18-02-2021, 05:15 PM
(This post was last modified: 14-10-2021, 03:23 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
संस्कारी जेठानी जी
मैंने किसी तरह भुलाने की कोशिश की ,जब मैं शादी के बाद आयी थी , भले ही मेरी जेठानी से जी ने हाथ भर का घूंघट कढ़वा रखा हो
,लेकिन बात तो सुनाई ही पड़ती थी न। कैसे यही जेठानी जी मेरी सास से कह रही थी ,
" बहू तो अच्छी है ,देखने सुनने में ,खूब पढ़ी लिखी भी ,देवर जी की पसंद की लेकिन इसके घर में सुना है शराब ,कबाब सब ,... और हम लोगों का घर इतना संस्कारी ,धार्मिक ,... लहुसन प्याज तक नहीं "
उनकी बात काट के मेरी लगाम सासु जी ने जेठानी को सौंप दी ,
" अरे तो तू बड़ी है न , सीखा देना उसे ,थोड़ा प्यार से ,थोड़ा जिस घर में आयी है उस घर का चाल चलन तो सीखना ही पडेगा "
मैंने झटके से सब बातें हवा में तिनके की तरह उड़ा दीं। बस एक बात मैटर करती है ,मेरा साजन सिर्फ मेरा है , और वह ,
बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत अच्छा है।
वह अपने हाथ से मेरी उन्ही जिठानी को मुगलाई पराठे में लिपटा मटन कबाब बड़े प्यार से खिला रहे थे और बाद में लिम्का -वोदका ,
और वो उत्ते प्यार से ही खा रही थीं।
थोड़ी थोड़ी उन पे चढ़ भी रही थी ,किसी पे चढ़ जाती , पहली बार वो भी दो तीन पेग से ऊपर मेरी जेठानी की आँखों के लाल डोरे बता रहे थे।
और अब आम का नंबर था , जैसे ही उन्होंने अपने हाथों से दसहरी की फांक लेके अपनी भौजाइ के आम के फांक ऐसे रसीले होंठों की ओर किया तो उनकी भौजाई मुझसे बोलीं ,
" पहले तो नाम लेने से कूदता था और अब अपने हाथ से ,.... "
तब तक वो बोले ," भाभी पूरा खोलिये न तब तो डालूं , " ( डबल मीनिंग वाले डायलॉग में अब वो भी ,... )
उनकी भौजी ने खोल दिया ,और देवर ने डाल दिया , एक बार में पूरा ,
मुझे मौका मिल गया , जेठानी जी का आँचल नीचे ढलक गया और एक झटके में चुट पुट ,चुट पुट , जेठानी जी की ब्लाउज की तीन चुटपुटिया बटन खुल गयीं।
उनका गोरा गोरा खूब भरा गदराया कड़ा कड़ा जोबन आलमोस्ट छलक कर बाहर ,
शरारत का हक़ सिर्फ देवर भाभी का ही थोड़े है ,थोड़ा हक़ तो देवरानी का भी बनता है।
जेठानी जी के गुदाज खुले छलकते उभार पर अपनी ऊँगली से दबाते मैंने चिढ़ाया ,
" दीदी आप अपने देवर को ये वाले आम एक बार चखा देतीं न तो बस वो वाले आम भी ये खा लेते ,"
" मैंने कभी मना किया था क्या ,... बस यही एकदम बुद्धू,... " आम की फांक चूसती वो बोलीं।
एक फांक मैंने भी उठा ली लेकिन मैं मुस्कराते हुए सोच रही थी , यही बात तो कच्ची अमिया वाली भी बोल रही थी ,मेरी छुटकी ननदिया ,
" मैंने कभी मना किया था क्या , " ,...
लेकिन अब जमाना बदल चुका था अब ये कच्ची अमिया भी कुतरेंगे और रसीले आम भी।
मैंने उन्हें आँख से इशारा किया लेकिन अब उसकी जरूरत नहीं पड़ी , इनका एक हाथ तो पहले ही अपनी भाभी के कंधे पर था और अब अपने आप सरकती उंगलिया जेठानी जी की खुली गोरी गुदाज गोलाइयों पर सरक कर ,...
