28-03-2019, 10:57 PM
उनकी सास का ,...
मैंने देखा की वो मेरे चेहरे की ओर देख रहे थे, लेकिन कुछ देर में समझ गयी।
69 में मैं नीचे थी और मम्मी ऊपर,
और मेरे चेहरे के ठीक ऊपर मम्मी के बड़े-बड़े चूतड़ ऊपर-नीचे हो रहे थे,
वो उसे देख रहे थे, और ललचा रहे थे।
और मैं उन्हें ललचाता हुये देख रही थी।
लेकिन थे तो वो मेरे साजन, मैंने आग में थोड़ा और घी छोड़ा। मम्मी की बुर चूसते हुए मेरे हाथ अब मम्मी के भारी-
भारी नितम्बो को सहला रहे थे, दबा रहे थे और
फिर मैंने मम्मी के चूतङों को दोनों हाथों से फैला के जोर से खोला तो… एकदम जादू की तरह असर हुआ उन पे।
मैं कनखखयों से देख रही थी। लण्ड उनका पत्थर का हो गया। एकदम 90° डिग्री । और एक घूूँट में सारी बची हुई बियर ( जिस्मने आधे से ज्यादा मम्मी की अपनी ख़ास परसनल सुनहरी बियर मिली थी) उन्होंने गटक ली। मुझे बहुत मजा आ रहा था उनकी ये हालत देख के, लेकिन अभी तो शुरूआत थी।
चूसते हुए उन्हें र्केदिखा घप से मैंने दो उँगलियाँ मम्मी की बुर में पेल दीं और देर तक गोल-गोल घुमाती रही।
जब वो रस से बुरी तरह गीली हो गयी,
तो अब एक बारकिर, मम्मी की गाण्ड पूरी ताकत से फैला के, उसका कसा संकरा छेद उन्हें ,
अपने बावरे बौराये साजन को दिखा के , ... वो सच में अपने सास के पिछवाड़े के लिए पागल हो रहे थे।
मेरी तर्जनी मम्मी की गांड में एक पोर तक घुसी उनके दामाद को दिखाती ललचाती , आगे पीछे हो रही थी।
अब उनसे नहीं रहा गयी और चुपके से आके वो मेरे सर (और मम्मी के चूतड़ों) की ओर बैठ गए। एकदम मुझसे सट के।
मैं समझ गयी लोहा गरम है। अब मैंने अपनी कलाई के जोर से पूरी ताकत से मम्मी की गांड में अपनी तर्जनी दो पोर तक एक झटके में घुसेड़ दी ।
घुसी वो मम्मी कीगाण्ड में लेकिन सिसकारी उनकी निकली ।
थोड़ी देर मम्मी की कसी गांड में आगे पीछे , करके, बाहर निकला के वो ऊँगली मैंने उनकी ओर जब की, तो झट से उन्होंने मुूँह खोल के मेरी तर्जनी को ,
मम्मीकी गांड में से निकली ऊँगली को गप्प कर लिया
और लालीपाप की तरह उसे चूसने लगे,
मेरी एक और ऊँगली , मेरी मंझली ऊँगली पकड़ कर अपने मुंह के अंदर घुसेड़ लिया
और उसे भी सक करने लगे। दोनों ऊँगली , मम्मी की गांड से निकली तर्जनी और मंझली दोनो , उनके थूक से लथपथ
मैं उनका इशारा समझ गयी और अगली बार वो दोनों उंगलिया , मेरे साजन के मुंह से निकल कर उनके सैलाइवा से लिसड़ी पड़ी , मम्मी की गांड के अंदर गयीं , वोभी जड़ तक।
और बिना बाहर निकाले मैं देर तक गोल गोल घुमाती रही, गाण्ड की दीवालों से सटा के करोचते हुए,
और वो एक नदीदे बच्चे की तरह उसे देखते रहे,
मैंने देखा की वो मेरे चेहरे की ओर देख रहे थे, लेकिन कुछ देर में समझ गयी।
69 में मैं नीचे थी और मम्मी ऊपर,
और मेरे चेहरे के ठीक ऊपर मम्मी के बड़े-बड़े चूतड़ ऊपर-नीचे हो रहे थे,
वो उसे देख रहे थे, और ललचा रहे थे।
और मैं उन्हें ललचाता हुये देख रही थी।
लेकिन थे तो वो मेरे साजन, मैंने आग में थोड़ा और घी छोड़ा। मम्मी की बुर चूसते हुए मेरे हाथ अब मम्मी के भारी-
भारी नितम्बो को सहला रहे थे, दबा रहे थे और
फिर मैंने मम्मी के चूतङों को दोनों हाथों से फैला के जोर से खोला तो… एकदम जादू की तरह असर हुआ उन पे।
मैं कनखखयों से देख रही थी। लण्ड उनका पत्थर का हो गया। एकदम 90° डिग्री । और एक घूूँट में सारी बची हुई बियर ( जिस्मने आधे से ज्यादा मम्मी की अपनी ख़ास परसनल सुनहरी बियर मिली थी) उन्होंने गटक ली। मुझे बहुत मजा आ रहा था उनकी ये हालत देख के, लेकिन अभी तो शुरूआत थी।
चूसते हुए उन्हें र्केदिखा घप से मैंने दो उँगलियाँ मम्मी की बुर में पेल दीं और देर तक गोल-गोल घुमाती रही।
जब वो रस से बुरी तरह गीली हो गयी,
तो अब एक बारकिर, मम्मी की गाण्ड पूरी ताकत से फैला के, उसका कसा संकरा छेद उन्हें ,
अपने बावरे बौराये साजन को दिखा के , ... वो सच में अपने सास के पिछवाड़े के लिए पागल हो रहे थे।
मेरी तर्जनी मम्मी की गांड में एक पोर तक घुसी उनके दामाद को दिखाती ललचाती , आगे पीछे हो रही थी।
अब उनसे नहीं रहा गयी और चुपके से आके वो मेरे सर (और मम्मी के चूतड़ों) की ओर बैठ गए। एकदम मुझसे सट के।
मैं समझ गयी लोहा गरम है। अब मैंने अपनी कलाई के जोर से पूरी ताकत से मम्मी की गांड में अपनी तर्जनी दो पोर तक एक झटके में घुसेड़ दी ।
घुसी वो मम्मी कीगाण्ड में लेकिन सिसकारी उनकी निकली ।
थोड़ी देर मम्मी की कसी गांड में आगे पीछे , करके, बाहर निकला के वो ऊँगली मैंने उनकी ओर जब की, तो झट से उन्होंने मुूँह खोल के मेरी तर्जनी को ,
मम्मीकी गांड में से निकली ऊँगली को गप्प कर लिया
और लालीपाप की तरह उसे चूसने लगे,
मेरी एक और ऊँगली , मेरी मंझली ऊँगली पकड़ कर अपने मुंह के अंदर घुसेड़ लिया
और उसे भी सक करने लगे। दोनों ऊँगली , मम्मी की गांड से निकली तर्जनी और मंझली दोनो , उनके थूक से लथपथ
मैं उनका इशारा समझ गयी और अगली बार वो दोनों उंगलिया , मेरे साजन के मुंह से निकल कर उनके सैलाइवा से लिसड़ी पड़ी , मम्मी की गांड के अंदर गयीं , वोभी जड़ तक।
और बिना बाहर निकाले मैं देर तक गोल गोल घुमाती रही, गाण्ड की दीवालों से सटा के करोचते हुए,
और वो एक नदीदे बच्चे की तरह उसे देखते रहे,