27-03-2019, 02:29 PM
कनिका : तुम जो बोल रहे हो वो अपनी जगह सही है पर जो कुछ हुआ वो एक हादसा था पर अब
मैं (उसकी बात काटते हुए ) तुमको कुछ और समझ आ रहा हो तो बताओ
कनिका कुछ नहीं बोलती। मुझे और मेरे लंड दोनों को उम्मीद बन गयी।
मैं : हाँ अगर तुम दुनिया कि सोच रही हो तो यहाँ कोई और है नहीं और उनको तुम्हारे बदन पे रंग दिखा तो वो तुम्हे ही गलत बोलेगे उन घटिया लोगो को नहीं। हाँ अगर मुझ पर विश्वास नहीं है तो बात अलग है
कनिका : नहीं मुझे तुम पर पूरा भरोसा है पर.…
मेने आगे बढ़ते हुए कहा : फिर कुछ मत सोचो
मेने कनिका का हाथ पकड़ा और उसको बाथरूम कि तरफ ले गया। कनिका ने मेरा कोई विरोध नहीं किया और वो खुद ही मेरे आगे बाथरूम में घुस गयी. हम दोनों बाथरूम में थे वो मेरे से एक कदम आगे खड़ी थी सर पर बालो का जुड़ा बांध रखा था उसके निचे उसकी गर्दन, कंधे और पीठ जो गुलाबी रंग से सनी थी जिस पर गीले बालो से कुछ बुँदे थी जो उसके चिकने सेक्सी रंगीन बदन पर बेशकीमती मोतियो कि तरह सज रही थी.
फिर भूरे रंग का तोलिया था जो उसने बूब्स छुपाने के लिए ऊपर बांध रखा था जो उसकी गांड तो छुपा रहा था पर सिर्फ नाम का जरा सी कोशिश से ही उसकी चूत नाम कि बुलबुल दिख जाती। फिर उसकी चिकनी मांसल जांघे थी. मैं उसको देख रहा था और मेरा लंड बगावत मचा रहा था कि घुस जाओ उस अँधेरी गलियो में.… अगर मैं चाहता तो फायदा उठा सकता था पर मैं जनता था कि संतोष करके आराम से इस मुर्गी को खाया तो सारी जिंदगी खा सकता हु। कनिका शावर के निचे जा कर कड़ी हो गयी पर वो तोलिया नहीं उतार पा रही थी मैं जनता था ये उसकी शर्म है जो उसको रोक रही थी. मेने आगे बढ़कर उसके हाथ ऊपर किया और उसके बूब्स के बीच बनी घाटी जहा उसके तोलिये का छोर दबा था उसको निकला (मेने निकलते वक़्त ये ध्यान रखा कि उसको अटपटा नहीं लगे और मैं उसको थोडा सा हरकत करके उतेजित कर सकू ) इसलिए मेने अपना हाथ उसके लेफ्ट बूब के थोडा सा ऊपर उसके दिल पे रखा उधर हाथ रखते ही मुझे उसकी तेज धड़कनो का अहसास हो गया फिर मेने अपनी एक उंगली और अंगूठा उसकी क्लीवरेज जहा उसकी तोलिये छोर थी उसमें डाल कर कनिका का रिएक्शन देखा वो ऊपर कि तरफ देख रही थी और उसकी धड़कन ट्रैन से तेज हो गयी थी. मेने भी मोका भुनाने कि सोची और अपनी उंगलियो को थोड़ा सा चौड़ा कर के उसके बूब्स के ऊपरी हिस्से को हलके से दबाया।
मैं : कनिका मैं ये खोल दू क्या? अगर तुम्हे बुरा लग रहा हो तो रहने दू।
मैं उसकी हसरतो को टटोल रहा था और उसके शायद हो सकने वाले संकोच को भी ख़त्म कर रहा था साथ साथ अपनी उंगलियो को हिला हिला कर उसके बूब्स को महसूस कर मजे लूट रहा था यानि एक साथ तीन शिकार।
कनिका : व् व् व् व् वो.…………(जैसे वो नींद से जगी हो ) हाँ कर लो जो करना है मेरे पास कोई चारा नहीं है
उसकी इस बात से मैं समझ गया वो अंदर से टूट रही है और वो अपने अंदर फट रही है मैं कमीना हु पर घटिया नहीं इसलिए मेने लंड कि नहीं मानी और दिमाग से काम लिया। मेने उसका तोलिया निकाल दिया और उसके हाथो को उसके बूब्स पे रख दिया। मेरी इस हरकत से उसको कुछ अच्छा महसूस हुआ।
कनिका : थैंक्स
मेने शावर चालू किया और उसके भीगने पर शावर बंद कर के साबुन लगाना शुरू किया। मेरे हाथ लगते ही उसके बदन में ऐसे हरारत हुई जैसे कोई बिजली का झटका लगा हो। मैं जानता था ये सब होगा मेरा लंड भी बहुत तेज झटका खा रहा था और मुझे बहका रहा था पर मैं जनता था कि हर एक कदम बड़ी सावधानी से रखना था इसलिए मेने सलीके से साबुन लगाना शुरू किया। पीठ के ऊपरी हिस्से में तो कोई दिक्कत नहीं हो रहे थी पर नीचे कमर के पास साबुन लगाने पर मैं सही से रगड़ नहीं पा रहा था पर मैं कुछ नहीं बोल रहा था। कनिका को भी मेरी परेशानी महसूस हो गयी.
