30-03-2019, 05:38 PM
नटखट ननदें
तभी मझे सीढी पर किसी के चढ़ने की , ... फिर ननदों की खिलखिलाहट ,...
"हटो न ,... " मैं बोली , पर वो न हटने की हालत में थे न मैं हटाने की , उनकी गाढ़ी रबड़ी मलाई मेरे अंदर , एक बार , बार बाद , साथ में मैं भी काँप रही थी , झड़ रही थी ,
साडी में सबसे बड़ा फायदा होता है , उठो और अपने आप सब ढँक जाता है , ...
दरवाजे पर पहली दस्तक के पहले ही मैंने ब्रा के हुक बंद कर लिए थे चोली के बटन भी , वो जबतक पाजामा का नाडा बाँध रहे थे मैं खड़ी हो गयी।
दरवाजे पर पड़ी पहली दस्तक के साथ , ... और दुष्ट ननदे भी न लगातार खटखट , और आवाजें भी , ...
" खोलतीं हूँ अभी , ... "
मैं आलमोस्ट दौड़ कर दरवाजे पर , ... ये कुर्सी पर मुझसे दूर बैठे , ... जैसे रात भर वहीँ बैठे रहे हों , कुछ हुआ ही न हो ,... और मैंने दरवाजा खोल दिया
नीता और गीता ,...
नीता मुझसे साल डेढ़ साल छोटी होगी , ग्यारहवे में
और गीता अभी दसवे में गयी , इनकी मझली साली की उमर की ,
दोनों इनकी कजिन , बहुत ही शोख , छेड़खानी से भरी ,
" कहीं हम लोग जल्दी तो नहीं आ गए भाभी , कहिये तो थोड़ी देर में , ... लेकिन कल आपके सामने ही बड़ी भाभी ( मेरी जेठानी ) ने बोला था की नौ बजे "
आँख नचाते गीता बोली।
गीता , इनकी मंझली साली की समौरिया , अभी दसवे में गयी ,
एक छोटी सी कसी कसी फ्राक में थी। उसके टिकोरे टाइट फ्राक से फटे पड़ रहे थे।
मैं उठकर उसके साथ चलने को तैयार हुयी तो अचानक जाँघों के बीच तेज चिलख हुयी , जैसे लग रहा था जाँघे फटी पड़ रही हैं , नीता और गीता दोनों ने मेरा हाथ दोनों ओर से पकड़ कर सपोर्ट किया ,
तभी दूसरी क्राइसिस , अभी अभी तो कटोरी भर मलाई उन दोनों के भाई ने मेरे निचले होंठों को खिलाई थी , और अब ,... मुझे लगा की कहीं एकाध बूँद।
कस के मैंने निचले होंठ भींच लिए , और दरवाजे के बाहर ,
तभी मेरी निगाहें , गीता और नीता की निगाहों का पीछा करते एक बार फिर कमरे में ,
फर्श पर पड़ी मेरी पैंटी , ...
बिस्तर पर खुली वैसलीन की बड़ी शीशी , .... जो अब आधी रह गयी थी।
मेरा जी धक्क से रह गया , मेरी सब तैयारी कमरे को सेट करने की , यहाँ तक मेरी चूड़ियां जो रात की , एक तिहाई भी नहीं बची थी , उनसे मैचिंग चूड़ियां तैयार होते मैंने पहने थी की कोई ये न पूछे की चूड़ियां कहाँ टूटीं रात में ,...
और ,... यहाँ तो मेरी सारी कहानी मेरी ननदों के सामने ,...
" भाभी , हमने कुछ नहीं देखा "
खिलखिलाते हुए मेरी दोनों दुष्ट ननदें , नीता और गीता एक साथ बोलीं।
गीता के छोटी सी फ्राक में थी तो नीता एक टाइट टॉप और छोटी सी कैप्री में।
और एक बार मुझे फिर अहसास हुआ इनकी 'रबड़ी मलाई ' सरक कर , ... अब तो पैंटी का कवच भी नहीं था।
इन दोनों शैतानों की जल्दी बाजी में ,... निचले होंठ फिर से भींचे ,...
