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घर के औरतों की कामुक वासना
#49
“ंमाई गॉड तुम लोग बहुत खराब हो फोटो को भी नहीं छोडते। “और एक बात बताऊॅ भाभी। सबसे ज्यादा बिल में सॉप घुसता है” “क्यााााााााााााााा तुमने मेरा नंगा फोटो अपने दोस्तों में बॉट दिया हैऋ “भाभी उन लोगों की भाभियों के फोटो भी तो मेरे पास हैं। और आपका तो चेहरा भी ढॅका है।



 कंचन भाभी उसको सीने से ढकेलती हुयीं बोली “चले हटो। मूझे और नहीं कराना है। शरम नहीं आती है अपनी भाभी को शेयर करते हो”. विमल उनको मनाता हुआ बोला “मैं क्या करता। उन लोगों की भाभियों के फोटो तो मेरे पास पहले से थे। उन लोगों को आपकी फोटो से सुख मिलता है तो आपका क्या जाता है। आप उनसे करा तो नहीण् रहीं हैं “आहाहा क्या बात है। मेरा देवर अपनी भाभी को अपने दोस्तों से चुदबा रहा है और मेरे से कह रहा है मैं भला काम कर रही हूॅ” उन्होने गुस्से में चुदायी शब्द बोल दिया था।



 “उन्होंने आप को छुआ तक नहीं है। आपको पहचानते तक नहीं हैं फिर चुदायी कहॉ से हो गयीऋ “मुझे खराब तो कर रहे हैं” “भाभी उनसे फोटो बापिस ले लूॅगा चाहे झगड़ा करना पड़े। पर कंचन भाभी के चेहरे पर अब भी गुस्सा था। “भाभी मुझसे गलती हो गयी।कान पकड़ कर उठक बैठक करता हूॅ। पर सही में आप का कुछ नहीं बिगड़ा है” और वह बैसी ही नंगी हालत में कान पकड़ के उठक बैठक लगाने लगा। उसका सीधा खड़ा लण्ड हिल रहा था। कंचन ने उसका हाथ पकड़ कर खींचा। हॅसते हुये बोली “अपना काम पूरा करो जो बीच में छोड़ा है’। वह खुद खिसक कर पलंग पर आड़ी हो गयी। अपने चूतड़ पाटी पर जमा दिये और उसका लण्ड पकड़ कर अपनी खुली चूत के छेद पर बैठा दिया। विमल ने खड़े खड़े ही उसके अन्दर बैठा दिया। 




अब उसका लण्ड ऊपर से नीचे सीधा बैठ रहा था और उसकी चूत खड़े मैं लण्ड से भरी हुयी थी। उसने उसके दोनों उभार दबोच रखे थे। लण्ड की चोट मारते समय हथेलियॉ गोलाइयों को बुृी तरह गूॅथ देती थीं। च्ह ऊपर से नीचे पेलर हा था जैसे कील ठोक रहा हो और उसका गहराई तक चूत की दीवार पर झटका पड़ रहा था। वह लण्ड चूत के बाहर खींच लेता और पूरा का पूरा खटाक से पेल देता। 




फच्च की आवाज होती. चूत के अन्दर तक चोट पड़ती और कंचन कराह उठती “उई मॉऑाााााााााााा रीईईईईईई‘ हू हू हू हू हू” दोनों चुदायी में भरपूर आनन्द उठा रहे थे। जब वह कंचन के ऊपर चिपक गया और अन्दर ही अन्दर लण्ड को घ्ुाुमामे लगा तो कंचन समझ गयी कि वह झडने बाला है.। उसने अपनी दोनों टॉगें उसकी कमर पर बॉध लीं अपनी बॉहें उसकी पीठ पर जकड़ लीं उसके होठों पर अपने होंठ जमा दिये और खुद भी अपनी चूत उसके लण्ड पर घ्ुमाने लगी। विमल ने पिचकारी छोड़ दी। कंचन नहीं झड़ पायी थी पर उसकी अच्छी चुदायी हो गयी थी। उसका मन प्रसन्न था। कंचन “तुमको सॉप के बिल के लिये दोस्तों से झगड़ने की जरूरत नहीं है”। 




