28-03-2019, 05:54 PM
(This post was last modified: 08-07-2020, 10:45 AM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
शाम
जब वो शाम को आये तो एकदम अलफ़्फ़ , बोला तो कुछ नहीं ,
लेकिन उन्हें यह अच्छा नहीं लग रही थी की उनकी सेक्रेटरी भी ,…
और मुझे ये मालूम था , लेकिन उनकी आदतें ,पसंद नापसंद सुधारने की जिम्मेदारी तो अब मैंने ले ली।
उनका एटीट्यूड मैंने इग्नोर किया फिर कड़ी आवाज में पूछा ,
'नाप दे आये।'
अब वो डिफेंसिव हो गए , उनकी आवाज और अंदाज दोनों बदल गए ,
मुझे जैसे प्लीज करने के लिए बोल रहे हों ,बोले ,
" हाँ मैं एकदम टाइम पे पहुँच गया था। "
अब वह 'अच्छा बच्चा' बनने की कोशिश कर रहे थे।
" और मैंने कुछ चोली ,ब्लाउज के भी नाप लेने के लिए उसे बोला था , मॉम का फोन आया था , ये अंदाज से अच्छा नहीं लगता सही और टाइट फिटिंग होनी चाहिए। दे दिया न। "
अब मैंने पहली बार उनकी ओर देखा।
एक दम वो मुझे खुश करने के मूड में थे ,बहुत मीठी आवाज में बोले ,
" हाँ हाँ ,… वो भी दे दिया , अच्छा टेलर है। और कपडे भी बहुत अच्छे थे। "
मुझे खुश करने के चक्कर में उन्होंने ये भी ध्यान नहीं दिया की मैंने बोला है की मॉम का फोन आया था।
लेकिन मेरी आवाज का कड़ापन कम नहीं हुआ ,
" मैं चाय के लिए वेट कर रहीं ,प्लीज चेंज करो और चाय , थोड़ा जल्दी , … और हाँ साथ में पकौड़े भी। "
जैसे ही वो किचेन में घुसे मैं खुल के मुस्कराई।
ये आदमी लोग भी न इन्हे टाइट लीश पे रखना पड़ता है ,
कब रिवार्ड दिया जाए और कब सख्त हुआ जाय ,इग्नोर किया जाय इन्हे कंट्रोल में रखने के लिए समझना बहुत जरूरी है।
और आज मैं स्क्रूज थोड़ा टाइट करना चाहती थी ,जरा सी गलती मिले तो मैं , …
और वो मौका मिल गया ,जब ये ट्रे में चाय ले के निकले ,
वह अपनी फ्रिल वाली पिंक एप्रन पहने थे ,
जो मिसेज तनेजा के कूकरी क्लास में उन्हें बेस्ट स्टूडेंट के इनाम के तौर पे मिली थी।
लेकिन उसके नीचे वही पेंट जो वो आफिस से पहन के आये थे।
पैंट्स ,स्ट्रिकटली आफिस ड्रेस थी , घर में कोई अगर पेंट पहन सकता था तो वो मैं थी।
मैने सिर्फ उनके पैंट को घूरा और उन्हें अपनी गलती का अहसास हो गया।
" असल में मुझे लगा की मुझे , … देर हो गयी थी और चाय के लिए ,… लेट हो रहा होगा। "
मैंने कुछ नहीं बोला सिवाय इग्नोर करने के। कुछ भी बोलना मेरी शान के खिलाफ होता।
थोड़ी देर बाद जब वो चाय और पकौड़े ले के निकले तो एप्रन के नीचे पेटीकोट था।
और अब मैंने सोचा की बहुत हड़का लिया बिचारे को।
मैंने न सिर्फ बैठने के लिए कहा बल्कि , उन्हें एक पकौड़ा ऑफर भी किया और पकौड़े की तारीफ़ भी की।
उनकी तो बांछे खिल गयीं।
जब वो शाम को आये तो एकदम अलफ़्फ़ , बोला तो कुछ नहीं ,
लेकिन उन्हें यह अच्छा नहीं लग रही थी की उनकी सेक्रेटरी भी ,…
और मुझे ये मालूम था , लेकिन उनकी आदतें ,पसंद नापसंद सुधारने की जिम्मेदारी तो अब मैंने ले ली।
उनका एटीट्यूड मैंने इग्नोर किया फिर कड़ी आवाज में पूछा ,
'नाप दे आये।'
अब वो डिफेंसिव हो गए , उनकी आवाज और अंदाज दोनों बदल गए ,
मुझे जैसे प्लीज करने के लिए बोल रहे हों ,बोले ,
" हाँ मैं एकदम टाइम पे पहुँच गया था। "
अब वह 'अच्छा बच्चा' बनने की कोशिश कर रहे थे।
" और मैंने कुछ चोली ,ब्लाउज के भी नाप लेने के लिए उसे बोला था , मॉम का फोन आया था , ये अंदाज से अच्छा नहीं लगता सही और टाइट फिटिंग होनी चाहिए। दे दिया न। "
अब मैंने पहली बार उनकी ओर देखा।
एक दम वो मुझे खुश करने के मूड में थे ,बहुत मीठी आवाज में बोले ,
" हाँ हाँ ,… वो भी दे दिया , अच्छा टेलर है। और कपडे भी बहुत अच्छे थे। "
मुझे खुश करने के चक्कर में उन्होंने ये भी ध्यान नहीं दिया की मैंने बोला है की मॉम का फोन आया था।
लेकिन मेरी आवाज का कड़ापन कम नहीं हुआ ,
" मैं चाय के लिए वेट कर रहीं ,प्लीज चेंज करो और चाय , थोड़ा जल्दी , … और हाँ साथ में पकौड़े भी। "
जैसे ही वो किचेन में घुसे मैं खुल के मुस्कराई।
ये आदमी लोग भी न इन्हे टाइट लीश पे रखना पड़ता है ,
कब रिवार्ड दिया जाए और कब सख्त हुआ जाय ,इग्नोर किया जाय इन्हे कंट्रोल में रखने के लिए समझना बहुत जरूरी है।
और आज मैं स्क्रूज थोड़ा टाइट करना चाहती थी ,जरा सी गलती मिले तो मैं , …
और वो मौका मिल गया ,जब ये ट्रे में चाय ले के निकले ,
वह अपनी फ्रिल वाली पिंक एप्रन पहने थे ,
जो मिसेज तनेजा के कूकरी क्लास में उन्हें बेस्ट स्टूडेंट के इनाम के तौर पे मिली थी।
लेकिन उसके नीचे वही पेंट जो वो आफिस से पहन के आये थे।
पैंट्स ,स्ट्रिकटली आफिस ड्रेस थी , घर में कोई अगर पेंट पहन सकता था तो वो मैं थी।
मैने सिर्फ उनके पैंट को घूरा और उन्हें अपनी गलती का अहसास हो गया।
" असल में मुझे लगा की मुझे , … देर हो गयी थी और चाय के लिए ,… लेट हो रहा होगा। "
मैंने कुछ नहीं बोला सिवाय इग्नोर करने के। कुछ भी बोलना मेरी शान के खिलाफ होता।
थोड़ी देर बाद जब वो चाय और पकौड़े ले के निकले तो एप्रन के नीचे पेटीकोट था।
और अब मैंने सोचा की बहुत हड़का लिया बिचारे को।
मैंने न सिर्फ बैठने के लिए कहा बल्कि , उन्हें एक पकौड़ा ऑफर भी किया और पकौड़े की तारीफ़ भी की।
उनकी तो बांछे खिल गयीं।