12-02-2021, 09:55 PM
पड़ोसन भाभी को मदमस्त चोदा
मेरा नाम सूरज है. मैं बनारस से हूँ. मुझे उम्मीद है कि आप लोगों को बहुत पसंद आएगी.
मेरी हाइट 5 फुट 5 इंच है. मैं एक प्राइवेट जॉब करता हूँ. मुझे आंटी और भाभी बहुत मस्त लगती हैं क्योंकि वो जब साड़ी में मेरे सामने होती हैं तो मेरा मन करता है कि उनको अपनी बांहों में भरके उनके होंठों को चूम लूं. उनको पूरा निचोड़ कर उनके हुस्न के रस का एक एक कतरा पी जाऊं.
मेरे घर में सिर्फ मेरी माँ ही मेरे साथ रहती हैं क्योंकि मेरे पिता जी बाहर ड्यूटी करते हैं.
ये कहानी उस समय की है जब मैं ग्रेजुएशन के फाइनल ईयर में था. उसी दौरान मेरे घर के बगल वाले घर में एक नया परिवार किराये पर रहने के लिए आया.
एक दो दिन बाद पता चला कि उस परिवार में एक भैया हैं, जो कि फील्ड वर्क का काम करते है. उनको अपने काम से कई बार बनारस से बाहर भी जाना होता था.
भैया की अनुपस्थिति में उनके घर में उनकी माता जी और पिता जी और एक छोटी बहन और उनकी बीवी ही रहते थे.
मैं सुबह ही अपने कॉलेज निकल जाता था, फिर सीधे शाम को ही घर आता था. मैं कॉलेज से आने के बाद एक दो ट्यूशन भी पढ़ाता था.
सिर्फ रविवार को ही मेरे बगल के परिवार से मेरी बातचीत होती थी. वो भी सिर्फ अंकल और आंटी जी से बात होती थी. इसी तरह लगभग दो-तीन महीने बीत गए.
एक शाम को माँ ने बोला- बेटा बगल की आंटी आयी थीं, वो तुमको पूछ रही थीं.
मैंने पूछा- क्यों … क्या हुआ माँ? सब ठीक तो है ना?
माँ बोलीं- मुझे पता नहीं, तू जाकर पता कर लेना.
मैं माँ के कहे अनुसार आंटी के घर गया. और उनके घर की घंटी बजाई.
एक-दो बार घंटी बजाने पर भी कोई नहीं निकला. मैं जैसे ही वहां से निकलने के लिए वापस घूमा, तो अन्दर से आवाज आई- रुकिए आती हूँ.
एक पल बाद दरवाजा खुला तो मैंने देखा कि एक बहुत ही सुंदर औरत खड़ी थी.
दोस्तो, क्या बताऊं कि वो कैसी लग रही थी. वो खुले बाल में, लाल रंग की साड़ी में लिपटी हुई मेरे सामने थी. उसका गोरा बदन देख कर मैं हतप्रभ था.
उसकी दशा देखकर लग रहा था मानो उसने जल्दी-जल्दी में साड़ी पहनी हो. उसके बदन से एक-एक करके पानी की बूंदें टपक रही थीं.
कुछ बूंदें उसके चेहरे से होते हुए उसके गालों को चूमते हुए टपक रही थीं. गालों से टपकती बूंदें उसके गले से होते हुए ब्लाउज के अन्दर जा रही थीं. कुछ बूंदें उसके पेट से होते हुए कमर तक … और फिर कमर से होते हुए उसकी कमर से बंधी साड़ी में गायब हो जा रही थीं.
इतना सब देख कर मेरे 6 इंच के खीरे में हरकत होने लगी. आपने एक भरा पूरा खीरा तो देखा ही होगा, जिसकी लंबाई 6 इंच की होगी. ठीक वैसे ही आकार का लम्बा और मस्त मोटा मलंग किस्म का मेरा लंड फुंफकार मारने लगा था. उस समय मेरा अपने आप पर काबू पाना मुश्किल हो रहा था. वो मुझसे उम्र में लगभग बराबर की ही थी. हालांकि वो मेरे पड़ोस वाले भैया की बीवी होने के कारण मेरी भाभी लगती थी.
मैंने किसी तरह अपने ऊपर काबू पाया. मैं जैसे ही कुछ बोलने जा रहा था कि वो सामने से बोल पड़ी- आप सूरज हो ना?
मैंने हां में अपना सर हिलाया.
भाभी बोली- मुझे माफ कर दीजिए, दरवाजा खोलने में थोड़ी देर हो गयी … क्योंकि अभी अभी मैं नहा कर सीधे बाथरूम से आ रही हूँ.
मैंने पूछा- आंटी ने मुझे क्यों बुलाया था?
तो भाभी बोली- आज मेरी ननद का जन्मदिन है … और शाम में एक छोटी सी उत्सव भी है.
मैंने बोला- इसमें मैं आपकी क्या मदद कर सकता हूँ?
तो भाभी मुस्कुराती हुई बोली- तुम अन्दर भी आओगे या सारी बातें दरवाजे पर ही करोगे.
मैं उसके साथ साथ घर के अन्दर आ गया. मुझे लगा कि घर में मेरे और उसके सिवा और कोई नहीं था.
मैंने पूछा- घर में कोई नहीं है क्या?
उसने बताया- हां मेरे सास ससुर कुछ सामान लाने के लिए बाजार गए हैं और मेरी ननद कॉलेज गयी हैं. मेरे पति तो हमेशा की तरह आज भी लखनऊ टूर पर गए हैं.
मेरे मुँह से निकल गया- भाभी, आपको अकेले में डर नहीं लगता?
वो मेरी तरफ एकटक लगातार देखे जा रही थी. मैंने मन ही मन सोचा कि मैंने कुछ गलत तो नहीं बोल दिया ना.
फिर वो बोली- क्या बोला तुमने?
मैंने बात को टालते हुए कहा कि कुछ नहीं … कुछ नहीं.
लेकिन वो फिर से एक बार बोली- क्या बोला था … फिर से बोलो न?
मैंने अपनी बात फिर से दोहराई- भाभी आपको अकेले में डर नहीं लगता क्या?
वो बोली- तुमने मुझे भाभी बोला?
मैं बोला- हां. … आप ही बताओ मैं आपको क्या बोलूं?
तो उसने बोला कि मतलब इस रिश्ते से तुम मेरे देवर हुए.
इतना सुनने के बाद मैं थोड़ा शरारती अंदाज़ में बोला- आप इतनी जवान दिखती हो … मेरी उम्र की ही हो, अब मैं आपको आंटी तो बुला नहीं सकता … तो आप ही बताइए कि मैं आपको क्या बोलूं … आप जो बोलेंगी, मैं आपको वही बुलाऊंगा.
वो हंस दी और चाय बनाने के अन्दर जाते हुए बोली- मैं तुम्हारे लिए चाय लाती हूँ … और हां तुम मुझे भाभी बुलाओगे, तो मैं तुमको देवर जी बुलाऊं क्या?
मैंने बोला- आप मुझे सूरज बुलाइए.
भाभी बोली- तुम भी मुझे रेनू बुलाओ.
मैंने बोला- आप रिश्ते में मुझसे बड़ी हैं … तो मैं आपको रेनू कैसे बुला सकता हूँ.
वो हंसने लगी.
मैंने फिर शरारती अंदाज़ में बोला- मेरे पास एक तरकीब है, जिससे दोनों की समस्या हल हो सकती है.
तो भाभी बोली- जल्दी बताओ यार … मुझे घर में बहुत काम हैं.
मैं बोला- जब हम दोनों घर में अकेले रहेंगे, जैसे अभी हैं … तो आप मुझे सूरज और मैं आपको रेनू बुलाऊंगा … और जब कोई हम दोनों के साथ में हो, तो मैं आपको भाभी और आप मुझे देवर जी बुला लेना … ठीक है ना!
उसने आंख मारते हुए कहा- तुम तो बहुत स्मार्ट हो … लो चाय पियो. फिर तुम घर सजा देना, मैं घर का काम समेट लूंगी.
हम दोनों चाय पीते हुए अपने अपने काम में लग गए.
वो रसोई में चली गयी और मैं घर को सजाने में लग गया.
कुछ देर वो दरवाजे के पास खड़े होकर मुझे देख रही थी. शायद उसको नहीं पता था कि मैं भी उसको ऊपर से छिप कर देख रहा हूँ.
फिर अचानक से भाभी बोली- सूरज बहुत गर्मी है यार … थोड़ा कूलर ऑन करो ना.
मैं बोला- अभी नहीं भाभी जी … सब सामान उड़ जाएगा.
वो फटाक से बोली कि ओ मास्टर … अभी क्या बोले तुम?
मैं बोला- सही तो बोल रहा हूँ.
वो बोली- अभी हम दोनों अकेले हैं न … तुम मुझे रेनू बोलोगे.
मैं बोला- गलती हो गयी रेनू जी.
भाभी बोली- सिर्फ रेनू. और आप वाप नहीं, सिर्फ तुम कहोगे.
मैंने बोला- ठीक है रेनू.
रेनू शब्द सुनते ही वो मेरे पास आकर बोली- हां अब ठीक है.
यह कहते हुए रेनू भाभी ने मेरे पैर पर हल्की सी चिमटी काटी और हंस कर रसोई में चली गयी.
फिर थोड़ी देर बाद अचानक से रसोई से आवाज आयी- सूरज जल्दी इधर आओ.
मैं दौड़ कर गया, तो देखा कि वो रसोई के एक कोने में गिरी पड़ी थी.
मैंने पूछा- अरे रेनू क्या हुआ?
उसने बताया कि यार एक मोटा चूहा मेरे ऊपर कूद गया … तो मैं भागी और दरवाजे से मेरे पैर में चोट लग गयी.
मैं बोला- अरे यार कितनी डरपोक हो … अब तो तुम ठीक हो न?
वो बोली- मुझसे उठा नहीं जा रहा है, प्लीज मेरी हेल्प करो न.
मैं भाभी को हाथ से पकड़ कर उठाने लगा.
वो कराहते हुए बोली- मैं उठ भी नहीं सकती … तो चलने की तो दूर की बात है.
मैं फिर भाभी को अपने कंधे के सहारे उठाने लगा. मैंने इस तरह भाभी को उठाया कि उसका बायां हाथ मेरे गले पर और मेरा बायां हाथ उसके दायें हाथ को पकड़े हुए था. मेरा दायां हाथ उसकी कमर पर था.
क्या मस्त पतली और गोरी कमर थी … यार मन तो किया कि एक बार कसके दबा दूँ, पर उस समय उसकी हालत पर मुझे दया भी आ रही थी.
इसी तरह कुछ कदम चलते ही वो फिर सोफ़े पर बैठ गयी और बोली- अब नहीं चला जा रहा है … और गर्मी भी बहुत लग रही है.
मैं बोला- आप अन्दर रूम में चलिए, मैं कूलर ऑन कर देता हूँ.
