Thread Rating:
  • 11 Vote(s) - 2.64 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Adultery My best HOT Story's
#6
भाभी देवर के बीच की सेक्स कहानी



मेरे कमरे के पास एक बहुत सुंदर भाभी रहती थी. देखते ही लंड हरकत में आ जाता था. मैंने भाभी की चुदाई के उद्देश्य से उनसे दोस्ती बनानी शुरू की. मेरी कोशिश कितनी सफल हुई?

आगे बढ़ने से पहले मैं आपको अपने बारे में बता दूँ. मेरा नाम करण है, मैं अभी तेईस साल का हूँ. मैं पोस्ट-ग्रॅजुयेट हूँ और जॉब ढूंढ रहा हूँ. मेरी हाइट पांच फिट सात इंच है. बॉडी एक सामान्य लड़के की जैसी है. मेरा लंड छह इंच लम्बा और तीन इंच मोटा है.

यह कहानी मेरी और मेरी प्यारी भाभी दीपा की है. यह घटना करीबन दो साल पहले की है, तब मैं इक्कीस साल का था.

उस वक्त मैं नासिक, महाराष्ट्र में पढ़ने के लिए आया था. नासिक में पहचान होने के कारण मुझे जल्दी ही रूम मिल गया. ये रूम एक बिल्डिंग में था. उसी बिल्डिंग में सेकेंड फ्लोर पर दीपा भाभी रहती थीं. मैं थर्ड फ्लोर यानि आखिरी फ्लोर पर रहता था.

दीपा भाभी की उम्र करीब सत्ताईस साल की रही होगी. उनका मदमस्त फिगर था. भाभी दिखने में ऐसी थीं मानो वे कोई स्वर्ग की अप्सरा हों. उनका गोरा बदन, तीखे नैन-नक्श, सुडौल स्तन और चूतड़ थोड़े उठे हुए थे और वे इतनी कशिश पैदा कर देते थे कि देखने वाले के लंड में झुरझुरी आए बिना ही रह पाए.
ऊपर से भाभी का नेचर भी काफ़ी फ्रेंक था. उनके पति एक बड़ी कंपनी में काम करते थे. इसलिए वो ज़्यादातर घर से बाहर ही रहते थे. उनका दो साल का एक लड़का भी था. मगर भाभी की तरफ देखकर ऐसा बिल्कुल नहीं लगता था कि उनकी कोई औलाद होगी.

मैं उनको देखने की भरपूर कोशिश करता था. मेरी इच्छा उनसे मिल कर बात करने की भी थी, लेकिन मुम्बई के उपनगर जैसे हो चुके नासिक शहर में कोई किसी से फ़ालतू बात करना पसंद नहीं करता है. मैं भी भाभी से बातचीत करने का बहाना ढूँढ रहा था. मगर उनसे बात करने का कोई मौक़ा मिल ही नहीं रहा था.

एक दिन मेरे कुछ कपड़े ऊपर से उनकी गैलरी में गिर गए. मैं अपने कपड़े लेने के लिए उनके घर गया … तब मैंने पहली बार उन्हें देखा था. मैंने जैसे ही भाभी को देखा, तो बस उन्हें देखता ही रह गया. उस वक्त भाभी नहा कर निकली थीं और वो गीले बालों में बहुत ही ज्यादा खूबसूरत लग रही थीं.

उन्होंने मुझे यूं अपलक घूरते हुए देखा तो चुटकी बजाते हुए मुझसे पूछा- ओ हैलो … क्या काम है? कौन हो तुम?
मैं हिचकिचाते हुए बोला- मैम, मैं ऊपर वाले माले पर रहता हूँ, वो मेरे कुछ कपड़े आपकी गैलरी में गिर गए हैं … मैं वही लेने आया था.
दीपा भाभी मेरी तरफ देखते हुए बोलीं- तुम ऊपर वाली फ्लोर पर रहते हो?
मैंने हामी भरी तो बोलीं- ठीक है … यहीं रूको … मैं लेकर आती हूँ.

मैं वहीं उनका इंतज़ार करने लगा. वो थोड़ी ही देर में आ गईं और मुझे कपड़े देते हुए बोलीं- तुम शायद यहां नये आए हो … तुम्हारा नाम क्या है?
मैं- मेरा नाम करण है … और मैं अभी कुछ दिन पहले ही यहां पढ़ाई के लिए आया हूँ.
भाभी- ठीक है.

मैंने हिम्मत की और उनसे बात करने की कोशिश की- आपका नाम क्या है और आप क्या करती हो?
भाभी बोलीं- मेरे नाम से तुमको क्या लेना देना है … बस भाभी कह कर काम चला लेना.

मैं उनकी इस बिंदास बात से एक बार को झेंप गया और ओके कहते हुए बोला- वो तो मैंने यूं ही आपसे औपचारिक बातचीत के चलते पूछा था. आपको भाभी कहने में मुझे कोई दिक्कत नहीं है मेम.
भाभी हंसने लगीं और बोलीं- अरे वो तो मैं यूं ही मजाक कर रही थी. मेरा नाम दीपा है और मैं हाउसवाइफ हूँ. मगर तुम मेम-वेम नहीं, मुझे भाभी बुला सकते हो … आओ बैठो.

मुझे भाभी जरा बातचीत के मूड में दिखीं. मगर मुझे कुछ काम था.
मैं- नहीं मैं यहीं ठीक हूँ भाभी, बाद में मिलते हैं … अभी मुझे थोड़ा काम हैं.