सॉप बिल में सो गया था। अगली दोपहर कंचन चाय की ट्रे लेकर झूमती हुयी विमल के कमरे में आयी। उसने ट्रे साइड टेबल पर रख कर छोटी तौलिया उठा कर उसको बीन जैसी बना कर झुक कर थिरकना चालू कर दिया। ‘भाभी ये क्या कर रही हो?” “सपेरी की बीन से सॉप जगा रही हूॅ” विमल उठा। उसने एक हाथ की बार में अण्डरवियर समेत पजामा गिरा दिया। उसका लण्ड तन्नाया हुआ आसमान की ओर मुॅह बाये खड़ा था। “ओ दइया सॉप तो फन फैलाये खड़ा है” उसने कंचन का हाथ पकड़ कर खींचा। “ये क्या करते हो। दिन का समय है। नीचे महिमान हैं। मैं रात में मालिस के लिये आउॅगी”। कंचन अपना हाथ छुड़ा कर भागी। 




विमल ने उसकी कमर में हाथ डाला। कंचन हाथों के बल गिर पड़ी। उसने घुटने और हाथ जमीन पर थे। उसकी गाय जैसी स्थिति थी। फैले हुये चूतड विमल के सामने थे। आगे से साड़ी उसके पैरों से दबी थी पर पीछे से उठ गयी थी। विमल ने उसकी पेटीकोट समेत साड़ी चूतड़ों के ऊपर उलट दी। रात की चुदायी के बाद उसने कच्छी नहीं पहनी थी. खुली हुयी चूत साफ दिख रही थी। विमल ने पीछे से अपना लण्ड पकड़ कर उसकी चूत में पूरा का पूरा उतार दिया। वह इसके लिये तैयार नहीं थी। उसकी चीख निकल गयी “ओ मॉ आह आआ। आाााााााााराम। उई माअअअअअअअआााा मार डालााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााा” वह बोली “कमरा खुला हुआ है” “खुला रहने दो” अब तक विमल निकाल कर फिर पेल चुका था। “इतने जोर से तो मत करो. मुझे सॉस तो ल्ोने दो” पर वह आनन्द में भर गयी थी. उनकी चूत जबाव देने लगी थी। विमल चोदता रहा और उनके कपड़े निकाल फेके। 



पहले ब्लाउज अ‍ॅगिया साड़ी और पेटीकोट। फिर अपनी कमीज और बनियान। उसने उनकी दोनों गोलाइयों को दबोच लिया था और गुड़ाई किये जा रहा था। कंचन भाभी सिहर उठी। उन्होंने अपने हाथों को जमीन पर फैला दिया था और उकड़ूॅ हो कर अपने उठा दिये थे। विमल की रफ्तार बहुत तेज थी। चोट मारते समय उसका लण्ड उनकी भगनाशा से टकराया तो वह सहन नहीं कर सकीं। रात को भी नहीं झड़ी थीं शीत्कार निकल गयी “ओ मॉ मैं तो गयी और उन्होने अपनी चूत चिपका दी और बहीं पसर गयीं। विमल अभी भी बहुत गरम था। उसने उनको पलटा और फिर से घुसेड दिया। ‘मैं अब नहीं ले पाउॅगी” और उन्होंने दोनों टॉगें उसके कूल्हे पर जकड़ ली जिससे वह अन्दर बाहर ना कर सके। “देवर जी तुमने तो कमाल कर दिया” “भाभी थोड़ा तो मुझे हिलने दो” “अच्छा बहुत आहिस्ता आहिस्ता” कंचन भाभी को गरमाने में समय नहीं लगा जो उनके चूत के जबाव से पता चल गया। 



विमल उनकी चूचियों को मुट्टी में दबोच कर बैठ घुटनों के बल बैठ गया। और सड़ाक सड़ाक बाहर करके अन्दर रकने लगा जैसे चटनी पीस रहा हो्र पहले तो कंचन भाभी “हॉ हॉ हॉ राज और और और जोर से लगाओ हॉ राज ” चूत उठा उठा कर ले रहीं थी। लेकिन उसकी चोटें इतनी ज्यादा पड़ रहीं थीं कि वह और झेल नहीं सकीं. चरम सीमा पर पहुॅच कर दुबारा झड़ गयीं पर विमल रूकने का नाम नहीं ले रहा था। “अब बस करो अब नहीं ले पाउॅगी” विमल था कि मान ही नहीं रहा था। उसका लण्ड पिस्टन सा शंट कर रहा था। “प्लीज छोड़ दो मुझे। कब तक करते रहोगे। फिर कर लेना” 