कनिका : तुम को दिक्कत हो रही है ना मैं झुक जाती हु।
कनिका ने अपने हाथ उठा कर दीवार पर रख लिए और दीवार का सहारा ले कर झुक गयी पर उसके पैर दीवार से एक कदम पहले थे जिससे उसकी वो मस्त गांड जिसके बारे में सोच कर ही मेने न जाने कितनी बार मुठ मारी थी वो मस्त गांड मेरे आँखों के सामने थी और हाथो से कुछ ही दूर थी पर मैं अपने आप को रोक रहा था और मेरा लंड अपना सर चड्डी में ठोक रहा था.
अब मेने उसकी पूरी पीठ पर हाथ फैलाना शुरू किया पर मैं अपने हाथ उसकी कमर से थोडा ऊपर ही रोक रहा था मेरे हाथ उसकी पीठ के बीच में घूम रहे थे पर उसकी कमर और कंधे नहीं छू रहे थे।
कनिका : तुम शरमाओ मत अच्छी तरह से करो
कनिका की आवाज में अब मायूसी नहीं थी एक अजीब सी ख़ुशी थी मेने अभी भी खुद को सम्भालना सही समझा कि जब थोड़े सी देर में इतनी खुल गयी कि खुद आगे होकर छूट दे रही है तो खुद ही चूत भी देगी इसको भी तो लंड चाहिए। मैं उसके कंधो को रगड़ने लगा उसके कंधो को रगड़ने के लिए मुझे उसके करीब जाना पड़ा अब मेरा लंड उसकी गांड के लेफ्ट साइड में छू रहा था.
कनिका : हाँ ऐसे ही और नीचे का भी ध्यान रखना (अब उसकी आवाज में खनक थी)
मेने उसकी कमर पर किनारे से पकड़ कर अंगूठो से उसकी कमर की मसाज शुरू करी। ऐसा करने से उसको बहुत अच्छा लगा और मेरे छूने से उसकी कामवासना भी भड़क रही थी और मेरे व्यवहार से उसको मुझ पर भरोसा भी हो रहा था। अब मेने चांस लेने कि सोची और अपने हाथ धीरे धीरे निचे की तरफ ले जाने लगा और उसके कूल्हे सहला रहा था पर बड़ी जल्दी से हाथ हटा भी लेता जिससे उसको लगे गलती से हुआ होगा। मेरी हरकते रंग लेन लगी उसके बदन से रंग उतर रहा था और एक दूसरा रंग उसके ऊपर चढ़ रहा था।
कनिका : ऐसे ही ऊपर का भी रंग हटाओ
मेने अब थोडा आगे बढ़ना शुरू किया और वही करता रहा अब जब मैं उसके कंधो तक पंहुचा तब मेरा लंड उसकी गांड के फूल में टक्कर मार रहा था। वो चड्डी और पजामे में कैद था पर फिर भी उसने कनिका की गांड पर दस्तक दे दी। मेरा दिमाग इस सब की इजाजत नहीं दे रहा था पर :-
जब लंड खड़ा होता है.…… दोस्तों
जब लंड खड़ा होता है.…… दोस्तों
जब लंड खड़ा होता है.……
तो वो दिमाग से बड़ा होता है।।
मेरे लंड का जवाब भी कनिका की गांड ने पिछे होकर दिया उसकी इस हरकत से मेरे सभी सब्र के बाँध टूट गए और अब मैं अपनी औकात पर आ गया। अब मेरे हाथ उसकी बगलो के निचे थे और वही अंगूठो से पीठ पर मसाज चल रही थी पर अब मेरी उंगलिया भी हरकत करके उसके हवा में झूलते हुए बूब्स की मसाज करने लगी।
कनिका : उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह (उसके मुह से एक दबी हुई सिसकी निकली )
