17-02-2021, 06:14 PM
(This post was last modified: 13-10-2021, 08:07 AM by komaalrani. Edited 3 times in total. Edited 3 times in total.)
गुड्डी हमारे साथ चलेगी
मतलब तीर निशाने पर लगा ,गुड्डी हमारे साथ चलेगी ,
…………………………………………
और दन दनादन उसकी कसी छोटी सी ओखली में मोटे मोटे मूसल चलेंगे। सब से पहले तो इन्हिका ,
और मैं इन्ही का इंतजार कर रही थी , उनके मुंह से ही पक्की खबर सुनूंगी तो मुझे विश्वास होगा।
लेकिन मम्मी से तो मैंने ये खबर शेयर कर ही दी ,पहले उन्हें टेक्स्ट किया फिर वो स्काइप पे आ गयीं। मुझ से ज्यादा वो खुश वो थी और इस बात से और की मेरी छुटकी ननदिया,हफ्ते दस दिन केलिए नहीं पूरे साल भर के लिए चल रही थी हमारे पास।
बस अब कोई जल्दी नहीं थी ,आराम से धीरे धीरे,... मैंने उन्हें वो सारी फोटुएं भेज दीं जो गुड्डी की मैंने खींची थी।
उसके बाद कुछ फोटो ,कुछ वीडियों को जोड़ घटा के ,... और साथ में मैंने अपनी फेसबुक के साथ गुड्डी की भी स्टेटस अपडेट कर दी।
मुझे विश्वास नहीं हो रहा था ६०० से ऊपर फ्रेंड्स रिक्वेस्ट ,मैंने सबको यस कर दिया। टीनेजर्स की तरह हर घंटे पर तो नहीं लेकिन दिन में चार पांच बार तो मैं भी अपनी फेसबुक स्टेटस अपडेट करती थी।
आलमोस्ट एक घंटे हो गए थे मुझे ऊपर आये और तब मुझे याद आया ये आने ही वाले होंगे।
इनका तो बेसब्री से इन्तजार था ,एक तो लम्बी शॉपिंग लिस्ट और दूसरे गुड्डी की चलने वाली खबर तो पक्की इन्ही से होनी थी।
मैं नीचे पहुंची तो जेठानी जी बरामदे में ही बैठीं थीं। थोड़ी देर हम लोग गप्पे मार रहे थे की दरवाजा खुला और ये आ गए।
मैं बता नहीं सकती थी ,इनके चेहरे पर छलकती ख़ुशी , और इनकी ख़ुशी के अहसास से ही मेरीखुशी दूनी हो जाती थी।
बस इन्होने मुझे कस के बाहों में भींच लिया ,बिना इस बात की परवाह किये की मेरी जेठानी सामने बैठी हैं , वो क्या सोचेंगी ,इत्यादि इत्यादि।
चुम्मे पर चुम्मा , गाल ,होंठ कुछ भी नहीं छोड़ा मेरे बावरे बेताब सैंया ने ,
तो मैं क्यों छोड़ती अपने सोना मोना को ,मेरे गदराये कड़े कड़े उभार भी कस कस के उनकी छाती पर रगड़ने लगे ,
मेरी हथेली उनके खूंटे का हाल जानने के लिए नीचे उनकी जींस के ऊपर तो ,जींस एकदम टाइट, बल्ज खूब तना।
मेरे साजन की खुशी का सबसे बड़ा बैरोमीटर वही था और मेरी हथेली ने जींस के ऊपर से ही रगडन मसलन चालू कर दी.
