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Misc. Erotica ये कहाँ आ गए हम - पूनम का रूपांतरण
पूनम जिस चीज़ के लिए आई थी वी छोड़ कर बाँकी सबकुछ मिल गया था उसे। वो अभी भी बिना पैंटी के ही थी और उसकी गीली चुत से रस टपक कर उसकी दोनों जाँघों को गीला कर चुका था। शीतल जल्दी जल्दी चलती हुई रेस्टुरेंट से दूर हो गयी। उसे डर लग रहा था कि कहीं उसकी चुत से टपके रस का दाग उसके स्कर्ट पे न लग जाए।

पूनम अब ऑफिस जाने की स्थिति में नहीं थी। वो ऑफिस नहीं गयी और सीधे घर आ गयी। वो रास्ते भर गुड्डू और विक्की के बारे में ही सोचती आयी। उसे अच्छा लगा था रेस्टुरेंट में। बहुत अच्छा। सच में उतना बड़ा लण्ड होता है, अब पूनम को यकीन हो गया। वो उस लण्ड को चूसी और उसका वीर्य भी पियी थी। ढेर सारा वीर्य। पूनम अमित का भी वीर्य पियी थी लेकिन वो इसका आधा भी नहीं था। और जिस तरह से गुड्डू उसके बदन से खेला था, पूनम को बहुत मज़ा आया था। उसे समझ आ रहा था कि क्यों वो लड़कियाँ या औरतें इनसे आसानी से चुदवाने के लिए तैयार रहती है। गुड्डू का चुत में ऊँगली घुमाना हो या फिर चुत चूसना हो, पूनम को बहुत मज़ा आया था। पूनम को समझ आ रहा था कि जवानी का मज़ा क्या होता है।

ये सब कुछ सोचते सोचते पुनम की चुत फिर से गीली होने लगी। पूनम को रेस्टुरेंट में बहुत मज़ा आया था लेकिन उसे अपनी चुत में कुछ प्यास बाँकी लग रही थी। उसका मन हो रहा था कि गुड्डू से चुदवा ही लेना चाहिए था। उसे अफ़सोस हो रहा था कि 'गुड्डू के अड्डे पे जाने से मना क्यों की। सब कुछ तो करवा ही रही हूँ उससे। जब चुदवाने के लिए ही जाना था तो फिर किस चीज़ का डर। डर तो तब लगता है वैसी जगह पर अकेले जाने में जब लगे की कहीं कुछ कर न दे कोई, लेकिन जब चुदवाने ही जाना है तो फिर किस चीज़ का डर। पता नहीं मैं वहाँ क्यों नहीं गयी। कितने मस्ती से चुदवाती वहाँ। उसे मोटे काले मूसल लण्ड को अपनी चुत में भरवा ही लेना चाहिए था। और गुड्डू से ही क्यों, विक्की से भी चुदवा लेना चाहिए था। सही कह रहा था विक्की की असली मज़ा वहीँ मिलेगा।'

पूनम का मन हुआ की गुड्डू को फ़ोन करे और उसे बोले की अपने अड्डे पर ले चलो और पूरी नंगी करके जी भरकर चोदो मुझे। दोनों दोस्त मिलकर उसी तरह चोदो जैसे पिक्स में वो लड़की चुद रही थी। लेकिन फिर पूनम अपना इरादा त्याग दी। शाम होने वाली थी और कल सुबह उसे अपने मौसेरी बहन की शादी के लिए निकल जाना था नहीं तो वो कल सारा दिन गुड्डू और विक्की के बीच में नंगी होकर सैंडविच बनकर गुजारती। पूनम डीसाइड कर ली की शादी से लौट कर आते ही वो गुड्डू और विक्की के लण्ड को अपने चुत की सैर करवा देगी।

पूनम घर पहुँच गयी और बाथरूम जाकर सबसे पहले अपनी चुत में ऊँगली करके दोनों के साथ अपनी चुदाई इमेजिन करते हुए पानी निकाली और फिर फ्रेश होकर पैंटी पहनकर बाहर अपनी माँ के पास आ गयी। पूनम का ध्यान गुड्डू पर ही था। वो रेस्टुरेंट के बंद केबिन में बिताए पलों को सोच रही थी और उसकी चुत से रिसता झरना थम ही नहीं रहा था।

