14-02-2021, 02:36 PM
(This post was last modified: 10-10-2021, 12:02 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
" गुड्डी ,मुझे अपनी ...दो न "
पकौड़े कब के ख़तम हो चुके थे ,बड़ी प्लेट में लम्बी मोटी सुनहली सिन्दूरी रसीली कटी हुयी दसहरी आम की फांके , गुड्डी ने पहले तो मेरी और जेठानी जी की प्लेट में रखा , फिर अपनी प्लेट में ,
तबतक उनकी भौजाई को शरारत सूझी , छेड़ा उन्होंने ,
" दिन में खाने के टाइम गुड्डी से क्या मांग रहे थे , जरा एक बार फिर से बोलो न ,"
वो बिचारे एकदम झेंप गए, और ऊपर से गुड्डी ने और उन्हें चिढ़ाते हुए बोला ,
" हाँ भैया मैंने भी नहीं सुना था ,ठीक से। "
और उन्हें ललचाते हुए रसीले दसहरी की एक फांक अपने गुलाबी रसीले होंठों के बीच दबा लिया।
" हे बोल न , अब तो गुड्डी भी बोल रही है जिससे तूने माँगा था। "
मैंने भी ननद का साथ दिया।
थोड़े झिझके वो लेकिन गुड्डी के साथ अब वो भी ,.... बहुत बोल्ड हो गए थे। और मुस्कराते हुए उन्होंने बोल दिया ,
गुड्डी के होंठों में पकड़ी दबोची आम की लम्बी फांक की टिप अब बस आलमोस्ट उनकेहोंठों को छू रही थी।
" गुड्डी ,मुझे अपनी चूत दो न "
और वो शरीर ,शोख , शरारती मेरी ननद ,... जोर जोर से उसने ना में सर हिलाया और आम की सारी फांक गड़प।
गुड्डी के चेहरे से बदमाशी टपक रही थी।
" हे एक बार मांगो शायद अबकी देने को तैयार हो जाए " मैंने उन्हें उकसाया।
और उधर गुड्डी ने भी आम की फांक अपने मुंह में चुभलाते चूसते ,बंद मुंह से सर ऊपर नीचे हिला के हामी भरी।
और उन्होंने भी ,
" गुड्डी ,प्लीज मुझे अपनी चूत दो न ,... "
और अबकी गुड्डी ने न सिर्फ सर ऊपर नीचे कर के हामी भरी , बल्कि जो फांक वो चूस चुभला रही थी ,एक बार फिर गुड्डी के रसीले होंठो से सरकती सीधे ,इनके होंठों तक ,...होंठों के बीच।
इन्होने गुड्डी का सर पकड़ा इससे पहले गुड्डी ने इनका सर पकड़ा और कस के अपने मुंह की कूची,चूसी खायी फांक सीधे उनके मुंह में ठेल दी।
और साथ में अपनी जीभ भी , गुड्डी के मुख रस में लिथड़ी आम की फांक के साथ वो अब गुड्डी की जीभ भी चूस रहे थे।
दोनों के होंठ अब एक दम लिप लॉक।
और सिर्फ यही नहीं उनके हाथ अब सीधे कच्ची अमिया पर ,
और जेठानी जी बैठी , उन्होंने उठने की कई बार कोशिश की लेकिन मैंने रोक दिया।
जब वो और गुड्डी टेबल पर से प्लेट्स हटा रहे थे तो मैंने जेठानी जी से पूछा ,दी आपका कोई सीरियल तो नहीं आता ,
" नहीं यार आज का एकदम बोरिंग ,कोई अवार्ड का भी प्रोग्राम नहीं। " वो बोर होते बोलीं।
" तो ठीक है ये अभी जाएंगे न गुड्डी को छोड़ने तो बस इनसे मंगा लेते है कोई बढ़िया पिक्चर ,बस बैठ के देखेंगे " मैंने प्लान बताया।
" कौन सी "
" जो आपके देवर चाहें ,और साथ में कुछ खाने का भी उन्हें बोल देंगे ,उन्ही को आराम हो जाएगा ,वरना पिक्चर छोड़ के मैं तो जाउंगी नहीं और न आपको जाने दूंगी। "मैं बोली।
तबतक देवर जेठानी के आ ही गए , और उनको मैंने खाने का आर्डर दे दिया।
" हे ,आप की भौजाई आज कबाब खाना चाहती हैं , बढ़िया वाला। अरे जहाँ आपकी बहनें शाम को सज धज के ग्राहक पटाने बैठती है न वही पे जो ,... "
वो न एक बार में समझते नहीं , कन्फ्यूज बोले
" पर वो तो ,... "
और मैंने बहुत जोर से आँख मारी और उनकी खुली।
" हाँ समझ गया परफेक्ट वेज वाले,बिना लहसुन प्याज के , ... साथ में पराठे भी ले आऊंगा "
उनके पीछे पीछे गुड्डी , और वो दूर से ही बोली ,
" भाभी कपडे " वो जो कपडे पहन के आयी थी वो मांग रही थी।
