Thread Rating:
  • 3 Vote(s) - 3.67 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Misc. Erotica होली : जीजा और साली
#44
जोबन की रानी 


[Image: Guddi-nips-tumblr-oo72cy7kc31rjhshdo1-500.jpg]





मेरे सवाल का जवाब उसके चमचे ने दिया- बिचारा कब से इन्तजार कर रहा है अपनी जोबन की रानी का, अगले मोड़ पे…”

 
अगला मोड़ यानी जहाँ से विनया के घर के लिए सड़क मुड़ती थी। बस उसके बाद पास में ही विनया का घर, यानी जनाब को अंदाजा था की शाम को मैं विनया के घर जाऊँगी, ये लड़के बिचारे भी क्या-क्या प्लानिंग करते हैं, लगे रहते हैं।
 
मैं आगे बढ़ी।
 
और पीछे से उसके दोस्तों ने मुझे सुनाकर-
 
 अरे एक बार देबू, अरे एक बार देबू, मजा पईबू
 अरे दुई बार देबू, जोड़ा लड़का खेलैबु, मजा पईबू
 
साढ़े तीन बजे, साढ़े तीन बजे संगीता जरूर मिलना, साढ़े तीन बजे। 


साढ़े तीन ही बज रहा था, और वो सड़क के मोड़ पे खड़ा था, अकेला मेरी राह ताकता। 

बिचारा, कितना अकेला लग रहा था। कब से पता नहीं यहाँ खड़ा होकर मेरी राह ताक रहा होगा।


 [Image: Male-K-2.jpg]


वो चाहता तो, मेरी कितनी सहेलियां तैयार थीं, लेकिन वो तो बस मेरे पीछे
कितने मेसेज, कितनी चिट्ठियां, हैंडसम भी था स्ट्रांग भी, लेकिन 

[Image: school-girls-Indian-schoolgirls.jpg]

आज मुझे अहसास हो रहा था कितनी बड़ी गलती कर रही थी मैं, और अब मन भी कर रहा था मेरा।


 
रोज का दिन होता तो उसे उस पटरी पे देखकर मैं रोज पटरी बदल देती थी। पटरी आज भी मैंने बदली लेकिन उसके पास आने के लिए। चुपके से सीधे से एकदम उसके पीछे पहुँच गई, और वो चौंक गया। 

लेकिन असली मजा तो तब आया, जब उसने मेरी ओर देखा,
 
भाभी होती तो बोलतीं

साल्ले की फट के हाथ में गई…” 

एकदम वही हालत हुई, और होती भी क्यों नहीं?
 
मैं दूनो जोबना उभार के ठीक उसके सामने खड़ी थी, मेरे टाप फाड़ते उभार, और बिना ब्रा के

ऊपर की सारी बटने भी खुली, और मैं इस एंगल से खड़ी थी की सुबह जिस उभार पे उसने हचक के रंग भरा गुब्बारा मारा था, जिसका रंग अभी भी नहीं उतरा था

उसकी झलक एकदम साफ-साफ, कुछ देर तक तो बिचारे का मुँह खुला का खुला रह गया। 
[Image: dress-nips-coaching-tumblr-ol361wyy-Y71tq3ngqo1-500.jpg]


मुश्किल से बोल फूटे,
 
बल्कि पहले मैं ही बोली-
हैप्पी होली…”
 
बिचारा मुश्किल से बोल पाया- हैप्पी होली…”

फिर उसकी निगाह वहीं मेरे उभार पे। गोलाइयों और गहराइयों पे, और उसपे लगे रंग पे।
 
हिम्मत करके बोल पाया- हे सुबह जोर से तो नहीं लगा?
 
पहले मारते हो, फिर हाल पूछते हो? 

बड़ी अदा से मुश्कुरा के मैं बोली, एक बार फिर जोबन का जलवा दिखा के चलने के लिए बढ़ी।
 
तो पीछे से वो बोला,- 
अरे जानू, आज होली है, आज तो डलवा लो…”
 
मैंने कुछ जवाब नहीं दिया, खिस्स से हँस दी। 

और आगे बढ़ के विनया के घर की ओर मुड़ते, एक पल रुक के उसकी ओर देखा
जीभ निकालकर चिढ़ाया, और छेड़ते हुए बोली-

डालने वाले डाल देते हैं, पूछते नहीं है…”
 
जब तक वो कुछ जवाब सोचता, मैं विनया के घर के अंदर।
 
जैसे मैंने घंटी बजाई, विनया ने दरवाजा खोला। शोला लग रही थी, शोला। 


वैसे ही पूरे शहर में आग लगाती रहती थी, लेकिन आज तो, एक स्टिंग टाइप चोली और सारोंग किसी तरह कूल्हे पे अटका। 

आज उसने हड़काया गालियां सुनाई, बस सीधे खींच के अंदर कमरे में ले गई।
 
मेरी भी ऊपर की सांस ऊपर, नीचे की नीचे, सो स्ट्रांग, सो हैंडसम, सो मैस्क्युलिन, बिचारी विनया क्या, कोई भी लड़की खुद अपनी पैंटी सरकाने को तैयार हो जाती।
Like Reply


Messages In This Thread
RE: होली : जीजा और साली - by komaalrani - 27-03-2019, 07:33 PM



Users browsing this thread: 2 Guest(s)