14-02-2021, 09:42 AM
बीमारी ने दिलायी प्यासी भाभी की चूत- ( Big story)
दोस्तो, यह कहानी करीब तीन साल पहले की बात है, मैं काम के सिलसिले में हैदराबाद गया था. वहां एक रात अचानक मेरी तबीयत खराब हो गयी. मैंने होटल के रिसेप्शन पर फोन किया और पूछा कि अगर आस पास कोई क्लिनिक हो तो बताइए.
उन्होंने बोला कि पास में तो नहीं है, कुछ 4-5 किलोमीटर पर एक क्लिनिक है लेकिन अभी उधर के लिए कोई साधन नहीं मिल सकता है.
यह सुनने के बाद मैं मजबूर होकर सोने की कोशिश करने लगा लेकिन नींद नहीं आ रही थी.
मैंने सोचा कि चलो जा कर देखते है शायद कोई दवाई की दुकान खुली मिल जाए तो उसी से पूछ कर कोई दवा ले लूँगा.
इसके बाद मैं दुकान खोजने बाहर निकला पर काफी देर बाद भी जब कोई दुकान खुली नहीं मिली, तो थकान के कारण मैं एक जगह पर बैठ गया. अभी मुझे बैठे हुए दो मिनट ही हुए थे कि वहां एक स्कूटर आ कर रुका. मैंने देखा कि वो स्कूटर सवार एक महिला थी. उसने मुझसे पूछा कि इतनी रात में यहां क्या कर रहे हो?
मैंने उसे बताया कि मुझे दवाई चाहिये, पर कोई दुकान नहीं खुली हुई है.
उसने मुझे घूरते हुए पूछा- क्या हुआ?
तो मैंने बताया कि बुखार है.
वो बोली कि तुम कहां रहते हो?
मैंने बताया कि पास में एक होटल (नाम बताया) में रह रहा हूँ.
वो बोली- मेरा घर पास में ही है, आप होटल में जाओ, मैं दवाई लेकर आती हूँ.
मैं जाकर होटल के रिसेप्शन पर उसके आने का इन्तज़ार करने लगा. कुछ दसेक मिनट में वो वहां आ गयी. मैंने उससे दवाई ले कर तुरन्त खा ली. उसने मुझे और एक गोली दी और कहा कि सुबह नाश्ते के बाद खा लेना.
मैं उसे धन्यवाद बोल कर सोने चला गया.
सुबह जब उठा तो काफ़ी ठीक लग रहा था. मैं नीचे नाश्ता करने गया. तो नीचे जा कर मैंने देखा कि रिसेप्शन पर वही रात वाली लड़की खड़ी है, मैं वहां गया और उससे पूछा कि मुझे रात में एक महिला दवा दे कर गयी थी, आपको पता है कि वो कौन थी और कहां रहती है.
उसने बताया कि उसकी दवाइयों की दुकान है, पर वो दुकान बहुत दूर है.
मैं बोला- मैंने तो उसे ठीक से धन्यवाद भी नहीं किया था. क्या तुम मुझे उसका फोन नम्बर दे सकती हो.
इससे पहले कि वो कुछ बोलती, एक आवाज़ आयी- फोन नम्बर का क्या करोगे?
मैंने देखा कि वही महिला मेरे पीछे खड़ी है.
मैंने उससे माफी माँगी और रात की दवाई के लिए उसे धन्यवाद कहा.
मैंने पूछा कि दवाई के कितने पैसे हुए?
वो बोली- अब तबियत कैसी है?
मैंने कहा- बहुत अच्छी है.
वो मुस्कुरा कर बोली- तो ठीक है, आज रात को मुझे डिनर करवा देना.
मैंने कहा- जरूर … आप जहां बोलो.
वो हंसी और चली गयी, उसने न समय बोला. न जगह बताई.
खैर … मैं अपने काम पर चला गया. दोपहर को मुझे एक अनजान नम्बर से फोन आया. वो कोई महिला बोल रही थी. उसने मेरा हाल पूछा, फिर बोली- कभी मिलो.
मैं चौंक गया कि कौन है.
मैं चुप हो गया तो वो हंसने लगी और बोली- अरे तुम तो डर गए? मैं वही दवाई वाली बोल रही हूँ.
मैं बोला- ओह … आपको मेरा नम्बर कहां से मिला?
वो बोली- यदि चाहो … तो सब मिल जाता है.
मैंने कहा- बढ़िया … फिर बताओ कब और कहां मिल रही हो?
वो बोली- अरे वाह … तुम तो सीधे मिलने पर आ गए?
उसने मुझसे तुम कह कर बात की तो मैंने भी कहा- तुमने ही तो बोला है कि चाहो तो सब मिल जाता है. बस मैंने थोड़ा शब्द आगे पीछे कर दिए.
वो हंसी और बोली- तुम आदमी दिलचस्प हो! चलो शाम को 6 बजे, जहां तुम कल रात मिले थे, वहीं मिलते हैं.
फिर हम दोनों ने बाय बाय कर के फोन काट दिया.
शाम को 6 बजे जब मैं उस जगह पर पहुंचा, वो वहां पर पहले से ही खड़ी थी. मुझे देखते ही वो मुस्करायी और बोली- चलें?
मैंने कहा- जी बिल्कुल … बन्दा आपकी सेवा में हाज़िर है.
उसने कहा- तुम चलाओगे ये? या मैं चलाऊं?
मैं कुछ नहीं बोला, बस चाबी ली और स्कूटर चालू कर दिया. वो भी मेरे पीछे बैठ गयी और मेरी कमर में हाथ डाल कर मुझे कस कर पकड़ लिया.
मैं बोला- रास्ता बताओ.
फिर वो बताती गयी और मैं चलाता गया. पांच मिनट में उसने मुझे एक घर के सामने रुकने को कहा. वो एक मंजिला बड़ा सा घर था, मतलब अकेला घर, उसके चारों तरफ दीवार थीं. उसने उतर कर गेट खोला और मैं स्कूटर लेकर गेट के अन्दर चला गया. उसने गेट बन्द किया और पीछे हो गयी. आगे जाकर मैंने स्कूटर खड़ा किया और उसने घर का दरवाज़ा खोला. वो अन्दर घुसी, तो मैं उसके पीछे पीछे घर के अन्दर चला गया.
घर बहुत ही तरीके से सजाया हुआ था. उसने मुझे सोफे पर बैठने को कहा और वो अन्दर चली गयी. मैं उसके घर को घूम कर देख ही रहा था कि वो पानी ले कर आयी. पानी लेते हुए मैंने उससे पूछा- घर के बाकी लोग कहां हैं?
वो बोली- मैं अकेली रहती हूँ. मेरे पति का दवाई का काम है. वो अलग अलग शहर में दवाईयां देने जाते हैं और 15 दिन में 2-3 दिन के लिए ही घर पर आते हैं. अभी दो दिन पहले ही वो चेन्नई गए हैं.
कुछ देर बातें करने के बाद वो बोली- क्या खिलाओगे?
मैं हंसा और बोला- जो तुम बोलो?
वो बोली- मुझे कुछ अलग खाना खाना है.
तो मैं बोला- चलो मैं बना कर खिलाता हूँ.
वो बोली- तुम खाना बनाना जानते हो?
मैंने कहा- खा कर बताना.
फिर हमने मिल कर खाना बनाया. सब्जी एवं दाल मैंने बनायी और उसने चावल बनाये. हमारा रोटी का कोई इरादा नहीं था.
वो बोली- क्या पियोगे?
मैं बोला- दूध.
वो बोली- उसके पहले?
मैं बोला- मैं व्हिस्की पीता हूँ.
तो वो एकदम खुश हो कर मेरे से लिपट गयी और बोली- वाह, आज तो मज़े आ गए … मैं भी व्हिस्की ही पसन्द करती हूँ.
मैंने कहा- चलो लेकर आते हैं.
तो वो बोली- चलो!
और मेरा हाथ पकड़ कर दूसरे कमरे में जाने लगी.
मैंने कहा- अन्दर किधर जा रही हो?
वो बोली- आओ तो सही.
वो मुझे दूसरे कमरे में एक अलमारी के सामने ले जा कर बोली- इसे खोलो.
जब मैंने अलमारी खोली, तो देखा उसमें अलग अलग तरह की बोतलें रखी थीं.
मैंने कहा- लगता है कि तुम्हारे पति को काफ़ी शौक है.
वो बोली- नहीं, वो केवल बियर पीते हैं, ये सब मेरे लिए है. केवल जब मैं उन्हें दूध नहीं पिलाती, तब वो मेरे लिए मेरे साथ पीते है. अगर तुम बोलते कि बियर पीनी है, तो तुम्हें भी दूध नहीं मिलता.
यह कह कर वो हंसने लगी.
फिर हमने एक बोतल निकाली और सोडा और पानी लेकर बाहर हॉल में बैठ गए.
उसने कहा- पहली बार तुम बनाओ ताकि मुझे समझ आ जाए कि तुम्हें कैसे लेना पसन्द है.
मैंने दोनों गिलास में दारू डाली और अपने गिलास में थोड़ा सा सोडा और थोड़ा पानी डाला. फिर मैंने उससे पूछा कि उसे कैसे लेना पसन्द है?
तो वो बोली- मुझे बहुत अच्छा लगा कि तुमने मेरी पसन्द पूछी क्योंकि उसके पति तो बस अपने हिसाब से पैग बना देते हैं और बहुत सारा पानी मिला देते हैं. जबकि मुझे पहला पैग बिल्कुल सादा लेना पसन्द है.
मैं समझ गया कि उसे केवल दारू पीनी है. मैंने और कुछ नहीं पूछा और उसका आधा गिलास केवल नीट दारू से भर दिया. फिर हमने गिलास टकराये और पीने लगे.
लेकिन इससे पहले कि मैं अपना एक घूंट भर कर गिलास नीचे रखता, उसने पूरा गिलास खाली कर दिया और आँखें मींच कर आह करके आवाज़ निकाली.
मैं तो उसे देखता ही रह गया और उसने फिर से अपना गिलास पूरा का पूरा केवल दारू से भर लिया. अब तक हम आमने सामने बैठे थे. गिलास भर कर वो उठी और मेरे पास आ कर बैठ गयी और बोली- तुम चिन्ता मत करो.. मैं तुम्हें जोर नहीं दूँगी, तुम अपने हिसाब से पीना.
मुझे बहुत अच्छा लगा और मैंने उसे बांहों में भर कर उसके गाल पर चुम्मी कर ली.
वो तो जैसे इस शुरूआत के इन्तज़ार में बैठी थी. मेरी पकड़ ढीली होते ही उसने मुझे कस कर पकड़ लिया और सीधा मेरे होंठों को चूसने लगी. वो बोली- मैं पिछले 3 घन्टे से इसका इन्तज़ार कर रही थी.. पर तुम हो कि पास ही नहीं आ रहे थे.
मैंने कहा- पहली मुलाकात है और मैं तुम्हारे जैसे अच्छे दोस्त को खोना नहीं चाहता हूँ.