अंगूठे और तर्जनी के बीच जींस से छलकते उनके सुपाड़े को कस के दबा दिया।
उनका भी एक हाथ मेरे नितम्बो को खुल के दबा रहा था ,मसल रहा था ,ऊँगली सीधे मेरे पिछवाड़े की दरार पे ,
इसी घर में रात भर चिपके रहने के बाद ,दिन में हम दोनों एक दूसरे के पास भी नहीं बैठ पाते थे , एकदम न तुम हमें जानो न हम तुम्हे जाने ,
बस इसलिए की जेठानी जी क्या कहेंगी ,क्या सोचेंगी ,
छोड़िये और अब उन्ही जेठानी जी के सामने ,... मैंने उन पुरानी बातों को धक्का के देके हटाया , छोडो अब तो ये बालक सिर्फ मेरा है।
उनके चुम्मे रुके तो मेरे चालू हो गए और उनके होंठों पे अपने होंठ रगड़ते मैंने अपनी जीभ उनके मुंह में ठेल दी। और वो इस तरह से चूस रहे थे जैसे कुछ ही दिन में उनकी बहिनिया उनका मोटा लंड चूसेगी।
और जब हम लोगों के होंठ थोड़े अलग तो हुए तो उन्होंने वो बात बतायी जो उनके चुम्मो ने पहले ही बता दी थी।
" गुड्डी के घर के लोग मान गए हैं , कल एडमिशन फ़ार्म उसके पास आ जाएगा और वो भर के मेल कर देगी। फिर हम लोगों के साथ ,...,... गुड्डी बहुत खुश है उसके घर के लोग भी "
आगे कुछ बोलने के पहले मैंने उन्हें एक बार फिर से चूमना शुरू कर दिया।
गुड्डी खुश ,वो खुश लेकिन सबसे ज्यादा मैं खुश थी।
मम्मी ने मुझसे कहा था इनके माल को लाने के लिए ,
मंजू बाई और गीता दोनों लार टपका रही थीं इस लॉलीपॉप के लिए ,
कमल जीजू को भी मैंने प्रॉमिस कर दिया , अपने सैंया की छुटकी बहिनिया ,
लेकिन कैसे ,... और अब वो न सिर्फ चलने को तैयार हो गयी है , बल्कि पूरे साल भर हम लोगों के साथ
वो कच्ची कोरी कली ,कच्ची अमिया वाली किशोरी।
लेकिन जेठानी जी ने इन्हे टोका ,
" अरे खाने वाने को भी कुछ लाने वाले थे न तुम , या अपने माल के चक्कर में भूल गए। "
एकदम नहीं भाभी सब लाया हूँ ,और सबसे पहले उन्होंने आम निकाले ,दसहरी ,परफेक्ट राइप और कड़े कड़े
उनकी भाभी ने पकड़कर ,दबाकर चेक किया ,
मतलब तीर निशाने पर लगा ,गुड्डी हमारे साथ चलेगी ,
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और दन दनादन उसकी कसी छोटी सी ओखली में मोटे मोटे मूसल चलेंगे। सब से पहले तो इन्हिका ,
और मैं इन्ही का इंतजार कर रही थी , उनके मुंह से ही पक्की खबर सुनूंगी तो मुझे विश्वास होगा।
लेकिन मम्मी से तो मैंने ये खबर शेयर कर ही दी ,पहले उन्हें टेक्स्ट किया फिर वो स्काइप पे आ गयीं। मुझ से ज्यादा वो खुश वो थी और इस बात से और की मेरी छुटकी ननदिया,हफ्ते दस दिन केलिए नहीं पूरे साल भर के लिए चल रही थी हमारे पास।
बस अब कोई जल्दी नहीं थी ,आराम से धीरे धीरे,... मैंने उन्हें वो सारी फोटुएं भेज दीं जो गुड्डी की मैंने खींची थी।
उसके बाद कुछ फोटो ,कुछ वीडियों को जोड़ घटा के ,... और साथ में मैंने अपनी फेसबुक के साथ गुड्डी की भी स्टेटस अपडेट कर दी।
मुझे विश्वास नहीं हो रहा था ६०० से ऊपर फ्रेंड्स रिक्वेस्ट ,मैंने सबको यस कर दिया। टीनेजर्स की तरह हर घंटे पर तो नहीं लेकिन दिन में चार पांच बार तो मैं भी अपनी फेसबुक स्टेटस अपडेट करती थी।
