिखाओ कुछ गरीब पर रहम करो, तो हस कर बोली, प्यार और जंग में सब जायज हे, और खेल भी एक जंग ही हे, इसे मानो या इससे भी बड़ी सज़ा के लिए तय्यार हो जाओ
मरता क्या ना करता भाभी के आदेशानुसार बरमुडा खोल दिया, लेकिन अंदर मेने वी शेप फ़्रन्ची पहनी थी जो की मेरी बीबी अपनी पसंद से लायी थी, बड़ी छोटी सी थी, मेरा लंड का आकार उसमे समा ही नहीं रहा था, नार्मल में तो सही रहती हे, लेकिन आज भाभी का मदमस्त बदन देख अपने कडक नाथ महाशय सही में ही कड़क हो रहे थे, फ्रंची फटने को हो रही थी, ऊपर से मेरी कसरती झंघे बड़ी खुबसूरत लग रही थी,
भाभी की निगाहें बस मेरी फ्रेंची पर ही अटक गयी थी, मेने कहा क्या हवा, तो बोली में समझी थी केवल ऊपर से ही कड़क होंगे, अन्दर से नाज़ुक होगे, लेकिन यहाँ तो अंदर भी लोहा ही भरा हवा हे, डर लग रहा हे, मेने कहा काहे का डर तो बोली तुम नहीं समझोगे,
भाभी एक ही घूंट में अपनी बची हुयी बियर डकार गयी, और मुझे अब उनकी आँखों में बियर का नशा महसूस होने लगा था, एस बार फिर भाभी ने पत्ते फेंटे, बांटे और नया गेम स्टार्ट शुरू हवा में थोड़ा फ्रेंची में उनके सामने बैठने में असहज महसूस कर रहा था, ऊपर से मेरा लंड सलामी भर रहा था, मेने फिर तकिया उठा गोद में रख लिया
लेकिन एस बार मेरी किस्मत अच्छी थी, शुरू से ही में पॉइंट्स बनाता चला और जितने लगा, इसका मैं कारण यह था की भाभी अब मेरे कसरती जिस्म से अपनी निगाहे ही हटा नहीं पा रही थी, उनके चेहरे पर मस्ती चढ़ती जा रही थी, गाल गुलाबी और आँखे नशीली होती जा रही थी, और फिर किस्मत से में यह गेम जित गया
भाभी अज्ञात शंका में घबरा रही थी की में उन्हें क्या सज़ा देता हूँ, लेकिन मेने सब्र रखा और उनसे वही सज़ा दी जो उन्होंने मुझे दी थी, मेने फ्रीज से बियर की केन मंगवाई, मेरी शर्त सुन भाभी की जान में जान आई, थोड़ी गहरी सांस लेकर बोली थैंक्स गॉड तुमने बदला नहीं लिया, मेने कहा भाभी में इतना कमीना नहीं , तो हस कर भाभी बोली मतलब में कमिनी हूँ, मेने कहा और क्या, एक अकेले आदमी को देख फंसा रही हो, बेचारे को अधनंगा कर दिया, और ऊपर से अपनी कमिनियत का सबुत भी चाहिए आपको, वो तो गनीमत थी की में एस बार जित गया नहीं तो आप अब तक मुझे नंगा करके ही छोडती
भाभी जोर जोर से हसने लगी, बियर की दूसरी केन का दौर शुरू हो चुका था, भाभी बोली मेने बरसो से नहीं पि, ना जाने क्या कर बेठु, शायद मुझे होश ही ना रहे, तो मेने कहा आप कहा जंगल में हो रूम में हो और में आपके साथ हूँ
लेकिन अब तक भाभी पर बियर का नशा चड़ने लगा था, पत्ते फेटने में गलती कर रही थी, गेम स्टार्ट होने पर पहले दो पॉइंट्स मेरे बने, एस बार मेने साम दाम दंड भेद वाली निति चली, और अपनी झंघो से तकिया हटा दिया, भाभी चौंक सी गयी और, उनकी आँखे सिर्फ मेरे फ्रेंची पर टिक गयी, बातों बातों में मेने उन्हें कहा अरे आराम से बेंठो, थोड़ा पीछे की तरफ लेट जाओ, अब तक उन पर बियर का नशा अपना असर दिखाना शुरू कर चुका था, मेरी बांतो में आकर वो आराम से लेट गयी, जिससे उनकी झंघो के जोड़ खुल गए, मेने देखा उनकी सफ़ेद पेंटी पर दाग सा लगा था, शायद उनकी चूत पानी छोड़ने लगी थी, इस राउंड में भी में ही जीता, और मेरी शर्त सुन भाभी के होंश उड़ गए