भाभी बोली- बहुत दर्द हो रहा है … अब तो थोड़ा भी नहीं चला जाता.
मैंने झट से बोला- तो आपको गोद में उठा लूं?
भाभी भी जैसे इसी बात का इन्तजार कर रही थी, वे झट से बोली- तुम मुझे उठा लोगे?
मैंने बोला- हां क्यों नहीं.
भाभी ने कहा- अगर उठा पाए, तो क्या तुम मुझे मेरे बेड तक ले जा सकोगे … और यदि तुमने मुझे उठा लिया, तो मैं शाम को तुम्हें एक गिफ्ट दूँगी … मगर यह बात तुम भईया को नहीं बताना.
मैंने बात का मर्म समझते हुए कहा- ठीक है … पर आप भी किसी को कुछ नहीं बताना.
भाभी मुस्कुरा कर बोली- मैं किसी को क्यों बताने जाऊंगी.
इतना सुनने के बाद मैंने उन्हें झट से अपनी गोद में कुछ इस तरह उठाया कि मेरा दायां हाथ उसके गोल गोल चूतड़ों के पास और दूसरा हाथ उसकी नर्म मुलायम पीठ के पास आ गया. मेरा मुँह उसके सीने के ठीक सामने लगा था. भाभी भी मुझे एकदम से चिपक गई.
जैसे जैसे मैं उसको लेकर रूम की ओर बढ़ता जा रहा था, वैसे वैसे मेरे हाथ कभी उसके चूतड़ों को दबाते, तो कभी उसकी पीठ को सहलाते. जब मैं अपने दोनों हाथों को कस देता, तो मेरा मुँह भाभी के सीने में दब जाता और भाभी भी मेरा सिर पकड़ कर अपने सीने में दबाने लगती.
भाभी मेरा सर अपने मम्मों में दबाते हुए ये कहती जा रही थी- तुम मुझे गिरा ना दो … इसलिए मैंने तुम्हारे सिर को पकड़ कर रखा है.
यह कहते हुए भाभी मेरे मुँह को अपने सीने पर कसे ब्लाउज़ और साड़ी के आँचल से कसके रगड़ देती थी.
मेरा तो बुरा हाल था. एक जवान खूबसूरत भाभी मेरी गोद में थी. मुझे समझते देर न लगी कि भाभी क्या चाह रही है. फिर भी मैं अपने मुँह से या अपनी तरफ से कैसे पहल करता.
मैंने रुक कर इंतज़ार किया कि आगे देखो ये और क्या क्या करती है.
मैंने उसको बेड पर लिटा दिया और कूलर ऑन कर दिया. कूलर ऑन करते ही उसने अपने साड़ी के पल्लू को निकाल दिया, जो कि वैसे भी ऊपर से पूरा नीचे आ चुका था. यानि ऊपर अब सिर्फ लाल रंग का ब्लाउज़ ही बचा था.
भाभी के गहरे गले के ब्लाउज के अन्दर से उसके दोनों रसीले आमों के बीच की दरार भी बिल्कुल मेरी आंखों के सामने खुली दिख रही थी. ऐसा लग रहा था जैसे कि भाभी अपने आमों को मुझे दिखाना चाह रही हो. उसकी मदभरी आंखें इस बात का इशारा कर रही थीं कि आ जाओ राजा तुमको इन्हीं आमों का रस चूसना है.
मैं भी लगातार भाभी के उन रसीले आमों को देखता जा रहा था. वो भी छिपी निगाहों से मुझे देख रही थी कि मैं क्या देख रहा हूँ.
भाभी बोली- सूरज क्या हुआ … मुझे उठा कर थक गए क्या … कुछ पियोगे?
मेरे मन में आया कि बोल दूँ हां आपके आमों का रस थोड़ा सा मिल जाता … तो मेरी थकान दूर हो जाती. लेकिन मैंने ऐसा कुछ नहीं कहा.
मैंने उल्टा उसी से पूछा- अब बताओ मेरा गिफ्ट कहां है? मैं आपको अपनी गोद में यहां तक ले आया हूँ.
भाभी हंस कर कहने लगी- शाम को आ जाना … मैं भरपूर इनाम दूँगी.
मेरी समझ में तो आ गया था कि भाभी मुझे क्या इनाम दे सकती है.
मैंने भाभी से पूछा- आपकी चोट कैसी है?
भाभी बोली- हां अभी दर्द है … उस अलमारी में बाम रखी है … थोड़ा ला दो, तो मैं उसे चोट पर लगा लूं.
मैं झट से उठ कर बाम ले आया. उसका ढक्कन खोलते हुए मैं बोला कि भाभी मैं लगा दूँ?
भाभी ने बोला- मैं लगा लूंगी.
भाभी ने मेरे सामने ही अपनी साड़ी को घुटने तक धीरे धीरे करके उठा दिया. मैं भाभी के गोरे गोरे पैरों को देख रहा था … क्या गज़ब की टांगें लग रही थीं.
मैंने उसके पैरों को ध्यान से देखना चालू किया. यार, पैर के लंबे नाखूनों में लाल रंग की नेल पॉलिश लगी थी. थोड़ा ऊपर देखा, तो पैरों की उंगलियों में बिछिया पहने हुए थी. साथ ही पैरों में छम छम करती पायलें संगीत बिखेर रही थीं. ऊपर को नजर दौड़ाई, तो भाभी के गोरे रंग के घुटने थे, उन घुटनों पर भाभी हल्के हल्के से मालिश कर रही थी.
मैं अपनी वासना से डूबी नज़रों से भाभी के नीचे से ऊपर तक की एक एक चीज को देख रहा था. उनके गोरे बदन से क्या क्या चिपका हुआ था.
जब वो बाम लगाने के लिए अपनी साड़ी ऊपर कर रही थी … तो उसने साड़ी के नीचे लाल रंग के पेटीकोट की झलक को भी दिखाया. भाभी की साड़ी ऊपर हुई, तो उसके ऊपर वही पतली गोरी कमर थी, जिस पर कुछ भी नहीं था.
भाभी की कमर जैसे मुझे बुला रही थी कि आओ मुझे सहलाओ और फिर दोनों बांहों में कसके मेरी नाभि की गहराई को चूम लो.
मैं आगे देखने लगा. उसके दोनों आमों की उठान, जो लाल रंग के ब्लाउज़ में कसे हुए थे. अब इस समय ब्लाउज के गहरे गले से मैंने ब्लाउज़ के अन्दर सफ़ेद रंग की ब्रा को भी देखा, जो भाभी के आमों को पूरी ताकत से जकड़े हुए थी.
मैं आगे बढ़ा, तो भाभी की गोरी लंबी गर्दन … फिर उसके ऊपर गुलाबी रंग के ऐसे मस्त होंठ फड़फड़ा रहे थे. मुझे लगा कि जैसे मुझे भाभी के दोनों होंठ बुला रहे हों कि आ जाओ राजा … थोड़ा मेरे रस का भी स्वाद चख लो.
सबसे आखिर में हम दोनों नज़रें … जो मुझे ही काफी देर से मेरे एक एक करके मेरे सभी इशारों को देख कर समझ रही थीं कि मैं उसके एक एक अंग को बड़ी ध्यान से देख रहा हूँ और सोच रहा हूँ कि ये सारे अंग एक बार मिल जाएं, तो एक एक करके सारे अंगों के रस को चूस लूं … भाभी के पूरे अंगों को चाट चाट कर खा जाऊं. मन की पूरी कसक निकाल लूं.
तभी रेनू भाभी मादकता भरी आवाज में बोली- लगता है मेरी कमर में गहरी चोट आयी है … पर मेरा हाथ वहां नहीं पहुंच पा रहा है.
मैंने पूछा- रेनू, मैं लगा दूँ?
भाभी ने बोला- नहीं जाने दो … मैं किसी तरह लगा लूंगी. अगर भईया को पता चला कि मैंने किसी और से अपनी कमर की मालिश कराई है, तो बवाल हो जाएगा.
मैं बोला- भईया को ये कौन बताएगा … मैं तो नहीं बताऊंगा. शायद आप बता दो.
भाभी हंस कर बोली- मैं क्यों बताऊंगी.
मैं बोला- तो लाओ बाम मुझे दो … मैं आपकी कमर पर लगा दूँ.
भाभी मुझे बाम देकर पेट के तरफ लेट गयी और उसने पीठ को मेरी तरफ कर दिया. साथ ही भाभी ने अपने पेटीकोट का नाड़ा ढीला कर दिया और कहा- मैं जहां बोलूंगी, वहीं लगाना.
मैंने ओके कहा.
भाभी ने अपनी साड़ी और पेटीकोट को थोड़ा सा नीचे सरका दिया और जगह बता कर बोली- यहीं पर लगा दो.
वो जगह क्या थी … जानते हो … जहां से उनके गोल गोल और गोरे गोरे चूतड़ों की गहराई चालू हो रही थी.
मैं तो भाभी की गांड की दरार देख कर धन्य हो गया. मैंने अपने दायें हाथ से उसकी पीठ की मालिश करना शुरू की और बाएं हाथ से अपने लंड को सहलाए जा रहा था, जो कि पैंट में ही खड़ा हो गया था.
बीच बीच में मैं अपने हाथ को उसके गोल गोरे चूतड़ों पर भी फेर देता था.
दो तीन बार ऐसा करने से मेरी हिम्मत बढ़ गयी, तो मैंने भाभी के एक गोल गोरे चूतड़ को दबा दिया. भाभी ने झट से मेरी तरफ सर कर लिया. मैंने भी झट से अपना हाथ अपने पैंट से निकाल लिया.
मगर जहां तक मेरा मानना है कि भाभी ने मुझे ये सब करते देख लिया था. मगर भाभी कुछ बोली नहीं.
फिर मैं भाभी की मालिश पर ध्यान देने लगा. थोड़ी देर बाद वो बोली- अब तुम अपने घर जाओ … बाकी का काम शाम में करेंगे.
मैं समझ गया कि चूतड़ों को कसके दबाने से भाभी जी को कुछ होने लगा था.
मैंने एक तरकीब लगाई और उसको बोला- मैं जा रहा हूँ … आप दरवाजा बंद कर लो.
मैं झट से उठा और दरवाजे की सिटकनी खोल कर फिर उन्हीं के ही घर में सोफ़े और दीवार के कोने में छिप गया.
भाभी को साड़ी सही करने और गेट बंद करने तक मैं उनके ही घर में अच्छे से छिप गया.
भाभी वापस बिस्तर पर जाने की बजाये किचन में चली गयी. मैंने एक बात नोटिस की कि वो अपने आपसे उठी और थोड़ा सा भी नहीं लड़खड़ाई. भाभी एकदम अच्छे से चल-फिर रही थी. मतलब ये सब एक बहाना था.
