17-03-2021, 12:59 PM
शॉपिंग
और इनका कोई काम कभी पूरा नहीं होता था , ख़ास तौर से जब मामला इनकी साली सलहज का हो , और ऊपर से इनकी सालिया सलहज का फोन आ जाए न , ... तो बस वही दो बार जो हम लोग शॉपिंग कर के लाये थे उसे अपनी लिस्ट से उन्होंने मिलाया , और फिर उन्हें लगा की बहुत सी चीजें छूट गयी हैं।
और उसी समय उनकी सलहज का फोन आ गया , मेरी रीतू भाभी का , और उनसे बात तो हम लोग स्पीकर फोन ऑन कर के ही करते थे , जिससे ननद और नन्दोई से वो एक साथ बात कर सकें , लेकिन उससे बढ़कर , जो चुन के गालियां अपने नन्दोई को देती थीं , उनके नन्दोई ने शॉपिंग की बारे में कुछ बोलने की कोशिश की , कि उनकी सलहज चालू हो गयीं ,
" सुन ला पूरे गांव के सार , तोहार पिछवाड़ा बची न होली में चाहे जितना शॉपिंग वापिंग कै ला , हाँ आपन उ बहिनिया ले आते , काव नाम हो ओकर , हाँ गुड्डी ,... तो बचत तो ना , हाँ ताजा कडुआ तेल लगाय के मारती हम लोग , तनी चरपरात , परपरात लेकिन पिरात कुछ कम , लेकिन तोहरी बहिनिया क तो होली में सट्टा लिखल होई पहले क , ... इसलिए गाँड़ तो तोहार हचक हचक के मारी जायेगी , ... और खाली साली सलहज नहीं , यह गाँव में लौण्डेबाज भी बहुत हैं , तो रोज रात को सोने के पहले वैसलीन लगा के अभी से चिकना कर ला , ... "
उसके बाद आधे घंटे तक सलहज नन्दोई की रसीली बातें चलती रहीं , फिर उनकी सास का फोन आ गया ,
शादी के अगले दिन से ही मैं देख रही थी , मेरी मायके वालियां सब पक्की दलबदलू , ... फोन सब का आता था मेरे फोन पर , माँ हों , बहनें हों या भाभी , लेकिन उसके बाद बस दामाद जी कहाँ है , नन्दोई को फोन दो , दीदी जीजू से बात कराओ ,... मेरा काम खाली इन्हे फोन देने का होता था ,
और उसके बाद उनकी वीडियो कांफ्रेंस , यूरोप से काल थी ,... असल में मैंने , और मुझसे ज्यादा उनकी साली सलहज ने वार्निंग दे दिया था , ससुराल में कोई फोन , आई पैड कुछ नहीं , एक फोन कहीं भी किया उन्ही के पिछवाड़े डाल दिया जाएगा ( ये प्रोग्राम मेरी रीतू भाभी का था ) , सालियों ने कसम दिला दिया था , साली सलहज के अलावा कोई नहीं , यहाँ तक की मैं भी पास नहीं आ सकती थी , तो बेचारे वो ओवरटाइम कर रहे थे , और ११ दिन ,दस दिन ससुराल वाले और एक दिन पहले से कम्प्लीट छुट्टी , इ मेल भी नहीं ,
और अगले दिन सुबह से ही वो चालू हो गए , ये सामान छूट गया , ये साडी का रंग अच्छा नहीं है , बदल देते हैं , मझली का शलवार सूट एक और लेते हैं , नाउन की बहु ने कोहबर में उनसे पायल माँगा था , तो चौड़ी हजार घँघुरु वाली पाजेब ,...
