14-02-2021, 06:57 AM
मैं बच्चे के लिये अपने ननदोई से चुदी
मेरी ननदोई के साथ सेक्स स्टोरी में पढ़ें कि शादी के बाद जब मेरे पति मुझे सेक्स का पूरा मजा नहीं दे पाए और मुझे कोई बच्चा नहीं दे पाए तो मैंने कैसे अपने ननदोई पटाने का सोचा. मैं उनसे कैसे चुदी और मुझे सन्तान का सुख मिला.
कैसे हो मेरे प्यारे दोस्तो? मेरा नाम दिशा (बदला हुआ) नाम है. मैं एक शादीशुदा लड़की हूँ. मेरी उम्र 24 साल फिगर 34-32-36, चूची खड़ी हुई, रंग गोरा, मैं गदराये हुए बदन और गदराई चूत की मालकिन हूँ. ए मेरी जिन्दगी में घटित हुई ये एक सच्ची चुदाई की घटना है.
मेरी स्टोरी शुरू करने से पहले मैं आप लोगों को अपने परिवार से परिचित करवा देती हूं.
मेरी शादी गांव में हुई है. ससुराल वाले घर में मेरे सास ससुर, मेरे पति और मैं ही हूँ. मेरे पति की छोटी बहन यानि मेरी ननद की शादी पहले ही हो चुकी थी।
हमारे घर में सब सुख शांति से चल रहा था और मेरी ससुराल में कोई कमी नहीं थी. अगर कोई कमी थी तो वो थी सिर्फ मेरी चूत की चुदाई की। मुझे मेरे पति अच्छे से नहीं चोद पाते थे, मेरी अन्तर्वासना अतृप्त रह जाती थी.
मैं आपको बताना चाहती हूँ कि शादी से पहले मेरा चुदने का बहुत मन होता था लेकिन मैं कभी किसी से चुदी नहीं. क्योंकि मुझे माता पिता व भाइयों की इज्जत का ख्याल था.
मुझे मेरे कॉलेज के और मोहल्ले के बहुत से लड़के चोदना चाहते थे. दो लड़के तो मुझे प्रोपोज़ भी कर चुके थे. कहते थे कि वे मुझे दिल से चाहते हैं. लेकिन मुझे आजकल के लड़कों का पता है … साले सारे के सारे लड़की की जांघों के बीच में घुसना चाहते हैं.
मुझे पता था कि सेक्स में बहुत मजा अता है क्योंकि मेरी कुछ सहेलियों ने अपने चोदू यार पाल रखे थे और वे उनसे अक्सर अपनी चूत चुदवाती रहती थी. मेरी सहेलियां अक्सर मुझे अपनी चुदाई की कहानियाँ सुना कर बेचैन कर देती थी.
लेकिन मैंने सोचा हुआ था कि मैं अपनी शादी के बाद ही अपनी चूत को अपने पति से ही खूब चुदवाऊँगी और सेक्स का मजा लूंगी.
मेरे एक चचेरे भाई ने मुझे सोती हुई को किस किया और मेरे बूब्ज़ भी दबाये थे. इससे मेरी नींद खुल गयी और मुझे अपने भाई की इस गन्दी हरकत का पता चला तो मुझे बहुत बुरा लगा, मुझे बहुत गुस्सा आया. मैंने उसे खूब झिड़का, खूब डांट पिलाई.
वो तो मेरे पैरों पड़ गया और माफी मांगने लगा नहीं तो मैंने पूरे कुनबे में उसकी बेइज्जती करवाने की सोच ली थी.
खैर मैंने उसे माफ़ कर दिया था. उसके बाद से वो मेरा गुलाम हो गया था. मेरे सारे काम वो अर्दली की तरह कर देता था.
हाँ तो अब असली मुद्दे पर आती हूँ.
शादी के बाद जब मैं अपनी ससुराल पहुँची तो मुझे सुहागरात में घनघोर चुदाई का इंतजार था. मैं अपनी कुंवारी चूत को खूब साफ़ करके संवार के चिकनी बना के ससुराल गयी थी. मुझे लगता था कि मेरे पति के लिए मेरी कुंवारी चूत से बढ़ कर कोई और तोहफा नहीं हो सकता.
लेकिन पहली रात में जब वो मेरे पास में पहुँचे और जब मैंने उनका लंड देखा तो बिल्कुल छोटा था. मुझे लंड के बारे में ज्यादा तो नहीं पता था पर मुझे अंदाजा था कि मेरे पति का लंड सामान्य से छोटा है.
खैर मेरे पति ने बिना किसी भूमिका के मुझे नंगी किया और मेरी कुंवारी गर्म चूत में अपना नन्हा सा लंड डाल कर थोड़ी देर गुच गुच करी और कुछ ही देर में झड़ गए. उनका लन्ड तो छोटे बच्चे की तरह था, वे कुछ नहीं कर पाए, मैं प्यासी रह गई.
मेरी तो किस्मत ही फूट गयी।
मैंने पति को कुछ नहीं कहा. पर मैंने खुद से कहा कि लगता है अब पूरी उम्र बिना चुदे ही रहना पड़ेगा.
लेकिन करूं तो करूं क्या … दो महीने बाद मेरा फिसड्डी पति विदेश की नौकरी पर 7 महीने के लिए चला गया. मैं बेचारी बिना चुदे ही रह गयी. बस जैसे तैसे अपनी चूत में उंगली करके अपनी कामवासना शांत करती थी.
जैसे तैसे मैंने 7 महीने काटे और सोचती रही कि जब दोबारा आएंगे तो मेरी चुदाई करेंगे।
लेकिन जब वो वापस आये तो मेरी बिल्कुल चुदाई नहीं हो पाई. अब तो उनका लन्ड खड़ा ही नहीं होता था।
अब तो मैं सोच रही थी कि कैसे भी करके मेरे एक बच्चा हो जाये बस।
मैं सोचने लगी कि क्या करूं … किससे कहूँ।
अब मैं आपको बता दूं कि मेरे पति के विदेश जाने के बाद मैंने अपनी ननद के यहाँ गई थी।
मैं अपने ननदोई के बारे में बता दूँ कि वो लखनऊ में जॉब करते थे, वहीं पर कमरा लेकर रहते थे. उनका एक 03 साल का लड़का था.
उनके बच्चे के जन्मदिन पर मैं अपनी शादी के बाद पहली बार उनके यहां पहुँची थी. मेरे पहुँचते ही मेरे ननदोई व ननद ने मेरा स्वागत किया.
जन्मदिन के बाद मेरी ननद ने कहा- भाभी, भैया तो विदेश चले गए हैं, भाभी आप यहीं कुछ दिन के लिए रुक जाओ.
