14-02-2021, 10:19 AM
मैंने मूतने के बाद वापस आ कर दोनों की चुत में से डिल्डो खींचा और गीता की कमर से बेल्ट खोल कर अलग किया. वो दोनों तो अभी भी बेसुध सो रही थीं. मैं बाहर हॉल में आ गया और अपनी सिगरेट जला कर कश लेने लगा.
ज़ब मैं कश लगा रहा था, तो मैं सोच रहा था कि वो सरप्राईज़ वाली बात तो रह ही गयी. फिर मैं थोड़ी देर वहीं सोफ़े पर सो गया. करीब 11 बजे मेरी आंख खुली, तो देखा कि वो दोनों अभी तक सो रही थीं. मुझे अब भूख लग रही थी, तो मैंने किचन में जा कर देखा कि कुछ खाने को मिल जाए. वहां तो पूरी तैयारी थी. खाने का पैकेट रखा था, जो कि बाज़ार से पैक करवा कर लाया गया था. मतलब उन दोनों ने पूरा प्लान कर के रखा था. लेकिन जब मैं पहले काफ़ी बनाने आया था, तब मैंने ये पैकेट नहीं देखा था. खैर मैंने खाना निकाल कर गर्म किया और बाहर मेज़ पर लगा कर उन दोनों को उठाया और कहा- चलो खाना खा लो.
वे दोनों एक साथ बोलीं- चलो अरे हम भूल गए थे, माफ़ करना. अभी बना लेते हैं
मैंने कहा- अब बनो मत, मैंने सब खाना वगैरह के पैकेट खोल कर गर्म कर खाना लगा दिया है. अब तुम दोनों आ कर खा लो.
वाणी बोली- बड़े स्मार्ट हो यार … गर्म भी कर लिया और लगा भी दिया … काश हमारे पति भी ऐसे होते.
फ़िर हम सब ने एक एक पैग बनाया और पैग लगाते हुए खाना खाया. हम सब अभी भी नंगे ही बैठे थे.
खाने के बाद वो दोनों बोलीं- चलो अब सरप्राईज़ की तैयारी करते हैं.
मैं बोला- ये सरप्राईज़ क्या है?
तो वो बोली- बस थोड़ी देर और … चलो पहले बियर पीते हैं.
उन दोनों ने गाउन पहना और जा कर बड़े फ़्रिज़र से कई सारी बियर निकाल कर ले आईं. मैं हैरान था और सोच रहा था कि इनका क्या प्लान है. फ़िर सोचा कि सोचने से कोई फ़ायदा नहीं है, इनके मौसम के साथ चलते चलो.
फ़िर बियर पीने का दौर चालू हो गया, पहली बियर तो आराम से मज़े से शाम के बारे में बात करते हुए पी. उसके बाद सुरूर चढ़ने लगा और वो दोनों एक दूसरे की खिंचाई करने लगीं कि कैसे कुतिया की तरह चुदवा रही थी और कैसे उन दोनों ने एक दूसरे की चुदाई का मज़ा लिया. कैसे एक दूसरे की उन दोनों ने चुदाई करी.
इन सब सेक्सी बातों से माहौल गर्म होने लगा और दूसरी बियर आधी खत्म होते तक तो दोनों पूरे रंग में आ गईं और एक दूसरे का गाउन खींच खींच कर उतार दिया. दोनों एक दूसरी से कुश्ती सी लड़ने लगीं और एक दूसरे की पीठ को जमीन पर लगाने की कोशिश करने लगीं. मैं तो अभी पहली बियर ही पी रहा था और उनकी कुश्ती के मज़े ले रहा था. जो ऊपर आती उसको और उकसा रहा था. फ़िर वो दोनों एक पल के लिए रुकीं और अपनी बियर की बोतल एक झटके में खाली कर दी. इसके बाद फ़िर से मस्ती चालू कर दी.
अब मैं कुछ बोर होने लगा था. मैंने उनसे बोला कि ये क्या यार … केवल ऊपर ऊपर ज़ोर लगा रही हो, नीचे भी तो उंगली करो.
गीता बोली- नहीं फ़िर सरप्राईज़ बेकार हो जाएगा.
अब मेरा दिमाग खराब हो गया कि ये क्या सरप्राईज़ का नाटक लगा रखा है. मैं बोला कि मुझे नींद आ रही है. मैं सोने जा रहा हूँ. जब सरप्राईज़ तैयार हो जाए तो उठा देना.
यह सुनते ही वे दोनों एकदम से उठीं और मेरे ऊपर टूट पड़ीं, बोलीं- अब सुलाते है तुम्हें.
उन दोनों ने मुझे वहीं ज़मीन पर लेटा कर एक ने नयी बियर की बोतल खोली और मेरे शरीर पर डालने लगीं. दूसरी ने वो बियर चाटनी शुरू कर दी. ठन्डी बियर ने मेरी नींद तो उड़ा दी और मेरी ठन्ड के कारण हालत खराब कर दी. लेकिन वो दोनों रुकने का नाम नहीं ले रही थीं और एक के बाद एक कर के चार बियर मेरे ऊपर डाल डाल कर पी गईं.
फ़िर एक बोली कि चलो अपनी अपनी बियर लो और छत पर चलो. हम तीनों नंगे ही छत पर चले गए और फ़िर चियर्स कर के हम सबने दो तीन घूँट में ही बियर खत्म कर दी.
अब वाणी बोली- मैं तो तैयार हूँ, तू तैयार है क्या?
गीता भी बोली- हां, मैं भी तैयार हूँ.
उन दोनों ने मुझे छत के बीच में खड़ा किया और दोनों अलग अलग दिशा में चार चार कदम नाप कर खड़ी हो गईं.
बोलीं कि अब तुम्ह़ारा सरप्राईज़ का टाईम आ गया है.
मैंने दोनों को घूर कर देखा कि मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा. तभी दोनों धनुष जैसे आसन में हो गईं और तेज़ धार से पेशाब करने लगीं. इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाता, दोनों की धार मेरे शरीर से टकराई. मैं हैरान सा देख रहा था … कभी एक को कभी दूसरी को. दोनों में से कोई भी रुकने को तैयार नहीं थी और ज़ोर ज़ोर से हंसे जा रही थीं. मैं भी नशे के सुरूर में था और कुछ हैरानी में था. बस खड़ा खड़ा भीग रहा था.
