30-03-2019, 11:50 AM
वाऊ… 34 इंची ब्रा मेरे हाथ में थी अदिति के नग्न स्तन का जोड़ा मुझे एक क्षण को दिखा पर उसने तुरन्त अपनी बाहें अपने मम्मों पर कस दीं।
‘अदिति बेटा, देखने दे ना!’ मैंने कहा।
‘ऊं हूं…’ उसके मुंह से निकला और वो पलट के लेट गई। मैं भी उसकी नंगी पीठ पर लेट गया और उसकी गर्दन चूमने लगा, नीचे हाथ डाल कर उसके नंगे बूब्स अपनी मुट्ठियों में भर लिए और उन्हें मसलने लगा।
उधर मेरा लंड उसकी उसकी जाँघों के बीच रगड़ रहा था और उसके मांसल कोमल नितम्बों का स्पर्श मुझे बड़ा ही प्यारा लग रहा था, तभी सोच लिया था कि बहू की गांड भी एक बार जरूर मारूंगा आज!
उसकी गुदाज सपाट पीठ को चूमते चूमते मैं नीचे की तरफ उतरने लगा. उसके जिस्म से उठती वो मादक भीनी भीनी सी महक एक अजीब सा नशा दे रही थी।
उसकी कमर को चाटते चूमते मैंने उसकी पैंटी में अपनी उँगलियाँ फंसा दीं और उसे नीचे खिसकाना चाहा, लेकिन तभी बहूरानी पलट कर चित हो गई।
‘पापाजी, मुझे तो अब नींद आ रही है आप तो बत्ती बुझा दो अब और मुझे सोने दो!’ बहूरानी बड़े ही बेचैन स्वर में बोली।
‘अभी से कहाँ सोओगी बेटा जी. इन पलों का मज़ा लो, ये क्षण जीवन में फिर कभी नहीं आयेंगे।’ मैंने कहा और उसका एक मम्मा मुंह में लेकर चूसने लगा।
बहू रानी का शरीर शिथिल पड़ने लगा था और वो गहरी गहरी साँसें भरने लगी थी। मतलब साफ़ था कि अब वो चुदास के मारे बेचैन होने लगी थी उसकी पैंटी के ऊपर की नमी गवाही दे रही थी कि उसकी चूत अब पनिया गई है।
फिर मैं उठ कर बैठ गया और उसके पैर की अंगुलियाँ और तलवे जीभ से चाटने लगा। मेरा ऐसे करते ही बहूरानी अपना सर दायें बाएं झटकने लगी और अपने बूब्स खुद अपने ही हाथों में भर के दबाने लगी।
जैसे ही मैंने उसकी पिंडलियों को चाटते चाटते चूम चूम के जाँघों को चाटना शुरू किया, वो आपे से बाहर हो गई और अपनी कमर उछालने लगी।
बहूरानी की नंगी चूत
अब बहूरानी की पैंटी उतारने का सही समय आ गया था, मैंने उसकी पैंटी को उतारना शुरू किया।
बहूरानी ने झट से अपनी कमर ऊपर उठा दी जैसे वो खुद भी यही चाह रही थी।
बहूरानी की गीली पैंटी उसकी चूत से चिपटी हुई सी थी उसके उतरते ही उसकी नंगी चूत मेरे सामने थी।
कल जब मैंने उसे चोदा था तो उस पर झांटें उगी थी पर आज वो एकदम चिकनी थी।
‘वाओ! क्या बात है!’ अचानक मेरे मुंह से निकला।
‘क्या हुआ पापा जी, चौंक क्यों गये?’ अदिति मुस्कुरा कर बोली।
‘अदिति बेटा कल तो यहाँ घना जंगल था? और आज मैदान सफाचट कैसे हो गया?’ मैंने उसकी चूत को सहलाते हुए पूछा।
‘मुझे क्या पता कौन चर गया पूरी घास? मैं तो अपने काम में बिजी थी सारा दिन!’ वो हंस कर बोली।
‘अभी देखना मैं इसमें अपना हल चला के इसे जोत देता हूं और बीज भी बो देता हूं फिर देखना कितनी मस्त फसल उगती है।’ मैंने कहा।और उसकी चूत में उंगली घुसा दी।
‘उई माँ…उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ वो बोली और अपनी टाँगें ऊपर उठा के मोड़ लीं।
बहूरानी के बदन की गोरी गुलाबी जाँघों के बीच वो सांवली सी गद्देदार फूली हुई चूत कितनी मनोहर लग रही थी, चूत के ऊपर बाएं होंठ पर गहरा काला तिल था जो उसे और भी सेक्सी बना रहा था।
मैंने झट से अपने होंठ बहूरानी की चूत पर रख दिए और उसे ऊपर से ही चाटने लगा। उसकी चूत का चीरा ज्यादा बड़ा नहीं कोई चार अंगुल जितना ही था लम्बाई में!