तो मैं रुक गई।
मैं अपनी ननद के साथ लेटती थी व ननदोई अलग लेटते थे।
एक दिन रात में मेरी नींद खुली तो देखा कि दीदी मेरे साथ नहीं थी और ननदोई की चारपाई से कुछ आवाज आ रही थी।
मैं चुपचाप आँखें बन्द करके लेटी रही. अब नींद कहा आने वाली थी जब एक ही रूम में मेरे ननदोई और ननद चुदाई का प्रोग्राम बना रहे होम. नींद का बहाना बनाकर मैं उनकी तरफ देखती रही।
मेरी ननद के होंठों को ननदोई जी चूस रहे थे. यह देख कर मेरी चूत में पानी आने लगा. मैं धीरे धीरे अपनी चूत में उँगली करने लगी.
ननदोई जी मेरी ननद के चूचों को दबाते हुए निप्पल भी छेड़ रहे थे. अब वो गर्म होने लगी थी. कुछ देर तक उनके निप्पलों को छेड़ने के बाद ननदोई जी ने ननद के लोअर में हाथ डाल दिया.
वो पैंटी के ऊपर से ही उनकी चूत को सहलाने लगे।
अब वो गर्म हो गई और मुंह से हल्की सी आह्ह निकल गई. वो उनकी चूत को अब जोर से सहलाने लगे. उसके बाद ननद उनके लंड को अपने हाथ से टटोलते हुए उनके लंड को अपने हाथ में पकड़ लिया।
मेरी चूत बह रही थी।
उन्होंने ननद के लोअर को नीचे कर निकाल कर दिया. अब दीदी की चूत पर केवल पैंटी रह गई थी. फिर ननदोई ने पैंटी को भी निकालकर पूरी नंगी कर दिया.
दीदी उनके सामने पूरी की पूरी नंगी लेटी हुई थी और उनके लंड को अपने हाथ में पकड़ कर जोर से सहलाते हुए मजा ले रही थी.
उनकी पैंटी को निकालने के बाद दीदी की चूत को अपने हाथ रगड़ना शुरू कर दिया. ननद ने उनके कच्छे में हाथ डालकर लंड को सहलाया फिर उनके अंडरवियर को उतार दिया.
ननदोई जी का लंड पूरा का पूरा तना हुआ था. ननद ने गर्म लंड को अपने हाथ में भर लिया. उसके बाद वो ननद की चूत को सहलाने लगे और वो उसके लंड को पकड़ कर सहलाने लगी.
अब उनके मुंह से कामुक सिसकारियां भी निकलने लगी थीं.
ननदोई जी का लंड बहुत लंबा था. ननदोई ने मेरी ननद को लंड मुंह में लेने को बोला तो दीदी ने मना कर दिया. शायद दीदी को अच्छा नहीं लगता होगा।
वो उनकी चूत में उंगली कर रहे थे। फिर वो उनकी चूत को चाटने लगे.
उसके बाद कुछ देर तक उनकी चूत को चाटा और फिर उनकी टांगों को फैला दिया.
मैं उनकी हर एक हरकत को देख रही थी.
ननदोई ने दीदी की चूत पर लंड को रख दिया और चूत पर लंड को रखकर रगड़ने लगे. मेरी ननद गर्म ही चुकी थी। ननदोई ने अपने लंड उनकी चूत के ऊपर सेट कर दिया और धक्का देने लगे तो उनकी चीख निकल गई ‘उम्म्ह … अहह … हय … ओह …’
लेकिन साथ ही ननदोई उनके मुंह पर हाथ रख दिया और चुदाई की गति को तेज करने लगे. ननदोई जी का मोटा लंड उनकी चूत में फंसा था।
उसके बाद तेजी के साथ धक्के लगाने शुरू कर दिये. अब उनको काफी मजा आने लगा और वो मजा लेते हुए चुदने लगी.
कुछ देर के बाद ननद अपनी चूत में उनके लंड को और अंदर लेने के लिए अपनी टांगों को उसकी कमर पर लपेट लिया. उनका लंड चूत की गहराई में पूरा जाने लगा. अब उनको बहुत ज्यादा मजा आने लगा.
मेरी ननद की चुदाई हो रही थी और मुझे लग रहा था कि अभी मैं ननद को हटाकर मैं अपनी चूत चूत में लंड को लेकर चुदती रहूँ।
वो उनकी चूत की चुदाई तीस मिनट तक करते रहे. तब मुझे पता चला कि इतनी देर चुदाई होती है। दोनो लोगों ने एक दूसरे को बांहों में कस लिया ननद धीरे-धीरे शांत होने लगी.
उसके बाद ननदोई की स्पीड के कारण उनकी चूत से पच-पच आवाज होने लगी. उनकी गति पहले से भी और ज्यादा तेज होती जा रही थी.
अब दीदी की चूत में शायद दर्द होने लगा था. वो उनको हटाने की कोशिश कर रही थी लेकिन वो नहीं रुक रहे थे.
फिर दो मिनट के बाद उसकी गति धीमी पड़ने लगी. ननदोई जी ने अपना लंड दीदी की चूत से बाहर निकाल लिया और अपना वीर्य एक कपड़े पर छोड़ दिया. वो भी शांत हो गये.
शायद वीर्य बाहर इसलिए निकाला कि वो लोग अब दूसरा बच्चा अभी नहीं चाह रहे थे।
उसके साथ ही मेरी भी पैंटी पूरी गीली हो गई मेरी चूत से लगातार बह रहे कामरस से!
दीदी उठकर बाथरूम चली गई और मेरे साथ सो गई आकर!
लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी।
फिर कुछ दिन और रुकने के बाद मैं अपनी ससुराल चली गई. मुझे चुदाई के लिए ननदोई जी के लन्ड की याद आती रही।
मुझे लगा कि मेरा माँ बनना जरूरी है. इससे मेरे सास ससुर, सगे संबंधी भी शांत रहेंगे. मैंने निर्णय किया कि मैं अपने ननदोई से अपनी चूत कर एक बच्चा पैदा करूंगी। मैं उसके बाद वापस अपनी ससुराल आ गयी थी.
तब मैंने नोटिस किया था कि मेरे ननदोई जी का लंड बहुत बड़ा है और वो मुझको चोदने भरी नजरों से देखा करते थे.
उस से प्रेरित होकर मैंने सोचा था कि काश यही लण्ड मुझे मिल जाये तो मैं खूब उछल उछल के चुद जाऊँ और अपनी बरसों की प्यास बुझा लूँ।
लेकिन मैंने वासना पूर्ति के लिए ऐसा नहीं किया। मुझे लगा कि यह हमारे संस्कारों के विरुद्ध होगा.
लेकिन बाद में मेरे दिमाग एक बात आई कि अगर जल्दी मेरी कोई औलाद ना हुई तो मेरे सास ससुर मुझे ताने मारने लगेंगे. पड़ोसी भी पूछने लगेंगे कि बहू में कोई कमी है क्या. मेरे अपने माँ बाप भी नाना नानी बनने के सपने देख रहे होंगे. मेरा भाई भी मामा कहलवाने को उत्सुक होगा.