मेने कहा की आपको अपनी नायटी की कंधो की स्ट्रैप्स यानी पट्टिया हटानी होगी, उन्होंने मेरी बात गोर से सुनी, और कहा की तुम तो कह रहे थे में कमीना नहीं, तब मेने कहा हां कहा था लेकिन पूरी बात आप ने सुनी नहीं वो बोली क्या, मेने कहा में कमीना नहीं महा कमीना हूँ और अपने दांत दखाने लगा,
भाभी बड़ी मुश्किल में थी बार बार अपने हाथ कंधो तक ले जाती और फिर हटा देरटी, मेने कहा देर ना करो नहीं तो शर्त में बदलाव कर दूंगा, ऐसा सुनते ही उन्होंने तुरंत अपनी नायटी की स्ट्रिप्स कंधे से हटा दी, उन्हें लगा यह नार्मल रहेगा लेकिन इसी में चाल थी, अब भाभी एक हाथ से पत्ते पकडती और दुसरे हाथ से अपनी नायटी को क्योंकि नायटी बार बार उनके साइन से निचे स्लिप होती जाती, वो परेशान होती गयी एक तो बियर का नशा दुसरा सामने बैठा अधनंगा मस्कुलर जवान आदमी, ऊपर से वो खुद पिछले एक महीने ज्यादा से पति से दूर थी, अब तक मेरा भी सब्र का बाँध टूटने लगा था, उनके आधे से ज्यादा मांसल स्तन बार बार दिखाई देंते, और वो उनको एक हाथ से छुपाती,
मुझे पता था की यह सब त्रिया चरित्र हे, वो क्यों मेरे पास भोपाल अकेली आई हे, लेकिन अब सती सावित्री होने का नाटक कर रहि थी, यह गेम बराबरी पर छूटा, रात भी होने आई थी, मेने कहा अब सोये, तो बोली आपको सुबह मार्किट भी जाना होगा, मेने कहा की हां जाना तो हे लेकिन थोड़ा लेट, आमतोर पर में होटल से लंच करके ही निकलता हूँ, ताकि मेरी सभी पार्टियाँ अपने दूकान पर पहुच जाए, और ख़ास कर मेने भाभी के होटल आने का सुन कल का कोई प्लान नहीं बनाया था, क्योंकि मेरी इच्छा थी की यदि हवा तो भाभी को लेकर रात में ही अपने शहर निकल जाउंगा, यानी अब में किसी बंदिश में नहीं था. यह बात मेने भाभी को नहीं बतायी
भाभी बोली यही पलंग पर सोना, सोफे पर नहीं, मेने कहा ठीक हे, मेने कपडे पहनने के लिये उठाये, लेकिन भाभी ने कपडे मेरे हाथ से छुडा लिए, और कहा की इतनी अच्छी बॉडी ढकने के लिए नहीं होती, मेने कहा ठीक हे, अब में केवल अपनी छोटी सी फ्रेंची में था, बियर पिने और रूम में ऐसी की ठंडक से पेशाब लगी थी, में बाथरूम जाने लगा तो भाभी बोली मुझे भी जाना हे, मेने कहा आप पहले हो आओ तो बोली एक ही काम से जाना हे तो साथ चलते हे, मेंने कहा ठीक हे, बाथरूम में घुसते ही भाभी ने अपनी पेंटी घुटनों तक उतार कर मेरे आगे अपनी मांसल कड़क गांड दिखाती हुयी कम्बोड पर बैठ गयी, मेने भी बिना शर्म अपनी फ्रेंची मे से अपना लंड निकाला और दिवार की तरफ मुंह कर मुतने की कोशिश करने लगा, लेकिन साला लंड भाभी की गांड देख इतना टाइट हो गया था की पेशाब का जोर लगने के बावजूद धार नहीं आ रही थी, भाभी झुक कर मेरे लंड को आँखे फाड़ फाड़ देखने लगी, इतने में उनकी चूत से मूत की धार जोर जोर से सिटी की आवाज़ करती निकली, उसे सुन में और बौरा सा गया, जो थोड़ा मुतने का मुड बना था वह भी जाता रहा लेकिन अंडकोष में पेशाब भरी होने से दर्द सा महसूस हो रहा था,