इतना कह कर मैं वहां से अपने रूम में चला आया. लेकिन मेरी आंखों के सामने से उनकी तस्वीर जाने का नाम ही नहीं ले रही थी. उस दिन रात को मैंने भाभी के नाम की मुठ मारी, तभी जा कर मुझे नींद आई.

एक दो दिन ऐसे ही बीत गए, फिर एक दिन मैं सुबह अपनी गैलरी में खड़ा कॉफी पी रहा था. तब मैंने देखा वो अपनी गैलरी में कपड़े सुखा रही थीं. उनकी साड़ी उनकी कमर पर लिपटी हुई थी और उनके गहरे गले के ब्लाउज से उनके दोनों मम्मों के बीच की दरार साफ दिखाई दे रही थी. भाभी के ब्लाउज का एक बटन भी शायद खुला हुआ था इसलिए उनके मम्मों के भरपूर दीदार हो रहे थे. वे कुछ काम कर रही थीं, जिससे उनके मम्मे हिल भी रहे थे, जो और भी गर्म सीन पेश कर रहे थे.

इतना गर्म सीन देख कर मेरा लंड उसी वक्त एकदम से खड़ा हो गया और मेरा हाथ खुद ब खुद अपनी चड्डी में चला गया. मैं मुठ मारने लगा. मगर मुठ मारते वक़्त हिलने की वजह से थोड़ी कॉफी नीचे गिर गयी और उन्होंने मुझे देख लिया. मुझे देख कर वो थोड़ी सकपका गईं. उनको भी शायद इस बात का एहसास हो गया था कि मैं क्या देख रहा हूँ. भाभी ने जल्दी से अपनी साड़ी ठीक की और अन्दर चली गईं.

उसी दिन मैं यह सोचने लगा कि दीपा भाभी माल तो एकदम मस्त हैं … इनको कैसे चोदा जाए.

मैं भाभी की चुदाई के चक्कर में रोज ही उनके नाम की मुठ मारने लगा. मेरे मन में भाभी की चुदाई की कामना बलवती होती जा रही थी.

कुछ दिन बाद मेरी दोस्ती एक लड़के से हुई, वो हमारे ही बिल्डिंग में रहता था. उससे मुझे मालूम हुआ कि दीपा भाभी के पति ज़्यादातर घर में नहीं रहते हैं.

फिर अगले ही दिन भाभी और मेरी मुलाक़ात बिल्डिंग की छत पर हो गई. वो अपने सूखे हुए पापड़ लेने के लिए आई थीं. भाभी अपने पापड़ लेकर जाने लगीं, तभी उनका पैर साड़ी में अटक गया और वो गिर गईं.

मैंने उनको उठाने की नाकाम कोशिश की, क्योंकि वो उठ नहीं पा रही थी. तभी मैंने ज़बरदस्ती उनके मना करने के बावजूद, उनको अपनी गोद में उठा लिया.

उनको छूने के एहसास से ही मेरा लंड खड़ा हो गया था. वो मेरे गोद में ऐसे थीं कि मेरा खड़ा लंड उनके एक चूतड़ के बाजू वाले हिस्से से टकरा रहा था और इसी के साथ मेरा एक हाथ साइड से उनके उसी तरफ वाले स्तन को दबा रहा था.

इस वजह से शायद उन्होंने अपनी आंखें बंद कर ली थीं. मैं उनको छोड़ना नहीं चाहता था … मगर उनके घर में आते ही मुझे भाभी को बेड पर लिटाना पड़ा.

उनको बिस्तर पर लिटाने के बाद मैंने उनकी तरफ देखा और उनसे पूछा- भाभी, आपको ज्यादा चोट तो नहीं आई है?
उन्होंने कहा कि मेरे पैर में और कमर में काफ़ी दर्द हो रहा है.

मैंने उनके पैर के पंजे की उंगलियों को ऊपर नीचे करके देखीं, तो उन्हें कोई ख़ास दर्द नहीं हुआ.

भाभी मेरी तरफ देखने लगीं और बोलीं- ऐसे करके देखने से क्या होता है?
मैंने कहा- इससे मैं चैक कर रहा था कि कोई फ्रेक्चर आदि तो नहीं है.

भाभी मेरी तरफ देखने लगीं.
मैंने कहा- यदि आपको दर्द होता, तो शायद ऐसी स्थिति हो सकती थी. मगर मुझे लगता है कि फ्रेक्चर नहीं है.

इतना कह कर मैं उनकी तरफ देखने लगा.

तो भाभी बोलीं- मगर मुझे बेहद दर्द हो रहा है उसका क्या करूं डॉक्टर साब?
मेरी हंसी छूट गई और मैंने कहा- भाभी मैं कोई डॉक्टर नहीं हूँ, बस यूं ही चैक कर रहा था.

भाभी के चेहरे पर हल्की सी दर्द मिश्रित मुस्कान आ गई.

मैंने उनसे पूछा- आपके पास बाम या आयोडेक्स है?
भाभी ने कहा- हां बाजू वाले ड्रॉवर में है.

मैंने तुरंत एक्शन लिया और भाभी के बताने पर बाजू वाले ड्रॉवर से आयोडेक्स निकाला. फिर बिना उनसे पूछे मैंने भाभी की साड़ी घुटने तक ऊपर कर दी और आयोडेक्स लगाने लगा.

बाद में मैंने भाभी को उल्टा लेटने के लिए कहा और उनकी कमर पर आयोडेक्स लगाने लगा. बीच-बीच में मेरी उंगलियां साड़ी के अन्दर तक जाकर भाभी के चूतड़ों की दरार में चली जातीं और भाभी चिहुंक जातीं.