वो बोली- तुम बहुत अच्छे इन्सान हो. नहीं तो अगर किसी आदमी को कोई लड़की ऐसे अपने घर में लाये, तो वो तो बस आते ही उसे नोंचने लग जाए.
इसके बाद हम दोनों थोड़ी देर एक दूसरे की बांहों में बैठे रहे और बस एक दूसरे को धीरे धीरे चूमते रहे.
फिर वो बोली- बहुत समय हो गया है, तुम्हें भूख लग रही होगी, चलो अपना गिलास खाली करते हैं और खाना खा लेते हैं. उसके बाद फिर महफिल जमाते हैं.
अब तक मैं भी जोश में आ चुका था, तो मैंने एक ही झटके में गिलास खाली कर दिया और उसने भी मुझे देख कर अपना पूरा भरा दूसरा गिलास भी खाली कर दिया. मुझे लगा ये तो बहुत ज्यादा पीने वाली लगती है.
लेकिन जल्द ही मेरी ये धारणा दूर हो गयी, जब हम उठने लगे तो वो पूरी लहरा गयी.
मैंने उसे सम्भाला और बोला- तुम बैठो, मैं खाना यहीं ले कर आता हूँ और हम यहीं साथ में बैठ कर खाएंगे.
वो बस मुझे देखती रही और वहीं सोफे पर बैठ गयी. फिर हमने खाना खाया, खाना खाने के बाद वो थोड़ी सही हो गयी थी.
वो मुझसे माफी मांगने लगी कि उसे एकदम से इतनी नहीं पीनी चाहिये थी.
मैंने कहा कि ये तो मेरी किस्मत है कि मुझे तुम्हारी सेवा का मौका मिला. अब ये बताओ कि क्या चाहती हो, ये सेवक आपकी कैसे सेवा कर सकता है.
वो बोली- सेवक हमें हमारे कमरे में ले कर चलो … हमें कपड़े बदलने हैं.
हम दोनों अभी तक अपने बाहर वाले कपड़ों में ही थे. मैंने कहा- जो हुकुम मेरे आका.
तो वो जोर से हंस पड़ी और बोली- मैंने तुम्हें दिन में ही कहा था कि तुम बहुत दिलचस्प आदमी हो.
वो मेरी तरफ़ बांहें फैला कर खड़ी हो गयी. मैंने उसे गले से लगाया और उसकी कमर को पकड़ कर उसे ऊपर उठा लिया. उसने भी अपने पैर मेरी कमर पर लपेट लिए और मेरे गाल पर एक पप्पी कर दी.
फिर वो मुझे अपने कमरे में ले गयी और बोली- सेवक अब हमारे कपड़े बदलो.
मैंने भी झुक कर सलाम किया और उसकी कमीज़ के बटन खोलने लगा. वो मेरे बालों में अपनी उंगलियां घुमाने लगी.
मैंने बटन खोल कर अपने हाथ अन्दर डाल कर पीछे ले जा कर उसकी ब्रा का हुक भी खोल दिया. अब मैंने उसकी कमर पर दोनों तरफ़ हाथ रखे और ऊपर करते हुए कमीज़ और ब्रा दोनों एक साथ निकाल दिए. लेकिन वो मुझसे तेज़ थी, जब हाथ ऊपर कर रही थी तो उसने नीचे से मेरी टी शर्ट पकड़ ली.
मतलब जैसे ही मैंने उसे ऊपर से नंगा किया, उसी समय उसने मुझे भी ऊपर से नंगा कर दिया.
जब हमने हाथ नीचे किये तो वो मेरे गले में बाहें डाल कर मुझसे चिपक गयी और फिर एक लम्बा किस चला. अब की बार मैंने हाथ नीचे किये और उसे नीचे से पकड़ कर उचका दिया. मैंने सोचा था कि वो किस तोड़ देगी, लेकिन हुआ उल्टा, वो पूरी तरह से मेरे गले में लटक गयी और और जोर से किस करने लगी.
फिर किस छोड़ कर वो मेरे कान को चूसने लगी तो मैंने उसके कान में कहा कि क्या आगे पार्टी नहीं करनी. उसने कान चूसते हुए गर्दन हिला कर हां कहा और नशीली आंखें ले कर अपनी गर्दन आगे कर दी. मेरे होंठों पर एक पप्पी की और बोली- अब पार्टी के लिए मुझे उतारो तो सही.
मैंने उसे धीरे से नीचे उतारा और गले से लगा लिया.
वो बोली- मैं फिर चढ़ जाउंगी.
हम दोनों हंस दिए.
फिर मैंने उसे घुमाया और हाथ आगे करके उसके 36″ के चुचे धीरे से दबा दिए और हाथ उसके मम्मों पर ही रखे रहा. उसने मेरे दोनों हाथों पर अपने हाथ रखे और अपने मम्मों को कस कर दबा दिया.. साथ ही उसने अपने चेहरे को ऊपर उठा दिया. मैंने उसकी आंखों को चूम लिया और धीरे से नीचे करते हुए उसकी पेंट का बटन खोल दिया और अपने हाथ अन्दर डालते हुए उसकी जींस को नीचे कर दिया. लेकिन मैंने ध्यान रखा कि उसकी पेंटी ना उतरे.
उसने भी मेरा साथ दिया और जींस को पूरा निकाल दिया. फिर वो घूम कर बोली- कपड़े उतार तो दिए.. अब कुछ पहनाओगे नहीं.
मैंने कहा- नहीं.
तो वो बच्चों की तरह रोनी सूरत बना कर खड़ी हो गयी.
मैंने कहा- मुझे पता नहीं ना है कि बच्ची को क्या पहनना है … तो कैसे और क्या पहनाऊं.
वो इठलाते हुए बोली- मुझे नहीं पता … तुम अपनी मर्ज़ी के कपड़े पहनाओ.
मैंने उसकी अलमारी खोली और उसमें से एक गाऊन निकाल कर उसे पहना दिया. वो बहुत ही मुलायम गाऊन था और मुझे प्यार के समय मुलायम चीज़ पसन्द है. उसके बाद वो बोली कि तुम क्या लुंगी पहनते हो?
मैंने हां कहा, तो उसने एक सेम कपड़े की लुंगी मुझे दे दी. मैं जब अपना निक्कर निकालने लगा, तो बोली- सेवक, यह हमारा काम है.
वो मेरे सामने घुटनों पर बैठ गयी और धीरे से मेरा निक्कर उतारने लगी. उसी के साथ उसने मेरी चड्डी भी साथ में निकाल दी. जैसे ही मेरी चड्डी नीचे हुई उसने मेरे पप्पू को मुँह में ले लिया और चूसने लगी. दो मिनट बाद उसने पप्पू को छोड़ा और बोली- वाह, मज़ा आ गया! मस्त लंड है.
फिर मुझे लुंगी दी और कहा- लो पहन लो … नहीं तो अभी तुम्हारा चोदन कर दूँगी.
मैंने बिना कुछ बोले लुंगी पहन ली और हम वापस से हॉल में आ गए.
हमने अपनी अपनी तरह का एक एक पैग और लगाया और फिर वो बोली कि चलो छत पर चलते हैं.
रात के 10 बज चुके थे और आस पास के मकान भी इतनी पास नहीं थे, तो मैंने भी हां कर दी. हम अपनी बोतल और गिलास ले कर छत पर पहुंच गए. छत पर बीच में एक पत्थर की मेज़ और उसके दो तरफ़ बैठने के लिए बेंच बनी थीं. हम वहां पर बैठ गए और फिर से एक एक पैग बना लिया.
तभी मैंने देखा कि उसका गाऊन कुछ फ़ूल रहा था. मैंने पूछा, तो बोली कि जब मैंने तुम्हारा निक्कर उतारा था, तो देखा कि उसमें सिगरेट है.. और दारू के बाद ये तो तुम्हें चाहिये ही होगी. इसलिए छुपा कर ले आयी.
मैंने कहा- वाह क्या बात है बहुत मस्त सोचा है. चलो एक एक सिगरेट हो जाए.
उसने बिना कोई देर किये दो सिगरेट निकालीं और जला दीं. एक मुझे दी और एक खुद पीने लगी. एक एक कश लगाने के बाद हम दोनों एक एक घूंट दारू पीने लगे. पैग खत्म होते होते उसे नशा चढ़ने लगा था और मुझे भी थोड़ा सा सुरूर हो गया था.
मैंने उसे इशारा किया. उसे अपने सामने मेज़ पर बैठा लिया और गाउन के ऊपर से उसकी जांघें सहलाने लगा. धीरे धीरे मैंने उसका गाऊन ऊपर कर दिया और उसकी नंगी टांगों को चाटने लगा. टांगें चाटते हुए जब मैं ऊपर पहुँचा, तो देखा कि उसकी चड्डी पूरी गीली हो चुकी थी.
मैंने पूछा तो बोली- ये तो तब से गीली है, जब तुमने पहली पप्पी ली थी. असल में मेरे पीरियड चल रहे थे और 2 दिन पहले जब खत्म हुए तो उसी दिन ये बाहर चले गए और मैं पीरियड के बाद बहुत चुदासी हो जाती हूँ. इसलिए जब तुम्हें कल रात को देखा था तो रुक गयी थी कि शायद काम बन जाए. पर तुम्हारी तबियत देख कर कुछ नहीं बोली. फिर आज सुबह जब मैं तुम्हारी तबियत का पता करने होटल गयी, तो तुम्हें मेरे बारे में बात करते देखा और मेरा धन्यवाद करने के लिए पता करते देखा, तो मैं समझ गयी कि तुम अच्छे आदमी हो और इसलिए मैंने तुम्हें बुला लिया.
मैंने कहा- तो बोला क्यों नहीं … पहले मैं तुम्हारी इच्छा पूरी करता, फिर खाने पीने का काम करते.
वो बोली- नहीं मैं जल्दबाज़ी में नहीं करना चाहती थी, मुझे पूरे प्यार और टाइम के साथ करना अच्छा लगता है.. और तुम जितने प्यार से मेरे साथ पिछले 4 घन्टे से हो, तो मुझे ये लगा ही नहीं कि मैं तुम्हें केवल सेक्स के लिए लाई हूँ.
यह बात करते करते मैंने उसकी पेन्टी भी निकाल दी और फिर मैंने उसे वहीं मेज़ पर लिटाया और उसकी सफाचट चूत को चाटने लगा. वो उम्म्ह… अहह… हय… याह… करने लगी, कुछ देर बाद मैंने उसे उठाया और उसका गाऊन निकाल दिया. छत पर कोई रोशनी नहीं थी. तो हमें किसी के देखने का कोई डर नहीं था.
मैंने उसे उसी मेज़ पर उसे लिटा दिया और उसके पूरे बदन को नीचे से ऊपर तक चाटने लगा. वो वासना से तड़पने लगी. मेरे दोनों हाथ मेज़ पर थे और मैं उसे बिना छुए ही चाट रहा था. फिर धीरे से मैंने उसकी आंखों में देखते हुए उसके निप्पल को चूसने लगा. उसकी 36” के चुची पूरी टाईट हो गयी थी और निप्पल खड़े हो गए थे.
