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Adultery Diwali Ka Jua
#23
”आअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह , मर्र्र्र्र्र्र्र गयी ……। दर्द हो रहा है मनीष , निकालो इसको ….”

पर मनीष नहीं माना और उसने दो और तेज झटके दिए, और उसका पूरा लंड रिया कि चूत में चला गया.

और थोड़ी देर बाद वही रिया चिल्ला – २ कर उसके लंड के मजे ले रही थी..

”अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ……. मनीष। ……। माय लव , चोदो मुझे , आआह्हह्हह्हह्ह , और तेज डालो , जोर से करो, आअह्हह्हह्हह येस्स्स्स ऐसे ही उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह स्स्स्स्स्स्स्स्स्स , मैं तो गयी ………”

और उसकी बावली हरकतों को देखकर हरिया काका कि तोप भी बुरी तरह से गर्म होकर आग उगलने कि तैयारी करने लगी

और जैसे ही रिया का ओर्गास्म हुआ, मनीष कि पिचकारियाँ भी उसके साथ ही छूट गयी उसकी गुफा के अंदर ही
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”अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह रिया , मेरी जान …मैं भी आया , आआह्हह्हह्हह्ह ”

और दोनों एक दूसरे के गले से मिलकर हांफने लगे

मनीष का लंड फिसल कर उसके अंदर से बाहर आ गया और उसके पीछे-२ सफ़ेद और लाल रंग का पानी भी बाहर निकलने लगा
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तभी हरिया काका ने भी दबी हुई सी हुंकार भरते हुए अपना वीर्य दिवार पर दे मारा …

मनीष ने तो नहीं पर रिया ने वो हलकी सी आवाज सुन ली..

वो उस तरफ देखकर कुछ कहना ही चाहती थी कि मनीष बोल पड़ा : "मैं अंदर जाता हु, कहीं हरिया काका को शक़ न हो जाए कुछ, तुम भी घर निकल जाना यहीं से ।”

और वो जल्दी से अपने कपडे पहन कर बाहर निकल गया और अंदर चला गया, हरिया काका तो उससे पहले ही वहाँ से निकल कर अंदर जा चुके थे .

रिया ने अपने कपडे पहने , उसे चलने में कोई तकलीफ नहीं हुई, जैसा उसकी सहेलियों ने उसे डराकर रखा हुआ था कि चला भी नहीं जाता , काफी दर्द होता है, वैसा कुछ भी नहीं हुआ उसके साथ..

वो बाहर जाने को निकली तो ना जाने क्या सोचकर वो कमरे के पीछे कि तरफ चली गयी, और उस जगह पहुंचकर उसने गोर से दिवार पर पड़े हुए धब्बे को देखा, उसका शक यकीन में बदल गया कि वहाँ जरुर कोई था और इस वक़्त घर में सिर्फ हरिया काका ही है , यानि उन्होंने सारा खेल अपनी आँखों से देख लिया , उसे अपने ऊपर बड़ी शर्म सी आयी , उसने हरिया काका के बारे में एक लड़की से सुन भी रखा था कि उनका काफी बड़ा लंड है, और थोड़ी देर पहले हुई चुदाई को याद करते हुए और हरिया काका के लम्बे लंड को सोचते हुए उसकी टांगो के बीच फिर से खुजली होने लगी.

वो धीरे से मुस्कुराते हुए वहाँ से निकल आयी .

उस दिन के बाद तो मनीष और रिया रोज ही एक दूसरे से चुदवाने लगे , शायद ही ऐसा कोई दिन निकलता था जब रिया कि चूत के अंदर मनीष का लंड न जाता हो , रिया को भी सेक्स करने में बहुत मजा आता था, उसकी हालत उस नवविवाहित दुल्हन के जैसे थी जो शादी के बाद लगभग रोज चुदाई करवाती है , उस समय का चार्म होता ही कुछ ख़ास है ..

वैसे तो उसने खेतों में, कॉलेज में, अपनी सहेली के घर में, और तो और अपने घर में भी मनीष से चुदाई करवायी थी, पर जो मजा उसे मनीष के घर के पीछे वाले कमरे में चुदने में आता था, वो कहीं और नहीं आता था, क्योंकि हर बार मनीष उसे तभी अपने घर लेजाकर चोदता था जब उसके माता – पिता कही गए होते थे , पर हरिया काका हमेशा घर पर ही होते थे, और जब भी मनीष छुपकर पीछे वाले कमरे कि तरफ आता था तो हरिया काका भी भाग कर अपनी जगह पर जाकर छुप जाते थे और उस दिन कि चुदाई रिया के लिए सबसे मजेदार होती थी , वो खुल कर चुदवाती थी और तेज-२ आवाजें भी निकालती थी क्योंकि उसे पता था कि ये सब आवाजें हरिया काका सुन रहे होते हैं .