उस वक़्त भाभी थोड़ी शर्मा रही थीं और उनके शरीर में अजब सी कंपकंपाहट महसूस हो रही थी. शायद आज तक उन्हें किसी पराए मर्द ने नहीं छुआ था.

कुछ देर बाद मैं उधर ही बैठ रहा. मुझे लगा कि मुझे कुछ देर भाभी के पास रहना चाहिए. भाभी का दर्द कम नहीं हो रहा था.

उन्होंने मुझसे कहा कि मेरा दर्द कम नहीं हो रहा है … कोई और दिक्कत न हो जाए. मुझे डॉक्टर को दिखा लेना चाहिए.

फिर मैं उनके लिए डॉक्टर को बुला कर लाया. डॉक्टर ने कोई बड़ी दिक्कत की मना करते हुए दवा दे दी और आराम करने का कहा.

मैं ही उनके लिए शाम का खाना बना कर ले गया. मैंने उनसे पूछा भी कि भाभी आपको उठने में कोई दिक्कत हो तो मैं आपके पास ही रह जाऊं.
उन्होंने कहा- नहीं … बस एक बार मुझे टॉयलेट तक ले चलो … फिर मुझे रात को कोई दिक्कत नहीं होगी.

मैंने उनको सहारा दिया. भाभी अब तक कुछ सहारा लेकर चलने लगी थीं. उन्होंने टॉयलेट में जाकर खुद को कमोड पर बैठ कर हल्का किया. तब तक मैं बाहर खड़ा रहा.

इस बीच मैंने उनके कमरे में एक पाइप ढूँढ लिया था. जैसे ही भाभी बाहर निकलीं, मैंने उनको वो पाइप पकड़ा दिया और कहा कि अब आप इस पाइप के सहारे चल कर देखिए, हो सकता है कि आपको रात को जरूरत पड़े.
भाभी पाइप देख कर हंसने लगीं और बोलीं- तुम तो मुझे बुड्डी बनाने के मूड में हो.

मैं हंस दिया. भाभी की हंसी ने मुझे अन्दर तक घायल कर दिया था.
मैंने धीमे स्वर में कहा- आप जैसी सुन्दरी के लिए तो मैं जीवन में कभी भी बूढ़े होने की कल्पना न करूं.

शायद भाभी ने ये सुन लिया था. वो हल्के से मुस्कुरा दीं और मुझे धन्यवाद कहने लगीं.

मैंने भाभी से लेटने के लिए कहा, तो भाभी मुझसे बोलीं- मेरे घर के बाहर का दरवाजा लॉक कर जाना … मैं उठ नहीं सकूंगी. एक चाभी मेरे पास है और एक तुम ले जाना.

मैंने वैसा ही किया और अपने रूम में चला गया.

सुबह मैं जल्दी उठा और चाय बना कर भाभी के कमरे में चला गया. भाभी जाग चुकी थीं. मैंने उनको चाय पिलाई और उनसे टॉयलेट जाने के लिए पूछा.

तो भाभी बोलीं- मैं अब जा सकती हूँ. रात को मैंने पाइप के सहारे एक बार टॉयलेट जाकर देखा था.

भाभी ठीक होने लगी थीं. इस तरह करीब दो दिन तक मैंने उनकी सेवा की. लेकिन इस बीच जब भी मैं उनके सामने होता, तो मेरा मेरे लंड के ऊपर कंट्रोल नहीं रहता. मेरे मन में तो सिर्फ़ उनको चोदने का ख्याल आता था.

शायद भाभी भी अब ये बात जान चुकी थीं. इसलिए वो भी अब तिरछी नज़र से मेरे पैंट में बने लंड के उभार को देखा करती थीं. भाभी की हरकतें अब मेरे प्रति बदल चुकी थीं … इसलिए अब मुझे लगने लगा था कि दोनों ही तरफ आग बराबर लगी थी.

आख़िरकार वो दिन आ ही गया, जिस दिन का मुझे इंतज़ार था.

भाभी की सेवा करने के बाद वो मुझसे काफी खुल गई थीं और मुझे भी उनके घर में जाने की बेरोक-टोक परमीशन मिल गई थी. भैया को भी जब इस घटना की जानकारी हुई, तो उन्होंने भी मुझे अपने काफी करीब कर लिया था. शायद उनको भी भाभी के अकेले रहने की स्थिति में मेरे जैसे एक भाई की जरूरत थी.

मैं और भैया भी काफी देर देर तक बातें करने लगे थे. हालांकि भैया का रहना, तो वैसे भी घर पर कम ही होता था, मगर अब तो शायद भैया भी मेरे रहने के चलते भाभी की चिंता कम करने लगे थे. वो अब अपने लम्बे लम्बे टूर बनाने लगे थे.

जब भैया घर पर नहीं रहते, तो भाभी मुझसे घर पर खाना खाने की कहने लगी थीं. मैं भाभी के बेटे के साथ भी खेलता रहता था, जिससे भाभी को भी उससे रिलेक्स मिल जाता था.

मगर मेरी निगाहें तो भाभी के हुस्न पर थीं. मैं उनको छिपी नजरों से देखता रहता था. अनेकों बार मेरी भूखी आंखों को भाभी ने पढ़ भी लिया था और शायद वे भी मेरी नजरों की वासना को समझने लगी थीं. तब भी उनका मेरे प्रति व्यवहार में कोई फर्क नहीं आया था. इससे मुझे उनको चोद लेने की उम्मीद बढ़ती जा रही थी.

आख़िरकार वो दिन आ ही गया, जिस दिन का मुझे इंतज़ार था.

