27-03-2019, 02:30 PM
मैं फिर से कनिका के पास गया और कनिका मुझ पर भूखी शेरनी कि तरह झपटी और मेरे होठो को चूमने और काटने लगी और फिर अपनी जीभ मेरे मुह में घुसा दी उसके मुह का लार्वा मेरे मुह में घुल रहा था और इससे जो नशा हो रहा था वो किसी भी तरह के नशे से ज्यादा नशीला था. मेरे हाथ उसके बदन पर फिर रहे थे मेने एक हाथ उसकी भट्टी कि तरह तपती हुयी चूत पर रखा दिया। पहले उसके बहुत जोर से भींचा फिर उसको सहलाने लगा
कनिका : उउउउउउउनन्न्ननम्म्म्म्म्म (उसकी जीभ मेरे होठ और दांतो में जकड़ी हुयी थी जिससे उसकी सिसकिया जन्म लेने के साथ ही दम तोड़ रही थी)
अब मेने अपनी उंगली उसकी गीली चूत में घुसा दी और उसकी चूत की गहराई से सफाई करने लगा। वो मेरे बाल सहला रही थी कभी पीठ पर उसकी जीभ अभी भी मेरे मुह में थी जिसे मैं चूस रहा था। हम दोनों जैसे सांस लेना भूल गए थे या साँसों कि हमको जरुरत ही नहीं थी. मेरी उंगली उसकी चूत की खुदाई में लगी हुयी थी जैसी ही उसकी चरम सीमा पास आयी उसका एक हाथ मेरे बालो को पकड़ कर मेरे सर को खुद की तरफ धकेलने लगी जैसे वो भी अपनी जीभ से मेरे मुह कि गहराई नापना चाहती हो और दूसरे हाथ से मेरे पीठ पर अपने हाथ से नाख़ून चुभने लगी। कुछ देर बाद वो और उसकी चुत के विस्फोट के साथ ठंडी हो गयी। उसकी चूत ने तो पानी का विस्फोट किया और कनिका ने "आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्हहीईईईईईईईईईईईई आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह की जबरदस्त चीख का। उसने फिर मुझ को खुद अलग किया और घुटनो के बल बैठ गयी। उसने मेरा पजामा और चड्डी जो सिर्फ थोड़े से निचे हुए थे उनको उतार दिया फिर मुझे धक्का देकर दीवार के सहारे भिड़ा दिया और मेरे लंड अपने हाथ में लेकर उसको घूर रही थी और आहे भर रही थी। मैं खड़ा हुआ उसको ऊपर से देख रहा था साबुन के झाग जो रंग से गुलाबी थे उसके मखमली बदन को और गुलाबी और शरबती बना रहा था और उसका भीगा हुआ साफ़ चेहरा वाह……………… क्या नजारा था।
कनिका ने अब अपना खेल शुरू किया उसने मेरे लंड के टोप को जीभ से सिर्फ छेड़ा उसकी इस हरकत से मेरे पुरे बदन में सनसनी फ़ैल गयी फिर उसने अपनी जीभ टोप पर चारो तरफ फिराई। मेरे टोप को मुह में लिए और लोलीपोप कि तरह चूसते हुए बाहर निकला फिर झट से अपने होठो से मेरे टट्टो (आंडो ) को दबा कर चूसने लगी। मैं सातवे असमान पर था और वो मेरे लंड से किसी भी माहिर पोर्न स्टार से बेहतर तरीके से खेल रही थी। कनिका सिर्फ मेरे लण्ड के टोप और आंडो से खेल रही थी पूरा लंड नहीं चूस रही थी जो मेरी हालत पतली कर रहा था। उसने जैसे ही टोप को फिर से मुह में लिया मेने उसका सर पकड़ कर झटका दिया और आधा लण्ड उसके मुह में घुसा दिया। कनिका ने अपने मुह हो राईट में झटका जिससे मेरा लण्ड उसके मुह से प्ााा (जैसे बोतल खुलने पर आवाज होती है ) करके बहार आगया।
कनिका : अगर तुम मेरे मुह में झड़ गए तो मेरी आत्मा प्यासी रह जायेगी मुझे चोद दे