रात में पूनम अपने रूम में आयी और पैंटी उतारी तो उसकी पैंटी गीली ही थी। गुड्डू उसके दिमाग में बसा हुआ था आज। वो गुड्डू के बारे में सोचती हुई नंगी हो गयी। वो चुत सहलाते हुए अपनी तरफ से गुड्डू को कॉल की और उससे बहुत देर तक बात की। पूनम पूछी की "विक्की क्या बोल रहा था?"
गुड्डू बोला "बोला तुम बहुत टाइट माल हो, तुम्हे अपने लण्ड पर बिठा कर उछालने में मज़ा आएगा।" पूनम कुछ नहीं बोली। उसे अभी यही सब सुनना था। गुड्डू आगे बोला "हमारे घर आती तो कितना मज़ा आता। सब कुछ तो हुआ ही, वहाँ और अच्छे से होता, पूरे नंगे होकर होता और चुदाई भी होती मज़े से।" पूनम फिर कुछ नहीं बोली।

गुड्डू बोला "स्कर्ट तो वहाँ भी उतारी, लेकिन वहाँ किसी के आ जाने का डर था। यहाँ आराम से पूरे घर में नंगी घूम घूम कर चुदवाती।" पूनम को अच्छा लग रहा था सुनने में। वो गुड्डू की बातों को इमेजिन कर रही थी। उसका बोलने का मन नहीं हो रहा था। वो बस धीरे धीरे अपनी चुत सहलाते हुए "हम्म" बोली।

गुड्डू बोला "तेरा मन नहीं था चुदवाने का?" पूनम कुछ नहीं बोली। क्या बोलती की मैं तो अभी भी चुदवाना चाहती हूँ, तुम दोनों से। गुड्डू फिर से बोला "बोल न।" पूनम बोली "हाँ, लेकिन तुम किये ही नहीं। नंगी तो हो ही गयी थी मैं।" गुड्डू बोला "तो साली इतना चिल्लाने क्यों लगी थी?" पूनम बोली "दर्द हो रहा था तो चिल्लाती नहीं। इतना मोटा काला भैंसा जैसा अंदर डालोगे तो दर्द नहीं होगा।"

गुड्डू बोला "साली इसलिए तो बोला था घर पर आने। मैंने तो बोला ही था कि रेस्टुरेंट में चोदुंगा तो पुरे रेस्टुरेंट को पता चल जायेगा की पूनम सक्सेना की चुदाई हो रही है।" पूनम कुछ नहीं बोली। उसे अफ़सोस तो हो ही रहा था गुड्डू के अड्डे पे नहीं जाने का। गुड्डू भी चुप ही रहा। गुड्डू को चुप देख पूनम बोली "बाँकी सबको दर्द नहीं होता था क्या?" गुड्डू बोला "बस थोड़ी देर दर्द होता शुरुआत में, उसके बाद ही तो मज़ा आता जब पूरा लण्ड तेरे चुत में घुस जाता और अंदर बाहर होता, तभी तो मज़ा आता असली चुदाई का। बाँकी सब दर्द बर्दाश्त कर ली तो मज़ा ली।"

पूनम सोचने लगी की 'सही तो कह रहा है। अगर थोड़ा सा दर्द बर्दाश्त कर लेती तो फिर तो चुदवा ही लेती। उसके घर तो नहीं ही गयी, दर्द भी बर्दाश्त नहीं की। बस लण्ड अंदर जाने भर ही दर्द होता, उसके बाद तो दर्द खत्म हो ही जाता है और फिर तो मज़ा ही आता। इतना बड़ा लण्ड अंदर जाएगा तो मज़ा तो आएगा ही। मैं रेस्टुरेंट में चुदवाती आज।'

पूनम इमेजिन करने लगी की वो टेबल पर नंगी लेटी हुई है और गुड्डू उसकी दोनों टाँगों को उठाकर उसे चोद रहा है। तभी वेटर आ जाता है लेकिन गुड्डू उसे नहीं छोड़ता है। वेटर टेबल पे खाना लगा रहा है और उसी टेबल पे वो नंगी होकर चुद रही है। वेटर उसे देखकर मुस्कुरा रहा है। पूनम की चुत और गीली हो गयी। बोली "अच्छा न हुआ वहाँ नहीं किये, नहीं तो बीच में ही कोई आ जाता।"

