30-03-2019, 12:09 PM
आज भी जब से उसने हरिया काका का लंड चूसा था , तब से उसकी चूत भी कुलबुला रही थी उनके लंड को अपने अंदर लेने के लिए.
अगली बाजी शुरू हो चुकी थी , मनीष के पास अब सिर्फ पचास हजार रूपए बचे थे , सबने बूट के पैसे बीच में फेंक दिए.
थापा के पास पैसे ख़त्म हो चुके थे, इसलिए वो अब खेल नहीं रहा था.
बिल्लू के पास भी कम पैसे थे , इसलिए उसने बिना ब्लाइंड चले ही अपने पत्ते उठा लिए, उसके पास बादशाह, बेगम और चार नंबर आये थे … उसने पेक कर लिया , क्योंकि वो ज्यादा चांस नहीं लेना चाहता था .
हर्षित और राहुल ने ब्लाइंड चली.
राजेश ने पत्ते उठा लिए , उसके पास इक्का, बादशाह और दस नंबर थे. उसने भी चाल चल दी.
अब बारी थी मनीष कि , उसका एक मन तो हो रहा था कि पत्ते देख ले, पर फिर ना जाने क्या सोचकर उसने भी ब्लाइंड चल दी और वो भी डबल , यानि दो हजार कि.
हर्षित और राहुल ने भी डबल ब्लाइंड चल दी.
अब राजेश कि फट रही थी , उसे ब्लाइंड से डबल चाल चलनी थी, यानि चार हजार कि , उसके पत्ते भी इतने बढ़िया नहीं थे, इसलिए उसने मन मारते हुए पेक कर लिया.
अब बीच में थे सिर्फ हर्षित, मनीष और राहुल.
मनीष कि बारी आने पर उसने और दिलेरी दिखाते हुए ब्लाइंड को फिर से डबल कर दिया, यानि चार हजार कि .
वो शायद सोच रहा था कि एक ही बार में या तो इस पार या उस पार …. जुआ खेलने कि लत्त में जुवारी अक्सर ये भूल जाता है कि किस्मत अगर उसके साथ होती तो शायद वो जिंदगी में कभी ना हारता , पर किस्मत ऐसे लोगो का साथ कभी नहीं देती जो बिना सोचे समझे अपनी जिंदगी जीते हैं.
अब तो हर्षित को भी डर सा लगने लगा , उसने अपने पत्ते उठा ही लिए, इसके पास कलर आया था पान का , नम्बर थे चार, पांच और गुलाम , उसने आठ हजार कि चाल चल दी.
एक चाल आ चुकी थी बीच में, इसलिए अब ब्लाइंड चलने का सवाल ही नहीं था , रोहित ने भी अपने पत्ते उठा लिए, उसके पास सिकुवेनस आयी थी, दो,तीन,चार … उसने भी आठ हजार कि चाल चल दी.
अब मनीष कि बारी थी.
उसने अपने पत्ते उठा कर देखे , उसका दिल जोर से धड़क रहा था, क्योंकि बिना चाल चले ही उसके काफी पैसे बीच में आ चुके थे.
सके पास भी कलर था हुक्म का , नंबर थे, इक्का, दस और दो.
उसने भी आठ हजार कि चाल चल दी.
मनीष ने शुरू में ही डबल ब्लाइंड चलकर गेम को शुरू में ही मोटा कर दिया था, और तीन चाल आने के बाद अब बीच में करीब चालीस हजार आ चुके थे
सबने एक – २ चाल और चलकर उसे साठ के पार पहुंचा दिया.
हर्षित को भी लगने लगा कि कहीं दूसरों के पास उससे ज्यादा अच्छे पत्ते तो नहीं है , उसने आठ हजार बीच में फेंके और मनीष से साईड शो मांग लिया , मनीष के पास इक्के का कलर था, इसलिए हर्षित को पेक होना पड़ा.
अब तो मनीष को विश्वास हो गया कि वही जीतेगा.