उसकी सिसकी ने मेरे दिल के सभी तार छेड़ दिए और मेने भी उसके बूब्स को हल्का सा दबा कर छोड़ दिया। अब कनिका अपनी गाण्ड मेरे लंड पर घिसने लगी मेने अब अपने हाथो से उसके अधर में झूलते हुए बूब्स को सहारा दिया और उनकी मसाज शुरू कर दी। कनिका अपनी गांड मेरे लंड पर जितना घिस रही थी मेरी हालत उतनी ख़राब हो रही थी क्युकी मेरी चड्डी आज मेरे लंड के विकराल रूप की वजह से तंग हो गयी थी जिसका पूरा अहसास मेरी आंडो पर होने वाले दवाब से पता चल रहा था. मेने अपने हाथ से उसकी गांड को पकड़ा और और उसकी कोमल मखमली गांड को निचोड़ने लगा और कुछ देर में एक उंगली को उसकी गांड कि गहराई कि ओर अग्रसर कर दिया जैसे ही मेरी उंगली उसकी गांड के छेद से टकराई उसके बदन को झटका लगा और वो सीधी हो गयी और पीछे आकर मुझसे सट गयी अब उसने अपनी गर्दन पीछे करके पहले मेरे गाल को चूमा फिर हम दोनों के होठ मिल गए। उसकी इस हरकत से मेरी उंगली उसकी गांड में घुसने में नाकाम हो गयी। कनिका ने पहले मेरे दोनों हाथ अपने बूब पर रख कर दबाने चालू किये (हम अभी भी एक दूसरे के होठो का रसपान कर रहे थे बिना अलग हुए हमारे होठ आपस में सिल गए थे ) जैसे ही मेने उसके बूब्स मसलना शुरू किया उसने अपने हाथ पीछे लाकर मेरे लंड को पजामे और चड्डी कि कैद से आजादी दिला दी और मेरे लंड से खेलने लगी. मैं भी उसके निप्पल से खेल रहा था मेने उसके लेफ्ट बूब के निप्पल को बहुत जोर से उमेठा इससे उसके होठ मेरे होठो से अलग हुए और वो जोर से चीखी : आआह्हह्हह्हह्ह
अब उसने पलटी खायी और पहली बार उसकी चूत और मेरा लंड एक दूसरे के आमने सामने थे, मेरे लंड ने उसकी गुलाबी चूत को सलामी दी. कनिका मेरी और बड़ी पर मैं पीछे हो गया
कनिका : क्या हुआ (उसकी हालत बिना पानी के मछली जैसी हो गयी)
मैं : ताजमहल से ज्यादा तराशी हुयी इस खूबसूरती को एक नजर भर के देख तो लू
कनिका (अपने के हाथ से अपनी चूत और दूसरे से अपने दोनों बूब्स को छुपाने कि नाकाम कोशिश करते हुए ) मुझे शर्म आती है
मैं : हाय ये झाकते बूब और ये छुपी चूत
आज मेरे दिल को लेगे लूट
मैं फिर से कनिका के पास गया और कनिका मुझ पर भूखी शेरनी कि तरह झपटी और मेरे होठो को चूमने और काटने लगी और फिर अपनी जीभ मेरे मुह में घुसा दी उसके मुह का लार्वा मेरे मुह में घुल रहा था और इससे जो नशा हो रहा था वो किसी भी तरह के नशे से ज्यादा नशीला था. मेरे हाथ उसके बदन पर फिर रहे थे मेने एक हाथ उसकी भट्टी कि तरह तपती हुयी चूत पर रखा दिया। पहले उसके बहुत जोर से भींचा फिर उसको सहलाने लगा
मैं (उसकी बात काटते हुए ) तुमको कुछ और समझ आ रहा हो तो बताओ
कनिका कुछ नहीं बोलती। मुझे और मेरे लंड दोनों को उम्मीद बन गयी।
मैं : हाँ अगर तुम दुनिया कि सोच रही हो तो यहाँ कोई और है नहीं और उनको तुम्हारे बदन पे रंग दिखा तो वो तुम्हे ही गलत बोलेगे उन घटिया लोगो को नहीं। हाँ अगर मुझ पर विश्वास नहीं है तो बात अलग है
कनिका : नहीं मुझे तुम पर पूरा भरोसा है पर.…
मेने आगे बढ़ते हुए कहा : फिर कुछ मत सोचो