आज भी ऐसा ही दिन था, हमेशा कि तरह मनीष ने रिया को पीछे वाले कमरे में जाने के लिए कहा और खुद थोड़ी ही देर में वहाँ पहुँच गया.

वो पहले से ही अपने सारे कपडे उतार कई नंगी नागिन कि तरह घांस पर लोटनिया मार रही थी
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उसका एक हाथ अपनी ब्रेस्ट पर था, दूसरा चूत के अंदर , आँखों से काम वासना टपक रही थी और अंदर एक तूफ़ान जन्म ले चूका था.

हरिया काका भी अपनी जगह आ चुके थे और अपनी धोती को खोकर उन्होंने नीचे फेंक दिया और दरार से झांककर अंदर का नजारा देखते हुए अपने लंड को मसलने लगे.

जैसे ही मनीष वहाँ पहुंचा, उसने झटके से उठकर उसकी टाँगे पकड़ ली और जल्दी -२ उसकी पेंट कि बेल्ट खोलकर उसे नीचे गिरा दिया, और जैसे ही उसका 6 इंच का लंड उसके सामने नाचा उसकी जीभ भी हरकत में आकर नाचने लगी उसके ऊपर नीचे, और एक मिनट के अंदर ही उसके मुंह से झाग निकलने लगी और मनीष अपने पंजों पर खड़ा हुआ सिर्फ कराह ही रहा था.
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”अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह साली ………. काट कर अलग ही कर देगी क्या। ……अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ……धॆएरे चूस भेन की लोड़ी ………।उम्म्म्म्म्म्म्म्म ”

रिया को भी ऐसी गालियां सुनने में मज़ा आता था, उसके अंदर कि कुतिया जाग उठती थी ऐसी गालियां और बाते सुनकर और वो तेजी से वो सब करने लगती जिसके लिए वो मना कर रहा होता था.

अभी उनका कार्यकर्म चल ही रहा था कि मनीष के फ़ोन कि घंटी बज उठी , उसने जल्दी से अपनी पेंट से फ़ोन निकाला, वो उसके पिताजी का था, उसने रिया को चुप रहने का इशारा किया और फ़ोन उठाया
”हेल्लो …… हाँ पिताजी …. बोलिये …क्या … अभि , पर मैं …….ओहो …… मैं आता हु , …।”

इतना कहकर उसने फ़ोन रख दिया और नीचे झुककर अपनी पेंट ऊपर कर ली..

”क ककया हुआ। ….इसे कैसे चल दिए एकदम से … अभी तो कुछ हुआ भी नहीं , ”

रिया ने हकलाते हुए कहा .

उसे तो ऐसा लगा कि किसी ने उसके सामने से पकवान से सजी हुई थाली उठा ली है.

मनीष : " वो पिताजी तहसील गए है न, जमीन को खरीदने कि बात चला रखी है आजकल सरकार ने, उसके लिए मेरे सिग्नेचर भी चाहिए उन्हें , अभी जाना होगा, नहीं तो ये काम फिर से लटक जाएगा, मैं चलता हु, तुम भी कपडे पहनो और निकल जाओ , ओके …”

इतना कहकर वो भागता हुआ बाहर गया और अपनी जीप में बैठकर तहसील के लिए निकल गया..

रिया वहाँ नंगी बैठी रेह गयी , उसका बदन जल रहा था, उसकी चूत से बुलबुले निकल रहे थे, इतनी ज्यादा चुदाई कि इच्छा तो उसे आजतक नहीं हुई थी , तभी उसे हरिया काका का ध्यान आया , उसने मन ही मन निश्चय कुछ कर लिया ,उसने सोचा, एक न एक दिन तो उसे हरिया काका से चुदवाना ही है, तो आज ही सही ..और वो उठकर वहाँ चल दी जहाँ हरिया काका खड़े थे ..

वो कमरा दरअसल जानवरों के लिए घांस फूंस रखने वाला कमरा था, पीछे कि दिवार बांस के डंडो से बनी थी और उसपर घांस फूस लगाकर ऊपर तक खड़ा किया गया था उसे , उसी घांस के बीच में से जगह बनाकर हरिया काका अंदर देखा करते थे.