अगले दिन उन्हें एक मीटिंग के लिए बनारस जाना था , और उस के बाद तो सीधे ससुराल का प्रोग्राम इसलिए आज आखिरी दिन था ,
जब से ये तय हुआ था की मैं होली में मायके जाउंगी और उसके बाद अपनी पोस्टिंग पर , तो मेरी सास जेठानी भी मेरे जाने के बाद घर छोड़ना मुश्किल होगा , इसलिए जितने रिश्तेदार थे , आस पास सबके यहाँ ,
मैं जानती थी , इन्हे अकेले बाजार भेजा न तो फिर दो घण्टे बाद फोन आएगा और कुछ न कुछ गड़बड़ कर देंगे , इसलिए मैं भी उनके साथ और घर पर कम्मो थी ही ,
बाजार में अनुज के दोनों दोस्त मिल गए , बंटू और मंटू , मुझे देख के चहक के बोले , " भाभी , हम लोग तो आप के पास जाने की सोच रहे थे , लेकिन सोचा अनुज तो चला गया , ... "
देवर को मैं क्यों छोड़ती , वो भी फागुन में , बिना छेड़े , मैं चढ़ गयी , बीच बाजार में ,
" अनुज से होली खेलनी थी क्या तुम दोनों को , फिर डर लगता है क्यों उसके बिना , जाओ घर में कम्मो भौजी मिलेंगी , मैं भी थोड़ी देर में पहुंचती हूँ , पिछली बार जो जो रंग बच गया था न वो आज होगा , डर के मारे फटी तो नहीं ,... "
लेकिन तब तक उन्होंने बुला लिया , छुटकी की कुर्ती का रंग क्या होगा , ... दो उन्हें अच्छी लग रही थीं ,
पर उन्होंने कौन कन्फूजन करे , दोनों ले लिया।
हाँ मैं लौटी तिझरिया को ही , लोग औरतों को ब्लेम करते हैं , औरतों लड़कियों का सामान कभी किसी मर्द से खरीदवा के देख लीजिये , फिर उन्हें अपने शहर के रेस्टोरेंट का नाम इम्प्रेस करने के लिए मुझे खिलाने का मौका मिल गया , इनकी और मेरी एक दो ड्रेस थीं उसे दूकान वाले ने बोला था एडजस्ट करने को , इसलिए भी टाइम तो लगना था ,
और जब चार बजे मैं घर पहुंची , तो कमरे में पहुँचते ही , एक राउंड ,...
जब मैं नीचे उतरी तो कम्मो चाय के लिए मेरा इन्तजार कर रही थी और उसने पूरा हाल सुनाया , बंटू , मंटू के साथ जो हुयी , हाँ आज सफ़ेद रंग वाली हुयी थी वो भी जबरदस्त , कम्मो ने मान लिया देवर उसके टक्कर के थे ,
बंटू और मंटू का इरादा पक्का था और उनसे ज्यादा पक्का इरादा था कम्मो भौजी का ,
कल अनुज के पिचकारी से तीन राउंड सफ़ेद रंग की खेल कर उसका मन और ,... फिर उसके पहले मुझे मंटू बंटू की मोटी मोटी पिचकारी मुठोीयते देखकर भौजी के ऊपर और नीचे दोनों वाले मुंह में पानी आ रहा था ,
मंटू बंटू दोनों मुझसे बाजार में मिल चुके थे और दोनों को मालूम था ,
घर में भौजी अकेले हैं , बस।
और इनका कोई काम कभी पूरा नहीं होता था , ख़ास तौर से जब मामला इनकी साली सलहज का हो , और ऊपर से इनकी सालिया सलहज का फोन आ जाए न , ... तो बस वही दो बार जो हम लोग शॉपिंग कर के लाये थे उसे अपनी लिस्ट से उन्होंने मिलाया , और फिर उन्हें लगा की बहुत सी चीजें छूट गयी हैं।
और उसी समय उनकी सलहज का फोन आ गया , मेरी रीतू भाभी का , और उनसे बात तो हम लोग स्पीकर फोन ऑन कर के ही करते थे , जिससे ननद और नन्दोई से वो एक साथ बात कर सकें , लेकिन उससे बढ़कर , जो चुन के गालियां अपने नन्दोई को देती थीं , उनके नन्दोई ने शॉपिंग की बारे में कुछ बोलने की कोशिश की , कि उनकी सलहज चालू हो गयीं ,
" सुन ला पूरे गांव के सार , तोहार पिछवाड़ा बची न होली में चाहे जितना शॉपिंग वापिंग कै ला , हाँ आपन उ बहिनिया ले आते , काव नाम हो ओकर , हाँ गुड्डी ,... तो बचत तो ना , हाँ ताजा कडुआ तेल लगाय के मारती हम लोग , तनी चरपरात , परपरात लेकिन पिरात कुछ कम , लेकिन तोहरी बहिनिया क तो होली में सट्टा लिखल होई पहले क , ... इसलिए गाँड़ तो तोहार हचक हचक के मारी जायेगी , ... और खाली साली सलहज नहीं , यह गाँव में लौण्डेबाज भी बहुत हैं , तो रोज रात को सोने के पहले वैसलीन लगा के अभी से चिकना कर ला , ... "
उसके बाद आधे घंटे तक सलहज नन्दोई की रसीली बातें चलती रहीं , फिर उनकी सास का फोन आ गया ,
शादी के अगले दिन से ही मैं देख रही थी , मेरी मायके वालियां सब पक्की दलबदलू , ... फोन सब का आता था मेरे फोन पर , माँ हों , बहनें हों या भाभी , लेकिन उसके बाद बस दामाद जी कहाँ है , नन्दोई को फोन दो , दीदी जीजू से बात कराओ ,... मेरा काम खाली इन्हे फोन देने का होता था ,
और उसके बाद उनकी वीडियो कांफ्रेंस , यूरोप से काल थी ,... असल में मैंने , और मुझसे ज्यादा उनकी साली सलहज ने वार्निंग दे दिया था , ससुराल में कोई फोन , आई पैड कुछ नहीं , एक फोन कहीं भी किया उन्ही के पिछवाड़े डाल दिया जाएगा ( ये प्रोग्राम मेरी रीतू भाभी का था ) , सालियों ने कसम दिला दिया था , साली सलहज के अलावा कोई नहीं , यहाँ तक की मैं भी पास नहीं आ सकती थी , तो बेचारे वो ओवरटाइम कर रहे थे , और ११ दिन ,दस दिन ससुराल वाले और एक दिन पहले से कम्प्लीट छुट्टी , इ मेल भी नहीं ,
और अगले दिन सुबह से ही वो चालू हो गए , ये सामान छूट गया , ये साडी का रंग अच्छा नहीं है , बदल देते हैं , मझली का शलवार सूट एक और लेते हैं , नाउन की बहु ने कोहबर में उनसे पायल माँगा था , तो चौड़ी हजार घँघुरु वाली पाजेब ,...