अब मेने भी बिना देर किये उसको वही बाथरूम में ही लेटाया और उसकी टांगे चौड़ी करके उसकी चूत में लंड घुसना शुरू किया अभी मेरा लंड घुसा भी नहीं था तभी बाहर से कार के हॉर्न कि आवाज आयी कनिका झटके से मुझसे दूर हो गयी
कनिका : पापा आ गए
मैं : मादरचोद
कनिका : अब क्या करे अपनी हालत देखो और गेट भी खुला है अब क्या करे ……
अब मेने भी बिना देर किये उसको वही बाथरूम में ही लेटाया और उसकी टांगे चौड़ी करके उसकी चूत में लंड घुसना शुरू किया अभी मेरा लंड घुसा भी नहीं था तभी बाहर से कार के हॉर्न कि आवाज आयी कनिका झटके से मुझसे दूर हो गयी
कनिका : पापा आ गए
मैं : मादरचोद
कनिका : अब क्या करे अपनी हालत देखो और गेट भी खुला है अब क्या करे …………
~
~
~
मेने उसको जल्दी से प्लान बताया और खुद अपने कपडे पहन कर वापिस से वाइपर उठा कर गेट कि तरफ भगा। अभी गेट पर पंहुचा ही था कि उसके माँ बाप आ गए और उन्होंने मुझे देखते ही चौकते हुए सवाल ही सवाल दाग दिए।
मोदी अंकल : तुम यहाँ ? क्या कर रहे हो ? और ये वाइपर तुम्हारे हाथ में कैसे ? और ये रंग कैसे फैला हुआ है ?
मोदी आंटी : बीटा तुम यहाँ ? कनिका किधर है ?
मैं : वो व्वव्वव्व वो अंदर है
अंकल : तुम क्या कर रहे हो यहाँ पर
मैं : व्वव्वव्वव्वव्वो आआअअंकल ……………………………
इतने में अंदर से कनिका भाग कर आयी
कनिका : (सीधा माँ के लिपट कर ) मम्मी आज इसने मुझे बचा लिया
आंटी : क्या हुआ बेटी ?
कनिका ने रोते हुए उन तीन लोगो के बारे में बता दिया
अंकल : (मेरी तरफ देखते हुए ) ये तुम्हारे होठो पे क्या हुआ है ?
कनिका के होश उड़ गए मेने बात सम्भाली।
मैं : अंकल वो जब उन तीनो से लड़ाई हुई थी तब लग गयी होगी
आंटी : मैं तुम्हे दवाई लगा देती हु
मैं : नहीं आंटी अभी बस घर ही जा रहा हु
अंकल : बेटा तुम ये हाथ में वाइपर लेकर क्या कर रहे हो ?
मैं : अंकल वो ये सब साफ़ कर रहा था ये रो रही थी कि आप को पता चला तो आप गुस्सा होगे इसलिए
अंकल : देखो बच्चो हम तुम्हे समझते है और तुम्हे गलती पर ही डांटते है बिना बात नहीं
मैं : ठीक है अंकल अब मैं चलता हु
मैं घर आया और सीधा बाथरूम में घुस गया और अपने लोडे को हिला कर ही खाली किया। मैं सोच रहा था क्या चुतिया दिन है दो बार मौका लगा और भी हाथ में लेकर ही हिला रहा हु। पर एक बात कि ख़ुशी थी चलो अब मुझे कनिका मिल गयी बस मौका मिलने पर उसकी चूत भी मिल जायेगी।
मैं घंटे भर बाद बाहर आया तो देखा मेरा मोबाइल बज रहा था फ़ोन प्रियंका का था
मैं : हाँ बोलो
प्रियंका : किधर था कितनी देर से फ़ोन मिला रही हु
मैं : नहा रहा था
प्रियंका : सुन शाम को आ जाना
मैं : क्यों मैं नहीं आता (मैं थोडा सा नाराज था आज जो हुआ )
प्रियंका : शाम को दोनों बाजार चलेगे और मेरे साथ चलेगा तो हलवा मिलेगा नहीं तो हाथ से मलेगा
मैं : हाँ मैं चलूगा (मैं उसकी बात का मतलब समझ कर खुश था )
अब मैं खाना खा कर सो गया और शाम के सपने देखने लगा।
4
शाम को लगभग 5 बजे मुझे मम्मी ने जगाया और बोली : प्रियंका, आई है उठ जा!