मुझे लगा कि मेरा माँ बनना जरूरी है. इससे समाज भी शांत रहेगा और मेरे सगे संबंधी भी. मुझे भी एक खिलौना मिल जाएगा, मैं अपनी वासना को भुला कर अपना शेष जीवन अपने बच्चे के पालन पोषण में लगा दूंगी. अपने बच्चे को ही जीवन का उद्देश्य बना लूंगी.
यह सब विचार कर मैंने निर्णय किया कि क्यों न अपने ननदोई से अपनी चूत चुदा ली जाये और एक बच्चा कर लिया जाए।
जब मेरे पति विदेश से आ गए तो 2-3 हफ्ते उनके साथ बिताने के बाद मैंने अपने पति से कहा- मैं कुछ दिन के लिए दीदी के यहाँ जा रही हूँ.
मेरे सास ससुर ने भी मना नहीं किया और मैं अपनी ननद के यहां चली गई।
ननदोई जी मुझे स्टेशन से लेने आये.
तो मैंने देखा कि उनका लन्ड तो पैन्ट के ऊपर से भी दिख रहा था।
उन्होंने मेरा हाल पूछा- भाभी जी, कैसी हो आप?
तो मेरी आँखों से आंसू निकल आये.
ननदोई जी ने मुझे अपने सीने से लगाकर चुप कराया और कहा- मैं आपका दर्द समझता हूँ.
और वे मुझे अपने बाइक पर बैठा कर घर पर ले जाने लगे.
तो अब मैंने उनको पटाने की शुरुआत की अपनी चूचियां उनकी पीठ पर रगड़ने लगीं. ननदोई जी के बदना की सिहरन से मैं समझ गयी कि ये उत्तेजित होने लगे हैं और इनका लण्ड खड़ा होने लगा है।
ये सब जान कर मेरी चूत से पानी बहने लगा जब तक घर पहुँची।
अब मुझे जब भी मौका मिलता तो मैं उनके सामने अपनी गांड हिलाकर चलती. कभी अपने मम्मे कुरते के ऊपर से दिखा देती।
अब तो वो भी समझ गये थे कि मैं उनसे चुदने को बेताब हूँ।
अगले ही दिन मेरी ननद बाथरूम में नहा रही थी और मेरे ननदोई सो रहे थे. उनका लन्ड कच्छे में तम्बू बनाये हुए था.
मैंने उनको एक गाल पर किस करते हुए कहा- आज तो अलग ही मूड है क्या?
मैं उनके लन्ड को सहलाने लगी.
तो उन्होंने मुझे अपनी बांहों में लपेट लिया और मेरे होंठों से अपने होंठ जोड़ कर मेरे होंठ चूसने लगे. मैं भी ननदोई जी का साथ देने लगी और वे मेरे मम्मे दबाने लगे।
वो सलवार के ऊपर से ही मेरी चूत दबाने लगे और मैंने उनका लण्ड पकड़ा हुआ था.
तभी मेरी ननद के बाथरूम से बाहर आने की आवाज आई और हम लोग अलग हो गए।
तब से हम लोग मौका देखने लगे.
एक दिन की बात है मेरी ननद सुबह टहलने के लिए गई हुई थी. मेरे ननदोई सोये हुए थे। मैं उनके लन्ड को सहलाने लगी। मैं उनको किस करने लगी, उनके होंठों को चूसने लगी और वो मेरा साथ देने लगे, कहने लगे- भाभी, जब से मैंने आपको देखा है तब से आप मुझे अच्छी लगती हो. तभी से आपको चोदने की सोच रहा हूँ. मैंने आपकी सुहागरात के बाद ही समझ लिया था कि भैया आपको नहीं चोद पाये।
मैंने कहा- जीजा जी, चुप रहो और मेरी प्यास बुझाओ।
उनका लंड भी काफी लम्बा और मोटा महसूस हो रहा था. मुझे उलके लंड को पकड़ने में मजा आ रहा था.
हम दोनों काफी देर तक एक दूसरे के बदन को चूमते रहे. उन्होंने मुझे किस करने के बाद मेरी मैक्सी को निकाल दिया और मैं ब्रा और पेंटी में हो गयी. उन्होंने मेरी ब्रा के ऊपर से ही मेरी चूची को बहुत देर तक मसला.
उसके बाद वो मेरी पेंटी को चाटने लगे. मेरी चूत से पानी निकल रहा था जिससे मेरी पेंटी भीग गयी थी.
उसके बाद उन्होंने मेरी ब्रा और पेंटी निकाल दिया. अब मैं उनके सामने नंगी हो गयी थी. मेरे छोटी छोटी चूचियों को देख कर वो एकदम से मचल गये. वो मेरी एक चूची को चूसने लगे और दूसरी को मसलने लगे. उसके बाद वो मेरी दूसरी चूची को चूसने लगे और पहली को मसलने लगे.
इसके बाद वो नीचे को हुए और मेरी चूत को चाटने लगे.
मैं मादक सिसकारियां ले रही थी. मैं एकदम से चुदाई के लिए बेचैन हो गयी थी.
ननदोई जी मेरी चूत चाटने के बाद मेरी चूत में उंगली करने लगे. मेरी चूत पर एक भी बाल नहीं था, जिससे उन्हें मजा आ रहा था. हम दोनों लोग एक दूसरे का साथ अच्छे से दे रहे थे.
वो मेरी चूत में उंगली करने के बाद मुझे अपना लंड चूसने के लिए बोलने लगे. लेकिन मैंने उसको लंड चूसने के लिए मना कर दिया. क्योंकि ऐसा मैंने किया नहीं था। वो मन मार कर मान गये. उसके बाद वो मेरी चूत में दुबारा उंगली करने लगे.
मेरी चूत से पानी निकलने लगा था. मैं उत्तेजित होकर उसको अपनी चूत में और अन्दर तक उंगली करने के लिए बोल रही थी. वो जोर जोर से मेरी चूत में उंगली करने लगे थे. मैं भी जोर जोर से सिसकारियां लेने लगी थी.
उसके बाद तो हम दोनों चुदाई करने लिए एकदम रेडी हो गए.
मैंने उनसे कहा- अब देर न करो, पहले मेरी प्यास बुझा दो, मैं अभी कुँवारी हूँ, बाद में में मेरे जिस्म से खेल लेना.
वो मान गये और ननदोई जी ने मुझे चित लिटा दिया और मेरी बुर के आगे अपना खड़ा लंड लेकर मेरी चुदाई के लिए तैयार हो गये.
मैंने चूत खोल दी थी तो उन्होंने मेरी बुर की फांकों पर अपना लौड़ा टिका दिया. उनके लंड के स्पर्श से मेरी बुर एकदम से चुदने के लिए मचल उठी.
कुछ देर ननदोई जी मेरी चूत पर अपना लंड रख कर रगड़ते रहे. उसके बाद मैंने अपनी आंखों से मेरी बुर चुदाई करने का इशारा किया तो वे अपना लंड मेरी चूत में डालने लगे. लेकिन उनका लन्ड मेरी बुर के अंदर जा ही नहीं रहा था क्योंकि मेरा बेकार पति मेरी बुर की सील नहीं तोड़ पाया था.