दोनों का एक साथ जोश खत्म हुआ और वे आ कर मुझ से लिपटते हुए बोलीं- सॉरी लेकिन हमारी ये करने की बहुत इच्छा थी और हमारे पति मानते नहीं थे कि किसी औरत की पेशाब इतनी दूर जा सकती है. इसलिये हमने तुम्हें सरप्राईज़ देने के नाम पर ये किया. हमें माफ़ कर दो.
मैंने दोनों को अपने से चिपका लिया और कहा- यह मेरे लिये एक सरप्राईज़ ही था कि औरत इतनी लम्बी धार मार सकती है. मुझे औरत की इच्छा पूरी करने में बहुत सुकून मिलता है.
दोनों ने मुझे कर कर झप्पी मारी और जोर जोर से चूमने लगीं. फ़िर हम सब नीचे आये और अच्छे बच्चों की तरह नहा कर सो गए.
शायद आप लोग बोर हो गए, लेकिन क्या करूँ असली कहानी है, तो जैसा हुआ वैसा ही लिख रहा हूँ. आप लोगों को पढ़ कर शायद मज़ा नहीं आया होगा, लेकिन सोच कर देखो असलियत में कितना मज़ा आया होगा.
अगले दिन शाम तक कुछ नहीं हुआ. शाम को घर आ कर वाणी के आने से पहले मुझे फ़िर गीता मिली और आज तो कोई शर्म की बात थी नहीं, तो आते ही गेट पर ही उसने मुझे गले लगाया और चूम लिया. मैंने भी बदले में उसे कस कर चिपकाते हुए उसकी गांड दबाते हुए चूम लिया.
मैंने कहा- मैं नहाने जा रहा हूँ … तौलिया तैयार रखना.
मेरी बात पर वो हंसते हुए बोली- तुम चलो … मैं दरवाज़ा बन्द कर के तौलिया ले कर आती हूँ.
मैं अपने कपड़े उतार कर अन्दर नहाने चला गया और अभी मैंने शॉवर चालू ही किया था कि गीता मेरे पीछे आ कर मुझसे चिपक गयी. मैंने मुड़ कर देखा कि वो बिलकुल नंगी थी और उसके हाथ में बियर की दो बोतलें थीं.
मैंने कहा- ये क्या है, नहाना है या पीना है?
तो वो बोली- पीते पीते नहाना है.
मैंने मुस्करा कर उसका मान रखते हुए घूम कर उसे गले लगा लिया और उसके हाथों से बियर की बोतलें ले कर खोल दीं. एक उसे दी और एक मैंने ली और चियर्स करते हुए हम दोनों ने एक लम्बा घूंट ले लिया. ऊपर से शॉवर से पानी गिर रहा था और हम दोनों चिपके हुए बियर पी रहे थे.
मैंने उससे पूछा- ये क्या स्टाइल है?
तो वो बोली- मैं टाइम खराब नहीं करना चाहती क्योंकि मुझे आज घर जाना है, मेरे घर पर कुछ मेहमान आ रहे हैं. फ़िर उसके बाद कब तुमसे मुलाकात हो पता नहीं, इसलिये मैं जल्दी से मूड बनाना चाहती हूँ.
मैं बोला- ऐसा क्या … लो अभी तुम्हारा मूड बना देते हैं.
मैंने एक बड़ा घूंट भरा और उसे किस करने लगा और साथ में अपने मुँह से उसे बियर पिलाने लगा और दूसरे हाथ से उसके चूचे दबाने लगा. उसे भी मज़ा आया और अबकी बार उसने घूंट भरा और मुझे अपने मुँह से पिलाने लगी. साथ ही वे नीचे हाथ करके से मेरे लंड को हिलाने लगी.
अब की बार मैंने बियर उसके चुचे पर डाली और उसे चाटने लगा और उसकी चुची चुसने लगा. दूसरे हाथ से नीचे उसकी चुत में उंगली करने लगा. ठन्डी बियर के कारण उसकी घुन्डियां एकदम टाइट हो गयी थीं, तो मैंने ज़ोर से चूसते हुए उसे हल्का सा काट लिया.
वो एक सीत्कार के साथ मेरे सर को और जोर से दबाने लगी और बोली- हां ऐसे ही जोर से चूसो और काटो … अच्छा लग रहा है.
अब मैं तो ठहरा चुचियों का दीवाना, सो बस शुरू हो गया. एक के बाद दूसरी चूची बदल बदल कर बियर डाल डाल कर चूसने लगा और साथ में नीचे से उंगली करता रहा. गीता आह आह करती रही और बियर पीती रही. एक पल ऐसा आया कि उसका बांध टूट गया और चूत से झरना बह निकला. उसके साथ ही उसकी और मेरी दोनों की बियर भी खत्म हो गयी. उसने मेरा सिर खींच करके अपने सीने से दबा लिया. कुछ दो मिनट के बाद जब उसका झरना रुका, तो उसने मुझे ऊपर कर के मेरे होंठों पर एक जोरदार किस किया.
वो बोली- मज़ा आ गया. मैंने एक बात नोट की है कि एक बार जब औरत अपना पानी छोड़ देती है, उसके बाद उसे सेक्स का असली मज़ा आता है.
मैंने भी उसकी चूची को दबाते हुए उसकी बात का समर्थन किया.
गीता बहुत खुश थी और फ़िर उसने दोनों खाली बोतल एक तरफ़ रख कर वापस शॉवर के नीचे मुझसे आ कर लिपट गयी. हम दोनों की चुम्मा चाटी फिर से शुरू हो गयी.
अब वो नीचे झुकी और मेरे लंड को मुँह में ले कर चूसने लगी. मेरा लंड तो पहले ही खड़ा था, तो उसने 1-2 मिनट उसे चूसा. फिर अपनी एक टांग उठा कर उसने खुद ही मेरा लंड अपनी चुत में घुसा लिया और धक्के मारने लगी.
लेकिन ये आसन औरत के लिये धक्के मारने के लिये आसान नहीं होता. तो उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी टांग के नीचे किया और बोली- तुम करो ना प्लीज़!
उसके बोलने के अन्दाज़ पर मुझे बहुत प्यार आया और मैंने उसे किस करके उसकी टांग पकड़ कर चूत में लंड सैट किया. फिर दूसरे हाथ से उसकी गांड को पकड़ कर धक्के लगाने शुरू कर दिये.
अब वो पूरे ज़ोश में आकर मेरे से लिपट गयी और पूरा साथ देने लगी. फ़िर एकदम से उसने मेरी गर्दन जोर से पकड़ी और दूसरी टांग भी उठा कर मेरी कमर पर लपेट कर मुझे यहां वहां चूमने लगी.