मैं जागते हुए सोचा : कितनी बड़ी रंडी है साली चुदने कि इतनी खुजली कि खुद ही आ गयी.…
मैं उठा और बहार आया वो सोफे पे थी! उसका चेहरा तो साफ़ था पर उसके कुर्ते के गले से दिख रहा सीना जिस पर मेने अपने हाथो से रंग मला था उस पर रंग लगा हुआ था!
प्रियंका : सुन आधे घंटे में घर आ जाना और तैयार होकर आना ऐसे ही मत आ जाना। अभी मैं जा रही हु और देख फिर से बुलाना नहीं पड़े.…समझ गया ना
मैं समझ गया वो मुझे कंडोम के लिए कह रही है और मुझे भी तो उसको चोदने की तलब थी तो मैं कैसे देर करता।
मेने हाथ मुह धोया और नाश्ता करके पहले कंडोम लेने गया फिर शर्मा जी के घर गया. मुझे लगा था कि घर में कोई नहीं होगा पर मैं गलत था सब लोग गार्डन में ही बैठे गप्पे लड़ा रहे थे. मैं भी उनके साथ बैठ गया.
प्रियंका : सुन अभी तू मुझे मार्किट ले कर चलेगा इसलिए तुझे बुलाया है.
यह सुनकर मुझे बहुत गुस्सा आया बहनचोद फिर से चुदाई नहीं वो भी एक दिन में दूसरी बार
करीबन 15 मिनट बाद हम घर से शर्मा जी कार से निकले हमारे साथ दिव्यंका भी थी इसलिए मैं चुपचाप गाड़ी चला रहा था. पहले तो उन्होंने थोड़ी शौपिंग करी फिर दिव्यंका को ब्यूटी पार्लर जाना था तो हमने उसको उधर छोड़ा और जैसे ही हम आगे बड़े
कनिका : उउउउउउउनन्न्ननम्म्म्म्म्म (उसकी जीभ मेरे होठ और दांतो में जकड़ी हुयी थी जिससे उसकी सिसकिया जन्म लेने के साथ ही दम तोड़ रही थी)
अब मेने अपनी उंगली उसकी गीली चूत में घुसा दी और उसकी चूत की गहराई से सफाई करने लगा। वो मेरे बाल सहला रही थी कभी पीठ पर उसकी जीभ अभी भी मेरे मुह में थी जिसे मैं चूस रहा था। हम दोनों जैसे सांस लेना भूल गए थे या साँसों कि हमको जरुरत ही नहीं थी. मेरी उंगली उसकी चूत की खुदाई में लगी हुयी थी जैसी ही उसकी चरम सीमा पास आयी उसका एक हाथ मेरे बालो को पकड़ कर मेरे सर को खुद की तरफ धकेलने लगी जैसे वो भी अपनी जीभ से मेरे मुह कि गहराई नापना चाहती हो और दूसरे हाथ से मेरे पीठ पर अपने हाथ से नाख़ून चुभने लगी। कुछ देर बाद वो और उसकी चुत के विस्फोट के साथ ठंडी हो गयी। उसकी चूत ने तो पानी का विस्फोट किया और कनिका ने "आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्हहीईईईईईईईईईईईई आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह की जबरदस्त चीख का। उसने फिर मुझ को खुद अलग किया और घुटनो के बल बैठ गयी। उसने मेरा पजामा और चड्डी जो सिर्फ थोड़े से निचे हुए थे उनको उतार दिया फिर मुझे धक्का देकर दीवार के सहारे भिड़ा दिया और मेरे लंड अपने हाथ में लेकर उसको घूर रही थी और आहे भर रही थी। मैं खड़ा हुआ उसको ऊपर से देख रहा था साबुन के झाग जो रंग से गुलाबी थे उसके मखमली बदन को और गुलाबी और शरबती बना रहा था और उसका भीगा हुआ साफ़ चेहरा वाह……………… क्या नजारा था।
