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Adultery My best HOT Story's
#16
मैं चौंक गया कि ये क्या चीज़ है … पल पल में रंग बदल रही है. मैंने एक हल्का सा नीचे से धक्का मारा और कहा- जा अपनी चाय यहीं ले आ.
वो बोली- क्यों?
मैंने कहा- चाय में दूध कम है … ताज़ा दूध डाल कर पीने में मज़ा आएगा.
वो बोली- अभी ताज़ा दूध नहीं आता.
मतलब वो भी पूरी गुरु थी.

मैंने कहा- फिर कब आता है?
तो बोली- अभी आने में बहुत टाइम है.
मैंने भी कहा- कभी कोशिश करी?
तो बोली- बहुत बार.
अब मैं समझ गया था कि ये अपने दूध के बारे में ही बोल रही है.
तो मैंने कहा- मैं भी आज कोशिश कर के देख लेता हूँ.

वो हंसने लगी और बोली- फिर थक जाओगे और फिर रात को कुछ खा नहीं पाओगे.
मैंने कहा- तू पहले चाय तो ले आ.

अब तक मैं कपड़े पहन चुका था तो वो जोर से सांस लेते हुए बोली- लोग केवल बोलते रहते हैं और कपड़े पहन कर कमरे में बैठे रहते हैं.
यह बोल कर हंसती हुई भाग गयी.
मैंने कोई जल्दबाज़ी नहीं की और आराम से चाय पी और फिर वहीं पलंग पर लेट गया.

थोड़ी देर में वो आयी और बोली- क्या हुआ .. दूध नहीं निकालना?
मैंने कहा- अभी थोड़ा थका हुआ हूँ. कुछ देर आराम कर लूँ, फिर देखते हैं.
वो बोली- फिर तो मेमसाब आ जाएंगी फिर मेरी तरफ़ थोड़ा देखोगे?
मतलब उसे भी नीचे आग लगी हुई थी.

मैंने कहा- फिर पहले मेरी थोड़ी मालिश कर दे.
वो बोली- ठीक है.
वो भाग कर तेल ले कर आ गयी. मैंने निक्कर और टी-शर्ट पहनी थी.
वो बोली- इनको उतार दो … नहीं तो तेल लग जाएगा.
मैंने कहा- खुद उतार दे.

उसने एक झटके में मेरा निक्कर निकाल दिया और दूसरे झटके में टी-शर्ट उतार दी.
मैंने कहा- बहुत जल्दी है?
तो बोली- हां है तो.
मैंने कहा- अपने कपड़े निकाल दे … नहीं तो ये तेल में खराब हो जाएंगे.
वो बोली- मेरे कपड़ों की इतनी चिन्ता है तो खुद निकाल दो न.
मैंने कहा- मुझे क्यों चिन्ता होती, मत उतार.
मैं लेट गया.

वो बोली- बहुत गन्दे आदमी हो … पता नहीं मेमसाब ने क्या देखा और घर ले आयीं.
फिर उसने अपना लहंगा निकाल कर मेरे सामने ही एक पतली सी चुन्नी बाँध ली और मुझसे थोड़ा गुस्से में बोली- पीठ ऊपर कर के लेट जाओ.
मैं कन्धे और घुटनों पर हो गया तो वो जोर से हंसी और बोली- ये मेरी पोजीशन है … मुझे आती है, तुम आदमी की तरह लेट जाओ.
मैंने कहा- बहुत मज़ाक हो गया.

मैं एकदम से पलटा और उसे बांहों में लेकर अपने नीचे लिटा लिया. अब मैं बोला- बहुत देर हो गयी दोअर्थी बात करते हुए … अब बता कौन सी पोजीशन पसन्द है.
वो बोली- छोड़ो मुझे … वरना मैं चिल्ला दूँगी.
मैंने कहा- कोई बात नहीं … लोगों को देखने दे कि तू इतनी पतली चुन्नी बाँध कर मेरे कमरे में क्या करने आयी थी.
वो खुल कर बोली- गांड मराने आयी थी … पर बोल दूंगी कि इनका खड़ा ही नहीं होता है.
मैंने कहा- साली, एक बार नीचे हाथ कर के देख ले, कहीं तेरी बात झूठी न हो जाए.
उसने हाथ नीचे किया और बोली- अरे बाप रे … इत्ता बड़ा!

