17-03-2021, 12:57 PM
बनारस का रस
अनुज तो बनारस चला गया था , वहां पहुँच के उसका फोन भी आ गया था , गुड्डो बहुत खुश थी , गुड्डो ने मुझसे बातें की
लेकिन उससे ज्यादा खुश थीं , गुड्डो की मम्मी , और मैंने उनको भी खूब चढ़ाया , बनारस का नाम ले कर , देवर बचना नहीं चाहिए ,... और उन्होंने गुड्डो और मेरे देवर के सामने ही उसकी सात पुश्त गरियाई और बोला जैसे , इम्तहान देकर आएगा न , अगवाड़ा , पिछवाड़ा कुछ भी नहीं बचेगा।
" बचना भी नहीं चाहिए , होली में बनारस गया है , बनारस का पूरा रस मिलना चाहिए , और अच्छी तरह इम्तहान लीजियेगा उसका , मेरी ओर से भी "
मैंने आग में और घी डाला।
हाँ तो कल रात का हाल तो मैं बता हु चुकी हूँ , मेरे देवर अनुज का कितना जोरदार 'स्वागत' हुआ , गुड्डो ने सीधी मांग काढ़ी और सिंदूरदान गुड्डो और उसकी मम्मी दोनों ने किया ,
लेकिन अगले दिन ,... बेचारा पढाई में बिजी था तब भी नहाते समय , ... मारे शरम के अनुज ने तो ज्यादा कुछ नहीं बताया ,
पर गुड्डो थी न , मैं उसकी पक्की हमराज ,... आखिर उस की नथ अनुज से मैंने ही तो उतरवाई थी , ढोलक लेने जाने के बहाने, अनुज ने दो बार उसकी ढोलक बजा दी थी , और उसके बाद बिना नागा ,
और सबसे बढ़कर गुड्डो की मम्मी रिश्ते में मेरी भाभी तो उन्होंने हाल खुलासा भी बताया और जमकर अच्छी वाली गारी भी दी , ... बिना गारी के ननद भौजाई का रिश्ता पक्का होता ही नहीं ,
अटैची तो उसके पहुँचते ही गुड्डो ने झपट ली थी , रात को सिर्फ शार्ट और बनयाइंन में , हाँ जब वो नहाने गया , ( बाथरूम कमरे में ही अटैच्ड था ) तो पहले गुड्डो , बनियाइन दे दो , धुलनी है , और उसके बाद एक छोटी सी टॉवेल दे दी , ... इसे पहन कर शार्ट उतार के दे दो , वो वही पहने रहोगे दस दिन तक ,... चलो उतारो , ... गुड्डो से वो निपट भी लेता लेकिन तबतक गुड्डो की मम्मी और वो गुड्डो पर अलफ ,...
" तू क्या कर रही है , न ये न इनकी बहन , अपने से कपडे उतारती हैं , हाँ कोई और उतार दे तो मना भी नहीं करती ,... तो तू ही उतार दे न , और कौन नंगे हो जाएंगे , तौलिया तो पहने हैं , चल ,... "
जब तक वो रोके टोके गुड्डी ने एक झटके में शार्ट खींच कर गपुच ली , और जब तक वो चलती गुड्डो की मम्मी ने उसे आँख के इशारे से रोक लिया , ...
अब गुड्डो की मम्मी बाथरूम के दरवाजे पर , छोटा सा दरवाजा , ... आधा खुला , बिना उनसे रगड़े वो अंदर नहीं जा सकता और जैसे साली सलहज कोहबर छेंकती है बस उसी तरह गुड्डो की मम्मी बाथरूम का दरवाजा छेंके ,...