कनिका ने अब अपना खेल शुरू किया उसने मेरे लंड के टोप को जीभ से सिर्फ छेड़ा उसकी इस हरकत से मेरे पुरे बदन में सनसनी फ़ैल गयी फिर उसने अपनी जीभ टोप पर चारो तरफ फिराई। मेरे टोप को मुह में लिए और लोलीपोप कि तरह चूसते हुए बाहर निकला फिर झट से अपने होठो से मेरे टट्टो (आंडो ) को दबा कर चूसने लगी। मैं सातवे असमान पर था और वो मेरे लंड से किसी भी माहिर पोर्न स्टार से बेहतर तरीके से खेल रही थी। कनिका सिर्फ मेरे लण्ड के टोप और आंडो से खेल रही थी पूरा लंड नहीं चूस रही थी जो मेरी हालत पतली कर रहा था। उसने जैसे ही टोप को फिर से मुह में लिया मेने उसका सर पकड़ कर झटका दिया और आधा लण्ड उसके मुह में घुसा दिया। कनिका ने अपने मुह हो राईट में झटका जिससे मेरा लण्ड उसके मुह से प्ााा (जैसे बोतल खुलने पर आवाज होती है ) करके बहार आगया।
कनिका : अगर तुम मेरे मुह में झड़ गए तो मेरी आत्मा प्यासी रह जायेगी मुझे चोद दे
अब मेने भी बिना देर किये उसको वही बाथरूम में ही लेटाया और उसकी टांगे चौड़ी करके उसकी चूत में लंड घुसना शुरू किया अभी मेरा लंड घुसा भी नहीं था तभी बाहर से कार के हॉर्न कि आवाज आयी कनिका झटके से मुझसे दूर हो गयी
कनिका : पापा आ गए
मैं : मादरचोद
कनिका : अब क्या करे अपनी हालत देखो और गेट भी खुला है अब क्या करे ……
अब मेने भी बिना देर किये उसको वही बाथरूम में ही लेटाया और उसकी टांगे चौड़ी करके उसकी चूत में लंड घुसना शुरू किया अभी मेरा लंड घुसा भी नहीं था तभी बाहर से कार के हॉर्न कि आवाज आयी कनिका झटके से मुझसे दूर हो गयी
कनिका : पापा आ गए
मैं : मादरचोद
कनिका : अब क्या करे अपनी हालत देखो और गेट भी खुला है अब क्या करे …………
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मेने उसको जल्दी से प्लान बताया और खुद अपने कपडे पहन कर वापिस से वाइपर उठा कर गेट कि तरफ भगा। अभी गेट पर पंहुचा ही था कि उसके माँ बाप आ गए और उन्होंने मुझे देखते ही चौकते हुए सवाल ही सवाल दाग दिए।
मोदी अंकल : तुम यहाँ ? क्या कर रहे हो ? और ये वाइपर तुम्हारे हाथ में कैसे ? और ये रंग कैसे फैला हुआ है ?
मोदी आंटी : बीटा तुम यहाँ ? कनिका किधर है ?
मैं : वो व्वव्वव्व वो अंदर है
अंकल : तुम क्या कर रहे हो यहाँ पर
मैं : व्वव्वव्वव्वव्वो आआअअंकल ……………………………
इतने में अंदर से कनिका भाग कर आयी
कनिका : (सीधा माँ के लिपट कर ) मम्मी आज इसने मुझे बचा लिया
आंटी : क्या हुआ बेटी ?
कनिका ने रोते हुए उन तीन लोगो के बारे में बता दिया
अंकल : (मेरी तरफ देखते हुए ) ये तुम्हारे होठो पे क्या हुआ है ?