मेरा मन तो कर रहा था कि भाभी को पकड़ कर वहीं जमीन पर लेटा दूँ और उसकी साड़ी उठाकर अपना लंड पूरा का पूरा उसकी चुत में पेल दूँ. लेकिन मैंने अपने मन को शांत किया.
मैं आगे क्या देखता हूँ कि भाभी ने किचन से एक लंबी सफ़ेद रंग की मूली लाकर टेबल पर रख दी साथ में चाकू भी था.
और फिर भाभी अपने कमरे से एक कंडोम ले आयी.
फिर भाभी ने डीवीडी में एक डिस्क लगाई और आकर सोफ़े पर बैठ गई. इसके बाद टीवी पर फिल्म चालू हो गई. इधर भाभी ने उस मूली को पतली तरफ से चाकू थोड़ा सा काटा, उस सिरे को गोल लिया लंड के टोपे की तरह पर कंडोम को अच्छे से चढ़ा दिया.
तब तक टीवी पर एक ब्लू फिल्म चलने लगी, जिसमें एक लड़का अपने से बड़ी उम्र की औरत की बुर को चाट रहा था.
इधर भाभी भी सोफ़े पर अच्छे से बैठ गई. उसने अपने दोनों गोरे गोरे पैरों को सामने टेबल पर रख कर फैला दिया. फिर उस कंडोम चढ़ी मूली को भाभी अपनी बुर पर रगड़ने लगी.
वो कभी उस मूली को अन्दर डालने की कोशिश भी करती और अपने मुँह से कुछ बड़बड़ाती भी जा रही थी- आह … आ जा … मेरी बुर चाट ले … आंह कसके चाट कर खा जा मेरी बुर को … आंह … साले … आजा.
उसके मुँह से ये सब सुन कर मैं तो हैरान रह गया. मुझे लगा कि वो टीवी में उस लड़के से बात कर रही है.
वो टीवी को देखते हुए आगे बोली- मेरा पति तो साला कई दिनों और रातों तक बाहर रहता है … उस चूतिए को मेरी बिल्कुल परवाह नहीं रहती कि उसकी बीवी की भी कुछ तमन्ना है … उसे भी लंड का प्यार चाहिए. साला कभी कभी आता है और रात में मेरे ऊपर चढ़ कर मेरी साड़ी उठाकर अपना लंड मेरे बुर में पेल देता है … और मैं कुछ भी नहीं कर पाती. वो ना तो मेरे होंठ चूमता है और ना मेरी चुची दबाता … ना चूसता है. वो मेरी प्यारी सी बुर को भी नहीं चाटता है. बस धक्के पर धक्के मारता है … और जब उसका माल निकल जाता है, तो बगल में घोड़े बेच कर सो जाता है … मैं उसी के बगल में ही मैं अपनी जीभ को अपने होंठों पर फेरती रह जाती हूँ. अपने हाथों से ही अपनी चुची को दबाती और चूसती हूँ … और अपनी बुर को अपनी उंगलियों से खूब रगड़ती हूँ … फिर उसमे मूली डाल कर उसका पानी भी निकालती हूँ. फिर भी मेरी प्यास नहीं बुझती.
भाभी के मुँह से इतनी सारी बातें सुनकर मेरा मन उसको अभी के अभी चोदने को कर रहा था. मेरे शरीर में इतनी ताकत आ गयी थी कि मैं बिना कोई समय गंवाए उसके सामने जाकर खड़ा हो गया.
वो मुझे सामने देख के हक्का बक्का रह गयी और जल्दी जल्दी में, जिस मूली से वो अपना बुर चोद रही थी, उसे जल्दीबाजी में अपनी बुर में ही अन्दर फंसा लिया और साड़ी को नीचे करते हुए खड़ी हो गयी. भाभी मुझे हैरानी भरी निगाहों से देखती रह गयी कि ये कहां से आ गया.
हम दोनों चुपचाप एक दूसरे के सामने खड़े थे और टीवी में से चुदाई की ‘आह आह आह …’ की आवाजें आ रही थीं. उस समय टीवी में वो लड़का उस औरत को बेड पर लेटा कर उसकी बुर में अपना लंड डाल कर ज़ोर ज़ोर से चोद रहा था. जिससे वो औरत आह आह की आवाज निकाल रही थी.
उस समय हम दोनों के सिवाए, बस वही दोनों आवाज कर रहे थे. हम दोनों चुपचाप उसे देख और सुन रहे थे.
फिर मैंने हिम्मत बांधते हुए रेनू भाभी से कहा- आप ये क्या कर रही हो?
भाभी ने बोला- क्या … कुछ भी तो नहीं कर रही थी.
मैंने बोला- मैंने सोफ़े के पीछे से सारी बातें सुनी और देखी भी हैं.
इतना सुनते ही भाभी रोने लगी कि ये सब बातें बाहर किसी को भी नहीं बताना … नहीं तो मेरी बहुत बदनामी होगी.
मैंने आगे बढ़ कर उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा- मैं ऐसा क्यों करूंगा … आप तो मेरी भाभी हैं … और कोई देवर अपनी जवान भाभी का बुरा क्यों करेगा.
यह कहते हुए मैंने अपने दोनों हाथों से उनके दोनों कंधे पकड़ कर बैठाया और बोला कि भईया नहीं हैं भाभी … तो क्या हुआ … मैं हूँ ना.
मैं उनके आंसू भी पौंछने लगा.
भाभी बोली- मतलब!
मैं कुछ नहीं बोला और उसकी साड़ी को धीरे धीरे करके ऊपर उठाने लगा.
भाभी धीरे से बोली- तुम ये क्या कर रहे हो?
मैं झट से बोला- रेनू भाभी, मूली अन्दर ही अन्दर सड़ जाएगी.
मेरी इस बात से भाभी हल्के से मुस्कुरा दी और बोली- जाने दो … मैं निकाल लूंगी.
मैं बोला- मैं निकालने में आपकी हेल्प कर देता हूँ … बस आप अपने दोनों पैर ऊपर कर दो.
भाभी शरमाते हुए बोली- तुम मेरी क्या क्या हेल्प करोगे?
मैंने उनकी तरफ देखा और और उनकी बुर की तरफ आंख दिखाते हुए कहा- उसकी मालिश कर दूँगा और जो आप चाहोगी, वो भी कर दूँगा.
अभी इससे पहले कुछ और वो बोलती, मेरा हाथ उसके पैरों से होता हुआ, साड़ी के अन्दर चला गया. मेरे दोनों हाथ उसके घुटनों से होते हुए जांघों पर टिक गए. मैंने अपने दोनों हाथ भाभी की मस्त चिकनी जाँघों पर रख दिए. फिर मैं धीरे धीरे अपने हाथ उनकी बुर की ओर बढ़ाने लगा. मैंने देखा कि आधी मूली उनकी बुर के अन्दर थी … और आधी बाहर निकली हुई थी.
मैंने उस मूली को बाहर की ओर खींचा और बोला- आपकी बुर को मूली नहीं … मेरा लंड चाहिए.
इतना कहते ही मैं भाभी की बुर को अपने हाथ से सहलाने लगा और अपनी दो उंगलियां एक साथ ही चुत के अन्दर डाल दीं.
मेरे इतना करते ही भाभी के मुँह से सिसकारी निकलने लगीं. मैंने उसके पैरों को और चौड़ा करते हुए बुर को फैला दिया. बुर से पानी रिस रहा था.
मैं एक पल की भी ही देर नहीं लगाई और अपनी जीभ से भाभी की चुत चाटने लगा. मेरे जीभ से चूत को छूते ही भाभी एकदम से ऐसे हिल गयी … जैसे उसे करेंट लग गया हो. वो ज़ोर ज़ोर से आह आह आह आह करने लगी.
मैंने भी दिल लगा कर भाभी की बुर को चाटा. चुत को चाट चाट कर पूरा लाल कर दिया.
लगभग पांच मिनट में ही भाभी का शरीर अकड़ने लगा और वो मेरा सिर पकड़ कर अपनी बुर में दबाने लगी.
मैं समझ गया कि अब चुत का माल निकलने को तैयार है. मैंने और ज़ोर से भाभी की बुर को चाटना और काटना शुरू कर दिया. वो एकदम से तड़पने लगी और अपने दोनों पैरों और जांघों से मेरे सिर को जकड़ लिया. तभी एक गर्म धार मेरे मुँह से आ टकराई, जो भाभी ने छोड़ी थी. मैंने भी भाभी की चुत का पूरा का पूरा रस चूस चूस कर निचोड़ डाला. मैंने भाभी की बुर को चाट चाट कर साफ कर दिया.
चुत चुसाई के बाद भाभी ने मुझे गले से लगा लिया और मेरे होंठों को चूमने लगी. मैंने भी उसको अपनी बांहों में भर लिया और एक एक करके उसके सभी अंग सहलाना शुरू कर दिए.
मैंने सबसे पहले भाभी की बड़ी बड़ी चुचियों को दबाया, पीठ को सहलाया. फिर उसके गोल गोल और गोरे गोरे चूतड़ों को सहलाया और दबाया.
तभी भाभी का एक हाथ मेरी पैंट के अन्दर जाने लगा. अगले ही पल भाभी मेरा लंड अपने हाथ में लेकर दबाने लगी.
उसकी यह हरकत देख कर मैं तो पागल सा हो गया. मैंने उसको वहीं सोफ़े पर लेटा दिया और उसके होंठों को अपने होंठों में दबा लिया. हम दोनों चूमाचाटी में लग गए.
दस मिनट तक उसके होंठों चूसने के बाद मैंने उसका ब्लाउज़ उतार दिया. फिर साड़ी को भी उससे अलग कर दिया. बाद में उसके पेटीकोट का नाड़ा भी खोल कर उसके पेटीकोट को उतार दिया.
अब इस समय भाभी सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी. मैंने भाभी की चूचियों को ब्रा पर से ही रगड़ना और चूसना शुरू कर दिया. कुछ पल बाद मैं भाभी के पेट को चूमता हुआ उसकी नाभि पर आ गया. मैंने भाभी की नाभि में जीभ की नोक डाल कर उसको खूब मज़े से चूमा और चूसा.
आखिर में मैंने फिर से भाभी की चूत को पैंटी के ऊपर से चाटना और काटना शुरू कर दिया.
मेरे ऐसा करने से भाभी की आवाज एकदम से बदल गयी. वो अम्म अम्म अम्म करने लगी. अब मैंने उसकी ब्रा और पैंटी को उसके शरीर से अलग कर दिया.
भाभी ने मेरे कान में सरसराया- मुझे भी चूसना है.
ये सुनते ही मैं भाभी से अलग हुआ और हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए.
इस पोजीशन में आकर मैंने उसको बेड पर पीठ के बल लेटा दिया और मैंने अपना मुँह उसकी चूत के तरफ कर लिया.
मैंने अपना लंड भाभी के मुँह की तरफ कर दिया था. भाभी लंड को पकड़ कर सूँघ रही थी. मैं उसकी चूत को बड़े चाव से चाटने लगा. उसी पल भाभी भी मेरे लंड को खूब मज़े से चूसने में लग गई थी.