अगले दिन उन्हें एक मीटिंग के लिए बनारस जाना था , और उस के बाद तो सीधे ससुराल का प्रोग्राम इसलिए आज आखिरी दिन था ,
जब से ये तय हुआ था की मैं होली में मायके जाउंगी और उसके बाद अपनी पोस्टिंग पर , तो मेरी सास जेठानी भी मेरे जाने के बाद घर छोड़ना मुश्किल होगा , इसलिए जितने रिश्तेदार थे , आस पास सबके यहाँ ,
मैं जानती थी , इन्हे अकेले बाजार भेजा न तो फिर दो घण्टे बाद फोन आएगा और कुछ न कुछ गड़बड़ कर देंगे , इसलिए मैं भी उनके साथ और घर पर कम्मो थी ही ,
बाजार में अनुज के दोनों दोस्त मिल गए , बंटू और मंटू , मुझे देख के चहक के बोले , " भाभी , हम लोग तो आप के पास जाने की सोच रहे थे , लेकिन सोचा अनुज तो चला गया , ... "
देवर को मैं क्यों छोड़ती , वो भी फागुन में , बिना छेड़े , मैं चढ़ गयी , बीच बाजार में ,
" अनुज से होली खेलनी थी क्या तुम दोनों को , फिर डर लगता है क्यों उसके बिना , जाओ घर में कम्मो भौजी मिलेंगी , मैं भी थोड़ी देर में पहुंचती हूँ , पिछली बार जो जो रंग बच गया था न वो आज होगा , डर के मारे फटी तो नहीं ,... "
लेकिन तब तक उन्होंने बुला लिया , छुटकी की कुर्ती का रंग क्या होगा , ... दो उन्हें अच्छी लग रही थीं ,
पर उन्होंने कौन कन्फूजन करे , दोनों ले लिया।
हाँ मैं लौटी तिझरिया को ही , लोग औरतों को ब्लेम करते हैं , औरतों लड़कियों का सामान कभी किसी मर्द से खरीदवा के देख लीजिये , फिर उन्हें अपने शहर के रेस्टोरेंट का नाम इम्प्रेस करने के लिए मुझे खिलाने का मौका मिल गया , इनकी और मेरी एक दो ड्रेस थीं उसे दूकान वाले ने बोला था एडजस्ट करने को , इसलिए भी टाइम तो लगना था ,
और जब चार बजे मैं घर पहुंची , तो कमरे में पहुँचते ही , एक राउंड ,...
जब मैं नीचे उतरी तो कम्मो चाय के लिए मेरा इन्तजार कर रही थी और उसने पूरा हाल सुनाया , बंटू , मंटू के साथ जो हुयी , हाँ आज सफ़ेद रंग वाली हुयी थी वो भी जबरदस्त , कम्मो ने मान लिया देवर उसके टक्कर के थे ,
बंटू और मंटू का इरादा पक्का था और उनसे ज्यादा पक्का इरादा था कम्मो भौजी का ,
कल अनुज के पिचकारी से तीन राउंड सफ़ेद रंग की खेल कर उसका मन और ,... फिर उसके पहले मुझे मंटू बंटू की मोटी मोटी पिचकारी मुठोीयते देखकर भौजी के ऊपर और नीचे दोनों वाले मुंह में पानी आ रहा था ,
मंटू बंटू दोनों मुझसे बाजार में मिल चुके थे और दोनों को मालूम था ,
घर में भौजी अकेले हैं , बस।