ननदोई जी ने अपने लन्ड को दोबारा मेरी बुर के छेद पर सेट किया और एक धक्का मारा तो उनका आधा लन्ड मेरी बुर में चला गया मुझे दर्द होने लगा. मैं चीख पड़ी.
ननदोई जी रुक गए.
मैंने कहा- जीजू, मैं दर्द को सह लूँगी, आप बस मेरी चुदाई करो!
इस बात पर उन्होंने दूसरा धक्का मारा तो पूरा लन्ड मेरी बुर में समा गया, जीजू के मोटे लंड के मेरी बेचारी बुर में जाते ही मेरी दर्द भरी सिसकारी निकल गई ‘उम्म्ह … अहह … हय … ओह …’ लेकिन मेरी औलाद पाने की चाहत ने जल्द ही उनके लंड को सहन कर लिया.
उसके बाद वो मेरी चूत में अपना पूरा लंड डाल कर मेरी चूत को चोदने लगे. हम दोनों लोग चुदाई करने लगे.
थोड़ी देर के बाद ननदोई जी ने मेरी चिकनी गोरी टांगों को अपने मजबूत कंधों पर रख लिया और मेरी बुर में अपना लंड पूरा अन्दर घुसा कर मेरी बुर को चोदने लगे.
हम दोनों ननदोई सलहज मस्ती से चुदाई कर रहे थे और साथ में एक दूसरे को किस कर रहे थे. चुदाई करते करते ननदोई जी मेरी चूचियों को खूब मसल रहे थे … कभी मेरे उरोजों के चूचुकों को अपने लबों में दबा दबाकर चूस रहे थे.
धकाधक चुदाई हो रही थी मेरी बुर की. गर्मी का समय था, और रूम में ac भी चल रही थी लेकिन हम दोनों सलहज ननदोई चोदन करते हुए पसीने से तर हो गए थे. मुझे बहुत पसीना आ रहा था. मुझसे ज्यादा तो उनको पसीना आ रहा था.
चुदाई के पहले ही मेरी बुर काफी गर्म हो गयी थी और उनका लंड मेरी चूत में अन्दर बाहर हो रहा था, जिससे मेरी चूत में अजीब सा अच्छा मजा आ रहा था.
मुझे जीवन में पहली बार एक दमदार लंड से चुदने के लिए मौका मिला. शायद ननदोई जी को भी बहुत दिनों बाद एक टाईट चूत मिली थी तो वो बहुत जोर लगाकर मुझे चोद रहे थे. जिससे हम दोनों को ही बहुत अच्छा लग रहा था.
ननदोई जी के लंड से मेरी चूत की प्यास बुझ रही थी … उनका मोटा लंड मेरी चूत को पूरा मजा देकर अंदर तक चोद रहा था.
मैंने तो उनसे चुदते वक्त ही सोच लिया था कि अब मेरे पति तो मुझे नहीं चोदेंगे, तो मैं इनके यहाँ आकर ननदोई जी से चुदती रहूंगी. मुझे इतना मजा आ रहा था कि मेरी वासना ने मेरे संस्कारों पर विजय प्राप्त कर ली थी.
वो अपना पूरा लंड अन्दर डाल कर मेरी चूत को चोद रहे थे, जिससे मुझे और भी मजा आ रहा था और साथ में मुझे शांति भी मिल रही थी. मैं गांड उठा उठा कर उनसे चुदवा रही थी.
करीब तीस मिनट तक वो मेरी चुदाई करते रहे इस बीच मेरा दो बार पानी निकल चुका था लेकिन उनका निकलने का नाम नहीं ले रहा था मैं सोच रही थी कि काश मेरे पति भी ऐसी चुदाई करने लगे तो मैं रोज ऐसे ही चुदूँ.
उन्होंने ने कहा- मेरा आने वाला है वीर्य कहां निकालूँ?
मैंने कहा- जीजा जी, मेरे अंदर ही निकालो. मुझे एक बच्चे की माँ बनना है. आपके साले में तो दम है नहीं कि मुझे माँ बना सके.
हालांकि वो इस वक्त चरम पर आने को थे लेकिन तब भी वो मुझे पूरा जोर लगा कर चोद रहे थे. मेरी सिसकारियां भी तेज होने लगी थीं.
तभी ननदोई जी मेरी चुदाई करते हुए झड़ने लगे. उन्होंने अपना सारा वीर्य मेरी चूत में भर दिया। हम दोनों ने बहुत देर तक सेक्स किया था. इसके बाद दोनों ने एक साथ अपना पानी छोड़ दिया … जिससे हम दोनों को ही बहुत मजा आया.
थक कर मैं कुछ देर के लिए जीजू के साथ ही लेट गई. हम दोनों की सांसें काफी तेज चल रही थीं. हम दोनों चुदाई के बाद पूरे नंगे ही पड़े थे.
ठोडी देर के बाद मैं उठ गयी और मैंने अपनी चड्डी और ब्रा पहन ली. फिर मैं अपना गाउन पहन कर बाथरूम में जाने लगी तो ननदोई जी ने मुझे रोका और कहा- थोड़ी देर चूतड़ों के नीचे तकिया लगा कर लेटी रहो जिससे मेरा वीर्य बाहर न निकले.
मैं लेटी रही. ठोडी देर बाद मेन गेट के खुलने की आवाज से हमने पता चल गया कि दीदी भी टहल के आ गई हैं तो मैं फटाफट से उठ कर बाथरूम में चली गयी.
फिर मैं अपनी ननद के यहाँ करीब एक महीने रुकी. इस बीच मैंने लगभग रोज ननदोई जी से चुदाई करवायी क्योंकि ननद रोज टहलने जाया करतीं थीं. ननदोई जी ने बहुत सारी पोजिशन में मेरी चुदाई की और पूरी कोशसिह की कि उनका वीर्य मेरी चूत के अंदर टिका रहे.
कुछ दिन बाद मेरी माहवारी के समय पर माहवारी नहीं हुई तो मैं बहुत खुश हो गयी. मैंने ननदोई जी को यह खुशखबरी दी तो वे भी बहुत खुश हुए कि मेरे पेट में बच्चा ठहर गया है.
फिर मैं अपनी ससुराल वापस चली गई. मैंने अपने पति और सास-ससुर को बताया तो सभी लोग काफी खुश हुए. मेरे पति या किसी और को कोई शक भी नहीं हुआ क्योंकि जब मैं ननद के घर गयी थी तो अपने पति का नाम करने के लिए उस्ससे बहुत बार चुदकर आई थी. लेकिन उनको कहाँ पता कि उनकी नाम की चुदाई से बच्चे पैदा नहीं होते.
फिर नौ माह बाद मेरे एक लड़का पैदा हुआ.
अब सभी लोग काफी ख़ुश हैं. फिर जब मौका मिला मैं ननदोई से चुदती रही. वैसे तो किसी दूसरे मर्द से चुदना अच्छा नहीं होता. लेकिन क्या करें … लोग मजबूरी में ये सब करते हैं.