जेठानी जी ने अपना हाथ उठाया , मुझे लगा शायद ये इनके हाथ को रोकेंगी लेकिन ,
उन्होंने एक खूब मोटी ,सिन्दूरी ,रस से छलकती फांक उठायी और सीधे देवर के मुंह में ,
और उन्होंने गड़प कर लिया।
इनकी आँखों में आंखे डालतीं शरारत से वो बोलीं ,क्यों आ रहा है मजा।
बस मौके का फायदा उठा के एक बार मैंने अपनी जेठानी की खाली ग्लास लिम्का -वोदका से भर दी और बोला ,
" अरे दीदी अभी तो मजा शुरू हुआ लेकिन आप की ग्लास तो अभी भरी हुयी है ,आप के देवर ने इत्ते प्यार से मास्टर शेफ वाल मॉकटेल बनाया है और आप ,... "
अबकी जेठानी ने जी खुद ग्लास उठा के बॉटम्स अप ,
आधा पेग से ज्यादा और अंदर।
" हे जो फिल्म लाये हो लगाओ न ," जेठानी खुद मटन कबाब गड़प करते बोलीं ,फिर कहा ," बढ़िया स्वाद है ,कभी खाया नहीं ऐसा। "
और उठ के उन्होंने डीवीडी लगा दी ,लेकिन उनके उठने का असर ये हुआ की ,
अब जेठानी जी बीच में हो गयीं ,मेरे और मेरे उनके बीच सैंडविच।
टाइटिल से ही मैं समझ गयी कुछ भी बचा नहीं होगा इसमें , " हार्डकोर ३ ब्रेजर्स "
कुछ कुछ तो कुनमुनाई मेरी जेठानी जी , जब पिक्चर के शुरू में ही टॉप लेस ,...
" कैसी पिक्चर है ," कुछ मुंह बनाया उन्होंने
" आप के देवर लाये हैं आप के लिए , वो जाने ,आप जानिये। "
मुस्करा के मैं बोली , फिर उनसे पूछ लिया ,
" सच्ची में दी आपने पहले कभी नहीं देखा , जेठ जी नहीं लाये थे कभी ,... "
" लाये थे ,लेकिन मैंने उन्हें झिड़क दिया, ये क्या सब ,... फिर दुबारा उनकी हिम्मत नहीं हुयी " जेठानी जी ने कबूला।
" अरे देवर तो होता ही इसीलिए है न , जो काम सैंया के साथ न कर पाओ वो देवर के साथ ट्राई कर लीजिये। "
और तब तक फिल्म शुरू हो चुकी थी और जैसे ऐसी फिल्मो का नियम है , शुरूआत ब्लो जॉब से करनी होती है ,
और ऐक्ट्रेस डीप थ्रोट कर रही थी।
मैंने किसी तरह भुलाने की कोशिश की ,जब मैं शादी के बाद आयी थी , भले ही मेरी जेठानी से जी ने हाथ भर का घूंघट कढ़वा रखा हो
,लेकिन बात तो सुनाई ही पड़ती थी न। कैसे यही जेठानी जी मेरी सास से कह रही थी ,
" बहू तो अच्छी है ,देखने सुनने में ,खूब पढ़ी लिखी भी ,देवर जी की पसंद की लेकिन इसके घर में सुना है शराब ,कबाब सब ,... और हम लोगों का घर इतना संस्कारी ,धार्मिक ,... लहुसन प्याज तक नहीं "
उनकी बात काट के मेरी लगाम सासु जी ने जेठानी को सौंप दी ,
" अरे तो तू बड़ी है न , सीखा देना उसे ,थोड़ा प्यार से ,थोड़ा जिस घर में आयी है उस घर का चाल चलन तो सीखना ही पडेगा "
मैंने झटके से सब बातें हवा में तिनके की तरह उड़ा दीं। बस एक बात मैटर करती है ,मेरा साजन सिर्फ मेरा है , और वह ,
बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत अच्छा है।
वह अपने हाथ से मेरी उन्ही जिठानी को मुगलाई पराठे में लिपटा मटन कबाब बड़े प्यार से खिला रहे थे और बाद में लिम्का -वोदका ,
और वो उत्ते प्यार से ही खा रही थीं।
थोड़ी थोड़ी उन पे चढ़ भी रही थी ,किसी पे चढ़ जाती , पहली बार वो भी दो तीन पेग से ऊपर मेरी जेठानी की आँखों के लाल डोरे बता रहे थे।
और अब आम का नंबर था , जैसे ही उन्होंने अपने हाथों से दसहरी की फांक लेके अपनी भौजाइ के आम के फांक ऐसे रसीले होंठों की ओर किया तो उनकी भौजाई मुझसे बोलीं ,
" पहले तो नाम लेने से कूदता था और अब अपने हाथ से ,.... "
तब तक वो बोले ," भाभी पूरा खोलिये न तब तो डालूं , " ( डबल मीनिंग वाले डायलॉग में अब वो भी ,... )
उनकी भौजी ने खोल दिया ,और देवर ने डाल दिया , एक बार में पूरा ,
मुझे मौका मिल गया , जेठानी जी का आँचल नीचे ढलक गया और एक झटके में चुट पुट ,चुट पुट , जेठानी जी की ब्लाउज की तीन चुटपुटिया बटन खुल गयीं।
उनका गोरा गोरा खूब भरा गदराया कड़ा कड़ा जोबन आलमोस्ट छलक कर बाहर ,
शरारत का हक़ सिर्फ देवर भाभी का ही थोड़े है ,थोड़ा हक़ तो देवरानी का भी बनता है।
जेठानी जी के गुदाज खुले छलकते उभार पर अपनी ऊँगली से दबाते मैंने चिढ़ाया ,
" दीदी आप अपने देवर को ये वाले आम एक बार चखा देतीं न तो बस वो वाले आम भी ये खा लेते ,"
" मैंने कभी मना किया था क्या ,... बस यही एकदम बुद्धू,... " आम की फांक चूसती वो बोलीं।
एक फांक मैंने भी उठा ली लेकिन मैं मुस्कराते हुए सोच रही थी , यही बात तो कच्ची अमिया वाली भी बोल रही थी ,मेरी छुटकी ननदिया ,
" मैंने कभी मना किया था क्या , " ,...
