31-03-2019, 11:28 AM
हरिया काका ने अपने बाए हाथ को घुमा कर दिव्या कि टांगो के बीच फंसाया और अपनी एक ऊँगली को जेक कि तरह उसकी चूत में फंसाकर ऊपर कि तरफ दबाव देने लगे, और वो किसी फरारी कार कि तरह हवा में उठती चली गयी…
”आआयययययीईईईई उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्हह्ह काका म्म्म्म्म्म्म्म्म्म ”
उसने प्रेम रस में डूबी प्रेमिका कि तरह हरिया काका के सर के बालों में अपनी उंगलिया फंसा कर उसे अपनी तरफ खीचना शुरू कर दिया , पर वो तो रिया कि चूत के अंदर फंसे हुए थे, उनकी जीभ पूरी तरह से अंदर फंसकर किसी खूंटी कि तरह वहाँ अटकी हुई थी.
पर फिर भी दिव्या के लिए उन्होंने अपनी जीभ बाहर निकाली और उसकी तरफ मुंह घुमाकर रिया कि चूत के रस में डूबी हुई जीभ को उसके स्तनो पर लगा कर उनका रस पीने लगे..
अपनी चूत में हरिया काका कि ऊँगली और निप्पल पर उनके तीखे दांतो के प्रहार से वो बुरी तरह से तिलमिला उठी और पुरस्कार स्वरुप उसने अपना आधे से ज्यादा मुम्मा हरिया काका के मुंह के अंदर ठूस दिया.
वो बेचारा बुड्ढा सांस तक नहीं ले पा रहा था ..
अब शायद वो भी सोच रहा होगा कि ऐसी उम्र में क्यों उन्होंने दो- २ जवान लड़कियों से पंगा लिया और वो भी एक साथ .
अब हरिया काका कि उँगलियाँ दिव्या के रस में डूबकर पूरी तरह से भीग चुकी थी, उन्होंने उसे बाहर निकाला और उसकी गांड के छेद पर लगाकर जोर से पुश किया..
ये पहला मौका था दिव्या कि गांड के लिए, उसने आज तक अपनी गांड मनीष के सामने भी नहीं परोसी थी, वो उसे सबसे गन्दा काम लगता था सेक्स के खेल का.
पर आज इतनी उत्तेजना में भरी हुई थी कि वो भी उसे सुखद प्रतीक हो रहा था.
उसने हरिया काका कि उँगलियों पर डांस करना शुरू कर दिया
इसी बीच रिया भी उनके भीमकाय लंड को मुंह में लेकर चूसते हुए थक सी गयी,
उसने अपना आसन छोड़ दिया और घूमकर हरिया काका कि तरफ मुंह करके बैठ गयी.
उनका लंड उसकी चूत के नीचे दबा हुआ फड़फड़ा रहा था..
हरिया काका को दिव्या के मुम्मे चूसते देखकर उसके निप्पलो में भी खुजली सी होने लगी और उसने बड़े ही प्यार से उनके चेहरे को अपनी तरफ घुमाकर अपने मुम्मे को उनके मुंह के अंदर धकेला और खुद उनकी जगह लेकर दिव्या के मुम्मे को चूसने लगी.
इसी बीच नीचे का खेल अपनी चरम सीमा पर था.
मनीष ने आठ -२ हजार कि 5 चाले चलकर अपने उधार के पचास हजार में से चालीस हजार ख़त्म कर दिए, अब उसके पास दस हजार बचे थे , अगर वो चाल चलता तो अगली बार कि चाल के लिए उसके पास पैसे नहीं थे, इसलिए मन मारकर उसने बाकी के पैसे नीचे फेंकते हुए शो मांग लिया.
और जैसे ही राहुल ने अपने सिकुवेनस वाले पत्ते नीचे फेंके, उसका चेहरा पूरा पीला पड़ गया, राहुल को पता था कि वो जीत चूका है, इसलिए उसने मनीष के पत्ते देखने कि भी जेहमत नहीं उठायी और पैसे अपनी तरफ समेटने लगा
इतनी बड़ी गेम जो जीता था वो आज..