लंड चुत की मस्त चुसाई चलने लगी. ऐसा करते हुए हम लोगों को दस मिनट से ज्यादा का समय हो गया था.
इसके बाद मैं उठा और भाभी के दोनों पैरों के बीच में आकर बैठ गया. मैं भाभी की चुत निहारने लगा.
भाभी बोली- इतना क्यूँ तड़पा रहे हो मुझे … मेरी चूत में जल्दी से अपना लंड डाल कर इसकी प्यास को शांत करो … अब देर ना करो … जल्दी से अपने लंड से मेरी चूत को फाड़ डालो … इसे चोद चोद कर इसका पानी निकाल दो.
मैंने अपना लंड भाभी की चूत के छेद में सैट किया और एक ज़ोरदार धक्का दे मारा. एक ही झटके में मेरा पूरा लंड भाभी की चूत में समा गया.
उसी समय भाभी के मुँह से ‘ऊई माँ … मर गई..’ निकल गया.
भाभी कराहते हुए बोली- तुम्हारा लंड तो मेरे पति से भी बड़ा है और मोटा भी है.
मैंने अपना लंड थोड़ा बाहर निकाल कर फिर से धक्का मारा, तो भाभी बोली- थोड़ा धीरे धीरे करो यार … कहीं भागी नहीं जा रही हूँ.
मैंने भाभी की एक ना सुनी और उसके पैरों को और चौड़ा करके पूरी ताकत से भाभी की चुदाई करने लगा. भाभी भी मस्ती में अपने चूतड़ों को उछाल कर मेरा पूरा लंड अपनी चूत में ले रही थी … साथ ही अपने मुँह से अम्म अम्म की आवाजें भी निकाल रही थी.
भाभी की चुदाई करते हुए मुझे कुछ समय ही हुआ होगा कि उसका बदन फिर से अकड़ने लगा. भाभी ने मुझे अपने सीने से लगा लिया. फिर भी मैं नहीं रुका … मैं भाभी की चुदाई करता जा रहा था.
अचानक भाभी की चूत से पानी की फुहार निकली और वो बोल पड़ी- आह … कितने दिनों के बाद मेरी ऐसी चुदाई हुई है … आज से मैं तुम्हारी हूँ … और आगे भी तुम्हारी ही रहूँगी मेरे राजा.
इतना सुन कर मुझे रहा नहीं गया और मैंने भी भाभी की चूचियों को दबाते हुए उसके होंठों को चूसा. मैं अपने लंड को और तेज़ी से उसकी चूत में पेलने लगा.
भाभी बोलती रही- आह … अब बस करो मेरे देवर राजा … मेरी बर्दाश्त के बाहर हो रहा है.
पर मैं कहां सुनने वाला था. मैं लगातार भाभी की चूत को चोदता रहा.
भाभी ने कहा- जल्दी करो … जो करना है … नहीं तो मेरे सास-ससुर आ जाएंगे.
मुझे एकदम से ख्याल आया कि कहीं लफड़ा न हो जाए. अगले ही पल मैंने भाभी को उठाया और उसे अपने लंड के ऊपर बैठा लिया.
मैंने भाभी से कहा- अब आप मेरे लंड को अपनी चूत में डाल कर ऊपर-नीचे करो.
भाभी ने वैसा ही किया. वो मेरे लंड को अपने हाथ से अपनी चूत पर रगड़ने लगी और एक झटके में अपनी चूत में डाल कर अपने चूतड़ों को तेज़ी से ऊपर-नीचे करने लगी. उसके चूतड़ों के साथ साथ उसकी चूचियां भी ऊपर-नीचे हो रही थीं.
मैंने अपने हाथों में भाभी की उछलती चूचियों को पकड़ कर अपने मुँह में ले लिया. मैं चुत चुदाई के साथ भाभी के दूध चूसने का भी मजा लेने लगा. ऐसा करने से भाभी और ज्यादा तड़पने लगी. वो और तेजी से मेरे लंड पर ऊपर-नीचे हो रही थी. जब वो थक गयी, तो मैंने उसे सोफ़े पर ही घोड़ी बनने को कहा.
जब भाभी घोड़ी बनी, तो मैं उसके पीछे आकर उसके चूतड़ों को अपने हाथों से फैलाकर उसकी चूत के छेद में अपना लंड सैट करते हुए एक धक्का दे मारा. मेरा पूरा लंड उसकी चूत के छेद में घुसता चला गया. अब मैंने भाभी के दोनों चूतड़ों को कसके पकड़ कर उसकी चुदाई शुरू कर दी.
दोस्तो, क्या मज़ा आ रहा था इस पोजीशन में. मैं अपना पूरा लंड बाहर निकाल कर फिर से भाभी की चूत में पेल रहा था. वो भी एकदम से मस्त होकर गांड हिला रही थी.
भाभी बोली- आह क्या मस्त चुदाई करते हो तुम … मेरी चूत तो ऐसा लंड पाकर धन्य हो गई.
कोई पांच मिनट बाद मैंने कहा- मेरा छूटने वाला है रेनू … मैं क्या करूं कहा निकालु ?
भाभी बोली- चिंता मत करो मेरे राजा कुछ नही होगा … मेरी चूत में ही अपना गरम वीर्य निकाल दो.
मैंने ज़ोर के धक्कों के साथ अपना माल भाभी की मखमली चूत में भर दिया.
कुछ देर बाद हम दोनों खड़े हुए और कपड़े पहन कर खुद को सही करने में लग गए. मैंने अपने कपड़े पहने और भाभी को भी उनकी ब्रा और पैंटी भी पहनायी.
जब वो पूरे कपड़े पहन कर तैयार हो गई, तो मैंने भाभी को अपनी बांहों में भर लिया और कहा- रेनू भाभी आप ही पहली हो, जिसके साथ मैंने पहली बार चुदाई की है. सच मानो मुझे आपको चोदने में मज़ा आ गया.
भाभी भी बोली- हां मैं भी तुमसे चुद कर बहुत खुश हूँ. अब तुम्हारा जब भी मन करे, तुम मुझे अपनी बांहों में ले सकते हो और जी भरके मुझे चोद सकते हो.
इतना सुन कर मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया. भाभी को भी पता चल गया कि मेरा लंड उसे सलामी दे रहा है, तो उसने कहा- तेरे लंड को अभी भी मेरी चूत चाहिए … देख कैसे इशारे कर रहा है.
मैंने बोला- तो हो जाए फिर से.
भाभी बोली- यार मैं बहुत थक गयी हूँ और मम्मी पापा के आने का टाइम भी हो गया है. फिर किसी दिन पूरा मजा लूंगी. लेकिन अभी तो इसको शांत करने का मेरे पास एक तरीका है.
भाभी ने मेरी पैंट से मेरा लंड निकाला और उसे चूमने लगी. फिर एक ही बार में उसे अपने मुँह में भर कर फिर से चूसने लगी कि जैसे वो मेरे लंड को पूरा का पूरा निगल जाएगी.
दोस्तो, क्या बताऊं … भाभी मेरा लंड ऐसे चूस रही थी कि मैं भी उसके मुँह में ही अपने लंड को आगे पीछे करने लगा. या यूं कहा जाए कि इस वक्त मैंने अपने लंड से भाभी के मुँह को ही चोदना शुरू कर दिया था.
कुछ ही मिनट में मेरा माल निकलने को हो गया था, तो मैंने भाभी को बोला- मैं झड़ने वाला हूँ.
भाभी हाथ का इशारा करती हुई बोली- कोई बात नहीं … तुम मेरे मुँह में ही अपना पूरा माल निकाल दो.
मैंने भाभी के सिर को कसके पकड़ लिया और अपना लंड तेजी से भाभी के मुँह में अन्दर बाहर करने लगा.
फिर एक जोरदार धार के साथ मैंने भाभी के मुँह को भर दिया. भाभी भी मेरा पूरा माल पी गयी और मेरे लंड को चाट चाट कर पूरा साफ कर दिया.
मैंने भाभी को कहा- भाभी आप कमाल की चुसक्कड़ हो.
भाभी बोली- वो कैसे?
मैं बोला- भाभी आपको लंड चूसना और लंड से चुदवाना बहुत अच्छे से आता है.
भाभी हंस दी.
फिर मैं अपने घर को चलने के लिए तैयार हुआ, तो भाभी ने कहा- शाम को पार्टी में आना ना भूलना.
मैंने कहा- अब तो भाभी आना जाना लगा रहेगा.
भाभी ने हंस कर कहा- हां हां क्यों नहीं … मैं तो खुद बेसब्री से तुम्हारा इंतज़ार करूंगी.
इतना कह कर मैं उनके घर के बाहर आ गया और अपने घर आ गया.
फिर जैसे तैसे शाम हुई. मैं भी बन ठन कर भाभी के घर पहुंच गया. सामने ही उनके सास ससुर बैठे थे, तो मैंने उनको नमस्ते किया.
उन्होंने कहा- बेटा तुमने घर को बहुत अच्छा सजाया है.
मैंने कहा- भाभी जी ने भी मेरी बहुत मदद की … तब जाकर हो पाया है.
अंकल खुश हो गए.
मैंने कहा- वैसे भाभी जी है कहां?
भाभी की सास बोलीं- वो रसोई में है.
मैंने उनसे पूछा- मैं अन्दर चला जाऊं … उनसे मिल लूं, उनका कोई और काम तो नहीं बाकी है.
उनकी सास ने बोला- हां देख लो … बेचारी सुबह से अकेले ही परेशान हो रही है. तुम साथ में रहोगे, तो उसकी कुछ मदद हो जाएगी.
इतना सुनते ही मैं रसोई में चला गया. भाभी किचन में कुछ कर रही थी.
भाभी ने उस समय गुलाबी रंग की साड़ी पहनी हुई थी. पीछे से क्या गजब माल लग रही थी. मेरा मन तो कर रहा था कि पीछे से साड़ी उठाकर अपना लंड उसकी चिकनी चूत में पेल दूँ.
लेकिन पार्टी का माहौल था, कोई भी आ सकता था, तो मैंने भाभी को पीछे से आवाज दी- भाभी क्या कर रही हो?
मेरी आवाज सुनते ही भाभी झट से पलट गयी और बोली- तुम कब आए?
मैंने उसकी बात बीच में काटते हुए कहा- भाभी, तुम तो कमाल की माल लग रही हो.
भाभी हंस कर बोली- सच में!
मैंने बोला- हां भाभी.
लेकिन भाभी ने लिपस्टिक नहीं लगाई थी, तो मैंने बोला- भाभी लिपस्टिक नहीं लगाई आपने?
भाभी बोली कि चलो … तुम ही लगा दो.
मैंने बोला कि नेकी और पूछ पूछ … चलो.
