08-03-2021, 12:13 PM
थोड़ा सा हट के
देवर की हालचाल , और बनारस में अनुज
जब घर लौट के आयी तो बाद में कम्मो ने उसकी और देवर की होली , सारी बातें बतायीं , जो मैंने अभी शेयर की।
रात को मैंने अपने देवर का हाल चाल लिया , अनुज ने तो बस थोड़ा बहुत ,... लेकिन जिसकी ली जाती है वो स्साला कभी पूरी बात बताती हैं , पर मेरी जासूस थी न , गुड्डो
और उससे भी बढ़कर , गुड्डो की मम्मी ,... मेरी जेठानी की भौजी तो मेरी भी तो भौजी लगेंगी ,
और ननद भाभी में बात चीत , फिर अनुज के जाने के पहले ही मैंने ,..उन्हें खूब अच्छी तरह ,
मेरे देवर का स्वागत खूब अच्छे तरह से हुआ। एक कमरा उसके लिए अलग से पहले से सेट करके रखा था , अटैच्ड बाथरूम भी , एक टेबल , कुर्सी , उस पर टेबल लैम्प , जिस से उसके पढ़ने , एक्जाम में कोई दिक्कत न हो , पहुँचते ही उसका सामान गुड्डो ने रख लिया , भाभी ने उसका कमरा दिखाया , ... लेकिन उसे तुरंत कोचिंग में जाना था , वहीँ बगल में ही सेंटर था ,... उसके बाद लौटकर , फिर चार दिन बाद ही निकालता होली के अगले दिन , इम्तहान वाले दिन ,...
लेकिन जब लौट के आये तो सबसे पहले गुड्डो ने हड़काया
" ऐसे बाहर जातें हैं , हूश की तरह बाल भी ठीक से नहीं झाड़े ,... ये तेरा शहर नहीं है , बनारस है , कम से कम अपनी नहीं तो हम लोगों की इज्जत का ख्याल करते , नाक कटवाओगे तुम ,... "
ये कहने की बात नहीं , गुड्डो ने उसकी शर्ट और पैंट उतरवाकर , उसके बदले में सिर्फ एक शार्ट देकर , और जब उसने चड्ढी नहीं उतारी तो फिर डांट पड़ी ,
" उतारो उसे भी , थोड़ा उसे भी हवा लगने दो ,... "
बस बनियाइन और शार्ट में
तबतक गुड्डो की मम्मी आ गयी और वो अपने देवर की ओर से गुड्डो पर ,
" फालतू में उसे डांट रही हो , तुम क्या कर रही हो , चलो उसका बाल अब से झाड़ दो , अब से ये सब जिम्मेदारी तेरी "
बेचारे देवर को क्या मालूम था माँ बेटी की जुगलबंदी , ... वो कुर्सी पर बैठा था और वहां कोई शीशे विशे का जुगाड़ तो था नहीं ,... बस गुड्डो ने
बड़े प्यार से बड़ी देर तक बाल झाड़े , मांग काढ़ी और फिर कहीं दीवाल पर से चिपका हुआ बड़ा सा शीशा उखाड़ के ले आयी , और तारीफ़ सुनने का इन्तजार करते हुए बोल पड़ी ,
" अच्छा है न , ."
बेचारे अनुज से न बोलते बन रहा था न , किसी तरह से बोल फूटे,
" सीधी मांग, .... ?"
अब गुड्डो का नंबर था ठुनकने का , ...
" यार तू भी न एक तो इतनी अच्छी मांग काढ़ी , मैं तो ऐसे ही काढ़ती हूँ , मम्मी भी , तो मुझे यही आती है ,... "
लेकिन अब गुड्डो की मम्मी का नंबर था , उन्होंने अपनी बेटी को हड़का लिया , अरे सूनी मांग अच्छी लगती है , जाके जल्दी ,... "
देवर की हालचाल , और बनारस में अनुज
जब घर लौट के आयी तो बाद में कम्मो ने उसकी और देवर की होली , सारी बातें बतायीं , जो मैंने अभी शेयर की।
रात को मैंने अपने देवर का हाल चाल लिया , अनुज ने तो बस थोड़ा बहुत ,... लेकिन जिसकी ली जाती है वो स्साला कभी पूरी बात बताती हैं , पर मेरी जासूस थी न , गुड्डो
और उससे भी बढ़कर , गुड्डो की मम्मी ,... मेरी जेठानी की भौजी तो मेरी भी तो भौजी लगेंगी ,
और ननद भाभी में बात चीत , फिर अनुज के जाने के पहले ही मैंने ,..उन्हें खूब अच्छी तरह ,
मेरे देवर का स्वागत खूब अच्छे तरह से हुआ। एक कमरा उसके लिए अलग से पहले से सेट करके रखा था , अटैच्ड बाथरूम भी , एक टेबल , कुर्सी , उस पर टेबल लैम्प , जिस से उसके पढ़ने , एक्जाम में कोई दिक्कत न हो , पहुँचते ही उसका सामान गुड्डो ने रख लिया , भाभी ने उसका कमरा दिखाया , ... लेकिन उसे तुरंत कोचिंग में जाना था , वहीँ बगल में ही सेंटर था ,... उसके बाद लौटकर , फिर चार दिन बाद ही निकालता होली के अगले दिन , इम्तहान वाले दिन ,...
लेकिन जब लौट के आये तो सबसे पहले गुड्डो ने हड़काया
" ऐसे बाहर जातें हैं , हूश की तरह बाल भी ठीक से नहीं झाड़े ,... ये तेरा शहर नहीं है , बनारस है , कम से कम अपनी नहीं तो हम लोगों की इज्जत का ख्याल करते , नाक कटवाओगे तुम ,... "
ये कहने की बात नहीं , गुड्डो ने उसकी शर्ट और पैंट उतरवाकर , उसके बदले में सिर्फ एक शार्ट देकर , और जब उसने चड्ढी नहीं उतारी तो फिर डांट पड़ी ,
" उतारो उसे भी , थोड़ा उसे भी हवा लगने दो ,... "
बस बनियाइन और शार्ट में
तबतक गुड्डो की मम्मी आ गयी और वो अपने देवर की ओर से गुड्डो पर ,
" फालतू में उसे डांट रही हो , तुम क्या कर रही हो , चलो उसका बाल अब से झाड़ दो , अब से ये सब जिम्मेदारी तेरी "
बेचारे देवर को क्या मालूम था माँ बेटी की जुगलबंदी , ... वो कुर्सी पर बैठा था और वहां कोई शीशे विशे का जुगाड़ तो था नहीं ,... बस गुड्डो ने
बड़े प्यार से बड़ी देर तक बाल झाड़े , मांग काढ़ी और फिर कहीं दीवाल पर से चिपका हुआ बड़ा सा शीशा उखाड़ के ले आयी , और तारीफ़ सुनने का इन्तजार करते हुए बोल पड़ी ,
" अच्छा है न , ."
बेचारे अनुज से न बोलते बन रहा था न , किसी तरह से बोल फूटे,
" सीधी मांग, .... ?"
अब गुड्डो का नंबर था ठुनकने का , ...
" यार तू भी न एक तो इतनी अच्छी मांग काढ़ी , मैं तो ऐसे ही काढ़ती हूँ , मम्मी भी , तो मुझे यही आती है ,... "
लेकिन अब गुड्डो की मम्मी का नंबर था , उन्होंने अपनी बेटी को हड़का लिया , अरे सूनी मांग अच्छी लगती है , जाके जल्दी ,... "