हरिया काका को रिया को अपनी तरफ आते देखकर एकदम से सकपका से गए,

वो धीरे-२ मचलकर चलती हुई वहाँ तक पहुंची और बोली : "मुझे पता है हरिया काका कि आप यहाँ छुपकर हमेशा मुझे और मनीष को देखा करते हो ……”

हरिया काका के तो होश उड़ गए उसकी बात सुनकर , वो मासूम सी दिखने वाली बच्ची ऐसी बातें खुलकर करेगी, उन्हें विश्वास ही नहीं हो पा रहा था.

हरिया काका ने आँखे लगा कर अंदर देखा तो वो बिलकुल पास खड़ी थी उनके , इतनी पास कि उसके शरीर से निकल रही खुशबु उन्हें साफ़ महसूस हो रही थी , उसकी बड़ी -२ हिरनी जैसी आँखे, लम्बी सुराहीदार गर्दन, मादकता से भरे हुए उसके सुडोल स्तन और नीचे उसकी पतली कमर, और अंत में उसकी चिकनी चूत जिसमे से मीठा रस आधा लटका हुआ सोच रहा था कि नीचे गिरे या फिर वापिस ऊपर चला जाए ….
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वो समझ तो रहे थे कि रिया उनसे अब क्या चाहती है, पर फिर भी अपनी तरफ से कोई पहल नहीं करना चाहते थे.

रिया ने जब देखा कि उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आ रहा है तो उसने अपना हाथ ऊपर किया और जहाँ से हरिया काका अंदर देख रहे थे, वहाँ कि घांस में अपनी लम्बी ऊँगली डाल दी, जो हलकी घांस को चीरते हुए दूसरी तरफ से निकल कर हरिया काका कि आँखों के सामने लहराने लगी

उन्होंने उसे देखा और फिर अपना मुंह खोलकर रिया कि पतली और गोरी ऊँगली को अपने मुंह के अंदर निगल लिया .

”अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह। …….उ म्म्म्म्म्म …। काकआआअ ………. एस्स्स्स्स्स्स्स्स्स …….”

वो अपनी एक टांग पर खड़ी हो गयी, और दूसरी टांग ऊपर उठा कर अपनी चूत को खुद ही रगड़ने लगी ।

हरिया काका के गर्म मुंह के अंदर अपनी ऊँगली डालकर उसे ऐसा लग रहा था जैसे उसने खुद कि चूत के अंदर उंगलियां डाल रखी हो , फर्क सिर्फ इतना था कि यहाँ दांत भी थे जो एक अलग ही उत्तेजना पैदा कर रहे थे उसके शरीर में …. धीरे-२ उसने अपनी दूसरी और फिर तीसरी ऊँगली भी उनके मुंह के अंदर डाल दी , हरिया काका किसी प्यासे जानवर कि तरह उसकी उँगलियों का रस पी रहे थे .

रिया ने आस पास कि सारी घांस नोच कर नीचे फेंक दी, अब वो साफ़ तरीके से हरिया काका को देख पा रही थी, अपना हाथ चूसते हुए.

उसकी नजरें नीचे कि तरफ गयी वो उसकी आँखे फटी कि फटी रह गयी , वो नीचे से नंगे थे और उनका लंड किसी लम्बे डंडे कि तरह तन कर खड़ा था , उसे गाँव कि दूसरी औरतों कि बातें याद आ गयी, सच में हरिया काका का लंड बहुत बड़ा है , उसे देखते ही उसके मुंह और चूत में एक साथ पानी आ गया.

रिया को अपने लंड कि तरफ देखता पाकर हरिया काका ने भी नीचे कि तरफ कि घांस हटाई और अपने डंडे को बांस के डंडो के बीच में फंसा कर रिया कि तरफ खिसका दिया , दो इंच तो उसकी तरफ आ ही नहीं पा रहा था फिर भी बचा हुआ 6 इंच का लंड उसके सामने पहुँच गया , उसने अपने दूसरे हाथ को नीचे किया और उस गर्म रोड को पकड़ कर एक जोरदार सिसकारी मारी..

”अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ……… ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह …। काका ………. उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म ………”

अब उससे सब्र नहीं हो पा रहा था, वो झट से नीचे बैठ गयी और उनके मोटे लंड को सीधा अपने मुंह के अंदर निगल कर जोरों से चूसने लगी
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गाँव कि ज्यादातर औरतें लंड चूसने में आनाकानी करती थी, उन्हें तो बस अपनी चूत कि आग बुझवाने से मतलब होता था, रिया को अपना लंड चूसते देखकर हरिया काका को बहुत ख़ुशी हुई , उन्होंने बांस के डंडो को अपने हाथों से पकड़ लिया और आगे कि तरफ जोर से धक्के मारने लगे , उन्होंने अपना कुरता भी उतार कर नीचे फेंक दिया, अब वो पुरे नंगे थे .

उनके हर धक्के से पूरी दिवार हिल रही थी , और रिया भी

पांच मिनट तक ऐसे ही लंड चूसने के बाद रिया कि हालत खराब हो गयी, उसने उनका लंड बाहर निकाला और बोली : "काका , अब बर्दाश्त नहीं होता, जल्दी से अंदर आओ …”

काका समझ गए कि लोहा पूरी तरह से गर्म हो चूका है , उन्होंने भी अपना लंड बाहर खींचा और हाथी जैसी मस्त चाल में चलते हुए धीरे-२ अंदर कि तरफ चल दिए

रिया कि तो हालत ही खराब थी अंदर , वो बड़ी ही बेसब्री से हरिया काका के अंदर आने कि प्रतीक्षा कर रही थी

घर में कोई नहीं था, इसलिए वो नंगी ही बाहर निकल आयी और हरिया काका कि तरफ दौड़ कर पहुंची और उछल कर उनकी गोद में चढ़ गयी

"यहाँ मेरी चूत में आग लगी हुई है और आप अपनी मस्ती में चलकर आ रहे हैं …।”

उसका शिकायत करने का लहजा हरिया काका को भी पसंद आया, उन्होंने अपनी बलिष्ट बाजुओं में उसे उठाया और अपने खड़े हुए लंड के ऊपर उसकी चूत को लगाकर बोले : "अभी बुझाता हु तेरी चूत कि आग अपने पाईप से …”

वो कुछ और बोल पाती, इससे पहले ही हरिया काका ने उसके वजन को छोड़ दिया और उनका लंड उसकी चूत को खीरे कि तरह चीरता हुआ अंदर तक जा घुसा ..

”अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह …… मरर गयीईईई ……इतना लम्बा ।अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म ”’

वो चिल्ला भी रही थी और सिस्कारियां भी ले रही थी,
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हरिया काका अभी भी चलते हुए उसे अंदर ले जा रहे थे, इस बीच रिया कि चूत ने पूरी तरह से हरिया काका के लंड को अपने अंदर एडजस्ट कर लिया था .

और जब तक हरिया काका उसे लेकर अंदर पहुंचे , रिया ने उनके गले से लटके हुए ही , धीरे-२ ऊपर नीचे होना शुरू कर दिया था

अंदर आकर हरिया काका ने एक ही झटके में उसे घांस के बण्डल पर पटक दिया, रिया को तो ऐसा लगा जैसे उसकी चूत से किसी ने उसकी जान निकाल ली है.

”उम्म्म्म्म्म्म ……. तरसाओ मत काका ……।चोदो मुझे ……अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ”

हरिया काका भी शातिर खिलाडी थे , वो बोले : "एक शर्त पर …तुझे रोज रात को मेरे पास आना होगा, ”

रिया के लिए तो ये शर्त नहीं, बल्कि एक वरदान था, क्योंकि उनके लंड को अंदर लेकर वो एक बात तो जान ही चुकी थी कि उसकी चूत का असली दाम तो हरिया काका का लंड ही दे सकता है , उसने ख़ुशी -२ हामी भर दी..

हरिया काका भी मुस्कुराते हुए नीचे झुके और उसकी टाँगे चौड़ी करके अपना पाईप फिर से उसकी चूत में पेल दिया और वहाँ पर लगी हुई आग पर काबू पाने कि कोशिश करने लगे .

उनके हर झटके से वो ऊपर उछल जाती और फिर से नीचे आ गिरती.