लेकिन अब जमाना बदल चुका था अब ये कच्ची अमिया भी कुतरेंगे और रसीले आम भी।
मैंने उन्हें आँख से इशारा किया लेकिन अब उसकी जरूरत नहीं पड़ी , इनका एक हाथ तो पहले ही अपनी भाभी के कंधे पर था और अब अपने आप सरकती उंगलिया जेठानी जी की खुली गोरी गुदाज गोलाइयों पर सरक कर ,...
जेठानी जी ने अपना हाथ उठाया , मुझे लगा शायद ये इनके हाथ को रोकेंगी लेकिन ,
उन्होंने एक खूब मोटी ,सिन्दूरी ,रस से छलकती फांक उठायी और सीधे देवर के मुंह में ,
और उन्होंने गड़प कर लिया।
इनकी आँखों में आंखे डालतीं शरारत से वो बोलीं ,क्यों आ रहा है मजा।
बस मौके का फायदा उठा के एक बार मैंने अपनी जेठानी की खाली ग्लास लिम्का -वोदका से भर दी और बोला ,
" अरे दीदी अभी तो मजा शुरू हुआ लेकिन आप की ग्लास तो अभी भरी हुयी है ,आप के देवर ने इत्ते प्यार से मास्टर शेफ वाल मॉकटेल बनाया है और आप ,... "
अबकी जेठानी ने जी खुद ग्लास उठा के बॉटम्स अप ,
आधा पेग से ज्यादा और अंदर।
" हे जो फिल्म लाये हो लगाओ न ," जेठानी खुद मटन कबाब गड़प करते बोलीं ,फिर कहा ," बढ़िया स्वाद है ,कभी खाया नहीं ऐसा। "
और उठ के उन्होंने डीवीडी लगा दी ,लेकिन उनके उठने का असर ये हुआ की ,
अब जेठानी जी बीच में हो गयीं ,मेरे और मेरे उनके बीच सैंडविच।
टाइटिल से ही मैं समझ गयी कुछ भी बचा नहीं होगा इसमें , " हार्डकोर ३ ब्रेजर्स "
कुछ कुछ तो कुनमुनाई मेरी जेठानी जी , जब पिक्चर के शुरू में ही टॉप लेस ,...
" कैसी पिक्चर है ," कुछ मुंह बनाया उन्होंने
" आप के देवर लाये हैं आप के लिए , वो जाने ,आप जानिये। "
मुस्करा के मैं बोली , फिर उनसे पूछ लिया ,
" सच्ची में दी आपने पहले कभी नहीं देखा , जेठ जी नहीं लाये थे कभी ,... "
" लाये थे ,लेकिन मैंने उन्हें झिड़क दिया, ये क्या सब ,... फिर दुबारा उनकी हिम्मत नहीं हुयी " जेठानी जी ने कबूला।
" अरे देवर तो होता ही इसीलिए है न , जो काम सैंया के साथ न कर पाओ वो देवर के साथ ट्राई कर लीजिये। "
और तब तक फिल्म शुरू हो चुकी थी और जैसे ऐसी फिल्मो का नियम है , शुरूआत ब्लो जॉब से करनी होती है ,
और ऐक्ट्रेस डीप थ्रोट कर रही थी।