मेरे चाटते ही बहू के मुंह से कामुक आहें कराहें निकलने लगीं।
‘अदिति बेटा!’ मैंने कहा।
तो उसने प्रश्नवाचक नज़रों से मुझे देखा।
‘अदिति बेटा, देखने दे ना!’ मैंने कहा।
‘ऊं हूं…’ उसके मुंह से निकला और वो पलट के लेट गई। मैं भी उसकी नंगी पीठ पर लेट गया और उसकी गर्दन चूमने लगा, नीचे हाथ डाल कर उसके नंगे बूब्स अपनी मुट्ठियों में भर लिए और उन्हें मसलने लगा।
उधर मेरा लंड उसकी उसकी जाँघों के बीच रगड़ रहा था और उसके मांसल कोमल नितम्बों का स्पर्श मुझे बड़ा ही प्यारा लग रहा था, तभी सोच लिया था कि बहू की गांड भी एक बार जरूर मारूंगा आज!
उसकी गुदाज सपाट पीठ को चूमते चूमते मैं नीचे की तरफ उतरने लगा. उसके जिस्म से उठती वो मादक भीनी भीनी सी महक एक अजीब सा नशा दे रही थी।
उसकी कमर को चाटते चूमते मैंने उसकी पैंटी में अपनी उँगलियाँ फंसा दीं और उसे नीचे खिसकाना चाहा, लेकिन तभी बहूरानी पलट कर चित हो गई।
‘पापाजी, मुझे तो अब नींद आ रही है आप तो बत्ती बुझा दो अब और मुझे सोने दो!’ बहूरानी बड़े ही बेचैन स्वर में बोली।
‘अभी से कहाँ सोओगी बेटा जी. इन पलों का मज़ा लो, ये क्षण जीवन में फिर कभी नहीं आयेंगे।’ मैंने कहा और उसका एक मम्मा मुंह में लेकर चूसने लगा।
बहू रानी का शरीर शिथिल पड़ने लगा था और वो गहरी गहरी साँसें भरने लगी थी। मतलब साफ़ था कि अब वो चुदास के मारे बेचैन होने लगी थी उसकी पैंटी के ऊपर की नमी गवाही दे रही थी कि उसकी चूत अब पनिया गई है।
फिर मैं उठ कर बैठ गया और उसके पैर की अंगुलियाँ और तलवे जीभ से चाटने लगा। मेरा ऐसे करते ही बहूरानी अपना सर दायें बाएं झटकने लगी और अपने बूब्स खुद अपने ही हाथों में भर के दबाने लगी।
जैसे ही मैंने उसकी पिंडलियों को चाटते चाटते चूम चूम के जाँघों को चाटना शुरू किया, वो आपे से बाहर हो गई और अपनी कमर उछालने लगी।
बहूरानी की नंगी चूत
अब बहूरानी की पैंटी उतारने का सही समय आ गया था, मैंने उसकी पैंटी को उतारना शुरू किया।
बहूरानी ने झट से अपनी कमर ऊपर उठा दी जैसे वो खुद भी यही चाह रही थी।
बहूरानी की गीली पैंटी उसकी चूत से चिपटी हुई सी थी उसके उतरते ही उसकी नंगी चूत मेरे सामने थी।
कल जब मैंने उसे चोदा था तो उस पर झांटें उगी थी पर आज वो एकदम चिकनी थी।
‘वाओ! क्या बात है!’ अचानक मेरे मुंह से निकला।
‘क्या हुआ पापा जी, चौंक क्यों गये?’ अदिति मुस्कुरा कर बोली।
‘अदिति बेटा कल तो यहाँ घना जंगल था? और आज मैदान सफाचट कैसे हो गया?’ मैंने उसकी चूत को सहलाते हुए पूछा।
‘मुझे क्या पता कौन चर गया पूरी घास? मैं तो अपने काम में बिजी थी सारा दिन!’ वो हंस कर बोली।
‘अभी देखना मैं इसमें अपना हल चला के इसे जोत देता हूं और बीज भी बो देता हूं फिर देखना कितनी मस्त फसल उगती है।’ मैंने कहा।और उसकी चूत में उंगली घुसा दी।
‘उई माँ…उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ वो बोली और अपनी टाँगें ऊपर उठा के मोड़ लीं।
बहूरानी के बदन की गोरी गुलाबी जाँघों के बीच वो सांवली सी गद्देदार फूली हुई चूत कितनी मनोहर लग रही थी, चूत के ऊपर बाएं होंठ पर गहरा काला तिल था जो उसे और भी सेक्सी बना रहा था।
मैंने झट से अपने होंठ बहूरानी की चूत पर रख दिए और उसे ऊपर से ही चाटने लगा। उसकी चूत का चीरा ज्यादा बड़ा नहीं कोई चार अंगुल जितना ही था लम्बाई में!
मेरे चाटते ही बहू के मुंह से कामुक आहें कराहें निकलने लगीं।
‘अदिति बेटा!’ मैंने कहा।
तो उसने प्रश्नवाचक नज़रों से मुझे देखा।
// सुनील पंडित //
मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!