लेकिन अब धक्के ठीक से नहीं लग पा रहे थे … तो मैंने उसकी दूसरी टांग के नीचे से हाथ डाला और दोनों हाथों से उसको गांड से पकड़ कर उसे उठा लिया. उसने भी मुझे सही से पकड़ते हुए पोजीशन सही की और फ़िर हम दोनों ने पूरे ज़ोश से धक्के मारने शुरू कर दिये.
कुछ देर बाद उसने इशारा किया और मैं वही पर टायलेट कमोड सीट पर बैठ गया और उसके बाद उसने जो उछल उछल कर मुझे चोदा कि बस मैं बता नहीं सकता.
फ़िर एक ज़ोरदार चीख के साथ वो झड़ गयी और जब वो झड़ी, तो उसने अपनी चुत को कस लिया और अन्दर ही अन्दर मेरे लंड को मसलने लगी. ये मेरे लिये एक अदभुत अहसास था और मैं भी पिघल गया. उसकी चूत के अन्दर ही मेरा पानी भी निकल गया. जब मेरा पानी निकला तो उसे महसूस करते हुए वो शायद एक बार फ़िर झड़ गयी.
हमारी सांसें ठीक होने के बाद हम उठे और नहाये. फ़िर बाहर आ कर कपड़े पहने और काफ़ी बनाने लगे.
तभी वाणी भी आ गयी और बोली- अरे इतनी देर से आये क्या … अभी तक काफ़ी भी नहीं पी?
हम दोनों मुस्करा दिये और बोले- समय नहीं मिला बनाने का.
वो भी समझ गयी और बोली- ऊ ऊउ हुँ कोई नहीं … गीता जल्दी से काफ़ी पी लो बाहर गाड़ी तुम्हारा इन्तज़ार कर रही है.
फ़िर काफ़ी पीकर गीता जाने लगी और जाते जाते मुझे किस करते हुए बोली- आपसे मिल कर बहुत अच्छा लगा. फ़िर कभी मौका मिला, तो फ़िर जरूर मिलना चाहूँगी.
मैंने भी उसे किस करते हुए बोला- मुझे भी बहुत अच्छा लगा और किस्मत ने मिलाया, तो जरूर मिलेंगे.
उसके जाने के बाद मैं और वाणी बैठ कर उस शाम के बारे में बात करने लगे.
शाम के बारे में बातें करते करते वाणी गरम होने लगी और बोली- इससे पहले कि मैं तुम्हारा जबर चोदन कर दूं, चलो जल्दी से हम कुछ खा कर कुछ पी लें.
मुझे भी उसकी बात सही लगी, वैसे भी इतनी मेहनत करने के बाद मुझे दूसरे दौर के लिए ताकत की जरूरत थी.
खाना गीता बना गयी थी तो हमने थोड़ा सा खाना खाया, फ़िर वाणी दारू की बोतल निकाल लायी और दो पैग बना कर मेरे सामने बैठ गयी. आज उसने साड़ी पहनी हुई थी और अभी कपड़े नहीं बदले थे. हम दोनों नीचे एक दूसरे के सामने बैठे थे.
पहले पैग के खत्म होने तक तो हम आराम से बैठे थे. जब दूसरा पैग शुरू हुआ, तो थोड़ा सुरूर भी होने लगा. मैंने अपना पैर सीधा करके उसकी साड़ी में डाल दिया और पैर के अंगूठे से उसकी चुत को छेड़ने लगा. वाणी भी मस्ती में आने लगी और अपना पैर सीधा करके मेरे लंड पर रख दिया और मेरे लंड को छेड़ने लगी.
एक बात है कि जितना मज़ा पूरे कपड़ों के साथ आता है, उतना मज़ा नंगे हो कर नहीं आता है.
मैंने दूसरे पैर से उसके चुचे दबाने शुरू कर दिये. चुचे से खेलते ही वो एकदम से गरम हो गयी और अपने हाथ से मेरे पैर को पकड़ कर अपने चुचे पर दबाने लगी. मैंने मौके की नज़ाकत को समझते हुए उसे अपनी ओर खींच कर अपनी टांगों के बीच में बैठा लिया. अब उसकी पीठ मेरे सीने से लगी थी और मैं दोनों हाथों से उसके चुचे दबाने लगा.
वाणी सिसकारते हुए कहने लगी- आह … और ज़ोर से दबाओ … आज इनको उखाड़ ही दो.
मैंने अपना एक हाथ उसके ब्लाउज़ में डाला और दूसरा साड़ी के अन्दर डाला और एक साथ चुचे की घुंडी और चुत का दाना मसल दिया. वाणी ज़ोर से ‘आह्हहह..’ करते हुए अपने हाथ पीछे करके मुझे अपनी ओर खींचने लगी. मैंने अपना मुँह नीचे किया और उसके होंठों से लगा दिया.
कुछ देर ऐसे ही मस्ती करने के बाद हम दोनों बहुत गर्म हो गए थे, तो मैंने उसे घुमाया और अपने से चिपका लिया.
मैंने इलास्टिक वाला निक्कर पहना था, वाणी ने निक्कर को पकड़ कर खींच कर उतार दिया. मैंने उसकी साड़ी ऊपर को खिसका दी और वाणी ने और आगे खिसक कर लंड को अपनी चुत में घुसा लिया. मैंने पीछे हाथ ले जाकर उसकी ब्रा का हुक खोल दिया और बिना ब्लाउज़ उतारे उसकी ब्रा निकाल दी.
सच बताऊं दोस्तो … मुझे ऐसे कपड़े पहने हुए और ब्लाउज़ में बिना ब्रा की चुचियों से खेलते हुए सेक्स करने में बहुत मज़ा आता है. मैंने वाणी को थोड़ा पीछे झुकाते हुए एक हाथ उसकी पीठ के पीछे रख दिया, फिर दूसरे हाथ से ब्लाउज़ के ऊपर से ही उसकी चुची को दबाते हुए उसके एक निप्पल को चूसना शुरू कर दिया. मेरे ऐसा करते ही वाणी खुद नीचे से अपनी कमर उठाते हुए लंड पर धक्के मारने लगी और मैं उसकी चुची को चूसता रहा.
वानी अपनी गांड को लंड पर दबाते हुए बोली- आह.. हां ऐसे ही चूसो, खा जाओ.
मैं- हां मेरी जान, आज तो मैं तुम्हारे इन संतरों को खाकर ही दम लूँगा.
वाणी- ज़ोर से चूसो, काटो मेरे निप्पल को.