उस दिन 31 दिसम्बर था. हम सब बिल्डिंग वालों ने मिलकर एक पार्टी प्लान की थी. उसमें भाभी भी आने वाली थीं. मैं जब भाभी को पार्टी का टाइमिंग बताने गया.
तब भाभी बोलीं- आज की पार्टी में तेरे भैया नहीं आ पाएंगे, क्योंकि उन्हें उनकी कंपनी के पार्टी में जाना है.
मैं- ठीक हैं भाभी. मगर आप तो आने वाली हो ना?
भाभी ने मुस्कुरा कर कहा- हां, मैं तो आने वाली हूँ … और ख़ासकर तुझे आज नए साल का एक तोहफा भी देने वाली हूँ.
मैंने खुश होकर कहा- क्या तोहफा है भाभी … अभी बता दो न?
भाभी- अभी नहीं बता सकती, वो सरप्राइज है.
मैं- ठीक है भाभी नहीं बताना है, तो मत बताओ.

इतना कह कर मैं वहां से निकल गया.

रात को करीब साढ़े नौ बजे पार्टी शुरू हुई. भाभी भी आ गईं.

सच में भाभी की सुन्दरता देखते ही बन रही थी. वो एकदम पटाखा माल लग रही थीं. भाभी ने लाल रंग की नेट की साड़ी पहनी हुई थी. उसी की मैचिंग का फुल आस्तीन का बैकलैस ब्लाउज उनकी सेक्सी फिगर को बड़ा ही दिलकश बना रहा था. साड़ी भी एकदम टाईट बंधी थी, जिससे उनकी गांड एकदम तोप की मानिंद उठी हुई मर्दों के लंड खड़े कर रही थी.

ऊपर से भाभी ने हाई हील के सैंडल पहने थे, जिससे उनकी गांड और भी ज्यादा कामुक लग रही थी. उनकी पीठ पर ब्लाउज की एक इंच चौड़ी पट्टी ही दिख रही थी. उनकी इस एक इंच की पट्टी में बड़े ही सलीके से ब्रा की स्ट्रिप को सैट किया गया था. मगर उनकी थिरकती गांड के कारण ब्रा की स्ट्रिप को बड़े ही मुश्किल से छिप पा रही थी.

पार्टी में सब लोग उन्हें ही देख रहे थे और अपने लंड सहला रहे थे. औरतों में भी उनको लेकर बड़ी जलन साफ़ दिख रही थी.

थोड़ी देर बाद नाचना-गाना शुरू हुआ. सब लोग भाभी के साथ नाचना चाह रहे थे, पर भाभी ने मना कर दिया. जब मैंने भाभी को डांस के लिए पूछा, तो भाभी एक पल में ऐसे मान गईं, जैसे वो मेरे लिए इतना सज-धज कर पार्टी में आई थीं. उनकी हामी मिलते ही मुझे बड़ी ख़ुशी हुई और हम दोनों नाचने लगे.

मैं खुद को रोक ही नहीं पा रहा था. उनके साथ नाचते हुए मैं भाभी की पीठ सहला रहा था. डांस में जब कभी भाभी उल्टा हो जातीं, तो मेरा लंड खड़ा होने के कारण भाभी के चूतड़ों से बार-बार टकरा रहा था.

भाभी भी यह बात जान चुकी थीं कि मेरे मन में क्या चल रहा है और उन्हें भी यह सब अच्छा लग रहा था. इसलिए वो मुझे कुछ नहीं बोल रही थीं.

नाचते वक़्त ही मैंने थोड़ा सा डरते हुए और हिम्मत करके उनके कान में ‘आई लव यू भाभी..’ कह दिया.
भाभी ने भी मेरे कान में कहा- बुद्धू … इतनी सी बात कहने में तुमने तीन महीने लगा दिए … मेरी जान आई लव यू टू!

यह बात सुनते ही मेरे मन में बड़े बड़े लड्डू फूटने लगे. मैं अब तो बस पार्टी खत्म होने का इंतज़ार कर रहा था. अब मैं भाभी को बेख़ौफ़ अपनी बांहों में लेकर नाच रहा था और उनके मादक जिस्म की महक का मजा ले रहा था.

भाभी खुद मुझे अपनी चूचियों से सटाते हुए डांस कर रही थीं. अब तो वे बार बार पलट कर डांस करने लगतीं और मेरे खड़े लंड को और भी खड़ा करते हुए उसे अपनी गांड की दरार में घिस कर मजा ले रही थीं. जब भाभी मेरे सीने से अपनी पीठ को लगातीं, तो मैं लोगों की नजरें बचा कर उनकी कमर से अपने हाथ ऊपर करते हुए उनकी चूचियों पर भी हाथ फेर देता था.

हालांकि भाभी मेरे हाथ को अगले ही पल हटा कर मुझे सबके सामने ऐसा करने से रोक रही थीं. मगर ये साफ़ हो चुका था कि भाभी मेरे लंड को लेने के लिए राजी हो गई थीं.

ऐसे ही नाचते-गाते रात के बारह बज गए. सबने एक दूसरे को नए साल की बधाई दी और सबने मिल कर एक साथ केक काटा और खाना भी खाया. उसके बाद करीब रात को एक बजे सब घर जाने लगे.

मैंने भाभी से अपने तोहफे के बारे में पूछा- भाभी मेरा तोहफा कहां है?
भाभी- मेरे साथ मेरे घर पर चल, तेरा तोहफा मैं वहीं देती हूँ.
ये कहते हुए भाभी ने मेरे गाल पर हाथ फेर दिया.