उसने फिर से चाल चल दी.
राहुल ने मनीष कि नज़रों से बचाकर हर्षित को देखा, और अपने पत्ते भी उसकी तरफ घूमा दिए , जिन्हे देखकर हर्षित ने उसे सर हिला कर खेलने के लिए कहा , वो जानता था कि राहुल के सीकवेन्स वाले पत्ते, मनीष के कलर वाले पत्तो से बड़े हैं.
राहुल निश्चिंत हो गया और उसने फिर से आठ हजार कि चाल चल दी, वैसे वो चाल को डबल भी कर सकता था, पर मनीष कहीं डर कर एक ही बार में शो न मांग ले, वो चाल को बड़ा नहीं रहा था.
मनीष ने अगली चाल चल दी , पर अब उसके पास पैसे ख़त्म होने को थे , अगली चाल के लिए भी उसके पास पैसे नहीं थे.
राहुल को भी पता था कि उसके पास अगली बार के लिए पैसे नहीं है , उसने भी चाल चल दी
अब तो मनीष को बोलना ही पड़ा
मनीष : "यार …. वो … दरअसल …पैसे ख़त्म हो गए हैं ….”
राहुल : "कोई बात नहीं यार , ऊपर से और मंगा ले भाभी से ”
मनीष जानता था कि दिव्या के पास भी पैसे नहीं होंगे, पुरे पांच लाख रूपए वो हार चूका था, फिर भी अपना सम्मान बनाये रखने के लिए वो रिया से बोला : "रिया, तुम ऊपर जाकर दिव्या से पैसे ले आओ जरा ”
रिया को तो मन मांगी मुराद मिल गयी जैसे.
वो हिरनी कि तरह छलांगे भरती हुई ऊपर तक गयी और बिना खड़काए कमरे में घुसती चली गयी.
अंदर से चिटखनी बंद थी, पर उसे मोड़ कर रोका नहीं गया था, इसलिए एक तेज झटका लगते ही वो नीचे गिर पड़ी और दरवाजा खुल गया.
हरिया काका और दिव्या की चुदाई अभी -२ ख़त्म हुई थी, और वो दोनों नंगे थे और गहरी साँसे ले रहे थे
एकदम से रिया को अपने सामने ऐसे देखकर दोनों के होश ही उड़ गए, हरिया काका भी कभी उसे और कभी दरवाजे कि चिटखनी को देख रहे थे कि वो खुल कैसे गयी आखिर.उन्होंने शुक्र मनाया कि अंदर आने वाली रिया है, उनकी पुराणी राँड .
रिया का अंदाजा सही निकला था , दोनों सच में चुदाई कर चुके थे , रिया को इसका अंदाजा तो था पर भरोसा नहीं था कि लंड चुसाई के बाद दिव्या अपने नौकर का लंड अपनी चूत में भी ले लेगी.
रिया : "ओहो …. तो जो मैं सोच रही थी वो सब यहाँ हो ही चूका है … चलो सही है , वैसे मुझे उम्मीद है कि हरिया काका के लंड से तुम्हारी चूत कि प्यास पूरी तरह से बुझ चुकी होगी , ”
दिव्या ने हँसते हुए अपना सर हिला दिया.
रिया : "चलो बाकी कि बातें बाद में दिव्या , मनीष तुमसे और पैसे मंगवा रहे हैं नीचे अभी …”
दिव्या ने हैरान होते हुए कहा : "पर जहाँ तक मुझे पता है, वो सारे पैसे तो नीचे ले जा चुके हैं , रुको, मैं फिर भी देखती हु ”
और वो नंगी ही उठकर अपनी गांड मटकाती हुई अलमारी तक गयी और झुककर उसमे से पैसे ढूंढने लगी , पर उसमे पैसे होते तो ही मिलते न , पैसे तो मिले नहीं पर उसकी निकली हुई गांड देखकर हरिया काका के लंड का ईमान फिर से डोलने लगा और वो अपने उसे मसलकर फिर से खड़ा करने लगे.