मैंने जोर से चुची दबाई और निप्पल को और खड़ा करके उसे दांतों से खींचने लगा.
वाणी- आह्हअहह … ऊऊउफ़्फ़ यार … बहुत मज़ा आ रहा है, दूसरी चुची को भी चूसो न.. दबाओ.. आह.. काटो.
मैंने दूसरी चुची को चूसना चालू किया और पहली को दबाता रहा और उसके कड़क हो चुके निप्पल को मसलता भी रहा.
वाणी- आह्ह.. आहहह्ह हाय.. कितना मजा आ रहा हाउ..
वो मस्त होती जा रही थी. लेकिन हम दोनों इस पोजीशन में ज्यादा देर तक चुदाई नहीं कर सकते थे, तो मैंने वाणी को ऊपर खींचा और अपनी गोद में बैठा लिया.
अब इस पोजीशन में वो मेरी गर्दन से लिपट गयी और धक्के मारने लगी. मैंने पीछे रखे सोफ़े का सहारा ले कर अपनी पीठ सोफे पर टिका दी. इस बार मेरे दोनों हाथ खाली थे. मैंने वाणी की दोनों चुचियां पकड़ीं और जोर से दबाने लगा. वाणी और जोर से मेरे लंड पर कूदने लगी.
मैंने उसके ब्लाउज़ के ऊपर के तीन हुक खोले और दोनों चुचियां ऊपर से बाहर निकाल लीं. अब उसके दोनों निप्पल एकदम पास पास थे. मैंने दोनों निप्पलों को एक साथ मुँह में ले लिया और चूसने लगा और काटने लगा.
मेरे इस हमले से वाणी ने जवाब दे दिया और वो मेरे मुँह को कस कर अपनी चुचियों पर दबाते हुए पूरी तेज़ी के साथ धक्के मारने लगी और जल्द ही झड़ गयी.
वाणी- उफ़ यार … आज तो मज़ा आ गया. ये तरीका तो मस्त है. अगर कोई आ जाए, तो बस खड़े हो जाओ और पल्ला ऊपर कर लो, किसी को पता ही नहीं चलेगा और चुदने के मज़ा भी ज्यादा आ जाएगा.
मैं- तुम्हें तो मज़ा आ गया, लेकिन मैं तो अभी बाकी हूँ.
वाणी- तो रोका किसने है, शुरू हो जाओ. ये वाणी की चुत है, कभी थकती नहीं है.
मैंने उससे कहा- चलो और मज़े करते हैं.
उसे उठा कर मैं खिड़की के पास ले गया. खिड़की खोल कर उसे उस पर झुका दिया और पीछे से उसकी साड़ी उठा कर अपना लंड उसकी चुत में घुसा दिया. खिड़की के बाहर लोग आ जा रहे थे, लेकिन हमारी पोजीशन ऐसी थी कि उन्हें केवल वाणी दिख रही थी और फिलहाल उसने अपना पल्ला भी सही कर लिया था.
इस वक्त मैं आराम से उसकी चुत चोद रहा था और वो बाहर का मज़ा ले रही थी. इतने में उसने मुझे पीछे हाथ करके रुकने के लिए बोला, मुझे समझ नहीं आया, पर मैं रुक गया. तभी किसी के बात करने की आवाज़ आने लगी, जिसने मुझे और गर्म कर दिया. मैंने धीरे से हाथ नीचे ले जा कर उसके ब्लाउज़ के सारे हुक खोल दिये और उसकी चुचियो को मसलते हुए उसके निप्पलों को खींचने लगा.
वाणी की आवाज़ लड़खड़ाने लगी, सामने वाले के पूछने पर वो बोली- बस आज थोड़ी तबियत ठीक नहीं है.
मैंने अब अपना लंड उसकी चुत में से निकाला और उसकी गांड में डाल दिया. वाणी एक बार को थोड़ी ऊंची हुई, लेकिन उसे जल्द अन्दाज़ा हो गया कि अगर और ऊंची हुई, तो उसकी चुची के दर्शन सामने वाले को हो जाएंगे. इसलिए वो वापस से झुक गयी.
अब मैंने उसकी दोनों चुचियां पकड़ीं और धक्के मारने लगा. मैं महसूस कर रहा था कि उसे बहुत मज़ा आ रहा है, क्योंकि वो मुझे रोकने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं कर रही थी. मैंने महसूस किया कि ऐसे डर के साथ चुदाई करने में जल्द पानी नहीं निकलता.
कुछ 5 मिनट के बाद वो मेहमान जो खिड़की पर आया था, चला गया. उसके जाते ही वाणी की वाणी मचलने लगी- भैनचोद … इतना गरम कर दिया है कि अब रहा ही नहीं जा रहा है.
बस उसने मुझे वहीं नीचे लिटा दिया और चुदासी सी मेरे ऊपर चढ़ गयी. अब वो तूफ़ानी रफ़्तार से धक्के लगाने लगी.
वाणी- चूस भोसड़ी के चूस.. मेरी चुची, दबा इन्हें … काट मादरचोद … नहीं तो मैं तुझे कच्चा खा जाउंगी.
मैंने भी उसके कहे अनुसार उसकी चुचियों का हलवा बनाना शुरू कर दिया और फ़िर से दोनों निप्पल एक साथ मुँह में ले कर जोर से चूसने लगा.
वाणी- चूस इनको काट ले जोर से आह्हहहह्ह..
वो कुछ देर में ही फ़िर से चरम पर पहुंचने वाली थी, लेकिन इस बार उसने चुत टाइट करके ऐसे धक्के मारे कि मैं भी उसके साथ ही पानी छोड़ने पर मज़बूर हो गया. जब हम दोनों एक साथ झड़े तो बहुत अच्छा लगा और वो वहीं मेरे ऊपर ही ढेर हो गयी.
सांसें थमने के बाद हम दोनों उठे और नहा कर आ गए. नहाने के दौरान भी वहां हमारी चुम्मा चाटी चली, एक दूसरे के अंगों को मसलने का कार्यक्रम चला. फ़िर बाहर आ कर हमने फ़िर थोड़ा खाना खाया और बिस्तर पर लेट कर पैग लगाने लगे.
एक पैग लगाने के बाद मियां बीबी की तरह व़ाला, एक बार फ़िर से सेक्स किया और सो गए.
इस शहर में मेरा काम खत्म हो चुका था तो अगले दिन सुबह मैंने वाणी को बोला कि आज मैं वापस जा रहा हूँ.
यह सुनकर वो बहुत उदास हो गयी.
लेकिन यही जिन्दगी है.