भाभी मुतने के बाद भी कम्बोड से नहीं उठी और मुझे बोली में हेल्प करूँ मेने हंस कर कहा मेरी तरफ से आप मुतोगी क्या, बोली ऐसा ही समझ लो, और फिर उन्होंने बिना शर्म के मेरे लंड को हाथ में लिया और उसे अंडकोष सहित सहलाने लगी, वो थोड़ी झुकी हुयी थी, जिस वजह से उनके बड़े बड़े स्तन नायटी से बाहर आ गए थे, मेने मौंका ना छोड़ते हुवे उन्हें अपने हाथो में भर लिया और उन्हें सहलाने लगा, भाभी गरमा गयी बोली ऐसा करोंगे तो पेशाब और नहीं आएगी, मेने कहा वह मंजूर हे लेकिन में इन्हे नहीं छोड़ सकता
भाभी ने एक बार भी विरोध नही किया और मेरा लंड सहलाती रही, में उनके बड़े बड़े बोबे मिन्जता रहा, खेर कुछ पलो में मेरी भी पेशाब की धार फुट पड़ी, में बड़ा रिलैक्स हवा, मेने कहा थैंक्स भाभी आज आप ना हाथ से हिलाती तो ना जाने क्या होता, मेरे गा्ल ब्लेडर फुट जाते, बोली में ना होती तो ये इतने सख़त नहीं होते, और मेरे पास इसके आगे का भी इलाज था और हसने लगी
अब मुझे आगे का इलाज का मतलब खुद समझना था और उसका मतलब यह था की वो मुख मंजन करती लेकिन साली उसकी नौबत ही नहीं आई
भाभी ने महीन हलके रंग के कपडे की नायटी पहन रखी थी, जिसके कंधो पर नाम मात्र की दो महीन पट्टिया थी, सिने से ऊपर कंधे बिलकुल खुले हुवे थे, जिसमे से उनके सफ़ेद मांसल कंधे दिख रहे थे, उनके बड़े बड़े भारी स्तन सब तरफ से बाहर आ रहे थे, नायटी बदन पर टाइट थी और बड़ी मुश्किल से भाभी के कुलहो को ढांक पा रही थी, नायटी की लम्बाए भी भाभी की झंघो तक ही थी, उनके केले के तने की तरह सफ़ेद, चिकनी, थी, में अपनी आँखे उनके बदन पर से हटा ही नहीं पा रहा था, तभी भाभी कांच की तरफ पलटी और अपने बाल बनाने लगी, उन्होंने जैसे ही अपने हाथ ऊपर की और उठाये, उनकी सफ़ेद चिकनी बिना बालो वाली कामुक काँख दिखाई देने लगी, उनके स्तन साइड से बाहर की और आ रहे थे, मांसल पीठ पूरी तरह से नग्न थी, में पागलो की तरह भाभी को घूरे जा रहा था, और वो मुझे कांच में देख रही थी, भाभी ने ब्रा नहीं पहनी थी, मेने जब उनके कुलहो की तरफ देखा तो पाया की उन्होंने एक सफ़ेद रंग की छोटी सी चड्डी पहनी थी, जिसमे उनके बड़े बड़े कुल्हे समा ही नहीं रहे थे,
अचानक भाभी मेरी और पलटी, और यूँ मुझे खुले मुंह आँखे फाड़ते हुवे उन्हें घूरते हुवे देख बोली क्या हूवा जनाब, कभी किसी को नायटी में नहीं देखा क्या, में क्या बोलता बस हकलाते हुवे कहा नहीं ऐसी कोई बात नहीं, बस आपको ही कभी एस तरह से नहीं देखा, एसलियी