उसने दूसरे हाथ से मेरी गर्दन पकड़ कर होंठों से होंठ चिपका दिए. वो एक तरफ़ ज़ोर से होंठ चूस रही थी और दूसरी तरफ़ मेरे लंड को पकड़ कर दबा रही थी.
मैं भी कहां पीछे रहने वाला था, मैं उसके कुर्ते के अन्दर हाथ डाल कर उसकी चुच्ची जोर के मसलने लगा. चुच्ची मसलते ही उसने होंठ छोड़े बिना अपनी कमर का धनुषबाण बना दिया. मैं तो नंगा था ही.. और उसकी चुन्नी बहुत छोटी और हल्की सी थी. मैंने एक हाथ से उसे खोल कर निकाल दिया. उसके कुर्ते को खोलने के लिए पीछे से चैन थी, वो भी मैंने खींच कर खोल दी.

लेकिन उसने मेरे होंठ और लंड को नहीं छोड़ा. चैन खुलने के बाद मैंने उसका कुर्ता ऊपर कर दिया और दोनों चुच्चियों को कस कस कर दबाने लगा.

वो अब मेरे लंड को अपनी चूत पर घिसने लगी. फिर उसने सांस लेने के लिए मेरे होंठ छोड़े, तो मैंने फौरन उसकी एक चूची को चूसना शुरू कर दिया.
वो बोली- और जोर से चूसो और काटो मेरे निप्पल को.
उसने मेरे सर को अपनी चुच्चियों पर जोर से दबा दिया. उसकी चुचियां ज्यादा बड़ी तो नहीं थीं, पर छोटी भी नहीं थीं. शायद 32C की रही होंगी.. लेकिन एकदम मुलायम रुई जैसी और एकदम खड़ी हुई चूचियां थीं.

मैंने जोर जोर से चूसना और निप्पल को काटना शुरू कर दिया. वो जोर जोर से यस यस यस.. करने लगी और मेरे लंड को अपनी चुत पर और तेज़ी से रगड़ने लगी.

कोई 5-6 मिनट के इस खेल के बाद मैंने उसे अपने ऊपर ले लिया. उसकी चुत अपने मुँह पर रख ली और जोर से चूसने लगा. मैंने देखा कि उसका दाना करीब एक इन्च का था. मुझे बड़े दाने को चूसने में बहुत मज़ा आता है. उसका बड़ा सा दाना मैंने मुँह में लिया और जोर से खींचते हुए चूसना शुरू कर दिया. मैं दोनों हाथों से उसकी चुचियां भी दबा रहा था. उसे तो उसे … मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा था.

फिर मैंने उसकी चुत में अपनी ज़ीभ डाल दी और नाक से उसका दाना रगड़ते हुए उसकी चुत को ज़ीभ से चोदने लगा. वो आह आह आह आह करने लगी. फ़िर वो एकदम से पलटी और मेरे ऊपर उल्टी हो कर 69 में लेट गयी. अब वो अपनी चुत मेरे मुँह पर ऐसे मारने लगी, जैसे वो मेरे मुँह को चोद रही हो.



दूसरी तरफ़ वो मेरे लौड़े को मुँह में लेकर चूसने लगी. वो पूरा लौड़ा मुँह में गले तक लेती और धक्के मारती हुई अन्दर तक लंड ले लेती. आज तक मुझे कोई मुँह से झड़ा नहीं सका है.. लेकिन मुझे लगा आज ये तो मेरा पानी मुँह से निकाल ही देगी.

फ़िर मैंने उस तरफ़ ध्यान न देते हुए उसकी चुत पर ध्यान लगाया और मैं भी और जोर से चूसने और उसके दाने को काटने लगा. मेरी उम्मीद के उलट, जब मैं उसके दाने को काटता, वो लंड को छोड़ कर चिल्लाने की जगह और अन्दर लेने की कोशिश करती, जैसे मेरे टट्टों को भी खा जाएगी.

खैर कुछ 3-4 मिनट के बाद वो उठी और बोली- अब मैं अपनी पोजीशन में आती हूँ.
मैंने भी कहा- ठीक है आजा.

मैंने उसे पलंग के किनारे पर कंधों और घुटनों पर कर दिया और मैं नीचे खड़ा हो कर उसकी चुदाई करने लगा. वो भी जबरदस्त स्टेमिना वाली थी, अभी तक झड़ी नहीं थी और मेरे हर धक्के पर अपनी गांड पीछे करके मेरा पूरा साथ दे रही थी.