रिया भी समझ गयी कि यहाँ एक और राउंड होने वाला है , और इस बार वो कुछ भी मिस नहीं करना चाहती थी , पर सबसे पहले अपने पति से छुटकारा भी तो पाना था , वो भागकर वापिस नीचे गयी और मनीष से कहा कि ऊपर और पैसे नहीं है ..
मनीष तो ये बात पहले से जानता था, फिर भी अनजान बनता हुआ बोला : "ओहो … यानि मैं दो दिनों में पांच लाख रूपए हार चूका हु … अब क्या करू ….”
रोहित का शैतानी दिमाग कुछ और सोच रहा था , वो जानता था कि जुए में उधार नहीं देना चाहिए, पर वो जीत रहा था इसलिए बोला : "देख यार, अगर तुझे लगता है कि तेरे पत्ते अच्छे हैं और तू और चाल चलना चाहता है तो मैं तुझे पैसे दे सकता हु … पर तुझे जीतने के साथ ही ये पैसे वापिस करने होगे , मंजूर है तो बोल ”
मनीष ख़ुशी -२ उसकी बात मान गया.
पर रोहित ने ये नहीं बताया कि अगर हार गया तो वो कैसे वसूलेगा वो सारे पैसे..
उनकी बात चल रही थी , और किसी का भी ध्यान रिया कि तरफ नहीं था, वो धीरे-२ उलटे पैर वापिस चलती हुई ऊपर कि तरफ चल दी, और कमरे में पहुंचकर उसने जल्दी से दरवाजा बंद कर दिया.
उसका सीना उत्तेजना कि वजह से ऊपर नीचे हो रहा था, दिव्या वाश करने के लिए बाथरूम में गयी हुई थी
हरिया काका अभी तक बेसुध से होकर पलंग पर नंगे लेटे हुए थे , रिया को आता देखकर उनका चेहरा खिल उठा और उसे अपनी ऊँगली के इशारे से अपनी तरफ बुलाया, जैसे कोई पालतू कुतिया को बुलाता है
वो थी ही उनकी पालतू कुतिया, उनके ऊँगली हिलाते ही उसके कपडे उतरने शुरू हो गए..
और नीचे पचास हजार रूपए उधार लेकर मनीष ने फिर से चाल पर चाल चलनी शुरू कर दी.
और ऊपर, रिया ने अपनी टी शर्ट उतार कर नीचे फेंक दी , नीचे उसने जींस पहनी हुई थी, जिसके उसने सिर्फ बटन खोल दिए , और लहराती हुई पलंग तक जा पहुंची, वहाँ हरिया काका अपने सर के नीचे अपने हाथो को दबाये पुरे नंगे लेटे हुए थे , और अपने आप को किसी अय्याश राजा से कम नहीं समझ रहे थे, उनकी एक दासी अंदर अपनी रंगी हुई चूत साफ़ कर रही थी और दूसरी उनके सामने रंगवाने के लिए बैठी हुई थी.
रिया जैसी जवान और कड़क माल को अपने सामने पालतू कुतिया कि तरह आता देखकर हरिया काका पूरी तरह से उत्तेजित हो गए, रिया आकर उनके ऊपर लेट सी गयी और उनके लंड को पकड़कर अपनी कोमल उँगलियों से हिलाने लगी और साथ ही साथ हरिया काका के बूढ़े होंठों को अपने कसावदार होंठों में दबोचकर फ्रेंच किस्स का मजा भी देने लगी उन्हें …
हरिया काका ने उसके सर को बेदर्दी से पकड़ा और उसके गुलाबी होंठो से जड़े हुए चेहरे को अपने लंड के ऊपर दे मारा, और एक ही झटके में उनका कसरती लंड रिया के गीले और गर्म मुंह के अंदर हिचकोले खाने लगा.