मनीष का पूरा सर घूम रहा था, उसने तो सिर्फ जीत के बारे में सोचा था, हार जाने के बाद क्या होगा, कैसे होगा, कैसे वो राहुल के पैसे उतारेगा, वो सब तो उसने सोचा भी नहीं था .
अब बारी थी राहुल के कमीनेपन कि….
उसने अपने सारे पैसे गड्डी बनाकर अपनी जेबों में ठूस लिए और मनीष से बोला : "भाई , जैसा तय हुआ था, मैंने तुझे उधार तो दे दिया, अब वो पैसे भी मुझे वापिस चाहिए ”
मनीष (रूवांसी आवाज में ) : "यार , तू तो जानता है, मैं सारे पैसे हार चूका हु, अब मेरे पास कुछ भी नहीं बचा है,
राहुल : "वो तो मुझे भी पता है, पर उधार लेने से पहले क्या ये बात नहीं सोची थी कि हार जाने के बाद कैसे उतारेगा ये सब ”
मनीष ने सर झुका लिया : "मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा, ये सब कैसे हो गया, मैं पिताजी को क्या जवाब दूंगा, उनके पैसे भी हार चूका हु मैं ”
कुछ देर कि चुप्पी के बाद राहुल बोला : "एक काम हो सकता है, जिससे तुझे मेरे पैसे भी नहीं चुकाने होंगे, और अपने पिताजी को भी कोई जवाब नहीं देना होगा ”
उसने झट से अपना चेहरा ऊपर उठा लिया और बोला : "कैसे … ये कैसे हो सकता है, बताओ जल्दी ”
राहुल : "वैसे ही , जैसे तुम जंगल में बिना पैसे दिए उस मुसीबत से निकल गए थे, अपनी बीबी कि बदोलत। … ही ही …”
उसने जान बूझकर अपनी बात अधूरी छोड़ दी बीच में , और नीचता से भरी हुई हंसी हंसने लगा..
मनीष कि समझ में कुछ नहीं आ रहा था, वो बस उसे हँसता हुआ देखे जा रहा था, मनीष के बाकी दोस्तों को जंगल वाली बात पता नहीं थी, इसलिए वो भी उसका मुंह ताकने में लगे थे, पर दिव्या का नाम आ जाने से उन्हें इतना तो पता चल ही चूका था कि राहुल आखिर कहना क्या चाहता है.
मनीष इसलिए राहुल का मुंह ताक रहा था कि क्या सिर्फ वो दिव्या से अपना लंड ही चुस्वा कर उसके पैसे माफ़कर देगा या और कुछ भी करने के लिए बोलेगा, वैसे भी दिव्या के साथ वो कुछ भी करें, उसे कोई फर्क नहीं पड़ता था, पर उसे पिताजी को कोई जवाब नहीं देना पड़ेगा, वो बात उसकी समझ में नहीं आयी थी.
राहुल ने उसकी चिंता का निवारण कर दिया और बोला : "देख भाई, तूने जंगल में सिर्फ अपने पैसे बचाने के लिए अपनी बीबी को मुझ अनजान आदमी का लंड चूसने के लिए बोल दिया, अब वही काम तुझे अपना उधार चुकाने के लिए करवाना पड़ेगा अपनी बीबी से, और रही बात तेरे पिताजी कि तो हम सब मिलकर थोड़े -२ पैसे मिलायेंगे और तेरे इस घर में जो भी काम करवाना है वो सब कराएंगे ”
हर्षित और बाकी के दोस्तों को राहुल ने फिर आराम से जंगल वाला किस्सा सुनाया जिसे सुनकर उनकी भी आँखे फटी कि फटी रह गयी, और वो सब सोचने लगे कि दिव्या भाभी ने कैसे राहुल का लंड चूसा होगा, सभी अपनी -२ कल्पनाओ के घोड़े दौड़ाने लगे..