उनके पीछे बनारस की रसीली किशोरी , हाईस्कूल वाली , शरारत से मुस्कराती , एक हाथ में उनका शार्ट और बनियाइन पकडे ,
" ये टॉवल भी थोड़ी गन्दी लग रही है , इसको भी धूल दे, ..अब इनको नहाने ही तो जाना है , अंदर कौन सा टॉवल पहन के नहाएंगे ,... " गुड्डो की मम्मी ने मेरे और अपने देवर को देखते हुए मुस्कराते कुछ छेड़ते कहा ,
बेचारा अनुज , उसने जोर से टॉवेल पकड़ने की कोशिश की ,
पर बनारसी लड़कियों से पार पाना मुश्किल है , उसके पहले ही गुड्डो ने टॉवेल पकड़ के खींच ली ,
और हंसती खिलखिलाती छलांगे लगाती वो हिरणी कमरे के बाहर ,
लेकिन शेरनी अभी भी बची थी , न जाने कब की भूखी , शिकार को बल्कि शिकार का टकटकी लगाए देखते ,
बेचारा अनुज उसने दोनों हाथों से छिपाने की कोशिश की पर बेकार , उसकी भौजी की भी भौजी थीं वो ,
तुरंत शर्त लगा दी ,
दोनों हाथ ऊपर और १०० तक गिनती , तब ही मैं जाने दूंगी अंदर ,...
क्या करता बेचारा , और ऊपर से भौजाई की रगड़ाई ,
" चल आज तुझे मैं नहला देती हूँ , अपने हाथ से , हर जगह साबुन लगा कर , रगड़ कर ,... पक्का ,... तंग करुँगी लेकिन ज्यादा नहीं , ... "
और ज्ञान भी ,
" अरे दुल्हन का घूँघट खोल के रखा करो , कहो तो मैं ही खोल दूँ , तुझे मुंहदिखाई में अपनी ननद की ननद दे दूंगी , एलवल वाली ,... थोड़ा सा तेल वेळ लगा लेना "
पूरे पांच मिनट बाद ही वो बाथरूम मेंघुस पाया और तब भौजाई की पारखी नज़रों ने लम्बाई मोटाई कड़ाई सब नाप ली
अनुज तो बनारस चला गया था , वहां पहुँच के उसका फोन भी आ गया था , गुड्डो बहुत खुश थी , गुड्डो ने मुझसे बातें की
लेकिन उससे ज्यादा खुश थीं , गुड्डो की मम्मी , और मैंने उनको भी खूब चढ़ाया , बनारस का नाम ले कर , देवर बचना नहीं चाहिए ,... और उन्होंने गुड्डो और मेरे देवर के सामने ही उसकी सात पुश्त गरियाई और बोला जैसे , इम्तहान देकर आएगा न , अगवाड़ा , पिछवाड़ा कुछ भी नहीं बचेगा।
" बचना भी नहीं चाहिए , होली में बनारस गया है , बनारस का पूरा रस मिलना चाहिए , और अच्छी तरह इम्तहान लीजियेगा उसका , मेरी ओर से भी "
मैंने आग में और घी डाला।
हाँ तो कल रात का हाल तो मैं बता हु चुकी हूँ , मेरे देवर अनुज का कितना जोरदार 'स्वागत' हुआ , गुड्डो ने सीधी मांग काढ़ी और सिंदूरदान गुड्डो और उसकी मम्मी दोनों ने किया ,
लेकिन अगले दिन ,... बेचारा पढाई में बिजी था तब भी नहाते समय , ... मारे शरम के अनुज ने तो ज्यादा कुछ नहीं बताया ,
पर गुड्डो थी न , मैं उसकी पक्की हमराज ,... आखिर उस की नथ अनुज से मैंने ही तो उतरवाई थी , ढोलक लेने जाने के बहाने, अनुज ने दो बार उसकी ढोलक बजा दी थी , और उसके बाद बिना नागा ,
और सबसे बढ़कर गुड्डो की मम्मी रिश्ते में मेरी भाभी तो उन्होंने हाल खुलासा भी बताया और जमकर अच्छी वाली गारी भी दी , ... बिना गारी के ननद भौजाई का रिश्ता पक्का होता ही नहीं ,
अटैची तो उसके पहुँचते ही गुड्डो ने झपट ली थी , रात को सिर्फ शार्ट और बनयाइंन में , हाँ जब वो नहाने गया , ( बाथरूम कमरे में ही अटैच्ड था ) तो पहले गुड्डो , बनियाइन दे दो , धुलनी है , और उसके बाद एक छोटी सी टॉवेल दे दी , ... इसे पहन कर शार्ट उतार के दे दो , वो वही पहने रहोगे दस दिन तक ,... चलो उतारो , ... गुड्डो से वो निपट भी लेता लेकिन तबतक गुड्डो की मम्मी और वो गुड्डो पर अलफ ,...