और आखिर उन्होंने चैन की सॉस ली। विमल का गाढा पानी उनकी चूत भरता रहा। “ओ माई गाड। तुमको सिखाने की जरूरत है।तुम तो पूरे कसाई हो। चार औरतों को सिखा दो। जैसा भाई बैसा देवर। उहोने सुहागरात में भुरता बना दिया था तुमने आज। पता नहीं मैं ठीक से चल भी पॉउॅगी या नहीं “ विमल उठा और उसने कंचन भाभी के पैर छू लिये “भाभी आपने ही मुझमें फिर से उम्मीद भर दी है. आप मेरी सैक्स में गुरू हैं” “आहाहा क्या गुरू दक्षिणा दी है भाभी की हालत खराब करके” “ये तो मैने परीक्षा दी है” “तुमने परीक्षा डिसटिंगशन से पास कर ली। मेरा काम पूरा हुआ। मैं अब बापिस शहर जाउॅगी। तुम्हारे भइया की हालत खराब हो रही है। इतने दिन का उपवास उनसे सहन नहीं हो रहा है। अब तुम जाओ कचनार फतह कर के लाओ। वह भी देखें कि मेरा देवर कितना बॉका है”। कमरे से जाने के पहले वह फिर बोली “देखो कचनार तुम्हारे बारे में जो राय बना के गयी थी उसको अच्छा सबक देना”। “और देखो उसका बिल अभी खुला नहीं है। तुम्हारा सॉप फिसल जायेगा। जब सॉप जगह बनाने के लिये डंक मारेगा तो वह डंक नहीं सह पायेगी और पीछे हटती जायेगी। तुम उसके दोनों पैर अपने कंधों पर जमा लेना। उसका बिल जमीन से उठ कर तुम्हारे सामने आ जायेगा। तुम्हारे फनफनाये सॉप को बिल में घुसने का रास्ता सामने होगा। उसके दोनों जोवन मुट्टियों में जकड़ के दबा लेना। 



अब वह पीछे हटने की कोशिश्अ करेगी तो नही हट पायेगी.। लेकिन देखो बहसीपन पर ना उतर आना। जब तक वह हॉ ना कहे उस पर मत पिल पड़ना।” ‘भाभी वह हॉ कहेगी?” ‘मुॅह से भले ही ना कहे पर उसका शरीर और हावभाव हॉ कह देंगे” कंचन भाभी ने विमल के आने की खबर पहुचा दी.। साथ ही कचनार की भाभी से बात कर ली कि उनके मिलने का इंतजाम कर दें क्योंकि मायके में एक साथ रात नहीं बिताने देते हैं। कचनार कली से फूल बन गयी कचनार जब से ससुराल से लौट के आयी थी बुझी बुझी सी रहती थी। जैसे किसी ने उसकी सारी इनर्जी निकाल ली हो। उसको आगे के बारे में समझ में नहीं आ रहा था। मॉ बाप समझ रहे थे कि नये जीवन को मिस कर रही है। 




लेकिन उसकी भाभी उसका दुख जानती थी. कि वह कोरी की कोरी लौट आयी है। उसका शरीर मॉग कर रहा था। रात में उसकी नींद खुल जाती तो वह तड़पती रहती थी। वह अपने को काबू में दो करणों से रखे थी क्योंकि उसे कंचन की बात याद आ जाती थी और दूसरे हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी। उसके आसपास कोई होताा तो वह अब तक भटक गयी होती। इसी समय उसको विमल के आने की खबर मिली। 



उसे रत्ती भर भी खुशी नहीं हुयी बल्कि जाने की आशंका से मन भारी हो गया।ऊपर से सुना कि उसकी भाभी ने पीछे के बाड़े में उसके लिये सेज सजा दी है तो मन ना होते हुये भी वह मना नहीं कर पाायी।
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RE: घर के औरतों की कामुक वासना - by Dani Daniels - 26-02-2021, 12:53 PM



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