भाभी ने कहा कि तुम बेडरूम में चलो, मैं आती हूँ.
मेरा नाम सूरज है. मैं बनारस से हूँ. मुझे उम्मीद है कि आप लोगों को बहुत पसंद आएगी.
मेरी हाइट 5 फुट 5 इंच है. मैं एक प्राइवेट जॉब करता हूँ. मुझे आंटी और भाभी बहुत मस्त लगती हैं क्योंकि वो जब साड़ी में मेरे सामने होती हैं तो मेरा मन करता है कि उनको अपनी बांहों में भरके उनके होंठों को चूम लूं. उनको पूरा निचोड़ कर उनके हुस्न के रस का एक एक कतरा पी जाऊं.
मेरे घर में सिर्फ मेरी माँ ही मेरे साथ रहती हैं क्योंकि मेरे पिता जी बाहर ड्यूटी करते हैं.
ये कहानी उस समय की है जब मैं ग्रेजुएशन के फाइनल ईयर में था. उसी दौरान मेरे घर के बगल वाले घर में एक नया परिवार किराये पर रहने के लिए आया.
एक दो दिन बाद पता चला कि उस परिवार में एक भैया हैं, जो कि फील्ड वर्क का काम करते है. उनको अपने काम से कई बार बनारस से बाहर भी जाना होता था.
भैया की अनुपस्थिति में उनके घर में उनकी माता जी और पिता जी और एक छोटी बहन और उनकी बीवी ही रहते थे.
मैं सुबह ही अपने कॉलेज निकल जाता था, फिर सीधे शाम को ही घर आता था. मैं कॉलेज से आने के बाद एक दो ट्यूशन भी पढ़ाता था.
सिर्फ रविवार को ही मेरे बगल के परिवार से मेरी बातचीत होती थी. वो भी सिर्फ अंकल और आंटी जी से बात होती थी. इसी तरह लगभग दो-तीन महीने बीत गए.
एक शाम को माँ ने बोला- बेटा बगल की आंटी आयी थीं, वो तुमको पूछ रही थीं.
मैंने पूछा- क्यों … क्या हुआ माँ? सब ठीक तो है ना?
माँ बोलीं- मुझे पता नहीं, तू जाकर पता कर लेना.
मैं माँ के कहे अनुसार आंटी के घर गया. और उनके घर की घंटी बजाई.
एक-दो बार घंटी बजाने पर भी कोई नहीं निकला. मैं जैसे ही वहां से निकलने के लिए वापस घूमा, तो अन्दर से आवाज आई- रुकिए आती हूँ.
एक पल बाद दरवाजा खुला तो मैंने देखा कि एक बहुत ही सुंदर औरत खड़ी थी.
दोस्तो, क्या बताऊं कि वो कैसी लग रही थी. वो खुले बाल में, लाल रंग की साड़ी में लिपटी हुई मेरे सामने थी. उसका गोरा बदन देख कर मैं हतप्रभ था.
उसकी दशा देखकर लग रहा था मानो उसने जल्दी-जल्दी में साड़ी पहनी हो. उसके बदन से एक-एक करके पानी की बूंदें टपक रही थीं.
कुछ बूंदें उसके चेहरे से होते हुए उसके गालों को चूमते हुए टपक रही थीं. गालों से टपकती बूंदें उसके गले से होते हुए ब्लाउज के अन्दर जा रही थीं. कुछ बूंदें उसके पेट से होते हुए कमर तक … और फिर कमर से होते हुए उसकी कमर से बंधी साड़ी में गायब हो जा रही थीं.
इतना सब देख कर मेरे 6 इंच के खीरे में हरकत होने लगी. आपने एक भरा पूरा खीरा तो देखा ही होगा, जिसकी लंबाई 6 इंच की होगी. ठीक वैसे ही आकार का लम्बा और मस्त मोटा मलंग किस्म का मेरा लंड फुंफकार मारने लगा था. उस समय मेरा अपने आप पर काबू पाना मुश्किल हो रहा था. वो मुझसे उम्र में लगभग बराबर की ही थी. हालांकि वो मेरे पड़ोस वाले भैया की बीवी होने के कारण मेरी भाभी लगती थी.
मैंने किसी तरह अपने ऊपर काबू पाया. मैं जैसे ही कुछ बोलने जा रहा था कि वो सामने से बोल पड़ी- आप सूरज हो ना?
मैंने हां में अपना सर हिलाया.
भाभी बोली- मुझे माफ कर दीजिए, दरवाजा खोलने में थोड़ी देर हो गयी … क्योंकि अभी अभी मैं नहा कर सीधे बाथरूम से आ रही हूँ.
मैंने पूछा- आंटी ने मुझे क्यों बुलाया था?
तो भाभी बोली- आज मेरी ननद का जन्मदिन है … और शाम में एक छोटी सी उत्सव भी है.
मैंने बोला- इसमें मैं आपकी क्या मदद कर सकता हूँ?
तो भाभी मुस्कुराती हुई बोली- तुम अन्दर भी आओगे या सारी बातें दरवाजे पर ही करोगे.
मैं उसके साथ साथ घर के अन्दर आ गया. मुझे लगा कि घर में मेरे और उसके सिवा और कोई नहीं था.
मैंने पूछा- घर में कोई नहीं है क्या?
उसने बताया- हां मेरे सास ससुर कुछ सामान लाने के लिए बाजार गए हैं और मेरी ननद कॉलेज गयी हैं. मेरे पति तो हमेशा की तरह आज भी लखनऊ टूर पर गए हैं.
मेरे मुँह से निकल गया- भाभी, आपको अकेले में डर नहीं लगता?
वो मेरी तरफ एकटक लगातार देखे जा रही थी. मैंने मन ही मन सोचा कि मैंने कुछ गलत तो नहीं बोल दिया ना.
फिर वो बोली- क्या बोला तुमने?
मैंने बात को टालते हुए कहा कि कुछ नहीं … कुछ नहीं.
लेकिन वो फिर से एक बार बोली- क्या बोला था … फिर से बोलो न?
मैंने अपनी बात फिर से दोहराई- भाभी आपको अकेले में डर नहीं लगता क्या?
वो बोली- तुमने मुझे भाभी बोला?
मैं बोला- हां. … आप ही बताओ मैं आपको क्या बोलूं?
तो उसने बोला कि मतलब इस रिश्ते से तुम मेरे देवर हुए.
इतना सुनने के बाद मैं थोड़ा शरारती अंदाज़ में बोला- आप इतनी जवान दिखती हो … मेरी उम्र की ही हो, अब मैं आपको आंटी तो बुला नहीं सकता … तो आप ही बताइए कि मैं आपको क्या बोलूं … आप जो बोलेंगी, मैं आपको वही बुलाऊंगा.
वो हंस दी और चाय बनाने के अन्दर जाते हुए बोली- मैं तुम्हारे लिए चाय लाती हूँ … और हां तुम मुझे भाभी बुलाओगे, तो मैं तुमको देवर जी बुलाऊं क्या?
मैंने बोला- आप मुझे सूरज बुलाइए.
भाभी बोली- तुम भी मुझे रेनू बुलाओ.
मैंने बोला- आप रिश्ते में मुझसे बड़ी हैं … तो मैं आपको रेनू कैसे बुला सकता हूँ.
वो हंसने लगी.
मैंने फिर शरारती अंदाज़ में बोला- मेरे पास एक तरकीब है, जिससे दोनों की समस्या हल हो सकती है.
तो भाभी बोली- जल्दी बताओ यार … मुझे घर में बहुत काम हैं.
मैं बोला- जब हम दोनों घर में अकेले रहेंगे, जैसे अभी हैं … तो आप मुझे सूरज और मैं आपको रेनू बुलाऊंगा … और जब कोई हम दोनों के साथ में हो, तो मैं आपको भाभी और आप मुझे देवर जी बुला लेना … ठीक है ना!
उसने आंख मारते हुए कहा- तुम तो बहुत स्मार्ट हो … लो चाय पियो. फिर तुम घर सजा देना, मैं घर का काम समेट लूंगी.
हम दोनों चाय पीते हुए अपने अपने काम में लग गए.
वो रसोई में चली गयी और मैं घर को सजाने में लग गया.
कुछ देर वो दरवाजे के पास खड़े होकर मुझे देख रही थी. शायद उसको नहीं पता था कि मैं भी उसको ऊपर से छिप कर देख रहा हूँ.
फिर अचानक से भाभी बोली- सूरज बहुत गर्मी है यार … थोड़ा कूलर ऑन करो ना.
मैं बोला- अभी नहीं भाभी जी … सब सामान उड़ जाएगा.
वो फटाक से बोली कि ओ मास्टर … अभी क्या बोले तुम?
मैं बोला- सही तो बोल रहा हूँ.
वो बोली- अभी हम दोनों अकेले हैं न … तुम मुझे रेनू बोलोगे.
मैं बोला- गलती हो गयी रेनू जी.
भाभी बोली- सिर्फ रेनू. और आप वाप नहीं, सिर्फ तुम कहोगे.
मैंने बोला- ठीक है रेनू.
रेनू शब्द सुनते ही वो मेरे पास आकर बोली- हां अब ठीक है.
यह कहते हुए रेनू भाभी ने मेरे पैर पर हल्की सी चिमटी काटी और हंस कर रसोई में चली गयी.
फिर थोड़ी देर बाद अचानक से रसोई से आवाज आयी- सूरज जल्दी इधर आओ.
मैं दौड़ कर गया, तो देखा कि वो रसोई के एक कोने में गिरी पड़ी थी.
मैंने पूछा- अरे रेनू क्या हुआ?
उसने बताया कि यार एक मोटा चूहा मेरे ऊपर कूद गया … तो मैं भागी और दरवाजे से मेरे पैर में चोट लग गयी.
मैं बोला- अरे यार कितनी डरपोक हो … अब तो तुम ठीक हो न?
वो बोली- मुझसे उठा नहीं जा रहा है, प्लीज मेरी हेल्प करो न.
मैं भाभी को हाथ से पकड़ कर उठाने लगा.
वो कराहते हुए बोली- मैं उठ भी नहीं सकती … तो चलने की तो दूर की बात है.
मैं फिर भाभी को अपने कंधे के सहारे उठाने लगा. मैंने इस तरह भाभी को उठाया कि उसका बायां हाथ मेरे गले पर और मेरा बायां हाथ उसके दायें हाथ को पकड़े हुए था. मेरा दायां हाथ उसकी कमर पर था.
क्या मस्त पतली और गोरी कमर थी … यार मन तो किया कि एक बार कसके दबा दूँ, पर उस समय उसकी हालत पर मुझे दया भी आ रही थी.
इसी तरह कुछ कदम चलते ही वो फिर सोफ़े पर बैठ गयी और बोली- अब नहीं चला जा रहा है … और गर्मी भी बहुत लग रही है.
मैं बोला- आप अन्दर रूम में चलिए, मैं कूलर ऑन कर देता हूँ.