उसने भी अभी तक अपने हाथों को मेज़ पर रखा हुआ था. जैसे ही मैंने उसके एक निप्पल के साथ उसकी चुची को भी जोर से चूसा.. तो उसकी चूची करीब 3-4″ वो मेरे मुँह में चली गयी.
बस दो मिनट में ही वो जोर से चिल्लाते हुए बोली कि ये क्या किया यार.. मैं तो बिना कुछ किये ही झड़ गयी.
मैंने कुछ नहीं कहा और बस उसे उसी तरह प्यार करता रहा. बस अब फ़र्क इतना था कि मैं उसके होंठ चूस रहा था और एक हाथ से उसकी चुची को सहला रहा था.
जब वो थोड़ी नार्मल हुई तो मैंने उससे कहा- सब यहीं करना है या बिस्तर पर चलें?
वो मुस्कराई और बोली- अब क्या करना है … मेरा तो हो गया.
मैं बोला- तो ठीक है, फिर मैं जाता हूँ.
तो वो बोली- अगर आज जाने का बोला तो कच्चा चबा जाऊंगी. कुछ देर तो रुको इतना तो मैं कभी पूरे सेक्स के बाद नहीं झड़ी, जितना तुमने बिना हाथ लगाये झाड़ दिया. चलो पहले एक एक पैग हो जाए और एक सिगरेट खींचते हैं.
हमने एक एक पैग और सिगरेट पी और फिर उसने मुझे मेज़ पर लिटा दिया बोली- आज पूरा बदला ले कर रहूँगी.
मैं भी एकदम सीधा लेट गया. वो मेरे ऊपर झुकी और मेरे होंठ चूसने लगी. मैंने कोई हरकत नहीं की तो वो बोली- बहुत अच्छे.. ऐसे ही शान्त लेते रहना कोई गड़बड़ ना करना … अब मेरी बारी है.
मैंने केवल गर्दन हिला कर हां कर दिया.
उसके बाद वो अपने 36″ के चुचे मेरे मुँह पर रगड़ने लगी. आप सोच सकते हो कि दो भरे हुए खरबूज़ आदमी के मुँह के सामने हों और वो कुछ ना कर सकता हो, तो उसकी क्या हालत होगी. मेरा पप्पू एकदम से तन कर खड़ा हो गया. उसके बाद वो नीचे होते हुए अपने चुचे मेरे पूरे बदन पर रगड़ने लगी. फिर एक निप्पल मेरी नाभि में डाल कर हिलाने लगी. ये मेरे लिए एकदम नया एहसास था. इससे पहले कभी किसी ने ऐसा नहीं किया था. इसके साथ साथ वो मेरे निप्पल चूसने लगी.
अब मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं पेट पर होने वाले मज़े को महसूस करूँ या निप्पल चूसने वाले मज़े को. अभी मैं सोच ही रहा था कि अगला हमला हो गया. उसने एक हाथ नीचे किया और मेरी लुंगी खोल दी और मुझे भी पूरा नंगा कर दिया.
मुझे लगा अब वो मुझे यहीं टेबल पर चोदने वाली है. लेकिन नहीं जी, वो तो पूरा बदला ले रही थी.
उसने मुझे नंगा करने के बाद मेरी टांगों पर हाथ फ़ेरना शुरू कर दिया. फ़िर धीरे धीरे मेरे निप्पल को चाटते हुए नीचे आते हुए पूरे बदन को चाटने लगी. बस वो मेरे लंड को छोड़ कर सब जगह हाथ फ़ेर रही थी.
फ़िर वो मेरे पेट से नीचे की तरफ़ बढ़ी और उसका गाल मेरे लंड पर छुलने लगा. वो केवल गाल को मेरे लंड पर छुलाती रही और टांगों पर हाथ फ़ेरती रही.
फिर उसने अपनी जीभ से मेरे लंड के चारों तरफ़ चाटना शुरू कर दिया. लेकिन साली ने अब भी मेरे लंड को नहीं चाटा और मेरी हालत खराब कर दी. फ़िर हाथ फ़ेरते फ़ेरते उसने मेरे आंड को मसलना शुरू कर दिया और लंड के आस पास चाटती रही और साथ में दूसरे हाथ से मेरे निप्पल को मसलने लगी. लेकिन साली ने अब भी मेरे लंड को नहीं छुआ.
करीब दस मिनट तक मुझे इसी तरह तड़पाने के बाद वो मेरी तरफ़ अपनी गांड करके मेरे ऊपर झुक गयी. मेरे हाथ अपने पैरों के नीचे दबा लिए और अपनी चुचियों को मेरे लंड पर रगड़ने लगी. मेरे लंड को चुचियों के बीच में ले कर ऊपर नीचे होने लगी लेकिन मेरे लंड पर हाथ अब भी नहीं लगाया जिस कारण से लंड उसकी चुचियों के बीच में ठीक से दब भी नहीं रहा था और मेरी हालत बहुत खराब हो रही थी.
अब मैंने कोशिश की कि अपनी गांड उठा कर लंड को चुचियों के बीच में दबा दूं. इससे पहले कि लंड चुचियों के बीच में जाता, उसने अपनी चुचियां ऊपर कर लीं और अपने दोनों हाथों से मेरी जांघें नीचे दबा कर बोली- बदमाशी नहीं और चीटिंग भी नहीं.
मैं उसे मनाने लगा कि यार मेरे लंड में बहुत दर्द हो रहा है … इसका कुछ तो करो.
वो हंसते हुए थोड़ा पीछे को खिसकी और मेरे मुँह पर अपनी चुत रख कर दबाते हुए बोली कि चुपचाप लेटे रहो, कुछ मत बोलो.
लेकिन मेरे लिए ये एक फ़ायदे वाला काम हो गया और मैं उसकी चुत को अपने मुँह में भरकर जोर से चूसने लगा.
अब बारी उसके तड़पने की थी. उसे जो मज़ा मिला, वो उसे खोना नहीं चाह रही थी इसलिए वो जोर जोर से अपनी चुत मेरे मुँह पर रगड़ने लगी. अब मेरा ध्यान उसकी चुत पर था, तो मेरे लंड की तड़प कुछ कम हो गयी. एक मिनट में ही वो बहुत गर्म हो गयी और उसने मेरे लंड को पकड़ कर जोर से दबा दिया और फ़िर झुक कर उसे चूसने लगी. मुझे लज्जत मिल गई.
दो मिनट के बाद वो एकदम से फ़िर होश में आयी, उठी और बोली- कर दी ना बदमाशी, अब मैं तुम्हें बताती हूँ और मज़ा चखाती हूँ.
वो घूम कर मेरे लंड के ऊपर बैठ गयी और जोर जोर से ऊपर नीचे होने लगी. लेकिन वो इतनी जोश में आ गयी थी कि दो मिनट में ही फिर झड़ गयी और मेरे ऊपर लेट कर हांफ़ने लगी.
वो बोली- सारा पानी यहीं निकलवा दोगे तो फिर नीचे क्या करोगे? क्या मुठ मारोगे?
वो यह कह कर हंसने लगी.
मैंने कहा- चलो नीचे चल कर देख लो कि क्या करता हूँ.
वो बोली- जल्दी चलो … दारू पीने के बाद मैं बहुत गर्म हो जाती हूँ और मुझे बहुत जोर की चुदाई चाहिये.
मैं उसे अपने से लिपटा कर उठा क्योंकि वो मेरे ऊपर लेटी थी. मैं उसे बांहों में भर कर किस करने लगा. वो एक बार फ़िर से मेरे से लिपट गयी और किस में पूरा साथ देने लगी.
मेरा खड़ा लंड अभी भी उसकी चुत में ही था तो मैं हिल कर उसे अन्दर बाहर करने लगा.
वो बोली- प्लीज नीचे चलो ना और मुझे जोर से चोदो.
मैंने उसकी चुची दबाते हुए अपने पैर मेज़ पर से नीचे किये और उसे गोद में ले लिया. आप सोच सकते हो कि जिसकी 36″ की चुचियां हों.. वो खुद कैसी होगी. वो मेरी कमर पर पैर लपेट कर और मेरे गले में बांहों को कस कर लिपट गयी.
मैं उससे बोला- चलें नीचे?
तो वो बोली- हां चलो.
मैंने कहा- अगर ऐसे गए तो सीढ़ियों में ही काम हो जाएगा.
वो बोली- लेकिन मज़ा आ रहा है, तुम्हें छोड़ने का दिल नहीं कर रहा.
मैंने अपनी एक उंगली उसकी गांड में डाल दी और वो एकदम से उछल कर उतर गयी. वो फ़िर वही बच्चों वाली सूरत बना कर बोली- हूँह … गन्दे कहीं के … चलो जहां चलना है.
मैंने उसे फ़िर बांहों में लिया और किस किया तो वो फिर से चिपक गयी.
वो आदेश देते हुए बोली- चलो सेवक.
हम दोनों हंस दिए और दारू का सामान ले कर नीचे आ गए.
हमें भूख भी लग रही थी, तो हमने पहले खाने पर धावा बोला और खाना खाकर दारू उतर गयी. तो फिर से एक एक पैग बना कर हम कमरे में आकर पलंग पर बैठ गए.
पैग पीने के बाद हम दोनों ने एक दूसरे को देखा और मुस्करा दिए. हम दोनों ने एक साथ गिलास नीचे रखा और एक दूसरे के ऊपर कूद गए. अब तो यह होड़ लगी थी कि कौन जोर से किस करता है और साथ में ही एक दूसरे के बदन से खेलने लगे. खेलते खेलते मैंने उसे लिटाया और उसके ऊपर छा गया. मैं उसकी चुचियों को जोर जोर से दबाने लगा. हमारे होंठ तो अलग ही नहीं हो रहे थे. हम नंगे तो थे ही, तो जब मैंने उसके ऊपर लेट कर नीचे से थोड़ा हिल कर जोर लगाया तो मेरा लंड उसकी चुत में घुस गया.
एक तेज ‘आआह …’ के साथ उसकी पकड़ थोड़ी ढीली हुई और हमारे होंठ भी अलग हो गए. मैंने समय ना गंवाते हुए उसकी चुची मुँह में भर ली और जोर जोर से चूसने लगा और दूसरी को मसलने लगा.
मुझे चूत चोदते समय चुचियों से खेलना और चूकना बहुत पसन्द है. मैं नीचे से धीरे धीरे हिल रहा था और चुचियों को गूंथते हुए चूस रहा था तो वो बोली- यार काट कर चूसो न!
मैंने कहा- दर्द होगा.
वो बोली- नहीं … जोर से काटो.
मैंने जैसे ही जोर से काट कर चूचे को चूसा, उसने ‘आआआह …’ भरी और अपनी चुत एकदम टाइट कर ली जैसे वो मेरे लंड को निचोड़ ही लेगी. वो मेरे सर को अपनी चुची पर दबाने लगी और बोली- हां बिल्कुल ऐसे ही और जोर से!