इतने में उसके मोबाइल पर अलार्म बजा या घन्टी.. पता नहीं क्या था. वो बोली जल्दी जल्दी करो.. अपने पास अब ज्यादा समय नहीं है.
मैं कुछ समझा नहीं, पर मैंने अपनी गति बढ़ा दी और उसकी दोनों चुचियों को पकड़ कर पीछे से जोरदार धक्के मारने लगा.
एक मिनट बाद मैंने उससे बोला- मेरा होने वाला है.
वो बोली- अन्दर ही गिरा दो … मैं भी होने वाली हूँ.
मैंने कहा- बच्चा रुक गया तो?
वो बोली- बच्चा नहीं रुकेगा … मैं गर्भनिरोधक गोली ले लूंगी.

बस फ़िर क्या था, मैंने और 10-15 धक्के मारे और उसके अन्दर ही पानी छोड़ दिया. मेरे साथ साथ उसने भी पानी छोड़ दिया. झड़ने के बाद जैसे जैसे वो आगे पलंग पर लेटती गयी, मैं उसके ऊपर लेट गया और फ़िर साइड में लुढ़क गया.

वो घूमी और मेरे सीने में सर छुपा कर मुझसे लिपट गयी और मेरे सीने पर पप्पियां करने लगी. मैंने भी उसके सर पर पप्पी करते हुए उसे अपने से चिपका लिया.
कुछ 5 मिनट बाद वो बोली- चलो उठो … मेमसाब आने वाली हैं.
मैंने कहा- तुझे कैसे पता?

तो उसने जो बोला … मैं सुनकर हैरान हो गया.
वो बोली- वो घन्टी मेमसाब के फोन की थी कि वो 15 मिनट में पहुँच जाएंगी.
मैंने कहा- मतलब?
तो वो बोली- मेमसाब ने बोला था कि मेरे आने तक साब की अच्छी से सेवा करना … उन्हें मेरी कमी नहीं महसूस होनी चाहिये.
मेरे ‘मतलब …?’ पूछने पर मेमसाब बोलीं- इतनी बड़ी हो गयी शादी हो गयी तेरी … तुझे पता नहीं कि मर्द को कैसे खुश रखते हैं.

तो मैंने पूछा- तूने ऐतराज़ नहीं किया?
वो बोली- मेरा शादी से पहले ऐसे घर से बाहर किसी से चुदवाने का बहुत मन था पर कभी मौका नहीं मिला, आज मिला तो क्यों छोड़ती और एक तुम हो कि कुछ कर ही नहीं रहे थे. तौलिया मैंने छुपाया था. मेमसाब तो गुसलखाने में रख कर गयी थीं.

मैं उसको देखे जा रहा था.
वो बोली- मैं तो सुबह से प्लान कर रही थीं, जब से मेमसाब का फोन आया था.
मैं दंग था.
फ़िर वो बोली- अभी तो आपके लिए और भी सरप्राइज़ है … देखते रहो.

मैंने उससे पूछा पर वो इठलाती हुई वहां से अपने कपड़े ले कर दूसरे कमरे में भाग गयी. उसने दरवाज़ा अन्दर से बन्द कर लिया. मैंने भी सोचा चलो छोड़ो, अभी थोड़ी देर में पता चल जाएगा. तब तक मैं भी फ़िर से फ़्रेश हो कर तैयार हो जाता हूँ.

जब मैं तैयार होकर हॉल में पहुँचा तो देखा कि वाणी (मेरी मित्र) और वो कामवाली सोफ़े पर बैठ कर हंस कर बातें कर रही थीं. मुझे कुछ अज़ीब सा लगा, लेकिन मैंने कुछ नहीं बोला और वाणी की तरफ़ बढ़ा, तो वो एकदम से खड़ी हो गयी और मेरे से गले मिली. उसने मेरे होंठों पर पप्पी की.

मैं दुबारा चौंक गया कि ऐसे कैसे वो किसी के सामने मुझे चुम्मी कर सकती है.
खैर मैंने भी उसे किस किया और उसके हाल-चाल पूछे.
वो बोली- बहुत अच्छे … और तुम्हारे भी अच्छे हैं, ये मुझे गीता (कामवाली) ने बता दिया है.
वो दोनों एक दूसरे को देखकर मुस्कराने लगीं.