End
मेरी ननदोई के साथ सेक्स स्टोरी में पढ़ें कि शादी के बाद जब मेरे पति मुझे सेक्स का पूरा मजा नहीं दे पाए और मुझे कोई बच्चा नहीं दे पाए तो मैंने कैसे अपने ननदोई पटाने का सोचा. मैं उनसे कैसे चुदी और मुझे सन्तान का सुख मिला.
कैसे हो मेरे प्यारे दोस्तो? मेरा नाम दिशा (बदला हुआ) नाम है. मैं एक शादीशुदा लड़की हूँ. मेरी उम्र 24 साल फिगर 34-32-36, चूची खड़ी हुई, रंग गोरा, मैं गदराये हुए बदन और गदराई चूत की मालकिन हूँ. ए मेरी जिन्दगी में घटित हुई ये एक सच्ची चुदाई की घटना है.
मेरी स्टोरी शुरू करने से पहले मैं आप लोगों को अपने परिवार से परिचित करवा देती हूं.
मेरी शादी गांव में हुई है. ससुराल वाले घर में मेरे सास ससुर, मेरे पति और मैं ही हूँ. मेरे पति की छोटी बहन यानि मेरी ननद की शादी पहले ही हो चुकी थी।
हमारे घर में सब सुख शांति से चल रहा था और मेरी ससुराल में कोई कमी नहीं थी. अगर कोई कमी थी तो वो थी सिर्फ मेरी चूत की चुदाई की। मुझे मेरे पति अच्छे से नहीं चोद पाते थे, मेरी अन्तर्वासना अतृप्त रह जाती थी.
मैं आपको बताना चाहती हूँ कि शादी से पहले मेरा चुदने का बहुत मन होता था लेकिन मैं कभी किसी से चुदी नहीं. क्योंकि मुझे माता पिता व भाइयों की इज्जत का ख्याल था.
मुझे मेरे कॉलेज के और मोहल्ले के बहुत से लड़के चोदना चाहते थे. दो लड़के तो मुझे प्रोपोज़ भी कर चुके थे. कहते थे कि वे मुझे दिल से चाहते हैं. लेकिन मुझे आजकल के लड़कों का पता है … साले सारे के सारे लड़की की जांघों के बीच में घुसना चाहते हैं.
मुझे पता था कि सेक्स में बहुत मजा अता है क्योंकि मेरी कुछ सहेलियों ने अपने चोदू यार पाल रखे थे और वे उनसे अक्सर अपनी चूत चुदवाती रहती थी. मेरी सहेलियां अक्सर मुझे अपनी चुदाई की कहानियाँ सुना कर बेचैन कर देती थी.
लेकिन मैंने सोचा हुआ था कि मैं अपनी शादी के बाद ही अपनी चूत को अपने पति से ही खूब चुदवाऊँगी और सेक्स का मजा लूंगी.
मेरे एक चचेरे भाई ने मुझे सोती हुई को किस किया और मेरे बूब्ज़ भी दबाये थे. इससे मेरी नींद खुल गयी और मुझे अपने भाई की इस गन्दी हरकत का पता चला तो मुझे बहुत बुरा लगा, मुझे बहुत गुस्सा आया. मैंने उसे खूब झिड़का, खूब डांट पिलाई.
वो तो मेरे पैरों पड़ गया और माफी मांगने लगा नहीं तो मैंने पूरे कुनबे में उसकी बेइज्जती करवाने की सोच ली थी.
खैर मैंने उसे माफ़ कर दिया था. उसके बाद से वो मेरा गुलाम हो गया था. मेरे सारे काम वो अर्दली की तरह कर देता था.
हाँ तो अब असली मुद्दे पर आती हूँ.
शादी के बाद जब मैं अपनी ससुराल पहुँची तो मुझे सुहागरात में घनघोर चुदाई का इंतजार था. मैं अपनी कुंवारी चूत को खूब साफ़ करके संवार के चिकनी बना के ससुराल गयी थी. मुझे लगता था कि मेरे पति के लिए मेरी कुंवारी चूत से बढ़ कर कोई और तोहफा नहीं हो सकता.
लेकिन पहली रात में जब वो मेरे पास में पहुँचे और जब मैंने उनका लंड देखा तो बिल्कुल छोटा था. मुझे लंड के बारे में ज्यादा तो नहीं पता था पर मुझे अंदाजा था कि मेरे पति का लंड सामान्य से छोटा है.
खैर मेरे पति ने बिना किसी भूमिका के मुझे नंगी किया और मेरी कुंवारी गर्म चूत में अपना नन्हा सा लंड डाल कर थोड़ी देर गुच गुच करी और कुछ ही देर में झड़ गए. उनका लन्ड तो छोटे बच्चे की तरह था, वे कुछ नहीं कर पाए, मैं प्यासी रह गई.
मेरी तो किस्मत ही फूट गयी।
मैंने पति को कुछ नहीं कहा. पर मैंने खुद से कहा कि लगता है अब पूरी उम्र बिना चुदे ही रहना पड़ेगा.
लेकिन करूं तो करूं क्या … दो महीने बाद मेरा फिसड्डी पति विदेश की नौकरी पर 7 महीने के लिए चला गया. मैं बेचारी बिना चुदे ही रह गयी. बस जैसे तैसे अपनी चूत में उंगली करके अपनी कामवासना शांत करती थी.
जैसे तैसे मैंने 7 महीने काटे और सोचती रही कि जब दोबारा आएंगे तो मेरी चुदाई करेंगे।
लेकिन जब वो वापस आये तो मेरी बिल्कुल चुदाई नहीं हो पाई. अब तो उनका लन्ड खड़ा ही नहीं होता था।
अब तो मैं सोच रही थी कि कैसे भी करके मेरे एक बच्चा हो जाये बस।
मैं सोचने लगी कि क्या करूं … किससे कहूँ।
अब मैं आपको बता दूं कि मेरे पति के विदेश जाने के बाद मैंने अपनी ननद के यहाँ गई थी।
मैं अपने ननदोई के बारे में बता दूँ कि वो लखनऊ में जॉब करते थे, वहीं पर कमरा लेकर रहते थे. उनका एक 03 साल का लड़का था.
उनके बच्चे के जन्मदिन पर मैं अपनी शादी के बाद पहली बार उनके यहां पहुँची थी. मेरे पहुँचते ही मेरे ननदोई व ननद ने मेरा स्वागत किया.
जन्मदिन के बाद मेरी ननद ने कहा- भाभी, भैया तो विदेश चले गए हैं, भाभी आप यहीं कुछ दिन के लिए रुक जाओ.