मैंने भी उसकी बात रखते हुए जोर जोर से चूची चूसना शुरू कर दिया और पूरे जोर से दूसरी चुची को दबा रहा था जैसे उसे उखाड़ ही लूँगा.
उसे ये अच्छा लग रहा था. मैं जैसे ही थोड़ा हाथ ढीला करता, वो अपने हाथ से जोर से दबा देती और जैसे ही मैं थोड़ा धीरे से चूसता, वो मेरे बाल खींच कर चुची पर मेरा मुँह दबा देती, जैसे पूरी चुची को मेरे मुँह में ही डाल देगी.
मुझे समझ में आ गया था कि उसे रफ़ सेक्स पसन्द है. बस फ़िर क्या था. मैंने पूरे जोर से उसे चोदना चालू कर दिया. मेरे हर धक्के पर वो अपनी गांड उठा कर मेरा पूरा साथ दे रही थी.
मैं उससे बोला- पूरे मज़े लेने हैं तो मुझे ऊपर से थोड़ा उठने दो.
वो बोली- नहीं अभी नहीं … अभी और मेरी चुचियों का हलवा बनाओ, जब ये दुखने लगेंगी, तब तुम नहीं, मैं जोरदार धक्के लगाउंगी और तुम मज़े लेना. अभी तो तुम जितना मेरी चुचियों को रगड़, मसल सकते हो उतना रगड़ो और मसलो.
मुझे भी चुचियों के साथ खेलना बहुत अच्छा लगता है और जब औरत साथ दे और कहे कि और जोर से मसलो … तो फ़िर क्या बात.
बस मैं शुरू हो गया और जोर जोर से एक चुची को चूसता तो दूसरी को मसलता. दूसरी को चूसता, तो पहली को मसलता.
वो दो मिनट में ही फ़िर से झड़ गयी.
मतलब उसे चुचियों के साथ खेलने में ही ज्यदा मज़ा आता है. पहली बार भी जब मैंने चुची जोर से चूसी थी तो वो झड़ गयी थी. लेकिन इस बार झड़ने के बाद वो और गर्म हो गयी और नीचे से अपने चूतड़ उठाने लगी. फ़िर एकदम से उसने मेरी कमर पर से टांगें नीचे कर के मेरे पैरों में फंसा लीं. इसके बाद उसने मुझे कस कर पकड़ कर एक पलटी मारी और मेरे ऊपर आ गयी.
उसके बाद उसने जो जोरदार धक्के लगाने शुरू किये, वो मज़े मैं बता नहीं सकता. बस आज भी ये याद आते ही मेरा लंड खड़ा हो जाता है. वो हर सेकंड में 3 धक्के तो लगा ही रही होगी. मैंने आज तक किसी औरत को इतनी तेज़ धक्के लगाते नहीं देखा है. वो करीब 5 मिनट तक बिना रुके धक्के लगाती रही और मैं केवल लेट कर उसकी हिलती चुचियों से खेलता रहा.
वो फ़िर से एक बार वो झड़ गयी, यानि वास्तव में उसे बहुत सेक्स की भूख लगी थी. लेकिन इस बार मैंने उसके रुकते ही वापस से पलटी मारी और उसके ऊपर आ गया. अब मैंने उसकी टांगें कंधों पर रख कर धक्के मारने शुरू कर दिए.
वो ‘हां हां हां यस यस यस …’ बोल कर अपनी गांड उठा उठा कर मेरा साथ देती रही.
करीब 5 मिनट और धक्के मारने के बाद उसकी टांगें कन्धे पर रखे रखे, मैं उसके ऊपर झुक गया और उसके होंठों को मुँह में लेकर चूसने लगा. इस स्थिति में उसकी पूरी गठरी बन गयी थी, लेकिन तब भी उसने मेरा पूरा साथ दिया.
उसके कुछ देर बाद मेरा भी पानी निकलने वाला था तो मैंने उससे बोला कि मेरा होने वाला है तो वो बोली- मेरी टांगें दोनों तरफ़ करके मेरी चुत का तबला बजाते हुए धक्के लगाओ.
मैंने कहा- मतलब?
तो बोली- हर धक्के पर जोर से पट पट की आवाज़ आनी चाहिये.
बस मैं भी चालू हो गया और उसने अपनी टांगें खुद पकड़ कर फ़ैला दीं. अब मैंने उसे पलंग के किनारे पर करके उसकी चुचियों को पकड़ कर धक्के लगाने शुरू कर दिए. फ़िर वही हुआ, चुचियों को पकड़ते ही वो गरमा गई और बोली- जल्दी जल्दी चोदो … मेरा भी हो गया … बस बाहर मत निकालना … मुझे वीर्य अन्दर ही महसूस करना है.
फ़िर हम दोनों खाली हो गए. खाली होने के बाद मैं उसकी चुचियों के ऊपर मुँह रख कर लेट गया. धीरे से उसे भी पूरा पलंग पर कर लिया.
उसके बाद हम कब सो गए, पता नहीं चला.. कब लंड बाहर निकला, कुछ पता नहीं.
सुबह 7 बजे जब आँख खुली तो देखा हम दोनों पूरे नंगे एक दूसरे से लिपटे सो रहे थे, मैंने उसे हिलाया और उसके होंठों को चूमते हुए कहा कि सुबह हो गयी.
तो वो ‘ऊऊऊ..’ करके मुझसे लिपट गयी और बोली- इतनी जल्दी सुबह क्यों हो गयी.
5 मिनट बाद हम एक दूसरे को पप्पी कर के उठ गए और नहा कर फ़्रेश हो कर अपने काम पर जाने के लिए तैयार हो गए.
मुझे अभी होटल जा कर कपड़े बदलने थे इसलिए मैंने उससे बोला कि मैं चलता हूँ.
तो वो बोली- रुको, मैं भी चलती हूँ.
मैंने कहा- क्या मेरे साथ मेरे काम पर जाना है? तुम्हारी दुकान खोलने में तो समय है?
तो वो बोली- नहीं, तुम तैयार हो कर काम पर चले जाना और मैं तुम्हारा सामान ले कर घर आ जाऊँगी. मतलब अब तुम यहीं मेरे साथ मेरे घर पर ही रहोगे.
मुझे भी केवल 2-3 दिन का काम बाकी था तो मैंने कहा- ठीक है, तुम परेशान मत हो, मैं शाम को आ जाऊंगा.
लेकिन वो नहीं मानी और मेरे साथ जा कर मेरा सामान ले कर आ गयी.
शाम को काम के बाद जब मैं 6 बजे घर पहुंचने वाला था. तो मैंने उसे फोन किया कि वो कहां है और कितने बजे तक घर आएगी. उसी समय मैं भी वापस आ जाऊंगा.. तब तक मैं किसी बार में बैठता हूँ.
वो बोली- तुम मेरी चिन्ता मत करो, मैंने इन्तजाम कर दिया है. तुम कभी भी घर पहुंचो, तुमको घर खुला मिलेगा.
मेरे पूछने पर वो बोली- मैंने अपनी काम वाली को बोल दिया है और वो शाम 4 बजे से 8 बजे मेरे आने तक तुम्हारा ख्याल रखेगी.
मैंने सोचा कि चलो कोई बात नहीं केवल दो घन्टे की तो बात है, काट लेंगे.
जब मैं घर पहुँचा तो घर का दरवाज़ा खुला था लेकिन फिर भी मैंने घन्टी बजायी. तो एक 22-24 साल की लड़की बाहर आयी और उसने मेरे बारे में पूछा.
मैं बोला- मेमसाब ने बताया होगा कि मैं आने वाला हूँ.
तो वो बोली- ओके ओके … वो आप हैं उनके दोस्त. आइये आइये मैं आपका ही इन्तज़ार कर रही थी.
मैं चौंक गया और मैंने पूछा- मेरा इन्तज़ार क्यों?
तो वो अचकचा कर बोली- व्वो … मेरी चाय पीने की बहुत इच्छा हो रही थी और मैं अभी सोच ही रही थी कि आप आ गए, सच में बहुत सही समय पर आए हो.
खैर मैं उसे बोल कर कि ‘चाय बना लो’ अन्दर फ़्रेश होने चला गया. लेकिन होटल की आदत बहुत खराब होती है, मतलब मैं बिना तौलिए के ही चला गया. नहाने के बाद जब मैंने तौलिया खोजा, तो याद आया कि ये तो किसी का घर है और खुद अपना तौलिया लाना था.
पहले सोचा कि उसे आवाज़ लगा कर उससे मंगा लूँ, लेकिन फिर सोचा कि छोड़ो, वो तो किचन में है, मैं जल्दी से बाहर जा कर ले लेता हूँ.
बाथरूम तो उसी कमरे में था, जिसमें मेरा सामान रखा था. तो मैं थोड़ा पानी झाड़ कर बाहर निकला और तौलिया खोजने लगा, लेकिन किस्मत मेरी कि उस कमरे में कोई तौलिया ही नहीं था.
अब मैं जब तक वापस गुसलखाने में जाता, वो कामवाली लौंडिया कमरे आ गयी और मुझे नंगा देख कर हंसने लगी.
मैंने कहा- अन्दर तौलिया नहीं था तो ऐसे आना पड़ा.
वो बोली- मैंने बाहर सुखाये हैं, मुझे आवाज़ लगा देते, मैं दे देती.
मैंने देखा कि जब वो नहीं शर्मा रही तो मैं क्यों शर्माऊं … और वो डबल मीनिंग वाली बात बोल रही है.
मैं उससे बोला- तो अब दे दे.
वो आँख मटका कर बोली- क्या?
मैंने कहा- जो तू देने की कह रही थी.
वो बोली- मैं तो चाय की बात कह रही थी.
मैंने भी सोचा कि कहां इसके चक्कर में पड़ना. मैं उससे बोला- जा और जा कर तौलिया ले आ.
वो बोली- तौलिये तो अभी सूखे नहीं हैं.
यह कहते हुए उसने चाय के कप मेज़ पर रख दिए और झुक कर अपनी गांड हिलाने लगी.
मैं समझ गया कि इसके मन में कुछ तो चल रहा है. तो मैं उसके पीछे गया और उससे चिपक कर अपना शरीर उसके लहंगे से पौंछने लगा. जब मेरी टांगें पुंछ गईं, तब तक तो कोई बात नहीं थी, लेकिन जब मैं उसका लहंगा उठा कर ऊपर का शरीर पौंछने लगा तो मेरा लंड उसकी गांड से टच कर गया.
वो ईईइश्श्श्स्श … करते हुए बोली- साब क्या कर रहे हो.. नीचे कुछ चुभ रहा है.
मैं बोला- एक तो तौलिया नहीं दिया और फिर झुक कर गांड हिलाती है. जब पहले लहंगा उठा कर टांगें पौंछी, तब कुछ नहीं बोली, तो अब क्यों बोल रही है?
वो बोली- मेमसाब आने वाली होंगी.
मैंने कहा- ओह तो ये बात है मेमसाब का डर लग रहा है. वो तो अभी और 1 घन्टे नहीं आने वाली.