उसके मुंह से एक लम्बी सी चीत्कार निकल गयी . …
”’अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह कास्स्स्स्स्स्स्स्स्स काआआआ ””
और फिर अपने पुराने दोस्त को अपने नशीली चाशनी से नहलाने लगी ….
हरिया ने उसकी टांगो को खींचकर अपनी तरफ मोड़ लिया और उसकी खुली हुई जींस के अंदर हाथ डालकर उसकी गुब्बारे जैसी गांड को हाथों में लेकर बुरी तरह से दबाने लगे, जैसे वो मांस कि नहीं रबड़ कि बनी हुई हो..
उनपर दबाव पड़ने से वो और बुरी तरह से छटपटाने लगी और बिस्तर पर जल बिन मछली जैसे तड़पने लगी.
और तभी हरिया काका ने अपनी उँगलियाँ उसकी चूत के अंदर घुसेड़ दी और वो आनंदमयी चीख के साथ उनके लंड को और बुरी तरह से चूसने लगी..
इसी बीच दिव्या भी बाथरूम से निकल कर बाहर आ गयी और बाहर का नजारा देखकर उसकी साँसे वही रुक कर रेह गयी.
क्या जादू कर रखा है हरिया काका ने सबके ऊपर, वो खुद भी तो नहीं बच पायी थी उनके जादू से, फिर ये रिया तो बचपन से वहीँ रेह रही है, वो तो उनके रंगीले लंड कि दीवानी जरुर होगी..
हरिया काका ने उसकी जींस को खींचकर उतार दिया और उसे पूरा नंगा कर दिया , और फिर उसकी मोटी जांघो को पकड़कर ऊपर कि तरफ खींचते हुए उसकी महक रही चूत को अपने होंठों के सामने ले आये और अपनी जीभ को चम्मच बनाकर उसकी चूत से टपक रही हॉट चॉक्लेट फ़ज आइसक्रीम खाने लगे.
दिव्या भी आकर हरिया काका कि बगल में खड़ी हो गयी और गोर से उन्हें शाही पकवान खाते हुए देखने लगी.
अगली बाजी शुरू हो चुकी थी , मनीष के पास अब सिर्फ पचास हजार रूपए बचे थे , सबने बूट के पैसे बीच में फेंक दिए.
थापा के पास पैसे ख़त्म हो चुके थे, इसलिए वो अब खेल नहीं रहा था.
बिल्लू के पास भी कम पैसे थे , इसलिए उसने बिना ब्लाइंड चले ही अपने पत्ते उठा लिए, उसके पास बादशाह, बेगम और चार नंबर आये थे … उसने पेक कर लिया , क्योंकि वो ज्यादा चांस नहीं लेना चाहता था .
हर्षित और राहुल ने ब्लाइंड चली.
राजेश ने पत्ते उठा लिए , उसके पास इक्का, बादशाह और दस नंबर थे. उसने भी चाल चल दी.
अब बारी थी मनीष कि , उसका एक मन तो हो रहा था कि पत्ते देख ले, पर फिर ना जाने क्या सोचकर उसने भी ब्लाइंड चल दी और वो भी डबल , यानि दो हजार कि.
हर्षित और राहुल ने भी डबल ब्लाइंड चल दी.
अब राजेश कि फट रही थी , उसे ब्लाइंड से डबल चाल चलनी थी, यानि चार हजार कि , उसके पत्ते भी इतने बढ़िया नहीं थे, इसलिए उसने मन मारते हुए पेक कर लिया.
अब बीच में थे सिर्फ हर्षित, मनीष और राहुल.
मनीष कि बारी आने पर उसने और दिलेरी दिखाते हुए ब्लाइंड को फिर से डबल कर दिया, यानि चार हजार कि .