इनकी सलहज भी न , उन्होंने इन्हे चढ़ा कर , सुबह सुबह ,...
लेकिन एक ख़ुशी भी हुयी चल यार कोमल तूने , इनकी सलहज का रिकार्ड तोड़ दिया ,
हर बार रीतू भाभी हम ननदों को चैलेंज थ्रो करतीं थी ,
है कोई छिनार ननद , पहली रात में तीन बार ,...
और आज उनका चैलेन्ज ,...
फिर सुहागरात के बाद बेचारी ननदों को कुछ तो मिलना चाहिए छेड़खानी के लिए रात भर कान पारे बैठी रहती हैं ,...
और नीता ने वो सवाल पूछ ही दिया
"भाभी , रात में आपको कुछ चोट वोट , ... बड़ी जोर से चीखी थीं आप मैं तो सोच रही थी की आपकी हेल्प के लिए , कहीं नयी जगह है , "
और उसकी बात गीता ने काट भी दी पूरी कर दी ,
" मैंने समझाया इसे , ... भैया है न अंदर , ... कहीं कुछ कट फट गया होगा तो , ... मलहम लगा देंगे , अच्छी तरह से ठीक हो जाएगा , .... तो भइया ने मरहम लगाया था न?"
" लगाया ही होगा , तभी तो लेकिन ,.... भाभी दर्द आपको लगता है अभी भी है थोड़ा थोड़ा ,.... मुझे तो टाइम भी याद है , १० बजकर २७ मिनट.”
नीता ने तड़का लगाया।
" दुबारा भी तो , ठीक एक बजा था क्यों न नीतू , पहली बार से भी तेज चीख निकली थी , क्यों भाभी लगता है जहाँ पहली बार चोट लगी थी , वहीँ दुबारा फिर से ,... तो क्या भइया ने दुबारा मलहम लगाया ,... "
गीता बहुत भोलेपन से बोली ,
और मैं , नयी दुल्हन की तरह घूंघट काढ़े , नीचे देखती , थोड़ी लजाती , झिझकती ,... लेकिन मेरे मुंह से निकल ही गया ,
' तो क्या तुम सब रात भर ,... "
रोकते रोकते मेरे मुंह से निकल ही गया।
" नहीं नहीं रात भर कहाँ ,... डेढ़ बजे के करीब आपकी जेठानी न , जबरदस्ती हम सबको हाँक के नीचे ले गयीं। "
बुरा सा मुंह बना के नीता बोली। फिर मेरी और देख के गीता से बोली ,
" तूने कल गुड नाइट नहीं लगाया था , देख भाभी को कितने मछरों ने काटा है , तभी तो बेचारी भाभी को रात में नींद नहीं आयी ठीक से लगता है , क्यों भाभी कहाँ कहाँ काटा है ? "
नीता ने मेरे ब्लाउज से झांकते इनके दांतों के निशान देख कर चिढ़ाया।
मैंने सब जगह , गाल पर , सीने पर तैयार होते समय ,' नो मार्क्स ' ;लगाया था ,
पर तब भी कुछ जगह छूट गए थे ,
और सबसे बढ़ कर , जो अपनी सलहज की बात मान कर सुबह सुबह एक राउंड उन्होंने और चढ़ाई कर दी , तो उसके तो सारे निशान बचे ही थे।
गीता और बोली ,
" अरे यार चल ने दे न भाभी को कमरे में एक बार , वहां तो तो बस हम सब ननदें ही होंगी , बस आराम से खोल कर देख कर , जहाँ चोट होगी , कुछ कटा फटा होगा , सब पर आराम से ,... सहला के ,... मरहम लगा देंगे न। क्यों भाभी हम ननदों से क्या शरमाना। "
मैं सिहर गयी , तब तक लेकिन हम लोग नीचे पहुँच गए
गनीमत थी नीचे उतरते ही , मेरी सास , मेरी बुआ सास दो और रिश्ते की सास बैठी थीं। मैंने झुक कर जैसे सास के पैर छुए , उन्होंने मुझे दुलार से चिपका लिया। मेरी बुआ सास मुझे ध्यान से देखते बोलीं ,
तभी मझे सीढी पर किसी के चढ़ने की , ... फिर ननदों की खिलखिलाहट ,...