वो बोली- अगर पानी पौंछ लिया हो तो मैं अपनी चाय पी आऊं.
दोस्तो, यह कहानी करीब तीन साल पहले की बात है, मैं काम के सिलसिले में हैदराबाद गया था. वहां एक रात अचानक मेरी तबीयत खराब हो गयी. मैंने होटल के रिसेप्शन पर फोन किया और पूछा कि अगर आस पास कोई क्लिनिक हो तो बताइए.
उन्होंने बोला कि पास में तो नहीं है, कुछ 4-5 किलोमीटर पर एक क्लिनिक है लेकिन अभी उधर के लिए कोई साधन नहीं मिल सकता है.
यह सुनने के बाद मैं मजबूर होकर सोने की कोशिश करने लगा लेकिन नींद नहीं आ रही थी.
मैंने सोचा कि चलो जा कर देखते है शायद कोई दवाई की दुकान खुली मिल जाए तो उसी से पूछ कर कोई दवा ले लूँगा.
इसके बाद मैं दुकान खोजने बाहर निकला पर काफी देर बाद भी जब कोई दुकान खुली नहीं मिली, तो थकान के कारण मैं एक जगह पर बैठ गया. अभी मुझे बैठे हुए दो मिनट ही हुए थे कि वहां एक स्कूटर आ कर रुका. मैंने देखा कि वो स्कूटर सवार एक महिला थी. उसने मुझसे पूछा कि इतनी रात में यहां क्या कर रहे हो?
मैंने उसे बताया कि मुझे दवाई चाहिये, पर कोई दुकान नहीं खुली हुई है.
उसने मुझे घूरते हुए पूछा- क्या हुआ?
तो मैंने बताया कि बुखार है.
वो बोली कि तुम कहां रहते हो?
मैंने बताया कि पास में एक होटल (नाम बताया) में रह रहा हूँ.
वो बोली- मेरा घर पास में ही है, आप होटल में जाओ, मैं दवाई लेकर आती हूँ.
मैं जाकर होटल के रिसेप्शन पर उसके आने का इन्तज़ार करने लगा. कुछ दसेक मिनट में वो वहां आ गयी. मैंने उससे दवाई ले कर तुरन्त खा ली. उसने मुझे और एक गोली दी और कहा कि सुबह नाश्ते के बाद खा लेना.
मैं उसे धन्यवाद बोल कर सोने चला गया.
सुबह जब उठा तो काफ़ी ठीक लग रहा था. मैं नीचे नाश्ता करने गया. तो नीचे जा कर मैंने देखा कि रिसेप्शन पर वही रात वाली लड़की खड़ी है, मैं वहां गया और उससे पूछा कि मुझे रात में एक महिला दवा दे कर गयी थी, आपको पता है कि वो कौन थी और कहां रहती है.
उसने बताया कि उसकी दवाइयों की दुकान है, पर वो दुकान बहुत दूर है.
मैं बोला- मैंने तो उसे ठीक से धन्यवाद भी नहीं किया था. क्या तुम मुझे उसका फोन नम्बर दे सकती हो.
इससे पहले कि वो कुछ बोलती, एक आवाज़ आयी- फोन नम्बर का क्या करोगे?
मैंने देखा कि वही महिला मेरे पीछे खड़ी है.
मैंने उससे माफी माँगी और रात की दवाई के लिए उसे धन्यवाद कहा.
मैंने पूछा कि दवाई के कितने पैसे हुए?
वो बोली- अब तबियत कैसी है?
मैंने कहा- बहुत अच्छी है.
वो मुस्कुरा कर बोली- तो ठीक है, आज रात को मुझे डिनर करवा देना.
मैंने कहा- जरूर … आप जहां बोलो.
वो हंसी और चली गयी, उसने न समय बोला. न जगह बताई.
खैर … मैं अपने काम पर चला गया. दोपहर को मुझे एक अनजान नम्बर से फोन आया. वो कोई महिला बोल रही थी. उसने मेरा हाल पूछा, फिर बोली- कभी मिलो.
मैं चौंक गया कि कौन है.
मैं चुप हो गया तो वो हंसने लगी और बोली- अरे तुम तो डर गए? मैं वही दवाई वाली बोल रही हूँ.
मैं बोला- ओह … आपको मेरा नम्बर कहां से मिला?
वो बोली- यदि चाहो … तो सब मिल जाता है.
मैंने कहा- बढ़िया … फिर बताओ कब और कहां मिल रही हो?
वो बोली- अरे वाह … तुम तो सीधे मिलने पर आ गए?
उसने मुझसे तुम कह कर बात की तो मैंने भी कहा- तुमने ही तो बोला है कि चाहो तो सब मिल जाता है. बस मैंने थोड़ा शब्द आगे पीछे कर दिए.
वो हंसी और बोली- तुम आदमी दिलचस्प हो! चलो शाम को 6 बजे, जहां तुम कल रात मिले थे, वहीं मिलते हैं.
फिर हम दोनों ने बाय बाय कर के फोन काट दिया.
शाम को 6 बजे जब मैं उस जगह पर पहुंचा, वो वहां पर पहले से ही खड़ी थी. मुझे देखते ही वो मुस्करायी और बोली- चलें?
मैंने कहा- जी बिल्कुल … बन्दा आपकी सेवा में हाज़िर है.
उसने कहा- तुम चलाओगे ये? या मैं चलाऊं?
मैं कुछ नहीं बोला, बस चाबी ली और स्कूटर चालू कर दिया. वो भी मेरे पीछे बैठ गयी और मेरी कमर में हाथ डाल कर मुझे कस कर पकड़ लिया.
मैं बोला- रास्ता बताओ.
फिर वो बताती गयी और मैं चलाता गया. पांच मिनट में उसने मुझे एक घर के सामने रुकने को कहा. वो एक मंजिला बड़ा सा घर था, मतलब अकेला घर, उसके चारों तरफ दीवार थीं. उसने उतर कर गेट खोला और मैं स्कूटर लेकर गेट के अन्दर चला गया. उसने गेट बन्द किया और पीछे हो गयी. आगे जाकर मैंने स्कूटर खड़ा किया और उसने घर का दरवाज़ा खोला. वो अन्दर घुसी, तो मैं उसके पीछे पीछे घर के अन्दर चला गया.
घर बहुत ही तरीके से सजाया हुआ था. उसने मुझे सोफे पर बैठने को कहा और वो अन्दर चली गयी. मैं उसके घर को घूम कर देख ही रहा था कि वो पानी ले कर आयी. पानी लेते हुए मैंने उससे पूछा- घर के बाकी लोग कहां हैं?
वो बोली- मैं अकेली रहती हूँ. मेरे पति का दवाई का काम है. वो अलग अलग शहर में दवाईयां देने जाते हैं और 15 दिन में 2-3 दिन के लिए ही घर पर आते हैं. अभी दो दिन पहले ही वो चेन्नई गए हैं.
कुछ देर बातें करने के बाद वो बोली- क्या खिलाओगे?
मैं हंसा और बोला- जो तुम बोलो?
वो बोली- मुझे कुछ अलग खाना खाना है.
तो मैं बोला- चलो मैं बना कर खिलाता हूँ.
वो बोली- तुम खाना बनाना जानते हो?
मैंने कहा- खा कर बताना.
फिर हमने मिल कर खाना बनाया. सब्जी एवं दाल मैंने बनायी और उसने चावल बनाये. हमारा रोटी का कोई इरादा नहीं था.
वो बोली- क्या पियोगे?
मैं बोला- दूध.
वो बोली- उसके पहले?
मैं बोला- मैं व्हिस्की पीता हूँ.
तो वो एकदम खुश हो कर मेरे से लिपट गयी और बोली- वाह, आज तो मज़े आ गए … मैं भी व्हिस्की ही पसन्द करती हूँ.
मैंने कहा- चलो लेकर आते हैं.
तो वो बोली- चलो!
और मेरा हाथ पकड़ कर दूसरे कमरे में जाने लगी.
मैंने कहा- अन्दर किधर जा रही हो?
वो बोली- आओ तो सही.
वो मुझे दूसरे कमरे में एक अलमारी के सामने ले जा कर बोली- इसे खोलो.
जब मैंने अलमारी खोली, तो देखा उसमें अलग अलग तरह की बोतलें रखी थीं.
मैंने कहा- लगता है कि तुम्हारे पति को काफ़ी शौक है.
वो बोली- नहीं, वो केवल बियर पीते हैं, ये सब मेरे लिए है. केवल जब मैं उन्हें दूध नहीं पिलाती, तब वो मेरे लिए मेरे साथ पीते है. अगर तुम बोलते कि बियर पीनी है, तो तुम्हें भी दूध नहीं मिलता.
यह कह कर वो हंसने लगी.
फिर हमने एक बोतल निकाली और सोडा और पानी लेकर बाहर हॉल में बैठ गए.
उसने कहा- पहली बार तुम बनाओ ताकि मुझे समझ आ जाए कि तुम्हें कैसे लेना पसन्द है.
मैंने दोनों गिलास में दारू डाली और अपने गिलास में थोड़ा सा सोडा और थोड़ा पानी डाला. फिर मैंने उससे पूछा कि उसे कैसे लेना पसन्द है?
तो वो बोली- मुझे बहुत अच्छा लगा कि तुमने मेरी पसन्द पूछी क्योंकि उसके पति तो बस अपने हिसाब से पैग बना देते हैं और बहुत सारा पानी मिला देते हैं. जबकि मुझे पहला पैग बिल्कुल सादा लेना पसन्द है.
मैं समझ गया कि उसे केवल दारू पीनी है. मैंने और कुछ नहीं पूछा और उसका आधा गिलास केवल नीट दारू से भर दिया. फिर हमने गिलास टकराये और पीने लगे.
लेकिन इससे पहले कि मैं अपना एक घूंट भर कर गिलास नीचे रखता, उसने पूरा गिलास खाली कर दिया और आँखें मींच कर आह करके आवाज़ निकाली.
मैं तो उसे देखता ही रह गया और उसने फिर से अपना गिलास पूरा का पूरा केवल दारू से भर लिया. अब तक हम आमने सामने बैठे थे. गिलास भर कर वो उठी और मेरे पास आ कर बैठ गयी और बोली- तुम चिन्ता मत करो.. मैं तुम्हें जोर नहीं दूँगी, तुम अपने हिसाब से पीना.
मुझे बहुत अच्छा लगा और मैंने उसे बांहों में भर कर उसके गाल पर चुम्मी कर ली.
वो तो जैसे इस शुरूआत के इन्तज़ार में बैठी थी. मेरी पकड़ ढीली होते ही उसने मुझे कस कर पकड़ लिया और सीधा मेरे होंठों को चूसने लगी. वो बोली- मैं पिछले 3 घन्टे से इसका इन्तज़ार कर रही थी.. पर तुम हो कि पास ही नहीं आ रहे थे.
मैंने कहा- पहली मुलाकात है और मैं तुम्हारे जैसे अच्छे दोस्त को खोना नहीं चाहता हूँ.