फ़िर हम भरे मन से एक दूसरे से गले मिले और दुबारा मिलने का वायदा करके मैं वापस अपने घर के लिए निकल पड़ा.
EnD
ज़ब मैं कश लगा रहा था, तो मैं सोच रहा था कि वो सरप्राईज़ वाली बात तो रह ही गयी. फिर मैं थोड़ी देर वहीं सोफ़े पर सो गया. करीब 11 बजे मेरी आंख खुली, तो देखा कि वो दोनों अभी तक सो रही थीं. मुझे अब भूख लग रही थी, तो मैंने किचन में जा कर देखा कि कुछ खाने को मिल जाए. वहां तो पूरी तैयारी थी. खाने का पैकेट रखा था, जो कि बाज़ार से पैक करवा कर लाया गया था. मतलब उन दोनों ने पूरा प्लान कर के रखा था. लेकिन जब मैं पहले काफ़ी बनाने आया था, तब मैंने ये पैकेट नहीं देखा था. खैर मैंने खाना निकाल कर गर्म किया और बाहर मेज़ पर लगा कर उन दोनों को उठाया और कहा- चलो खाना खा लो.
वे दोनों एक साथ बोलीं- चलो अरे हम भूल गए थे, माफ़ करना. अभी बना लेते हैं
मैंने कहा- अब बनो मत, मैंने सब खाना वगैरह के पैकेट खोल कर गर्म कर खाना लगा दिया है. अब तुम दोनों आ कर खा लो.
वाणी बोली- बड़े स्मार्ट हो यार … गर्म भी कर लिया और लगा भी दिया … काश हमारे पति भी ऐसे होते.
फ़िर हम सब ने एक एक पैग बनाया और पैग लगाते हुए खाना खाया. हम सब अभी भी नंगे ही बैठे थे.
खाने के बाद वो दोनों बोलीं- चलो अब सरप्राईज़ की तैयारी करते हैं.
मैं बोला- ये सरप्राईज़ क्या है?
तो वो बोली- बस थोड़ी देर और … चलो पहले बियर पीते हैं.
उन दोनों ने गाउन पहना और जा कर बड़े फ़्रिज़र से कई सारी बियर निकाल कर ले आईं. मैं हैरान था और सोच रहा था कि इनका क्या प्लान है. फ़िर सोचा कि सोचने से कोई फ़ायदा नहीं है, इनके मौसम के साथ चलते चलो.
फ़िर बियर पीने का दौर चालू हो गया, पहली बियर तो आराम से मज़े से शाम के बारे में बात करते हुए पी. उसके बाद सुरूर चढ़ने लगा और वो दोनों एक दूसरे की खिंचाई करने लगीं कि कैसे कुतिया की तरह चुदवा रही थी और कैसे उन दोनों ने एक दूसरे की चुदाई का मज़ा लिया. कैसे एक दूसरे की उन दोनों ने चुदाई करी.
इन सब सेक्सी बातों से माहौल गर्म होने लगा और दूसरी बियर आधी खत्म होते तक तो दोनों पूरे रंग में आ गईं और एक दूसरे का गाउन खींच खींच कर उतार दिया. दोनों एक दूसरी से कुश्ती सी लड़ने लगीं और एक दूसरे की पीठ को जमीन पर लगाने की कोशिश करने लगीं. मैं तो अभी पहली बियर ही पी रहा था और उनकी कुश्ती के मज़े ले रहा था. जो ऊपर आती उसको और उकसा रहा था. फ़िर वो दोनों एक पल के लिए रुकीं और अपनी बियर की बोतल एक झटके में खाली कर दी. इसके बाद फ़िर से मस्ती चालू कर दी.
अब मैं कुछ बोर होने लगा था. मैंने उनसे बोला कि ये क्या यार … केवल ऊपर ऊपर ज़ोर लगा रही हो, नीचे भी तो उंगली करो.
गीता बोली- नहीं फ़िर सरप्राईज़ बेकार हो जाएगा.
अब मेरा दिमाग खराब हो गया कि ये क्या सरप्राईज़ का नाटक लगा रखा है. मैं बोला कि मुझे नींद आ रही है. मैं सोने जा रहा हूँ. जब सरप्राईज़ तैयार हो जाए तो उठा देना.
यह सुनते ही वे दोनों एकदम से उठीं और मेरे ऊपर टूट पड़ीं, बोलीं- अब सुलाते है तुम्हें.
उन दोनों ने मुझे वहीं ज़मीन पर लेटा कर एक ने नयी बियर की बोतल खोली और मेरे शरीर पर डालने लगीं. दूसरी ने वो बियर चाटनी शुरू कर दी. ठन्डी बियर ने मेरी नींद तो उड़ा दी और मेरी ठन्ड के कारण हालत खराब कर दी. लेकिन वो दोनों रुकने का नाम नहीं ले रही थीं और एक के बाद एक कर के चार बियर मेरे ऊपर डाल डाल कर पी गईं.
फ़िर एक बोली कि चलो अपनी अपनी बियर लो और छत पर चलो. हम तीनों नंगे ही छत पर चले गए और फ़िर चियर्स कर के हम सबने दो तीन घूँट में ही बियर खत्म कर दी.
अब वाणी बोली- मैं तो तैयार हूँ, तू तैयार है क्या?
गीता भी बोली- हां, मैं भी तैयार हूँ.
उन दोनों ने मुझे छत के बीच में खड़ा किया और दोनों अलग अलग दिशा में चार चार कदम नाप कर खड़ी हो गईं.
बोलीं कि अब तुम्ह़ारा सरप्राईज़ का टाईम आ गया है.
मैंने दोनों को घूर कर देखा कि मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा. तभी दोनों धनुष जैसे आसन में हो गईं और तेज़ धार से पेशाब करने लगीं. इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाता, दोनों की धार मेरे शरीर से टकराई. मैं हैरान सा देख रहा था … कभी एक को कभी दूसरी को. दोनों में से कोई भी रुकने को तैयार नहीं थी और ज़ोर ज़ोर से हंसे जा रही थीं. मैं भी नशे के सुरूर में था और कुछ हैरानी में था. बस खड़ा खड़ा भीग रहा था.
दोनों का एक साथ जोश खत्म हुआ और वे आ कर मुझ से लिपटते हुए बोलीं- सॉरी लेकिन हमारी ये करने की बहुत इच्छा थी और हमारे पति मानते नहीं थे कि किसी औरत की पेशाब इतनी दूर जा सकती है. इसलिये हमने तुम्हें सरप्राईज़ देने के नाम पर ये किया. हमें माफ़ कर दो.