मेने कनिका का हाथ पकड़ा और उसको बाथरूम कि तरफ ले गया। कनिका ने मेरा कोई विरोध नहीं किया और वो खुद ही मेरे आगे बाथरूम में घुस गयी. हम दोनों बाथरूम में थे वो मेरे से एक कदम आगे खड़ी थी सर पर बालो का जुड़ा बांध रखा था उसके निचे उसकी गर्दन, कंधे और पीठ जो गुलाबी रंग से सनी थी जिस पर गीले बालो से कुछ बुँदे थी जो उसके चिकने सेक्सी रंगीन बदन पर बेशकीमती मोतियो कि तरह सज रही थी.
फिर भूरे रंग का तोलिया था जो उसने बूब्स छुपाने के लिए ऊपर बांध रखा था जो उसकी गांड तो छुपा रहा था पर सिर्फ नाम का जरा सी कोशिश से ही उसकी चूत नाम कि बुलबुल दिख जाती। फिर उसकी चिकनी मांसल जांघे थी. मैं उसको देख रहा था और मेरा लंड बगावत मचा रहा था कि घुस जाओ उस अँधेरी गलियो में.… अगर मैं चाहता तो फायदा उठा सकता था पर मैं जनता था कि संतोष करके आराम से इस मुर्गी को खाया तो सारी जिंदगी खा सकता हु। कनिका शावर के निचे जा कर कड़ी हो गयी पर वो तोलिया नहीं उतार पा रही थी मैं जनता था ये उसकी शर्म है जो उसको रोक रही थी. मेने आगे बढ़कर उसके हाथ ऊपर किया और उसके बूब्स के बीच बनी घाटी जहा उसके तोलिये का छोर दबा था उसको निकला (मेने निकलते वक़्त ये ध्यान रखा कि उसको अटपटा नहीं लगे और मैं उसको थोडा सा हरकत करके उतेजित कर सकू ) इसलिए मेने अपना हाथ उसके लेफ्ट बूब के थोडा सा ऊपर उसके दिल पे रखा उधर हाथ रखते ही मुझे उसकी तेज धड़कनो का अहसास हो गया फिर मेने अपनी एक उंगली और अंगूठा उसकी क्लीवरेज जहा उसकी तोलिये छोर थी उसमें डाल कर कनिका का रिएक्शन देखा वो ऊपर कि तरफ देख रही थी और उसकी धड़कन ट्रैन से तेज हो गयी थी. मेने भी मोका भुनाने कि सोची और अपनी उंगलियो को थोड़ा सा चौड़ा कर के उसके बूब्स के ऊपरी हिस्से को हलके से दबाया।
मैं : कनिका मैं ये खोल दू क्या? अगर तुम्हे बुरा लग रहा हो तो रहने दू।
मैं उसकी हसरतो को टटोल रहा था और उसके शायद हो सकने वाले संकोच को भी ख़त्म कर रहा था साथ साथ अपनी उंगलियो को हिला हिला कर उसके बूब्स को महसूस कर मजे लूट रहा था यानि एक साथ तीन शिकार।
कनिका : व् व् व् व् वो.…………(जैसे वो नींद से जगी हो ) हाँ कर लो जो करना है मेरे पास कोई चारा नहीं है
उसकी इस बात से मैं समझ गया वो अंदर से टूट रही है और वो अपने अंदर फट रही है मैं कमीना हु पर घटिया नहीं इसलिए मेने लंड कि नहीं मानी और दिमाग से काम लिया। मेने उसका तोलिया निकाल दिया और उसके हाथो को उसके बूब्स पे रख दिया। मेरी इस हरकत से उसको कुछ अच्छा महसूस हुआ।
कनिका : थैंक्स
मेने शावर चालू किया और उसके भीगने पर शावर बंद कर के साबुन लगाना शुरू किया। मेरे हाथ लगते ही उसके बदन में ऐसे हरारत हुई जैसे कोई बिजली का झटका लगा हो। मैं जानता था ये सब होगा मेरा लंड भी बहुत तेज झटका खा रहा था और मुझे बहका रहा था पर मैं जनता था कि हर एक कदम बड़ी सावधानी से रखना था इसलिए मेने सलीके से साबुन लगाना शुरू किया। पीठ के ऊपरी हिस्से में तो कोई दिक्कत नहीं हो रहे थी पर नीचे कमर के पास साबुन लगाने पर मैं सही से रगड़ नहीं पा रहा था पर मैं कुछ नहीं बोल रहा था। कनिका को भी मेरी परेशानी महसूस हो गयी.