वो बोली- तुम बहुत अच्छे इन्सान हो. नहीं तो अगर किसी आदमी को कोई लड़की ऐसे अपने घर में लाये, तो वो तो बस आते ही उसे नोंचने लग जाए.
इसके बाद हम दोनों थोड़ी देर एक दूसरे की बांहों में बैठे रहे और बस एक दूसरे को धीरे धीरे चूमते रहे.
फिर वो बोली- बहुत समय हो गया है, तुम्हें भूख लग रही होगी, चलो अपना गिलास खाली करते हैं और खाना खा लेते हैं. उसके बाद फिर महफिल जमाते हैं.
अब तक मैं भी जोश में आ चुका था, तो मैंने एक ही झटके में गिलास खाली कर दिया और उसने भी मुझे देख कर अपना पूरा भरा दूसरा गिलास भी खाली कर दिया. मुझे लगा ये तो बहुत ज्यादा पीने वाली लगती है.
लेकिन जल्द ही मेरी ये धारणा दूर हो गयी, जब हम उठने लगे तो वो पूरी लहरा गयी.
मैंने उसे सम्भाला और बोला- तुम बैठो, मैं खाना यहीं ले कर आता हूँ और हम यहीं साथ में बैठ कर खाएंगे.
वो बस मुझे देखती रही और वहीं सोफे पर बैठ गयी. फिर हमने खाना खाया, खाना खाने के बाद वो थोड़ी सही हो गयी थी.
वो मुझसे माफी मांगने लगी कि उसे एकदम से इतनी नहीं पीनी चाहिये थी.
मैंने कहा कि ये तो मेरी किस्मत है कि मुझे तुम्हारी सेवा का मौका मिला. अब ये बताओ कि क्या चाहती हो, ये सेवक आपकी कैसे सेवा कर सकता है.
वो बोली- सेवक हमें हमारे कमरे में ले कर चलो … हमें कपड़े बदलने हैं.
हम दोनों अभी तक अपने बाहर वाले कपड़ों में ही थे. मैंने कहा- जो हुकुम मेरे आका.
तो वो जोर से हंस पड़ी और बोली- मैंने तुम्हें दिन में ही कहा था कि तुम बहुत दिलचस्प आदमी हो.
वो मेरी तरफ़ बांहें फैला कर खड़ी हो गयी. मैंने उसे गले से लगाया और उसकी कमर को पकड़ कर उसे ऊपर उठा लिया. उसने भी अपने पैर मेरी कमर पर लपेट लिए और मेरे गाल पर एक पप्पी कर दी.
फिर वो मुझे अपने कमरे में ले गयी और बोली- सेवक अब हमारे कपड़े बदलो.
मैंने भी झुक कर सलाम किया और उसकी कमीज़ के बटन खोलने लगा. वो मेरे बालों में अपनी उंगलियां घुमाने लगी.
मैंने बटन खोल कर अपने हाथ अन्दर डाल कर पीछे ले जा कर उसकी ब्रा का हुक भी खोल दिया. अब मैंने उसकी कमर पर दोनों तरफ़ हाथ रखे और ऊपर करते हुए कमीज़ और ब्रा दोनों एक साथ निकाल दिए. लेकिन वो मुझसे तेज़ थी, जब हाथ ऊपर कर रही थी तो उसने नीचे से मेरी टी शर्ट पकड़ ली.
मतलब जैसे ही मैंने उसे ऊपर से नंगा किया, उसी समय उसने मुझे भी ऊपर से नंगा कर दिया.
जब हमने हाथ नीचे किये तो वो मेरे गले में बाहें डाल कर मुझसे चिपक गयी और फिर एक लम्बा किस चला. अब की बार मैंने हाथ नीचे किये और उसे नीचे से पकड़ कर उचका दिया. मैंने सोचा था कि वो किस तोड़ देगी, लेकिन हुआ उल्टा, वो पूरी तरह से मेरे गले में लटक गयी और और जोर से किस करने लगी.
फिर किस छोड़ कर वो मेरे कान को चूसने लगी तो मैंने उसके कान में कहा कि क्या आगे पार्टी नहीं करनी. उसने कान चूसते हुए गर्दन हिला कर हां कहा और नशीली आंखें ले कर अपनी गर्दन आगे कर दी. मेरे होंठों पर एक पप्पी की और बोली- अब पार्टी के लिए मुझे उतारो तो सही.
मैंने उसे धीरे से नीचे उतारा और गले से लगा लिया.
वो बोली- मैं फिर चढ़ जाउंगी.
हम दोनों हंस दिए.
फिर मैंने उसे घुमाया और हाथ आगे करके उसके 36″ के चुचे धीरे से दबा दिए और हाथ उसके मम्मों पर ही रखे रहा. उसने मेरे दोनों हाथों पर अपने हाथ रखे और अपने मम्मों को कस कर दबा दिया.. साथ ही उसने अपने चेहरे को ऊपर उठा दिया. मैंने उसकी आंखों को चूम लिया और धीरे से नीचे करते हुए उसकी पेंट का बटन खोल दिया और अपने हाथ अन्दर डालते हुए उसकी जींस को नीचे कर दिया. लेकिन मैंने ध्यान रखा कि उसकी पेंटी ना उतरे.
उसने भी मेरा साथ दिया और जींस को पूरा निकाल दिया. फिर वो घूम कर बोली- कपड़े उतार तो दिए.. अब कुछ पहनाओगे नहीं.
मैंने कहा- नहीं.
तो वो बच्चों की तरह रोनी सूरत बना कर खड़ी हो गयी.
मैंने कहा- मुझे पता नहीं ना है कि बच्ची को क्या पहनना है … तो कैसे और क्या पहनाऊं.
वो इठलाते हुए बोली- मुझे नहीं पता … तुम अपनी मर्ज़ी के कपड़े पहनाओ.
मैंने उसकी अलमारी खोली और उसमें से एक गाऊन निकाल कर उसे पहना दिया. वो बहुत ही मुलायम गाऊन था और मुझे प्यार के समय मुलायम चीज़ पसन्द है. उसके बाद वो बोली कि तुम क्या लुंगी पहनते हो?
मैंने हां कहा, तो उसने एक सेम कपड़े की लुंगी मुझे दे दी. मैं जब अपना निक्कर निकालने लगा, तो बोली- सेवक, यह हमारा काम है.
वो मेरे सामने घुटनों पर बैठ गयी और धीरे से मेरा निक्कर उतारने लगी. उसी के साथ उसने मेरी चड्डी भी साथ में निकाल दी. जैसे ही मेरी चड्डी नीचे हुई उसने मेरे पप्पू को मुँह में ले लिया और चूसने लगी. दो मिनट बाद उसने पप्पू को छोड़ा और बोली- वाह, मज़ा आ गया! मस्त लंड है.
फिर मुझे लुंगी दी और कहा- लो पहन लो … नहीं तो अभी तुम्हारा चोदन कर दूँगी.
मैंने बिना कुछ बोले लुंगी पहन ली और हम वापस से हॉल में आ गए.
हमने अपनी अपनी तरह का एक एक पैग और लगाया और फिर वो बोली कि चलो छत पर चलते हैं.
रात के 10 बज चुके थे और आस पास के मकान भी इतनी पास नहीं थे, तो मैंने भी हां कर दी. हम अपनी बोतल और गिलास ले कर छत पर पहुंच गए. छत पर बीच में एक पत्थर की मेज़ और उसके दो तरफ़ बैठने के लिए बेंच बनी थीं. हम वहां पर बैठ गए और फिर से एक एक पैग बना लिया.
तभी मैंने देखा कि उसका गाऊन कुछ फ़ूल रहा था. मैंने पूछा, तो बोली कि जब मैंने तुम्हारा निक्कर उतारा था, तो देखा कि उसमें सिगरेट है.. और दारू के बाद ये तो तुम्हें चाहिये ही होगी. इसलिए छुपा कर ले आयी.
मैंने कहा- वाह क्या बात है बहुत मस्त सोचा है. चलो एक एक सिगरेट हो जाए.
उसने बिना कोई देर किये दो सिगरेट निकालीं और जला दीं. एक मुझे दी और एक खुद पीने लगी. एक एक कश लगाने के बाद हम दोनों एक एक घूंट दारू पीने लगे. पैग खत्म होते होते उसे नशा चढ़ने लगा था और मुझे भी थोड़ा सा सुरूर हो गया था.
मैंने उसे इशारा किया. उसे अपने सामने मेज़ पर बैठा लिया और गाउन के ऊपर से उसकी जांघें सहलाने लगा. धीरे धीरे मैंने उसका गाऊन ऊपर कर दिया और उसकी नंगी टांगों को चाटने लगा. टांगें चाटते हुए जब मैं ऊपर पहुँचा, तो देखा कि उसकी चड्डी पूरी गीली हो चुकी थी.
मैंने पूछा तो बोली- ये तो तब से गीली है, जब तुमने पहली पप्पी ली थी. असल में मेरे पीरियड चल रहे थे और 2 दिन पहले जब खत्म हुए तो उसी दिन ये बाहर चले गए और मैं पीरियड के बाद बहुत चुदासी हो जाती हूँ. इसलिए जब तुम्हें कल रात को देखा था तो रुक गयी थी कि शायद काम बन जाए. पर तुम्हारी तबियत देख कर कुछ नहीं बोली. फिर आज सुबह जब मैं तुम्हारी तबियत का पता करने होटल गयी, तो तुम्हें मेरे बारे में बात करते देखा और मेरा धन्यवाद करने के लिए पता करते देखा, तो मैं समझ गयी कि तुम अच्छे आदमी हो और इसलिए मैंने तुम्हें बुला लिया.
मैंने कहा- तो बोला क्यों नहीं … पहले मैं तुम्हारी इच्छा पूरी करता, फिर खाने पीने का काम करते.
वो बोली- नहीं मैं जल्दबाज़ी में नहीं करना चाहती थी, मुझे पूरे प्यार और टाइम के साथ करना अच्छा लगता है.. और तुम जितने प्यार से मेरे साथ पिछले 4 घन्टे से हो, तो मुझे ये लगा ही नहीं कि मैं तुम्हें केवल सेक्स के लिए लाई हूँ.
यह बात करते करते मैंने उसकी पेन्टी भी निकाल दी और फिर मैंने उसे वहीं मेज़ पर लिटाया और उसकी सफाचट चूत को चाटने लगा. वो उम्म्ह… अहह… हय… याह… करने लगी, कुछ देर बाद मैंने उसे उठाया और उसका गाऊन निकाल दिया. छत पर कोई रोशनी नहीं थी. तो हमें किसी के देखने का कोई डर नहीं था.
मैंने उसे उसी मेज़ पर उसे लिटा दिया और उसके पूरे बदन को नीचे से ऊपर तक चाटने लगा. वो वासना से तड़पने लगी. मेरे दोनों हाथ मेज़ पर थे और मैं उसे बिना छुए ही चाट रहा था. फिर धीरे से मैंने उसकी आंखों में देखते हुए उसके निप्पल को चूसने लगा. उसकी 36” के चुची पूरी टाईट हो गयी थी और निप्पल खड़े हो गए थे.