तो भाभी बोली तो देख लो अच्छी तरह से, में कहा भागे जा रही हूँ, और ऐसा बोल वो पूरा गोल घूम गयी, और बोली लो देख लो पुरा देख लो, और ऐसे कहते हुवे मेरे पास आ गयी, में पूरा पसीने में भरा था, घबरा कर गले से थुक गट्का, और तुरंत ही एक कदम पीछे हो गया, मेरा संकोच देख भाभी बेड पर बैठ गयी, और तकिया खीच उस पर पीछे की तरफ झुक गयी, अब वो आधी लेती अवस्था में थी, लेटने से उनकी नायटी और ऊपर की और चढ़ गयी, मेने अपनी नज़ारे झुका ली, लेकिन मेरा टेंशन दुसरा था,
वास्तव में मेने बरमुडा पहन रखा था, लेकिन मेरा कड़कनाथ भाभी को एस हालत में देख सलामी देने लग गया, मेने देखा की भाभी की निगाह भी घूम फिर कर मेरे बरमुडे पर टिक रही थी, तो में तुरंत बाथरूम में घुस गया और अपने हथियार को बाहर निकाल कर उसे हवा खिलाई, फिर पेशाब कर उसे शांत किया, बाहर आकर मेंने एक तकिया उठा कर पास में सोफे पर रख बैठ गया, भाभी बोली क्यों आप सोफे पर सोयेंगे क्या, मेने कहा हां एक बिस्तर पर सोना ठीक नहीं रहेगा, तो बोली में बिना मतलब ही भोपाल आई, आखिर में आपकी भी कुछ लगती हूँ, कोई अजनबी तो नहीं जो आप यूँ रियेक्ट कर रहे हे, मेरे साथ सोने से आप का ब्रह्मचर्य व्रत टूट जाएगा क्या
मेने कहा भाभी ऐसी बात नहीं, लेकिन हमारा एक कमरे में रहना एक बिस्तर पर सोना ठीक नहीं भैया यानी मेरे बड़े साले साहेब और मेरी बीबी को पता चलेगा तो बवाल मच जाएगा,
भाभी बोली, पता कैसे चलेगा, या तो आप बोले या में बोलू तो हि ना, तो जहा तक मेरा सवाल हे, में तो बोलने से रही, और आप तो पहले ही दीदी यानी मेरी वाइफ को बोल चुके हे की आप भोपाल में नहीं हे, आज रात बस में बिताएंगे यात्रा करते हुवे
मेने कह्हा कही भैया ने आपके मायके फ़ोन लगा दिया और उन्होंने बता दिया की आप निकल चूकी हे तो तो भाभी बोली में यह कह कर मायके से निकली हूँ की भोपाल में मेरी एक सहेली के घर दो चार दिन रुकने, घुमने के बाद ही अपने ससुराल जाउंगी, और मेरी ऐसी कोई सहेली भोपाल में हे ही नहीं तो वो किस से कन्फर्म करेंगे, और रही बात आपके साले साहेब की तो उन्होंने पिछले एक माह में मात्र दो बार मुझसे बात की हे, एक बार उनके किसी कागज़ का पूछ रहे थे, दुसरी बार कल जब मेने कहा की आ जाऊ क्या तो बोले की मम्मी भी गुडिया ( यानी मेरी बीबी) के साथ नानी के यहाँ जा रही हे, तुम चाहो तो दो चार दिन बाद आ जाना
अब चुप होने की बारी मेरी थी, भाभी ने बेग मे से ताश की गद्दी निकाली और पत्ते फेटते हुवे बोली अभी से सोयेंगे क्या एक दो बारी गेम हो जावे, मे भी तुरंत बेड पर आ गया भाभी ने पत्ते फेटे और बाट कर गेम शुरू किया, जब भाभी पत्ते देखने में व्यस्त थी मेने उनके बोबो पर चोर निगाह मारी, उन्होंने ब्रा नहीं पहनी थी, जिस कारण से उनके बड़े बड़े पपीते के सामान सफ़ेद गोर गोर स्तन नायटी फाड़ बाहर आने को हो रहे थे, उनके निप्पल पतली नायटी में से दिखाई दे रहे थे, उनके उभार साफ़ दिखाई दे रहे थे, भाभी मुझे उनके स्तनों को ताड़ते हुवे देख मुस्कुरा रही थी, जान बुझकर थोड़ा आगे की और झुक कर ताश खेलने लगी,