कनिका : तुम को दिक्कत हो रही है ना मैं झुक जाती हु।
कनिका ने अपने हाथ उठा कर दीवार पर रख लिए और दीवार का सहारा ले कर झुक गयी पर उसके पैर दीवार से एक कदम पहले थे जिससे उसकी वो मस्त गांड जिसके बारे में सोच कर ही मेने न जाने कितनी बार मुठ मारी थी वो मस्त गांड मेरे आँखों के सामने थी और हाथो से कुछ ही दूर थी पर मैं अपने आप को रोक रहा था और मेरा लंड अपना सर चड्डी में ठोक रहा था.
अब मेने उसकी पूरी पीठ पर हाथ फैलाना शुरू किया पर मैं अपने हाथ उसकी कमर से थोडा ऊपर ही रोक रहा था मेरे हाथ उसकी पीठ के बीच में घूम रहे थे पर उसकी कमर और कंधे नहीं छू रहे थे।
कनिका : तुम शरमाओ मत अच्छी तरह से करो
कनिका की आवाज में अब मायूसी नहीं थी एक अजीब सी ख़ुशी थी मेने अभी भी खुद को सम्भालना सही समझा कि जब थोड़े सी देर में इतनी खुल गयी कि खुद आगे होकर छूट दे रही है तो खुद ही चूत भी देगी इसको भी तो लंड चाहिए। मैं उसके कंधो को रगड़ने लगा उसके कंधो को रगड़ने के लिए मुझे उसके करीब जाना पड़ा अब मेरा लंड उसकी गांड के लेफ्ट साइड में छू रहा था.
कनिका : हाँ ऐसे ही और नीचे का भी ध्यान रखना (अब उसकी आवाज में खनक थी)
मेने उसकी कमर पर किनारे से पकड़ कर अंगूठो से उसकी कमर की मसाज शुरू करी। ऐसा करने से उसको बहुत अच्छा लगा और मेरे छूने से उसकी कामवासना भी भड़क रही थी और मेरे व्यवहार से उसको मुझ पर भरोसा भी हो रहा था। अब मेने चांस लेने कि सोची और अपने हाथ धीरे धीरे निचे की तरफ ले जाने लगा और उसके कूल्हे सहला रहा था पर बड़ी जल्दी से हाथ हटा भी लेता जिससे उसको लगे गलती से हुआ होगा। मेरी हरकते रंग लेन लगी उसके बदन से रंग उतर रहा था और एक दूसरा रंग उसके ऊपर चढ़ रहा था।
कनिका : ऐसे ही ऊपर का भी रंग हटाओ
मेने अब थोडा आगे बढ़ना शुरू किया और वही करता रहा अब जब मैं उसके कंधो तक पंहुचा तब मेरा लंड उसकी गांड के फूल में टक्कर मार रहा था। वो चड्डी और पजामे में कैद था पर फिर भी उसने कनिका की गांड पर दस्तक दे दी। मेरा दिमाग इस सब की इजाजत नहीं दे रहा था पर :-
जब लंड खड़ा होता है.…… दोस्तों
जब लंड खड़ा होता है.…… दोस्तों
जब लंड खड़ा होता है.……
तो वो दिमाग से बड़ा होता है।।
मेरे लंड का जवाब भी कनिका की गांड ने पिछे होकर दिया उसकी इस हरकत से मेरे सभी सब्र के बाँध टूट गए और अब मैं अपनी औकात पर आ गया। अब मेरे हाथ उसकी बगलो के निचे थे और वही अंगूठो से पीठ पर मसाज चल रही थी पर अब मेरी उंगलिया भी हरकत करके उसके हवा में झूलते हुए बूब्स की मसाज करने लगी।
कनिका : उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह (उसके मुह से एक दबी हुई सिसकी निकली )