उसने भी अभी तक अपने हाथों को मेज़ पर रखा हुआ था. जैसे ही मैंने उसके एक निप्पल के साथ उसकी चुची को भी जोर से चूसा.. तो उसकी चूची करीब 3-4″ वो मेरे मुँह में चली गयी.
बस दो मिनट में ही वो जोर से चिल्लाते हुए बोली कि ये क्या किया यार.. मैं तो बिना कुछ किये ही झड़ गयी.
मैंने कुछ नहीं कहा और बस उसे उसी तरह प्यार करता रहा. बस अब फ़र्क इतना था कि मैं उसके होंठ चूस रहा था और एक हाथ से उसकी चुची को सहला रहा था.
जब वो थोड़ी नार्मल हुई तो मैंने उससे कहा- सब यहीं करना है या बिस्तर पर चलें?
वो मुस्कराई और बोली- अब क्या करना है … मेरा तो हो गया.
मैं बोला- तो ठीक है, फिर मैं जाता हूँ.
तो वो बोली- अगर आज जाने का बोला तो कच्चा चबा जाऊंगी. कुछ देर तो रुको इतना तो मैं कभी पूरे सेक्स के बाद नहीं झड़ी, जितना तुमने बिना हाथ लगाये झाड़ दिया. चलो पहले एक एक पैग हो जाए और एक सिगरेट खींचते हैं.
हमने एक एक पैग और सिगरेट पी और फिर उसने मुझे मेज़ पर लिटा दिया बोली- आज पूरा बदला ले कर रहूँगी.
मैं भी एकदम सीधा लेट गया. वो मेरे ऊपर झुकी और मेरे होंठ चूसने लगी. मैंने कोई हरकत नहीं की तो वो बोली- बहुत अच्छे.. ऐसे ही शान्त लेते रहना कोई गड़बड़ ना करना … अब मेरी बारी है.
मैंने केवल गर्दन हिला कर हां कर दिया.
उसके बाद वो अपने 36″ के चुचे मेरे मुँह पर रगड़ने लगी. आप सोच सकते हो कि दो भरे हुए खरबूज़ आदमी के मुँह के सामने हों और वो कुछ ना कर सकता हो, तो उसकी क्या हालत होगी. मेरा पप्पू एकदम से तन कर खड़ा हो गया. उसके बाद वो नीचे होते हुए अपने चुचे मेरे पूरे बदन पर रगड़ने लगी. फिर एक निप्पल मेरी नाभि में डाल कर हिलाने लगी. ये मेरे लिए एकदम नया एहसास था. इससे पहले कभी किसी ने ऐसा नहीं किया था. इसके साथ साथ वो मेरे निप्पल चूसने लगी.
अब मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं पेट पर होने वाले मज़े को महसूस करूँ या निप्पल चूसने वाले मज़े को. अभी मैं सोच ही रहा था कि अगला हमला हो गया. उसने एक हाथ नीचे किया और मेरी लुंगी खोल दी और मुझे भी पूरा नंगा कर दिया.
मुझे लगा अब वो मुझे यहीं टेबल पर चोदने वाली है. लेकिन नहीं जी, वो तो पूरा बदला ले रही थी.
उसने मुझे नंगा करने के बाद मेरी टांगों पर हाथ फ़ेरना शुरू कर दिया. फ़िर धीरे धीरे मेरे निप्पल को चाटते हुए नीचे आते हुए पूरे बदन को चाटने लगी. बस वो मेरे लंड को छोड़ कर सब जगह हाथ फ़ेर रही थी.
फ़िर वो मेरे पेट से नीचे की तरफ़ बढ़ी और उसका गाल मेरे लंड पर छुलने लगा. वो केवल गाल को मेरे लंड पर छुलाती रही और टांगों पर हाथ फ़ेरती रही.
फिर उसने अपनी जीभ से मेरे लंड के चारों तरफ़ चाटना शुरू कर दिया. लेकिन साली ने अब भी मेरे लंड को नहीं चाटा और मेरी हालत खराब कर दी. फ़िर हाथ फ़ेरते फ़ेरते उसने मेरे आंड को मसलना शुरू कर दिया और लंड के आस पास चाटती रही और साथ में दूसरे हाथ से मेरे निप्पल को मसलने लगी. लेकिन साली ने अब भी मेरे लंड को नहीं छुआ.
करीब दस मिनट तक मुझे इसी तरह तड़पाने के बाद वो मेरी तरफ़ अपनी गांड करके मेरे ऊपर झुक गयी. मेरे हाथ अपने पैरों के नीचे दबा लिए और अपनी चुचियों को मेरे लंड पर रगड़ने लगी. मेरे लंड को चुचियों के बीच में ले कर ऊपर नीचे होने लगी लेकिन मेरे लंड पर हाथ अब भी नहीं लगाया जिस कारण से लंड उसकी चुचियों के बीच में ठीक से दब भी नहीं रहा था और मेरी हालत बहुत खराब हो रही थी.
अब मैंने कोशिश की कि अपनी गांड उठा कर लंड को चुचियों के बीच में दबा दूं. इससे पहले कि लंड चुचियों के बीच में जाता, उसने अपनी चुचियां ऊपर कर लीं और अपने दोनों हाथों से मेरी जांघें नीचे दबा कर बोली- बदमाशी नहीं और चीटिंग भी नहीं.
मैं उसे मनाने लगा कि यार मेरे लंड में बहुत दर्द हो रहा है … इसका कुछ तो करो.
वो हंसते हुए थोड़ा पीछे को खिसकी और मेरे मुँह पर अपनी चुत रख कर दबाते हुए बोली कि चुपचाप लेटे रहो, कुछ मत बोलो.
लेकिन मेरे लिए ये एक फ़ायदे वाला काम हो गया और मैं उसकी चुत को अपने मुँह में भरकर जोर से चूसने लगा.
अब बारी उसके तड़पने की थी. उसे जो मज़ा मिला, वो उसे खोना नहीं चाह रही थी इसलिए वो जोर जोर से अपनी चुत मेरे मुँह पर रगड़ने लगी. अब मेरा ध्यान उसकी चुत पर था, तो मेरे लंड की तड़प कुछ कम हो गयी. एक मिनट में ही वो बहुत गर्म हो गयी और उसने मेरे लंड को पकड़ कर जोर से दबा दिया और फ़िर झुक कर उसे चूसने लगी. मुझे लज्जत मिल गई.
दो मिनट के बाद वो एकदम से फ़िर होश में आयी, उठी और बोली- कर दी ना बदमाशी, अब मैं तुम्हें बताती हूँ और मज़ा चखाती हूँ.
वो घूम कर मेरे लंड के ऊपर बैठ गयी और जोर जोर से ऊपर नीचे होने लगी. लेकिन वो इतनी जोश में आ गयी थी कि दो मिनट में ही फिर झड़ गयी और मेरे ऊपर लेट कर हांफ़ने लगी.
वो बोली- सारा पानी यहीं निकलवा दोगे तो फिर नीचे क्या करोगे? क्या मुठ मारोगे?
वो यह कह कर हंसने लगी.
मैंने कहा- चलो नीचे चल कर देख लो कि क्या करता हूँ.
वो बोली- जल्दी चलो … दारू पीने के बाद मैं बहुत गर्म हो जाती हूँ और मुझे बहुत जोर की चुदाई चाहिये.
मैं उसे अपने से लिपटा कर उठा क्योंकि वो मेरे ऊपर लेटी थी. मैं उसे बांहों में भर कर किस करने लगा. वो एक बार फ़िर से मेरे से लिपट गयी और किस में पूरा साथ देने लगी.
मेरा खड़ा लंड अभी भी उसकी चुत में ही था तो मैं हिल कर उसे अन्दर बाहर करने लगा.
वो बोली- प्लीज नीचे चलो ना और मुझे जोर से चोदो.
मैंने उसकी चुची दबाते हुए अपने पैर मेज़ पर से नीचे किये और उसे गोद में ले लिया. आप सोच सकते हो कि जिसकी 36″ की चुचियां हों.. वो खुद कैसी होगी. वो मेरी कमर पर पैर लपेट कर और मेरे गले में बांहों को कस कर लिपट गयी.
मैं उससे बोला- चलें नीचे?
तो वो बोली- हां चलो.
मैंने कहा- अगर ऐसे गए तो सीढ़ियों में ही काम हो जाएगा.
वो बोली- लेकिन मज़ा आ रहा है, तुम्हें छोड़ने का दिल नहीं कर रहा.
मैंने अपनी एक उंगली उसकी गांड में डाल दी और वो एकदम से उछल कर उतर गयी. वो फ़िर वही बच्चों वाली सूरत बना कर बोली- हूँह … गन्दे कहीं के … चलो जहां चलना है.
मैंने उसे फ़िर बांहों में लिया और किस किया तो वो फिर से चिपक गयी.
वो आदेश देते हुए बोली- चलो सेवक.
हम दोनों हंस दिए और दारू का सामान ले कर नीचे आ गए.
हमें भूख भी लग रही थी, तो हमने पहले खाने पर धावा बोला और खाना खाकर दारू उतर गयी. तो फिर से एक एक पैग बना कर हम कमरे में आकर पलंग पर बैठ गए.
पैग पीने के बाद हम दोनों ने एक दूसरे को देखा और मुस्करा दिए. हम दोनों ने एक साथ गिलास नीचे रखा और एक दूसरे के ऊपर कूद गए. अब तो यह होड़ लगी थी कि कौन जोर से किस करता है और साथ में ही एक दूसरे के बदन से खेलने लगे. खेलते खेलते मैंने उसे लिटाया और उसके ऊपर छा गया. मैं उसकी चुचियों को जोर जोर से दबाने लगा. हमारे होंठ तो अलग ही नहीं हो रहे थे. हम नंगे तो थे ही, तो जब मैंने उसके ऊपर लेट कर नीचे से थोड़ा हिल कर जोर लगाया तो मेरा लंड उसकी चुत में घुस गया.
एक तेज ‘आआह …’ के साथ उसकी पकड़ थोड़ी ढीली हुई और हमारे होंठ भी अलग हो गए. मैंने समय ना गंवाते हुए उसकी चुची मुँह में भर ली और जोर जोर से चूसने लगा और दूसरी को मसलने लगा.
मुझे चूत चोदते समय चुचियों से खेलना और चूकना बहुत पसन्द है. मैं नीचे से धीरे धीरे हिल रहा था और चुचियों को गूंथते हुए चूस रहा था तो वो बोली- यार काट कर चूसो न!
मैंने कहा- दर्द होगा.
वो बोली- नहीं … जोर से काटो.
मैंने जैसे ही जोर से काट कर चूचे को चूसा, उसने ‘आआआह …’ भरी और अपनी चुत एकदम टाइट कर ली जैसे वो मेरे लंड को निचोड़ ही लेगी. वो मेरे सर को अपनी चुची पर दबाने लगी और बोली- हां बिल्कुल ऐसे ही और जोर से!