मैंने दोनों को अपने से चिपका लिया और कहा- यह मेरे लिये एक सरप्राईज़ ही था कि औरत इतनी लम्बी धार मार सकती है. मुझे औरत की इच्छा पूरी करने में बहुत सुकून मिलता है.
दोनों ने मुझे कर कर झप्पी मारी और जोर जोर से चूमने लगीं. फ़िर हम सब नीचे आये और अच्छे बच्चों की तरह नहा कर सो गए.
शायद आप लोग बोर हो गए, लेकिन क्या करूँ असली कहानी है, तो जैसा हुआ वैसा ही लिख रहा हूँ. आप लोगों को पढ़ कर शायद मज़ा नहीं आया होगा, लेकिन सोच कर देखो असलियत में कितना मज़ा आया होगा.
अगले दिन शाम तक कुछ नहीं हुआ. शाम को घर आ कर वाणी के आने से पहले मुझे फ़िर गीता मिली और आज तो कोई शर्म की बात थी नहीं, तो आते ही गेट पर ही उसने मुझे गले लगाया और चूम लिया. मैंने भी बदले में उसे कस कर चिपकाते हुए उसकी गांड दबाते हुए चूम लिया.
मैंने कहा- मैं नहाने जा रहा हूँ … तौलिया तैयार रखना.
मेरी बात पर वो हंसते हुए बोली- तुम चलो … मैं दरवाज़ा बन्द कर के तौलिया ले कर आती हूँ.
मैं अपने कपड़े उतार कर अन्दर नहाने चला गया और अभी मैंने शॉवर चालू ही किया था कि गीता मेरे पीछे आ कर मुझसे चिपक गयी. मैंने मुड़ कर देखा कि वो बिलकुल नंगी थी और उसके हाथ में बियर की दो बोतलें थीं.
मैंने कहा- ये क्या है, नहाना है या पीना है?
तो वो बोली- पीते पीते नहाना है.
मैंने मुस्करा कर उसका मान रखते हुए घूम कर उसे गले लगा लिया और उसके हाथों से बियर की बोतलें ले कर खोल दीं. एक उसे दी और एक मैंने ली और चियर्स करते हुए हम दोनों ने एक लम्बा घूंट ले लिया. ऊपर से शॉवर से पानी गिर रहा था और हम दोनों चिपके हुए बियर पी रहे थे.
मैंने उससे पूछा- ये क्या स्टाइल है?
तो वो बोली- मैं टाइम खराब नहीं करना चाहती क्योंकि मुझे आज घर जाना है, मेरे घर पर कुछ मेहमान आ रहे हैं. फ़िर उसके बाद कब तुमसे मुलाकात हो पता नहीं, इसलिये मैं जल्दी से मूड बनाना चाहती हूँ.
मैं बोला- ऐसा क्या … लो अभी तुम्हारा मूड बना देते हैं.
मैंने एक बड़ा घूंट भरा और उसे किस करने लगा और साथ में अपने मुँह से उसे बियर पिलाने लगा और दूसरे हाथ से उसके चूचे दबाने लगा. उसे भी मज़ा आया और अबकी बार उसने घूंट भरा और मुझे अपने मुँह से पिलाने लगी. साथ ही वे नीचे हाथ करके से मेरे लंड को हिलाने लगी.
अब की बार मैंने बियर उसके चुचे पर डाली और उसे चाटने लगा और उसकी चुची चुसने लगा. दूसरे हाथ से नीचे उसकी चुत में उंगली करने लगा. ठन्डी बियर के कारण उसकी घुन्डियां एकदम टाइट हो गयी थीं, तो मैंने ज़ोर से चूसते हुए उसे हल्का सा काट लिया.
वो एक सीत्कार के साथ मेरे सर को और जोर से दबाने लगी और बोली- हां ऐसे ही जोर से चूसो और काटो … अच्छा लग रहा है.
अब मैं तो ठहरा चुचियों का दीवाना, सो बस शुरू हो गया. एक के बाद दूसरी चूची बदल बदल कर बियर डाल डाल कर चूसने लगा और साथ में नीचे से उंगली करता रहा. गीता आह आह करती रही और बियर पीती रही. एक पल ऐसा आया कि उसका बांध टूट गया और चूत से झरना बह निकला. उसके साथ ही उसकी और मेरी दोनों की बियर भी खत्म हो गयी. उसने मेरा सिर खींच करके अपने सीने से दबा लिया. कुछ दो मिनट के बाद जब उसका झरना रुका, तो उसने मुझे ऊपर कर के मेरे होंठों पर एक जोरदार किस किया.
वो बोली- मज़ा आ गया. मैंने एक बात नोट की है कि एक बार जब औरत अपना पानी छोड़ देती है, उसके बाद उसे सेक्स का असली मज़ा आता है.
मैंने भी उसकी चूची को दबाते हुए उसकी बात का समर्थन किया.
गीता बहुत खुश थी और फ़िर उसने दोनों खाली बोतल एक तरफ़ रख कर वापस शॉवर के नीचे मुझसे आ कर लिपट गयी. हम दोनों की चुम्मा चाटी फिर से शुरू हो गयी.
अब वो नीचे झुकी और मेरे लंड को मुँह में ले कर चूसने लगी. मेरा लंड तो पहले ही खड़ा था, तो उसने 1-2 मिनट उसे चूसा. फिर अपनी एक टांग उठा कर उसने खुद ही मेरा लंड अपनी चुत में घुसा लिया और धक्के मारने लगी.
लेकिन ये आसन औरत के लिये धक्के मारने के लिये आसान नहीं होता. तो उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी टांग के नीचे किया और बोली- तुम करो ना प्लीज़!
उसके बोलने के अन्दाज़ पर मुझे बहुत प्यार आया और मैंने उसे किस करके उसकी टांग पकड़ कर चूत में लंड सैट किया. फिर दूसरे हाथ से उसकी गांड को पकड़ कर धक्के लगाने शुरू कर दिये.
अब वो पूरे ज़ोश में आकर मेरे से लिपट गयी और पूरा साथ देने लगी. फ़िर एकदम से उसने मेरी गर्दन जोर से पकड़ी और दूसरी टांग भी उठा कर मेरी कमर पर लपेट कर मुझे यहां वहां चूमने लगी.