तब हर्षित बोला : "पर हम सब क्यों पैसे मिलाकर घर का काम कराएँगे ?"
सभी ने सर हिलाकर उसकी बात का समर्थन किया.
राहुल बोला : "वो इसलिए कि दिव्या भाभी तुम सबके साथ भी वो सब करेगी, जो हम करने को कहेंगे ”
उसकी बात सुनकर सभी के लंड में तरावट सी आ गयी ..
और दूसरी तरफ मनीष अपनी ही केलकुलेशन में लगा हुआ था, उसे इस बात को सुनकर गुस्सा नहीं आया कि उसके दोस्त भी राहुल के साथ मिलकर उसकी बीबी के साथ मजे लेना चाहते हैं, वो तो बस ये सोच रहा था कि उसका उधार उतर जाएगा, घर का काम भी हो जायेगा, वो अपने बाप कि डांट से भी बच जाएगा … बस एक अड़चन लग रही थी उसे, दिव्या इसके लिए तैयार होगी या नहीं ….
साला एक नंबर का हरामी था वो, अपनी बीबी को दांव पर लगाकर अपना काम निकलवा रहा था वो , वैसे ये काम वो पहले भी कर ही चूका था, जंगल में, इसलिए उसे फिफ्टी -२ चांस तो लग ही रहे थे कि दिव्या इसके लिए भी तैयार हो जायेगी
उसने जब अपने दिल कि बात सबके सामने रखी तो हर्षित बोला : "एक काम करते हैं, उसी से चलकर पूछ लेते हैं”
उसे तो जैसे विशवास था कि उसे देखकर दिव्या मना कर ही नहीं सकेगी..
मनीष बोला : "ठीक है, चलो चलते हैं, ऊपर है वो अपने कमरे में, वो जगह ठीक भी रहेगी इस काम के लिए "
साला भड़वा , कितनी जल्दी तैयार हो गया अपनी बीबी को अपने दोस्तों के सामने परोसने के लिए, और सभी को लेकर अपने बेडरूम में चलने को भी तैयार हो गया..
पर उन्हें क्या मालुम था कि ऊपर कमरे में क्या चल रहा है .
ऊपर कमरे में हरिया काका ने आतंक मचा रखा था, वो अपनी जगह से उठकर खड़े हो चुके थे और उन्होंने रिया कि बगल में दिव्या को लिटाकर दोनों के पैर ऊपर हवा में उठा दिए थे, और एक-२ करके दोनों कि चूत का शहद चखने में लगे हुए थे
और तभी एक दम से दरवाजे पर एक झटका लगा, और चिटखनी पिछली बार कि तरह फिर से सरक कर नीचे गिर पड़ी और सभी दनदनाते हुए अंदर आ घुसे .
अंदर का नजारा देखकर सभी कि आँखे फटी कि फटी रह गयी, हरिया काका उस वक़्त दिव्या कि चूत को अपनी जीभ से चाट कर साफ़ करने में लगे थे .
हरिया काका ने पलट कर देखा तो उनका पूरा बदन कांपने लगा.
सामने अपने मालिक को खड़ा देखकर उनकी हालत पतली हो गयी, और उसी मालिक कि बीबी कि चूत वो एक पल पहले मजे ले लेकर चाटने में लगे थे.
राहुल को तो पता था कि उसकी बीबी रिया कैसी है, क्योंकि रिया ने अपनी लाइफ के बारे में, यानि मनीष और हरिया काका के साथ लिए गए मजे के बारे में पहले से ही बता रखा था, इसलिए राहुल ने रिया को नंगा लेटे हुए देखकर कोई प्रतिक्रिया नहीं कि, पर बाकी के दोस्त रिया को नंगा देखकर जरुर हैरान हो गए , रिया भी अपने पति के अय्याश स्वभाव के बारे में जानती थी, इसलिए दोनों एक दूसरे कि जिंदगी में ज्यादा दखल नहीं देते थे.