मैंने भी उसकी बात रखते हुए जोर जोर से चूची चूसना शुरू कर दिया और पूरे जोर से दूसरी चुची को दबा रहा था जैसे उसे उखाड़ ही लूँगा.
उसे ये अच्छा लग रहा था. मैं जैसे ही थोड़ा हाथ ढीला करता, वो अपने हाथ से जोर से दबा देती और जैसे ही मैं थोड़ा धीरे से चूसता, वो मेरे बाल खींच कर चुची पर मेरा मुँह दबा देती, जैसे पूरी चुची को मेरे मुँह में ही डाल देगी.
मुझे समझ में आ गया था कि उसे रफ़ सेक्स पसन्द है. बस फ़िर क्या था. मैंने पूरे जोर से उसे चोदना चालू कर दिया. मेरे हर धक्के पर वो अपनी गांड उठा कर मेरा पूरा साथ दे रही थी.
मैं उससे बोला- पूरे मज़े लेने हैं तो मुझे ऊपर से थोड़ा उठने दो.
वो बोली- नहीं अभी नहीं … अभी और मेरी चुचियों का हलवा बनाओ, जब ये दुखने लगेंगी, तब तुम नहीं, मैं जोरदार धक्के लगाउंगी और तुम मज़े लेना. अभी तो तुम जितना मेरी चुचियों को रगड़, मसल सकते हो उतना रगड़ो और मसलो.
मुझे भी चुचियों के साथ खेलना बहुत अच्छा लगता है और जब औरत साथ दे और कहे कि और जोर से मसलो … तो फ़िर क्या बात.
बस मैं शुरू हो गया और जोर जोर से एक चुची को चूसता तो दूसरी को मसलता. दूसरी को चूसता, तो पहली को मसलता.
वो दो मिनट में ही फ़िर से झड़ गयी.
मतलब उसे चुचियों के साथ खेलने में ही ज्यदा मज़ा आता है. पहली बार भी जब मैंने चुची जोर से चूसी थी तो वो झड़ गयी थी. लेकिन इस बार झड़ने के बाद वो और गर्म हो गयी और नीचे से अपने चूतड़ उठाने लगी. फ़िर एकदम से उसने मेरी कमर पर से टांगें नीचे कर के मेरे पैरों में फंसा लीं. इसके बाद उसने मुझे कस कर पकड़ कर एक पलटी मारी और मेरे ऊपर आ गयी.
उसके बाद उसने जो जोरदार धक्के लगाने शुरू किये, वो मज़े मैं बता नहीं सकता. बस आज भी ये याद आते ही मेरा लंड खड़ा हो जाता है. वो हर सेकंड में 3 धक्के तो लगा ही रही होगी. मैंने आज तक किसी औरत को इतनी तेज़ धक्के लगाते नहीं देखा है. वो करीब 5 मिनट तक बिना रुके धक्के लगाती रही और मैं केवल लेट कर उसकी हिलती चुचियों से खेलता रहा.
वो फ़िर से एक बार वो झड़ गयी, यानि वास्तव में उसे बहुत सेक्स की भूख लगी थी. लेकिन इस बार मैंने उसके रुकते ही वापस से पलटी मारी और उसके ऊपर आ गया. अब मैंने उसकी टांगें कंधों पर रख कर धक्के मारने शुरू कर दिए.
वो ‘हां हां हां यस यस यस …’ बोल कर अपनी गांड उठा उठा कर मेरा साथ देती रही.
करीब 5 मिनट और धक्के मारने के बाद उसकी टांगें कन्धे पर रखे रखे, मैं उसके ऊपर झुक गया और उसके होंठों को मुँह में लेकर चूसने लगा. इस स्थिति में उसकी पूरी गठरी बन गयी थी, लेकिन तब भी उसने मेरा पूरा साथ दिया.
उसके कुछ देर बाद मेरा भी पानी निकलने वाला था तो मैंने उससे बोला कि मेरा होने वाला है तो वो बोली- मेरी टांगें दोनों तरफ़ करके मेरी चुत का तबला बजाते हुए धक्के लगाओ.
मैंने कहा- मतलब?
तो बोली- हर धक्के पर जोर से पट पट की आवाज़ आनी चाहिये.
बस मैं भी चालू हो गया और उसने अपनी टांगें खुद पकड़ कर फ़ैला दीं. अब मैंने उसे पलंग के किनारे पर करके उसकी चुचियों को पकड़ कर धक्के लगाने शुरू कर दिए. फ़िर वही हुआ, चुचियों को पकड़ते ही वो गरमा गई और बोली- जल्दी जल्दी चोदो … मेरा भी हो गया … बस बाहर मत निकालना … मुझे वीर्य अन्दर ही महसूस करना है.
फ़िर हम दोनों खाली हो गए. खाली होने के बाद मैं उसकी चुचियों के ऊपर मुँह रख कर लेट गया. धीरे से उसे भी पूरा पलंग पर कर लिया.
उसके बाद हम कब सो गए, पता नहीं चला.. कब लंड बाहर निकला, कुछ पता नहीं.
सुबह 7 बजे जब आँख खुली तो देखा हम दोनों पूरे नंगे एक दूसरे से लिपटे सो रहे थे, मैंने उसे हिलाया और उसके होंठों को चूमते हुए कहा कि सुबह हो गयी.
तो वो ‘ऊऊऊ..’ करके मुझसे लिपट गयी और बोली- इतनी जल्दी सुबह क्यों हो गयी.
5 मिनट बाद हम एक दूसरे को पप्पी कर के उठ गए और नहा कर फ़्रेश हो कर अपने काम पर जाने के लिए तैयार हो गए.
मुझे अभी होटल जा कर कपड़े बदलने थे इसलिए मैंने उससे बोला कि मैं चलता हूँ.
तो वो बोली- रुको, मैं भी चलती हूँ.
मैंने कहा- क्या मेरे साथ मेरे काम पर जाना है? तुम्हारी दुकान खोलने में तो समय है?
तो वो बोली- नहीं, तुम तैयार हो कर काम पर चले जाना और मैं तुम्हारा सामान ले कर घर आ जाऊँगी. मतलब अब तुम यहीं मेरे साथ मेरे घर पर ही रहोगे.
मुझे भी केवल 2-3 दिन का काम बाकी था तो मैंने कहा- ठीक है, तुम परेशान मत हो, मैं शाम को आ जाऊंगा.
लेकिन वो नहीं मानी और मेरे साथ जा कर मेरा सामान ले कर आ गयी.
शाम को काम के बाद जब मैं 6 बजे घर पहुंचने वाला था. तो मैंने उसे फोन किया कि वो कहां है और कितने बजे तक घर आएगी. उसी समय मैं भी वापस आ जाऊंगा.. तब तक मैं किसी बार में बैठता हूँ.
वो बोली- तुम मेरी चिन्ता मत करो, मैंने इन्तजाम कर दिया है. तुम कभी भी घर पहुंचो, तुमको घर खुला मिलेगा.
मेरे पूछने पर वो बोली- मैंने अपनी काम वाली को बोल दिया है और वो शाम 4 बजे से 8 बजे मेरे आने तक तुम्हारा ख्याल रखेगी.
मैंने सोचा कि चलो कोई बात नहीं केवल दो घन्टे की तो बात है, काट लेंगे.
जब मैं घर पहुँचा तो घर का दरवाज़ा खुला था लेकिन फिर भी मैंने घन्टी बजायी. तो एक 22-24 साल की लड़की बाहर आयी और उसने मेरे बारे में पूछा.
मैं बोला- मेमसाब ने बताया होगा कि मैं आने वाला हूँ.
तो वो बोली- ओके ओके … वो आप हैं उनके दोस्त. आइये आइये मैं आपका ही इन्तज़ार कर रही थी.
मैं चौंक गया और मैंने पूछा- मेरा इन्तज़ार क्यों?
तो वो अचकचा कर बोली- व्वो … मेरी चाय पीने की बहुत इच्छा हो रही थी और मैं अभी सोच ही रही थी कि आप आ गए, सच में बहुत सही समय पर आए हो.
खैर मैं उसे बोल कर कि ‘चाय बना लो’ अन्दर फ़्रेश होने चला गया. लेकिन होटल की आदत बहुत खराब होती है, मतलब मैं बिना तौलिए के ही चला गया. नहाने के बाद जब मैंने तौलिया खोजा, तो याद आया कि ये तो किसी का घर है और खुद अपना तौलिया लाना था.
पहले सोचा कि उसे आवाज़ लगा कर उससे मंगा लूँ, लेकिन फिर सोचा कि छोड़ो, वो तो किचन में है, मैं जल्दी से बाहर जा कर ले लेता हूँ.
बाथरूम तो उसी कमरे में था, जिसमें मेरा सामान रखा था. तो मैं थोड़ा पानी झाड़ कर बाहर निकला और तौलिया खोजने लगा, लेकिन किस्मत मेरी कि उस कमरे में कोई तौलिया ही नहीं था.
अब मैं जब तक वापस गुसलखाने में जाता, वो कामवाली लौंडिया कमरे आ गयी और मुझे नंगा देख कर हंसने लगी.
मैंने कहा- अन्दर तौलिया नहीं था तो ऐसे आना पड़ा.
वो बोली- मैंने बाहर सुखाये हैं, मुझे आवाज़ लगा देते, मैं दे देती.
मैंने देखा कि जब वो नहीं शर्मा रही तो मैं क्यों शर्माऊं … और वो डबल मीनिंग वाली बात बोल रही है.
मैं उससे बोला- तो अब दे दे.
वो आँख मटका कर बोली- क्या?
मैंने कहा- जो तू देने की कह रही थी.
वो बोली- मैं तो चाय की बात कह रही थी.
मैंने भी सोचा कि कहां इसके चक्कर में पड़ना. मैं उससे बोला- जा और जा कर तौलिया ले आ.
वो बोली- तौलिये तो अभी सूखे नहीं हैं.
यह कहते हुए उसने चाय के कप मेज़ पर रख दिए और झुक कर अपनी गांड हिलाने लगी.
मैं समझ गया कि इसके मन में कुछ तो चल रहा है. तो मैं उसके पीछे गया और उससे चिपक कर अपना शरीर उसके लहंगे से पौंछने लगा. जब मेरी टांगें पुंछ गईं, तब तक तो कोई बात नहीं थी, लेकिन जब मैं उसका लहंगा उठा कर ऊपर का शरीर पौंछने लगा तो मेरा लंड उसकी गांड से टच कर गया.
वो ईईइश्श्श्स्श … करते हुए बोली- साब क्या कर रहे हो.. नीचे कुछ चुभ रहा है.
मैं बोला- एक तो तौलिया नहीं दिया और फिर झुक कर गांड हिलाती है. जब पहले लहंगा उठा कर टांगें पौंछी, तब कुछ नहीं बोली, तो अब क्यों बोल रही है?
वो बोली- मेमसाब आने वाली होंगी.
मैंने कहा- ओह तो ये बात है मेमसाब का डर लग रहा है. वो तो अभी और 1 घन्टे नहीं आने वाली.
वो बोली- अगर पानी पौंछ लिया हो तो मैं अपनी चाय पी आऊं.