10-02-2021, 03:04 PM
मैं -देवर दोनों टॉपलेस
कम्मो भौजी ने दस कोट काही रंग का लगाया था , तो मैं क्यों पीछे रहती बारह कोट लाल रंग की मैंने उसके मूसल पर लगा दी , ज़म क़र मुठियाया।
उसके बाद कम्मो भौजी ने गाढ़ी कड़ाही के पेंदे की कालिख ,
मैंने सफ़ेद बार्निश ,
और हाँ ये कहाँ लिखा है की देवरानी जेठानी की होली नहीं होती , मैं और मेरे देवर दोनों टॉपलेस थे , तो कम्मो कैसे बचती तो मैंने ही उसकी चोली खोल के , सीधे आँगन में ,
पर कम्मो भी इतनी सीधी नहीं , उसने मेरी पेटीकोट में फंसी साड़ी को खींच के फेंक दिया , तो मैंने भी
बस अब दोनों भौजाइयां पेटीकोट में रंग से गीले , देह से चिपके , और
देवर सिर्फ पैंट में और उसकी भी सारी बटनें , जिपर खुला , ,... मैंने कुछ बटन तोड़ भी दी ,
आगे से मैं , मेरे रंग में भीजे उरोज देवर की छाती से रगड़ते घिसटते और पीछे से कम्मो भौजी कस के अपने जोबन अनुज के पीठ पर मलती
खूंटा भी हम दोनों ने बाँट लिया था , गन्ना उनके हाथ , रसगुल्ला मेरे हाथ ,
बस सिर्फ ये फैसला करना था की देवर की कौन पहले लेगा ,
मैं कह रही थी की कम्मो भौजी बड़ी हैं पहले वो , और उसके बाद मैं मना नहीं करूंगी ,
लेकिन कम्मो का कहना था मैं नयकी भौजी हूँ , मेरा पहला फागुन है , तो देवर के साथ सफ़ेद रंग वाली होली पहले मुझे खेलनी चाहिए , उसके बाद अनुज ना नुकर भी करेगा तो तो वो बिना उसे चोदे नहीं छोड़ेंगी ,
बीच में अनुज कुछ बोलने की कोशिश करता तो हम दोनों उसे गाली दे दे कर चुप करा देते , तेरी भी ली जायेगी , तेरी बहन की भी ली जायेगी , ...
बीच में कई बार फोन की घंटी बजी पर मैं अनसुनी कर रही थी , मेरा ध्यान चिकने देवर पर था ,
फिर लगातार , कम्मो ही बोली ,
अरे ये जाकर देख ले न , कौन स्साला अपनी माँ बहन चुदाने के लिए बौराया है , ... और ये कहीं भागा नहीं जा रहा है आज इसी आंगन में इसकी ली जायेगी ,
मैंने बरामदे में जाकर फोन उठाया , ...
कम्मो भौजी ने दस कोट काही रंग का लगाया था , तो मैं क्यों पीछे रहती बारह कोट लाल रंग की मैंने उसके मूसल पर लगा दी , ज़म क़र मुठियाया।
उसके बाद कम्मो भौजी ने गाढ़ी कड़ाही के पेंदे की कालिख ,
मैंने सफ़ेद बार्निश ,
और हाँ ये कहाँ लिखा है की देवरानी जेठानी की होली नहीं होती , मैं और मेरे देवर दोनों टॉपलेस थे , तो कम्मो कैसे बचती तो मैंने ही उसकी चोली खोल के , सीधे आँगन में ,
पर कम्मो भी इतनी सीधी नहीं , उसने मेरी पेटीकोट में फंसी साड़ी को खींच के फेंक दिया , तो मैंने भी
बस अब दोनों भौजाइयां पेटीकोट में रंग से गीले , देह से चिपके , और
देवर सिर्फ पैंट में और उसकी भी सारी बटनें , जिपर खुला , ,... मैंने कुछ बटन तोड़ भी दी ,
आगे से मैं , मेरे रंग में भीजे उरोज देवर की छाती से रगड़ते घिसटते और पीछे से कम्मो भौजी कस के अपने जोबन अनुज के पीठ पर मलती
खूंटा भी हम दोनों ने बाँट लिया था , गन्ना उनके हाथ , रसगुल्ला मेरे हाथ ,
बस सिर्फ ये फैसला करना था की देवर की कौन पहले लेगा ,
मैं कह रही थी की कम्मो भौजी बड़ी हैं पहले वो , और उसके बाद मैं मना नहीं करूंगी ,
लेकिन कम्मो का कहना था मैं नयकी भौजी हूँ , मेरा पहला फागुन है , तो देवर के साथ सफ़ेद रंग वाली होली पहले मुझे खेलनी चाहिए , उसके बाद अनुज ना नुकर भी करेगा तो तो वो बिना उसे चोदे नहीं छोड़ेंगी ,
बीच में अनुज कुछ बोलने की कोशिश करता तो हम दोनों उसे गाली दे दे कर चुप करा देते , तेरी भी ली जायेगी , तेरी बहन की भी ली जायेगी , ...
बीच में कई बार फोन की घंटी बजी पर मैं अनसुनी कर रही थी , मेरा ध्यान चिकने देवर पर था ,
फिर लगातार , कम्मो ही बोली ,
अरे ये जाकर देख ले न , कौन स्साला अपनी माँ बहन चुदाने के लिए बौराया है , ... और ये कहीं भागा नहीं जा रहा है आज इसी आंगन में इसकी ली जायेगी ,
मैंने बरामदे में जाकर फोन उठाया , ...