फिर हम तीनों दिन भर की बातें करने लगे.
मैं बोला- चलो एक एक काफ़ी हो जाये.
गीता बोली- ठीक है, मैं बना कर लाती हूँ.
लेकिन मैंने उसे रोक कर कहा- तुम बैठो, मैं बना कर लाता हूँ. तुम्हारे हाथ की तो मैंने पी ली, अब तुम मेरे हाथ की पी कर देखो.
तो वाणी बोली- वाह क्या बात है … इस पर इतनी जल्दी इतना प्यार आ रहा है.
मैंने तुक्का मारते हुए बोला- इस प्यार के बारे में तो इसने बता ही दिया होगा.

मैं मुस्कराते हुए रसोई में चला गया. रसोई हॉल के साथ ही थी, तो जो बातें वो दोनों करतीं, वे मुझे सुनाई दे रही थीं. लेकिन मुझे कन्नड़ नहीं आती थी और वो दोनों कन्नड़ में बातें करने में लगी थीं. लेकिन मैं इतना तो समझ गया कि वो मेरे प्यार वाली बात के बारे में ही बातें कर रही थीं.

कुछ देर में मैं काफ़ी बना कर ले आया और हम तीनों काफ़ी पीने लगे. हम सब चुपचाप काफ़ी पी रहे थे, तो मैं बोला- क्या हुआ … अच्छी नहीं बनी क्या? कोई कुछ बोल नहीं रहा है.
वे दोनों एक साथ बोल पड़ीं- नहीं बहुत अच्छी है … मैं कुछ सोच रही थी.
मैंने कहा- क्या बात है … दोनों ने पूरी बात एक एक शब्द सेम टू सेम बोला. क्या कोई स्क्रिप्ट पढ़ रही हो.
तो दोनों एक दूसरे को देख कर हंसने लगीं और बोलीं- नहीं ऐसी कोई बात नहीं है.

फ़िर मैंने बात बदलते हुए कहा- अच्छा अब सच कौन बताएगा?
तो फ़िर से दोनों ने साथ में बोला- कौन सा?
मैंने कहा कि आप दोनों का क्या प्लान है?
और वाणी से बोला कि गीता कौन है.
पहले दोनों मुस्कराई, फिर वाणी बोली- बताया तो था कि मेरी कामवाली है.

मैंने उसे टोकते हुए बोला- यार अब मैं सच की बात कर रहा हूँ और तुम वही पुरानी बात बता रही हो. कुछ नया बताओ. देखो ये तो मैं पक्का हूँ कि ये कामवाली से बढ़ कर है.
फ़िर वाणी ने भी बात ना खींचते हुए बताया- तुम सही बोल रहे हो, यह मेरी सहेली है और इसके और मेरे पति दोनों साथ में काम करते हैं इस वक्त दोनों साथ में टूर पर गये हैं. अकसर दोनों में से एक ही जाता है. और फ़िर हम तीनों साथ में रहते हैं और मज़े करते हैं. लेकिन इस बार वो दोनों एक साथ चले गये हैं. लेकिन फ़िर भी हम तीनों साथ में हैं.
मैंने कहा- तीनों कौन?
वो बोली- हम दोनों और तुम.
फ़िर हम तीनों हंस पड़े.

मैंने कहा- ओह … तो यह सरप्राइज़ है शाम का!
गीता बोली- नहीं … वो तो अभी बाकी है.
मैंने कहा- अब शाम तो हो गयी; कब बताओगी सरप्राइज़?
तो फ़िर से दोनों बोली- पहले काफ़ी तो पी लें.

खैर काफ़ी खत्म करके वाणी बोली- चलो मैं तो नहाने जा रही हूँ … तुम दोनों का क्या प्लान है देख लो.
मैंने कहा- कहो तो मैं नहला दूं?
तो वाणी बोली- नेकी और पूछ पूछ … चलो.
गीता बोली- नहाना तो मुझे भी है और तुम तो नहा लिये हो. क्यों तौलिया नहीं याद है.
मैंने कहा- रुक साली माँ की लौड़ी … तुझे तो मैं बताता हूँ.