”आआयययययीईईईई उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्हह्ह काका म्म्म्म्म्म्म्म्म्म ”
उसने प्रेम रस में डूबी प्रेमिका कि तरह हरिया काका के सर के बालों में अपनी उंगलिया फंसा कर उसे अपनी तरफ खीचना शुरू कर दिया , पर वो तो रिया कि चूत के अंदर फंसे हुए थे, उनकी जीभ पूरी तरह से अंदर फंसकर किसी खूंटी कि तरह वहाँ अटकी हुई थी.
पर फिर भी दिव्या के लिए उन्होंने अपनी जीभ बाहर निकाली और उसकी तरफ मुंह घुमाकर रिया कि चूत के रस में डूबी हुई जीभ को उसके स्तनो पर लगा कर उनका रस पीने लगे..
अपनी चूत में हरिया काका कि ऊँगली और निप्पल पर उनके तीखे दांतो के प्रहार से वो बुरी तरह से तिलमिला उठी और पुरस्कार स्वरुप उसने अपना आधे से ज्यादा मुम्मा हरिया काका के मुंह के अंदर ठूस दिया.
वो बेचारा बुड्ढा सांस तक नहीं ले पा रहा था ..
अब शायद वो भी सोच रहा होगा कि ऐसी उम्र में क्यों उन्होंने दो- २ जवान लड़कियों से पंगा लिया और वो भी एक साथ .
अब हरिया काका कि उँगलियाँ दिव्या के रस में डूबकर पूरी तरह से भीग चुकी थी, उन्होंने उसे बाहर निकाला और उसकी गांड के छेद पर लगाकर जोर से पुश किया..
ये पहला मौका था दिव्या कि गांड के लिए, उसने आज तक अपनी गांड मनीष के सामने भी नहीं परोसी थी, वो उसे सबसे गन्दा काम लगता था सेक्स के खेल का.
पर आज इतनी उत्तेजना में भरी हुई थी कि वो भी उसे सुखद प्रतीक हो रहा था.
उसने हरिया काका कि उँगलियों पर डांस करना शुरू कर दिया
इसी बीच रिया भी उनके भीमकाय लंड को मुंह में लेकर चूसते हुए थक सी गयी,
उसने अपना आसन छोड़ दिया और घूमकर हरिया काका कि तरफ मुंह करके बैठ गयी.
उनका लंड उसकी चूत के नीचे दबा हुआ फड़फड़ा रहा था..
हरिया काका को दिव्या के मुम्मे चूसते देखकर उसके निप्पलो में भी खुजली सी होने लगी और उसने बड़े ही प्यार से उनके चेहरे को अपनी तरफ घुमाकर अपने मुम्मे को उनके मुंह के अंदर धकेला और खुद उनकी जगह लेकर दिव्या के मुम्मे को चूसने लगी.
इसी बीच नीचे का खेल अपनी चरम सीमा पर था.
मनीष ने आठ -२ हजार कि 5 चाले चलकर अपने उधार के पचास हजार में से चालीस हजार ख़त्म कर दिए, अब उसके पास दस हजार बचे थे , अगर वो चाल चलता तो अगली बार कि चाल के लिए उसके पास पैसे नहीं थे, इसलिए मन मारकर उसने बाकी के पैसे नीचे फेंकते हुए शो मांग लिया.
और जैसे ही राहुल ने अपने सिकुवेनस वाले पत्ते नीचे फेंके, उसका चेहरा पूरा पीला पड़ गया, राहुल को पता था कि वो जीत चूका है, इसलिए उसने मनीष के पत्ते देखने कि भी जेहमत नहीं उठायी और पैसे अपनी तरफ समेटने लगा
इतनी बड़ी गेम जो जीता था वो आज..