मैं भाभी के साथ चल दिया. भाभी मेरे आगे आगे चल रही थीं और मैं उनके पीछे-पीछे उनके मटकते हुए चूतड़ों को देखते हुए चलने लगा. उनके घर के अन्दर पहुंचते ही उन्होंने मुझे अपने गले से लगा दिया. उनकी गर्म सांसें मैं अपने जिस्म पर महसूस कर रहा था. उनके चूचे मेरे सीने पर चुभ रहे थे.

उतने में मैंने उनसे पूछा- भाभी यदि भैया आ गए तो?
भाभ- उनका फोन आया था कि वो सुबह ही आएंगे.
मैं- ठीक है, पर छोटू का क्या?
मैं उनके लड़के को छोटू कहता था.

भाभी- वो तो पार्टी के वक़्त ही सो गया था. वो बेडरूम में सो रहा है. अब अपने बीच में पूरी रात कोई नहीं आएगा.

इतना सुनने की ही देर थी कि मैंने उनका चेहरा पकड़ लिया और उनके होंठों का रसपान करने लगा. भाभी भी मेरा पूरा साथ दे रही थीं. मैं तो पागलों की तरह उनके होंठों को चूस रहा था.

भाभी ने तभी अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी और मुझे मानो आग सी लग गई. मैंने भाभी को अपनी बांहों में जोर से जकड़ा और उनकी जीभ का रसपान करने लगा. कभी मेरी जीभ भाभी के मुँह में जाती, तो भाभी अपने होंठों से मेरी जीभ को दाब कर चूसने का मजा लेने लगतीं और जब भाभी की जीभ मेरे मुँह में आती, तो मैं उनकी जीभ को चचोरने लगता.

हम दोनों को इस खेल में इतना मजा आ रहा था कि कुछ ही देर में हम दोनों की लार हमारे मुँह से निकल कर बाहर बहने लगी … लेकिन हम दोनों की ही आंखें बंद थीं और जन्नत के इस सुख का मजा लेने में कोई भी पीछे नहीं रहना चाहता था.

कोई दस मिनट बाद भाभी ने अपने होंठ हटाए और मुझे देखने लगीं. मैं उनकी नशीली और वासना से तप्त लाल आंखों को देख रहा था. मेरी आंखों में भी वासना का सागर भरा हुआ था.

एक पल यूं ही एक दूसरे को देखने के बाद मैंने थोड़ा आगे बढ़ते हुए अपने हाथ भाभी के मम्मों पर रख दिए और मम्मों को ब्लाउज के ऊपर से ही दबाने लगा. भाभी ने मेरे सामने अपनी चूचियों को और भी ज्यादा उभार दिया था. भाभी की चुचियों का मजा लेने के साथ मैं उनके गले पर और पूरे चेहरे पर भी जमकर चुम्मा-चाटी करने लगा था.

इस दरमियान जब मैं उनके कान के पास किस करता, तो वो चिहुंक उठतीं.

एक मिनट बाद मैंने उनका पल्लू हटा दिया और उनका ब्लाउज भी निकाल फेंका. मैंने उनको उल्टा किया और उनकी पूरी पीठ को चूमने व चाटने लगा. अब हम दोनों के ऊपर सेक्स हावी होता जा रहा था. भाभी अजीब तरीके की आवाजें निकाल रही थीं. उनकी पीठ पर कुछ पल ही चूमा होगा कि उतने में उन्होंने घूमकर मेरी टी-शर्ट निकाल फेंकी.

मैंने भी उनकी साड़ी खींच कर निकाल फेंकी.
अब मेरे सामने भाभी सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में थीं. उनकी मदमस्त जवानी को देख कर मुझे रहा ही न गया और अगले ही पल मैंने भी अपनी पैंट उतार दी. मैं भी उनके सामने सिर्फ़ अंडरवियर में था.

मैंने उनको अपनी तरफ खींचा और उनकी ब्रा के ऊपर से ही दीपा भाभी के मम्मों को चूसने लगा.
भाभी- आह … उई मां … निचोड़ डाल मेरे राजा … आज इनको … उम्म्म … आह.

खुद ही अपने हाथ पीछे ले जाते हुए भाभी ने अपनी ब्रा का हुक खोल दिया … और कबूतर के तरह उनके चूचे उछल कर बाहर आ गए.

उनके मम्मों को चूसते ही मैंने उनको गोद में उठा लिया और उसी बेडरूम की ओर चल दिया, जहां उनका बेटा सो रहा था.

भाभी ने सरगोशी से कहा- जानू इस कमरे में नहीं … दूसरे कमरे में चलो. हमारी आवाज़ से छोटू जाग जाएगा.
मैं- नहीं भाभी आज तो मैं आपको आपके बेटे के सामने ही चोदूंगा … उसे भी तो मालूम पड़े कि उसकी मां कितनी बड़ी चुदक्कड़ है.

भाभी मुझे मना करती रहीं, पर मैं नहीं माना. उनके बेटे के बाजू में ही मैंने उनको लेटा दिया और उनके पेट पर चूमते हुए उनकी चूत पर आ गया. मैं पैंटी के ऊपर से ही उनकी चूत चाट रहा था. मैंने अब उनकी पैंटी भी उतार दी.

तभी भाभी बोलीं- कम से कम छोटू को बाजूवाले छोटे सोफे पर ही लिटा दो.
मैंने कहा- ठीक है … यह बात सही है अपने को भी मस्ती करने के लिए ज़्यादा जगह मिल जाएगी.