तो मैं रुक गई।
मैं अपनी ननद के साथ लेटती थी व ननदोई अलग लेटते थे।
एक दिन रात में मेरी नींद खुली तो देखा कि दीदी मेरे साथ नहीं थी और ननदोई की चारपाई से कुछ आवाज आ रही थी।
मैं चुपचाप आँखें बन्द करके लेटी रही. अब नींद कहा आने वाली थी जब एक ही रूम में मेरे ननदोई और ननद चुदाई का प्रोग्राम बना रहे होम. नींद का बहाना बनाकर मैं उनकी तरफ देखती रही।
मेरी ननद के होंठों को ननदोई जी चूस रहे थे. यह देख कर मेरी चूत में पानी आने लगा. मैं धीरे धीरे अपनी चूत में उँगली करने लगी.
ननदोई जी मेरी ननद के चूचों को दबाते हुए निप्पल भी छेड़ रहे थे. अब वो गर्म होने लगी थी. कुछ देर तक उनके निप्पलों को छेड़ने के बाद ननदोई जी ने ननद के लोअर में हाथ डाल दिया.
वो पैंटी के ऊपर से ही उनकी चूत को सहलाने लगे।
अब वो गर्म हो गई और मुंह से हल्की सी आह्ह निकल गई. वो उनकी चूत को अब जोर से सहलाने लगे. उसके बाद ननद उनके लंड को अपने हाथ से टटोलते हुए उनके लंड को अपने हाथ में पकड़ लिया।
मेरी चूत बह रही थी।
उन्होंने ननद के लोअर को नीचे कर निकाल कर दिया. अब दीदी की चूत पर केवल पैंटी रह गई थी. फिर ननदोई ने पैंटी को भी निकालकर पूरी नंगी कर दिया.
दीदी उनके सामने पूरी की पूरी नंगी लेटी हुई थी और उनके लंड को अपने हाथ में पकड़ कर जोर से सहलाते हुए मजा ले रही थी.
उनकी पैंटी को निकालने के बाद दीदी की चूत को अपने हाथ रगड़ना शुरू कर दिया. ननद ने उनके कच्छे में हाथ डालकर लंड को सहलाया फिर उनके अंडरवियर को उतार दिया.
ननदोई जी का लंड पूरा का पूरा तना हुआ था. ननद ने गर्म लंड को अपने हाथ में भर लिया. उसके बाद वो ननद की चूत को सहलाने लगे और वो उसके लंड को पकड़ कर सहलाने लगी.
अब उनके मुंह से कामुक सिसकारियां भी निकलने लगी थीं.
ननदोई जी का लंड बहुत लंबा था. ननदोई ने मेरी ननद को लंड मुंह में लेने को बोला तो दीदी ने मना कर दिया. शायद दीदी को अच्छा नहीं लगता होगा।
वो उनकी चूत में उंगली कर रहे थे। फिर वो उनकी चूत को चाटने लगे.
उसके बाद कुछ देर तक उनकी चूत को चाटा और फिर उनकी टांगों को फैला दिया.
मैं उनकी हर एक हरकत को देख रही थी.
ननदोई ने दीदी की चूत पर लंड को रख दिया और चूत पर लंड को रखकर रगड़ने लगे. मेरी ननद गर्म ही चुकी थी। ननदोई ने अपने लंड उनकी चूत के ऊपर सेट कर दिया और धक्का देने लगे तो उनकी चीख निकल गई ‘उम्म्ह … अहह … हय … ओह …’
लेकिन साथ ही ननदोई उनके मुंह पर हाथ रख दिया और चुदाई की गति को तेज करने लगे. ननदोई जी का मोटा लंड उनकी चूत में फंसा था।
उसके बाद तेजी के साथ धक्के लगाने शुरू कर दिये. अब उनको काफी मजा आने लगा और वो मजा लेते हुए चुदने लगी.
कुछ देर के बाद ननद अपनी चूत में उनके लंड को और अंदर लेने के लिए अपनी टांगों को उसकी कमर पर लपेट लिया. उनका लंड चूत की गहराई में पूरा जाने लगा. अब उनको बहुत ज्यादा मजा आने लगा.
मेरी ननद की चुदाई हो रही थी और मुझे लग रहा था कि अभी मैं ननद को हटाकर मैं अपनी चूत चूत में लंड को लेकर चुदती रहूँ।
वो उनकी चूत की चुदाई तीस मिनट तक करते रहे. तब मुझे पता चला कि इतनी देर चुदाई होती है। दोनो लोगों ने एक दूसरे को बांहों में कस लिया ननद धीरे-धीरे शांत होने लगी.
उसके बाद ननदोई की स्पीड के कारण उनकी चूत से पच-पच आवाज होने लगी. उनकी गति पहले से भी और ज्यादा तेज होती जा रही थी.
अब दीदी की चूत में शायद दर्द होने लगा था. वो उनको हटाने की कोशिश कर रही थी लेकिन वो नहीं रुक रहे थे.
फिर दो मिनट के बाद उसकी गति धीमी पड़ने लगी. ननदोई जी ने अपना लंड दीदी की चूत से बाहर निकाल लिया और अपना वीर्य एक कपड़े पर छोड़ दिया. वो भी शांत हो गये.
शायद वीर्य बाहर इसलिए निकाला कि वो लोग अब दूसरा बच्चा अभी नहीं चाह रहे थे।
उसके साथ ही मेरी भी पैंटी पूरी गीली हो गई मेरी चूत से लगातार बह रहे कामरस से!
दीदी उठकर बाथरूम चली गई और मेरे साथ सो गई आकर!
लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी।
फिर कुछ दिन और रुकने के बाद मैं अपनी ससुराल चली गई. मुझे चुदाई के लिए ननदोई जी के लन्ड की याद आती रही।
मुझे लगा कि मेरा माँ बनना जरूरी है. इससे मेरे सास ससुर, सगे संबंधी भी शांत रहेंगे. मैंने निर्णय किया कि मैं अपने ननदोई से अपनी चूत कर एक बच्चा पैदा करूंगी। मैं उसके बाद वापस अपनी ससुराल आ गयी थी.
तब मैंने नोटिस किया था कि मेरे ननदोई जी का लंड बहुत बड़ा है और वो मुझको चोदने भरी नजरों से देखा करते थे.
उस से प्रेरित होकर मैंने सोचा था कि काश यही लण्ड मुझे मिल जाये तो मैं खूब उछल उछल के चुद जाऊँ और अपनी बरसों की प्यास बुझा लूँ।
लेकिन मैंने वासना पूर्ति के लिए ऐसा नहीं किया। मुझे लगा कि यह हमारे संस्कारों के विरुद्ध होगा.
लेकिन बाद में मेरे दिमाग एक बात आई कि अगर जल्दी मेरी कोई औलाद ना हुई तो मेरे सास ससुर मुझे ताने मारने लगेंगे. पड़ोसी भी पूछने लगेंगे कि बहू में कोई कमी है क्या. मेरे अपने माँ बाप भी नाना नानी बनने के सपने देख रहे होंगे. मेरा भाई भी मामा कहलवाने को उत्सुक होगा.
मुझे लगा कि मेरा माँ बनना जरूरी है. इससे समाज भी शांत रहेगा और मेरे सगे संबंधी भी. मुझे भी एक खिलौना मिल जाएगा, मैं अपनी वासना को भुला कर अपना शेष जीवन अपने बच्चे के पालन पोषण में लगा दूंगी. अपने बच्चे को ही जीवन का उद्देश्य बना लूंगी.