मनीष का पूरा सर घूम रहा था, उसने तो सिर्फ जीत के बारे में सोचा था, हार जाने के बाद क्या होगा, कैसे होगा, कैसे वो राहुल के पैसे उतारेगा, वो सब तो उसने सोचा भी नहीं था .
अब बारी थी राहुल के कमीनेपन कि….
उसने अपने सारे पैसे गड्डी बनाकर अपनी जेबों में ठूस लिए और मनीष से बोला : "भाई , जैसा तय हुआ था, मैंने तुझे उधार तो दे दिया, अब वो पैसे भी मुझे वापिस चाहिए ”
मनीष (रूवांसी आवाज में ) : "यार , तू तो जानता है, मैं सारे पैसे हार चूका हु, अब मेरे पास कुछ भी नहीं बचा है,
राहुल : "वो तो मुझे भी पता है, पर उधार लेने से पहले क्या ये बात नहीं सोची थी कि हार जाने के बाद कैसे उतारेगा ये सब ”
मनीष ने सर झुका लिया : "मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा, ये सब कैसे हो गया, मैं पिताजी को क्या जवाब दूंगा, उनके पैसे भी हार चूका हु मैं ”
कुछ देर कि चुप्पी के बाद राहुल बोला : "एक काम हो सकता है, जिससे तुझे मेरे पैसे भी नहीं चुकाने होंगे, और अपने पिताजी को भी कोई जवाब नहीं देना होगा ”
उसने झट से अपना चेहरा ऊपर उठा लिया और बोला : "कैसे … ये कैसे हो सकता है, बताओ जल्दी ”
राहुल : "वैसे ही , जैसे तुम जंगल में बिना पैसे दिए उस मुसीबत से निकल गए थे, अपनी बीबी कि बदोलत। … ही ही …”
उसने जान बूझकर अपनी बात अधूरी छोड़ दी बीच में , और नीचता से भरी हुई हंसी हंसने लगा..
मनीष कि समझ में कुछ नहीं आ रहा था, वो बस उसे हँसता हुआ देखे जा रहा था, मनीष के बाकी दोस्तों को जंगल वाली बात पता नहीं थी, इसलिए वो भी उसका मुंह ताकने में लगे थे, पर दिव्या का नाम आ जाने से उन्हें इतना तो पता चल ही चूका था कि राहुल आखिर कहना क्या चाहता है.
मनीष इसलिए राहुल का मुंह ताक रहा था कि क्या सिर्फ वो दिव्या से अपना लंड ही चुस्वा कर उसके पैसे माफ़कर देगा या और कुछ भी करने के लिए बोलेगा, वैसे भी दिव्या के साथ वो कुछ भी करें, उसे कोई फर्क नहीं पड़ता था, पर उसे पिताजी को कोई जवाब नहीं देना पड़ेगा, वो बात उसकी समझ में नहीं आयी थी.
राहुल ने उसकी चिंता का निवारण कर दिया और बोला : "देख भाई, तूने जंगल में सिर्फ अपने पैसे बचाने के लिए अपनी बीबी को मुझ अनजान आदमी का लंड चूसने के लिए बोल दिया, अब वही काम तुझे अपना उधार चुकाने के लिए करवाना पड़ेगा अपनी बीबी से, और रही बात तेरे पिताजी कि तो हम सब मिलकर थोड़े -२ पैसे मिलायेंगे और तेरे इस घर में जो भी काम करवाना है वो सब कराएंगे ”
हर्षित और बाकी के दोस्तों को राहुल ने फिर आराम से जंगल वाला किस्सा सुनाया जिसे सुनकर उनकी भी आँखे फटी कि फटी रह गयी, और वो सब सोचने लगे कि दिव्या भाभी ने कैसे राहुल का लंड चूसा होगा, सभी अपनी -२ कल्पनाओ के घोड़े दौड़ाने लगे..