वो शायद सोच रहा था कि एक ही बार में या तो इस पार या उस पार …. जुआ खेलने कि लत्त में जुवारी अक्सर ये भूल जाता है कि किस्मत अगर उसके साथ होती तो शायद वो जिंदगी में कभी ना हारता , पर किस्मत ऐसे लोगो का साथ कभी नहीं देती जो बिना सोचे समझे अपनी जिंदगी जीते हैं.
अब तो हर्षित को भी डर सा लगने लगा , उसने अपने पत्ते उठा ही लिए, इसके पास कलर आया था पान का , नम्बर थे चार, पांच और गुलाम , उसने आठ हजार कि चाल चल दी.
एक चाल आ चुकी थी बीच में, इसलिए अब ब्लाइंड चलने का सवाल ही नहीं था , रोहित ने भी अपने पत्ते उठा लिए, उसके पास सिकुवेनस आयी थी, दो,तीन,चार … उसने भी आठ हजार कि चाल चल दी.
अब मनीष कि बारी थी.
उसने अपने पत्ते उठा कर देखे , उसका दिल जोर से धड़क रहा था, क्योंकि बिना चाल चले ही उसके काफी पैसे बीच में आ चुके थे.
सके पास भी कलर था हुक्म का , नंबर थे, इक्का, दस और दो.
उसने भी आठ हजार कि चाल चल दी.
मनीष ने शुरू में ही डबल ब्लाइंड चलकर गेम को शुरू में ही मोटा कर दिया था, और तीन चाल आने के बाद अब बीच में करीब चालीस हजार आ चुके थे
सबने एक – २ चाल और चलकर उसे साठ के पार पहुंचा दिया.
हर्षित को भी लगने लगा कि कहीं दूसरों के पास उससे ज्यादा अच्छे पत्ते तो नहीं है , उसने आठ हजार बीच में फेंके और मनीष से साईड शो मांग लिया , मनीष के पास इक्के का कलर था, इसलिए हर्षित को पेक होना पड़ा.
अब तो मनीष को विश्वास हो गया कि वही जीतेगा.
उसने फिर से चाल चल दी.
राहुल ने मनीष कि नज़रों से बचाकर हर्षित को देखा, और अपने पत्ते भी उसकी तरफ घूमा दिए , जिन्हे देखकर हर्षित ने उसे सर हिला कर खेलने के लिए कहा , वो जानता था कि राहुल के सीकवेन्स वाले पत्ते, मनीष के कलर वाले पत्तो से बड़े हैं.
राहुल निश्चिंत हो गया और उसने फिर से आठ हजार कि चाल चल दी, वैसे वो चाल को डबल भी कर सकता था, पर मनीष कहीं डर कर एक ही बार में शो न मांग ले, वो चाल को बड़ा नहीं रहा था.
मनीष ने अगली चाल चल दी , पर अब उसके पास पैसे ख़त्म होने को थे , अगली चाल के लिए भी उसके पास पैसे नहीं थे.
राहुल को भी पता था कि उसके पास अगली बार के लिए पैसे नहीं है , उसने भी चाल चल दी
अब तो मनीष को बोलना ही पड़ा
मनीष : "यार …. वो … दरअसल …पैसे ख़त्म हो गए हैं ….”
राहुल : "कोई बात नहीं यार , ऊपर से और मंगा ले भाभी से ”
मनीष जानता था कि दिव्या के पास भी पैसे नहीं होंगे, पुरे पांच लाख रूपए वो हार चूका था, फिर भी अपना सम्मान बनाये रखने के लिए वो रिया से बोला : "रिया, तुम ऊपर जाकर दिव्या से पैसे ले आओ जरा ”
रिया को तो मन मांगी मुराद मिल गयी जैसे.
वो हिरनी कि तरह छलांगे भरती हुई ऊपर तक गयी और बिना खड़काए कमरे में घुसती चली गयी.
अंदर से चिटखनी बंद थी, पर उसे मोड़ कर रोका नहीं गया था, इसलिए एक तेज झटका लगते ही वो नीचे गिर पड़ी और दरवाजा खुल गया.