लेकिन अब धक्के ठीक से नहीं लग पा रहे थे … तो मैंने उसकी दूसरी टांग के नीचे से हाथ डाला और दोनों हाथों से उसको गांड से पकड़ कर उसे उठा लिया. उसने भी मुझे सही से पकड़ते हुए पोजीशन सही की और फ़िर हम दोनों ने पूरे ज़ोश से धक्के मारने शुरू कर दिये.
कुछ देर बाद उसने इशारा किया और मैं वही पर टायलेट कमोड सीट पर बैठ गया और उसके बाद उसने जो उछल उछल कर मुझे चोदा कि बस मैं बता नहीं सकता.
फ़िर एक ज़ोरदार चीख के साथ वो झड़ गयी और जब वो झड़ी, तो उसने अपनी चुत को कस लिया और अन्दर ही अन्दर मेरे लंड को मसलने लगी. ये मेरे लिये एक अदभुत अहसास था और मैं भी पिघल गया. उसकी चूत के अन्दर ही मेरा पानी भी निकल गया. जब मेरा पानी निकला तो उसे महसूस करते हुए वो शायद एक बार फ़िर झड़ गयी.
हमारी सांसें ठीक होने के बाद हम उठे और नहाये. फ़िर बाहर आ कर कपड़े पहने और काफ़ी बनाने लगे.
तभी वाणी भी आ गयी और बोली- अरे इतनी देर से आये क्या … अभी तक काफ़ी भी नहीं पी?
हम दोनों मुस्करा दिये और बोले- समय नहीं मिला बनाने का.
वो भी समझ गयी और बोली- ऊ ऊउ हुँ कोई नहीं … गीता जल्दी से काफ़ी पी लो बाहर गाड़ी तुम्हारा इन्तज़ार कर रही है.
फ़िर काफ़ी पीकर गीता जाने लगी और जाते जाते मुझे किस करते हुए बोली- आपसे मिल कर बहुत अच्छा लगा. फ़िर कभी मौका मिला, तो फ़िर जरूर मिलना चाहूँगी.
मैंने भी उसे किस करते हुए बोला- मुझे भी बहुत अच्छा लगा और किस्मत ने मिलाया, तो जरूर मिलेंगे.
उसके जाने के बाद मैं और वाणी बैठ कर उस शाम के बारे में बात करने लगे.
शाम के बारे में बातें करते करते वाणी गरम होने लगी और बोली- इससे पहले कि मैं तुम्हारा जबर चोदन कर दूं, चलो जल्दी से हम कुछ खा कर कुछ पी लें.
मुझे भी उसकी बात सही लगी, वैसे भी इतनी मेहनत करने के बाद मुझे दूसरे दौर के लिए ताकत की जरूरत थी.
खाना गीता बना गयी थी तो हमने थोड़ा सा खाना खाया, फ़िर वाणी दारू की बोतल निकाल लायी और दो पैग बना कर मेरे सामने बैठ गयी. आज उसने साड़ी पहनी हुई थी और अभी कपड़े नहीं बदले थे. हम दोनों नीचे एक दूसरे के सामने बैठे थे.
पहले पैग के खत्म होने तक तो हम आराम से बैठे थे. जब दूसरा पैग शुरू हुआ, तो थोड़ा सुरूर भी होने लगा. मैंने अपना पैर सीधा करके उसकी साड़ी में डाल दिया और पैर के अंगूठे से उसकी चुत को छेड़ने लगा. वाणी भी मस्ती में आने लगी और अपना पैर सीधा करके मेरे लंड पर रख दिया और मेरे लंड को छेड़ने लगी.
एक बात है कि जितना मज़ा पूरे कपड़ों के साथ आता है, उतना मज़ा नंगे हो कर नहीं आता है.
मैंने दूसरे पैर से उसके चुचे दबाने शुरू कर दिये. चुचे से खेलते ही वो एकदम से गरम हो गयी और अपने हाथ से मेरे पैर को पकड़ कर अपने चुचे पर दबाने लगी. मैंने मौके की नज़ाकत को समझते हुए उसे अपनी ओर खींच कर अपनी टांगों के बीच में बैठा लिया. अब उसकी पीठ मेरे सीने से लगी थी और मैं दोनों हाथों से उसके चुचे दबाने लगा.
वाणी सिसकारते हुए कहने लगी- आह … और ज़ोर से दबाओ … आज इनको उखाड़ ही दो.
मैंने अपना एक हाथ उसके ब्लाउज़ में डाला और दूसरा साड़ी के अन्दर डाला और एक साथ चुचे की घुंडी और चुत का दाना मसल दिया. वाणी ज़ोर से ‘आह्हहह..’ करते हुए अपने हाथ पीछे करके मुझे अपनी ओर खींचने लगी. मैंने अपना मुँह नीचे किया और उसके होंठों से लगा दिया.
कुछ देर ऐसे ही मस्ती करने के बाद हम दोनों बहुत गर्म हो गए थे, तो मैंने उसे घुमाया और अपने से चिपका लिया.
मैंने इलास्टिक वाला निक्कर पहना था, वाणी ने निक्कर को पकड़ कर खींच कर उतार दिया. मैंने उसकी साड़ी ऊपर को खिसका दी और वाणी ने और आगे खिसक कर लंड को अपनी चुत में घुसा लिया. मैंने पीछे हाथ ले जाकर उसकी ब्रा का हुक खोल दिया और बिना ब्लाउज़ उतारे उसकी ब्रा निकाल दी.
सच बताऊं दोस्तो … मुझे ऐसे कपड़े पहने हुए और ब्लाउज़ में बिना ब्रा की चुचियों से खेलते हुए सेक्स करने में बहुत मज़ा आता है. मैंने वाणी को थोड़ा पीछे झुकाते हुए एक हाथ उसकी पीठ के पीछे रख दिया, फिर दूसरे हाथ से ब्लाउज़ के ऊपर से ही उसकी चुची को दबाते हुए उसके एक निप्पल को चूसना शुरू कर दिया. मेरे ऐसा करते ही वाणी खुद नीचे से अपनी कमर उठाते हुए लंड पर धक्के मारने लगी और मैं उसकी चुची को चूसता रहा.
वानी अपनी गांड को लंड पर दबाते हुए बोली- आह.. हां ऐसे ही चूसो, खा जाओ.
मैं- हां मेरी जान, आज तो मैं तुम्हारे इन संतरों को खाकर ही दम लूँगा.
वाणी- ज़ोर से चूसो, काटो मेरे निप्पल को.
मैंने जोर से चुची दबाई और निप्पल को और खड़ा करके उसे दांतों से खींचने लगा.