गुड्डू बोला "किस मादरचोद को अपनी माँ चुदवानी थी जो वहाँ आ जाता।" पूनम को ये नहीं सुनना था। वो, वो सुनना चाहती थी जो अभी इमेजिन कर रही थी। बोली "मान लो कोई आ ही जाता तो क्या करते?" गुड्डू अपने टशन में बोला "ऐसे कैसे कोई आ जाता।" पूनम चिढ़ती हुई बोली "मान लो न की कोई आ ही जाता। कोई दूसरा वेटर ही आ जाता तो क्या करते?" गुड्डू सोचने लगा।

पूनम बोली "मैं तो नंगी ही लेटी रह जाती टेबल पर, तुम तो तुरंत ढक लेते खुद को या बैठ जाते, तुम्हारा तो कुछ नहीं होता, तुम तो लड़के हो, लेकिन मेरा क्या होता।" गुड्डू बोला "मैं ढकता नहीं खुद को, जो आता उसे तुरंत भगाता।" पूनम को मज़ा आने लगा। बोली "उसी तरह? अंदर डाले हुए ही?" गुड्डू को भी अच्छा लगने लगा। बोला "हाँ, तुम्हे चोदते हुए ही उसे भगाता। लण्ड को चुत के अंदर धक्का लगाते हुए।" पूनम बोली "वाह! जो आता वो देखता की कैसे रेस्टुरेंट में मैं नंगी होकर चुदवा रही हूँ।"

गुड्डू भी मुस्कुराता हुआ बोला "तो क्या हुआ। अपनी माल को चोद रहा हूँ, उसकी बीवी या बहन को थोड़े ही।" पूनम अपने टाँगों को फैला ली थी और चुत में जोर जोर से ऊँगली करती हुई बोली "ऐसे चोदे हो किसी को कभी, किसी के सामने?" गुड्डू बोला "नहीं, चोदा तो नहीं हूँ, लेकिन गांड चुच्ची मसला हूँ, चुत सहलाया हूँ।"

पूनम बोली "वो कुछ नहीं बोली।" गुड्डू बोला "क्यों बोलेगी। उसका पति थोड़ा दूर है और मैं छिपकर साड़ी के अंदर हाथ डालकर उसकी चुत गांड सहला रहा हूँ तो वो क्यों मना करेगी। उसका भाई दूर है और मैं टॉप में हाथ डालकर चुच्ची मसल दिया तो क्यों मना करेगी।" पूनम सब इमेजिन कर रही थी। बोली "ठीक, मुझे नहीं करवाना किसी के सामने।"

गुड्डू बोला "इसलिए न बोला था मेरी माल, घर पे चल, मज़े से चुदाई होगी, लेकिन पता नहीं तुझे क्या हुआ था।" पूनम बोली "सब कुछ तो किये ही न, फिर कभी अंदर भी डाल देना।" गुड्डू बोला "फिर कभी नहीं, तुम लौट कर आओगी और हमारे घर आओगी। विक्की लण्ड पर तेल लगाकर रखे हुए तेरे लिए।"

पूनम बोली "इसीलिए नहीं जाना चाहती तुम्हारे घर। विक्की क्यों करेगा मुझे। मुझे उससे कुछ नहीं करवाना।" गुड्डू आश्चर्य से बोला "क्यों। उससे करवाने में क्या परेशानी है?" पूनम बोली "मैं सबसे करवाते चलूँ क्या। मैं र.... रं..... मैं रण्डी नहीं हूँ।" रण्डी बोलते ही पूनम की चुत का गीलापन और बढ़ गया। आज पहली बार वो रण्डी शब्द बोली थी किसी के सामने, वो भी अपने लिए।

गुड्डू बोला "इसमें रण्डी वाली बात कहाँ से आ गयी। मैंने तो पहले ही कहा था कि मैं भी चोदुंगा और वो भी। हम साथ में चोदते हैं चुत को।" पूनम धीरे से ऐसे बोली जैसे प्यार से रुठ रही हो "नहीं, मैं उससे नहीं चुदवाऊँगी। तुम्हे जो करना है कर लेना।" गुड्डू बोला "वो तो मैं करूँगा ही, तेरे चुत की अपने लण्ड को सैर कराऊँगा, तुझे चोदने के बाद लण्ड चुसवाऊँगा, और तब तुझे अपना वीर्य पिलाऊँगा। लेकिन विक्की भी तो चोदेगा ही।"