”अह्ह्ह्हह्ह काका ओह्ह्हह्ह येस्स्स्स अह्ह्ह्हह्ह ऐसे ही उम्म्म्म्म्म्म्म्म और जोर से काका तेज करो और तेज अह्ह्हह्ह हाँ उम्म्म्म्म्म्म्म्म ”

पर बिना पानी के कब तक आग बुझाते वो, अगले पंद्रह मिनट तक भरपूर झटकों के बाद आखिरकार उन्होंने अपने अंदर पानी का निर्माण कर ही लिया और पाईप के जरिये उसकी चूत के अंदर भी पहुंचा दिया .
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अपने अंदर उनका गर्म पानी महसूस करते हुए वो हरिया काका के जिस्म से बुरी तरह से चिपक गयी

”ओह्हह्हह्हह्हह काका …।आज आपने मुझे पूरा तृप्त कर दिया है। ……. अब ये मजा मुझे रोज मिलेगा, उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म …।”

वो मन ही मन खुश हो रही थी .

और हरिया काका कि लिस्ट में एक और नाम जुड़ चूका था .

और उस दिन के बाद ना जाने कितनी बार रिया ने हरिया काका के लंड से अपनी प्यास बुझाई , मनीष के साथ भी उसका चक्कर चलता रहा, और फिर एक दिन मनीष अपनी पूरी फेमिली के साथ शहर में शिफ्ट हो गया पर रिया को उसकी कमी ज्यादा महसूस नहीं हुई क्योंकि हरिया काका तो हमेशा उसे चोदने के लिए तैयार रहते थे , और फिर एक दिन उसकी भी शादी हो गयी राहुल के साथ और सबकी लाइफ आराम से चलने लगी .

वहाँ पर बैठे – २ रिया कि जिंदगी के वो दिन पूरी पिक्चर कि तरह घूम रहे थे उसकी आँखों के सामने
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Messages In This Thread
Diwali Ka Jua - by badmaster122 - 16-03-2019, 12:26 PM
RE: Diwali Ka Jua - by badmaster122 - 19-03-2019, 10:44 AM
RE: Diwali Ka Jua - by badmaster122 - 19-03-2019, 11:19 AM
RE: Diwali Ka Jua - by badmaster122 - 19-03-2019, 11:35 AM
RE: Diwali Ka Jua - by badmaster122 - 19-03-2019, 11:47 AM
RE: Diwali Ka Jua - by badmaster122 - 19-03-2019, 06:54 PM
RE: Diwali Ka Jua - by badmaster122 - 20-03-2019, 10:58 AM
RE: Diwali Ka Jua - by badmaster122 - 20-03-2019, 11:10 AM
RE: Diwali Ka Jua - by badmaster122 - 20-03-2019, 11:20 AM
RE: Diwali Ka Jua - by badmaster122 - 20-03-2019, 11:31 AM
RE: Diwali Ka Jua - by badmaster122 - 20-03-2019, 11:56 AM
RE: Diwali Ka Jua - by badmaster122 - 22-03-2019, 09:59 AM
RE: Diwali Ka Jua - by badmaster122 - 22-03-2019, 11:44 AM
RE: Diwali Ka Jua - by badmaster122 - 22-03-2019, 12:11 PM
RE: Diwali Ka Jua - by badmaster122 - 23-03-2019, 10:33 AM
RE: Diwali Ka Jua - by badmaster122 - 23-03-2019, 11:08 AM
RE: Diwali Ka Jua - by badmaster122 - 23-03-2019, 11:17 AM
RE: Diwali Ka Jua - by badmaster122 - 23-03-2019, 11:44 AM
RE: Diwali Ka Jua - by badmaster122 - 24-03-2019, 11:10 AM
RE: Diwali Ka Jua - by badmaster122 - 24-03-2019, 11:24 AM
RE: Diwali Ka Jua - by badmaster122 - 24-03-2019, 11:47 AM
RE: Diwali Ka Jua - by badmaster122 - 28-03-2019, 11:28 AM
RE: Diwali Ka Jua - by badmaster122 - 28-03-2019, 11:54 AM
RE: Diwali Ka Jua - by badmaster122 - 30-03-2019, 12:09 PM
RE: Diwali Ka Jua - by badmaster122 - 31-03-2019, 11:28 AM
RE: Diwali Ka Jua - by badmaster122 - 31-03-2019, 11:53 AM
RE: Diwali Ka Jua - by Unknown - 31-03-2019, 03:20 PM
RE: Diwali Ka Jua - by Curiousbull - 02-05-2019, 01:42 AM
RE: Diwali Ka Jua - by badmaster122 - 11-05-2019, 11:37 AM
RE: Diwali Ka Jua - by shivangi pachauri - 11-11-2021, 12:46 AM



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