28-03-2019, 02:11 AM
मैं एकदम चौंक पड़ी। अभी कुछ बोलती ही कि एक हाथ आकर मेरे मुँह पर बैठ गया। कान में कोई फुसफुसाया- जानेमन, मैं हूँ, सुरेश। कितनी देर से तुम्हारा इंतजार कर रहा था।
मैं चुप !
सुरेश, वही स्मार्ट-सा छोरा जो लड़कियों के बहुत आगे पीछे कर रहा था। मैं दम साधे लेटी रही। कमरे के अंधेरे में वह मुझे स्वीटी समझ रहा है।
"मुझे यकीन था कि तुम आओगी। एक एक पल पहाड़ सा बीत रहा था तुम्हारे इंतजार में। तुमने मुझे कितना तड़पाया !"
मेरा कलेजा जोरों से धड़क रहा था। कुछ बोलना चाहती थी मगर बोल नहीं फूट रहे थे। स्वीटी गुपचुप यह किसके साथ चक्कर चला रही है? मुझे तो वह कुछ बताती नहीं थी ! मेरे सामने तो वह बड़ी अबोध और कड़ी बनती थी। इस कमरे में आज उसे सोना था। मगर वह दूल्हे को देखने मंडप चली गई थी। मुझे नींद आ रही थी और रात ज्यादा हो रही थी। इसलिए उसके कमरे में आकर सो गई थी। चादर ढके बिस्तर पर दूसरा कौन सो रहा है देखा नहीं। सोचा कोई होगी। शादी के घर में कौन कहाँ सोएगा निश्चित नहीं रहता। अभी लेटी ही थी कि यह घटना !
"स्वीटी जानेमन, तुम कितनी अच्छी हो जो आ गई।"
उसका हाथ अभी भी मेरा मुँह बंद किए था।
"आइ लव यू।" उसने मेरे कान में मुँह घुसाकर चूम लिया। चुंबन की आवाज सिर से पाँव तक पूरे बदन में गूँज गई। मैं बहरी-सी हो गई। कलेजा इतनी जोर धड़क रहा था कि उछलकर बाहर आ जाएगा। मन हो रहा था अभी ही उसे ठेलकर बाहर निकल जाऊँ। मगर डर और घबराहट के मारे चुपचाप लेटी रही।
वह मेरी चुप्पी को स्वीकृति समझ रहा था। उसका हाथ मेरे मुँह पर से हट गया। उसने अपनी चादर बढ़ाकर मुझे अंदर समेट लिया और अपने बदन से सटा लिया। उसके सीने पर मेरे दिल की घड़कन हथौड़े की तरह बजने लगी।
"बाप रे कितनी जोर से धड़क रहा है।" उसने मानों खुद से ही कहा। मुझे आश्वस्त करने के लिए उसने मुझे और जोर से कस लिया- जानेमन आई लव यू, आई लव यू ! घबराओ मत।
मैं चुप !
सुरेश, वही स्मार्ट-सा छोरा जो लड़कियों के बहुत आगे पीछे कर रहा था। मैं दम साधे लेटी रही। कमरे के अंधेरे में वह मुझे स्वीटी समझ रहा है।
"मुझे यकीन था कि तुम आओगी। एक एक पल पहाड़ सा बीत रहा था तुम्हारे इंतजार में। तुमने मुझे कितना तड़पाया !"
मेरा कलेजा जोरों से धड़क रहा था। कुछ बोलना चाहती थी मगर बोल नहीं फूट रहे थे। स्वीटी गुपचुप यह किसके साथ चक्कर चला रही है? मुझे तो वह कुछ बताती नहीं थी ! मेरे सामने तो वह बड़ी अबोध और कड़ी बनती थी। इस कमरे में आज उसे सोना था। मगर वह दूल्हे को देखने मंडप चली गई थी। मुझे नींद आ रही थी और रात ज्यादा हो रही थी। इसलिए उसके कमरे में आकर सो गई थी। चादर ढके बिस्तर पर दूसरा कौन सो रहा है देखा नहीं। सोचा कोई होगी। शादी के घर में कौन कहाँ सोएगा निश्चित नहीं रहता। अभी लेटी ही थी कि यह घटना !
"स्वीटी जानेमन, तुम कितनी अच्छी हो जो आ गई।"
उसका हाथ अभी भी मेरा मुँह बंद किए था।
"आइ लव यू।" उसने मेरे कान में मुँह घुसाकर चूम लिया। चुंबन की आवाज सिर से पाँव तक पूरे बदन में गूँज गई। मैं बहरी-सी हो गई। कलेजा इतनी जोर धड़क रहा था कि उछलकर बाहर आ जाएगा। मन हो रहा था अभी ही उसे ठेलकर बाहर निकल जाऊँ। मगर डर और घबराहट के मारे चुपचाप लेटी रही।
वह मेरी चुप्पी को स्वीकृति समझ रहा था। उसका हाथ मेरे मुँह पर से हट गया। उसने अपनी चादर बढ़ाकर मुझे अंदर समेट लिया और अपने बदन से सटा लिया। उसके सीने पर मेरे दिल की घड़कन हथौड़े की तरह बजने लगी।
"बाप रे कितनी जोर से धड़क रहा है।" उसने मानों खुद से ही कहा। मुझे आश्वस्त करने के लिए उसने मुझे और जोर से कस लिया- जानेमन आई लव यू, आई लव यू ! घबराओ मत।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.