पूनम बोली "मैं मर नहीं जाऊँगी? तुम्हारा इतना बड़ा है कि अंदर ही नहीं जाता, उसका भी तुम्हारे जैसा ही है?" गुड्डू हँस दिया। बोला "हाँ, तभी तो दुगुना मज़ा आएगा मेरी जान।" पूनम बोली "एक तो घुस नहीं रहा, पता नहीं दो दो मूसल लण्ड कैसे घुसेगा। तुम लोग जान ले लेना मेरी।" गुड्डू कुछ नहीं बोला। पूनम बोली "दोनों साथ में चोदोगे?" गुड्डू बोला "हाँ मेरी रण्डी, दोनों साथ साथ तुझे चोदेंगे, वैसे ही जैसे पिक वाली वो रण्डी चुद रही थी।"

गुड्डू ने थोड़ी देर पहले पूनम को साली (Whore) कहा था लेकिन पूनम ध्यान नहीं दी थी या फिर उसका मतलब नहीं समझी थी, लेकिन अभी गुड्डू सीधे सीधे रण्डी बोल रहा था, लेकिन पूनम को बुरा नहीं लगा, उल्टा उसे अच्छा लग रहा था। पूनम बोली "मैं नहीं चुदवा पाऊँगी।" गुड्डू बोला "चुदवा लोगी। एक साथ चुदवाने में ज्यादा मज़ा आएगा मेरी माल।"

पूनम बोली "अभी चोदे नहीं हो, फिर भी रण्डी बोल रहे हो, चोद लोगे तो पता नहीं क्या बोलोगे।" गुड्डू बोला "तुम विक्की से चुदवाओ या मत चुदवाओ, लेकिन मेरी रण्डी तो हो ही तुम। मेरी सबसे मस्त रांड।"

अब पूनम का उन्माद चरम पे पहुँचने वाला था। बोली "आह, रण्डी क्यों बोल रहे हो?" गुड्डू बोला "तुम चुदवाने आओगी न मेरी रांड। मेरे लण्ड को अपनी चुत में भरोगी न, अपनी निप्पल को मसलने चूसने दोगी न, मेरे लण्ड को चुसोगी न?" पूनम वासना के कुँवे में डूबती हुई बोली "हाँ, चुदवाऊँगी, जो जो करोगे सब करवाऊँगी।" गुड्डू बोला "विक्की से भी चुदवाओगी न? उसे भी सब कुछ करने दोगी न?" पूनम बोली "ठीक है, विक्की से भी चुदवाऊँगी।

गुड्डू बोला "वाह मेरी रण्डी, अच्छी रण्डी की तरह हम दोनों के लण्ड से एक साथ चुदवाना, एक का लण्ड चुत में और एक का मुँह में, एक का लण्ड चुत में और एक का गांड में, एक का लण्ड गांड में तो दूसरे का मुँह में लेकर चुदवाना मेरी रण्डी।" पूनम बोली "ठीक है, दोनों साथ में चोद लेना।"

गुड्डू बोला "अच्छे से बोल न, अपनी पूनम रण्डी को दोनों भाई एक साथ चोदना।" पूनम को अभी कुछ होश नहीं था। बोली "दोनों भाई साथ में चोद लेना अपनी रण्डी को।" पूनम की चुत ने पानी छोड़ दिया। बोली "आह, शादी से लौट कर आऊँगी तो दोनों चोदना मुझे, पूरी नंगी करके चोदना, एक साथ चोदना। आह....रण्डी की तरह चोदना म्म्म..."

पूनम फ़ोन कट कर दी और हाँफती हुई उँगली में लगे चुत के रस को मुँह में लेकर चूसने लगी। वो फिर से ऊँगली को चुत में लगायी और फिर से चुत के रस को मुँह में लेकर चूसने लगी। फिर वो उसी तरह उल्टा होकर सोने लगी। अब उसे दोनों से चुदवाना था। रण्डी की तरह।
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RE: ये कहाँ आ गए हम - पूनम का रूपांतरण - by Bunty4g - 29-03-2019, 01:35 AM



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