" पहने तो हो यही पहन के जाओ न ," मैंने चिढ़ाया।
" भाभी ,... " खीज के वो बोली।
पकौड़े कब के ख़तम हो चुके थे ,बड़ी प्लेट में लम्बी मोटी सुनहली सिन्दूरी रसीली कटी हुयी दसहरी आम की फांके , गुड्डी ने पहले तो मेरी और जेठानी जी की प्लेट में रखा , फिर अपनी प्लेट में ,
तबतक उनकी भौजाई को शरारत सूझी , छेड़ा उन्होंने ,
" दिन में खाने के टाइम गुड्डी से क्या मांग रहे थे , जरा एक बार फिर से बोलो न ,"
वो बिचारे एकदम झेंप गए, और ऊपर से गुड्डी ने और उन्हें चिढ़ाते हुए बोला ,
" हाँ भैया मैंने भी नहीं सुना था ,ठीक से। "
और उन्हें ललचाते हुए रसीले दसहरी की एक फांक अपने गुलाबी रसीले होंठों के बीच दबा लिया।
" हे बोल न , अब तो गुड्डी भी बोल रही है जिससे तूने माँगा था। "
मैंने भी ननद का साथ दिया।
थोड़े झिझके वो लेकिन गुड्डी के साथ अब वो भी ,.... बहुत बोल्ड हो गए थे। और मुस्कराते हुए उन्होंने बोल दिया ,
गुड्डी के होंठों में पकड़ी दबोची आम की लम्बी फांक की टिप अब बस आलमोस्ट उनकेहोंठों को छू रही थी।
" गुड्डी ,मुझे अपनी चूत दो न "
और वो शरीर ,शोख , शरारती मेरी ननद ,... जोर जोर से उसने ना में सर हिलाया और आम की सारी फांक गड़प।
गुड्डी के चेहरे से बदमाशी टपक रही थी।
" हे एक बार मांगो शायद अबकी देने को तैयार हो जाए " मैंने उन्हें उकसाया।
और उधर गुड्डी ने भी आम की फांक अपने मुंह में चुभलाते चूसते ,बंद मुंह से सर ऊपर नीचे हिला के हामी भरी।
और उन्होंने भी ,
" गुड्डी ,प्लीज मुझे अपनी चूत दो न ,... "
और अबकी गुड्डी ने न सिर्फ सर ऊपर नीचे कर के हामी भरी , बल्कि जो फांक वो चूस चुभला रही थी ,एक बार फिर गुड्डी के रसीले होंठो से सरकती सीधे ,इनके होंठों तक ,...होंठों के बीच।
इन्होने गुड्डी का सर पकड़ा इससे पहले गुड्डी ने इनका सर पकड़ा और कस के अपने मुंह की कूची,चूसी खायी फांक सीधे उनके मुंह में ठेल दी।
और साथ में अपनी जीभ भी , गुड्डी के मुख रस में लिथड़ी आम की फांक के साथ वो अब गुड्डी की जीभ भी चूस रहे थे।
दोनों के होंठ अब एक दम लिप लॉक।
और सिर्फ यही नहीं उनके हाथ अब सीधे कच्ची अमिया पर ,
और जेठानी जी बैठी , उन्होंने उठने की कई बार कोशिश की लेकिन मैंने रोक दिया।
जब वो और गुड्डी टेबल पर से प्लेट्स हटा रहे थे तो मैंने जेठानी जी से पूछा ,दी आपका कोई सीरियल तो नहीं आता ,
" नहीं यार आज का एकदम बोरिंग ,कोई अवार्ड का भी प्रोग्राम नहीं। " वो बोर होते बोलीं।
" तो ठीक है ये अभी जाएंगे न गुड्डी को छोड़ने तो बस इनसे मंगा लेते है कोई बढ़िया पिक्चर ,बस बैठ के देखेंगे " मैंने प्लान बताया।
" कौन सी "
" जो आपके देवर चाहें ,और साथ में कुछ खाने का भी उन्हें बोल देंगे ,उन्ही को आराम हो जाएगा ,वरना पिक्चर छोड़ के मैं तो जाउंगी नहीं और न आपको जाने दूंगी। "मैं बोली।
तबतक देवर जेठानी के आ ही गए , और उनको मैंने खाने का आर्डर दे दिया।
" हे ,आप की भौजाई आज कबाब खाना चाहती हैं , बढ़िया वाला। अरे जहाँ आपकी बहनें शाम को सज धज के ग्राहक पटाने बैठती है न वही पे जो ,... "
वो न एक बार में समझते नहीं , कन्फ्यूज बोले
" पर वो तो ,... "
और मैंने बहुत जोर से आँख मारी और उनकी खुली।
" हाँ समझ गया परफेक्ट वेज वाले,बिना लहसुन प्याज के , ... साथ में पराठे भी ले आऊंगा "
उनके पीछे पीछे गुड्डी , और वो दूर से ही बोली ,
" भाभी कपडे " वो जो कपडे पहन के आयी थी वो मांग रही थी।
" पहने तो हो यही पहन के जाओ न ," मैंने चिढ़ाया।
" भाभी ,... " खीज के वो बोली।