"हटो न ,... " मैं बोली , पर वो न हटने की हालत में थे न मैं हटाने की , उनकी गाढ़ी रबड़ी मलाई मेरे अंदर , एक बार , बार बाद , साथ में मैं भी काँप रही थी , झड़ रही थी ,
साडी में सबसे बड़ा फायदा होता है , उठो और अपने आप सब ढँक जाता है , ...
दरवाजे पर पहली दस्तक के पहले ही मैंने ब्रा के हुक बंद कर लिए थे चोली के बटन भी , वो जबतक पाजामा का नाडा बाँध रहे थे मैं खड़ी हो गयी।
दरवाजे पर पड़ी पहली दस्तक के साथ , ... और दुष्ट ननदे भी न लगातार खटखट , और आवाजें भी , ...
" खोलतीं हूँ अभी , ... "
मैं आलमोस्ट दौड़ कर दरवाजे पर , ... ये कुर्सी पर मुझसे दूर बैठे , ... जैसे रात भर वहीँ बैठे रहे हों , कुछ हुआ ही न हो ,... और मैंने दरवाजा खोल दिया
नीता और गीता ,...
नीता मुझसे साल डेढ़ साल छोटी होगी , ग्यारहवे में
और गीता अभी दसवे में गयी , इनकी मझली साली की उमर की ,
दोनों इनकी कजिन , बहुत ही शोख , छेड़खानी से भरी ,
" कहीं हम लोग जल्दी तो नहीं आ गए भाभी , कहिये तो थोड़ी देर में , ... लेकिन कल आपके सामने ही बड़ी भाभी ( मेरी जेठानी ) ने बोला था की नौ बजे "
आँख नचाते गीता बोली।
गीता , इनकी मंझली साली की समौरिया , अभी दसवे में गयी ,
एक छोटी सी कसी कसी फ्राक में थी। उसके टिकोरे टाइट फ्राक से फटे पड़ रहे थे।
मैं उठकर उसके साथ चलने को तैयार हुयी तो अचानक जाँघों के बीच तेज चिलख हुयी , जैसे लग रहा था जाँघे फटी पड़ रही हैं , नीता और गीता दोनों ने मेरा हाथ दोनों ओर से पकड़ कर सपोर्ट किया ,
तभी दूसरी क्राइसिस , अभी अभी तो कटोरी भर मलाई उन दोनों के भाई ने मेरे निचले होंठों को खिलाई थी , और अब ,... मुझे लगा की कहीं एकाध बूँद।
कस के मैंने निचले होंठ भींच लिए , और दरवाजे के बाहर ,
तभी मेरी निगाहें , गीता और नीता की निगाहों का पीछा करते एक बार फिर कमरे में ,
फर्श पर पड़ी मेरी पैंटी , ...
बिस्तर पर खुली वैसलीन की बड़ी शीशी , .... जो अब आधी रह गयी थी।
मेरा जी धक्क से रह गया , मेरी सब तैयारी कमरे को सेट करने की , यहाँ तक मेरी चूड़ियां जो रात की , एक तिहाई भी नहीं बची थी , उनसे मैचिंग चूड़ियां तैयार होते मैंने पहने थी की कोई ये न पूछे की चूड़ियां कहाँ टूटीं रात में ,...
और ,... यहाँ तो मेरी सारी कहानी मेरी ननदों के सामने ,...
" भाभी , हमने कुछ नहीं देखा "
खिलखिलाते हुए मेरी दोनों दुष्ट ननदें , नीता और गीता एक साथ बोलीं।
गीता के छोटी सी फ्राक में थी तो नीता एक टाइट टॉप और छोटी सी कैप्री में।
और एक बार मुझे फिर अहसास हुआ इनकी 'रबड़ी मलाई ' सरक कर , ... अब तो पैंटी का कवच भी नहीं था।
इन दोनों शैतानों की जल्दी बाजी में ,... निचले होंठ फिर से भींचे ,...