मैं उसे पकड़ने के लिये उसकी तरफ़ बढ़ा तो वाणी बोली- रुको, इसने तुम्हें नहाने के बाद नंगा घुमाया था ना … तुम भी ऐसा ही करना, मत देना इसे तौलिया.
मैंने एकदम से कहा- मतलब ये सब तुम दोनों का मिला-जुला प्लान था. चलो अब तुम दोनों नहाने जाओ और मैं तुम्हें तुम्हारे कपड़े देता हूँ.
इस पर गीता बोली- अरे वाह … जब वाणी जा रही थी तो उसे नहलाने जा रहे थे. अब मैं भी नहाने जा रही हूँ, तो तुम आना ही नहीं चाहते. मुझमें क्या कांटे लगे हैं?
मैंने कहा- तुम चलो तो सही, मैं तुम दोनों के लिये कपड़े निकाल कर आता हूँ.
वाणी बोली- जल्दी आना … नहीं तो सरप्राइज़ मिस कर दोगे.

मैं सोचने लगा कि यह सरप्राइज़ की क्या कहानी है, अब तो और भी जल्द पता लग जाएगी. मैं उनके गुसलखाने में घुसते ही अपने कपड़े उतार कर भी अन्दर घुस गया.
तो वो दोनों बोलीं- इतनी जल्दी कपड़े निकाल लाये?
मैंने भी कहा- हां.

उन दोनों ने भी कपड़े उतारे और कहने लगीं- अगर सरप्राइज़ चाहिये तो एक बार आंखें बन्द करो … और जब हम बोलें तभी खोलना.

अपनी आंखें मैंने बन्द कर लीं, एक मिनट के बाद मुझे शॉवर चलने की आवाज़ आयी और तभी उन दोनों ने बोला- अब खोल लो आखें!
मैंने आंखें खोली तो देखा दोनों एक दूसरी के ऊपर 69 की पोजीशन में थीं और एक दूसरी की चुत चूस रही थीं.
तब मैंने कहा- वाह … तो मेरी तो यहां जरूरत ही नहीं है.

तो गीता बोली- तुम्हें क्या कोई छेद खाली नहीं दिख रहा है?

मैं चौंक गया … मतलब वो खुले शब्दों में मुझे अपनी गांड मारने का बोल रही थी. लेकिन मैंने भी सीधे गांड में लंड ना डाल कर उस पर पहले शैम्पू डाला और उसकी पीठ पर मालिश करने लगा. मालिश करते करते मैं बीच में उसकी गांड में उंगली कर देता, तो वो अपनी चुत वाणी के मुँह पर दबा देती.

इसी समय वाणी ने खेल खेल दिया. जैसे ही वो गांड नीचे करके चुत उसके मुँह पर दबाती, वो उसकी चुत पर जोर से काट लेती और जैसे ही गीता वापस गांड ऊपर करती, मेरी उंगली और अन्दर हो जाती.

खैर उस पोजीशन में गांड मारना तो आसान नहीं था, तो मैंने ऐसे ही उंगली से ही उसे मज़ा दिया. करीब 5 मिनट बाद दोनों का जब पानी निकल गया, तो वो दोनों उठ गईं और मेरे आगे पीछे चिपक गईं. गीता पीछे आयी और वाणी आगे.

अब हम तीनों एक दूसरे के अंगों को मसलने लगे. इतने में गीता ने शैम्पू की बोतल खोली और हम दोनों के ऊपर बहुत सारा शैम्पू डाल दिया. इससे एक फ़ायदा हुआ, अब हमें अंग मसलने में ज्यादा मज़ा आ रहा था. मैं जैसे ही वाणी की चुचियां दबाता, वो फ़िसल कर बाहर निकलने की कोशिश करतीं और जैसे ही हम एक दूसरे को कस कर गले लगाते और दबाते, तो पुच पुच की आवाज़ आती.

फ़िर मैंने वाणी के कान में कहा कि इस गीता को बीच में लेकर कसके मसलते हैं.
वो फ़ौरन मान गयी और वो मेरी तरफ़ पीठ करके घुम गयी. उसने गीता को खींच कर अपने सामने से चिपका लिया. और एक दूसरे को लिप किस करने लगीं. मेरे हाथ दोनों के बीच में थे. अब मैंने एक हाथ से वाणी की एक चुची पकड़ ली और दूसरे से गीता की. गीता की चुचियां बहुत मस्त थीं और अब तक के खेल में उसकी निप्पल भी टाइट हो गये थे.