मैं छोटू को सोफे पर लिटा कर सीधे उनकी चूत के ऊपर टूट पड़ा और भाभी की चूत को बेतहाशा चूसने लगा. भाभी की चूत की खुशबू मुझे मदहोश किए जा रही थी. बीच-बीच में मैं भाभी की चूत में अपनी दो उंगलियां भी घुसा देता. जब मैं जैसे ही उनके दाने को मुँह में लेता, तो उनकी वासना से भरी सिसकारियां तेज हो जाती थीं.

भाभी सिर्फ़ ‘आ … उह … ओह गॉड … उम्ह … आह. … फक मी..’ और पता नहीं क्या-क्या बोले जा रही थीं.

करीब दस मिनट की चुसाई में ही भाभी झड़ गईं और मैं उनकी चुत का सारा पानी पी गया.

भाभी बिस्तर पर एकदम नग्न पड़ी हुई ‘आ … उह … ओह गॉड … उम्ह … आह … फक मी..’ और पता नहीं क्या-क्या बोले जा रही थीं.

करीब दस मिनट की चुत चुसाई में ही वो झड़ गईं और मैं उनकी चुत का सारा पानी पी गया.

चुत का पानी निकल जाने के बाद भाभी निढाल हो गई थीं. वो शिथिल स्वर में बोलीं- करण तुमने तो आज मुझे जन्नत का मजा दे दिया है. इससे पहले मैंने अपने पति का भी कभी मुँह में लिया नहीं है … पर आज मैं तुम्हारा लेना चाहती हूँ.

मैंने भाभी को छेड़ा- भाभी आप मेरा क्या लेना चाहती हैं और किधर लेना चाहती हैं … जरा खुल कर कहो न.
भाभी हंसने लगीं और बोली- साले कमीने … इतना भी नहीं समझता क्या?

मैंने भी लंड हिलाते हुए कहा- भाभी मैं सब समझता हूँ … पर आपके मुँह से सुनने में मुझे अच्छा लगेगा. प्लीज़ बताओ न आप मेरा क्या लेना चाहती हैं और किधर लेना चाहती हैं.
भाभी ने अपनी चुत की फांकों में उंगली फेरी और बिंदास होते हुए बोलीं- मेरी जान, आज मैं तुम्हारा लंड अपने मुँह में लेकर चूसना चाहती हूँ.

मैं कहा- वाह भाभी … नेकी और पूछ-पूछ … मैं तो आपसे अपने लंड को चुसवाने के लिए कब से तैयार हूँ. बस मुझे यह नहीं पता था कि आपको मुँह में लंड लेना पसंद है या नहीं.
भाभी मुझसे भी एक कदम आगे निकलीं और बोलीं- तो क्या मुँह में लंड देने का ही मन है? और कहीं के लिए तुम्हारे लंड की इच्छा नहीं है?

मैंने भाभी के करीब आते हुए लंड लहराया और कहा- मेरी जान अभी मुँह में लंड तो लो … फिर मैं आपकी चुत में लंड पेलूंगा. इसके बाद भी मंजिलें हैं … एक तीसरा छेद भी मेरे लंड के लिए उपलब्ध है, उधर भी मजा लेना है.

भाभी ने आंख मारते हुए मेरा लंड पकड़ा और कहा- मुंगेरी लाल के हसीन सपने मत देखो. उधर की कहानी तो भूल ही जाओ … वर्ना ये दोनों छेद भी नहीं मिलेंगे.
मैं हंस दिया और बोला- भाभी आपकी जैसी मर्जी. मैं आपकी गांड नहीं मारूंगा … मगर आपकी चुत और मुँह तो अब मेरे लंड को लिए बिना रह ही नहीं सकेगा.

भाभी भी हंसने लगीं और उन्होंने अपनी जीभ निकाल कर मेरे लंड के सुपारे पर जीभ फेर दी.

मेरी एक मस्त आह निकल गई. मेरी आह क्या निकली कि भाभी और भी जालिम हो गईं और उन्होंने मेरा पूरा लंड झट से मुँह में ले लिया.

मैं कुछ बताने की स्थिति में नहीं हूँ कि भाभी के मुँह में लंड देकर मुझे कैसा लग रहा था. बस यूं समझ लीजिएगा कि लंड को जन्नत में सा महसूस कर रहा था. भाभी मेरे लंड को एक लॉलीपॉप की तरह चूस रही थीं … साथ में मेरी गोटियों को भी हाथ से सहला रही थीं.

उन्होंने कहा तो ये था कि वो पहली बार किसी का लंड चूस रही हैं … लेकिन उनकी अदा बता रही थी कि वो लंड चूसने की कला में महारत हासिल किये हुए हैं. हालांकि मेरा ये भ्रम ही था. क्योंकि कुछ ही देर में मैंने महसूस किया कि भाभी से लंड ठीक से नहीं चूसा जा पा रहा था.

मैंने भाभी से कहा- भाभी क्या आपको लंड चूसने में मजा नहीं आ रहा है?
तो भाभी ने एक बार मेरे लंड को मुँह से निकाला और बोलीं- मैंने मोबाइल में ब्लू फिल्म में जितना लंड चूसना देखा था, उतना ही कर पा रही हूँ. क्या तुमको मजा नहीं आ रहा है.
मैंने भाभी से कहा- मजा तो इतना अधिक आ रहा है कि क्या बताऊं. अब आप एक काम करो मेरी गोटियों को भी जरा चूसो.

भाभी मेरी एक गोटी को अपने मुँह में लेकर चूसने लगीं. उनका हाथ मेरे लंड को ऊपर किये हुए मुठिया रहा था. मुझे एकदम से सनसनी होने लगी.
कुछ ही देर बाद भाभी ने मेरे लंड को फिर से मुँह में भर लिया और चूसने लगीं.