मेरे लंड के उभर को छुपाने के लिए मेने गोद में तकिया रख लिया, भाभी बोलूई क्या हवा मेने बात पलटते हुवे, कहा कुछ नहीं, भाभी हसने लगी,
में खुद चोर निगाह से भाभी को देख रहा था, और ताश के खेल में ध्यान नहीं दे पा रहा था, तो हारने लगा, तब भाभी बोली चलो गेम को थोडा इंटरेस्टिंग बनाते हे, जो हारेगा, उसे जितने वाले की इच्छा अनुसार बताया काम करना पडेगा,
में तो मानो उस जगह था ही नहीं मेने बिना सोचे विचारे भाभी की बात में हां भर दी, पहला गेम में हार गया भाभी ने कहां ठीक हे तो फिर दोनों के लिए बियर निकालो फ्रीज से, में कहा इसमे क्या बड़ा काम में निकाल लाया, भाभी नए गेम के लिए पत्ते फेटने में व्यस्त हुयी और मेने बियर की केंस ओपन कर ली, अब हम फिर से नया गेम खेलने लगे, भाभी थोड़ा तकिये पर झुकी और एक हाथ की कोहनी के बल आधी लेट सी गयी, झुकने से उनके स्तन बाहर की और आ गए, नायटी के ऊपर के भाग में उनके स्तन समा ही नहीं रहे थे, मुझे हर पल यूँ लग रहा था मनो अब निप्पल बाहर निकलेगे, में फिर पत्तो की आड लेकर उनके उभारो को ही घूरे जा रहा था, ताश के खेल में मेरा ध्यान था ही नहीं, में यह बाजी भी हार चुका था,
और हारे को फिर जितने वाले की बात माननि पड़ती, बियर को ख़त्म करते करते मेने कहा आदेश दीजिये, अब क्या हुक्म हे, भाभी जोर से हसी और बोली अब थोड़ा नया करते हे ऐसा करिए, अपनी बनियान उतार दीजिये, में उनकी बात सुन चोंक सा गया, कहता क्या, हारने की वजह से सब शर्ते मानना मेरा काम था, मेने अपनी बनियान खोल दी, ऊपर से खुले बदन किसी महिला के सामने बैठना मेरे लिए थोड़ा विचित्र था, लेकिन मज़बूरी थी, वो तो गनीमत थी की कॉलेज के समय से में बॉडी बिल्डिंग करता था, और अभी भी लॉक डाउन खुलने के बाद जिम जाना शुरू किया हवा था, मेरा सीना बढ़िया भरा हवा था, सिक्स पैक तो नहीं लेकिन हां तीन चार पैक ऐब्स तो थे ही, बाहों पर मछलियों की तरह मांसपेशिया थी, कंधे, वजन उठाने के कारण भरे हुवे थे, मेरी बिबि को मेरे बदन पर फक्र था,
भाभी मेरे सिने को देखती ही रह गयी, बोली वोव सुपर्ब में सोंच भी नहीं सकती थी, आप इतने फिट होंगे, एक हमारे जनाब हे, सीना पिचका हवा, और पेट बाहर जेसे गर्भ से हो, में हंसा मेने कहा आपको पसंद आया मतलब इतनी वर्षी की मेहनत सफल हो गयी, भाभी ने अपनी नाजुक उंगलिया मेरे साइन पर फेराई, मुझे गुड गुडी सी हुयी, लेकिन में तो उनके स्तनों को देखने में ही व्यस्त था
भाभी ने एक बार फिर बियर पिटे पिटे पत्ते फेंटे, लेकिन एस बार में सतर्क था, क्योंकि अब हारना मतलब बचे खुचे कपड़ो से भी हाथ धो बैठना था, एस बार में शुरू में जितने लगा, भाभी समझ चुकी थी, उन्होंने नया दांव खेला, और बोली आज शाम पैदल घुमने से पैर दर्द करने लगे हे, और फिर सीधी बैठ अपने पैरो को मोड़ लिया,
बाप रे बाप.....