मैं घूम कर गीता के पीछे आ गया और उसकी दोनों चुचियां दबाते हुए उसकी गर्दन पर किस करने लगा. वो कुछ तो पहले ही गरम थी, फिर गर्दन पर किस करने से और गरम हो गयी और मेरा लंड पकड़ कर अपने चूतड़ों में घिसने लगी.
वाणी को यह समझ आ गया क्योंकि उन दोनों की चुम्मी टूट गयी थी. तो वो नीचे बैठ गयी और गीता की चुत में उंगली करने लगी. अब तो गीता और ज्यादा बिफ़रने लगी और अपनी गांड आगे पीछे करने लगी.

मैंने भी सही समय देखते हुए अपना लंड उसकी गांड में डाल दिया. जैसे ही लंड अन्दर गया, उसने उम्म्ह… अहह… हय… याह… करते हुए एक लम्बी सांस ली और बोली- यस यस चोदो मुझे… आह दोनों मिल कर चोदो.

उसके इतना कहते ही वाणी उठी और वहीं लगी अलमारी में से एक डिल्डो वाली बेल्ट निकाल कर पहन ली. उस बेल्ट में दोनों तरफ़ से डिल्डो था. एक सिरा उसने अपनी चुत में डाल लिया और दूसरा सामने आकर गीता की चुत में डाल दिया.
गीता की आंखें अभी तक बन्द थीं और वो गांड मराने के मज़े ले रही थी. अचानक से चिल्लाई और बोली- साली कुतिया बोल कर नहीं डाल सकती थी. मैंने आज तक आगे पीछे एक साथ नहीं लिया. हाय मम्मी मैं मर गयी … इस कुतिया ने मुझे कहीं का नहीं छोड़ा.

लेकिन ना तो वाणी ने धक्के मारने बन्द किये, ना मैंने. दो मिनट में ही गीता को मज़ा आने लगा. वो बोली- चोद कुतिया जोर से चोद … तेरे खसम ने चोदना नहीं सिखाया क्या.. साली चोद नहीं तो मैं तेरी गांड में दोनों तरफ़ का डिल्डो डाल दूँगी.

गीता जोर जोर से खुद आगे पीछे होने लगी और चिल्लाने लगी- आह आह हा हा हा इस्स्स्स माँ बचा ले … मुझे इन चोदुओं से.
बस 2-3 मिनट में ‘मैं गयी गयी.. जोर से चोदओ.. ओ.. हाय हाय..’ करते हुए वो थम गयी और वाणी से लिपट गयी.
गीता बोली- मेरी जान.. कुतिया तूने मेरा बैन्ड बजा दिया… लेकिन मज़ा बहुत आया.. चल अब तेरी बारी है.

डिल्डो अभी भी उसकी चुत में था और मेरा लंड गांड में फंसा था. मैं बोला- देर किस बात की है.. चोद साली को.
मुझे तो मज़ा इस बात में आ रहा था कि मुझे केवल खड़े रहना था, बाकी का काम तो वो दोनों ही कर रही थीं.
यह बात गीता भी समझ गयी कि मैं उसे चोदने के लिये क्यों बोल रहा हूँ.
वो बोली- हां तुम तो बारात में आये हो … भैन्चोद खड़े खड़े मज़े ले लो.

मैंने उसकी गर्दन को पकड़ा. उसे पीछे खींच कर उसके होंठों को चूसने लगा और बोला कि चल अब तेरी बारात निकालता हूँ साली.
मैंने उसके चुचे पकड़ कर उसे वाणी से अलग किया. उसे दीवार के साथ झुका दिया और उसकी गांड मारने लगा और उसके चुचों का हलवा बनाने लगा.
बस दो मिनट में वाणी बोली- मेरे बारे में भी सोचो … इस कुतिया को तो ऐसे ही मज़ा आता है इसलिये ये हमारे मर्दों को उकसाती है और हर बार मैं ही सूखी रह जाती हूँ.
मैंने कहा- तुम चिन्ता मत करो, तुम दुखी नहीं रहोगी.. तुम बस इसकी चुत में उंगली करो और इसके दाने को दबाओ.