" तू क्या कर रही है , न ये न इनकी बहन , अपने से कपडे उतारती हैं , हाँ कोई और उतार दे तो मना भी नहीं करती ,... तो तू ही उतार दे न , और कौन नंगे हो जाएंगे , तौलिया तो पहने हैं , चल ,... "
जब तक वो रोके टोके गुड्डी ने एक झटके में शार्ट खींच कर गपुच ली , और जब तक वो चलती गुड्डो की मम्मी ने उसे आँख के इशारे से रोक लिया , ...
अब गुड्डो की मम्मी बाथरूम के दरवाजे पर , छोटा सा दरवाजा , ... आधा खुला , बिना उनसे रगड़े वो अंदर नहीं जा सकता और जैसे साली सलहज कोहबर छेंकती है बस उसी तरह गुड्डो की मम्मी बाथरूम का दरवाजा छेंके ,...
उनके पीछे बनारस की रसीली किशोरी , हाईस्कूल वाली , शरारत से मुस्कराती , एक हाथ में उनका शार्ट और बनियाइन पकडे ,
" ये टॉवल भी थोड़ी गन्दी लग रही है , इसको भी धूल दे, ..अब इनको नहाने ही तो जाना है , अंदर कौन सा टॉवल पहन के नहाएंगे ,... " गुड्डो की मम्मी ने मेरे और अपने देवर को देखते हुए मुस्कराते कुछ छेड़ते कहा ,
बेचारा अनुज , उसने जोर से टॉवेल पकड़ने की कोशिश की ,
पर बनारसी लड़कियों से पार पाना मुश्किल है , उसके पहले ही गुड्डो ने टॉवेल पकड़ के खींच ली ,
और हंसती खिलखिलाती छलांगे लगाती वो हिरणी कमरे के बाहर ,
लेकिन शेरनी अभी भी बची थी , न जाने कब की भूखी , शिकार को बल्कि शिकार का टकटकी लगाए देखते ,
बेचारा अनुज उसने दोनों हाथों से छिपाने की कोशिश की पर बेकार , उसकी भौजी की भी भौजी थीं वो ,
तुरंत शर्त लगा दी ,
दोनों हाथ ऊपर और १०० तक गिनती , तब ही मैं जाने दूंगी अंदर ,...
क्या करता बेचारा , और ऊपर से भौजाई की रगड़ाई ,
" चल आज तुझे मैं नहला देती हूँ , अपने हाथ से , हर जगह साबुन लगा कर , रगड़ कर ,... पक्का ,... तंग करुँगी लेकिन ज्यादा नहीं , ... "
और ज्ञान भी ,
" अरे दुल्हन का घूँघट खोल के रखा करो , कहो तो मैं ही खोल दूँ , तुझे मुंहदिखाई में अपनी ननद की ननद दे दूंगी , एलवल वाली ,... थोड़ा सा तेल वेळ लगा लेना "
पूरे पांच मिनट बाद ही वो बाथरूम मेंघुस पाया और तब भौजाई की पारखी नज़रों ने लम्बाई मोटाई कड़ाई सब नाप ली