अब तो उन्होंने मुझे पागल करने का पक्का इंतेजाम कर दिया, पैर मोड़ने फिर वापिस फेलाने से उनकी नायटी ऊपर चढ़ गयी और अब उनकी छोटी सी चड्डी जो की सफ़ेद रंग की थी, दिखाई देने लगी, अब मेरा सारा ध्यान उनके स्तनों से हथ उनके झांघो के जोड़ो के बिच आ गया, छोटी सी सफ़ेद पन्टी उनकी गुलाबी फुगी हुयी चूत को बा मुश्किल छुपा रही थी, भाभी बार बार अपने पैर भींच रही थी जिससे उनकी पेंटी सिमटती सी जा रही थी,
मेरे होश ठिकाने पर नहीं थे, सफ़ेद मोटी मोटी चिकनी चिकनी झांघे जिन पर बालो का नामोनिशान नहीं था, ऐसी इच्छा हो रही थी की अभी भाभी को पटक कर उनकी एन मस्त झंघो को चाटने लग जाऊ, एस बार फिर मेरा गेम में हारना निश्चित था, और हवा भी वही,
एस बार सज़ा में भाभी ने बरमुडा खोलने का बोला में चुप .......
मेने कहा भाभी इतनी सख्ती मत दिखाओ कुछ गरीब पर रहम करो, तो हस कर बोली, प्यार और जंग में सब जायज हे, और खेल भी एक जंग ही हे, इसे मानो या इससे भी बड़ी सज़ा के लिए तय्यार हो जाओ
मरता क्या ना करता भाभी के आदेशानुसार बरमुडा खोल दिया, लेकिन अंदर मेने वी शेप फ़्रन्ची पहनी थी जो की मेरी बीबी अपनी पसंद से लायी थी, बड़ी छोटी सी थी, मेरा लंड का आकार उसमे समा ही नहीं रहा था, नार्मल में तो सही रहती हे, लेकिन आज भाभी का मदमस्त बदन देख अपने कडक नाथ महाशय सही में ही कड़क हो रहे थे, फ्रंची फटने को हो रही थी, ऊपर से मेरी कसरती झंघे बड़ी खुबसूरत लग रही थी,
भाभी की निगाहें बस मेरी फ्रेंची पर ही अटक गयी थी, मेने कहा क्या हवा, तो बोली में समझी थी केवल ऊपर से ही कड़क होंगे, अन्दर से नाज़ुक होगे, लेकिन यहाँ तो अंदर भी लोहा ही भरा हवा हे, डर लग रहा हे, मेने कहा काहे का डर तो बोली तुम नहीं समझोगे,
भाभी एक ही घूंट में अपनी बची हुयी बियर डकार गयी, और मुझे अब उनकी आँखों में बियर का नशा महसूस होने लगा था, एस बार फिर भाभी ने पत्ते फेंटे, बांटे और नया गेम स्टार्ट शुरू हवा में थोड़ा फ्रेंची में उनके सामने बैठने में असहज महसूस कर रहा था, ऊपर से मेरा लंड सलामी भर रहा था, मेने फिर तकिया उठा गोद में रख लिया
लेकिन एस बार मेरी किस्मत अच्छी थी, शुरू से ही में पॉइंट्स बनाता चला और जितने लगा, इसका मैं कारण यह था की भाभी अब मेरे कसरती जिस्म से अपनी निगाहे ही हटा नहीं पा रही थी, उनके चेहरे पर मस्ती चढ़ती जा रही थी, गाल गुलाबी और आँखे नशीली होती जा रही थी, और फिर किस्मत से में यह गेम जित गया