तब हर्षित बोला : "पर हम सब क्यों पैसे मिलाकर घर का काम कराएँगे ?"
सभी ने सर हिलाकर उसकी बात का समर्थन किया.
राहुल बोला : "वो इसलिए कि दिव्या भाभी तुम सबके साथ भी वो सब करेगी, जो हम करने को कहेंगे ”
उसकी बात सुनकर सभी के लंड में तरावट सी आ गयी ..
और दूसरी तरफ मनीष अपनी ही केलकुलेशन में लगा हुआ था, उसे इस बात को सुनकर गुस्सा नहीं आया कि उसके दोस्त भी राहुल के साथ मिलकर उसकी बीबी के साथ मजे लेना चाहते हैं, वो तो बस ये सोच रहा था कि उसका उधार उतर जाएगा, घर का काम भी हो जायेगा, वो अपने बाप कि डांट से भी बच जाएगा … बस एक अड़चन लग रही थी उसे, दिव्या इसके लिए तैयार होगी या नहीं ….
साला एक नंबर का हरामी था वो, अपनी बीबी को दांव पर लगाकर अपना काम निकलवा रहा था वो , वैसे ये काम वो पहले भी कर ही चूका था, जंगल में, इसलिए उसे फिफ्टी -२ चांस तो लग ही रहे थे कि दिव्या इसके लिए भी तैयार हो जायेगी
उसने जब अपने दिल कि बात सबके सामने रखी तो हर्षित बोला : "एक काम करते हैं, उसी से चलकर पूछ लेते हैं”
उसे तो जैसे विशवास था कि उसे देखकर दिव्या मना कर ही नहीं सकेगी..
मनीष बोला : "ठीक है, चलो चलते हैं, ऊपर है वो अपने कमरे में, वो जगह ठीक भी रहेगी इस काम के लिए "
साला भड़वा , कितनी जल्दी तैयार हो गया अपनी बीबी को अपने दोस्तों के सामने परोसने के लिए, और सभी को लेकर अपने बेडरूम में चलने को भी तैयार हो गया..
पर उन्हें क्या मालुम था कि ऊपर कमरे में क्या चल रहा है .
ऊपर कमरे में हरिया काका ने आतंक मचा रखा था, वो अपनी जगह से उठकर खड़े हो चुके थे और उन्होंने रिया कि बगल में दिव्या को लिटाकर दोनों के पैर ऊपर हवा में उठा दिए थे, और एक-२ करके दोनों कि चूत का शहद चखने में लगे हुए थे
और तभी एक दम से दरवाजे पर एक झटका लगा, और चिटखनी पिछली बार कि तरह फिर से सरक कर नीचे गिर पड़ी और सभी दनदनाते हुए अंदर आ घुसे .
अंदर का नजारा देखकर सभी कि आँखे फटी कि फटी रह गयी, हरिया काका उस वक़्त दिव्या कि चूत को अपनी जीभ से चाट कर साफ़ करने में लगे थे .
हरिया काका ने पलट कर देखा तो उनका पूरा बदन कांपने लगा.
सामने अपने मालिक को खड़ा देखकर उनकी हालत पतली हो गयी, और उसी मालिक कि बीबी कि चूत वो एक पल पहले मजे ले लेकर चाटने में लगे थे.
राहुल को तो पता था कि उसकी बीबी रिया कैसी है, क्योंकि रिया ने अपनी लाइफ के बारे में, यानि मनीष और हरिया काका के साथ लिए गए मजे के बारे में पहले से ही बता रखा था, इसलिए राहुल ने रिया को नंगा लेटे हुए देखकर कोई प्रतिक्रिया नहीं कि, पर बाकी के दोस्त रिया को नंगा देखकर जरुर हैरान हो गए , रिया भी अपने पति के अय्याश स्वभाव के बारे में जानती थी, इसलिए दोनों एक दूसरे कि जिंदगी में ज्यादा दखल नहीं देते थे.