भाभी बोली- बहुत दर्द हो रहा है … अब तो थोड़ा भी नहीं चला जाता.
मैंने झट से बोला- तो आपको गोद में उठा लूं?
भाभी भी जैसे इसी बात का इन्तजार कर रही थी, वे झट से बोली- तुम मुझे उठा लोगे?
मैंने बोला- हां क्यों नहीं.
भाभी ने कहा- अगर उठा पाए, तो क्या तुम मुझे मेरे बेड तक ले जा सकोगे … और यदि तुमने मुझे उठा लिया, तो मैं शाम को तुम्हें एक गिफ्ट दूँगी … मगर यह बात तुम भईया को नहीं बताना.
मैंने बात का मर्म समझते हुए कहा- ठीक है … पर आप भी किसी को कुछ नहीं बताना.
भाभी मुस्कुरा कर बोली- मैं किसी को क्यों बताने जाऊंगी.
इतना सुनने के बाद मैंने उन्हें झट से अपनी गोद में कुछ इस तरह उठाया कि मेरा दायां हाथ उसके गोल गोल चूतड़ों के पास और दूसरा हाथ उसकी नर्म मुलायम पीठ के पास आ गया. मेरा मुँह उसके सीने के ठीक सामने लगा था. भाभी भी मुझे एकदम से चिपक गई.
जैसे जैसे मैं उसको लेकर रूम की ओर बढ़ता जा रहा था, वैसे वैसे मेरे हाथ कभी उसके चूतड़ों को दबाते, तो कभी उसकी पीठ को सहलाते. जब मैं अपने दोनों हाथों को कस देता, तो मेरा मुँह भाभी के सीने में दब जाता और भाभी भी मेरा सिर पकड़ कर अपने सीने में दबाने लगती.
भाभी मेरा सर अपने मम्मों में दबाते हुए ये कहती जा रही थी- तुम मुझे गिरा ना दो … इसलिए मैंने तुम्हारे सिर को पकड़ कर रखा है.
यह कहते हुए भाभी मेरे मुँह को अपने सीने पर कसे ब्लाउज़ और साड़ी के आँचल से कसके रगड़ देती थी.
मेरा तो बुरा हाल था. एक जवान खूबसूरत भाभी मेरी गोद में थी. मुझे समझते देर न लगी कि भाभी क्या चाह रही है. फिर भी मैं अपने मुँह से या अपनी तरफ से कैसे पहल करता.
मैंने रुक कर इंतज़ार किया कि आगे देखो ये और क्या क्या करती है.
मैंने उसको बेड पर लिटा दिया और कूलर ऑन कर दिया. कूलर ऑन करते ही उसने अपने साड़ी के पल्लू को निकाल दिया, जो कि वैसे भी ऊपर से पूरा नीचे आ चुका था. यानि ऊपर अब सिर्फ लाल रंग का ब्लाउज़ ही बचा था.
भाभी के गहरे गले के ब्लाउज के अन्दर से उसके दोनों रसीले आमों के बीच की दरार भी बिल्कुल मेरी आंखों के सामने खुली दिख रही थी. ऐसा लग रहा था जैसे कि भाभी अपने आमों को मुझे दिखाना चाह रही हो. उसकी मदभरी आंखें इस बात का इशारा कर रही थीं कि आ जाओ राजा तुमको इन्हीं आमों का रस चूसना है.
मैं भी लगातार भाभी के उन रसीले आमों को देखता जा रहा था. वो भी छिपी निगाहों से मुझे देख रही थी कि मैं क्या देख रहा हूँ.
भाभी बोली- सूरज क्या हुआ … मुझे उठा कर थक गए क्या … कुछ पियोगे?
मेरे मन में आया कि बोल दूँ हां आपके आमों का रस थोड़ा सा मिल जाता … तो मेरी थकान दूर हो जाती. लेकिन मैंने ऐसा कुछ नहीं कहा.
मैंने उल्टा उसी से पूछा- अब बताओ मेरा गिफ्ट कहां है? मैं आपको अपनी गोद में यहां तक ले आया हूँ.
भाभी हंस कर कहने लगी- शाम को आ जाना … मैं भरपूर इनाम दूँगी.
मेरी समझ में तो आ गया था कि भाभी मुझे क्या इनाम दे सकती है.
मैंने भाभी से पूछा- आपकी चोट कैसी है?
भाभी बोली- हां अभी दर्द है … उस अलमारी में बाम रखी है … थोड़ा ला दो, तो मैं उसे चोट पर लगा लूं.
मैं झट से उठ कर बाम ले आया. उसका ढक्कन खोलते हुए मैं बोला कि भाभी मैं लगा दूँ?
भाभी ने बोला- मैं लगा लूंगी.
भाभी ने मेरे सामने ही अपनी साड़ी को घुटने तक धीरे धीरे करके उठा दिया. मैं भाभी के गोरे गोरे पैरों को देख रहा था … क्या गज़ब की टांगें लग रही थीं.
मैंने उसके पैरों को ध्यान से देखना चालू किया. यार, पैर के लंबे नाखूनों में लाल रंग की नेल पॉलिश लगी थी. थोड़ा ऊपर देखा, तो पैरों की उंगलियों में बिछिया पहने हुए थी. साथ ही पैरों में छम छम करती पायलें संगीत बिखेर रही थीं. ऊपर को नजर दौड़ाई, तो भाभी के गोरे रंग के घुटने थे, उन घुटनों पर भाभी हल्के हल्के से मालिश कर रही थी.
मैं अपनी वासना से डूबी नज़रों से भाभी के नीचे से ऊपर तक की एक एक चीज को देख रहा था. उनके गोरे बदन से क्या क्या चिपका हुआ था.
जब वो बाम लगाने के लिए अपनी साड़ी ऊपर कर रही थी … तो उसने साड़ी के नीचे लाल रंग के पेटीकोट की झलक को भी दिखाया. भाभी की साड़ी ऊपर हुई, तो उसके ऊपर वही पतली गोरी कमर थी, जिस पर कुछ भी नहीं था.
भाभी की कमर जैसे मुझे बुला रही थी कि आओ मुझे सहलाओ और फिर दोनों बांहों में कसके मेरी नाभि की गहराई को चूम लो.
मैं आगे देखने लगा. उसके दोनों आमों की उठान, जो लाल रंग के ब्लाउज़ में कसे हुए थे. अब इस समय ब्लाउज के गहरे गले से मैंने ब्लाउज़ के अन्दर सफ़ेद रंग की ब्रा को भी देखा, जो भाभी के आमों को पूरी ताकत से जकड़े हुए थी.
मैं आगे बढ़ा, तो भाभी की गोरी लंबी गर्दन … फिर उसके ऊपर गुलाबी रंग के ऐसे मस्त होंठ फड़फड़ा रहे थे. मुझे लगा कि जैसे मुझे भाभी के दोनों होंठ बुला रहे हों कि आ जाओ राजा … थोड़ा मेरे रस का भी स्वाद चख लो.
सबसे आखिर में हम दोनों नज़रें … जो मुझे ही काफी देर से मेरे एक एक करके मेरे सभी इशारों को देख कर समझ रही थीं कि मैं उसके एक एक अंग को बड़ी ध्यान से देख रहा हूँ और सोच रहा हूँ कि ये सारे अंग एक बार मिल जाएं, तो एक एक करके सारे अंगों के रस को चूस लूं … भाभी के पूरे अंगों को चाट चाट कर खा जाऊं. मन की पूरी कसक निकाल लूं.
तभी रेनू भाभी मादकता भरी आवाज में बोली- लगता है मेरी कमर में गहरी चोट आयी है … पर मेरा हाथ वहां नहीं पहुंच पा रहा है.
मैंने पूछा- रेनू, मैं लगा दूँ?
भाभी ने बोला- नहीं जाने दो … मैं किसी तरह लगा लूंगी. अगर भईया को पता चला कि मैंने किसी और से अपनी कमर की मालिश कराई है, तो बवाल हो जाएगा.
मैं बोला- भईया को ये कौन बताएगा … मैं तो नहीं बताऊंगा. शायद आप बता दो.
भाभी हंस कर बोली- मैं क्यों बताऊंगी.
मैं बोला- तो लाओ बाम मुझे दो … मैं आपकी कमर पर लगा दूँ.
भाभी मुझे बाम देकर पेट के तरफ लेट गयी और उसने पीठ को मेरी तरफ कर दिया. साथ ही भाभी ने अपने पेटीकोट का नाड़ा ढीला कर दिया और कहा- मैं जहां बोलूंगी, वहीं लगाना.
मैंने ओके कहा.
भाभी ने अपनी साड़ी और पेटीकोट को थोड़ा सा नीचे सरका दिया और जगह बता कर बोली- यहीं पर लगा दो.
वो जगह क्या थी … जानते हो … जहां से उनके गोल गोल और गोरे गोरे चूतड़ों की गहराई चालू हो रही थी.
मैं तो भाभी की गांड की दरार देख कर धन्य हो गया. मैंने अपने दायें हाथ से उसकी पीठ की मालिश करना शुरू की और बाएं हाथ से अपने लंड को सहलाए जा रहा था, जो कि पैंट में ही खड़ा हो गया था.
बीच बीच में मैं अपने हाथ को उसके गोल गोरे चूतड़ों पर भी फेर देता था.
दो तीन बार ऐसा करने से मेरी हिम्मत बढ़ गयी, तो मैंने भाभी के एक गोल गोरे चूतड़ को दबा दिया. भाभी ने झट से मेरी तरफ सर कर लिया. मैंने भी झट से अपना हाथ अपने पैंट से निकाल लिया.
मगर जहां तक मेरा मानना है कि भाभी ने मुझे ये सब करते देख लिया था. मगर भाभी कुछ बोली नहीं.
फिर मैं भाभी की मालिश पर ध्यान देने लगा. थोड़ी देर बाद वो बोली- अब तुम अपने घर जाओ … बाकी का काम शाम में करेंगे.
मैं समझ गया कि चूतड़ों को कसके दबाने से भाभी जी को कुछ होने लगा था.
मैंने एक तरकीब लगाई और उसको बोला- मैं जा रहा हूँ … आप दरवाजा बंद कर लो.
मैं झट से उठा और दरवाजे की सिटकनी खोल कर फिर उन्हीं के ही घर में सोफ़े और दीवार के कोने में छिप गया.
भाभी को साड़ी सही करने और गेट बंद करने तक मैं उनके ही घर में अच्छे से छिप गया.
भाभी वापस बिस्तर पर जाने की बजाये किचन में चली गयी. मैंने एक बात नोटिस की कि वो अपने आपसे उठी और थोड़ा सा भी नहीं लड़खड़ाई. भाभी एकदम अच्छे से चल-फिर रही थी. मतलब ये सब एक बहाना था.
मेरा मन तो कर रहा था कि भाभी को पकड़ कर वहीं जमीन पर लेटा दूँ और उसकी साड़ी उठाकर अपना लंड पूरा का पूरा उसकी चुत में पेल दूँ. लेकिन मैंने अपने मन को शांत किया.