यह सब विचार कर मैंने निर्णय किया कि क्यों न अपने ननदोई से अपनी चूत चुदा ली जाये और एक बच्चा कर लिया जाए।
जब मेरे पति विदेश से आ गए तो 2-3 हफ्ते उनके साथ बिताने के बाद मैंने अपने पति से कहा- मैं कुछ दिन के लिए दीदी के यहाँ जा रही हूँ.
मेरे सास ससुर ने भी मना नहीं किया और मैं अपनी ननद के यहां चली गई।
ननदोई जी मुझे स्टेशन से लेने आये.
तो मैंने देखा कि उनका लन्ड तो पैन्ट के ऊपर से भी दिख रहा था।
उन्होंने मेरा हाल पूछा- भाभी जी, कैसी हो आप?
तो मेरी आँखों से आंसू निकल आये.
ननदोई जी ने मुझे अपने सीने से लगाकर चुप कराया और कहा- मैं आपका दर्द समझता हूँ.
और वे मुझे अपने बाइक पर बैठा कर घर पर ले जाने लगे.
तो अब मैंने उनको पटाने की शुरुआत की अपनी चूचियां उनकी पीठ पर रगड़ने लगीं. ननदोई जी के बदना की सिहरन से मैं समझ गयी कि ये उत्तेजित होने लगे हैं और इनका लण्ड खड़ा होने लगा है।
ये सब जान कर मेरी चूत से पानी बहने लगा जब तक घर पहुँची।
अब मुझे जब भी मौका मिलता तो मैं उनके सामने अपनी गांड हिलाकर चलती. कभी अपने मम्मे कुरते के ऊपर से दिखा देती।
अब तो वो भी समझ गये थे कि मैं उनसे चुदने को बेताब हूँ।
अगले ही दिन मेरी ननद बाथरूम में नहा रही थी और मेरे ननदोई सो रहे थे. उनका लन्ड कच्छे में तम्बू बनाये हुए था.
मैंने उनको एक गाल पर किस करते हुए कहा- आज तो अलग ही मूड है क्या?
मैं उनके लन्ड को सहलाने लगी.
तो उन्होंने मुझे अपनी बांहों में लपेट लिया और मेरे होंठों से अपने होंठ जोड़ कर मेरे होंठ चूसने लगे. मैं भी ननदोई जी का साथ देने लगी और वे मेरे मम्मे दबाने लगे।
वो सलवार के ऊपर से ही मेरी चूत दबाने लगे और मैंने उनका लण्ड पकड़ा हुआ था.
तभी मेरी ननद के बाथरूम से बाहर आने की आवाज आई और हम लोग अलग हो गए।
तब से हम लोग मौका देखने लगे.
एक दिन की बात है मेरी ननद सुबह टहलने के लिए गई हुई थी. मेरे ननदोई सोये हुए थे। मैं उनके लन्ड को सहलाने लगी। मैं उनको किस करने लगी, उनके होंठों को चूसने लगी और वो मेरा साथ देने लगे, कहने लगे- भाभी, जब से मैंने आपको देखा है तब से आप मुझे अच्छी लगती हो. तभी से आपको चोदने की सोच रहा हूँ. मैंने आपकी सुहागरात के बाद ही समझ लिया था कि भैया आपको नहीं चोद पाये।
मैंने कहा- जीजा जी, चुप रहो और मेरी प्यास बुझाओ।
उनका लंड भी काफी लम्बा और मोटा महसूस हो रहा था. मुझे उलके लंड को पकड़ने में मजा आ रहा था.
हम दोनों काफी देर तक एक दूसरे के बदन को चूमते रहे. उन्होंने मुझे किस करने के बाद मेरी मैक्सी को निकाल दिया और मैं ब्रा और पेंटी में हो गयी. उन्होंने मेरी ब्रा के ऊपर से ही मेरी चूची को बहुत देर तक मसला.
उसके बाद वो मेरी पेंटी को चाटने लगे. मेरी चूत से पानी निकल रहा था जिससे मेरी पेंटी भीग गयी थी.
उसके बाद उन्होंने मेरी ब्रा और पेंटी निकाल दिया. अब मैं उनके सामने नंगी हो गयी थी. मेरे छोटी छोटी चूचियों को देख कर वो एकदम से मचल गये. वो मेरी एक चूची को चूसने लगे और दूसरी को मसलने लगे. उसके बाद वो मेरी दूसरी चूची को चूसने लगे और पहली को मसलने लगे.
इसके बाद वो नीचे को हुए और मेरी चूत को चाटने लगे.
मैं मादक सिसकारियां ले रही थी. मैं एकदम से चुदाई के लिए बेचैन हो गयी थी.
ननदोई जी मेरी चूत चाटने के बाद मेरी चूत में उंगली करने लगे. मेरी चूत पर एक भी बाल नहीं था, जिससे उन्हें मजा आ रहा था. हम दोनों लोग एक दूसरे का साथ अच्छे से दे रहे थे.
वो मेरी चूत में उंगली करने के बाद मुझे अपना लंड चूसने के लिए बोलने लगे. लेकिन मैंने उसको लंड चूसने के लिए मना कर दिया. क्योंकि ऐसा मैंने किया नहीं था। वो मन मार कर मान गये. उसके बाद वो मेरी चूत में दुबारा उंगली करने लगे.
मेरी चूत से पानी निकलने लगा था. मैं उत्तेजित होकर उसको अपनी चूत में और अन्दर तक उंगली करने के लिए बोल रही थी. वो जोर जोर से मेरी चूत में उंगली करने लगे थे. मैं भी जोर जोर से सिसकारियां लेने लगी थी.
उसके बाद तो हम दोनों चुदाई करने लिए एकदम रेडी हो गए.
मैंने उनसे कहा- अब देर न करो, पहले मेरी प्यास बुझा दो, मैं अभी कुँवारी हूँ, बाद में में मेरे जिस्म से खेल लेना.
वो मान गये और ननदोई जी ने मुझे चित लिटा दिया और मेरी बुर के आगे अपना खड़ा लंड लेकर मेरी चुदाई के लिए तैयार हो गये.
मैंने चूत खोल दी थी तो उन्होंने मेरी बुर की फांकों पर अपना लौड़ा टिका दिया. उनके लंड के स्पर्श से मेरी बुर एकदम से चुदने के लिए मचल उठी.
कुछ देर ननदोई जी मेरी चूत पर अपना लंड रख कर रगड़ते रहे. उसके बाद मैंने अपनी आंखों से मेरी बुर चुदाई करने का इशारा किया तो वे अपना लंड मेरी चूत में डालने लगे. लेकिन उनका लन्ड मेरी बुर के अंदर जा ही नहीं रहा था क्योंकि मेरा बेकार पति मेरी बुर की सील नहीं तोड़ पाया था.