करीब आठ दस मिनट में मेरे लंड ने हिम्मत छोड़ दी और वो झड़ने को हो गया. मैं मस्ती में आंखें बंद किये हुए लंड चुसाई का मजा लेता रहा और उनके मुँह में ही छूट गया. उन्होंने भी मेरा सारा वीर्य मुँह में ले लिया और बाजू में फेंक दिया. शायद उनको वीर्य का स्वाद पसंद नहीं आया था या उनका ये पहली बार था.

वो बोलीं- तुझे बोलना तो था कि निकल रहा है.
मैं- मुझे लगा कि आप पी दही जाओगी.
भाभी हंस दीं- क्या ये दही था?
मैंने कहा- था तो वीर्य लेकिन दही जैसा दिखता है न. माफ़ करना भाभी, मैं आपको बता नहीं पाया.

भाभी ने जीभ से बचा हुआ वीर्य अपने हाथ से साफ़ किया और मेरी तरफ देख कर कहा- कोई बात नहीं … वो अचानक से हुआ इसलिए मुझे थोड़ा अजीब लगा.
मैं- ठीक है भाभी … आप फिर से मेरा लंड मुँह में लेकर खड़ा करो ना.

भाभी ने मेरा लंड फिर से मुँह में ले लिया और चूसने लगीं. कोई पांच मिनट में ही मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया.

मैंने भाभी से कहा- भाभी, क्या आप अपनी चूत पर मेरे लंड के नाम की मुहर लगवाने के लिए तैयार हो?
भाभी ने नशीली आँखों से मुझे देखा और कहा- हां मेरे राजा, मैं तो कब से चुदने के लिए तैयार हूँ. पेल दो अपना मूसल और लगा दो मुहर मेरी चुत पर … और बना ले मुझे अपनी रखैल … बना ले मुझे अपनी रंडी.

मैंने भी भाभी के दूध दबाते हुए कहा- ठीक है मेरी जान … भाभी आज से आप मेरी रांड हो गईं.
भाभी- मैं भी कैसी पतिव्रता औरत हूँ जो अपने पति के ही बिस्तर पर गैर मर्द से चुदवा रही हूँ.
मैं- इसमें कोई बात नहीं है भाभी. आप तो सिर्फ़ अपने शरीर की ज़रूरतें और हसरतें पूरी कर रही हो. यह तो आपका हक है.

मेरे इतना कहते ही भाभी ने अपनी टांगें खोल दीं और चुत उठाते हुए कहने लगीं-मेरे राजा … अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है. जल्दी से चोद डालो मुझे … बुझा दो आज मेरी चूत की आग … आह साली बहुत तड़पाती है … निगोड़ी कहीं की.

मैंने अपना लंड उनकी चूत के ऊपर सैट कर लिया और उनके दोनों मम्मे पकड़ कर एक ज़ोर का झटका लगा दिया. मेरा आधा लंड उनकी चूत में धंसता चला गया. भाभी की चीख निकलने से पहले ही मैंने उनके होंठों के ऊपर अपने होंठ जमा दिए. उनकी चीख अन्दर ही दब गयी.

अब मैं भाभी के मम्मों को दबा रहा था और साथ में उनको चूम रहा था. थोड़ी देर बाद जब भाभी नॉर्मल हुईं … तो मैंने लंड थोड़ा सा बाहर निकाल कर एक और झटका मारा. इस बार मेरा पूरा लंड उनकी चुत में घुसता चला गया.

इस बार भाभी को दर्द थोड़ा कम महसूस हुआ. हालांकि उनके हाथों ने मेरी छाती को रोकते हुए मुझे ठहरने का संकेत दिया. मैंने पूरा लंड उनकी चुत में घुसा रहने दिया और उसी स्थिति में भाभी के एक दूध का निप्पल अपने होंठों में दबाते हुए चूसना शुरू कर दिया. निप्पल चूसे जाने से भाभी को राहत मिलने लगी.

फिर जब एक मिनट बाद उन्होंने अपने चूतड़ ऊपर उठाने शुरू किए, तो मैंने भी अपने धक्के लगाने चालू कर दिए.

भाभी सिर्फ़ ‘आह. … उउह … चोद डालो मुझे … आह भोसड़ा बना दो आज मेरी चूत का … फक मी … फक मी हार्ड…’ इतना ही कह रही थीं.

भाभी मस्त होकर चुदवा रही थीं. फिर मैंने भाभी को एक झटके से अपने ऊपर कर लिया. अब भाभी मेरा लंड अपने चूत में लेकर मेरे ऊपर उछल रही थीं और मैं जन्नत की सैर कर रहा था. तेज तेज उछलने से भाभी के चूतड़ मेरी जांघों से टकरा रहे थे. इस वजह से पूरे कमरे में ठप-ठप की आवाज़ और भाभी की सिसकारियों की मस्त आवाजें गूंज रही थीं.

थोड़ी देर के चुदाई के बाद मुझे भाभी की चूत और टाइट महसूस होने लगी. मैं समझ गया कि भाभी का पानी निकलने वाला है. मैं भी थोड़ा ऊपर की तरफ उठ गया और भाभी को पीछे से पकड़ लिया.

तभी भाभी का रस निकल गया और वो निढाल हो गईं.

भाभी झड़ चुकी थीं उनके रस निकलने तक मैं भी रुक गया और उनकी चुत से निकलने वाली गर्म धार को अपने लंड पर महसूस करने लगा. मेरा लंड अभी एकदम कड़क खड़ा था और उसका वीर्य निकलना अभी बाकी था.