मैं आगे क्या देखता हूँ कि भाभी ने किचन से एक लंबी सफ़ेद रंग की मूली लाकर टेबल पर रख दी साथ में चाकू भी था.
और फिर भाभी अपने कमरे से एक कंडोम ले आयी.
फिर भाभी ने डीवीडी में एक डिस्क लगाई और आकर सोफ़े पर बैठ गई. इसके बाद टीवी पर फिल्म चालू हो गई. इधर भाभी ने उस मूली को पतली तरफ से चाकू थोड़ा सा काटा, उस सिरे को गोल लिया लंड के टोपे की तरह पर कंडोम को अच्छे से चढ़ा दिया.
तब तक टीवी पर एक ब्लू फिल्म चलने लगी, जिसमें एक लड़का अपने से बड़ी उम्र की औरत की बुर को चाट रहा था.
इधर भाभी भी सोफ़े पर अच्छे से बैठ गई. उसने अपने दोनों गोरे गोरे पैरों को सामने टेबल पर रख कर फैला दिया. फिर उस कंडोम चढ़ी मूली को भाभी अपनी बुर पर रगड़ने लगी.
वो कभी उस मूली को अन्दर डालने की कोशिश भी करती और अपने मुँह से कुछ बड़बड़ाती भी जा रही थी- आह … आ जा … मेरी बुर चाट ले … आंह कसके चाट कर खा जा मेरी बुर को … आंह … साले … आजा.
उसके मुँह से ये सब सुन कर मैं तो हैरान रह गया. मुझे लगा कि वो टीवी में उस लड़के से बात कर रही है.
वो टीवी को देखते हुए आगे बोली- मेरा पति तो साला कई दिनों और रातों तक बाहर रहता है … उस चूतिए को मेरी बिल्कुल परवाह नहीं रहती कि उसकी बीवी की भी कुछ तमन्ना है … उसे भी लंड का प्यार चाहिए. साला कभी कभी आता है और रात में मेरे ऊपर चढ़ कर मेरी साड़ी उठाकर अपना लंड मेरे बुर में पेल देता है … और मैं कुछ भी नहीं कर पाती. वो ना तो मेरे होंठ चूमता है और ना मेरी चुची दबाता … ना चूसता है. वो मेरी प्यारी सी बुर को भी नहीं चाटता है. बस धक्के पर धक्के मारता है … और जब उसका माल निकल जाता है, तो बगल में घोड़े बेच कर सो जाता है … मैं उसी के बगल में ही मैं अपनी जीभ को अपने होंठों पर फेरती रह जाती हूँ. अपने हाथों से ही अपनी चुची को दबाती और चूसती हूँ … और अपनी बुर को अपनी उंगलियों से खूब रगड़ती हूँ … फिर उसमे मूली डाल कर उसका पानी भी निकालती हूँ. फिर भी मेरी प्यास नहीं बुझती.
भाभी के मुँह से इतनी सारी बातें सुनकर मेरा मन उसको अभी के अभी चोदने को कर रहा था. मेरे शरीर में इतनी ताकत आ गयी थी कि मैं बिना कोई समय गंवाए उसके सामने जाकर खड़ा हो गया.
वो मुझे सामने देख के हक्का बक्का रह गयी और जल्दी जल्दी में, जिस मूली से वो अपना बुर चोद रही थी, उसे जल्दीबाजी में अपनी बुर में ही अन्दर फंसा लिया और साड़ी को नीचे करते हुए खड़ी हो गयी. भाभी मुझे हैरानी भरी निगाहों से देखती रह गयी कि ये कहां से आ गया.
हम दोनों चुपचाप एक दूसरे के सामने खड़े थे और टीवी में से चुदाई की ‘आह आह आह …’ की आवाजें आ रही थीं. उस समय टीवी में वो लड़का उस औरत को बेड पर लेटा कर उसकी बुर में अपना लंड डाल कर ज़ोर ज़ोर से चोद रहा था. जिससे वो औरत आह आह की आवाज निकाल रही थी.
उस समय हम दोनों के सिवाए, बस वही दोनों आवाज कर रहे थे. हम दोनों चुपचाप उसे देख और सुन रहे थे.
फिर मैंने हिम्मत बांधते हुए रेनू भाभी से कहा- आप ये क्या कर रही हो?
भाभी ने बोला- क्या … कुछ भी तो नहीं कर रही थी.
मैंने बोला- मैंने सोफ़े के पीछे से सारी बातें सुनी और देखी भी हैं.
इतना सुनते ही भाभी रोने लगी कि ये सब बातें बाहर किसी को भी नहीं बताना … नहीं तो मेरी बहुत बदनामी होगी.
मैंने आगे बढ़ कर उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा- मैं ऐसा क्यों करूंगा … आप तो मेरी भाभी हैं … और कोई देवर अपनी जवान भाभी का बुरा क्यों करेगा.
यह कहते हुए मैंने अपने दोनों हाथों से उनके दोनों कंधे पकड़ कर बैठाया और बोला कि भईया नहीं हैं भाभी … तो क्या हुआ … मैं हूँ ना.
मैं उनके आंसू भी पौंछने लगा.
भाभी बोली- मतलब!
मैं कुछ नहीं बोला और उसकी साड़ी को धीरे धीरे करके ऊपर उठाने लगा.
भाभी धीरे से बोली- तुम ये क्या कर रहे हो?
मैं झट से बोला- रेनू भाभी, मूली अन्दर ही अन्दर सड़ जाएगी.
मेरी इस बात से भाभी हल्के से मुस्कुरा दी और बोली- जाने दो … मैं निकाल लूंगी.
मैं बोला- मैं निकालने में आपकी हेल्प कर देता हूँ … बस आप अपने दोनों पैर ऊपर कर दो.
भाभी शरमाते हुए बोली- तुम मेरी क्या क्या हेल्प करोगे?
मैंने उनकी तरफ देखा और और उनकी बुर की तरफ आंख दिखाते हुए कहा- उसकी मालिश कर दूँगा और जो आप चाहोगी, वो भी कर दूँगा.
अभी इससे पहले कुछ और वो बोलती, मेरा हाथ उसके पैरों से होता हुआ, साड़ी के अन्दर चला गया. मेरे दोनों हाथ उसके घुटनों से होते हुए जांघों पर टिक गए. मैंने अपने दोनों हाथ भाभी की मस्त चिकनी जाँघों पर रख दिए. फिर मैं धीरे धीरे अपने हाथ उनकी बुर की ओर बढ़ाने लगा. मैंने देखा कि आधी मूली उनकी बुर के अन्दर थी … और आधी बाहर निकली हुई थी.
मैंने उस मूली को बाहर की ओर खींचा और बोला- आपकी बुर को मूली नहीं … मेरा लंड चाहिए.
इतना कहते ही मैं भाभी की बुर को अपने हाथ से सहलाने लगा और अपनी दो उंगलियां एक साथ ही चुत के अन्दर डाल दीं.
मेरे इतना करते ही भाभी के मुँह से सिसकारी निकलने लगीं. मैंने उसके पैरों को और चौड़ा करते हुए बुर को फैला दिया. बुर से पानी रिस रहा था.
मैं एक पल की भी ही देर नहीं लगाई और अपनी जीभ से भाभी की चुत चाटने लगा. मेरे जीभ से चूत को छूते ही भाभी एकदम से ऐसे हिल गयी … जैसे उसे करेंट लग गया हो. वो ज़ोर ज़ोर से आह आह आह आह करने लगी.
मैंने भी दिल लगा कर भाभी की बुर को चाटा. चुत को चाट चाट कर पूरा लाल कर दिया.
लगभग पांच मिनट में ही भाभी का शरीर अकड़ने लगा और वो मेरा सिर पकड़ कर अपनी बुर में दबाने लगी.
मैं समझ गया कि अब चुत का माल निकलने को तैयार है. मैंने और ज़ोर से भाभी की बुर को चाटना और काटना शुरू कर दिया. वो एकदम से तड़पने लगी और अपने दोनों पैरों और जांघों से मेरे सिर को जकड़ लिया. तभी एक गर्म धार मेरे मुँह से आ टकराई, जो भाभी ने छोड़ी थी. मैंने भी भाभी की चुत का पूरा का पूरा रस चूस चूस कर निचोड़ डाला. मैंने भाभी की बुर को चाट चाट कर साफ कर दिया.
चुत चुसाई के बाद भाभी ने मुझे गले से लगा लिया और मेरे होंठों को चूमने लगी. मैंने भी उसको अपनी बांहों में भर लिया और एक एक करके उसके सभी अंग सहलाना शुरू कर दिए.
मैंने सबसे पहले भाभी की बड़ी बड़ी चुचियों को दबाया, पीठ को सहलाया. फिर उसके गोल गोल और गोरे गोरे चूतड़ों को सहलाया और दबाया.
तभी भाभी का एक हाथ मेरी पैंट के अन्दर जाने लगा. अगले ही पल भाभी मेरा लंड अपने हाथ में लेकर दबाने लगी.
उसकी यह हरकत देख कर मैं तो पागल सा हो गया. मैंने उसको वहीं सोफ़े पर लेटा दिया और उसके होंठों को अपने होंठों में दबा लिया. हम दोनों चूमाचाटी में लग गए.
दस मिनट तक उसके होंठों चूसने के बाद मैंने उसका ब्लाउज़ उतार दिया. फिर साड़ी को भी उससे अलग कर दिया. बाद में उसके पेटीकोट का नाड़ा भी खोल कर उसके पेटीकोट को उतार दिया.
अब इस समय भाभी सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी. मैंने भाभी की चूचियों को ब्रा पर से ही रगड़ना और चूसना शुरू कर दिया. कुछ पल बाद मैं भाभी के पेट को चूमता हुआ उसकी नाभि पर आ गया. मैंने भाभी की नाभि में जीभ की नोक डाल कर उसको खूब मज़े से चूमा और चूसा.
आखिर में मैंने फिर से भाभी की चूत को पैंटी के ऊपर से चाटना और काटना शुरू कर दिया.
मेरे ऐसा करने से भाभी की आवाज एकदम से बदल गयी. वो अम्म अम्म अम्म करने लगी. अब मैंने उसकी ब्रा और पैंटी को उसके शरीर से अलग कर दिया.
भाभी ने मेरे कान में सरसराया- मुझे भी चूसना है.
ये सुनते ही मैं भाभी से अलग हुआ और हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए.
इस पोजीशन में आकर मैंने उसको बेड पर पीठ के बल लेटा दिया और मैंने अपना मुँह उसकी चूत के तरफ कर लिया.
मैंने अपना लंड भाभी के मुँह की तरफ कर दिया था. भाभी लंड को पकड़ कर सूँघ रही थी. मैं उसकी चूत को बड़े चाव से चाटने लगा. उसी पल भाभी भी मेरे लंड को खूब मज़े से चूसने में लग गई थी.