हरिया काका और दिव्या की चुदाई अभी -२ ख़त्म हुई थी, और वो दोनों नंगे थे और गहरी साँसे ले रहे थे
एकदम से रिया को अपने सामने ऐसे देखकर दोनों के होश ही उड़ गए, हरिया काका भी कभी उसे और कभी दरवाजे कि चिटखनी को देख रहे थे कि वो खुल कैसे गयी आखिर.उन्होंने शुक्र मनाया कि अंदर आने वाली रिया है, उनकी पुराणी राँड .
रिया का अंदाजा सही निकला था , दोनों सच में चुदाई कर चुके थे , रिया को इसका अंदाजा तो था पर भरोसा नहीं था कि लंड चुसाई के बाद दिव्या अपने नौकर का लंड अपनी चूत में भी ले लेगी.
रिया : "ओहो …. तो जो मैं सोच रही थी वो सब यहाँ हो ही चूका है … चलो सही है , वैसे मुझे उम्मीद है कि हरिया काका के लंड से तुम्हारी चूत कि प्यास पूरी तरह से बुझ चुकी होगी , ”
दिव्या ने हँसते हुए अपना सर हिला दिया.
रिया : "चलो बाकी कि बातें बाद में दिव्या , मनीष तुमसे और पैसे मंगवा रहे हैं नीचे अभी …”
दिव्या ने हैरान होते हुए कहा : "पर जहाँ तक मुझे पता है, वो सारे पैसे तो नीचे ले जा चुके हैं , रुको, मैं फिर भी देखती हु ”
और वो नंगी ही उठकर अपनी गांड मटकाती हुई अलमारी तक गयी और झुककर उसमे से पैसे ढूंढने लगी , पर उसमे पैसे होते तो ही मिलते न , पैसे तो मिले नहीं पर उसकी निकली हुई गांड देखकर हरिया काका के लंड का ईमान फिर से डोलने लगा और वो अपने उसे मसलकर फिर से खड़ा करने लगे.
रिया भी समझ गयी कि यहाँ एक और राउंड होने वाला है , और इस बार वो कुछ भी मिस नहीं करना चाहती थी , पर सबसे पहले अपने पति से छुटकारा भी तो पाना था , वो भागकर वापिस नीचे गयी और मनीष से कहा कि ऊपर और पैसे नहीं है ..
मनीष तो ये बात पहले से जानता था, फिर भी अनजान बनता हुआ बोला : "ओहो … यानि मैं दो दिनों में पांच लाख रूपए हार चूका हु … अब क्या करू ….”
रोहित का शैतानी दिमाग कुछ और सोच रहा था , वो जानता था कि जुए में उधार नहीं देना चाहिए, पर वो जीत रहा था इसलिए बोला : "देख यार, अगर तुझे लगता है कि तेरे पत्ते अच्छे हैं और तू और चाल चलना चाहता है तो मैं तुझे पैसे दे सकता हु … पर तुझे जीतने के साथ ही ये पैसे वापिस करने होगे , मंजूर है तो बोल ”
मनीष ख़ुशी -२ उसकी बात मान गया.
पर रोहित ने ये नहीं बताया कि अगर हार गया तो वो कैसे वसूलेगा वो सारे पैसे..
उनकी बात चल रही थी , और किसी का भी ध्यान रिया कि तरफ नहीं था, वो धीरे-२ उलटे पैर वापिस चलती हुई ऊपर कि तरफ चल दी, और कमरे में पहुंचकर उसने जल्दी से दरवाजा बंद कर दिया.
उसका सीना उत्तेजना कि वजह से ऊपर नीचे हो रहा था, दिव्या वाश करने के लिए बाथरूम में गयी हुई थी
हरिया काका अभी तक बेसुध से होकर पलंग पर नंगे लेटे हुए थे , रिया को आता देखकर उनका चेहरा खिल उठा और उसे अपनी ऊँगली के इशारे से अपनी तरफ बुलाया, जैसे कोई पालतू कुतिया को बुलाता है
वो थी ही उनकी पालतू कुतिया, उनके ऊँगली हिलाते ही उसके कपडे उतरने शुरू हो गए..
