30-03-2019, 11:47 AM
वो चुदाई याद आते ही मेरे लंड ने कड़क होकर ठुमका सा लगाया उम्म्ह… अहह… हय… याह… जैसे फिर से वही चूत दिलवाने की जिद कर रहा हो।
क्या वो ही आनन्द फिर से मिल सकता है मुझे? औरत जब एक बार किसी परपुरुष से चुद जाए और चरमसुख भोग ले तो दुबारा उसी पुरुष से चुदवाने की चाह उसके मन में हमेशा बनी रहती है, इशारा करने भर की देर है और वो तुरन्त राजी हो जायेगी ऐसा मेरा विश्वास था।
और लंड के मुंह से जब एक बार पराई चूत का रस लग जाए तो वो उसी चूत में बार बार डुबकी लगाना चाहता है।
जीवन भर की तपस्या जब एक बार भंग हो ही गई तो अब क्या आदर्शवादी बने रहना? क्यों न नई चूत का मज़ा बार बार लिया जाए! आखिर घर में ही तो है!
ऐसे न जाने कितने कुत्सित कामुक विचार बहूरानी का रूप देखते ही मेरे मन में घिर आये।
छीः… कैसे गन्दे ख्याल मेरे मन में आने लगे थे, मैंने उन्हें तुरन्त झटक दिया।
बहूरानी के माथे पर पड़ीं चिन्ता की लकीरें भी मैंने देखीं तो मुझे लगा कि वो किसी न किसी टेंशन में जरूर है, हो सकता है उसे रात की चुदाई की बातें याद आते आते कुछ शक हुआ हो, वैसे भी मेरे लंड का आकार प्रकार उसे चकित तो कर ही रहा था। शायद उत्तेजना वश वो मुझे अपना पति ही समझती रही होगी और बाद में स्वस्थ चिन्तन करने पर उसका शक मजबूत हुआ हो?
जो भी कारण रहा हो, पर मुझे वो थोड़ी सी एब्नार्मल / असामान्य लग रही थी।
‘नमस्ते पापा जी, लीजिये आपकी चाय!’ बहू रानी हमेशा की तरह आत्मीयता से मेरे चरण स्पर्श कर बोली।
‘सदा खुश रहो अदिति बेटा!’ मैंने भी सदा की तरह उसके सर को छू कर उसे आशीर्वाद दिया और चाय सिप करने लगा।
जल्दी ही मुझे यह ख्याल आया कि अभी कुछ देर बाद ही अदिति को यह बात पता चलनी ही है कि अभिनव रात भर कहाँ था, फिर उसके मन मस्तिष्क पर क्या क्या गुजरेगी… उसे तो सारे के सारे पुरुष रिश्तेदार अपने चोदू ही नज़र आयेंगे कि ना जाने पिछली रात को किसका लंड उसकी चूत में आ जा रहा था।
कितना तनाव होगा बेचारी को! वो तो किसी से भी नज़र नहीं मिला पाएगी।
ऐसे विचार आते आते मैं खुद टेंशन में आ गया क्योंकि उस बदहवास हालत में अपनी बहूरानी को देखना मुझे कतई गंवारा नहीं था; ऐसे तो बेचारी का न जाने क्या हाल हो जाएगा।
अब जल्द से जल्द मुझे ही कोई निर्णय लेना था तो चाय पीकर मैंने अदिति को आवाज लगाई।
‘आई पापा!’ वो बोली और मेरे सामने आ खड़ी हुई।
‘देखो बेटा, जरा अभिनव को फोन तो लगा और बुला उसे, कुछ काम है उससे; वो कल रातभर से बगल वाले मिश्रा जी के यहाँ और रिश्तेदारों के साथ सो रहा है।’
मैंने ‘रात भर’ शब्द थोड़ा जोर देकर बोला।
मेरी बात सुनते ही अदिति बहू रानी के चेहरे का रंग उड़ गया और अब वो चिंतित और घबराई सी लगने लगी।
‘अभी बुलाती हूँ।’ वो बोली और तेज तेज क़दमों से चलती हुई दूसरे कमरे में चली गई।
मेरा उद्देश्य पूरा हो गया था। देर सवेर तो उसे यह बात पता चलना ही थी कि उसका पति रात को कहीं और सो रहा था। फिर यह समझने में उसे क्या देर लगती कि वो कल रात किसी और से ही चुद गई है।
मैं दोपहर लंच तक उस पर निगाह रखता रहा, बहूरानी के चेहरे पर भय, चिन्ता और घबराहट स्पष्ट झलक रही थी, उसकी मनःस्थिति को मैं अच्छे से समझ रहा था, उसे सिर्फ यही चिन्ता सताये जा रही होगी कि इतने सारे रिश्तेदारों में वो कौन था जिससे वो कल रात चुदी थी।
अब उसे यही डर हमेशा सताता रहेगा कि ज़िन्दगी के किस मोड़ पर कोई उसे उस रात की चुदाई याद दिला देगा और कहेगा कि उस रात तेरे साथ वो सब करने वाला मैं ही था।
वो तो यह सुन कर जीते जी मर जायेगी।
बहूरानी की ऐसी दशा देखना मेरे लिए भी असह्य हो चला था, अगर उसके यह चिन्ता दूर न हुई तो यह तनाव उसका सुख चैन छीन के उसके जीवन में जहर सा भर देगा।
ये सब बातें विचार करके मैंने अदिति को सब कुछ बताने का निश्चय कर लिया।
गलती न मेरी थी न उसकी… जो हुआ वो परिस्थितिवश ही हुआ!
यही सब बातें मैंने उसे बताने समझाने का सोच लिया।
लंच के बाद सभी लोग आराम के मूड में आ गये और यहाँ वहाँ लुढ़क गये। फिर मैं भी अपने कमरे में चला गया, वहाँ और कोई भी नहीं था, मैंने मौका ठीक समझ अदिति को अपने पास बुलाया।
वो डरी हुई सी मुद्रा में मेरे सामने आ खड़ी हुई।
‘क्या बात है बेटा, तुम सुबह से ही परेशान और किसी गहरी चिन्ता में दिख रही हो. तुम्हारी तबीयत तो ठीक है न?’ मैंने बड़े प्यार से उससे पूछा।
‘जी, पापा जी, ऐसी कोई बात नहीं, मैं ठीक हूँ, बस थोड़ी थकावट सी है और कोई बात नहीं!’ उसने बात को टालने की तरह जवाब दिया।
‘देखो बेटा, घबराओ मत, तुम्हारी चिन्ता का कारण मुझे पता है, तुम किसी भी बात की चिन्ता फिकर मत करो।’
‘कौन सी चिन्ता पापा? मुझे कोई टेंशन नहीं है!’
// सुनील पंडित //
मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!