भाभी अज्ञात शंका में घबरा रही थी की में उन्हें क्या सज़ा देता हूँ, लेकिन मेने सब्र रखा और उनसे वही सज़ा दी जो उन्होंने मुझे दी थी, मेने फ्रीज से बियर की केन मंगवाई, मेरी शर्त सुन भाभी की जान में जान आई, थोड़ी गहरी सांस लेकर बोली थैंक्स गॉड तुमने बदला नहीं लिया, मेने कहा भाभी में इतना कमीना नहीं , तो हस कर भाभी बोली मतलब में कमिनी हूँ, मेने कहा और क्या, एक अकेले आदमी को देख फंसा रही हो, बेचारे को अधनंगा कर दिया, और ऊपर से अपनी कमिनियत का सबुत भी चाहिए आपको, वो तो गनीमत थी की में एस बार जित गया नहीं तो आप अब तक मुझे नंगा करके ही छोडती
भाभी जोर जोर से हसने लगी, बियर की दूसरी केन का दौर शुरू हो चुका था, भाभी बोली मेने बरसो से नहीं पि, ना जाने क्या कर बेठु, शायद मुझे होश ही ना रहे, तो मेने कहा आप कहा जंगल में हो रूम में हो और में आपके साथ हूँ
लेकिन अब तक भाभी पर बियर का नशा चड़ने लगा था, पत्ते फेटने में गलती कर रही थी, गेम स्टार्ट होने पर पहले दो पॉइंट्स मेरे बने, एस बार मेने साम दाम दंड भेद वाली निति चली, और अपनी झंघो से तकिया हटा दिया, भाभी चौंक सी गयी और, उनकी आँखे सिर्फ मेरे फ्रेंची पर टिक गयी, बातों बातों में मेने उन्हें कहा अरे आराम से बेंठो, थोड़ा पीछे की तरफ लेट जाओ, अब तक उन पर बियर का नशा अपना असर दिखाना शुरू कर चुका था, मेरी बांतो में आकर वो आराम से लेट गयी, जिससे उनकी झंघो के जोड़ खुल गए, मेने देखा उनकी सफ़ेद पेंटी पर दाग सा लगा था, शायद उनकी चूत पानी छोड़ने लगी थी, इस राउंड में भी में ही जीता, और मेरी शर्त सुन भाभी के होंश उड़ गए
मेने कहा की आपको अपनी नायटी की कंधो की स्ट्रैप्स यानी पट्टिया हटानी होगी, उन्होंने मेरी बात गोर से सुनी, और कहा की तुम तो कह रहे थे में कमीना नहीं, तब मेने कहा हां कहा था लेकिन पूरी बात आप ने सुनी नहीं वो बोली क्या, मेने कहा में कमीना नहीं महा कमीना हूँ और अपने दांत दखाने लगा,
भाभी बड़ी मुश्किल में थी बार बार अपने हाथ कंधो तक ले जाती और फिर हटा देरटी, मेने कहा देर ना करो नहीं तो शर्त में बदलाव कर दूंगा, ऐसा सुनते ही उन्होंने तुरंत अपनी नायटी की स्ट्रिप्स कंधे से हटा दी, उन्हें लगा यह नार्मल रहेगा लेकिन इसी में चाल थी, अब भाभी एक हाथ से पत्ते पकडती और दुसरे हाथ से अपनी नायटी को क्योंकि नायटी बार बार उनके साइन से निचे स्लिप होती जाती, वो परेशान होती गयी एक तो बियर का नशा दुसरा सामने बैठा अधनंगा मस्कुलर जवान आदमी, ऊपर से वो खुद पिछले एक महीने ज्यादा से पति से दूर थी, अब तक मेरा भी सब्र का बाँध टूटने लगा था, उनके आधे से ज्यादा मांसल स्तन बार बार दिखाई देंते, और वो उनको एक हाथ से छुपाती,