इनकी सलहज भी न , उन्होंने इन्हे चढ़ा कर , सुबह सुबह ,...
लेकिन एक ख़ुशी भी हुयी चल यार कोमल तूने , इनकी सलहज का रिकार्ड तोड़ दिया ,
हर बार रीतू भाभी हम ननदों को चैलेंज थ्रो करतीं थी ,
है कोई छिनार ननद , पहली रात में तीन बार ,...
और आज उनका चैलेन्ज ,...
फिर सुहागरात के बाद बेचारी ननदों को कुछ तो मिलना चाहिए छेड़खानी के लिए रात भर कान पारे बैठी रहती हैं ,...
और नीता ने वो सवाल पूछ ही दिया
"भाभी , रात में आपको कुछ चोट वोट , ... बड़ी जोर से चीखी थीं आप मैं तो सोच रही थी की आपकी हेल्प के लिए , कहीं नयी जगह है , "
और उसकी बात गीता ने काट भी दी पूरी कर दी ,
" मैंने समझाया इसे , ... भैया है न अंदर , ... कहीं कुछ कट फट गया होगा तो , ... मलहम लगा देंगे , अच्छी तरह से ठीक हो जाएगा , .... तो भइया ने मरहम लगाया था न?"
" लगाया ही होगा , तभी तो लेकिन ,.... भाभी दर्द आपको लगता है अभी भी है थोड़ा थोड़ा ,.... मुझे तो टाइम भी याद है , १० बजकर २७ मिनट.”
नीता ने तड़का लगाया।
" दुबारा भी तो , ठीक एक बजा था क्यों न नीतू , पहली बार से भी तेज चीख निकली थी , क्यों भाभी लगता है जहाँ पहली बार चोट लगी थी , वहीँ दुबारा फिर से ,... तो क्या भइया ने दुबारा मलहम लगाया ,... "
गीता बहुत भोलेपन से बोली ,
और मैं , नयी दुल्हन की तरह घूंघट काढ़े , नीचे देखती , थोड़ी लजाती , झिझकती ,... लेकिन मेरे मुंह से निकल ही गया ,
' तो क्या तुम सब रात भर ,... "
रोकते रोकते मेरे मुंह से निकल ही गया।
" नहीं नहीं रात भर कहाँ ,... डेढ़ बजे के करीब आपकी जेठानी न , जबरदस्ती हम सबको हाँक के नीचे ले गयीं। "
बुरा सा मुंह बना के नीता बोली। फिर मेरी और देख के गीता से बोली ,
" तूने कल गुड नाइट नहीं लगाया था , देख भाभी को कितने मछरों ने काटा है , तभी तो बेचारी भाभी को रात में नींद नहीं आयी ठीक से लगता है , क्यों भाभी कहाँ कहाँ काटा है ? "
नीता ने मेरे ब्लाउज से झांकते इनके दांतों के निशान देख कर चिढ़ाया।
मैंने सब जगह , गाल पर , सीने पर तैयार होते समय ,' नो मार्क्स ' ;लगाया था ,
पर तब भी कुछ जगह छूट गए थे ,
और सबसे बढ़ कर , जो अपनी सलहज की बात मान कर सुबह सुबह एक राउंड उन्होंने और चढ़ाई कर दी , तो उसके तो सारे निशान बचे ही थे।
गीता और बोली ,
" अरे यार चल ने दे न भाभी को कमरे में एक बार , वहां तो तो बस हम सब ननदें ही होंगी , बस आराम से खोल कर देख कर , जहाँ चोट होगी , कुछ कटा फटा होगा , सब पर आराम से ,... सहला के ,... मरहम लगा देंगे न। क्यों भाभी हम ननदों से क्या शरमाना। "
मैं सिहर गयी , तब तक लेकिन हम लोग नीचे पहुँच गए
गनीमत थी नीचे उतरते ही , मेरी सास , मेरी बुआ सास दो और रिश्ते की सास बैठी थीं। मैंने झुक कर जैसे सास के पैर छुए , उन्होंने मुझे दुलार से चिपका लिया। मेरी बुआ सास मुझे ध्यान से देखते बोलीं ,