उसकी सिसकी ने मेरे दिल के सभी तार छेड़ दिए और मेने भी उसके बूब्स को हल्का सा दबा कर छोड़ दिया। अब कनिका अपनी गाण्ड मेरे लंड पर घिसने लगी मेने अब अपने हाथो से उसके अधर में झूलते हुए बूब्स को सहारा दिया और उनकी मसाज शुरू कर दी। कनिका अपनी गांड मेरे लंड पर जितना घिस रही थी मेरी हालत उतनी ख़राब हो रही थी क्युकी मेरी चड्डी आज मेरे लंड के विकराल रूप की वजह से तंग हो गयी थी जिसका पूरा अहसास मेरी आंडो पर होने वाले दवाब से पता चल रहा था. मेने अपने हाथ से उसकी गांड को पकड़ा और और उसकी कोमल मखमली गांड को निचोड़ने लगा और कुछ देर में एक उंगली को उसकी गांड कि गहराई कि ओर अग्रसर कर दिया जैसे ही मेरी उंगली उसकी गांड के छेद से टकराई उसके बदन को झटका लगा और वो सीधी हो गयी और पीछे आकर मुझसे सट गयी अब उसने अपनी गर्दन पीछे करके पहले मेरे गाल को चूमा फिर हम दोनों के होठ मिल गए। उसकी इस हरकत से मेरी उंगली उसकी गांड में घुसने में नाकाम हो गयी। कनिका ने पहले मेरे दोनों हाथ अपने बूब पर रख कर दबाने चालू किये (हम अभी भी एक दूसरे के होठो का रसपान कर रहे थे बिना अलग हुए हमारे होठ आपस में सिल गए थे ) जैसे ही मेने उसके बूब्स मसलना शुरू किया उसने अपने हाथ पीछे लाकर मेरे लंड को पजामे और चड्डी कि कैद से आजादी दिला दी और मेरे लंड से खेलने लगी. मैं भी उसके निप्पल से खेल रहा था मेने उसके लेफ्ट बूब के निप्पल को बहुत जोर से उमेठा इससे उसके होठ मेरे होठो से अलग हुए और वो जोर से चीखी : आआह्हह्हह्हह्ह
अब उसने पलटी खायी और पहली बार उसकी चूत और मेरा लंड एक दूसरे के आमने सामने थे, मेरे लंड ने उसकी गुलाबी चूत को सलामी दी. कनिका मेरी और बड़ी पर मैं पीछे हो गया
कनिका : क्या हुआ (उसकी हालत बिना पानी के मछली जैसी हो गयी)
मैं : ताजमहल से ज्यादा तराशी हुयी इस खूबसूरती को एक नजर भर के देख तो लू
कनिका (अपने के हाथ से अपनी चूत और दूसरे से अपने दोनों बूब्स को छुपाने कि नाकाम कोशिश करते हुए ) मुझे शर्म आती है
मैं : हाय ये झाकते बूब और ये छुपी चूत
आज मेरे दिल को लेगे लूट
मैं फिर से कनिका के पास गया और कनिका मुझ पर भूखी शेरनी कि तरह झपटी और मेरे होठो को चूमने और काटने लगी और फिर अपनी जीभ मेरे मुह में घुसा दी उसके मुह का लार्वा मेरे मुह में घुल रहा था और इससे जो नशा हो रहा था वो किसी भी तरह के नशे से ज्यादा नशीला था. मेरे हाथ उसके बदन पर फिर रहे थे मेने एक हाथ उसकी भट्टी कि तरह तपती हुयी चूत पर रखा दिया। पहले उसके बहुत जोर से भींचा फिर उसको सहलाने लगा
// सुनील पंडित // 

मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!