कुछ पल रुकने के बाद मैंने भाभी को अपने नीचे किया और धीरे-धीरे झटके लगाना चालू किया. मेरे झटकों से सारे कमरे में फच-फच की आवाज़ गूंजने लगी थीं.

करीब पचास धक्कों के बाद जैसे ही भाभी फिर अपने चूतड़ों को उठाने लगीं, तो मैंने भाभी के दोनों पैर अपने कंधों के ऊपर ले लिए और जोर से उनकी चुत में लंड के झटके लगाना चालू कर दिए.

करीब बीस मिनट की ताबड़तोड़ चुदाई के बाद मैं भी झड़ने को हो गया था. मैंने भाभी से कहा- भाभी मेरा निकलने वाला है. आप कहां लेना चाहोगी?
भाभी- आह … मुझे तेरा माल अपनी कोख में चाहिए. मेरी कोख भर दे … अपना सारा का सारा माल मेरी चूत में ही डाल दे.
मैं- ठीक है भाभी … जैसा आप चाहो.

मैंने दस बारह तेज झटके मारे और भाभी की चुत में ही झड़ गया. भाभी भी मेरे साथ एक बार फिर से झड़ गईं. झड़ कर मैं भाभी के ऊपर ही लेट गया. भाभी और मैं ज़ोर-ज़ोर से हांफ रहे थे.

करीब एक मिनट बाद मेरा लंड भाभी की चूत में से अपने-आप निकल आया. मैंने उठ कर देखा, तो मेरा और भाभी का वीर्य एक साथ भाभी के चूत से बह रहा था.

थोड़ी देर बाद भाभी बोलीं- आज तूने जो सुख मुझे दिया है, वह आज तक मेरे पति से मुझको नहीं मिल पाया था. आज से मैं तुम्हारी हूँ … तुम जब चाहो मुझे चोद सकते हो.
मैं- ठीक है भाभी … पर आपको भी मेरी सब बातें माननी होंगी.
भाभी- जैसा तुम कहो, मैं सब मानूँगी. आज से मेरी चूत तुम्हारे लंड की गुलाम है.

फिर हम दोनों एक साथ बाथरूम गए और हमने एक दूसरे को साफ किया. तब रात के करीब तीन बज रहे थे. फिर हम एक-दूसरे की बांहों में नंगे ही सो गए.

मैं सुबह करीब सात बज़े उठा, तो भाभी कमरे में नहीं थीं. मैं किचन में गया, तो भाभी नंगी ही चाय बना रही थीं. मैंने भाभी को पीछे से पकड़ लिया और भाभी के मम्मों को मसलने लगा. साथ में उनके कान के नीचे भी चूमने लगा.

भाभी अपने ऊपर काबू करते हुए बोलीं- अब तुम्हें यहां से जाना चाहिए … तुम्हारे भैया कभी भी आ सकते हैं. उनका अभी फोन आया था.

मैंने भी अपने ऊपर काबू किया और कपड़े पहन लिए. फिर मैं चाय पीकर अपने कमरे में लौट आया.

इस घटना के बाद मानो मेरी ज़िंदगी ही बदल गयी. जब भी कभी भैया घर पर नहीं होते, तो मैं भाभी का सैयां बनकर उनकी जमकर चूत चुदाई करता था.

End
Like Reply


Messages In This Thread
My best HOT Story's - by Pagol premi - 12-02-2021, 08:23 PM
RE: My best HOT Story's - by Pagol premi - 12-02-2021, 08:42 PM
RE: My best HOT Story's - by Pagol premi - 12-02-2021, 08:57 PM
RE: My best HOT Story's - by Pagol premi - 12-02-2021, 09:55 PM
RE: My best HOT Story's - by Pagol premi - 12-02-2021, 10:11 PM
RE: My best HOT Story's - by Pagol premi - 12-02-2021, 10:23 PM
RE: My best HOT Story's - by Pagol premi - 12-02-2021, 10:37 PM
RE: My best HOT Story's - by Pagol premi - 12-02-2021, 10:56 PM
RE: My best HOT Story's - by Eswar P - 13-02-2021, 11:01 AM
RE: My best HOT Story's - by Pagol premi - 14-02-2021, 06:57 AM
RE: My best HOT Story's - by Pagol premi - 14-02-2021, 07:10 AM
RE: My best HOT Story's - by Pagol premi - 14-02-2021, 07:22 AM
RE: My best HOT Story's - by Pagol premi - 14-02-2021, 07:34 AM
RE: My best HOT Story's - by Pagol premi - 14-02-2021, 09:12 AM
RE: My best HOT Story's - by Pagol premi - 14-02-2021, 09:42 AM
RE: My best HOT Story's - by Pagol premi - 14-02-2021, 10:12 AM
RE: My best HOT Story's - by Pagol premi - 14-02-2021, 10:19 AM
RE: My best HOT Story's - by Pagol premi - 15-02-2021, 09:47 AM
RE: My best HOT Story's - by Pagol premi - 15-02-2021, 09:57 AM
RE: My best HOT Story's - by Pagol premi - 15-02-2021, 10:09 AM
RE: My best HOT Story's - by vat69addict - 15-02-2021, 01:15 PM
RE: My best HOT Story's - by Pagol premi - 15-10-2024, 10:12 AM
RE: My best HOT Story's - by sri7869 - 16-10-2024, 06:31 AM
RE: My best HOT Story's - by Dgparmar - 26-10-2024, 03:44 AM



Users browsing this thread: 4 Guest(s)