कनिका के होश उड़ गए मेने बात सम्भाली।
मैं : अंकल वो जब उन तीनो से लड़ाई हुई थी तब लग गयी होगी
आंटी : मैं तुम्हे दवाई लगा देती हु
मैं : नहीं आंटी अभी बस घर ही जा रहा हु
अंकल : बेटा तुम ये हाथ में वाइपर लेकर क्या कर रहे हो ?
मैं : अंकल वो ये सब साफ़ कर रहा था ये रो रही थी कि आप को पता चला तो आप गुस्सा होगे इसलिए
अंकल : देखो बच्चो हम तुम्हे समझते है और तुम्हे गलती पर ही डांटते है बिना बात नहीं
मैं : ठीक है अंकल अब मैं चलता हु
मैं घर आया और सीधा बाथरूम में घुस गया और अपने लोडे को हिला कर ही खाली किया। मैं सोच रहा था क्या चुतिया दिन है दो बार मौका लगा और भी हाथ में लेकर ही हिला रहा हु। पर एक बात कि ख़ुशी थी चलो अब मुझे कनिका मिल गयी बस मौका मिलने पर उसकी चूत भी मिल जायेगी।
मैं घंटे भर बाद बाहर आया तो देखा मेरा मोबाइल बज रहा था फ़ोन प्रियंका का था
मैं : हाँ बोलो
प्रियंका : किधर था कितनी देर से फ़ोन मिला रही हु
मैं : नहा रहा था
प्रियंका : सुन शाम को आ जाना
मैं : क्यों मैं नहीं आता (मैं थोडा सा नाराज था आज जो हुआ )
प्रियंका : शाम को दोनों बाजार चलेगे और मेरे साथ चलेगा तो हलवा मिलेगा नहीं तो हाथ से मलेगा
मैं : हाँ मैं चलूगा (मैं उसकी बात का मतलब समझ कर खुश था )
अब मैं खाना खा कर सो गया और शाम के सपने देखने लगा।
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शाम को लगभग 5 बजे मुझे मम्मी ने जगाया और बोली : प्रियंका, आई है उठ जा!
मैं जागते हुए सोचा : कितनी बड़ी रंडी है साली चुदने कि इतनी खुजली कि खुद ही आ गयी.…
मैं उठा और बहार आया वो सोफे पे थी! उसका चेहरा तो साफ़ था पर उसके कुर्ते के गले से दिख रहा सीना जिस पर मेने अपने हाथो से रंग मला था उस पर रंग लगा हुआ था!
प्रियंका : सुन आधे घंटे में घर आ जाना और तैयार होकर आना ऐसे ही मत आ जाना। अभी मैं जा रही हु और देख फिर से बुलाना नहीं पड़े.…समझ गया ना
मैं समझ गया वो मुझे कंडोम के लिए कह रही है और मुझे भी तो उसको चोदने की तलब थी तो मैं कैसे देर करता।
मेने हाथ मुह धोया और नाश्ता करके पहले कंडोम लेने गया फिर शर्मा जी के घर गया. मुझे लगा था कि घर में कोई नहीं होगा पर मैं गलत था सब लोग गार्डन में ही बैठे गप्पे लड़ा रहे थे. मैं भी उनके साथ बैठ गया.
प्रियंका : सुन अभी तू मुझे मार्किट ले कर चलेगा इसलिए तुझे बुलाया है.
यह सुनकर मुझे बहुत गुस्सा आया बहनचोद फिर से चुदाई नहीं वो भी एक दिन में दूसरी बार
करीबन 15 मिनट बाद हम घर से शर्मा जी कार से निकले हमारे साथ दिव्यंका भी थी इसलिए मैं चुपचाप गाड़ी चला रहा था. पहले तो उन्होंने थोड़ी शौपिंग करी फिर दिव्यंका को ब्यूटी पार्लर जाना था तो हमने उसको उधर छोड़ा और जैसे ही हम आगे बड़े
// सुनील पंडित //
मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!