वाणी ने ऐसा ही किया और 2 मिनट में गीता फ़िर झड़ने को आ गयी और उसकी टांगें हिलने लगीं तो मैंने एकदम से लंड बाहर निकाल लिया और वाणी को बोला- चलो अब तुम्हारी बारी.
गीता चिल्लाती रही- नहीं … मैं आने वाली हूँ प्लीज ऐसा मत करो, चोदो मुझे.
वाणी तो जैसे तैयार ही बैठी थी, फ़ौरन से उठी और उसके बराबर में घोड़ी बन गयी. वो यह भूल गयी कि डिल्डो अभी भी उसकी चुत में है.

मैंने जब ये देखा तो मेरे चेहरे पर मुस्कान आ गयी और ये गीता ने देख लिया. उसने अपनी अधूरी चुदाई भुल कर मज़ा लेने की सोची और वो वाणी के नीचे बैठ गयी. गीता ने वाणी के कन्धे के ऊपर से उसे पकड़ लिया ताकि वो सीधी ना हो पाये.
फिर गीता बोली- चल मेरी जान, तेरे लिये तो मैं अधूरी भी रह लूंगी. तू पहले अपना पानी निकलवा ले.

इसके बाद गीता ने मुझे इशारा किया- क्या गान्डू की तरह खड़े हो … चोदो बेचारी को; कब से तरस रही है. प्लीज इसकी भी गांड मार दो ना प्लीज.
वाणी भी बोली- प्लीज जल्दी करो ना … आग लगी है.

मैंने भी थोड़ा सा थूक लगाया अपने लौड़े पर और उसकी गांड पर सुपारा रख कर एक बारी में ही पूरा अन्दर कर दिया.
अब चीखने की बारी वाणी की थी ‘आह मर गयी … ये इतना टाइट क्यों जा रहा है?’
तो गीता ने कुछ बोलने की जगह डिल्डो खींचा और छोड़ दिया. अब बेल्ट तो वाणी की कमर पर थी, तो डिल्डो वापस से खिंचता हुआ वाणी के अन्दर घुस गया.
वाणी चिल्लाई- कमिनी कुतिया तो तुझे पता था?
गीता हंस कर बोली- साली मुझे भी ऐसे ही दर्द हुआ था. अब पता चला?

इसके बाद वो उस डिल्डो को खींच खींच कर अन्दर बाहर करने लगी और अब वाणी आगे पीछे होने लगी और मैं फ़िर से आराम से खड़ा होकर मज़े लेने लगा.

गीता मुझसे बोली- भैन्चोद क्या गान्डू की तरह मज़े ले रहा है. गांड मार साले इसकी और अब इसकी बारात निकाल.
मैं भी बहुत देर से भरा खड़ा था, तो मैंने भी सोचा चलो एक बार पानी निकाल ही लेता हूँ. बस मैंने धक्के लगाने चालू कर दिये. अब क्योंकि मैं झड़ने के मूड में आ गया था.
कुछ ही देर में मेरे धक्कों की रफ़्तार बढ़ गयी. गीता चिल्लाने लगी- साले अगली बार मेरी भी ऐसी तूफ़ानी चुदाई करना.
साथ ही उसने भी अपनी गति बढ़ा दी और मेरी ताल के साथ ताल मिलाते हुए वाणी की सामने से चुदाई करने लगी.

उसी के साथ में वाणी ने गीता का मुँह पकड़ा और अपनी चुची उसके मुँह में घुसा कर बोली- साली, इन्हें चूसने के लिये क्या तेरे बाप को बुलाऊं. चूस काट साली इनको. मेरा होने वाला है.
मैंने सोचा थोड़ा और मज़ा लिया जाये; तो मैंने एकदम से पीछे ले लंड डाले हुए ही वाणी को कमर पकड़ कर उठाया और कमरे में ले जाने लगा.

गीता बोली- क्या इरादा है?
तो मैंने कहा- इसने तुझे चोदा था ना … अब तू इसे बिस्तर पर पूरे जोर से चोद.
गीता भी मान गयी और मैं वाणी को अपने ऊपर लेकर लेट गया और गीता को बोला- चल शुरू हो जा.

जल्दी से गीता ने बेल्ट खोली और पहन कर वाणी के ऊपर चढ़ गयी और इतनी तूफ़ानी रफ्तार से धक्के लगाने लगी कि मेरी तो जान ही बाहर निकलने को हो गयी. क्योंकि वाणी तो अपना पूरा वज़न मेरे ऊपर डाल कर लेट ही गयी थी.
ऊपर से गीता भी उसके ऊपर लेट कर मुझे किस करने की कोशिश करते हुए तूफ़ानी धक्के लगा रही थी.