और नीचे पचास हजार रूपए उधार लेकर मनीष ने फिर से चाल पर चाल चलनी शुरू कर दी.
और ऊपर, रिया ने अपनी टी शर्ट उतार कर नीचे फेंक दी , नीचे उसने जींस पहनी हुई थी, जिसके उसने सिर्फ बटन खोल दिए , और लहराती हुई पलंग तक जा पहुंची, वहाँ हरिया काका अपने सर के नीचे अपने हाथो को दबाये पुरे नंगे लेटे हुए थे , और अपने आप को किसी अय्याश राजा से कम नहीं समझ रहे थे, उनकी एक दासी अंदर अपनी रंगी हुई चूत साफ़ कर रही थी और दूसरी उनके सामने रंगवाने के लिए बैठी हुई थी.
रिया जैसी जवान और कड़क माल को अपने सामने पालतू कुतिया कि तरह आता देखकर हरिया काका पूरी तरह से उत्तेजित हो गए, रिया आकर उनके ऊपर लेट सी गयी और उनके लंड को पकड़कर अपनी कोमल उँगलियों से हिलाने लगी और साथ ही साथ हरिया काका के बूढ़े होंठों को अपने कसावदार होंठों में दबोचकर फ्रेंच किस्स का मजा भी देने लगी उन्हें …
हरिया काका ने उसके सर को बेदर्दी से पकड़ा और उसके गुलाबी होंठो से जड़े हुए चेहरे को अपने लंड के ऊपर दे मारा, और एक ही झटके में उनका कसरती लंड रिया के गीले और गर्म मुंह के अंदर हिचकोले खाने लगा.
उसके मुंह से एक लम्बी सी चीत्कार निकल गयी . …
”’अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह कास्स्स्स्स्स्स्स्स्स काआआआ ””
और फिर अपने पुराने दोस्त को अपने नशीली चाशनी से नहलाने लगी ….
हरिया ने उसकी टांगो को खींचकर अपनी तरफ मोड़ लिया और उसकी खुली हुई जींस के अंदर हाथ डालकर उसकी गुब्बारे जैसी गांड को हाथों में लेकर बुरी तरह से दबाने लगे, जैसे वो मांस कि नहीं रबड़ कि बनी हुई हो..
उनपर दबाव पड़ने से वो और बुरी तरह से छटपटाने लगी और बिस्तर पर जल बिन मछली जैसे तड़पने लगी.
और तभी हरिया काका ने अपनी उँगलियाँ उसकी चूत के अंदर घुसेड़ दी और वो आनंदमयी चीख के साथ उनके लंड को और बुरी तरह से चूसने लगी..
इसी बीच दिव्या भी बाथरूम से निकल कर बाहर आ गयी और बाहर का नजारा देखकर उसकी साँसे वही रुक कर रेह गयी.
क्या जादू कर रखा है हरिया काका ने सबके ऊपर, वो खुद भी तो नहीं बच पायी थी उनके जादू से, फिर ये रिया तो बचपन से वहीँ रेह रही है, वो तो उनके रंगीले लंड कि दीवानी जरुर होगी..
हरिया काका ने उसकी जींस को खींचकर उतार दिया और उसे पूरा नंगा कर दिया , और फिर उसकी मोटी जांघो को पकड़कर ऊपर कि तरफ खींचते हुए उसकी महक रही चूत को अपने होंठों के सामने ले आये और अपनी जीभ को चम्मच बनाकर उसकी चूत से टपक रही हॉट चॉक्लेट फ़ज आइसक्रीम खाने लगे.
दिव्या भी आकर हरिया काका कि बगल में खड़ी हो गयी और गोर से उन्हें शाही पकवान खाते हुए देखने लगी.