ननदोई जी ने अपने लन्ड को दोबारा मेरी बुर के छेद पर सेट किया और एक धक्का मारा तो उनका आधा लन्ड मेरी बुर में चला गया मुझे दर्द होने लगा. मैं चीख पड़ी.
ननदोई जी रुक गए.
मैंने कहा- जीजू, मैं दर्द को सह लूँगी, आप बस मेरी चुदाई करो!
इस बात पर उन्होंने दूसरा धक्का मारा तो पूरा लन्ड मेरी बुर में समा गया, जीजू के मोटे लंड के मेरी बेचारी बुर में जाते ही मेरी दर्द भरी सिसकारी निकल गई ‘उम्म्ह … अहह … हय … ओह …’ लेकिन मेरी औलाद पाने की चाहत ने जल्द ही उनके लंड को सहन कर लिया.
उसके बाद वो मेरी चूत में अपना पूरा लंड डाल कर मेरी चूत को चोदने लगे. हम दोनों लोग चुदाई करने लगे.
थोड़ी देर के बाद ननदोई जी ने मेरी चिकनी गोरी टांगों को अपने मजबूत कंधों पर रख लिया और मेरी बुर में अपना लंड पूरा अन्दर घुसा कर मेरी बुर को चोदने लगे.
हम दोनों ननदोई सलहज मस्ती से चुदाई कर रहे थे और साथ में एक दूसरे को किस कर रहे थे. चुदाई करते करते ननदोई जी मेरी चूचियों को खूब मसल रहे थे … कभी मेरे उरोजों के चूचुकों को अपने लबों में दबा दबाकर चूस रहे थे.
धकाधक चुदाई हो रही थी मेरी बुर की. गर्मी का समय था, और रूम में ac भी चल रही थी लेकिन हम दोनों सलहज ननदोई चोदन करते हुए पसीने से तर हो गए थे. मुझे बहुत पसीना आ रहा था. मुझसे ज्यादा तो उनको पसीना आ रहा था.
चुदाई के पहले ही मेरी बुर काफी गर्म हो गयी थी और उनका लंड मेरी चूत में अन्दर बाहर हो रहा था, जिससे मेरी चूत में अजीब सा अच्छा मजा आ रहा था.
मुझे जीवन में पहली बार एक दमदार लंड से चुदने के लिए मौका मिला. शायद ननदोई जी को भी बहुत दिनों बाद एक टाईट चूत मिली थी तो वो बहुत जोर लगाकर मुझे चोद रहे थे. जिससे हम दोनों को ही बहुत अच्छा लग रहा था.
ननदोई जी के लंड से मेरी चूत की प्यास बुझ रही थी … उनका मोटा लंड मेरी चूत को पूरा मजा देकर अंदर तक चोद रहा था.
मैंने तो उनसे चुदते वक्त ही सोच लिया था कि अब मेरे पति तो मुझे नहीं चोदेंगे, तो मैं इनके यहाँ आकर ननदोई जी से चुदती रहूंगी. मुझे इतना मजा आ रहा था कि मेरी वासना ने मेरे संस्कारों पर विजय प्राप्त कर ली थी.
वो अपना पूरा लंड अन्दर डाल कर मेरी चूत को चोद रहे थे, जिससे मुझे और भी मजा आ रहा था और साथ में मुझे शांति भी मिल रही थी. मैं गांड उठा उठा कर उनसे चुदवा रही थी.
करीब तीस मिनट तक वो मेरी चुदाई करते रहे इस बीच मेरा दो बार पानी निकल चुका था लेकिन उनका निकलने का नाम नहीं ले रहा था मैं सोच रही थी कि काश मेरे पति भी ऐसी चुदाई करने लगे तो मैं रोज ऐसे ही चुदूँ.
उन्होंने ने कहा- मेरा आने वाला है वीर्य कहां निकालूँ?
मैंने कहा- जीजा जी, मेरे अंदर ही निकालो. मुझे एक बच्चे की माँ बनना है. आपके साले में तो दम है नहीं कि मुझे माँ बना सके.
हालांकि वो इस वक्त चरम पर आने को थे लेकिन तब भी वो मुझे पूरा जोर लगा कर चोद रहे थे. मेरी सिसकारियां भी तेज होने लगी थीं.
तभी ननदोई जी मेरी चुदाई करते हुए झड़ने लगे. उन्होंने अपना सारा वीर्य मेरी चूत में भर दिया। हम दोनों ने बहुत देर तक सेक्स किया था. इसके बाद दोनों ने एक साथ अपना पानी छोड़ दिया … जिससे हम दोनों को ही बहुत मजा आया.
थक कर मैं कुछ देर के लिए जीजू के साथ ही लेट गई. हम दोनों की सांसें काफी तेज चल रही थीं. हम दोनों चुदाई के बाद पूरे नंगे ही पड़े थे.
ठोडी देर के बाद मैं उठ गयी और मैंने अपनी चड्डी और ब्रा पहन ली. फिर मैं अपना गाउन पहन कर बाथरूम में जाने लगी तो ननदोई जी ने मुझे रोका और कहा- थोड़ी देर चूतड़ों के नीचे तकिया लगा कर लेटी रहो जिससे मेरा वीर्य बाहर न निकले.
मैं लेटी रही. ठोडी देर बाद मेन गेट के खुलने की आवाज से हमने पता चल गया कि दीदी भी टहल के आ गई हैं तो मैं फटाफट से उठ कर बाथरूम में चली गयी.
फिर मैं अपनी ननद के यहाँ करीब एक महीने रुकी. इस बीच मैंने लगभग रोज ननदोई जी से चुदाई करवायी क्योंकि ननद रोज टहलने जाया करतीं थीं. ननदोई जी ने बहुत सारी पोजिशन में मेरी चुदाई की और पूरी कोशसिह की कि उनका वीर्य मेरी चूत के अंदर टिका रहे.
कुछ दिन बाद मेरी माहवारी के समय पर माहवारी नहीं हुई तो मैं बहुत खुश हो गयी. मैंने ननदोई जी को यह खुशखबरी दी तो वे भी बहुत खुश हुए कि मेरे पेट में बच्चा ठहर गया है.
फिर मैं अपनी ससुराल वापस चली गई. मैंने अपने पति और सास-ससुर को बताया तो सभी लोग काफी खुश हुए. मेरे पति या किसी और को कोई शक भी नहीं हुआ क्योंकि जब मैं ननद के घर गयी थी तो अपने पति का नाम करने के लिए उस्ससे बहुत बार चुदकर आई थी. लेकिन उनको कहाँ पता कि उनकी नाम की चुदाई से बच्चे पैदा नहीं होते.
फिर नौ माह बाद मेरे एक लड़का पैदा हुआ.
अब सभी लोग काफी ख़ुश हैं. फिर जब मौका मिला मैं ननदोई से चुदती रही. वैसे तो किसी दूसरे मर्द से चुदना अच्छा नहीं होता. लेकिन क्या करें … लोग मजबूरी में ये सब करते हैं.
End