मेरी तो एक मिनट में हवा टाइट हो गयी मैंने एकदम से पल्टी खायी और अब हम तीनों बिस्तर पर आ गये. वाणी को आगे पीछे से उसे चोदने लगे. कमरे में हाय हाय उफ़ उफ़ यस यस और पट पट की आवाज़ गूंज रही थी.

फ़िर एकदम से गीता ने वाणी की एक चुची को मुँह में ले लिया और चूसने लगी. मैंने दूसरी रसभरी चूची को मसलना चालू कर दिया. फ़िर जल्द ही पहले तो वाणी के चिल्लाने की आवाज़ आयी- हाय हाय.. उई माँ.. आह.. मैं गयी.
वो बहुत जोर से चिल्लाते हुए झड़ने लगी. झड़ते हुए उसने गीता को कस कर सीने से चिपका लिया और एक टांग उसके ऊपर रख कर उसे नीचे से भी दबा लिया. लेकिन वाणी इतनी जोर की झड़ रही थी कि उसका पूरा शरीर कांप रहा था. इस चक्कर में गीता का दाना डिल्डो से रगड़ा जा रहा था, तो वो भी झड़ने को आ गयी और वो दोनों गुत्मगुत्था हो गईं.

फ़िर मैं भी धक्के मारते हुए वाणी की गांड में ही झड़ गया. झड़ते समय पता नहीं क्या हुआ … मैंने वाणी की चुची छोड़ कर गीता की चुची जोर से दबा डाली तो वो भी एकदम से झड़ गयी.
इसके बाद हम में से किसी के भी उठने की हिम्मत नहीं थी, तो हम करीब आधा घन्टा ऐसे ही लेटे रहे.

फ़िर सबसे पहले मैं उठा और मूतने गया. मूतकर आने के बाद मैंने नीचे हाथ डाल कर दोनों की चुत में से डिल्डो खींचा और गीता की कमर से बेल्ट खोल कर उसको अलग किया.

वो दोनों तो अभी भी बेसुध सो रही थीं. मैं बाहर हॉल में गया और अपनी सिगरेट लगा कर कश लेने लगा.
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Messages In This Thread
My best HOT Story's - by Pagol premi - 12-02-2021, 08:23 PM
RE: My best HOT Story's - by Pagol premi - 12-02-2021, 08:42 PM
RE: My best HOT Story's - by Pagol premi - 12-02-2021, 08:57 PM
RE: My best HOT Story's - by Pagol premi - 12-02-2021, 09:55 PM
RE: My best HOT Story's - by Pagol premi - 12-02-2021, 10:11 PM
RE: My best HOT Story's - by Pagol premi - 12-02-2021, 10:23 PM
RE: My best HOT Story's - by Pagol premi - 12-02-2021, 10:37 PM
RE: My best HOT Story's - by Pagol premi - 12-02-2021, 10:56 PM
RE: My best HOT Story's - by Eswar P - 13-02-2021, 11:01 AM
RE: My best HOT Story's - by Pagol premi - 14-02-2021, 06:57 AM
RE: My best HOT Story's - by Pagol premi - 14-02-2021, 07:10 AM
RE: My best HOT Story's - by Pagol premi - 14-02-2021, 07:22 AM
RE: My best HOT Story's - by Pagol premi - 14-02-2021, 07:34 AM
RE: My best HOT Story's - by Pagol premi - 14-02-2021, 09:12 AM
RE: My best HOT Story's - by Pagol premi - 14-02-2021, 09:42 AM
RE: My best HOT Story's - by Pagol premi - 14-02-2021, 10:12 AM
RE: My best HOT Story's - by Pagol premi - 14-02-2021, 10:19 AM
RE: My best HOT Story's - by Pagol premi - 15-02-2021, 09:47 AM
RE: My best HOT Story's - by Pagol premi - 15-02-2021, 09:57 AM
RE: My best HOT Story's - by Pagol premi - 15-02-2021, 10:09 AM
RE: My best HOT Story's - by vat69addict - 15-02-2021, 01:15 PM
RE: My best HOT Story's - by Pagol premi - 15-10-2024, 10:12 AM
RE: My best HOT Story's - by sri7869 - 16-10-2024, 06:31 AM
RE: My best HOT Story's - by Dgparmar - 26-10-2024, 03:44 AM



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