वाणी- आह्हअहह … ऊऊउफ़्फ़ यार … बहुत मज़ा आ रहा है, दूसरी चुची को भी चूसो न.. दबाओ.. आह.. काटो.
मैंने दूसरी चुची को चूसना चालू किया और पहली को दबाता रहा और उसके कड़क हो चुके निप्पल को मसलता भी रहा.
वाणी- आह्ह.. आहहह्ह हाय.. कितना मजा आ रहा हाउ..
वो मस्त होती जा रही थी. लेकिन हम दोनों इस पोजीशन में ज्यादा देर तक चुदाई नहीं कर सकते थे, तो मैंने वाणी को ऊपर खींचा और अपनी गोद में बैठा लिया.
अब इस पोजीशन में वो मेरी गर्दन से लिपट गयी और धक्के मारने लगी. मैंने पीछे रखे सोफ़े का सहारा ले कर अपनी पीठ सोफे पर टिका दी. इस बार मेरे दोनों हाथ खाली थे. मैंने वाणी की दोनों चुचियां पकड़ीं और जोर से दबाने लगा. वाणी और जोर से मेरे लंड पर कूदने लगी.
मैंने उसके ब्लाउज़ के ऊपर के तीन हुक खोले और दोनों चुचियां ऊपर से बाहर निकाल लीं. अब उसके दोनों निप्पल एकदम पास पास थे. मैंने दोनों निप्पलों को एक साथ मुँह में ले लिया और चूसने लगा और काटने लगा.
मेरे इस हमले से वाणी ने जवाब दे दिया और वो मेरे मुँह को कस कर अपनी चुचियों पर दबाते हुए पूरी तेज़ी के साथ धक्के मारने लगी और जल्द ही झड़ गयी.
वाणी- उफ़ यार … आज तो मज़ा आ गया. ये तरीका तो मस्त है. अगर कोई आ जाए, तो बस खड़े हो जाओ और पल्ला ऊपर कर लो, किसी को पता ही नहीं चलेगा और चुदने के मज़ा भी ज्यादा आ जाएगा.
मैं- तुम्हें तो मज़ा आ गया, लेकिन मैं तो अभी बाकी हूँ.
वाणी- तो रोका किसने है, शुरू हो जाओ. ये वाणी की चुत है, कभी थकती नहीं है.
मैंने उससे कहा- चलो और मज़े करते हैं.
उसे उठा कर मैं खिड़की के पास ले गया. खिड़की खोल कर उसे उस पर झुका दिया और पीछे से उसकी साड़ी उठा कर अपना लंड उसकी चुत में घुसा दिया. खिड़की के बाहर लोग आ जा रहे थे, लेकिन हमारी पोजीशन ऐसी थी कि उन्हें केवल वाणी दिख रही थी और फिलहाल उसने अपना पल्ला भी सही कर लिया था.
इस वक्त मैं आराम से उसकी चुत चोद रहा था और वो बाहर का मज़ा ले रही थी. इतने में उसने मुझे पीछे हाथ करके रुकने के लिए बोला, मुझे समझ नहीं आया, पर मैं रुक गया. तभी किसी के बात करने की आवाज़ आने लगी, जिसने मुझे और गर्म कर दिया. मैंने धीरे से हाथ नीचे ले जा कर उसके ब्लाउज़ के सारे हुक खोल दिये और उसकी चुचियो को मसलते हुए उसके निप्पलों को खींचने लगा.
वाणी की आवाज़ लड़खड़ाने लगी, सामने वाले के पूछने पर वो बोली- बस आज थोड़ी तबियत ठीक नहीं है.
मैंने अब अपना लंड उसकी चुत में से निकाला और उसकी गांड में डाल दिया. वाणी एक बार को थोड़ी ऊंची हुई, लेकिन उसे जल्द अन्दाज़ा हो गया कि अगर और ऊंची हुई, तो उसकी चुची के दर्शन सामने वाले को हो जाएंगे. इसलिए वो वापस से झुक गयी.
अब मैंने उसकी दोनों चुचियां पकड़ीं और धक्के मारने लगा. मैं महसूस कर रहा था कि उसे बहुत मज़ा आ रहा है, क्योंकि वो मुझे रोकने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं कर रही थी. मैंने महसूस किया कि ऐसे डर के साथ चुदाई करने में जल्द पानी नहीं निकलता.
कुछ 5 मिनट के बाद वो मेहमान जो खिड़की पर आया था, चला गया. उसके जाते ही वाणी की वाणी मचलने लगी- भैनचोद … इतना गरम कर दिया है कि अब रहा ही नहीं जा रहा है.
बस उसने मुझे वहीं नीचे लिटा दिया और चुदासी सी मेरे ऊपर चढ़ गयी. अब वो तूफ़ानी रफ़्तार से धक्के लगाने लगी.
वाणी- चूस भोसड़ी के चूस.. मेरी चुची, दबा इन्हें … काट मादरचोद … नहीं तो मैं तुझे कच्चा खा जाउंगी.
मैंने भी उसके कहे अनुसार उसकी चुचियों का हलवा बनाना शुरू कर दिया और फ़िर से दोनों निप्पल एक साथ मुँह में ले कर जोर से चूसने लगा.
वाणी- चूस इनको काट ले जोर से आह्हहहह्ह..
वो कुछ देर में ही फ़िर से चरम पर पहुंचने वाली थी, लेकिन इस बार उसने चुत टाइट करके ऐसे धक्के मारे कि मैं भी उसके साथ ही पानी छोड़ने पर मज़बूर हो गया. जब हम दोनों एक साथ झड़े तो बहुत अच्छा लगा और वो वहीं मेरे ऊपर ही ढेर हो गयी.
सांसें थमने के बाद हम दोनों उठे और नहा कर आ गए. नहाने के दौरान भी वहां हमारी चुम्मा चाटी चली, एक दूसरे के अंगों को मसलने का कार्यक्रम चला. फ़िर बाहर आ कर हमने फ़िर थोड़ा खाना खाया और बिस्तर पर लेट कर पैग लगाने लगे.
एक पैग लगाने के बाद मियां बीबी की तरह व़ाला, एक बार फ़िर से सेक्स किया और सो गए.
इस शहर में मेरा काम खत्म हो चुका था तो अगले दिन सुबह मैंने वाणी को बोला कि आज मैं वापस जा रहा हूँ.
यह सुनकर वो बहुत उदास हो गयी.
लेकिन यही जिन्दगी है.
फ़िर हम भरे मन से एक दूसरे से गले मिले और दुबारा मिलने का वायदा करके मैं वापस अपने घर के लिए निकल पड़ा.
EnD