मुझे पता था की यह सब त्रिया चरित्र हे, वो क्यों मेरे पास भोपाल अकेली आई हे, लेकिन अब सती सावित्री होने का नाटक कर रहि थी, यह गेम बराबरी पर छूटा, रात भी होने आई थी, मेने कहा अब सोये, तो बोली आपको सुबह मार्किट भी जाना होगा, मेने कहा की हां जाना तो हे लेकिन थोड़ा लेट, आमतोर पर में होटल से लंच करके ही निकलता हूँ, ताकि मेरी सभी पार्टियाँ अपने दूकान पर पहुच जाए, और ख़ास कर मेने भाभी के होटल आने का सुन कल का कोई प्लान नहीं बनाया था, क्योंकि मेरी इच्छा थी की यदि हवा तो भाभी को लेकर रात में ही अपने शहर निकल जाउंगा, यानी अब में किसी बंदिश में नहीं था. यह बात मेने भाभी को नहीं बतायी
भाभी बोली यही पलंग पर सोना, सोफे पर नहीं, मेने कहा ठीक हे, मेने कपडे पहनने के लिये उठाये, लेकिन भाभी ने कपडे मेरे हाथ से छुडा लिए, और कहा की इतनी अच्छी बॉडी ढकने के लिए नहीं होती, मेने कहा ठीक हे, अब में केवल अपनी छोटी सी फ्रेंची में था, बियर पिने और रूम में ऐसी की ठंडक से पेशाब लगी थी, में बाथरूम जाने लगा तो भाभी बोली मुझे भी जाना हे, मेने कहा आप पहले हो आओ तो बोली एक ही काम से जाना हे तो साथ चलते हे, मेंने कहा ठीक हे, बाथरूम में घुसते ही भाभी ने अपनी पेंटी घुटनों तक उतार कर मेरे आगे अपनी मांसल कड़क गांड दिखाती हुयी कम्बोड पर बैठ गयी, मेने भी बिना शर्म अपनी फ्रेंची मे से अपना लंड निकाला और दिवार की तरफ मुंह कर मुतने की कोशिश करने लगा, लेकिन साला लंड भाभी की गांड देख इतना टाइट हो गया था की पेशाब का जोर लगने के बावजूद धार नहीं आ रही थी, भाभी झुक कर मेरे लंड को आँखे फाड़ फाड़ देखने लगी, इतने में उनकी चूत से मूत की धार जोर जोर से सिटी की आवाज़ करती निकली, उसे सुन में और बौरा सा गया, जो थोड़ा मुतने का मुड बना था वह भी जाता रहा लेकिन अंडकोष में पेशाब भरी होने से दर्द सा महसूस हो रहा था,
भाभी मुतने के बाद भी कम्बोड से नहीं उठी और मुझे बोली में हेल्प करूँ मेने हंस कर कहा मेरी तरफ से आप मुतोगी क्या, बोली ऐसा ही समझ लो, और फिर उन्होंने बिना शर्म के मेरे लंड को हाथ में लिया और उसे अंडकोष सहित सहलाने लगी, वो थोड़ी झुकी हुयी थी, जिस वजह से उनके बड़े बड़े स्तन नायटी से बाहर आ गए थे, मेने मौंका ना छोड़ते हुवे उन्हें अपने हाथो में भर लिया और उन्हें सहलाने लगा, भाभी गरमा गयी बोली ऐसा करोंगे तो पेशाब और नहीं आएगी, मेने कहा वह मंजूर हे लेकिन में इन्हे नहीं छोड़ सकता
भाभी ने एक बार भी विरोध नही किया और मेरा लंड सहलाती रही, में उनके बड़े बड़े बोबे मिन्जता रहा, खेर कुछ पलो में मेरी भी पेशाब की धार फुट पड़ी, में बड़ा रिलैक्स हवा, मेने कहा थैंक्स भाभी आज आप ना हाथ से हिलाती तो ना जाने क्या होता, मेरे गा्ल ब्लेडर फुट जाते, बोली में ना होती तो ये इतने सख़त नहीं होते, और मेरे पास इसके आगे का भी इलाज था और हसने लगी
अब मुझे आगे का इलाज का मतलब खुद समझना था और उसका मतलब यह था की वो मुख मंजन करती लेकिन साली उसकी नौबत ही नहीं आई