आलमोस्ट एक घंटे हो गए थे मुझे ऊपर आये और तब मुझे याद आया ये आने ही वाले होंगे।
इनका तो बेसब्री से इन्तजार था ,एक तो लम्बी शॉपिंग लिस्ट और दूसरे गुड्डी की चलने वाली खबर तो पक्की इन्ही से होनी थी।
मैं नीचे पहुंची तो जेठानी जी बरामदे में ही बैठीं थीं। थोड़ी देर हम लोग गप्पे मार रहे थे की दरवाजा खुला और ये आ गए।
मैं बता नहीं सकती थी ,इनके चेहरे पर छलकती ख़ुशी , और इनकी ख़ुशी के अहसास से ही मेरीखुशी दूनी हो जाती थी।
बस इन्होने मुझे कस के बाहों में भींच लिया ,बिना इस बात की परवाह किये की मेरी जेठानी सामने बैठी हैं , वो क्या सोचेंगी ,इत्यादि इत्यादि।
चुम्मे पर चुम्मा , गाल ,होंठ कुछ भी नहीं छोड़ा मेरे बावरे बेताब सैंया ने ,
तो मैं क्यों छोड़ती अपने सोना मोना को ,मेरे गदराये कड़े कड़े उभार भी कस कस के उनकी छाती पर रगड़ने लगे ,
मेरी हथेली उनके खूंटे का हाल जानने के लिए नीचे उनकी जींस के ऊपर तो ,जींस एकदम टाइट, बल्ज खूब तना।
मेरे साजन की खुशी का सबसे बड़ा बैरोमीटर वही था और मेरी हथेली ने जींस के ऊपर से ही रगडन मसलन चालू कर दी.
अंगूठे और तर्जनी के बीच जींस से छलकते उनके सुपाड़े को कस के दबा दिया।
उनका भी एक हाथ मेरे नितम्बो को खुल के दबा रहा था ,मसल रहा था ,ऊँगली सीधे मेरे पिछवाड़े की दरार पे ,
इसी घर में रात भर चिपके रहने के बाद ,दिन में हम दोनों एक दूसरे के पास भी नहीं बैठ पाते थे , एकदम न तुम हमें जानो न हम तुम्हे जाने ,
बस इसलिए की जेठानी जी क्या कहेंगी ,क्या सोचेंगी ,
छोड़िये और अब उन्ही जेठानी जी के सामने ,... मैंने उन पुरानी बातों को धक्का के देके हटाया , छोडो अब तो ये बालक सिर्फ मेरा है।
उनके चुम्मे रुके तो मेरे चालू हो गए और उनके होंठों पे अपने होंठ रगड़ते मैंने अपनी जीभ उनके मुंह में ठेल दी। और वो इस तरह से चूस रहे थे जैसे कुछ ही दिन में उनकी बहिनिया उनका मोटा लंड चूसेगी।
और जब हम लोगों के होंठ थोड़े अलग तो हुए तो उन्होंने वो बात बतायी जो उनके चुम्मो ने पहले ही बता दी थी।
" गुड्डी के घर के लोग मान गए हैं , कल एडमिशन फ़ार्म उसके पास आ जाएगा और वो भर के मेल कर देगी। फिर हम लोगों के साथ ,...,... गुड्डी बहुत खुश है उसके घर के लोग भी "
आगे कुछ बोलने के पहले मैंने उन्हें एक बार फिर से चूमना शुरू कर दिया।
गुड्डी खुश ,वो खुश लेकिन सबसे ज्यादा मैं खुश थी।
मम्मी ने मुझसे कहा था इनके माल को लाने के लिए ,
मंजू बाई और गीता दोनों लार टपका रही थीं इस लॉलीपॉप के लिए ,
कमल जीजू को भी मैंने प्रॉमिस कर दिया , अपने सैंया की छुटकी बहिनिया ,
लेकिन कैसे ,... और अब वो न सिर्फ चलने को तैयार हो गयी है , बल्कि पूरे साल भर हम लोगों के साथ
वो कच्ची कोरी कली ,कच्ची अमिया वाली किशोरी।
लेकिन जेठानी जी ने इन्हे टोका ,
" अरे खाने वाने को भी कुछ लाने वाले थे न तुम , या अपने माल के चक्कर में भूल गए। "
एकदम नहीं भाभी सब लाया हूँ ,और सबसे पहले उन्होंने आम निकाले ,दसहरी ,परफेक्ट राइप और कड़े कड़े
उनकी भाभी ने पकड़कर ,दबाकर चेक किया ,