लंड चुत की मस्त चुसाई चलने लगी. ऐसा करते हुए हम लोगों को दस मिनट से ज्यादा का समय हो गया था.
इसके बाद मैं उठा और भाभी के दोनों पैरों के बीच में आकर बैठ गया. मैं भाभी की चुत निहारने लगा.
भाभी बोली- इतना क्यूँ तड़पा रहे हो मुझे … मेरी चूत में जल्दी से अपना लंड डाल कर इसकी प्यास को शांत करो … अब देर ना करो … जल्दी से अपने लंड से मेरी चूत को फाड़ डालो … इसे चोद चोद कर इसका पानी निकाल दो.
मैंने अपना लंड भाभी की चूत के छेद में सैट किया और एक ज़ोरदार धक्का दे मारा. एक ही झटके में मेरा पूरा लंड भाभी की चूत में समा गया.
उसी समय भाभी के मुँह से ‘ऊई माँ … मर गई..’ निकल गया.
भाभी कराहते हुए बोली- तुम्हारा लंड तो मेरे पति से भी बड़ा है और मोटा भी है.
मैंने अपना लंड थोड़ा बाहर निकाल कर फिर से धक्का मारा, तो भाभी बोली- थोड़ा धीरे धीरे करो यार … कहीं भागी नहीं जा रही हूँ.
मैंने भाभी की एक ना सुनी और उसके पैरों को और चौड़ा करके पूरी ताकत से भाभी की चुदाई करने लगा. भाभी भी मस्ती में अपने चूतड़ों को उछाल कर मेरा पूरा लंड अपनी चूत में ले रही थी … साथ ही अपने मुँह से अम्म अम्म की आवाजें भी निकाल रही थी.
भाभी की चुदाई करते हुए मुझे कुछ समय ही हुआ होगा कि उसका बदन फिर से अकड़ने लगा. भाभी ने मुझे अपने सीने से लगा लिया. फिर भी मैं नहीं रुका … मैं भाभी की चुदाई करता जा रहा था.
अचानक भाभी की चूत से पानी की फुहार निकली और वो बोल पड़ी- आह … कितने दिनों के बाद मेरी ऐसी चुदाई हुई है … आज से मैं तुम्हारी हूँ … और आगे भी तुम्हारी ही रहूँगी मेरे राजा.
इतना सुन कर मुझे रहा नहीं गया और मैंने भी भाभी की चूचियों को दबाते हुए उसके होंठों को चूसा. मैं अपने लंड को और तेज़ी से उसकी चूत में पेलने लगा.
भाभी बोलती रही- आह … अब बस करो मेरे देवर राजा … मेरी बर्दाश्त के बाहर हो रहा है.
पर मैं कहां सुनने वाला था. मैं लगातार भाभी की चूत को चोदता रहा.
भाभी ने कहा- जल्दी करो … जो करना है … नहीं तो मेरे सास-ससुर आ जाएंगे.
मुझे एकदम से ख्याल आया कि कहीं लफड़ा न हो जाए. अगले ही पल मैंने भाभी को उठाया और उसे अपने लंड के ऊपर बैठा लिया.
मैंने भाभी से कहा- अब आप मेरे लंड को अपनी चूत में डाल कर ऊपर-नीचे करो.
भाभी ने वैसा ही किया. वो मेरे लंड को अपने हाथ से अपनी चूत पर रगड़ने लगी और एक झटके में अपनी चूत में डाल कर अपने चूतड़ों को तेज़ी से ऊपर-नीचे करने लगी. उसके चूतड़ों के साथ साथ उसकी चूचियां भी ऊपर-नीचे हो रही थीं.
मैंने अपने हाथों में भाभी की उछलती चूचियों को पकड़ कर अपने मुँह में ले लिया. मैं चुत चुदाई के साथ भाभी के दूध चूसने का भी मजा लेने लगा. ऐसा करने से भाभी और ज्यादा तड़पने लगी. वो और तेजी से मेरे लंड पर ऊपर-नीचे हो रही थी. जब वो थक गयी, तो मैंने उसे सोफ़े पर ही घोड़ी बनने को कहा.
जब भाभी घोड़ी बनी, तो मैं उसके पीछे आकर उसके चूतड़ों को अपने हाथों से फैलाकर उसकी चूत के छेद में अपना लंड सैट करते हुए एक धक्का दे मारा. मेरा पूरा लंड उसकी चूत के छेद में घुसता चला गया. अब मैंने भाभी के दोनों चूतड़ों को कसके पकड़ कर उसकी चुदाई शुरू कर दी.
दोस्तो, क्या मज़ा आ रहा था इस पोजीशन में. मैं अपना पूरा लंड बाहर निकाल कर फिर से भाभी की चूत में पेल रहा था. वो भी एकदम से मस्त होकर गांड हिला रही थी.
भाभी बोली- आह क्या मस्त चुदाई करते हो तुम … मेरी चूत तो ऐसा लंड पाकर धन्य हो गई.
कोई पांच मिनट बाद मैंने कहा- मेरा छूटने वाला है रेनू … मैं क्या करूं कहा निकालु ?
भाभी बोली- चिंता मत करो मेरे राजा कुछ नही होगा … मेरी चूत में ही अपना गरम वीर्य निकाल दो.
मैंने ज़ोर के धक्कों के साथ अपना माल भाभी की मखमली चूत में भर दिया.
कुछ देर बाद हम दोनों खड़े हुए और कपड़े पहन कर खुद को सही करने में लग गए. मैंने अपने कपड़े पहने और भाभी को भी उनकी ब्रा और पैंटी भी पहनायी.
जब वो पूरे कपड़े पहन कर तैयार हो गई, तो मैंने भाभी को अपनी बांहों में भर लिया और कहा- रेनू भाभी आप ही पहली हो, जिसके साथ मैंने पहली बार चुदाई की है. सच मानो मुझे आपको चोदने में मज़ा आ गया.
भाभी भी बोली- हां मैं भी तुमसे चुद कर बहुत खुश हूँ. अब तुम्हारा जब भी मन करे, तुम मुझे अपनी बांहों में ले सकते हो और जी भरके मुझे चोद सकते हो.
इतना सुन कर मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया. भाभी को भी पता चल गया कि मेरा लंड उसे सलामी दे रहा है, तो उसने कहा- तेरे लंड को अभी भी मेरी चूत चाहिए … देख कैसे इशारे कर रहा है.
मैंने बोला- तो हो जाए फिर से.
भाभी बोली- यार मैं बहुत थक गयी हूँ और मम्मी पापा के आने का टाइम भी हो गया है. फिर किसी दिन पूरा मजा लूंगी. लेकिन अभी तो इसको शांत करने का मेरे पास एक तरीका है.
भाभी ने मेरी पैंट से मेरा लंड निकाला और उसे चूमने लगी. फिर एक ही बार में उसे अपने मुँह में भर कर फिर से चूसने लगी कि जैसे वो मेरे लंड को पूरा का पूरा निगल जाएगी.
दोस्तो, क्या बताऊं … भाभी मेरा लंड ऐसे चूस रही थी कि मैं भी उसके मुँह में ही अपने लंड को आगे पीछे करने लगा. या यूं कहा जाए कि इस वक्त मैंने अपने लंड से भाभी के मुँह को ही चोदना शुरू कर दिया था.
कुछ ही मिनट में मेरा माल निकलने को हो गया था, तो मैंने भाभी को बोला- मैं झड़ने वाला हूँ.
भाभी हाथ का इशारा करती हुई बोली- कोई बात नहीं … तुम मेरे मुँह में ही अपना पूरा माल निकाल दो.
मैंने भाभी के सिर को कसके पकड़ लिया और अपना लंड तेजी से भाभी के मुँह में अन्दर बाहर करने लगा.
फिर एक जोरदार धार के साथ मैंने भाभी के मुँह को भर दिया. भाभी भी मेरा पूरा माल पी गयी और मेरे लंड को चाट चाट कर पूरा साफ कर दिया.
मैंने भाभी को कहा- भाभी आप कमाल की चुसक्कड़ हो.
भाभी बोली- वो कैसे?
मैं बोला- भाभी आपको लंड चूसना और लंड से चुदवाना बहुत अच्छे से आता है.
भाभी हंस दी.
फिर मैं अपने घर को चलने के लिए तैयार हुआ, तो भाभी ने कहा- शाम को पार्टी में आना ना भूलना.
मैंने कहा- अब तो भाभी आना जाना लगा रहेगा.
भाभी ने हंस कर कहा- हां हां क्यों नहीं … मैं तो खुद बेसब्री से तुम्हारा इंतज़ार करूंगी.
इतना कह कर मैं उनके घर के बाहर आ गया और अपने घर आ गया.
फिर जैसे तैसे शाम हुई. मैं भी बन ठन कर भाभी के घर पहुंच गया. सामने ही उनके सास ससुर बैठे थे, तो मैंने उनको नमस्ते किया.
उन्होंने कहा- बेटा तुमने घर को बहुत अच्छा सजाया है.
मैंने कहा- भाभी जी ने भी मेरी बहुत मदद की … तब जाकर हो पाया है.
अंकल खुश हो गए.
मैंने कहा- वैसे भाभी जी है कहां?
भाभी की सास बोलीं- वो रसोई में है.
मैंने उनसे पूछा- मैं अन्दर चला जाऊं … उनसे मिल लूं, उनका कोई और काम तो नहीं बाकी है.
उनकी सास ने बोला- हां देख लो … बेचारी सुबह से अकेले ही परेशान हो रही है. तुम साथ में रहोगे, तो उसकी कुछ मदद हो जाएगी.
इतना सुनते ही मैं रसोई में चला गया. भाभी किचन में कुछ कर रही थी.
भाभी ने उस समय गुलाबी रंग की साड़ी पहनी हुई थी. पीछे से क्या गजब माल लग रही थी. मेरा मन तो कर रहा था कि पीछे से साड़ी उठाकर अपना लंड उसकी चिकनी चूत में पेल दूँ.
लेकिन पार्टी का माहौल था, कोई भी आ सकता था, तो मैंने भाभी को पीछे से आवाज दी- भाभी क्या कर रही हो?
मेरी आवाज सुनते ही भाभी झट से पलट गयी और बोली- तुम कब आए?
मैंने उसकी बात बीच में काटते हुए कहा- भाभी, तुम तो कमाल की माल लग रही हो.
भाभी हंस कर बोली- सच में!
मैंने बोला- हां भाभी.
लेकिन भाभी ने लिपस्टिक नहीं लगाई थी, तो मैंने बोला- भाभी लिपस्टिक नहीं लगाई आपने?
भाभी बोली कि चलो … तुम ही लगा दो.
मैंने बोला कि नेकी और पूछ पूछ … चलो.
भाभी ने कहा कि तुम बेडरूम में चलो, मैं आती हूँ.